🧾 Rajasthan Service Rules (RSR) – भाग 1: सामान्य परिचय एवं परिभाषा
📘 अध्याय – 1
सामान्य परिचय
राजस्थान सेवा नियम (आर.एस.आर)
🔷 नियम 1:
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 309 के तहत प्रत्येक राज्य को अपने राज्य में सरकारी सेवा के संचालन के लिए कुछ नियम व उपबंध बनाने का अधिकार है।
- 📅 23 मार्च 1951 की अधिसूचना के आधार पर राजस्थान सेवा नियम (आर.एस.आर.) राजस्थान में 01.04.1951 से प्रभावी हुई।
आरंभसूचक नियम: राज्यपाल के कार्यकारी आदेशों से तथा राज्य सरकार के समस्त कर्मचारियों पर लागू होते हैं।
❌ अपवाद जिन पर राजस्थान सेवा नियम लागू नहीं होते हैं:
- राजस्थान में नियुक्त केंद्र सरकार के कर्मचारी।
- वे केंद्र कर्मचारी, जो अन्य कार्य पर हैं लेकिन प्रतिनियुक्ति के आधार पर राज्य में नियुक्त हैं।
- राजस्थान लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्य।
- राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश।
- वे कर्मचारी जिनका विपरीत निर्धारण भुगतान आकस्मिकता से होता है। आकस्मिक निधि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 267(2) के तहत संचालित होती है।
- सिविल निधि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 266(1) के तहत संचालित होती है।
🔷 नियम 7: परिभाषाएँ
📌 नियम 7(1) – आयु:
इसका तात्पर्य आरंभकाल में उस कर्मचारी से है, जो नियुक्ति दिनांक तक मासिक वेतन के आधार पर निर्धारण किया जाए।
📌 नियम 7(2) – सेवक:
इसका तात्पर्य आरंभकाल में उस कर्मचारी से है, जो स्थायी पद के विपरीत नियुक्त तक मासिक वेतन के आधार पर नियुक्त किया जाए।
📌 नियम 7(3) – संविधान:
भारतीय संसद द्वारा 26.11.1949 को अंगीकृत किया गया कानून संविधान कहलाता है।
📌 नियम 7(4) – वर्ग:
स्थायी पद का प्रतिनिधित्व करने वाला वर्ग संवर्ग कहलाता है।
📌 नियम 7(4)(क) – चतुर्थ श्रेणी सेवा:
आरएसआर में ग्रेड पे 1700–1800 को निर्दिष्ट करने वाला कर्मचारी।
📌 नियम 7(5) – अंशकालिक भत्ते:
ऐसे भत्ते जिनका प्रारंभिक भुगतान स्वयं कर्मचारी द्वारा किया जाता है तथा फिर इनकी पूर्ति सरकार द्वारा कर्मचारी को कर दी जाती है।
📌 नियम 7(6) – सक्षम अधिकारी:
परिशिष्ट 9 भाग 2 के तहत आने वाले सभी कर्मचारी, जो विनियाम शक्ति/अधिकार का उपयोग कर सकते हैं।
📌 नियम 7(7) – संचित निधि:
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 266(1) के तहत निधारित निधि।
📌 नियम 7(7)(क) – रूपान्तरित अवकाश:
नियम 93 के तहत आने वाले अर्जित/अनवैतनिक अवकाशों को रूपान्तरित अवकाश में परिवर्तित किया जा सकता है।
📌 नियम 7(8) – कर्तव्य:
इससे तात्पर्य किसी कर्मचारी को सरकारी सेवा के रूप में परिवीक्षाधीन अवधि, अवकाश की अवधि सहित सेवाकाल की अवधि से है।
📌 नियम 7(8)(क):
सेवाकाल की अवधि जब कार्य न हो तो उसे कर्तव्य नहीं माना जाता।
📌 नियम 7(8)(ख):
सेवाकाल में वह अवधि जिसमें कर्मचारी को कोई कार्य सौंपा न गया हो परंतु उसे पूर्व स्वीकृति से सेवा में रखा गया हो, वह भी कर्तव्य मानी जाती है।
📌 नियम 7(9) – शुल्क:
संपत्ति निधि से प्राप्त अन्य किसी से प्राप्त होने वाली आय शुल्क कहलाती है तथा नियम 64 के तहत इसे भुगतान योग्य माना गया है।
📌 नियम 7(10) – वेतनविहीन सेवा:
ऐसी सेवा जिसमें कर्मचारी को भुगतान संचित निधि के स्थान पर स्थायी निधि से हो, वेतनविहीन सेवा कहलाती है।
📌 नियम 7(10)(क) – राजपत्रित अधिकारी:
वर्गीकरण नियंत्रण अपील नियम 1958 की धारा 1 में आने वाले समस्त अधिकारी राजपत्रित अधिकारी होते हैं।
📌 नियम 7(10)(ख) – अर्द्ध वेतन:
अर्द्ध वेतन से तात्पर्य नियम 93 के तहत दिए जाने वाले अवकाश से है।
📌 नियम 7(11) – विभागाध्यक्ष:
परिशिष्ट 14 भाग 2 के तहत आने वाले समस्त अधिकारी विभागाध्यक्ष होते हैं।
📌 नियम 7(12) – सार्वजनिक अवकाश:
ऐसे अवकाश जो सरकार देती है अर्थात् ऐसे अवकाश जो सरकार द्वारा किसी अधिसूचना के आधार पर घोषित हो।
📌 नियम 7(13) – मानदेय:
मानदेय सदैव सरकारी कर्मचारी को कोई सामान्यिक कार्य करने पर देय होता है।
📌 नियम 7(14) – पदभार ग्रहण काल:
1981 नियमों के तहत कर्मचारी का एक स्थान पर स्थानांतरण होने पर दिए जाने वाला समय पदभार ग्रहणकाल कहलाता है।
📌 नियम 7(15) – अवकाश:
कर्मचारी द्वारा अपने खाते से लिए गए अवकाश।
📌 नियम 7(16) – अवकाश वेतन:
कर्मचारी द्वारा लिये गए स्वीकृत अवकाशों में, उसी के अनुरूप उसे वेतन देय है। (नियम 97)
📌 नियम 7(17) – पदाधिकारी:
स्थायी पद पर स्थायी रूप से नियुक्त होने पर कर्मचारी को उस पद पर पदाधिकारी होता है।
📌 नियम 7(18) – स्थानांतरण निधि:
भारतीय संविधान के अनु. 268(2) के तहत निधारित होने वाली निधि स्थानांतरण निधि कहलाती है।
📌 नियम 7(19) – मंत्रालयिक कर्मचारी:
परिशिष्ट 12 के तहत आने वाले कर्मचारी, मंत्रालयिक कर्मचारी हैं (लिपिक श्रेणी)।
📌 नियम 7(20) – माह:
माह से तात्पर्य अंग्रेजी कैलेंडर के एक पूर्ण महीने से है।
📌 नियम 7(21) – दिनांक 01.01.1995 को विलुप्त।
📌 नियम 7(22) – सवेतनिक कर्मचारी:
इससे तात्पर्य आरएसआर में उन पद पर स्थायी अधिकारी रखने वाला कर्मचारी है।
📌 नियम 7(23) – स्थानापन:
इससे तात्पर्य उन कर्मचारियों से है, जिन्हें अपने पद के साथ-साथ अतिरिक्त पद की जिम्मेदारी दी जाती है।
📌 नियम 7(24) – वेतन:
वेतन से तात्पर्य आरएसआर में किसी सरकारी कर्मचारी को मिलने वाली मासिक राशि से है।
📌 नियम 7(25) – पेंशन:
कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति पश्चात मिलने वाली मासिक राशि जो सरकार भुगतान करें।
📌 नियम 7(26) – स्थायी पद:
ऐसे पद जिनकी कोई समय सीमा आरएसआर में निर्धारित नहीं होती है।
📌 नियम 7(27) – व्यक्तिगत वेतन:
किसी कारणवश यदि सरकारी कर्मचारी के वेतन में वृद्धि या कोई कटौती होती है तथा एक निश्चित समय सीमा तक उस कटौती का लाभ उन्हें दिया जाता है, उसे व्यक्तिगत वेतन कहते हैं।
📌 नियम 7(28) – उपार्जित अवकाश:
सेवा में व्यतीत किए गए समय के आधार पर अर्जित किये गये अवकाश उपार्जित अवकाश की श्रेणी में आते हैं। (नियम 91 के अनुसार)
📌 नियम 7(29) – पद पर परिवर्तित वेतन:
ऐसा वेतन वह होता है जब कर्मचारी को अपने पद के अलावा किसी अतिरिक्त पद/कर्तव्य का कार्य सौंपा जाए और उस अतिरिक्त कार्य हेतु विशेष वेतन मान्य हो।
📌 नियम 7(30) – परिवीक्षाधीन:
दिनांक 20.01.2006 के पश्चात राजस्थान सरकार द्वारा ऐसे कर्मियों को भी पद पर नियुक्त नहीं माना जाता है जो परिवीक्षाधीन स्थिति में हों।
📌 नियम 7(30)(क) – परिवीक्षाधीन प्रशिक्षार्थी:
ऐसे कर्मचारी जो दिनांक 20.01.2006 के बाद स्थायी पद पर दो वर्ष के लिए नियुक्त किए जाएँ, वे प्रशिक्षार्थी कहे जाते हैं।
📌 नियम 7(31) – विशेष वेतन:
यदि कोई सरकारी कर्मचारी सेवा में रहते हुए कोई विशेष उत्तरदायित्व निभाता है, तो ऐसे कार्य हेतु उसे विशेष वेतन देय होता है।
📌 नियम 7(32) – उच्च सेवा:
आरएसआर में चतुर्थ श्रेणी सेवा को छोड़कर समस्त सेवा उच्च सेवा मानी जाती है।
📌 नियम 7(33) – निवृत्त अनुदान:
कर्मचारी के निवृत्त होने पर सरकार द्वारा कर्मचारी को देय मासिक अनुदान निवृत्त अनुदान कहलाता है।
📌 नियम 7(34) – मूल वेतन:
कर्मचारी की वेतन श्रृंखला में ग्रेड पे के जुड़ने के बाद उसका मूल वेतन निर्धारित होता है।
📌 नियम 7(35) – स्थायी नियुक्ति:
ऐसी नियुक्ति जिस पर कार्य करने वाले कर्मचारी को एक निश्चित पदाधिकारी होता है।
📌 नियम 7(36) – सावधिक पद:
सामान्य तौर पर ऐसे पद एक निश्चित अवधि तक सूचीबद्ध किये जाते हैं तथा इन पर कार्य करने वाले कर्मचारियों का उस पद पर पदाधिकारी जुड़ा रहता है।
📌 नियम 7(37) – समय वेतनमान:
कर्मचारी की वेतन श्रृंखला समय वेतनमान सदैव निम्न स्तर से उच्च स्तर की ओर जाता है।
📌 नियम 7(38) – स्थानांतरण:
इससे तात्पर्य कर्मचारी को एक स्थान से दूसरे स्थान पर नियुक्त देने से है।
📌 नियम 7(39) – विश्रामकालीन विभाग:
ऐसे विभाग जिनमें एक निश्चित समय सीमा तक मुख्यालय बंद रहते हैं। जैसे न्यायिक विभाग, शिक्षा विभाग, कृषि विभाग।
📌 नियम 7(40) – पेंशन के अयोग्य संस्थापन:
ऐसे कर्मचारियों को वेतन व भत्तों का निर्धारण सरकारी बजट के अलावा सरकार के किसी अन्य स्रोत से किया जाता है।
🎯 यह अध्याय क्यों समझना चाहिए? (Why Understand RSR Part 1?)
RSR का भाग 1 केवल प्रारंभिक परिचय नहीं है, बल्कि यह पूरे सेवा जीवन की रीढ़ है। इसमें दी गई परिभाषाएँ, नियमों का आधार और कानूनी शब्दावली उस ढांचे को तैयार करती है जिस पर शेष सभी RSR भाग आधारित हैं।
🧾 कारण: क्यों पढ़ना चाहिए?
- 📚 सभी अन्य भागों की भाषा यहीं से निकलती है: यदि आप "सेवा", "स्थायीत्व", "प्रबोधना", "ड्यूटी", "पेंशन" जैसे शब्दों का अर्थ नहीं जानते, तो आप अगला भाग नहीं समझ पाएंगे।
- 📜 संवैधानिक आधार को समझाता है: यह अध्याय स्पष्ट करता है कि RSR की वैधता संविधान के अनुच्छेद 309 पर आधारित है।
- 🛡️ अपने अधिकारों और कर्तव्यों की पहचान: सेवा पुस्तिका, नियुक्ति प्रक्रिया, अवकाश आदि पर आपकी वैधता भाग 1 में दी परिभाषाओं पर निर्भर करती है।
- 🎯 RAS Mains, Clerk, SI आदि में सीधा प्रश्न: "परिभाषा आधारित प्रश्न" परीक्षा में बार-बार पूछे जाते हैं।
- 🏛️ प्रत्येक संस्था प्रमुख को इसका गहरा ज्ञान होना चाहिए: निर्णय, प्रमाणन, Leave Approvals इत्यादि इसी पर निर्भर करते हैं।
📘 निष्कर्ष:
RSR भाग 1 को समझना सेवा अनुशासन, सरकारी प्रशासन, और कर्मचारी की सेवा सुरक्षा के लिए उतना ही आवश्यक है जितना कि किसी भवन की नींव।
📌 यदि आप RSR को गहराई से समझना चाहते हैं, तो भाग 1 को न छोड़ें — यही प्रवेश द्वार है।
राजस्थान सेवा नियम (RSR) की नींव भारतीय संविधान के अनुच्छेद 309 के अंतर्गत रखी गई है, जिसके तहत प्रत्येक राज्य को अपने सेवा नियम बनाने का अधिकार है।
📜 लागू तिथि एवं अधिकार
- 📅 23 मार्च 1951 की अधिसूचना द्वारा ये नियम लागू हुए।
- 📌 01 अप्रैल 1951 से प्रभावी माने जाते हैं।
- 👨⚖️ ये नियम राज्यपाल द्वारा कार्यकारी आदेश
📌 किन पर लागू नहीं होते?
- केंद्र सरकार के कर्मचारी जो राजस्थान में कार्यरत हैं।
- संविधान के अनुच्छेद 267(2) के तहत नियंत्रित कर्मचारी।
- राज्य उच्च न्यायालय के न्यायधीश।
- राजस्थान लोक सेवा आयोग के सदस्य।
🧠 महत्वपूर्ण परिभाषाएँ (Definitions)
शब्द | अर्थ (RSR के संदर्भ में) |
---|---|
🧓 वय (Age) | जिस दिन कर्मचारी सेवा में नियुक्त होता है, वही आयु का निर्धारण दिन होगा। |
🎓 शिक्षार्थी (Apprentice) | ऐसा कर्मचारी जिसे सीमित अवधि के लिए प्रशिक्षण हेतु नियुक्त किया गया हो। |
📜 संविधान (Constitution) | भारत का संविधान जिसे 26 नवंबर 1949 को अंगीकृत किया गया। |
👤 गणना सेवा (Quasi-permanent Service) | Grade Pay 1700 से 1800 तक के कर्मचारियों की अस्थायी सेवा। |
💰 स्ववित्त पोषित भत्ते | ऐसे भत्ते जो कर्मचारी द्वारा पहले दिए गए कार्यों के एवज में पुनः राज्य द्वारा भुगतान किए जाते हैं। |
👨💼 लिपिकीय कर्मचारी | जो वित्तीय शक्तियों का उपयोग करने वाले पदों पर कार्यरत हों। |
⚖️ स्थानीय नियम | संविधान के अनुच्छेद 266(1) के अनुसार स्थापित नियम। |
🔁 Leave Encashment | आरएसआर नियम 93 के अंतर्गत दी गई आर्थिक सहायता स्वरूप छुट्टियों की राशि। |
🔐 शासन की सेवा (Duty) | जिस समय कर्मचारी सरकारी सेवा में कार्यरत हो, वह अवधि। |
📎 अतिरिक्त बिंदु
- 👮 प्रशिक्षण अवधि भी सेवा मानी जाती है, यदि वह विधिवत अनुमोदित हो।
- 💼 स्थायी नियुक्ति वाले कर्मचारी को ही पदस्थापना अधिकार प्राप्त होता है।
- 📋 राजकीय सेवा में पारदर्शिता बनाए रखने हेतु सभी परिभाषाएँ स्पष्ट की गई हैं।
📚 परीक्षा उपयोगी तथ्य (Exam-Oriented Points)
- ❓ RSR किस अनुच्छेद के तहत लागू हुआ? 👉 अनुच्छेद 309
- 📆 लागू तिथि? 👉 01 अप्रैल 1951
- 📜 कौन कर्मचारी अपवाद हैं? 👉 केंद्र सरकार, न्यायालय, आयोग के सदस्य
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📌 RSR भाग 1 – संस्था प्रधान (Head of Office) हेतु समझने व याद रखने वाले बिंदु
- 📖 RSR भारतीय संविधान के अनुच्छेद 309 के तहत लागू नियम हैं जो राज्य सरकार को अपने अधीनस्थ सेवाओं के लिए नियम बनाने की अनुमति देता है।
- 📅 प्रभावी तिथि: RSR को 01 अप्रैल 1951 से राजस्थान में लागू किया गया।
- 🔒 लागू नहीं होते: केंद्र सरकार के अधिकारी, उच्च न्यायालय के न्यायधीश, और राज्य लोक सेवा आयोग के सदस्य RSR के अंतर्गत नहीं आते।
- 📝 संस्था प्रमुख की भूमिका:
- कर्मचारी का सेवा अभिलेख (Service Book) अपडेट रखना।
- 📌 प्रत्येक नियुक्त कर्मचारी से समय पर मेडिकल प्रमाणपत्र और दस्तावेज लेना।
- 🗂️ नियुक्ति और पुष्टि (Confirmation) से पूर्व सभी नियमों का पालन सुनिश्चित करना।
- 📁 सेवा की परिभाषाएँ: संस्था प्रधान को RSR में दी गई प्रमुख परिभाषाओं जैसे "Service", "Duty", "Leave", "Pay", "Probation", आदि की पूरी जानकारी होनी चाहिए।
- 👥 Apprentice/Probationer को स्थायी सेवक मानने की शर्तें: नियुक्ति प्रक्रिया, सेवा काल और अनुमोदन का पालन आवश्यक।
- 🔁 Leave Encashment & Leave Records: छुट्टियों की सही गणना, रिकॉर्ड और मंजूरी की प्रक्रिया संस्था प्रधान के दायित्व में आती है।
- 🧾 कार्यभार ग्रहण दिनांक (DOJ) से सेवा संबंध प्रारंभ: आयु, वेतन, वरिष्ठता आदि सभी DOJ के अनुसार मान्य होती हैं।
- ⚠️ RTI/Inspection Audit में उत्तरदायित्व: संस्था प्रधान के निर्णयों की जांच की जा सकती है, इसलिए सभी आदेश और रिकॉर्ड लिखित एवं पारदर्शी हों।
- 🧠 संविधान, प्रशासन और मानव संसाधन के मूल ज्ञान का पालन: संस्था प्रमुख को नियमों की व्याख्या, मानव व्यवहार एवं नीतिगत निर्णयों में न्यायसंगत दृष्टिकोण रखना चाहिए।
📘 स्मरण मंत्र:
- 📍 RSR = "राज्य सेवा नियम", लेकिन यह सिर्फ कर्मचारी नहीं, संस्था प्रमुख के लिए भी समान रूप से लागू है।
- 🛡️ संस्था प्रधान नियमों का रक्षक होता है – न कि केवल आदेश देने वाला।
- 🔎 नियमों की व्याख्या तभी करें जब आप उनका ठीक से अध्ययन करें – अज्ञानता भी अनुशासनहीनता मानी जाती है।
👨💼 कर्मचारी हेतु याद रखने योग्य बिंदु (Key Points for Government Employees)
- 📅 सेवा प्रारंभ तिथि (Date of Joining) से ही आपकी आयु, वेतन, वरिष्ठता और सेवा गणना शुरू होती है। इसे प्रमाणित दस्तावेजों के साथ सहेजें।
- 🩺 प्रारंभिक नियुक्ति से पहले मेडिकल प्रमाणपत्र देना अनिवार्य है। बिना इसकी पुष्टि के स्थायीत्व नहीं मिलेगा।
- 📕 सेवा पुस्तिका (Service Book) में हर प्रविष्टि सत्यापित करवाना आपकी जिम्मेदारी है — इसे नज़रअंदाज़ करना भविष्य में विवाद ला सकता है।
- 🏛️ RSR नियम न केवल कार्यालयी अनुशासन के लिए, बल्कि अवकाश, वेतन, प्रमोशन, पेंशन आदि हर पहलू को नियंत्रित करते हैं।
- 🕒 समय पर उपस्थिति और कर्तव्य पालन "ड्यूटी" की परिभाषा में आता है, और ये वेतन व प्रोबेशन की गणना को प्रभावित करता है।
- 📜 आप RSR के अंतर्गत तभी आते हैं जब आपकी नियुक्ति राजस्थान राज्य सरकार द्वारा हो — केंद्रीय सेवाएं व अपवाद अलग हैं।
- 🛡️ स्थायी सेवा (Permanent Service) तभी मानी जाती है जब सरकार द्वारा पुष्टि (Confirmation) आदेश प्राप्त हो जाए।
- 💼 प्रशिक्षण अवधि (Apprenticeship) केवल मान्य तभी है जब वह आधिकारिक रूप से स्वीकृत हो।
- 💰 Leave Encashment और अन्य भत्तों के लिए छुट्टियों व सेवा अवधि की सटीक गणना जरूरी है — बिना रिकॉर्ड के भुगतान रुक सकता है।
- 🔁 RSR नियमों का पालन आपकी सुरक्षा भी करता है और उत्तरदायित्व भी बढ़ाता है — इसलिए समय-समय पर पुनरावलोकन करें।
🧠 स्मरण सूत्र:
- ✅ सेवा में नियुक्ति = दस्तावेज + मेडिकल + सेवा पुस्तिका + पुष्टि आदेश
- ✅ नियमों की जानकारी रखना कर्मचारी की जिम्मेदारी है, न कि केवल प्रधान की।
- ✅ RTI/Promotion/Pension में RSR नियमों की भूमिका निर्णायक होती है।
📘 Exam Point (MCQ Style Hints):
- ❓ RSR किस तिथि से लागू हुआ? 👉 01-04-1951
- ❓ RSR किस संविधान अनुच्छेद के तहत बना? 👉 अनुच्छेद 309
- ❓ क्या सभी कर्मचारी RSR के अंतर्गत आते हैं? 👉 नहीं
⚖️ RSR भाग 1: न्यायालय निर्णय एवं केस स्टडी
राजस्थान सेवा नियम (RSR) न केवल प्रशासनिक बल्कि न्यायिक स्तर पर भी महत्वपूर्ण सिद्ध हुए हैं। उच्च न्यायालय एवं सर्वोच्च न्यायालय द्वारा समय-समय पर इन नियमों की व्याख्या की गई है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि नियमों का पालन कैसे होना चाहिए।
📌 1. नियुक्ति और सेवा शर्तों पर न्यायालय की टिप्पणी
- ⚖️ अनुच्छेद 309 के अंतर्गत बनी सेवा शर्तें राज्यपाल द्वारा विनियमित होती हैं।
- 📚 न्यायालय ने यह कहा कि कोई भी नियुक्ति अथवा सेवा परिवर्तन नियमों के विपरीत नहीं हो सकता।
- 📌 नियुक्ति यदि वैधानिक प्रक्रिया के बिना हो तो उसे रद्द किया जा सकता है।
📌 2. सेवा पुस्तिका (Service Book) पर कोर्ट का निर्णय
- 📖 सेवा पुस्तिका कर्मचारी का वैधानिक रिकॉर्ड है — इसमें दर्ज प्रविष्टियाँ निर्णायक होती हैं।
- 🔍 यदि किसी प्रविष्टि को चुनौती दी जाए, तो बोझ सरकार पर होता है कि वह सेवा पुस्तिका को सही साबित करे।
- 🖋️ प्रमोशन, पेंशन और अवकाश स्वीकृति जैसे मामलों में सेवा पुस्तिका मुख्य साक्ष्य मानी जाती है।
📌 3. अनुशासनात्मक कार्रवाई एवं निलंबन
- ⚠️ Natural Justice का पालन आवश्यक है — "सुनवाई का अवसर" देना अनिवार्य है।
- 🔒 निलंबन आदेश यदि बिना कारण और समयसीमा के जारी होता है, तो वह रद्द किया जा सकता है।
- 📅 स्थायी सेवक के विरुद्ध कार्रवाई RSR नियमों के अनुसार और स्पष्ट प्रमाणों के आधार पर ही की जा सकती है।
📌 4. महत्वपूर्ण केस संकेत
- 🧑⚖️ Radhey Shyam Sharma vs State of Rajasthan – सेवा पुस्तिका की प्रविष्टि से संबंधित मामला
- 🧑⚖️ Sita Ram vs Rajasthan Govt – निलंबन की अवधि सीमा पार करने पर स्वत: समाप्ति
- 🧑⚖️ Rajesh Singh vs RPSC – नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता के सिद्धांत की पुष्टि
📘 कर्मचारी हेतु सलाह
- ✅ हमेशा सेवा पुस्तिका अद्यतन रखें और उसकी प्रति सुरक्षित रखें।
- ✅ किसी भी कार्रवाई के विरुद्ध अपील का अधिकार जानें और उसका प्रयोग करें।
- ✅ नियमों का स्वयं अध्ययन करें — अज्ञानता दंड से नहीं बचाती।
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🏛️ विभाग/संस्था में करणीय कार्य एवं रखने योग्य अभिलेख (As per RSR Part 1)
प्रत्येक सरकारी संस्था को राजस्थान सेवा नियम (RSR) के अनुसार कुछ मूलभूत व्यवस्थाएँ नियमित रूप से करनी चाहिए। ये कार्य न केवल सेवा अनुशासन हेतु आवश्यक हैं, बल्कि पेंशन, प्रमोशन, ऑडिट, RTI एवं न्यायिक मामलों में भी साक्ष्य रूप में काम आते हैं।
✅ A. नियमित करणीय कार्य (Regular Duties as per RSR)
- 📌 सभी कर्मचारियों की सेवा पुस्तिका (Service Book) को अद्यतन रखना।
- 📅 नियुक्ति तिथि से ही वेतन निर्धारण, वरिष्ठता, छुट्टियों की गणना प्रारंभ करना।
- 🩺 नियुक्ति से पूर्व मेडिकल प्रमाणपत्र लेना और उसमें अनुलेख दर्ज करना।
- 🔁 Leave Record (CL, EL, ML, Special Leave) का दैनिक अद्यतन।
- 📝 दैनिक उपस्थिति रजिस्टर का सटीक संधारण।
- 📤 सेवानिवृत्ति से पूर्व पेंशन फॉर्म्स, सेवा सत्यापन प्रमाण पत्र समय पर तैयार करना।
- 📁 प्रोबेशन से संबंधित आदेश/विस्तार पत्र सुरक्षित रखना।
- 📑 स्थायीत्व आदेश की प्रति सेवा पुस्तिका में संलग्न करना।
- 📋 पदस्थापन/स्थानांतरण आदेश की प्रति Record File में संधारित करना।
- 📈 सभी प्रमोशन/ACP/MACP आदेश को अद्यतन वेतन पत्रक में सम्मिलित करना।
🗃️ B. रखने योग्य अभिलेख (Essential Records to be Maintained)
- 📘 सेवा पुस्तिका (पृष्ठवार क्रमबद्ध)
- 📂 मेडिकल प्रमाणपत्र फाइल
- 📋 नियुक्ति आदेश फोल्डर (प्रत्येक कर्मचारी के लिए अलग)
- 📊 Leave Register (CL, EL, ML, SPL आदि कॉलम सहित)
- 📆 उपस्थिति पंजिका (Biometric या Manual दोनों)
- 📄 स्थायीत्व एवं पुष्टि आदेश संग्रह
- 📎 प्रमोशन/ACP/MACP आदेश संग्रह
- 🧾 RTI उत्तर/शिकायत समाधान रिकॉर्ड
- 📚 सेवा सत्यापन प्रमाण पत्र फोल्डर
- 🖋️ पेंशन प्रकरण/फॉर्म/दावे रिकॉर्ड
📌 विशेष निर्देश (Special Notes)
- 📅 प्रत्येक कर्मचारी की सर्विस बुक की प्रतिवर्ष समीक्षा करें।
- 🧾 हर आदेश की प्रति पर तिथि, क्रमांक और हस्ताक्षर सुनिश्चित करें।
- 📁 सभी अभिलेख क्रमांकित एवं विषयानुसार वर्गीकृत हों।
- 🔐 संवेदनशील अभिलेख सील्ड और सीमित एक्सेस में रखें।
📘 संबंधित अध्ययन:
⚖️ भारतीय संविधान का अनुच्छेद 309 – संक्षिप्त टिप्पणी
अनुच्छेद 309 भारत के संविधान का वह अनुच्छेद है जो केंद्र और राज्य सरकारों को अपनी अधीनस्थ सेवाओं के लिए नियुक्ति, सेवा शर्तें, स्थानांतरण, पदोन्नति और सेवानिवृत्ति इत्यादि को विनियमित करने हेतु नियम बनाने की शक्ति देता है।
📘 अनुच्छेद 309 – मूल पाठ (Simplified Hindi)
"सिवाय जब तक संसद कानून द्वारा कुछ और उपबंध न करे, केंद्र और राज्य सरकारें अपने अधीनस्थ सेवकों की नियुक्ति और सेवा से संबंधित सभी मामलों के लिए नियम बना सकती हैं।"
🔍 मुख्य बातें
- 📌 यह एक है जो संविधान के लागू होते ही अस्तित्व में आया।
- ⚖️ यदि संसद ने किसी विषय पर कोई कानून नहीं बनाया है, तब तक कार्यपालिका स्वयं नियम बना सकती है।
- 🏛️ इसे कार्यपालिका अधिनियम शक्ति (Executive Rule-Making Power) भी कहते हैं।
📘 राजस्थान सेवा नियम (RSR) का निर्माण – संविधानिक आधार
📌 RSR कैसे बने?
- 📅 23 मार्च 1951 को राजस्थान सरकार द्वारा एक अधिसूचना जारी की गई।
- 📅 01 अप्रैल 1951 से राजस्थान सेवा नियम (RSR) को प्रभाव में लाया गया।
- 📜 इन नियमों को राज्यपाल की कार्यकारी शक्ति द्वारा अनुच्छेद 309 के तहत अधिसूचित किया गया।
📎 RSR का उद्देश्य:
- 🧾 नियुक्तियों की पारदर्शिता सुनिश्चित करना।
- 🧑💼 सेवा शर्तों को समान, स्पष्ट और न्यायसंगत बनाना।
- 📑 कर्मचारी और सरकार के बीच नियमबद्ध संबंध स्थापित करना।
📚 परीक्षा बिंदु:
- ❓ RSR किस अनुच्छेद के अंतर्गत बनाए गए? 👉 अनुच्छेद 309
- ❓ किस तिथि से लागू? 👉 01 अप्रैल 1951
- ❓ किसके द्वारा अधिसूचित? 👉 राज्यपाल, कार्यकारी आदेश द्वारा
📥 संबंधित स्रोत:
📚 RSR Part-1 Flashcards – Top 20 Questions for Revision
- ❓ प्रश्न: RSR का पूर्ण रूप क्या है?
✅ उत्तर: Rajasthan Service Rules - ❓ प्रश्न: RSR कब से लागू हुए?
✅ उत्तर: 01 अप्रैल 1951 - ❓ प्रश्न: RSR किस संवैधानिक अनुच्छेद के अंतर्गत बनाए गए?
✅ उत्तर: अनुच्छेद 309 - ❓ प्रश्न: RSR को अधिसूचित किसके द्वारा किया गया था?
✅ उत्तर: राजस्थान के राज्यपाल द्वारा कार्यकारी आदेश से - ❓ प्रश्न: अनुच्छेद 309 किस विषय से संबंधित है?
✅ उत्तर: सरकारी सेवकों की नियुक्ति और सेवा शर्तों से - ❓ प्रश्न: सेवा पुस्तिका क्या है?
✅ उत्तर: कर्मचारी की सेवा संबंधी सम्पूर्ण जानकारी का आधिकारिक अभिलेख - ❓ प्रश्न: सेवा पुस्तिका किस तिथि से भरना अनिवार्य है?
✅ उत्तर: नियुक्ति की तिथि से - ❓ प्रश्न: स्थायीत्व किस अवधि के बाद मिलता है?
✅ उत्तर: सामान्यतः 2 वर्ष की सफल प्रबोधना (Probation) अवधि के बाद - ❓ प्रश्न: सेवा पुस्तिका में प्रविष्टियाँ किसके द्वारा प्रमाणित की जाती हैं?
✅ उत्तर: संस्था प्रमुख / नियुक्त प्राधिकारी - ❓ प्रश्न: RSR नियमों का पालन क्यों आवश्यक है?
✅ उत्तर: ताकि सेवा संबंधी निर्णय न्यायसंगत, पारदर्शी और वैधानिक हों - ❓ प्रश्न: RSR का उद्देश्य क्या है?
✅ उत्तर: राज्य कर्मचारियों की सेवा शर्तों का विधिवत निर्धारण - ❓ प्रश्न: सेवा पुस्तिका अद्यतन न होने से क्या प्रभाव पड़ता है?
✅ उत्तर: प्रमोशन, पेंशन, अवकाश जैसे मामलों में अड़चन - ❓ प्रश्न: Leave Register किस प्रकार के अवकाशों को दर्शाता है?
✅ उत्तर: CL, EL, ML, Special Leave आदि - ❓ प्रश्न: नियुक्ति पत्र RSR के किस भाग से संबंधित होता है?
✅ उत्तर: भाग 1 – सामान्य परिभाषाएँ व नियुक्ति नियम - ❓ प्रश्न: क्या सेवा पुस्तिका एक कानूनी दस्तावेज है?
✅ उत्तर: हाँ, यह न्यायालय में मान्य साक्ष्य होती है - ❓ प्रश्न: अनुच्छेद 309 किस परिस्थिति में नियम बनाने की शक्ति देता है?
✅ उत्तर: जब तक संसद/विधानसभा ने कोई कानून न बनाया हो - ❓ प्रश्न: कर्मचारी के लिए सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज कौन-सा होता है?
✅ उत्तर: सेवा पुस्तिका (Service Book) - ❓ प्रश्न: नियुक्ति से पहले कौन-सा प्रमाणपत्र अनिवार्य है?
✅ उत्तर: मेडिकल फिटनेस प्रमाणपत्र - ❓ प्रश्न: स्थायीत्व से संबंधित आदेश सेवा पुस्तिका में दर्ज होना चाहिए या नहीं?
✅ उत्तर: हाँ, यह अनिवार्य है - ❓ प्रश्न: क्या एक संस्था प्रमुख Leave Register में अपनी मर्जी से छुट्टियाँ जोड़ सकता है?
✅ उत्तर: नहीं, नियमों के अनुसार अनुमोदन आवश्यक होता है
📝 नोट: यह Flashcard-Style प्रश्न RAS, REET, Junior Assistant, School Headmaster, और अन्य सभी सरकारी भर्ती परीक्षाओं हेतु उपयोगी हैं।
🏛️ RSR Part-1 से संबंधित RPSC में पूछे गए प्रश्न
- प्रश्न: सेवा पुस्तिका का उद्देश्य क्या है?
✅ उत्तर: कर्मचारी की सेवा की सभी प्रविष्टियों का अभिलेख रखना - प्रश्न: RSR के तहत स्थायीत्व कब प्रदान किया जाता है?
✅ उत्तर: नियुक्ति के पश्चात सफलतापूर्वक प्रबोधना (probation) अवधि पूर्ण करने पर - प्रश्न: अनुच्छेद 309 का संबंध किससे है?
✅ उत्तर: सरकारी सेवकों की नियुक्ति एवं सेवा शर्तों के लिए नियम बनाना - प्रश्न: अनुच्छेद 309 किसे नियम निर्माण की शक्ति देता है?
✅ उत्तर: केंद्र एवं राज्य सरकारों को - प्रश्न: RSR की शुरुआत कब हुई थी?
✅ उत्तर: 01 अप्रैल 1951 - प्रश्न: क्या सेवा पुस्तिका न्यायालय में वैध साक्ष्य मानी जाती है?
✅ उत्तर: हाँ - प्रश्न: RSR के अनुसार नियुक्ति से पूर्व कौन-सा प्रमाण पत्र आवश्यक है?
✅ उत्तर: चिकित्सकीय प्रमाणपत्र (Medical Certificate) - प्रश्न: Leave Register में किन प्रकार की छुट्टियाँ दर्ज की जाती हैं?
✅ उत्तर: CL, EL, ML, Special Leave आदि - प्रश्न: सेवा पुस्तिका में प्रमोशन प्रविष्टि कौन करता है?
✅ उत्तर: सक्षम प्राधिकारी/संस्था प्रधान - प्रश्न: क्या सेवा पुस्तिका की प्रतिवर्ष समीक्षा की जाती है?
✅ उत्तर: हाँ, यह अनिवार्य है - प्रश्न: RSR के नियम लागू किसके आदेश से होते हैं?
✅ उत्तर: राज्यपाल के कार्यकारी आदेश द्वारा - प्रश्न: RSR नियमों का पालन किस प्रकार के कर्मचारियों पर लागू होता है?
✅ उत्तर: राज्य सरकार के स्थायी, अर्ध-स्थायी एवं अस्थायी कर्मचारी - प्रश्न: सेवा पुस्तिका में क्या-क्या प्रविष्टियाँ होती हैं?
✅ उत्तर: नियुक्ति, प्रमोशन, स्थानांतरण, वेतन, स्थायीत्व, छुट्टियाँ आदि - प्रश्न: राज्य सेवाओं हेतु नियम बनाने की शक्ति राज्य सरकार को कहाँ से प्राप्त है?
✅ उत्तर: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 309 से - प्रश्न: पेंशन दावा पत्र में सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज क्या होता है?
✅ उत्तर: सेवा सत्यापन प्रमाण पत्र - प्रश्न: RSR का उपयोग किस क्षेत्र में किया जाता है?
✅ उत्तर: राजस्थान राज्य सरकार की सेवाओं में - प्रश्न: CL, EL और ML का पूर्ण रूप बताइए:
✅ उत्तर: Casual Leave, Earned Leave, Medical Leave - प्रश्न: सेवा पुस्तिका में किसी आदेश की प्रति दर्ज करने हेतु किस बात की आवश्यकता होती है?
✅ उत्तर: क्रमांक, दिनांक एवं प्राधिकारी के हस्ताक्षर - प्रश्न: Probation अवधि में सेवा निरंतरता किस पर निर्भर करती है?
✅ उत्तर: सफल कार्य निष्पादन और अधिकारी की अनुशंसा पर - प्रश्न: किसी कर्मचारी की सेवा पुस्तिका में कौन सी प्रविष्टियाँ प्रमोशन हेतु आवश्यक हैं?
✅ उत्तर: सेवा सत्यापन, कार्यग्रहण तिथि, स्थायीत्व आदेश
📌 उपयोग: ये प्रश्न सीधे RPSC Pre/Mains, Headmaster, Clerk Grade-II, REET, एवं अन्य परीक्षाओं में बार-बार पूछे जा चुके हैं या पूछे जाने की संभावना प्रबल है।
📘 Glossary – Rajasthan Service Rules (RSR) Part 1
🔢 क्रमांक | 🔤 शब्द (Term) | 📝 अर्थ / Explanation (Hindi + English) |
---|---|---|
1 | वय (Age) | सेवा में नियुक्ति की तिथि को मानी गई आयु। The age considered is as on the date of joining service. |
2 | शिक्षार्थी (Apprentice) | सीमित अवधि हेतु प्रशिक्षण हेतु नियुक्त व्यक्ति। An individual appointed for training for a limited period. |
3 | गणना सेवा (Quasi-permanent Service) | Grade Pay 1700–1800 के अंतर्गत अस्थायी सेवा। Temporary service in specified grade pay range. |
4 | स्थायी नियुक्ति (Permanent Post) | ऐसा पद जो स्थायी रूप से स्थापित है। A post sanctioned without a time limit. |
5 | संविधान (Constitution) | भारत का सर्वोच्च विधिक दस्तावेज। The supreme law of India, adopted on 26 November 1949. |
6 | वेतन (Pay) | सेवा में कार्य करने के बदले दी जाने वाली नियमित राशि। Regular remuneration for government service. |
7 | स्थानीय नियम (Local Rules) | संविधान के अनुच्छेद 266(1) के अंतर्गत बने राज्य नियम। Rules framed under Article 266(1) of the Constitution. |
8 | लिपिकीय कर्मचारी (Ministerial Staff) | वित्तीय शक्तियों का प्रयोग करने वाले पदाधिकारी। Officials exercising financial powers. |
9 | शासन की सेवा (Duty) | सेवा की वह अवधि जब कर्मचारी कार्यरत हो। The period when a person is officially on government duty. |
10 | Leave Encashment | छुट्टियों की आर्थिक प्रतिपूर्ति। Monetary compensation for earned leaves. |
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