RBSE Class 12 Hindi (Anivarya) Model Paper 2025 with Solution | राजस्थान बोर्ड कक्षा 12 हिंदी अनिवार्य मॉडल प्रश्न पत्र 2025 (संपूर्ण हल सहित)
RBSE कक्षा 12 हिंदी अनिवार्य मॉडल प्रश्न पत्र 2025 (संपूर्ण हल सहित)
राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (RBSE) द्वारा आयोजित कक्षा 12वीं की परीक्षा के लिए यह मॉडल प्रश्न पत्र नवीनतम पाठ्यक्रम पर आधारित है। इस प्रश्न पत्र में सभी प्रकार के प्रश्न - वस्तुनिष्ठ, अतिलघूत्तरात्मक, लघूत्तरात्मक और निबंधात्मक प्रश्न शामिल हैं।
परीक्षा विवरण
- विषय: हिंदी अनिवार्य (Compulsory Hindi)
- कक्षा: 12वीं (उच्च माध्यमिक)
- पूर्णांक: 80 अंक
- समय: 3 घंटे 15 मिनट
- बोर्ड: RBSE (राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड)
सामान्य निर्देश
- सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
- प्रश्न पत्र चार खंडों में विभाजित है - खंड अ, ब, स और द।
- खंड अ में 16 वस्तुनिष्ठ प्रश्न हैं, प्रत्येक 1 अंक का।
- खंड ब में 8 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न हैं, प्रत्येक 2 अंक का।
- खंड स में 8 लघूत्तरात्मक प्रश्न हैं, प्रत्येक 3 अंक का।
- खंड द में 4 निबंधात्मक प्रश्न हैं, प्रत्येक 5 अंक का।
- प्रारंभ के 15 मिनट परीक्षार्थियों को प्रश्न पत्र पढ़ने के लिए निर्धारित हैं।
खंड - अ (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
निर्देश: निम्नलिखित प्रश्नों के सही विकल्प चुनकर उत्तर पुस्तिका में लिखिए। (16×1=16 अंक)
प्रश्न 1. 'कुटज' निबंध के लेखक कौन हैं?
(अ) जयशंकर प्रसाद
(ब) आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी
(स) रामचंद्र शुक्ल
(द) महादेवी वर्मा
प्रश्न 2. कबीर किस काल के कवि थे?
(अ) आदिकाल
(ब) भक्तिकाल
(स) रीतिकाल
(द) आधुनिक काल
प्रश्न 3. 'नीर भरी दुःख की बदली' कविता के रचयिता हैं?
(अ) सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'
(ब) महादेवी वर्मा
(स) सुमित्रानंदन पंत
(द) जयशंकर प्रसाद
प्रश्न 4. निम्नलिखित में से कौन सा शब्द तत्सम है?
(अ) आग
(ब) पानी
(स) अग्नि
(द) घर
प्रश्न 5. 'राजा-रानी' में कौन सा समास है?
(अ) द्वंद्व समास
(ब) कर्मधारय समास
(स) तत्पुरुष समास
(द) बहुव्रीहि समास
प्रश्न 6. 'सूरदास' किस रस के कवि माने जाते हैं?
(अ) वीर रस
(ब) वात्सल्य रस
(स) करुण रस
(द) शृंगार रस
प्रश्न 7. 'ममता' कहानी के लेखक कौन हैं?
(अ) प्रेमचंद
(ब) जयशंकर प्रसाद
(स) जैनेंद्र कुमार
(द) अज्ञेय
प्रश्न 8. 'मीरा' किसकी भक्त थीं?
(अ) राम
(ब) कृष्ण
(स) शिव
(द) गणेश
प्रश्न 9. निम्नलिखित में से कौन सा शब्द शुद्ध है?
(अ) श्रीमान
(ब) सिरीमान
(स) स्रीमान
(द) श्रिमान
प्रश्न 10. 'हाथ कंगन को आरसी क्या' लोकोक्ति का अर्थ है?
(अ) प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं
(ब) हाथ में कंगन होना
(स) दर्पण में देखना
(द) सजावट करना
प्रश्न 11. 'बिहारी' किस काल के कवि थे?
(अ) भक्तिकाल
(ब) रीतिकाल
(स) आदिकाल
(द) आधुनिक काल
प्रश्न 12. 'स्व' उपसर्ग से बना शब्द है?
(अ) स्वागत
(ब) स्वाद
(स) स्वार्थ
(द) उपरोक्त सभी
प्रश्न 13. 'रामचरितमानस' की रचना किसने की?
(अ) कबीरदास
(ब) सूरदास
(स) तुलसीदास
(द) रहीम
प्रश्न 14. निम्नलिखित में से कौन सा वाक्य शुद्ध है?
(अ) वह दूध पीता है।
(ब) वह दूध पीती है।
(स) वह दूध पीते हैं।
(द) उपरोक्त सभी
प्रश्न 15. 'अनुच्छेद लेखन' में सबसे महत्वपूर्ण है?
(अ) विषय की एकता
(ब) भाषा की सरलता
(स) विचारों का क्रम
(द) उपरोक्त सभी
प्रश्न 16. 'गंगा मैया' के लेखक हैं?
(अ) महादेवी वर्मा
(ब) राहुल सांकृत्यायन
(स) हजारी प्रसाद द्विवेदी
(द) रामधारी सिंह दिनकर
खंड - ब (अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न)
निर्देश: निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 30 शब्दों में लिखिए। (8×2=16 अंक)
प्रश्न 17. कुटज वृक्ष की विशेषताएं लिखिए।
प्रश्न 18. कबीर के अनुसार सच्चा साधु कौन है?
प्रश्न 19. मीरा ने अपने प्रभु को क्या-क्या कहकर पुकारा है?
प्रश्न 20. 'जीवन-संगीत' निबंध का मुख्य संदेश क्या है?
प्रश्न 21. निम्नलिखित शब्दों में उपसर्ग और मूल शब्द अलग कीजिए:
(क) अनुचित
(ख) प्रत्येक
प्रश्न 22. निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ स्पष्ट करते हुए वाक्य में प्रयोग कीजिए:
(क) आँखों में धूल झोंकना
(ख) कान भरना
प्रश्न 23. 'ममता' कहानी में ममता के चरित्र की दो विशेषताएं लिखिए।
प्रश्न 24. सूरदास की काव्य भाषा की दो विशेषताएं बताइए।
खंड - स (लघूत्तरात्मक प्रश्न)
निर्देश: निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 75 शब्दों में लिखिए। (8×3=24 अंक)
प्रश्न 25. 'कुटज' निबंध के आधार पर लेखक के जीवन-दर्शन पर प्रकाश डालिए।
प्रश्न 26. कबीर की समाज-सुधारक की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
प्रश्न 27. बिहारी के दोहों की भाषा-शैली की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
प्रश्न 28. 'मेरी असफलताएँ' निबंध का सारांश लिखिए।
प्रश्न 29. निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध करके लिखिए:
(क) वह रोज दिन सुबह टहलने जाता है।
(ख) मैंने आपका पुस्तक पढ़ा।
(स) राम और श्याम में बहुत मित्रता है।
प्रश्न 30. निम्नलिखित की संधि कीजिए और संधि का नाम बताइए:
(क) सत् + आचार
(ख) महा + ऋषि
(स) देव + इंद्र
प्रश्न 31. समास की परिभाषा देते हुए द्वंद्व समास के तीन उदाहरण लिखिए।
प्रश्न 32. 'गंगा मैया' पाठ के आधार पर राहुल सांकृत्यायन की यात्रा-वर्णन शैली की विशेषताएं बताइए।
खंड - द (निबंधात्मक प्रश्न)
निर्देश: निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 150 शब्दों में लिखिए। (4×5=20 अंक)
प्रश्न 33. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर निबंध लिखिए:
(क) भारतीय किसान
(ख) विज्ञान: वरदान या अभिशाप
(ग) मेरे जीवन का लक्ष्य
प्रश्न 34. अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को पांच दिन के अवकाश के लिए प्रार्थना पत्र लिखिए।
प्रश्न 35. तुलसीदास के काव्य में समन्वय की भावना पर विस्तार से प्रकाश डालिए।
प्रश्न 36. महादेवी वर्मा की कविताओं में वेदना और करुणा के स्वर को स्पष्ट कीजिए।
मॉडल प्रश्न पत्र के उत्तर (Complete Solutions)
खंड - अ के उत्तर (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
उत्तर 1. (ब) आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी
व्याख्या: 'कुटज' एक प्रसिद्ध ललित निबंध है जिसके रचयिता आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी हैं। इस निबंध में द्विवेदी जी ने कुटज वृक्ष के माध्यम से जीवन संघर्ष और विपरीत परिस्थितियों में जीने की प्रेरणा दी है। यह निबंध प्रकृति और मानव जीवन के बीच सुंदर समन्वय स्थापित करता है।
उत्तर 2. (ब) भक्तिकाल
व्याख्या: संत कबीरदास भक्तिकाल के निर्गुण शाखा के प्रमुख कवि थे। उनका जन्म 1398 ई. माना जाता है और वे 15वीं शताब्दी के महान समाज सुधारक और आध्यात्मिक गुरु थे। कबीर ने अपने दोहों और साखियों के माध्यम से समाज में व्याप्त कुरीतियों, आडंबरों और पाखंडों का विरोध किया।
उत्तर 3. (ब) महादेवी वर्मा
व्याख्या: 'नीर भरी दुःख की बदली' महादेवी वर्मा की प्रसिद्ध कविता है। महादेवी वर्मा छायावाद की प्रमुख स्तंभ मानी जाती हैं और उन्हें 'आधुनिक मीरा' के नाम से भी जाना जाता है। उनकी कविताओं में वेदना, करुणा और रहस्यवाद की प्रधानता है। यह कविता उनके काव्य संग्रह 'नीहार' में संकलित है।
उत्तर 4. (स) अग्नि
व्याख्या: 'अग्नि' संस्कृत का तत्सम शब्द है। तत्सम शब्द वे होते हैं जो संस्कृत से हिंदी में बिना किसी परिवर्तन के आए हैं। जबकि 'आग' तद्भव शब्द है जो संस्कृत के 'अग्नि' से विकृत होकर बना है। 'पानी' (संस्कृत: पानीय) और 'घर' (संस्कृत: गृह) भी तद्भव शब्द हैं।
उत्तर 5. (अ) द्वंद्व समास
व्याख्या: 'राजा-रानी' में द्वंद्व समास है। द्वंद्व समास में दोनों पद प्रधान होते हैं और विग्रह करते समय दोनों पदों के बीच 'और' या 'तथा' जोड़ा जाता है। इस शब्द का विग्रह होगा - 'राजा और रानी'। द्वंद्व समास के अन्य उदाहरण हैं: माता-पिता, दिन-रात, सुख-दुःख आदि।
उत्तर 6. (ब) वात्सल्य रस
व्याख्या: सूरदास को वात्सल्य रस का सम्राट कहा जाता है। उन्होंने अपने काव्य में बाल कृष्ण की लीलाओं और यशोदा के वात्सल्य भाव का अत्यंत मनोहारी वर्णन किया है। हालांकि उनके काव्य में शृंगार रस भी है, लेकिन वे मुख्य रूप से वात्सल्य रस के लिए प्रसिद्ध हैं। उनका 'सूरसागर' वात्सल्य रस का अद्वितीय ग्रंथ माना जाता है।
उत्तर 7. (ब) जयशंकर प्रसाद
व्याख्या: 'ममता' जयशंकर प्रसाद की प्रसिद्ध कहानी है। यह कहानी एक माँ के त्याग और बलिदान की मार्मिक कथा है। प्रसाद जी छायावाद के चार प्रमुख स्तंभों में से एक थे और उन्होंने कविता, नाटक, उपन्यास और कहानी सभी विधाओं में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
उत्तर 8. (ब) कृष्ण
व्याख्या: मीराबाई श्रीकृष्ण की परम भक्त थीं। उन्होंने अपने पदों में कृष्ण को अपना प्रियतम, पति और सर्वस्व माना है। मीरा ने सामाजिक बंधनों को तोड़कर कृष्ण भक्ति में लीन रहीं और अनेक मधुर पद रचे। उनकी भक्ति सगुण शाखा की कृष्ण भक्ति धारा से संबंधित है।
उत्तर 9. (अ) श्रीमान
व्याख्या: 'श्रीमान' शब्द की शुद्ध वर्तनी है। यह संस्कृत के 'श्री' और 'मान' शब्दों से मिलकर बना है। हिंदी में 'श्री' का प्रयोग सम्मानसूचक शब्द के रूप में होता है। 'सिरीमान', 'स्रीमान' और 'श्रिमान' अशुद्ध वर्तनी हैं।
उत्तर 10. (अ) प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं
व्याख्या: 'हाथ कंगन को आरसी क्या' एक प्रसिद्ध हिंदी लोकोक्ति है जिसका अर्थ है कि जो वस्तु प्रत्यक्ष रूप से सामने हो, उसके लिए किसी प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती। जैसे हाथ में पहने कंगन को देखने के लिए दर्पण (आरसी) की जरूरत नहीं है। इस लोकोक्ति का प्रयोग तब किया जाता है जब कोई स्पष्ट बात के लिए प्रमाण माँगे।
उत्तर 11. (ब) रीतिकाल
व्याख्या: बिहारी रीतिकाल के श्रेष्ठ कवि थे। उनका पूरा नाम बिहारीलाल था और उन्होंने 'बिहारी सतसई' नामक प्रसिद्ध ग्रंथ की रचना की जिसमें 713 दोहे हैं। बिहारी को 'दोहों का बादशाह' कहा जाता है। उनके दोहों में शृंगार, नीति और भक्ति का सुंदर समन्वय है।
उत्तर 12. (द) उपरोक्त सभी
व्याख्या: 'स्व' उपसर्ग से बने सभी शब्द सही हैं। स्वागत (स्व + आगत), स्वाद (स्व + आद), स्वार्थ (स्व + अर्थ) - ये सभी शब्द 'स्व' उपसर्ग से निर्मित हैं। 'स्व' उपसर्ग का अर्थ 'अपना' होता है और यह संस्कृत का उपसर्ग है।
उत्तर 13. (स) तुलसीदास
व्याख्या: 'रामचरितमानस' की रचना गोस्वामी तुलसीदास ने की थी। इस महाकाव्य की रचना अवधी भाषा में हुई और इसमें भगवान राम के चरित्र का विस्तृत वर्णन है। यह ग्रंथ 1574 ई. में लिखा गया और यह हिंदी साहित्य का सर्वश्रेष्ठ धार्मिक ग्रंथ माना जाता है। इसमें सात कांड हैं।
उत्तर 14. (द) उपरोक्त सभी
व्याख्या: तीनों वाक्य व्याकरण की दृष्टि से शुद्ध हैं क्योंकि 'वह' सर्वनाम का प्रयोग पुरुष, स्त्री और सम्मानसूचक तीनों रूपों में किया जा सकता है। 'वह दूध पीता है' (पुरुष के लिए), 'वह दूध पीती है' (स्त्री के लिए), और 'वह दूध पीते हैं' (सम्मानसूचक) - तीनों वाक्य सही हैं।
उत्तर 15. (द) उपरोक्त सभी
व्याख्या: अनुच्छेद लेखन में विषय की एकता, भाषा की सरलता और विचारों का क्रम - तीनों ही महत्वपूर्ण हैं। विषय की एकता से अनुच्छेद केंद्रित रहता है, भाषा की सरलता से पाठक आसानी से समझ सकता है और विचारों का क्रम अनुच्छेद को तार्किक बनाता है।
उत्तर 16. (ब) राहुल सांकृत्यायन
व्याख्या: 'गंगा मैया' यात्रा वृत्तांत के लेखक राहुल सांकृत्यायन हैं। राहुल जी महान यात्री, इतिहासकार और साहित्यकार थे। उन्हें 'महापंडित' की उपाधि से सम्मानित किया गया। उन्होंने अनेक देशों की यात्राएं कीं और हिंदी में यात्रा साहित्य को समृद्ध किया।
खंड - ब के उत्तर (अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न)
उत्तर 17. कुटज वृक्ष की विशेषताएं
कुटज एक अत्यंत साधारण और छोटा वृक्ष है जो पहाड़ों की कठोर चट्टानों में भी उग जाता है। यह विपरीत परिस्थितियों में भी जीवित रहने की अद्भुत क्षमता रखता है। इसके फूल सफेद और सुंदर होते हैं। कुटज वृक्ष आत्मसम्मान और जीवटता का प्रतीक है। यह बिना किसी की सहायता के स्वतंत्र रूप से पत्थरों में भी अपना अस्तित्व बनाए रखता है।
उत्तर 18. कबीर के अनुसार सच्चा साधु
कबीर के अनुसार सच्चा साधु वह है जो बाह्य आडंबरों से दूर रहकर आत्मा की शुद्धि करता है। वह जाति-पाति, ऊंच-नीच के भेदभाव से परे होता है। सच्चा साधु अहंकार रहित होता है और मन की पवित्रता को महत्व देता है। वह दिखावे के लिए धार्मिक क्रियाएं नहीं करता बल्कि सच्चे मन से ईश्वर की भक्ति करता है।
उत्तर 19. मीरा ने अपने प्रभु को संबोधित करना
मीरा ने अपने प्रभु श्रीकृष्ण को अनेक मधुर नामों से पुकारा है - जैसे गिरिधर नागर, श्याम, कन्हैया, मोहन, माधव आदि। उन्होंने कृष्ण को अपना प्रियतम और पति माना है। मीरा के पदों में कृष्ण के प्रति अगाध प्रेम और समर्पण की भावना है। वे कृष्ण को अपना सर्वस्व मानती थीं।
उत्तर 20. 'जीवन-संगीत' निबंध का मुख्य संदेश
डॉ. एस. राधाकृष्णन के निबंध 'जीवन-संगीत' का मुख्य संदेश है कि जीवन में संतुलन और समन्वय होना चाहिए। जिस प्रकार संगीत में विभिन्न स्वरों का समन्वय होता है, उसी प्रकार जीवन में भी विभिन्न पक्षों का संतुलन आवश्यक है। जीवन को संगीत की तरह सुरीला और सामंजस्यपूर्ण बनाना चाहिए।
उत्तर 21. उपसर्ग और मूल शब्द
(क) अनुचित:
उपसर्ग: अन्
मूल शब्द: उचित
विग्रह: न उचित (जो उचित न हो)
(ख) प्रत्येक:
उपसर्ग: प्रति
मूल शब्द: एक
विग्रह: हर एक, प्रत्येक एक
उत्तर 22. मुहावरों का अर्थ और वाक्य प्रयोग
(क) आँखों में धूल झोंकना:
अर्थ: धोखा देना, छल करना
वाक्य प्रयोग: चोर पुलिस की आँखों में धूल झोंककर भाग निकला।
(ख) कान भरना:
अर्थ: चुगली करना, किसी के विरुद्ध बातें करना
वाक्य प्रयोग: राम के विरुद्ध किसी ने राजा के कान भर दिए जिससे उन्हें वनवास मिला।
उत्तर 23. 'ममता' कहानी में ममता के चरित्र की विशेषताएं
1. त्यागमयी माँ: ममता एक त्यागमयी और स्नेहमयी माँ है जो अपने पुत्र के लिए हर कष्ट सहने को तैयार है।
2. कर्तव्यपरायण: वह अपने कर्तव्यों के प्रति अत्यंत सजग है और मातृत्व धर्म का पालन करती है। उसका चरित्र भारतीय नारी के आदर्श का प्रतीक है।
उत्तर 24. सूरदास की काव्य भाषा की विशेषताएं
1. ब्रजभाषा का प्रयोग: सूरदास ने अपने काव्य में मधुर ब्रजभाषा का प्रयोग किया है जो अत्यंत सरल और प्रवाहमयी है।
2. लोकोक्तियों और मुहावरों का प्रयोग: उनकी भाषा में लोक जीवन के शब्दों, मुहावरों और लोकोक्तियों का सुंदर प्रयोग मिलता है जो भाषा को जीवंत बनाता है।
खंड - स के उत्तर (लघूत्तरात्मक प्रश्न)
उत्तर 25. 'कुटज' निबंध के आधार पर लेखक का जीवन-दर्शन
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने 'कुटज' निबंध में एक गहरा जीवन-दर्शन प्रस्तुत किया है। लेखक कुटज वृक्ष को जीवन संघर्ष का प्रतीक मानते हैं। कुटज पथरीली चट्टानों पर भी खिल उठता है, यह विपरीत परिस्थितियों में भी जीने की प्रेरणा देता है।
लेखक का मानना है कि मनुष्य को कुटज की तरह आत्मनिर्भर और स्वाभिमानी होना चाहिए। जीवन में कठिनाइयाँ आती रहती हैं, परंतु उनसे घबराना नहीं चाहिए। कुटज बिना किसी की सहायता के अपना अस्तित्व बनाए रखता है, मनुष्य को भी ऐसा ही होना चाहिए। यह निबंध आशावाद और सकारात्मक दृष्टिकोण की शिक्षा देता है।
उत्तर 26. कबीर की समाज-सुधारक की भूमिका
संत कबीर केवल कवि ही नहीं बल्कि एक महान समाज सुधारक भी थे। उन्होंने अपने समय की सामाजिक बुराइयों का डटकर विरोध किया। कबीर ने जाति-पाति के भेदभाव को निरर्थक बताया और मनुष्य-मनुष्य में समानता का संदेश दिया।
उन्होंने हिंदू-मुस्लिम एकता पर बल दिया और दोनों धर्मों के आडंबरों की आलोचना की। कबीर ने बाह्य धार्मिक कर्मकांडों, मूर्ति पूजा और तीर्थ यात्राओं को व्यर्थ बताया। उन्होंने सच्ची भक्ति, सदाचार और मानवता पर जोर दिया। कबीर का समाज सुधार कार्य आज भी प्रासंगिक है।
उत्तर 27. बिहारी के दोहों की भाषा-शैली की विशेषताएं
बिहारी के दोहों की भाषा-शैली अत्यंत प्रभावशाली और विशिष्ट है। उनकी भाषा ब्रजभाषा है जो मधुर और संगीतात्मक है। बिहारी के दोहों में गागर में सागर भरने की कला है - अल्प शब्दों में गहरा अर्थ।
उनकी शैली में लाक्षणिकता, व्यंजना और अलंकारों का सुंदर प्रयोग है। उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा आदि अलंकारों का स्वाभाविक प्रयोग मिलता है। उनकी भाषा सरल होते हुए भी गूढ़ अर्थ व्यक्त करती है। मुहावरों और लोकोक्तियों के प्रयोग से भाषा जीवंत बनी है। बिहारी के दोहे रीतिकालीन काव्य के श्रेष्ठ उदाहरण हैं।
उत्तर 28. 'मेरी असफलताएँ' निबंध का सारांश
बाबू गुलाबराय के निबंध 'मेरी असफलताएँ' में लेखक ने अपने जीवन की विभिन्न असफलताओं का ईमानदार वर्णन किया है। लेखक बताते हैं कि जीवन में असफलताएँ सफलता जितनी ही महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे हमें सीख देती हैं।
गुलाबराय जी ने अपनी शैक्षणिक, व्यावसायिक और व्यक्तिगत असफलताओं का उल्लेख करते हुए बताया कि असफलताओं से निराश नहीं होना चाहिए। हर असफलता एक नया पाठ सिखाती है और आगे बढ़ने का मार्ग दिखाती है। यह निबंध आत्मविश्वास और सकारात्मक दृष्टिकोण की शिक्षा देता है।
उत्तर 29. वाक्य शुद्धिकरण
(क) अशुद्ध: वह रोज दिन सुबह टहलने जाता है।
शुद्ध: वह रोज सुबह टहलने जाता है।
कारण: 'रोज दिन' में पुनरुक्ति दोष है। 'रोज' का अर्थ ही 'प्रतिदिन' है।
(ख) अशुद्ध: मैंने आपका पुस्तक पढ़ा।
शुद्ध: मैंने आपकी पुस्तक पढ़ी।
कारण: 'पुस्तक' स्त्रीलिंग शब्द है, अतः सर्वनाम और क्रिया भी स्त्रीलिंग होंगे।
(स) अशुद्ध: राम और श्याम में बहुत मित्रता है।
शुद्ध: राम और श्याम में गहरी मित्रता है। या राम और श्याम परम मित्र हैं।
कारण: 'बहुत' विशेषण 'मित्रता' के साथ उचित नहीं है।
उत्तर 30. संधि और संधि का नाम
(क) सत् + आचार = सदाचार
संधि का नाम: व्यंजन संधि (परसवर्ण संधि)
नियम: जब 'त्' के बाद 'आ' आता है तो 'त्' 'द्' में बदल जाता है।
(ख) महा + ऋषि = महर्षि
संधि का नाम: स्वर संधि (गुण संधि)
नियम: 'अ/आ' के बाद 'ऋ' आने पर 'अर्' हो जाता है।
(स) देव + इंद्र = देवेंद्र
संधि का नाम: स्वर संधि (गुण संधि)
नियम: 'अ/आ' के बाद 'इ/ई' आने पर 'ए' हो जाता है।
उत्तर 31. समास की परिभाषा और द्वंद्व समास के उदाहरण
समास की परिभाषा: दो या दो से अधिक शब्दों के मेल से बनने वाले नए सार्थक शब्द को समास कहते हैं। समास में दो पदों का योग होता है - पूर्वपद और उत्तरपद। समास करने पर शब्द संक्षिप्त हो जाता है।
द्वंद्व समास: जिस समास में दोनों पद प्रधान होते हैं और विग्रह करते समय 'और', 'या', 'तथा' आदि का प्रयोग होता है, उसे द्वंद्व समास कहते हैं।
द्वंद्व समास के तीन उदाहरण:
1. माता-पिता = माता और पिता
2. दिन-रात = दिन और रात
3. सुख-दुःख = सुख और दुःख
उत्तर 32. राहुल सांकृत्यायन की यात्रा-वर्णन शैली
'गंगा मैया' पाठ में राहुल सांकृत्यायन की यात्रा-वर्णन शैली अत्यंत जीवंत और रोचक है। उनकी शैली में यथार्थवाद और सजीवता है। वे केवल स्थानों का वर्णन नहीं करते बल्कि वहाँ के लोगों, उनकी संस्कृति और इतिहास को भी समेटते हैं।
राहुल जी की भाषा सरल, सहज और प्रवाहमयी है। उन्होंने ऐतिहासिक तथ्यों को रोचक ढंग से प्रस्तुत किया है। उनके वर्णन में स्थानीय शब्दावली और मुहावरों का स्वाभाविक प्रयोग मिलता है। उनकी यात्रा-वृत्तांत शैली पाठकों को साथ यात्रा करने का अनुभव कराती है।
खंड - द के उत्तर (निबंधात्मक प्रश्न)
उत्तर 33(क). निबंध: भारतीय किसान
प्रस्तावना: भारत एक कृषि प्रधान देश है और भारतीय किसान इस देश की रीढ़ है। देश की लगभग 60 प्रतिशत जनसंख्या प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है। किसान अन्नदाता है जो पूरे देश का पेट भरता है।
किसान का जीवन: भारतीय किसान का जीवन अत्यंत कठिन और परिश्रमपूर्ण है। वह सूर्योदय से पहले उठकर अपने खेतों में काम करने लगता है। गर्मी, सर्दी, बरसात - हर मौसम में वह कठिन परिश्रम करता है। उसका जीवन प्रकृति पर निर्भर है।
किसान की समस्याएं: आज भारतीय किसान अनेक समस्याओं से जूझ रहा है। प्राकृतिक आपदाएं, फसलों का उचित मूल्य न मिलना, ऋण का बोझ, सिंचाई की कमी, बीज और खाद की महंगाई - ये सब किसान की प्रमुख समस्याएं हैं। कई बार तो फसल नष्ट होने पर किसान आत्महत्या तक कर लेता है।
उपसंहार: सरकार को किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। फसल बीमा योजना, न्यूनतम समर्थन मूल्य और सिंचाई सुविधाओं का विस्तार आवश्यक है। किसान की समृद्धि में ही देश की समृद्धि है।
उत्तर 33(ख). निबंध: विज्ञान - वरदान या अभिशाप
प्रस्तावना: आधुनिक युग विज्ञान का युग है। विज्ञान ने मानव जीवन को पूरी तरह बदल दिया है। जहाँ एक ओर विज्ञान ने मनुष्य को अनेक सुविधाएं दी हैं, वहीं दूसरी ओर इसने कुछ समस्याएं भी खड़ी की हैं। अतः विज्ञान वरदान है या अभिशाप - यह विचारणीय प्रश्न है।
विज्ञान के वरदान: विज्ञान ने मानव जीवन को सरल और सुविधाजनक बना दिया है। चिकित्सा के क्षेत्र में क्रांति आई है। असाध्य रोगों का इलाज संभव हो गया है। संचार के साधनों ने दूरियां मिटा दी हैं। यातायात, शिक्षा, मनोरंजन - सभी क्षेत्रों में विज्ञान का योगदान अतुलनीय है। कंप्यूटर और इंटरनेट ने तो क्रांति ही ला दी है।
विज्ञान के अभिशाप: परंतु विज्ञान की कुछ हानियां भी हैं। परमाणु बम, रासायनिक हथियार - ये मानवता के लिए खतरा हैं। प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग, ओजोन परत का क्षरण - ये विज्ञान की ही देन हैं। मशीनों ने बेरोजगारी बढ़ाई है। मानवीय संबंध कमजोर हो रहे हैं।
उपसंहार: विज्ञान न तो पूर्णतः वरदान है और न ही अभिशाप। यह हम पर निर्भर करता है कि हम इसका उपयोग कैसे करते हैं। विज्ञान को मानव कल्याण के लिए प्रयोग करना चाहिए, विनाश के लिए नहीं।
उत्तर 33(ग). निबंध: मेरे जीवन का लक्ष्य
प्रस्तावना: जीवन में लक्ष्य का होना अत्यंत आवश्यक है। बिना लक्ष्य के जीवन भटकाव में बीत जाता है। लक्ष्य जीवन को दिशा देता है और सफलता की ओर ले जाता है। मेरे जीवन का लक्ष्य एक सफल डॉक्टर बनना है।
लक्ष्य चयन का कारण: बचपन से ही मुझे चिकित्सा क्षेत्र में रुचि रही है। मैं मानव सेवा करना चाहता हूँ। डॉक्टर समाज में सम्मानीय व्यक्ति होता है और वह लोगों के दुःख दूर करता है। यही कारण है कि मैंने डॉक्टर बनने का निर्णय लिया है।
लक्ष्य प्राप्ति के प्रयास: अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मैं कठिन परिश्रम कर रहा हूँ। मैं विज्ञान विषयों पर विशेष ध्यान देता हूँ। मेडिकल परीक्षा की तैयारी के लिए कोचिंग भी ले रहा हूँ। मुझे विश्वास है कि निरंतर प्रयास से मैं अपने लक्ष्य को अवश्य प्राप्त करूंगा।
उपसंहार: लक्ष्य प्राप्ति का मार्ग कठिन है परंतु असंभव नहीं। दृढ़ संकल्प, कठिन परिश्रम और आत्मविश्वास से हर लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है। मैं अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए प्रतिबद्ध हूँ।
उत्तर 34. प्रधानाचार्य को अवकाश के लिए प्रार्थना पत्र
सेवा में,
श्रीमान प्रधानाचार्य महोदय,
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय,
जयपुर (राजस्थान)
विषय: पाँच दिन के अवकाश हेतु प्रार्थना पत्र।
महोदय,
सविनय निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय का कक्षा 12वीं का छात्र हूँ। मुझे अपने गांव जाना है क्योंकि मेरे बड़े भाई का विवाह समारोह 5 नवंबर से 9 नवंबर तक होना निश्चित हुआ है। परिवार में यह एक महत्वपूर्ण अवसर है और मेरा वहाँ उपस्थित रहना आवश्यक है।
अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि मुझे दिनांक 5 नवंबर 2025 से 9 नवंबर 2025 तक पाँच दिन का अवकाश प्रदान करने की कृपा करें। मैं अनुपस्थिति की अवधि में छूटे हुए पाठों को बाद में पूरा कर लूंगा।
आपकी अति कृपा होगी।
दिनांक: 1 नवंबर 2025
स्थान: जयपुर
आपका आज्ञाकारी शिष्य,
राज कुमार
कक्षा: 12वीं 'अ'
अनुक्रमांक: 1234
उत्तर 35. तुलसीदास के काव्य में समन्वय की भावना
गोस्वामी तुलसीदास हिंदी साहित्य के महानतम कवि हैं। उनके काव्य की सबसे बड़ी विशेषता समन्वय की भावना है। तुलसीदास ने अपने काव्य में विभिन्न विरोधी तत्वों में समन्वय स्थापित किया है।
भक्ति मार्गों का समन्वय: तुलसीदास ने ज्ञान, कर्म और भक्ति तीनों मार्गों में समन्वय स्थापित किया। उन्होंने सगुण और निर्गुण दोनों को स्वीकार किया। उनकी राम भक्ति में दास्य, सख्य और वात्सल्य तीनों भावों का समावेश है।
सामाजिक समन्वय: तुलसीदास ने समाज के सभी वर्गों को अपने काव्य में स्थान दिया। ब्राह्मण से लेकर चांडाल तक सभी के प्रति समान भाव रखा। शबरी, केवट, निषादराज - सभी को सम्मान दिया।
धार्मिक समन्वय: उन्होंने शैव और वैष्णव संप्रदायों में समन्वय स्थापित किया। राम और शिव दोनों की आराधना की। रामचरितमानस में शिव पार्वती संवाद इसका प्रमाण है।
लोक और शास्त्र का समन्वय: तुलसीदास ने लोक और शास्त्र दोनों को महत्व दिया। वे कहते हैं - "तुलसी जो सुख लोक में, सो सुख नहिं परमार्थ।" उन्होंने वेद, पुराण और लोक परंपरा का सुंदर समन्वय किया।
इस प्रकार तुलसीदास का संपूर्ण काव्य समन्वय का महाग्रंथ है जिसमें सभी प्रकार के विरोधों का समाधान मिलता है।
उत्तर 36. महादेवी वर्मा की कविताओं में वेदना और करुणा
महादेवी वर्मा छायावाद की प्रमुख कवयित्री हैं। उन्हें 'आधुनिक मीरा' के नाम से भी जाना जाता है। उनकी कविताओं की मूल विशेषता वेदना और करुणा है।
वेदना का स्वरूप: महादेवी की कविताओं में गहरी पीड़ा और वेदना की अभिव्यक्ति है। यह वेदना व्यक्तिगत नहीं बल्कि सार्वभौमिक है। उनकी कविता 'नीर भरी दुःख की बदली' इसका उत्कृष्ट उदाहरण है। यह वेदना आत्मा की पुकार है जो परमात्मा से मिलने के लिए व्याकुल है।
करुणा का भाव: महादेवी के काव्य में मानवीय करुणा और सहानुभूति का स्वर मुखरित है। वे समाज के दलित, शोषित और उपेक्षित वर्ग के प्रति गहरी करुणा व्यक्त करती हैं। उनके गद्य में यह करुणा और भी स्पष्ट है।
रहस्यवाद: महादेवी की वेदना रहस्यवादी है। वे अपने प्रिय (परमात्मा) से मिलन के लिए व्याकुल हैं। यह विरह वेदना उनके काव्य को गहराई देती है। उनकी कविताओं में मीरा जैसी भक्ति और तन्मयता है।
भाषा और शैली: महादेवी ने अपनी वेदना को अत्यंत मार्मिक और सुंदर भाषा में व्यक्त किया है। उनकी भाषा में कोमलता, संगीतात्मकता और भावुकता है। प्रतीक और बिंब योजना अत्यंत प्रभावशाली है।
इस प्रकार महादेवी वर्मा के काव्य में वेदना और करुणा का अद्भुत समन्वय है जो पाठकों के हृदय को छू लेता है।
शिक्षक की समीक्षा और मूल्यांकन
प्रश्न पत्र का विश्लेषण:
यह मॉडल प्रश्न पत्र RBSE के नवीनतम पाठ्यक्रम पर आधारित है और इसमें सभी प्रकार के प्रश्न समाहित हैं। प्रश्न पत्र निम्नलिखित बिंदुओं पर केंद्रित है:
- पाठ्यक्रम की व्यापकता: गद्य, पद्य, व्याकरण और रचना - सभी क्षेत्रों से प्रश्न लिए गए हैं।
- कठिनाई स्तर: प्रश्न सरल से कठिन क्रम में व्यवस्थित हैं।
- अंक विभाजन: वस्तुनिष्ठ (16), अतिलघूत्तरात्मक (16), लघूत्तरात्मक (24) और निबंधात्मक (24) - कुल 80 अंक।
उत्तर लेखन के मुख्य बिंदु:
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न: सभी उत्तरों में स्पष्ट व्याख्या दी गई है जो छात्रों को अवधारणा समझने में सहायक है।
- अतिलघूत्तरात्मक: 30 शब्दों की सीमा का पालन करते हुए सटीक उत्तर दिए गए हैं।
- लघूत्तरात्मक: 75 शब्दों में विषय को विस्तार से समझाया गया है।
- निबंधात्मक: प्रस्तावना, विषय विस्तार और उपसंहार के साथ पूर्ण निबंध प्रस्तुत किए गए हैं।
छात्रों के लिए सुझाव:
- उत्तर लिखते समय शब्द सीमा का ध्यान रखें।
- व्याकरण और वर्तनी की शुद्धता आवश्यक है।
- निबंधात्मक प्रश्नों में अनुच्छेद विभाजन करें।
- पाठ्यपुस्तक के उदाहरणों का उपयोग करें।
- लेखन स्पष्ट और सुपाठ्य होना चाहिए।
अंक प्राप्ति की रणनीति:
पूर्ण अंक प्राप्त करने के लिए विद्यार्थी को चाहिए कि वह:
- सभी प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़े
- समय प्रबंधन पर ध्यान दे
- पहले सरल प्रश्न हल करे
- उत्तर की प्रस्तुति आकर्षक हो
- महत्वपूर्ण बिंदुओं को रेखांकित करे
परीक्षा की तैयारी के लिए महत्वपूर्ण सुझाव
1. गद्य खंड की तैयारी:
- प्रत्येक पाठ का सारांश याद करें
- लेखकों के जीवन परिचय और रचनाओं की जानकारी रखें
- पाठों से संबंधित प्रश्नोत्तर तैयार करें
- पाठों की भाषा-शैली की विशेषताएं समझें
2. पद्य खंड की तैयारी:
- कवियों का जीवन परिचय और काल याद करें
- पदों का भावार्थ लिखने का अभ्यास करें
- रस, छंद, अलंकार की पहचान करें
- काव्य सौंदर्य की व्याख्या करना सीखें
3. व्याकरण की तैयारी:
- संधि के नियम और उदाहरण याद करें
- समास के भेद और उदाहरण तैयार करें
- उपसर्ग-प्रत्यय की सूची बनाएं
- मुहावरे और लोकोक्तियां याद करें
- वाक्य शुद्धि के नियम समझें
4. रचना की तैयारी:
- विभिन्न विषयों पर निबंध लिखने का अभ्यास करें
- पत्र लेखन के प्रारूप याद करें
- संवाद और अनुच्छेद लेखन का अभ्यास करें
- रोजाना डायरी लेखन करें
अंक वितरण सारांश
| खंड | प्रश्न संख्या | प्रत्येक प्रश्न के अंक | कुल अंक |
|---|---|---|---|
| खंड अ - वस्तुनिष्ठ | 16 | 1 | 16 |
| खंड ब - अतिलघूत्तरात्मक | 8 | 2 | 16 |
| खंड स - लघूत्तरात्मक | 8 | 3 | 24 |
| खंड द - निबंधात्मक | 4 | 6 | 24 |
| कुल पूर्णांक: | 80 | ||
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निष्कर्ष
यह मॉडल प्रश्न पत्र RBSE कक्षा 12 हिंदी अनिवार्य परीक्षा की तैयारी के लिए एक संपूर्ण मार्गदर्शिका है। इस प्रश्न पत्र में नवीनतम परीक्षा पैटर्न के अनुसार सभी प्रकार के प्रश्न शामिल किए गए हैं। प्रत्येक प्रश्न का विस्तृत उत्तर दिया गया है जो विद्यार्थियों को परीक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने में सहायक होगा।
विद्यार्थियों को सलाह दी जाती है कि वे इस मॉडल प्रश्न पत्र को ध्यानपूर्वक हल करें और उत्तरों का अध्ययन करें। नियमित अभ्यास और आत्मविश्वास से परीक्षा में सफलता अवश्य प्राप्त होगी।
शुभकामनाएं! 🎓📚
RBSE Class 12 Hindi Anivarya Model Paper 2025
यह मॉडल प्रश्न पत्र शैक्षिक उद्देश्यों के लिए तैयार किया गया है।
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