पल्लव और चोल वास्तुकला – मंदिर निर्माण की परंपराएँ
1. परिचय
भारत के दक्षिणी भाग में स्थित पल्लव और चोल राजवंशों ने मंदिर वास्तुकला को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया। इनके द्वारा निर्मित मंदिर न केवल धार्मिक स्थलों के रूप में प्रसिद्ध हैं बल्कि कला, संस्कृति और स्थापत्य विज्ञान के उत्कृष्ट उदाहरण भी हैं।
- पल्लवों ने द्रविड़ शैली की आधारशिला रखी।
- चोलों ने इस शैली को और विकसित किया और भव्य मंदिरों का निर्माण किया।
- ग्रेनाइट पत्थरों का उपयोग, विस्तृत मूर्तिकला और भव्य गोपुरम (प्रवेश द्वार) इनकी विशेषताएँ थीं।
2. पल्लव वास्तुकला की विशेषताएँ
(क) प्रारंभिक चरण (महेंद्रवर्मन का काल – रॉक-कट मंदिर)
पल्लव राजाओं ने शुरुआत में चट्टानों को काटकर गुफा मंदिरों का निर्माण किया।
- प्रसिद्ध उदाहरण:
- महाबलीपुरम के रथ मंदिर (Five Rathas)
- मंडगपट्टू मंदिर
- शिव मंदिर (त्रिची)
(ख) विकसित चरण (नरसिंहवर्मन और परवर्ती शासकों का काल – स्वतंत्र मंदिर निर्माण)
इस चरण में स्वतंत्र मंदिर निर्माण की परंपरा शुरू हुई।
- प्रसिद्ध उदाहरण:
- कैलाशनाथ मंदिर (कांचीपुरम) – प्रथम पूर्ण द्रविड़ शैली का मंदिर।
- शोर मंदिर (महाबलीपुरम) – समुद्र तट पर स्थित अद्भुत मंदिर।
- वैकुंठ पेरुमाल मंदिर – बहुस्तरीय संरचना।
पल्लव वास्तुकला की प्रमुख विशेषताएँ:
✔ रॉक-कट (गुफा) मंदिरों की उत्कृष्टता।
✔ मोनोलिथिक (एक ही पत्थर से निर्मित) मंदिरों का निर्माण।
✔ विस्तृत मूर्तिकला और भव्य गोपुरम।
✔ वास्तुशिल्प नवाचार जैसे मंडप और स्तंभों की उत्कृष्ट सजावट।
3. चोल वास्तुकला की विशेषताएँ
चोलों ने पल्लवों की स्थापत्य शैली को अपनाकर इसे और अधिक भव्य और समृद्ध बनाया।
(क) चोल मंदिरों की प्रमुख विशेषताएँ
- विशाल और भव्य गोपुरम।
- विस्तृत और ऊँची विमाना संरचना (मंदिर की ऊपरी भाग)।
- मूर्तिकला में अत्यधिक विस्तार और शिल्प कौशल।
- मंदिरों में भित्तिचित्र (fresco paintings) का सुंदर उपयोग।
- कांस्य मूर्तिकला (Chola Bronzes) का अद्भुत विकास।
(ख) प्रमुख चोल मंदिर
1️⃣ बृहदेश्वर मंदिर (तंजावुर) –
- राजराजा चोल द्वारा निर्मित।
- 66 मीटर ऊँचा मंदिर, पूरी तरह ग्रेनाइट से निर्मित।
- इसका विमाना दुनिया में सबसे ऊँचा है।
2️⃣ गंगईकोंडचोलपुरम मंदिर –
- राजेंद्र चोल द्वारा निर्मित।
- बृहदेश्वर मंदिर की ही भव्य प्रतिकृति।
3️⃣ एरावतेश्वर मंदिर –
- राजराजा चोल-II द्वारा निर्मित।
- वास्तुकला का अत्यंत उत्कृष्ट उदाहरण।
4. पल्लव और चोल मंदिरों की तुलना
5. निष्कर्ष
पल्लव और चोल राजाओं ने भारतीय मंदिर स्थापत्य कला को एक नई ऊँचाई पर पहुँचाया।
- पल्लवों ने द्रविड़ शैली की नींव रखी।
- चोलों ने इसे और समृद्ध किया तथा भारत के महानतम मंदिरों का निर्माण किया।
- इन मंदिरों का धार्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व असीम है।
🚀 संभावित परीक्षा प्रश्न:
✔ पल्लव और चोल वास्तुकला की तुलना करें।
✔ बृहदेश्वर मंदिर की विशेषताएँ क्या हैं?
✔ पल्लव राजाओं द्वारा निर्मित प्रमुख मंदिर कौन-कौन से हैं?
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