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पल्लव वंश | प्रशासन, विजय अभियान और स्थापत्य कला | UPSC, SSC एवं सरकारी परीक्षाओं के लिए संपूर्ण जानकारी

📜 पल्लव वंश (Pallava Dynasty) – दक्षिण भारत का सांस्कृतिक और सैन्य शक्ति केंद्र 📜

पल्लव वंश | प्रशासन, विजय अभियान और स्थापत्य कला | UPSC, SSC एवं सरकारी परीक्षाओं के लिए संपूर्ण जानकारी 

पल्लव वंश के उदय, प्रमुख शासक, प्रशासनिक व्यवस्था, विजय अभियान, कला और संस्कृति पर संपूर्ण जानकारी। UPSC, SSC और अन्य सरकारी परीक्षाओं के लिए प्रमाणिक ऐतिहासिक अध्ययन।


🔷 प्रस्तावना

पल्लव वंश (275-897 ईस्वी) दक्षिण भारत का एक प्रभावशाली राजवंश था, जिसने तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के प्रमुख क्षेत्रों पर शासन किया। यह वंश अपनी सैन्य शक्ति, प्रशासनिक दक्षता और स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध था।

राजधानी: कांचीपुरम
संस्थापक: सिंहविष्णु (6वीं शताब्दी)
प्रसिद्ध शासक: महेंद्रवर्मन प्रथम, नरसिंहवर्मन प्रथम, महेंद्रवर्मन द्वितीय
धार्मिक संरक्षण: हिंदू धर्म, जैन धर्म और बौद्ध धर्म
प्रमुख स्थापत्य निर्माण: महाबलीपुरम के रथ मंदिर और शोर मंदिर

पल्लव वंश ने भारतीय कला और संस्कृति में महत्वपूर्ण योगदान दिया और विशेष रूप से महाबलीपुरम की गुफाओं और मंदिरों के लिए जाना जाता है।


🔷 पल्लव वंश का उदय और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

सिंहविष्णु और पल्लव शक्ति का उत्थान

सिंहविष्णु (6वीं शताब्दी) ने पल्लव वंश की स्थापना की।
उसने चोल, पांड्य और अन्य दक्षिण भारतीय राज्यों को पराजित किया।
उसके उत्तराधिकारी महेंद्रवर्मन प्रथम और नरसिंहवर्मन प्रथम ने पल्लव वंश को उन्नति के शिखर तक पहुँचाया।

🔗 पल्लव वंश पर शोधArchaeological Survey of India


🔷 शासन और प्रशासन

पल्लव प्रशासन अत्यंत संगठित था और उन्होंने दक्षिण भारत के विभिन्न क्षेत्रों में प्रभावी शासन किया।

राज्य संरचना

राजा (King): पल्लव शासक सर्वोच्च शासक थे।
विषय (Provinces): राज्य को कई विषयों में विभाजित किया गया।
मंडल (Districts): प्रत्येक विषय को मंडलों में विभाजित किया गया।
ग्राम (Village Councils): स्थानीय प्रशासन में ग्राम सभाएँ सक्रिय थीं।

प्रमुख प्रशासनिक अधिकारी

  • महासंधिविग्रहिक (Foreign Minister)
  • महादंडनायक (Chief Justice)
  • महाप्रतिहार (Military Commander)

🔗 प्राचीन भारतीय प्रशासन पर शोधNational Museum of India


🔷 प्रमुख शासक और उनके योगदान

1️⃣ महेंद्रवर्मन प्रथम (600-630 ईस्वी) – पल्लव शक्ति का विस्तार

✅ कला और साहित्य का महान संरक्षक।
✅ पल्लव शैली की स्थापत्य कला का प्रारंभ किया।
✅ चालुक्य शासक पुलकेशिन द्वितीय के साथ संघर्ष किया।


2️⃣ नरसिंहवर्मन प्रथम (630-668 ईस्वी) – विजय और सांस्कृतिक उत्थान

✅ चालुक्यों को हराकर वातापी (बादामी) पर कब्जा किया।
✅ महाबलीपुरम के प्रसिद्ध रथ मंदिरों का निर्माण कराया।
✅ विदेशी व्यापार को बढ़ावा दिया।


3️⃣ महेंद्रवर्मन द्वितीय (668-672 ईस्वी) – संघर्ष और स्थिरता

✅ चालुक्यों और पांड्यों के साथ सैन्य संघर्ष किया।
✅ पल्लव साम्राज्य के सांस्कृतिक और धार्मिक उत्थान को बनाए रखा।

🔗 पल्लव स्थापत्य पर शोधUNESCO World Heritage


🔷 संस्कृति और कला

पल्लव शासकों ने भारतीय कला, साहित्य और शिक्षा को ऊँचाइयों तक पहुँचाया।

महाबलीपुरम के रथ मंदिर हिंदू स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण हैं।
संस्कृत और तमिल साहित्य को संरक्षण।
शिव, विष्णु और जैन धर्म से संबंधित मंदिरों का निर्माण।

🔗 पल्लव स्थापत्य पर शोधUNESCO World Heritage


🔷 पल्लव वंश का पतन और उत्तराधिकारी राज्य

✅ 9वीं शताब्दी में चोल वंश के उदय के कारण पल्लव वंश कमजोर हुआ।
897 ईस्वी में पल्लव साम्राज्य का अंत हुआ।

🔗 पल्लव वंश के पतन पर शोधCambridge Ancient History


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🔷 निष्कर्ष

पल्लव वंश दक्षिण भारत का सबसे प्रभावशाली सांस्कृतिक केंद्र था।
इसने स्थापत्य कला, सैन्य शक्ति और प्रशासन में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
महाबलीपुरम के रथ मंदिर पल्लव काल की महानतम उपलब्धियों में से एक हैं।
पल्लवों ने चालुक्यों, चोलों और पांड्यों के साथ सैन्य संघर्ष किया।

📌 अब हम "पल्लव वंश पर प्रश्नोत्तरी (Quiz)" हल करेंगे! 🚀📖


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