भारतीय घाट: पश्चिमी और पूर्वी घाट की सम्पूर्ण जानकारी | विशेषताएँ, महत्व और तुलना
जानिए भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिमी और पूर्वी घाट की भौगोलिक विशेषताएँ, जैव विविधता, आर्थिक और पर्यावरणीय महत्व, और तुलनात्मक अध्ययन। UPSC, SSC और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अत्यंत उपयोगी जानकारी।
1. परिचय
भारत की भू-आकृतिक संरचना में पश्चिमी और पूर्वी घाट महत्वपूर्ण पर्वतीय श्रृंखलाएँ हैं, जो देश की भौगोलिक, पर्यावरणीय और आर्थिक संरचना को प्रभावित करती हैं। इन घाटों का जलवायु, जैव विविधता और पारिस्थितिकी में अत्यधिक योगदान है।
मुख्य उद्देश्य:
✅ पश्चिमी और पूर्वी घाट की विस्तृत जानकारी प्रदान करना
✅ दोनों घाटों के भौगोलिक, पर्यावरणीय, और आर्थिक महत्व की तुलना करना
✅ UPSC, SSC और अन्य परीक्षाओं के लिए उपयोगी तथ्यों को शामिल करना
2. पश्चिमी घाट (Western Ghats)
📍 भौगोलिक स्थिति और विस्तार
- पश्चिमी घाट को सह्याद्रि पर्वत श्रृंखला भी कहा जाता है।
- यह गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु से होकर गुजरता है।
- इसकी कुल लंबाई 1600 किमी है और यह अरब सागर के समानांतर फैला हुआ है।
⛰️ भूगर्भिक संरचना और उत्पत्ति
- यह एक गोंडवाना काल की पर्वत श्रृंखला है, जो डेक्कन ट्रैप का हिस्सा है।
- इसमें बेसाल्ट चट्टानें अधिक पाई जाती हैं।
🌧️ जलवायु और वर्षा
- पश्चिमी घाट दक्षिण-पश्चिम मानसून से प्रभावित रहता है।
- यहाँ औसत वार्षिक वर्षा 2000-6000 मिमी तक होती है।
- यह भारत के मानसूनी जलवायु को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाता है।
🦜 जैव विविधता (Biodiversity)
✅ UNESCO विश्व धरोहर स्थल में शामिल
✅ 35 हॉटस्पॉट्स में से एक
✅ 139 स्तनधारी प्रजातियाँ, 508 पक्षी प्रजातियाँ, 179 उभयचर प्रजातियाँ
🌾 आर्थिक महत्व
✅ मसालों की खेती (काली मिर्च, इलायची, अदरक)
✅ चाय और कॉफी बागान
✅ जलविद्युत परियोजनाएँ (Sharavathi और Periyar Hydroelectric Projects)
3. पूर्वी घाट (Eastern Ghats)
📍 भौगोलिक स्थिति और विस्तार
- यह श्रृंखला ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और छत्तीसगढ़ में फैली हुई है।
- इसकी लंबाई 1500 किमी है और यह बंगाल की खाड़ी के समानांतर फैला हुआ है।
⛰️ भूगर्भिक संरचना और उत्पत्ति
- यह गोंडवाना काल की एक अवशिष्ट पर्वत श्रृंखला है।
- इसमें नाइस, ग्रेनाइट और कायान्तरित चट्टानें पाई जाती हैं।
🌧️ जलवायु और वर्षा
- यहाँ वर्षा पश्चिमी घाट की तुलना में कम होती है।
- औसत वार्षिक वर्षा 900-1500 मिमी होती है।
- उत्तर-पूर्वी मानसून का प्रभाव अधिक रहता है।
🦜 जैव विविधता (Biodiversity)
✅ सिमलीपाल और महेंद्रगिरि जैसी संरक्षित पहाड़ियाँ
✅ वेंकटेश्वर राष्ट्रीय उद्यान और शेषाचलम पर्वत जैवमंडल
🌾 आर्थिक महत्व
✅ धान और कपास की खेती
✅ लौह अयस्क और बॉक्साइट खनन
✅ पर्यटन (अराकू घाटी, बोर्रा)/
4. पश्चिमी और पूर्वी घाट की तुलना
5. पश्चिमी और पूर्वी घाट का पर्यावरणीय महत्व
✅ जलवायु नियामक
- पश्चिमी घाट भारत के मानसून को नियंत्रित करता है।
- पूर्वी घाट बंगाल की खाड़ी से आने वाली नमी को संतुलित करता है।
✅ जैव विविधता और वन संरक्षण
- पश्चिमी घाट में UNESCO विश्व धरोहर स्थल के तहत कई संरक्षित वन क्षेत्र हैं।
- पूर्वी घाट में सिमलीपाल और महेंद्रगिरि जैवमंडल क्षेत्र स्थित हैं।
✅ जल संसाधन और सिंचाई
- पश्चिमी घाट से निकलने वाली नदियाँ दक्षिण भारत की सिंचाई व्यवस्था में योगदान देती हैं।
- पूर्वी घाट में प्रमुख जलाशय और सिंचाई परियोजनाएँ स्थित हैं।
✅ जलवायु परिवर्तन पर प्रभाव
- पश्चिमी घाट जलवायु परिवर्तन को संतुलित करने में अहम भूमिका निभाता है।
- पूर्वी घाट वन क्षेत्र कम होने के कारण जलवायु असंतुलन की समस्या बढ़ रही है।
6. पश्चिमी और पूर्वी घाट का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व
✅ प्राचीन व्यापार मार्ग
- प्राचीन काल में पश्चिमी घाट मसाला व्यापार का केंद्र था।
- पूर्वी घाट पर कलिंग, सातवाहन और पल्लव वंश के ऐतिहासिक प्रमाण मिलते हैं।
✅ मंदिर स्थापत्य कला
- पश्चिमी घाट: अजन्ता-एलोरा गुफाएँ, बादामी, हम्पी
- पूर्वी घाट: कोणार्क सूर्य मंदिर, जगन्नाथ मंदिर, तिरुपति बालाजी
✅ आदिवासी संस्कृति और जनजातियाँ
- पश्चिमी घाट में टोडा, कोटा, इरुला जनजातियाँ निवास करती हैं।
- पूर्वी घाट में कंध, गोंड, भूमिज, सावर जनजातियाँ पाई जाती हैं।
7. पश्चिमी और पूर्वी घाट से जुड़े प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्य
✅ पश्चिमी घाट
- पेरियार राष्ट्रीय उद्यान (केरल)
- साइलेंट वैली राष्ट्रीय उद्यान (केरल)
- मुदुमलई वन्यजीव अभयारण्य (तमिलनाडु)
- भद्रा वन्यजीव अभयारण्य (कर्नाटक)
- मलवन समुद्री अभयारण्य (महाराष्ट्र)
✅ पूर्वी घाट
- सिमलीपाल राष्ट्रीय उद्यान (ओडिशा)
- शेषाचलम जैवमंडल (आंध्र प्रदेश)
- नल्लामाला वन्यजीव अभयारण्य (तेलंगाना)
- महेंद्रगिरि पर्वत वन क्षेत्र (ओडिशा)
8. पश्चिमी और पूर्वी घाट पर आधारित महत्वपूर्ण प्रतियोगी परीक्षा प्रश्न
📌 प्रश्न 1: पश्चिमी और पूर्वी घाट की प्रमुख भौगोलिक विशेषताएँ क्या हैं?
📌 प्रश्न 2: पश्चिमी घाट में उच्चतम चोटी कौन सी है?
📌 प्रश्न 3: पूर्वी घाट का सबसे महत्वपूर्ण जैवमंडल कौन सा है?
📌 प्रश्न 4: पश्चिमी घाट और पूर्वी घाट के जलवायु प्रभावों में अंतर बताइए।
📌 प्रश्न 5: पश्चिमी घाट और पूर्वी घाट का भारतीय कृषि में क्या योगदान है?
पश्चिमी और पूर्वी घाट से संबंधित प्रश्नों के उत्तर
📌 प्रश्न 1: पश्चिमी और पूर्वी घाट की प्रमुख भौगोलिक विशेषताएँ क्या हैं?
✅ पश्चिमी घाट (Western Ghats)
- पश्चिमी घाट भारतीय उपमहाद्वीप की पश्चिमी तटरेखा के समानांतर स्थित हैं।
- यह महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में फैले हुए हैं।
- इसकी औसत ऊँचाई 900-1600 मीटर तक होती है।
- यह क्षेत्र जैव विविधता के लिए विश्व धरोहर (UNESCO World Heritage Site) में शामिल है।
- यहाँ से कई प्रमुख नदियाँ जैसे गोदावरी, कृष्णा और कावेरी निकलती हैं।
✅ पूर्वी घाट (Eastern Ghats)
- पूर्वी घाट ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में फैले हुए हैं।
- यह पश्चिमी घाट की तुलना में कम ऊँचाई वाले और अधिक विखंडित (discontinuous) पर्वत श्रेणी हैं।
- इनका औसत ऊँचाई 600-900 मीटर होती है।
- महानदी, गोदावरी, कृष्णा और कावेरी जैसी नदियाँ इन पहाड़ियों को विभाजित करती हैं।
- यहाँ अरकू घाटी, सातकोसिया गॉर्ज और नल्लमला पहाड़ियाँ प्रमुख आकर्षण हैं।
📌 प्रश्न 2: पश्चिमी घाट में उच्चतम चोटी कौन सी है?
✅ पश्चिमी घाट की सबसे ऊँची चोटी अनाइमुडी (Anamudi Peak) है, जिसकी ऊँचाई 2695 मीटर (8,842 फीट) है। यह केरल में स्थित है और भारत की सबसे ऊँची नॉन-हिमालयन चोटी भी मानी जाती है।
📌 प्रश्न 3: पूर्वी घाट का सबसे महत्वपूर्ण जैवमंडल कौन सा है?
✅ पूर्वी घाट में सिमलीपाल बायोस्फीयर रिजर्व (Simlipal Biosphere Reserve) सबसे महत्वपूर्ण जैवमंडल में से एक है। यह ओडिशा में स्थित है और यहाँ रॉयल बंगाल टाइगर, हाथी और दुर्लभ वनस्पतियाँ पाई जाती हैं।
✅ इसके अलावा, श्री वेंकटेश्वर नेशनल पार्क (आंध्र प्रदेश) और सतकोसिया गॉर्ज (ओडिशा) भी पूर्वी घाट के प्रमुख जैवमंडल हैं।
📌 प्रश्न 4: पश्चिमी घाट और पूर्वी घाट के जलवायु प्रभावों में अंतर बताइए।
✅ पश्चिमी घाट:
- यहाँ अधिक वर्षा होती है क्योंकि यह दक्षिण-पश्चिम मानसून को रोकता है।
- यहाँ सदाबहार और मानसूनी वनों की अधिकता है।
- भारत की चाय, कॉफी और मसालों की खेती यहाँ प्रमुख रूप से होती है।
✅ पूर्वी घाट:
- यहाँ पश्चिमी घाट की तुलना में कम वर्षा होती है क्योंकि मानसून बादल आगे बढ़कर कमजोर हो जाते हैं।
- यहाँ मिश्रित पतझड़ और शुष्क वन पाए जाते हैं।
- यहाँ चावल, मूंगफली और कपास जैसी फसलों की खेती अधिक होती है।
📌 प्रश्न 5: पश्चिमी घाट और पूर्वी घाट का भारतीय कृषि में क्या योगदान है?
✅ पश्चिमी घाट का योगदान:
- यहाँ भारत की मुख्य चाय और कॉफी बागान स्थित हैं (नीलगिरि, कोडाइकनाल, कूर्ग)।
- यह इलाका मसालों (काली मिर्च, इलायची, जायफल, लौंग) के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है।
- उच्च ऊँचाई और उपजाऊ मिट्टी के कारण यह क्षेत्र फलों (केला, आम, नारियल) की खेती के लिए भी उपयुक्त है।
✅ पूर्वी घाट का योगदान:
- यह इलाका भारत के मुख्य धान उत्पादक क्षेत्रों में से एक है, विशेष रूप से आंध्र प्रदेश और ओडिशा में।
- यहाँ दलहन (मूंग, मसूर), तिलहन (मूंगफली, सूरजमुखी) और कपास की खेती होती है।
- पूर्वी घाट में स्थित प्रमुख नदी घाटियाँ (गोदावरी, कृष्णा, महानदी) कृषि सिंचाई प्रणाली के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
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9. निष्कर्ष
भारतीय भूगोल में पश्चिमी और पूर्वी घाट की महत्वपूर्ण भूमिका है। पश्चिमी घाट अधिक वनाच्छादित और जैव विविधता से भरपूर है, जबकि पूर्वी घाट खनिज संसाधनों और कृषि के लिए महत्वपूर्ण है। इन दोनों पर्वतीय श्रृंखलाओं का संरक्षण भारत के पर्यावरण संतुलन और जलवायु प्रणाली के लिए आवश्यक है।
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