📜 भारतीय संविधान: भारतीय शासन प्रणाली और सरकार की संरचना 📜
(UPSC, SSC, और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों के लिए एक विस्तृत और शोधपूर्ण आलेख)
🔷 प्रस्तावना
भारतीय संविधान ने लोकतांत्रिक और संसदीय शासन प्रणाली को अपनाया है, जिसमें सरकार जनता के प्रति उत्तरदायी होती है। यह प्रणाली भारत की संघीय संरचना (Federal Structure) और एकात्मक प्रवृत्तियों (Unitary Features) के संतुलन पर आधारित है।
संविधान में सरकार की संरचना को तीन अंगों में विभाजित किया गया है:
- कार्यपालिका (Executive) – राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मंत्रिपरिषद, राज्यपाल आदि।
- विधायिका (Legislature) – संसद (लोकसभा और राज्यसभा) और राज्य विधानमंडल।
- न्यायपालिका (Judiciary) – सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय और अधीनस्थ न्यायालय।
इस आलेख में हम भारतीय शासन प्रणाली, सरकार की संरचना, केंद्र-राज्य संबंध, और प्रमुख संवैधानिक प्रावधानों का विस्तार से अध्ययन करेंगे।
🔷 1. भारतीय शासन प्रणाली का स्वरूप
1️⃣ संसदीय प्रणाली बनाम राष्ट्रपति प्रणाली
भारतीय संविधान ने ब्रिटेन की संसदीय प्रणाली को अपनाया है, न कि अमेरिका की राष्ट्रपति प्रणाली को।
संसदीय प्रणाली की विशेषताएँ:
- प्रधानमंत्री और उनकी मंत्रिपरिषद वास्तविक कार्यपालिका होती है।
- राष्ट्रपति केवल संवैधानिक प्रमुख (Ceremonial Head) होता है।
- सरकार संसद के प्रति उत्तरदायी होती है और अविश्वास प्रस्ताव के जरिए हटाई जा सकती है।
राष्ट्रपति प्रणाली (जैसे अमेरिका) से अंतर:
- अमेरिका में राष्ट्रपति कार्यपालिका का वास्तविक प्रमुख होता है और संसद के प्रति उत्तरदायी नहीं होता।
- भारत में सरकार संसद के प्रति उत्तरदायी होती है और किसी भी समय हटाई जा सकती है।
2️⃣ भारत की संघीय संरचना (Federal System)
संविधान के अनुसार, भारत एक संघीय राज्य (Federal State) है, लेकिन इसमें एकात्मक प्रवृत्तियाँ (Unitary Features) भी मौजूद हैं।
संघीय विशेषताएँ:
- तीन सूचियों (Union List, State List, Concurrent List) में शक्तियों का विभाजन।
- राज्यों को अपनी सरकार और विधानमंडल बनाने की स्वतंत्रता।
- संविधान में संघीय ढांचे की गारंटी (अनुच्छेद 1) दी गई है।
एकात्मक विशेषताएँ:
- राष्ट्रपति शासन (अनुच्छेद 356) के तहत केंद्र सरकार राज्य की सरकार को भंग कर सकती है।
- आपातकाल के समय (अनुच्छेद 352, 356, 360) केंद्र को असीमित शक्तियाँ प्राप्त होती हैं।
- एकल नागरिकता और एकल न्यायपालिका प्रणाली।
🔷 2. कार्यपालिका (Executive) की संरचना
1️⃣ केंद्रीय कार्यपालिका
(i) राष्ट्रपति (अनुच्छेद 52-78)
- संविधान का संरक्षक और राष्ट्र प्रमुख।
- संसद द्वारा निर्वाचित होता है और 5 वर्ष का कार्यकाल होता है।
- सभी विधेयकों पर अंतिम स्वीकृति देता है।
- आपातकाल की घोषणा करने की शक्ति होती है।
(ii) प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद (अनुच्छेद 74-75)
- प्रधानमंत्री वास्तविक कार्यकारी प्रमुख होता है।
- मंत्रिपरिषद राष्ट्रपति को सलाह देती है और संसद के प्रति उत्तरदायी होती है।
- प्रधानमंत्री राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है और बहुमत साबित करना होता है।
2️⃣ राज्य कार्यपालिका
(i) राज्यपाल (अनुच्छेद 153-162)
- राज्य का संवैधानिक प्रमुख होता है और राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है।
- मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद की सलाह पर कार्य करता है।
(ii) मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद
- मुख्यमंत्री राज्य सरकार का वास्तविक प्रमुख होता है।
- राज्यपाल को सलाह देता है और विधानसभा के प्रति उत्तरदायी होता है।
🔷 3. विधायिका (Legislature) की संरचना
1️⃣ केंद्रीय विधायिका (संसद) – अनुच्छेद 79-122
भारतीय संसद में दो सदन होते हैं:
- लोकसभा (People’s House) – अनुच्छेद 81
- राज्यसभा (Council of States) – अनुच्छेद 80
(i) लोकसभा (निचला सदन)
- 545 सदस्य होते हैं (अब 543)
- सभी सदस्य प्रत्यक्ष चुनाव से चुने जाते हैं।
- सरकार लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होती है।
(ii) राज्यसभा (उच्च सदन)
- 250 सदस्य (अब 245), जिनमें 12 राष्ट्रपति द्वारा नामित होते हैं।
- राज्यसभा स्थायी सदन है, इसमें चुनाव हर 2 वर्ष में 1/3 सदस्यों के लिए होते हैं।
- इसमें राज्यों का प्रतिनिधित्व होता है।
2️⃣ राज्य विधायिका
- कुछ राज्यों में द्विसदनीय प्रणाली (Bicameral Legislature) होती है।
- अधिकांश राज्यों में केवल विधानसभा (Legislative Assembly) होती है।
🔷 4. न्यायपालिका (Judiciary) की संरचना
1️⃣ सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) – अनुच्छेद 124-147
- भारत का सबसे बड़ा न्यायिक निकाय।
- संविधान का संरक्षक और न्यायिक समीक्षा की शक्ति।
- मुख्य न्यायाधीश और अन्य न्यायाधीश राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किए जाते हैं।
- फैसले सभी अदालतों के लिए बाध्यकारी होते हैं।
2️⃣ उच्च न्यायालय (High Court) – अनुच्छेद 214-231
- प्रत्येक राज्य के लिए उच्च न्यायालय होता है।
- यह संविधान और नागरिक अधिकारों की रक्षा करता है।
- न्यायाधीश राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किए जाते हैं।
3️⃣ अधीनस्थ न्यायालय (Subordinate Courts)
- ये जिला स्तर पर कार्य करते हैं।
- इनमें सिविल और आपराधिक अदालतें होती हैं।
🔷 निष्कर्ष: भारतीय शासन प्रणाली का महत्व और विद्यार्थियों के लिए सीख
भारतीय संविधान ने लोकतंत्र, न्याय और निष्पक्ष शासन प्रणाली को सुनिश्चित किया है।
- कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका का संतुलन ही लोकतंत्र की सफलता का आधार है।
- संसदीय प्रणाली के कारण सरकार जनता के प्रति उत्तरदायी होती है।
- संघीय व्यवस्था और एकात्मक प्रवृत्तियों का संतुलन भारत की विशेषता है।
📌 विद्यार्थी के लिए महत्वपूर्ण सीख:
✅ भारतीय शासन प्रणाली को समझना UPSC, SSC और अन्य परीक्षाओं के लिए अनिवार्य है।
✅ विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका एक-दूसरे के नियंत्रण और संतुलन (Checks and Balances) में कार्य करते हैं।
✅ संघीय व्यवस्था और केंद्र-राज्य संबंध प्रशासनिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं।
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🔷 महत्वपूर्ण संदर्भ और लिंक
📌 भारत का संविधान - आधिकारिक वेबसाइट
📌 संविधान सभा की आधिकारिक कार्यवाही
📌 NCERT - भारतीय संविधान का अध्ययन
📌 भारतीय संविधान संशोधन सूची
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