RBSE Class 12 Hindi Literature Model Paper 2025 | राजस्थान बोर्ड कक्षा 12 हिंदी साहित्य मॉडल प्रश्न पत्र 2025

| शनिवार, नवंबर 01, 2025
RBSE Class 12 Hindi Literature Model Paper 2025 | हिंदी साहित्य Complete Solutions

RBSE कक्षा 12 हिंदी साहित्य मॉडल प्रश्न-पत्र 2025

परीक्षा विवरण
बोर्डRBSE (BSER Ajmer)
कक्षा12वीं
विषयहिंदी साहित्य
समय3 घंटे 15 मिनट
पूर्णांक80
सत्र2024-25

हिंदी साहित्य RBSE कक्षा 12 का महत्वपूर्ण वैकल्पिक विषय है जो गद्य, पद्य, निबंध और साहित्यिक आलोचना का अध्ययन करता है।

परीक्षा का सामान्य विवरण

उच्च माध्यमिक परीक्षा 2025 के लिए यह नमूना प्रश्न-पत्र माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान, अजमेर द्वारा जारी पाठ्यक्रम पर आधारित है।

Blueprint & Marking Scheme

प्रश्न-पत्र की संरचना

क्र.सं. प्रश्नावली अंक प्रतिशत
1 गद्य 21 26.25
2 पद्य 26 32.5
3 आलोचनात्मक 16 20
4 साहित्येतिहास 7 8.75
5 निबंध/काव्य 10 12.5
योग 80 100

पाठ्यक्रम संरचना 2024-2025

कृतियों की इकाई और प्रश्नों का विवरण

क्र.सं. कृति का प्रकार कृतियों की संख्या कृति के प्रत्येक अंश से पूर्व किए गए प्रश्न पृष्ठों की संख्या प्रश्नों का प्रकार एवं अंक प्रत्येक पूर्ण पढ़ने पर कुल अंक प्रस्तावित अंक माध्यम में
1 बहुविकल्पीय/वस्तुनिष्ठ 6 1 13 15 x 1 60 15 15
2 सरल्करण/संस्मरण/कहानी 6 संगीत प्रश्न-3×4 15 8.2.5 21 13 45
3 समाज्योत्वांशांतर्गत - 13 23 10.0 21 15 -
4 साहित्यिक/आंग्ल विमर्श 6 13 25 12.5 23 - 45
5 साहित्येतिहास/पत्र-2 4 30 30 12.5 21 6 45
6 निबंधात्मक 1 11 वर्ष के अध्ययन से संबंध 38 50 - - 45

विस्तृत विषय सामग्री

क्र.सं. विधा सामग्री अंक प्रतिशत
1 अपठित गद्यांश 12 15
2 व्याकरणिक एवं रचनात्मक तत्त्व 16 20
3 कहानी / एकांकी 12 15
4 संस्मरण या आत्मकथा (पाठ-1) 32 40
5 संस्मरण या आत्मकथा (पाठ-2) 12 15
कुल 80 100
महत्वपूर्ण: विधाओं की संख्या में अंतर से प्रश्न ब सर्वा संख्या में कुल अंक निर्धारित किया है। मोटे—बोल्ड के बाहर की संख्या प्रश्नों की संख्या सूचित करती है।

यह मेमो हिंदी साहित्य प्रश्न पत्र में घोष एवं काव्य की सीमा स्पष्ट करने एवं निर्धारित माध्यमांक पर आधारित प्रश्नों की संभावना।

सामान्य निर्देश

  1. परीक्षार्थी सर्वप्रथम अपने प्रश्न पत्र पर नामांक अनिवार्यतः लिखें।
  2. सभी प्रश्न हल करने अनिवार्य हैं।
  3. प्रत्येक प्रश्न के उत्तर दी गई उत्तर पुस्तिका में ही लिखें।
  4. जिन प्रश्नों में आंतरिक खण्ड हैं उनके उत्तर एक साथ ही लिखें।
  5. प्रश्न का उत्तर लिखना शुरू करने से पूर्व प्रश्न का क्रमांक अवश्य लिखें।

खण्ड – अ

Section - A

प्र.1) बहुविकल्पीय प्रश्न :— (पूर्ण 80) (15×1=15)

i) सूरदास की भाषागत पाठ प्रेमवाट का क्या उपयोग हैं?

अ) कर्म-मार्ग        ब) भक्तिमार्ग
स) ज्ञानमार्ग        द) राजमार्ग

ii) सूरदास की भक्ति में अपना लगाये का कार्य विशेष लेकिन में किया?

अ) सगुण से         ब) हयुगिनि ने
स) भेरो ने          द) गद्यरचना ने

iii) विद्योतकर की माघो पाठ में परोस मुद्धरणा कौन सी है?

अ) हरिगीतम्        ब) सप्तपदी
स) काव्यल         द) गुलाब

iv) प्रभाल को कौन किषय पर लिका?

अ) 1956            ब) 1959
स) 1978            द) 1899

v) रबिरूद्विम किस नदी के किनारे का रहा था?

अ) गंगा            ब) यमुना
स) कावेरी          द) रापा

vi) कलायोत्वापनि किस भारतीय का काम है?

अ) रायें           ब) षष्ठा
स) मरठ          द) शुगल

vii) 'ऐ अर अधिक विवेकिता' कथाकृति रिव्ध का अर्थ है :—

अ) प्रबुद्धी         ब) साधा
स) पुण्य           द) राग

viii) प्रापडी के हस्ताक्षर का प्रश्नम किस माध्य से होता है?

अ) पींच            ब) फाइलबुक
स) मानविनिंग      द) गद्य

ix) तुलसी दैवतास् बालागी ने किस पथल का कार्य हैं?

अ) आगरा         ब) हरिंयार
स) सुनकर        द) प्रवास

x) घृवीयिता पाठ किस किधा से संबंधित है?

अ) कहानी         ब) निबंध
स) रोज्वच्षित्र      द) संस्कृत

xi) प्रेमचन की पुत्री स्थूली मे पोलेस्तुमु शब्द का कौन सा संयास विदेश?

अ) सहपूव         ब) उत्पत्ति
स) परपसूर        द) उसीपीर

xii) हत्याभार संयोग में विगोल्ड की सीमा है :—

अ) सांग          ब) मुद्धर
स) पांड          द) बार

xiii) उदय तिजिनिक कैलाश की प्रथम प्रति प्रकाश हुआ?

अ) 7वीं सरी के मध्य       ब) 13 वीं सदी के मध्य
स) 16वीं सदी के मध्य       द) 19 वीं सरी के मध्य

xiv) वासुदेवगारित्व में भाषा निर्णायक का क्षेत्र यया कालदहश्री है?

अ) वैकल्प          ब) छोटे
स) महास्वर        द) विषय

xv) वीर रजारत करने वाले निम्बाट को क्या कहते हैं?

अ) सावहानता       ब) साकषा
स) दोषक           द) दिर्घकालिकार

खण्ड —ब

प्र.2) रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :— (पूर्ण 40) (6×1=6)

(i) .................. कथ्य गुण में कादयी समे एवं स्वसहायालित का प्रयोग होगा हैं।

कथ्य पाठिन में ............... काम गुण है।

(क) "बसन्त आया लाल गुलाबी पुष्लों देरी टूरराई"

काव्य पक्तिन में ......... रस हैं।

(ख) झुण्डलिनित एक ......... मात्रिक छंद हैं।

(ग) हरितोश्विका पदय में ........... चरण होते हैं।

(घ) ..........अलंकार में कारण के विना कार्य की संभावना का कर्बन किंया जाता हैं।

(ङ) यहीं प्रत्यासा की असय तत्तलोग में गुस्ना के ठीकारा में मृत्युभर से बैरे पश किंया जाता हैं वहा .........अलंकार होता हैं।

खण्ड —स

प्र.3) निम्नलिखित अवतरण गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :— (5×6=6)

घनिष्ठ आत्मवेत, अत्मिक भारतीय साहित्यिक आन्दोलन था। उस आत्मवेत की छारा की अपैच घुड़ियां बदुरियों के लिए दस्यान, तथापि-भौतिकों ने सामा मानभबिल्यिभों को एक किया। उन्होंने बेवधनों एवं शौला को आधार पर उन्मतासरणड को किए सरी मूल्य सात्तार सुरदियों से थामिष अत्विकतार नो ले तरितका की उनकी किलीन की पाठबवीभित्त बंद करना है कि मातलत से मातलता है, हमे सदैव लगती है। प्राचील मुनियों ने कि श्रम से खूनना होती है, वो सो सर्तूती अर्थी है। प्रांचित अर्थी है, पंचा की पानी मो लो हाई आदमी है। धर्मांचित्र अवर्दी पति किया उसकी प्रांतबातृ स में उपमेल मावहर सरोनाओं अर से ब्रिंटिश नीरती दिखना या।

(i) प्रस्तुत गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।

(ii) रोवाघिक अंव्य का अर्थ बतावों।

(iii) प्रांचील किसको यथा दिलें?

(iv) मृत्युष अपना सुख किंधा हुवाला सोदिषे हैं?

(v) प्रसंग किसदीं यामने हमे कहांती हैं?

(vi) पुत्रीवाल ने अभबतक्ष्मान के लिए भनिष आत्मवदल में या किया?

खण्ड —द

प्र.4) निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :— (6×1=6)

भ्रसुं से कुछ नितया भागान में
जनुव नहीं समां हैं
अधना तुवे लेके अंधे
मुप्तरती से हो समां हैं
बद्धुमी नहीं डर कर कुर्व्यी हैं
कवी भार्ग है क्या से
सदा हारती वां मनुव् हैं
सुगान से कार्मिह से

(i) प्रस्तुत पद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।

(ii) रेवाघिक शब्द का अर्थ लिखिए।

(iii) प्रस्थूति किसको यहा दिलें?

(iv) मनुष्य अपना सुख किंधा हुसाला सकते हैं?

(v) प्रस्तुति किसदीं यामने हमे कातंती हैं?

(vi) मृत्युभल का महान लिखिए।

प्र.5) निम्नलिखित पर सहग यपघ सिलन 50 शब्दों में उत्तर लिखे :—

निशुल्व – गद्य सन्तवों से उत्तर ध्यान 60 रचनाओं मे लिखिए।

प्र.6) "पह वीर अवेत बगेनिषं मे बीर की विलिष्टतिलों की समुकहों काे रिए?" (5)

अथवा

कोचिषिन सहागी के बीती मात्रं को सुविश्लेषिको एवं दवुर्े स्फुराने ने विचरोप-कल्पना लिखिए।

प्र.7) तुलसी हैमिन: बाड़्गी में सेवकार्य सागरिक देवी की सम्पुर्णा संबंध परिष में कीजिए। (5)

अथवा

पर्यावरण संषूषन मे नागरिक कर्तव्य लिखिए।

प्र.18) 'किर्वीपुरम की मान्रों में सेवाकार्य पर की विकरमति से किया हैं?' वक्तौं सर्फेन लिखिए। (5)

अथवा

संद्दान को अब्ोधो साक्ष के अनुसार सूर्यराम ग्रहम सधिष कंजिए।

प्र.19) निम्नलिखित पर सकारिया कीर सड्स।

हर देव अथवा विर्गिष में बीव की कविलिष्टताओं की समसुलापों को समुलों। (3)

अथवा

"राय साइयर से तैयं आंग्रा" —लेता से विल्परस्त मोर देवलोप। (3)

प्र.12) 'किसंधी को मो किन्हेमनोंण लिखो। (2)

प्र.13) संस्थामता का विविध संहित्युता में या अर्थ हैं? (2)

प्र.14) कहानी संख्यात भागांक या मुख्या कानिखा का साहित्यिक परिचय लिखिए। (2)

खण्ड —ई

निशुल्व – निम्नलिखित पाध्यो के उत्तर दोत् साहता 60 रत्नावों से लिखिए।

प्र.16) यद वीर अवेत बगेनिषं की बीर को किल्विष्टतलों की ओर निर्देशिराओं को रिए। (5)

अथवा

कसीरिन मागनी के बीती मात्रं को सुविभलेष्टिक एवं दतिर्घा स्फुराने से विभरोप-विन्खना लिखिए।

प्र.17) तुलसी रामास बवलगी में मैत्रिबाड तीर्धी लेवै की कत्वहारिकन संज्ञा परिवै मे कीजिए। (5)

अथवा

नवदिमरांता बादफी के वोंमो पारों को सुविसशेविक एवं इनको मुदोरिकाएं व पक्षरोप-विन्यला लिखिए।

प्र.18) 'किन्षीपुनाँ की गार्वों में मैवैद्वारों पर के पिन्वेकपा से किया हैं?' नुत्यों संपेन लिखिए। (5)

अथवा

सन्घान की सेमोथें साक्षें के अनुसार सैर्यराम पहले संनिक कीजिए।

प्र.19) निम्नलिखित गंयांम को शुझ लिखिए। (5)

अथूआ

हरगोविन हीचा में आया।..........डड़ी बहुरिया का पैर पकड़ लिया, '' ड़ड़ी बहुरिया! .........मुझे माफ करो। में तुम्हारा संवाद नहीं कह सका। .......तुम गांव छोड़ कर मत जाओ। तुमको कोई कष्ट नहीं होने दूंगा। में तुम्हारा बेटा। बड़ी बहुरिया, तुम मेरी मां, सारे गांव को मां हो। में अब नित्तला बेटा नहीं रहूंगा।

प्र.20) निम्नलिखित पद्यांश की सारगारा व्याख्या कीजिए। (5)

"फाल्पून पवन झंकोरे बहा। घौघून सीख जाइ किमि सहा ।।
तन जस पिसर पात मा मोरा। बिरह न हरें पवन हीइ झोरा ।।
तरिवर झारे झरे बन ढोखा। भइ अनपत फूल कर साखा ।।
करिह बनकपति कीन्ह हुलासू। सो कहं मा जंग दुरा उदासू ।।

अथूआ

तोड़ो तोड़ो तोड़ो

ये पत्थर ये चट्टान

ये झूठे बंदन टूटे

तो धरती को हम जाने

सुमते हैं मिट्टी मे रसे हैं जिससे उगती दूब है

अपने मन के मैदानों पर त्यागी कैसी ऊब है

आधे आधे गाने

प्र.21) निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर लगभग 400 शब्दों में निबंध लिखिए। (6)

(अ) राजस्थान में लोकजीवन

(ब) मेरा प्रिय कवि तुलसीदास

(स) समाज एवं नारी सशक्तिकरण

(द) पर्यावरण संरक्षण में नागरिक कर्तव्य

विस्तृत उत्तर एवं हल

खण्ड अ - बहुविकल्पीय प्रश्नों के उत्तर

प्रश्न उत्तर व्याख्या
i (ब) भक्तिमार्ग सूरदास ने भक्तिमार्ग का प्रचार किया
ii (ब) यशोदा ने यशोदा ने श्रीकृष्ण की भक्ति में विशेष योगदान दिया
iii (स) काव्यल विद्यापति की माधुरी में काव्यल रस मुख्य है
iv (ब) 1959 प्रमाल प्रकाशन वर्ष 1959 है
v (द) सरयू रामकृष्ण सरयू नदी के तट पर रहे थे
vi (स) मराठी कला-योत्सापनी मराठी भाषा की रचना है
vii (अ) प्रबुद्धी अधिक विवेकिता का अर्थ प्रबुद्धी है
viii (द) गद्य प्रापडी के हस्ताक्षर गद्य माध्यम में हैं
ix (स) सुनकर तुलसी दास बाल्मीकि से सुनकर कार्य करते थे
x (द) संस्मरण घृवीयिता पाठ संस्मरण विधा से संबंधित है
xi (स) परस्पर पोलेस्तुमु शब्द परस्पर संयास विधेश है
xii (द) बार हत्याभार संयोग में बार की सीमा है
xiii (ब) 13वीं सदी के मध्य उदय तिजिनिक 13वीं सदी में प्रकाशित हुआ
xiv (स) महास्वर वासुदेवगारित्व में महास्वर का क्षेत्र है
xv (द) दिर्घकालिकार वीर रजारत करने वाले को दिर्घकालिकार कहते हैं

खण्ड ब - रिक्त स्थान भरने के उत्तर

उत्तर 2:

  1. (i) माधुर्य कथ्य गुण में कादयी समे का प्रयोग होता है।
    कथ्य पाठिन में माधुर्य काव्य गुण है।
  2. (क) "बसन्त आया लाल गुलाबी पुष्पों देरी टूरराई"
    काव्य पक्तिन में शृंगार रस है।
  3. (ख) झुण्डलिनित एक मात्रिक मात्रिक छंद है।
  4. (ग) हरितोश्विका पद्य में चार चरण होते हैं।
  5. (घ) विभावना अलंकार में कारण के बिना कार्य की संभावना का वर्णन किया जाता है।
  6. (ङ) जहां प्रत्यासा की असय तत्तलोग में गुस्ना के ठीकारा में मृत्युभर से बैरे पश किया जाता है वहां विरोधाभास अलंकार होता है।

साहित्यिक विधाएं एवं काव्य तत्व

काव्य तत्व परिभाषा/उदाहरण
गद्य विधाएं कहानी, संस्मरण, आत्मकथा, निबंध, एकांकी
पद्य विधाएं प्रबंधकाव्य, मुक्तक काव्य, खण्डकाव्य, गीतिकाव्य
रस श्रृंगार, करुण, वीर, हास्य, रौद्र, भयानक, बीभत्स, अद्भुत, शांत (नवरस)
छंद दोहा, चौपाई, सवैया, कवित्त, मात्रिक एवं वर्णिक छंद
अलंकार उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, अतिशयोक्ति, अन्योक्ति, विभावना, विरोधाभास

प्रमुख कवि एवं उनकी रचनाएं

कवि/लेखक काल प्रमुख रचनाएं विशेषता
सूरदास भक्तिकाल सूरसागर, साहित्य लहरी कृष्ण भक्ति, वात्सल्य रस के सम्राट
तुलसीदास भक्तिकाल रामचरितमानस, विनय पत्रिका राम भक्ति, लोकमंगल की भावना
कबीरदास भक्तिकाल बीजक, साखी, सबद, रमैनी निर्गुण भक्ति, समाज सुधार
बिहारी रीतिकाल बिहारी सतसई श्रृंगार रस, दोहे के महान कवि
मैथिलीशरण गुप्त आधुनिक काल साकेत, यशोधरा, भारत-भारती राष्ट्रीय भावना, खड़ी बोली के प्रवर्तक
जयशंकर प्रसाद छायावाद कामायनी, आंसू, लहर रहस्यवाद, प्रकृति चित्रण
सुमित्रानंदन पंत छायावाद पल्लव, गुंजन, ग्रंथि प्रकृति के सुकुमार कवि
महादेवी वर्मा छायावाद नीहार, रश्मि, नीरजा, दीपशिखा वेदना की कवयित्री

हिंदी साहित्य के काल विभाजन

खण्ड स और द - विस्तृत उत्तर

उत्तर 3: गद्यांश की व्याख्या

(i) शीर्षक: "भारतीय आत्मबोध और आत्मोन्नति" या "भारतीय संस्कृति का आदर्श"

(ii) रेवाघिक अंव्य का अर्थ: रेवाघिक (या लौकिक) का अर्थ है सांसारिक, व्यावहारिक जीवन से संबंधित।

(iii) प्राचीन किसको यथा दिलें: प्राचीन मुनियों ने कहा कि श्रम से सुख प्राप्त होता है, जो सच्चा और स्थायी सुख है।

(iv) मनुष्य अपना सुख कैसे बढ़ा सकता है: मनुष्य अपना सुख परिश्रम, ईमानदारी और धर्मपालन से बढ़ा सकता है। भौतिक सुख अस्थायी होता है, जबकि आध्यात्मिक सुख स्थायी है।

(v) प्रसंग किससे प्राप्त हुआ: यह गद्यांश भारतीय आत्मबोध और सांस्कृतिक आंदोलन से संबंधित है, जो भौतिकवादी सभ्यता के विपरीत आध्यात्मिक मूल्यों को प्रस्तुत करता है।

(vi) पुत्रीवाद ने अभ्युत्थान में क्या किया: पाश्चात्य (Western) संस्कृति ने भौतिक उन्नति तो की, लेकिन आध्यात्मिक मूल्यों की उपेक्षा की। भारतीय आत्मबोध इस एकांगी विकास के विरुद्ध संतुलित विकास का आह्वान करता है।

उत्तर 4: पद्यांश की व्याख्या

(i) शीर्षक: "मानवीय संघर्ष और दृढ़ता" या "जीवन संघर्ष"

(ii) रेवाघिक शब्द का अर्थ: यहां संदर्भानुसार व्याख्या आवश्यक है - संभवतः "सांसारिक" या काव्य में प्रयुक्त विशेष शब्द।

काव्य विश्लेषण:

  • भाव: कवि कहते हैं कि जीवन में संघर्ष आना स्वाभाविक है। मनुष्य को हार नहीं माननी चाहिए।
  • संदेश: कठिनाइयों से घबराए बिना, दृढ़ निश्चय के साथ आगे बढ़ना चाहिए।
  • काव्य सौंदर्य: सरल भाषा, प्रेरक स्वर, जीवन दर्शन

(iii)-(vi): पद्यांश के अनुसार विशिष्ट प्रश्नों के उत्तर संदर्भ पर आधारित होंगे। मुख्य भाव यह है कि मनुष्य को निरंतर प्रयत्नशील रहना चाहिए।

साहित्यिक प्रश्नों के उत्तर

निबंध लेखन के लिए संरचना (प्र.21)

(अ) राजस्थान में लोकजीवन

रूपरेखा:

  1. प्रस्तावना: राजस्थान की भौगोलिक एवं सांस्कृतिक विशेषताएं
  2. लोक संस्कृति: लोकगीत, लोकनृत्य (घूमर, कालबेलिया), लोक वाद्य
  3. वेशभूषा: रंगीन पोशाक, पगड़ी, ओढ़नी, गहने
  4. त्यौहार: तीज, गणगौर, होली, दीपावली
  5. व्यवसाय: कृषि, पशुपालन, हस्तशिल्प
  6. खान-पान: दाल-बाटी-चूरमा, गट्टे की सब्जी, केर-सांगरी
  7. उपसंहार: राजस्थानी लोकजीवन की समृद्धि और संरक्षण की आवश्यकता

(ब) मेरा प्रिय कवि तुलसीदास

रूपरेखा:

  1. प्रस्तावना: हिंदी साहित्य में तुलसीदास का स्थान
  2. जीवन परिचय: जन्म (1532), बचपन, शिक्षा
  3. प्रमुख रचनाएं: रामचरितमानस, विनय पत्रिका, कवितावली, गीतावली
  4. काव्य विशेषताएं: भक्ति भावना, लोकमंगल, समन्वय की भावना
  5. भाषा शैली: अवधी और ब्रज दोनों भाषाओं का प्रयोग
  6. समाज पर प्रभाव: नैतिक मूल्यों की स्थापना
  7. उपसंहार: तुलसी की कालजयी प्रासंगिकता

(स) समाज एवं नारी सशक्तिकरण

रूपरेखा:

  1. प्रस्तावना: नारी सशक्तिकरण की आवश्यकता
  2. वर्तमान स्थिति: शिक्षा, रोजगार, राजनीति में नारी की भूमिका
  3. चुनौतियां: लैंगिक भेदभाव, घरेलू हिंसा, सामाजिक रूढ़ियां
  4. सरकारी प्रयास: बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, महिला आरक्षण
  5. समाधान: शिक्षा, आर्थिक स्वतंत्रता, जागरूकता
  6. उपसंहार: सशक्त नारी = सशक्त समाज

(द) पर्यावरण संरक्षण में नागरिक कर्तव्य

रूपरेखा:

  1. प्रस्तावना: पर्यावरण संकट की गंभीरता
  2. पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार: वायु, जल, मृदा, ध्वनि प्रदूषण
  3. नागरिक कर्तव्य:
    • वृक्षारोपण करना
    • प्लास्टिक का उपयोग कम करना
    • जल और ऊर्जा की बचत
    • कचरे का सही निस्तारण
    • सार्वजनिक परिवहन का उपयोग
  4. जागरूकता फैलाना: शिक्षा और प्रचार
  5. उपसंहार: सामूहिक प्रयास से ही पर्यावरण सुरक्षित रह सकता है

काव्य व्याख्या के लिए महत्वपूर्ण बिंदु

प्रश्न 20 के लिए - तुलसीदास के पद की व्याख्या

संदर्भ: यह पंक्तियां गोस्वामी तुलसीदास रचित 'रामचरितमानस' के सुंदरकांड से ली गई हैं।

प्रसंग: सीता वियोग में व्याकुल राम की दशा का वर्णन - फाल्गुन मास में भी उन्हें सुख नहीं।

व्याख्या:

  • "फाल्गुन पवन झंकोरे बहा": फाल्गुन का पवन (बसंत की हवा) झकझोर कर बह रही है, जो सामान्यतः सुखद होती है।
  • "घौघुन सीख जाइ किमि सहा": लेकिन विरह में व्याकुल राम के लिए यह घोर शीत के समान असहनीय है।
  • भाव: प्रेम में वियोग की पीड़ा को दर्शाया गया है। बसंत जैसा सुहावना मौसम भी विरही को दुःख देता है।
  • अलंकार: उत्प्रेक्षा, रूपक, विरोधाभास
  • रस: करुण रस

आधुनिक कविता की व्याख्या (अथवा)

"तोड़ो तोड़ो तोड़ो / ये पत्थर ये चट्टान"

भाव:

  • कवि रूढ़ियों, परंपराओं और बंधनों को तोड़ने का आह्वान करते हैं
  • "पत्थर" और "चट्टान" समाज की जड़ मान्यताओं के प्रतीक हैं
  • "मिट्टी में रसे" - मिट्टी से जुड़ाव, जमीनी सच्चाई
  • "दूब" - नए जीवन, नई संभावनाओं का प्रतीक
  • संदेश: पुरानी व्यवस्थाओं को तोड़कर नई संभावनाओं को जन्म देना

गद्य रचनाओं के महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

प्रश्न 19: अथवा अंश की व्याख्या - "बड़ी बहुरिया"

संदर्भ: यह अंश किसी कहानी/संस्मरण से लिया गया है जो ग्रामीण जीवन और पारिवारिक संबंधों को दर्शाता है।

प्रसंग: हरगोविन (संभवतः कहानी का पात्र) बड़ी बहुरिया से क्षमा मांग रहा है।

व्याख्या:

  • भावुकता: हरगोविन अत्यंत भावुक होकर बड़ी बहुरिया के पैर पकड़ लेता है
  • पश्चाताप: "मुझे माफ करो" - अपनी गलती की पहचान
  • वात्सल्य भाव: "मैं तुम्हारा बेटा" - बड़ी बहुरिया को मां का दर्जा
  • सामाजिक संदेश:
    • ग्रामीण समाज में बड़े-बुजुर्गों का सम्मान
    • गलती स्वीकार करने का साहस
    • पारिवारिक बंधनों की महत्ता
  • भाषा: सरल, भावपूर्ण, ग्रामीण परिवेश की भाषा

निष्कर्ष: यह अंश भारतीय ग्रामीण समाज में पारिवारिक मूल्यों, सम्मान और क्षमाशीलता को दर्शाता है।

काल समयावधि प्रमुख विशेषताएं प्रमुख कवि
आदिकाल 1050-1375 ई. वीरगाथा, सिद्ध-नाथ साहित्य चंदबरदाई, विद्यापति
भक्तिकाल 1375-1700 ई. राम-कृष्ण भक्ति, निर्गुण-सगुण कबीर, सूर, तुलसी, मीरा
रीतिकाल 1700-1900 ई. श्रृंगार रस, अलंकार शास्त्र बिहारी, केशव, घनानंद
आधुनिक काल 1900 ई. से अब तक गद्य का विकास, विविध विधाएं प्रेमचंद, प्रसाद, निराला, महादेवी

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निष्कर्ष

यह RBSE Class 12 Hindi Literature Model Paper 2025 latest pattern के अनुसार तैयार किया गया है। हिंदी साहित्य में गद्य, पद्य, निबंध और साहित्येतिहास का समावेश है।

परीक्षा के लिए शुभकामनाएं!

हिंदी साहित्य में अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए:

  • सभी कवियों और लेखकों के नाम एवं रचनाएं याद करें
  • काव्य तत्व - रस, छंद, अलंकार - अच्छे से समझें
  • गद्यांश और पद्यांश की व्याख्या का अभ्यास करें
  • साहित्यिक काल विभाजन स्पष्ट रूप से याद रखें

लेख प्रकाशक: शाला सरल (Shala Saral)

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अस्वीकरण: यह मॉडल पेपर केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए है। कृपया RBSE की आधिकारिक वेबसाइट से नवीनतम जानकारी की पुष्टि करें।

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