Sarkari Service Prep™

1905 बंगाल विभाजन – कारण, प्रभाव और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर प्रभाव

1905 – बंगाल विभाजन: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का निर्णायक मोड़


1905 में बंगाल विभाजन ब्रिटिश सरकार की "फूट डालो और राज करो" नीति का हिस्सा था। जानिए इसके कारण, प्रभाव और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर इसका गहरा प्रभाव।


🔹 प्रस्तावना

1905 का बंगाल विभाजन (Partition of Bengal) भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण घटना थी। ब्रिटिश सरकार द्वारा लिया गया यह निर्णय "फूट डालो और राज करो" (Divide and Rule) नीति का एक स्पष्ट उदाहरण था, जिसने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन को एक नई दिशा दी।


🔹 बंगाल विभाजन के कारण

बंगाल विभाजन के पीछे ब्रिटिश सरकार ने कई कारण दिए, लेकिन इसके मूल उद्देश्य भारतीयों को धार्मिक और क्षेत्रीय आधार पर विभाजित करना था।

  • प्रशासनिक कठिनाइयाँ: ब्रिटिश सरकार का तर्क था कि बंगाल (जो उस समय भारत का सबसे बड़ा प्रांत था) की जनसंख्या अधिक होने के कारण प्रशासन कठिन हो गया था।
  • हिंदू-मुस्लिम विभाजन: बंगाल विभाजन से हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच मतभेद बढ़ाने का प्रयास किया गया।
  • ब्रिटिश सरकार की "फूट डालो और राज करो" नीति: अंग्रेजों को डर था कि बंगाल राष्ट्रवादी गतिविधियों का केंद्र बन रहा है, इसलिए विभाजन के माध्यम से इस प्रभाव को कम करना चाहते थे।
  • औद्योगिक और व्यापारिक हित: विभाजन से बंगाल के आर्थिक केंद्रों को अलग कर व्यापारिक और औद्योगिक शक्ति को कमजोर करने का प्रयास किया गया।

🔹 विभाजन का आधिकारिक निर्णय

  • वायसराय लॉर्ड कर्जन (Lord Curzon) ने 19 जुलाई 1905 को बंगाल विभाजन की घोषणा की।
  • 16 अक्टूबर 1905 को यह निर्णय लागू किया गया।
  • बंगाल को पूर्वी बंगाल और असम तथा पश्चिम बंगाल, बिहार और उड़ीसा में विभाजित किया गया।
  • पूर्वी बंगाल में मुस्लिम बहुमत और पश्चिम बंगाल में हिंदू बहुमत था।

🔹 बंगाल विभाजन का विरोध और प्रभाव

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) का विरोध

  • बंगाल विभाजन के खिलाफ पूरे देश में व्यापक विरोध हुआ।
  • भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने इसे "राष्ट्र-विरोधी" करार दिया।
  • सुरेंद्रनाथ बनर्जी, रविंद्रनाथ टैगोर, अरविंदो घोष जैसे नेताओं ने विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व किया।

🛑 स्वदेशी आंदोलन (Swadeshi Movement)

  • ब्रिटिश वस्तुओं का बहिष्कार किया गया।
  • स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए भारतीय वस्त्रों और उत्पादों को अपनाया गया।
  • "राखी बंधन" आंदोलन चलाया गया, जिसमें हिंदू और मुस्लिम एकता का प्रदर्शन किया गया।
  • राष्ट्रीय शिक्षा आंदोलन (National Education Movement) को बल मिला।

🔥 क्रांतिकारी आंदोलन की शुरुआत

  • युवा राष्ट्रवादियों ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ उग्र कदम उठाने शुरू किए।
  • अनुशीलन समिति और युगांतर समूह जैसे क्रांतिकारी संगठन बने।
  • अरविंदो घोष, बारीन्द्र कुमार घोष और बाघा जतिन जैसे क्रांतिकारी नेताओं ने ब्रिटिश सत्ता के खिलाफ हिंसक आंदोलनों का नेतृत्व किया।

📜 टाइमलाइन (Timeline) of Bengal Partition


📌 पूर्व में परीक्षाओं में पूछे गए प्रश्न

Q1. बंगाल विभाजन कब लागू हुआ था?

  • A) 1857
  • B) 1905
  • C) 1911
  • D) 1947
    उत्तर: B) 1905

Q2. स्वदेशी आंदोलन की शुरुआत किस घटना के विरोध में हुई थी?

  • A) रॉलेट एक्ट
  • B) जलियांवाला बाग हत्याकांड
  • C) बंगाल विभाजन
  • D) साइमन कमीशन
    उत्तर: C) बंगाल विभाजन

Q3. बंगाल विभाजन का प्रस्ताव किसने रखा था?

  • A) लॉर्ड मिंटो
  • B) लॉर्ड कर्जन
  • C) लॉर्ड रिपन
  • D) लॉर्ड वेलेजली
    उत्तर: B) लॉर्ड कर्जन

📌 निष्कर्ष

1905 का बंगाल विभाजन भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक ऐतिहासिक मोड़ था। यह ब्रिटिश सरकार की विभाजनकारी नीति का परिणाम था, लेकिन इसने भारतीय राष्ट्रवाद को एक नई ऊर्जा प्रदान की। 1911 में इस विभाजन को वापस ले लिया गया, लेकिन इसके परिणामस्वरूप भारतीय राजनीति में सांप्रदायिक विभाजन की जड़ें गहरी हो गईं।


📢 Call-to-Action (CTA)

क्या आप सरकारी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं? हमारी विस्तृत अध्ययन सामग्री और क्विज़ पाने के लिए Sarkari Service Prep™ टेलीग्राम ग्रुप से जुड़ें। 📚🚀
🔗 Join Now – Sarkari Service Prep™


©Sarkari Service Prep™ – भारतीय इतिहास और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए सर्वश्रेष्ठ अध्ययन सामग्री। 🚀📖


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया टिप्पणी करते समय मर्यादित भाषा का प्रयोग करें। किसी भी प्रकार का स्पैम, अपशब्द या प्रमोशनल लिंक हटाया जा सकता है। आपका सुझाव हमारे लिए महत्वपूर्ण है!

"Sarkari Service Prep™ – India's No.1 Smart Platform for Govt Exam Learners | Mission ₹1 Crore"

Blogger द्वारा संचालित.