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न्यायपालिका (Judiciary) – भारतीय लोकतंत्र की न्यायिक आधारशिला

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न्यायपालिका (Judiciary) - भारत की न्यायिक व्यवस्था | UPSC अध्ययन सामग्री न्यायपालिका (Judiciary) - न्याय से संबंधित व्यवस्था विषय सूची 1. न्यायपालिका का परिचय 2. संवैधानिक आधार 3. न्यायिक संरचना 4. सर्वोच्च न्यायालय 5. उच्च न्यायालय 6. अधीनस्थ न्यायालय 7. न्यायिक समीक्षा 8. न्यायिक सक्रियता 9. न्यायिक स्वतंत्रता 10. चुनौतियां और सुधार 11. UPSC महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर 12. निष्कर्ष 1. न्यायपालिका का परिचय न्यायपालिका लोकतांत्रिक व्यवस्था का तीसरा और अत्यंत महत्वपूर्ण स्तंभ है। यह कानून की व्याख्या करने, न्याय प्रदान करने और संविधान की रक्षा करने का दायित्व निभाती है। भारतीय न्यायपालिका एकीकृत न्यायिक व्यवस्था पर आधारित है, जिसमें सर्वोच्च न्यायाल...

मौलिक कर्तव्य (Fundamental Duties) – नागरिकों के नैतिक और संवैधानिक उत्तरदायित्व

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मौलिक कर्तव्य (Fundamental Duties) - संपूर्ण अध्ययन सामग्री UPSC के लिए मौलिक कर्तव्य (Fundamental Duties) विषय सूची 1. परिचय 2. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि 3. अनुच्छेद 51A - मौलिक कर्तव्यों की सूची 4. मौलिक कर्तव्यों का विश्लेषण 5. महत्व और आवश्यकता 6. प्रवर्तन की समस्या 7. अन्य देशों से तुलना 8. UPSC महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर 9. निष्कर्ष 1. परिचय मौलिक कर्तव्य भारतीय संविधान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं जो नागरिकों के लिए कुछ आवश्यक दायित्व निर्धारित करते हैं। ये कर्तव्य संविधान के भाग IV-A में अनुच्छेद 51A के तहत सूचीबद्ध हैं। मौलिक कर्तव्यों का उद्देश्य नागरिकों में राष्ट्रीय गौरव की भावना पैदा करना और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देना है। मौलिक कर्तव्य न केवल नागरिकों के दायित्व हैं...

मौलिक अधिकार (Fundamental Rights) – भारतीय संविधान की आधारशिला

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मौलिक अधिकार (Fundamental Rights) - संपूर्ण गाइड | UPSC तैयारी मौलिक अधिकार (Fundamental Rights) UPSC सिविल सेवा परीक्षा के लिए संपूर्ण अध्ययन सामग्री अपडेट: जनवरी 2025 | लेखक: विशेषज्ञ टीम प्रस्तावना मौलिक अधिकार भारतीय संविधान की आत्मा हैं। ये वे अधिकार हैं जो प्रत्येक भारतीय नागरिक को जन्म से प्राप्त होते हैं और जिनकी सुरक्षा संविधान द्वारा की गई है। डॉ. बी.आर. अम्बेडकर ने इन्हें "संविधान का हृदय और आत्मा" कहा था। ये अधिकार व्यक्ति की गरिमा, स्वतंत्रता और समानता को सुनिश्चित करते हैं। मुख्य तथ्य: मौलिक अधिकार भारतीय संविधान के भाग-3 (अनुच्छेद 12 से 35) में वर्णित हैं। ये अधिकार न्यायसंगत हैं, अर्थात् इनके हनन पर न्यायालय की शरण ली जा सकती है। मौलिक अधिकारों का ऐतिहासिक विकास पूर्व-स्वतंत्रता काल भारत में मौलिक अधिकारों की अवधारणा का विकास स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हुआ। 1928 में मोतील...

संविधान संशोधन (Amendment) – भारतीय संविधान में परिवर्तन की विधि

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संविधान संशोधन (Amendment) – संविधान में बदलाव की प्रक्रिया | UPSC Complete Guide संविधान संशोधन (Amendment) – संविधान में बदलाव की प्रक्रिया विषय सूची (Table of Contents) संविधान संशोधन का परिचय अनुच्छेद 368 की विस्तृत जानकारी संविधान संशोधन के प्रकार संशोधन की प्रक्रिया महत्वपूर्ण संविधान संशोधन मूल ढांचा सिद्धांत संशोधन की सीमाएं UPSC प्रश्नोत्तरी निष्कर्ष संविधान संशोधन भारतीय लोकतंत्र की एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो बदलती परिस्थितियों के अनुसार संविधान में आवश्यक बदलाव करने की अनुमति देती है। भारतीय संविधान के भाग XX में अनुच्छेद 368 इस प्रक्रिया को नियंत्रित करता है। यह लेख UPSC परीक्षा की दृष्टि से संविधान संशोधन की संपूर्ण जानकारी प्रदान करता है। कुल संशोधन 106 (तक 2023) पहला संशोधन 1951 नवीनतम संशोधन 106वां (2023) मुख्य अनुच्छेद 368 अनुच्छेद 368: संविधान संशोधन की आधारशिला भारतीय संविधान के भाग XX में स्...