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RBSE 10वीं हिन्दी उत्तर पुस्तिका | टॉपर की लिखावट में पूरा हल (पेज 1 से 17)

📘 राजस्थान बोर्ड हिंदी कक्षा 10 – सर्वोत्तम उत्तर पुस्तिका

क्या आप चाहते हैं कि आपकी RBSE Class 10 Hindi की उत्तर पुस्तिका एक टॉपर जैसी दिखे? तो यह संपूर्ण लेख आपके लिए है! इस पोस्ट में हम एक छात्र की उत्कृष्ट उत्तर पुस्तिका को प्रस्तुत कर रहे हैं, जिसे देखकर आप उत्तर लेखन की शैली, भाषा की सुंदरता और विषयवस्तु की सटीकता को समझ सकेंगे।

📘 RBSE Hindi Topper Copy – 90+ अंक लाने वाली उत्तरपुस्तिका (Class 10)

RBSE बोर्ड परीक्षा में टॉपर कैसे बनें? इस सवाल का उत्तर छुपा है एक उत्तरपुस्तिका में, जिसे एक छात्र ने 90+ अंक पाने के लिए लिखा। Sarkari Service Prep™ लाया है एक विशेष श्रंखला – टॉपर की कॉपी से सीखिए बोर्ड में टॉप करने का तरीका

यह टॉपर उत्तरपुस्तिका RBSE Board द्वारा चयनित उत्तर है, जिसमें उत्तर लेखन की श्रेष्ठता, प्रस्तुति और स्ट्रक्चर शामिल है। इस पोस्ट में हम आपको देंगे:

  • 📖 Page-by-Page Analysis
  • ✍️ उत्तर लेखन की युक्तियाँ
  • 📥 Download Zone + टॉपर स्टाइल टिप्स
  • 🧠 FAQ Accordion (Student’s Questions Answered)

🔎 अनुक्रमणिका | Table of Contents


🔍 टॉपर उत्तर की प्रमुख विशेषताएँ

  • उत्तर में विषयानुसार शीर्षक, परिचय, उदाहरण, विश्लेषण और उपसंहार शामिल है।
  • शब्दों का चयन सरल, सटीक और प्रभावशाली है।
  • व्याकरणिक त्रुटियाँ नगण्य हैं।
  • लेखन शैली परीक्षा में समय को ध्यान में रखकर की गई है।
  • आखिर में प्रत्येक उत्तर छात्रों की सोच को परिष्कृत करता है।

🔰 टॉपर उत्तरपुस्तिका का महत्व

बोर्ड परीक्षाओं में उच्च अंक प्राप्त करने के लिए उत्तर लेखन शैली सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह टॉपर की उत्तरपुस्तिका इस बात का प्रमाण है कि सटीक प्रस्तुति, सुव्यवस्थित उत्तर और विषय की पकड़ कैसे छात्रों को दूसरों से अलग बनाती है।

यह उत्तरपुस्तिका राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (RBSE) द्वारा जारी की गई सर्वश्रेष्ठ कॉपियों में से एक है, जिसे Sarkari Service Prep™ ने छात्रों के हित में विश्लेषण सहित प्रस्तुत किया है।

💡 सुझाव: इस पोस्ट को अंत तक पढ़ें — आपको मिलेगा बोर्ड टॉपर बनने का सही प्रारूप, लेखन की आदतें, और पूर्ण PDF डाउनलोड सुविधा।

📝 विषय: हिंदी
कक्षा: 10वीं
माध्यम: राजस्थान बोर्ड टॉपर कॉपी (Scanned Images)
स्रोत: RBSE Official



📄 Page 1 – टॉपर कॉपी विश्लेषण (खंड-1)


📌 प्रमुख उत्तर:

  1. उपयुक्त गद्यांश का शीर्षक – कबीर: एक महान युगपुरुष
  2. कबीर का प्रभावशाली और निर्भीक व्यक्तित्व – उनके सुधारात्मक विचारों पर ज़ोर
  3. सभी धर्मों में समभाव और सामाजिक समरसता का संदेश
  4. भारतवासियों की निष्क्रियता पर आक्रोश और स्वतंत्रता हेतु प्रेरणा
  5. राष्ट्रभक्ति की आवश्यकता और नागरिकों की भूमिका
  6. धर्म व तलवार की सहायता से संघर्ष और आत्म-संवेदना का विश्लेषण

📝 उत्तर लेखन विश्लेषण:

  • उत्तर स्पष्ट, सीधे, और शीर्षक रेखांकित करके लिखा गया है
  • प्रत्येक उत्तर बिंदुवार और अनुच्छेदों में विभाजित है
  • भाषा सरल, सारगर्भित और बिना विषय से भटके प्रस्तुत की गई है

🎯 परीक्षा रणनीति टिप: टॉपर की तरह आप भी उत्तर की शुरुआत शीर्षक से करें। क्रमबद्ध बिंदु, उद्धरणयुक्त भाषा और संतुलित उत्तर आपकी कॉपी को श्रेष्ठ बनाते हैं। रेखांकित शीर्षक और अनुच्छेदों की स्पष्टता मूल्यवर्धन करती है।


📄 Page 2 – टॉपर कॉपी विश्लेषण (खंड-3)

📌 मुख्य प्रश्न:

  1. क्रिया की परिभाषा: किसी कार्य के होने, करने या होने की अवस्था को व्यक्त करने वाले शब्द को क्रिया कहते हैं। उदाहरण: चलना, पढ़ना, लिखना।
  2. क्रिया के भेद:
    • 1. अकर्मक क्रिया: जो क्रिया अपने फल को प्राप्त नहीं करती (जैसे – राम सोता है)।
    • 2. सकर्मक क्रिया: जो क्रिया अपने फल को प्राप्त करती है (जैसे – सीता पुस्तक पढ़ती है)।
  3. वाक्य विश्लेषण: "राधा ने मिठाई खाई।"
    • कारक ➝ कर्ता कारक (राधा), कर्म कारक (मिठाई)
    • काल ➝ पूर्ण भूतकाल
    • वाच्य ➝ कर्तृवाच्य

📝 उत्तर लेखन विश्लेषण:

  • उत्तर बहुत सुव्यवस्थित, क्रमबद्ध और सटीक परिभाषा के साथ प्रस्तुत किया गया है।
  • वाक्य विश्लेषण टेबलनुमा शैली में लिखा गया है जिससे परीक्षक को शीघ्र समझ आता है।
  • अलग-अलग उपविषयों के अंतर्गत उपयुक्त उदाहरण दिए गए हैं।

🎯 परीक्षा रणनीति टिप: व्याकरण विषय में टॉपर जैसी प्रस्तुति के लिए संक्षिप्त परिभाषा + उदाहरण + स्वरूप स्पष्टता का तीन-स्तरीय फार्मूला अपनाएँ। यह आपके अंकों को सुनिश्चित करता है।


📄 Page 3 – टॉपर कॉपी विश्लेषण (समास + मुहावरे + लोकोक्तियाँ)

📌 प्रमुख प्रश्न:

  1. बहुव्रीहि समास:
  2. वह समास जिसमें पूर्व पद और उत्तर पद दोनों ही प्रधान नहीं होकर किसी तीसरे पद की विशेषता प्रकट करते हैं।

    उदाहरण:

    • दशानन – दस मुख वाला (रावण)
    • लंबोदर – लंबा उदर (गणेश)
    • त्रिलोचन – तीन नेत्रों वाला (शिव)
    • मृगनयन – मृग जैसे नेत्रों वाला
    • पितामह – पिताओं का पिता (ब्रह्मा)
  3. मुहावरे:
    • धोनी ने कपड़े अच्छे धोए – अच्छा कार्य करना
    • सुखमा फूल के पंखुड़ी जैसे थे – सुंदरता की उपमा
  4. लोकोक्तियाँ:
    • कड़ाही में तेल निकलना – निरर्थक प्रयास करना
    • अपने की बाली होना – एकदम पास होना

📝 उत्तर लेखन शैली:

  • उत्तर को क्रमवार और बिंदुवार प्रस्तुत किया गया है।
  • प्रत्येक समास के साथ स्पष्ट उदाहरण दर्शाए गए हैं।
  • मुहावरों और लोकोक्तियों में उचित रेखांकन और अर्थ-संकेत मौजूद हैं।

🎯 परीक्षा टिप्स: समास और मुहावरे के प्रश्नों में रटने की बजाय तर्क के साथ उदाहरण याद रखें। उत्तर संक्षिप्त, स्पष्ट और सुंदर लेखन शैली में होना चाहिए।


📄 Page 4 – पद्यांश व्याख्या (शीत को चित्रित करें)

📌 प्रश्न: प्रस्तुत पद्यांश ‘शीतोत्सव’ (RBSE कक्षा 10) से लिया गया है। इसमें कवि ने अत्यधिक ठंडी के प्रभाव और वातावरण का प्रभावशाली चित्रण किया है।

📝 व्याख्या:

  • कवि शीत के प्रभाव को एक संगठित सेना के रूप में प्रस्तुत करता है जो ठंडी हवाओं के रूप में वातावरण को नियंत्रित कर रही है।
  • शीतलता का इतना तीव्र प्रभाव है कि सूर्य भी अपनी गरिमा खोता प्रतीत होता है।
  • ठंडी हवाओं से जनजीवन प्रभावित होता है – लोग घरों में बंद रहते हैं और शरीर में कंपन होने लगता है।
  • कवि ने इस वातावरण को मानवीय भावनाओं के साथ जोड़कर, मानो शीत भी एक योद्धा है जो सेना लेकर अटैक कर रहा हो।

🔍 विशेषताएँ:

  1. शीत को सेनापति के रूप में चित्रित किया गया है – रूपक और मानवीकरण अलंकार का सुंदर प्रयोग।
  2. उदाहरण: “पसीने की बूँदें” में अनुप्रास अलंकार स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
  3. “मानो शीत जानी” में उपेक्षा अलंकार
  4. काव्य में भव्यता व संवेगात्मक प्रस्तुति की प्रधानता है।
  5. कवि ने तार्किक रूप व सार्थक संकेत का सुंदर प्रयोग किया है।

🎯 परीक्षा टिप्स: व्याख्या करते समय भाव, भाषा, अलंकार और वातावरण की गहराई को दिखाएँ। अंत में विशेषताएँ अवश्य जोड़ें।


📄 Page 5 – पद्यांश की विशेषताएँ




🔍 विशेष बिंदु:

  • कवि ने शीत को सेनापति सिद्ध करने के लिए संगठक रूपकमानवीकरण अलंकार का सुंदर प्रयोग किया है।
  • “पसीना पानी” और “व्यक्तियों की घाँस” में अनुप्रास अलंकार दिखाई देता है।
  • “मानो शीत जानी” में उपेक्षा अलंकार
  • भव्य वातावरण व ठंड के तीव्र प्रभाव की प्रधानता है।
  • काव्य में तार्किक संकेत, अनुप्रास, उपमा का प्रभावी समावेश है।

📖 Page 6 – गद्यांश व्याख्या: “मियाँ दूरे”

📌 प्रसंग: यह अंश ‘निर्मला’ उपन्यास के प्रसिद्ध लेखक मुंशी प्रेमचंद द्वारा रचित है। यह कक्षा 11 हिंदी – गद्य खंड का हिस्सा है। इसमें मियाँ दूरे के चरित्र का चित्रण है।

📝 व्याख्या: प्रेमचंद ने मियाँ दूरे को एक संवेदनशील, परिश्रमी और अपने काम के प्रति समर्पित चरित्र के रूप में प्रस्तुत किया है।

  • मियाँ दूरे को मिली ज़िम्मेदारी को वे पूरी निष्ठा और गंभीरता से निभाते हैं।
  • कचहरी के आदेश पर लकड़ी की एक पट्टी को दो कील से ठोकते समय उनकी भावनात्मक गहराई उजागर होती है।
  • वे आदेशपाल हैं लेकिन अपने कर्तव्य को आत्मिक दृष्टि से निभाते हैं।

🎯 परीक्षा उपयोगी संकेत: “मियाँ दूरे” का विश्लेषण करते समय उनकी कर्तव्यनिष्ठा, भावनात्मकता, आत्मबल और ईमानदारी को जरूर रेखांकित करें।


📖 Page 6 – मियाँ दूरे (गद्यांश) – समापन

मियाँ दूरे का चरित्र प्रेमचंद ने अत्यंत करुणा और कर्तव्यबोध से युक्त दर्शाया है। जब कचहरी में लकड़ी की पट्टी पर लिखना होता है तो दूरे का मन भावुक हो उठता है। वे न्यायप्रियता और संवेदनशीलता का परिचय देते हैं।

केस की गंभीरता को देखकर दूरे के भीतर एक बेचैनी जागती है और वह अत्यंत संयमपूर्वक कार्य करता है। लेकिन मानसिक बोझ व वृद्धावस्था के कारण वे गिर पड़ते हैं और उनकी मृत्यु हो जाती है।

📝 विशेष बिंदु:

  • भाषा में सरलता और मार्मिकता है।
  • दूरे की मृत्यु कर्तव्य निष्ठा और भावनात्मक गहराई को दर्शाती है।
  • भाषा-शैली प्रभावशाली एवं वर्णन सजीव है।

🏹 Page 6 – जनक दरबार: शिव धनुष तोड़ प्रसंग

यह अंश रामायण से लिया गया है जहाँ पर शिव धनुष तोड़ने हेतु राम, लक्ष्मण, परशुराम के संवाद प्रस्तुत हैं। जनक दरबार में शिव धनुष को तोड़ने वाला कार्य राम द्वारा होता है।

📜 कथा सार: राम ने बिना अभिमान के विनम्रता से कहा कि यदि यह कार्य मेरे किसी दोष का निवारण करता है तो कृपया आदेश दें। परशुराम ने क्रोध में प्रतिक्रिया दी।

लक्ष्मण ने परशुराम की उपेक्षा और व्यंग्य के माध्यम से उनकी परीक्षा और विवेक का संकेत दिया। संवादों में हास्य, व्यंग्य और वीरता का सुंदर संगम दिखाई देता है।

🎯 परीक्षा उपयोगी संकेत:

  • लक्ष्मण के वाक्य – शौर्य और विनोद से युक्त।
  • राम – शालीन, विनम्र और मर्यादित।
  • परशुराम – वीर, गर्वीले लेकिन अंत में यथार्थवादी।

⚔️ Page 7 – परशुराम संवाद (भाग 2)

परशुराम जब शिव धनुष टूटने की बात पर क्रोधित हो उठते हैं, तब लक्ष्मण अत्यंत विनोदी शैली में व्यंग्यात्मक उत्तर देते हैं। यह संवाद रामायण का अत्यंत रोचक और प्रसिद्ध भाग है।

📜 मुख्य घटनाएँ:

  • परशुराम का शिव धनुष टूटने पर क्रोध।
  • लक्ष्मण द्वारा व्यंग्य – "शब्दों से शस्त्र की चोट"।
  • राम का मधुर संवाद – संतुलन और मर्यादा का परिचय।
  • परशुराम का अंत में शांत हो जाना और राम की वीरता को स्वीकार करना।

📚 उदाहरण:

"लखन उतर आयुध सरिस धुनुष कोपु छायउ
बड़त देव जल सम जम जम बोलत बचन बिनयु बलायउ"

➡️ यह संवाद रामचरितमानस की सबसे मार्मिक व वीर रस से युक्त घटनाओं में गिना जाता है।


🧘 Page 7 – संत पीपा का जीवन परिचय

संत पीपा का जन्म खींवी राज्य (वर्तमान राजस्थान) में राजा के पुत्र के रूप में हुआ। वे 1390 ई. के आसपास जन्मे। बचपन में ही राज्य के उत्तराधिकारी बने।

🌿 आध्यात्मिक यात्रा:

  • राजपाट छोड़कर भक्ति मार्ग अपनाया।
  • गुरु रैदास व संत रामानंद के संपर्क में आए।
  • कवि व संत दोनों रूपों में प्रसिद्ध।

वे निर्गुण भक्ति के महान प्रवर्तकों में माने जाते हैं। संत पीपा का जीवन त्याग, साधना और समाज सेवा का अनुपम उदाहरण है।

📝 परीक्षा उपयोगी बिंदु:

  • राजा से संत बनने की प्रेरणादायक यात्रा।
  • संत परंपरा में समरसता और एकता का संदेश।
  • राजस्थान से संबंध – RPSC/Board के लिए महत्वपूर्ण।

🙏 Page 8 – संत पीपा की निर्गुण भक्ति यात्रा

राजा से संत बने संत पीपा ने सम्पूर्ण राजपाट त्याग कर निर्गुण भक्ति मार्ग को अपनाया। वे संत रैदास और रामानंद के शिष्य बने तथा जात-पांत और सामाजिक भेदभाव का विरोध किया।

📌 प्रमुख विशेषताएँ:

  • कोई विशेष ग्रंथ नहीं, लेकिन उनके भजन वाणी संग्रहों में उपलब्ध।
  • संत पीपा की वाणी में सामाजिक समता, निर्गुण भक्ति और अध्यात्म का समावेश।
  • उन्होंने कहा:
    "कायदे देवा कायदे दीप
    कायदे जन्मन जाति,
    कायदे दीप नाहीं बले,
    कायदे पूजत जाति!"
  • यह पंक्तियाँ वर्ण-व्यवस्था के विरोध और मानवतावादी सोच को उजागर करती हैं।

🧠 परीक्षा उपयोगी:

  • Rajasthan Board और RPSC में संत पीपा से संबंधित प्रश्न आते रहे हैं।
  • विशेषकर सामाजिक समता और भक्ति पर उनका योगदान परीक्षा में पूछे जाने योग्य है।

🧡 Page 8 – गोपियाँ और मधुर उपमा

गोपियों की रूप माधुरी का वर्णन करते हुए कवि ने दर्शाया कि वे अपने प्रियतम श्रीकृष्ण के सौंदर्य से इतनी प्रभावित थीं कि वे स्वयं मधुमक्खियाँ बन गईं।

📚 उदाहरण:

जिस शब्द पर आश्रय मधुमक्खियाँ उसी शब्द से बाहर नहीं निकल पातीं। उसी प्रकार गोपियाँ श्रीकृष्ण के सौंदर्य पर आसक्त हो गईं।

🔍 अर्थ: यह एक रूप-सौंदर्य और भक्ति का सुंदर मिश्रण है, जहाँ कवि ने रूपक के माध्यम से भावों की गहराई को दर्शाया है।

📖 अतिरिक्त बिंदु:

  • यह प्रश्न हिंदी कक्षा 10 में साहित्य खंड के अंतर्गत आता है।
  • कवि का उद्देश्य – ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण की भावना।

🌿 Page 9 – कविता 'कल और ग्राम' का विवेचन

'कल और ग्राम' कविता में नीरज ने ग्रामीण भारत की खेती और ऋतुओं के चक्र को अत्यंत सुंदरता से प्रस्तुत किया है। कवि ने गर्मी, वर्षा और वसंत ऋतु की स्थितियों को जीवन्त चित्रों के माध्यम से वर्णित किया है।

🌀 प्रमुख बिंदु:

  • कविता में ग्रीष्म ऋतु की तपन और किसानों की दिनचर्या का चित्रण।
  • वर्षा के आगमन से प्रकृति में उल्लास और फसलों का जीवन चक्र।
  • वर्षा के बाद वसंत ऋतु का उत्सव और धरती की नवीनता।

📚 परीक्षा उपयोगी: काव्य-रूप में ऋतु परिवर्तन का प्रतीकात्मक और सौंदर्यपरक वर्णन, जो RPSC व बोर्ड परीक्षा दोनों में उपयोगी है।


👩‍👧 Page 9 – 'कन्यादान' कविता का भाव

'कन्यादान' कविता में कविता की माँ अपनी बेटी को सशक्त जीवन की तैयारी दे रही है। वह उसे केवल विवाह के लिए नहीं, बल्कि नवीन जीवन दर्शन के लिए तैयार कर रही है।

📝 मुख्य बिंदु:

  • माँ द्वारा बेटी को समाज में सशक्त, आत्मनिर्भर, विवेकशील बनने की सीख।
  • जीवन की सच्चाइयों से अवगत कराना – परंपरा से ऊपर उठना।
  • कविता में कोई रूढ़िवादी भाव नहीं – बल्कि प्रगतिशील नारी दृष्टिकोण

📖 परीक्षा उपयोगी:

  • यह प्रश्न CBSE/RBSE कक्षा 10 की पाठ्यपुस्तक में शामिल है।
  • नारी-सशक्तिकरण पर निबंध, पत्र, भाषण आदि में भी उदाहरण के रूप में उपयोगी।

✍️ निबंध "एक अद्भुत सपना" की भाषा शैली

'एक अद्भुत सपना' निबंध भारतेंदु हरिश्चन्द्र द्वारा लिखा गया है, जो आधुनिक हिंदी गद्य विधा के प्रवर्तक माने जाते हैं। इस निबंध की भाषा-शैली दो भागों में विश्लेषित की जा सकती है:

🧠 (1) विचारात्मक शैली:

निबंध में लेखक ने गहराई से चिंतन करते हुए कहा – "फिर सोचा क्यों न एक स्वप्न बनाकर पाठकों को हँसाया जाए"। इस शैली में लेखक की दार्शनिक सोच और तार्किक दृष्टिकोण स्पष्ट होता है।

😂 (2) व्यंग्यात्मक शैली:

हरिश्चन्द्र अपनी शैली में कटाक्ष और व्यंग्य का प्रभावी उपयोग करते हैं – "इतना धन हाथ लगते ही इस पीढ़ियों तक काम आ जाएगा" जैसी पंक्तियाँ हास्य का वातावरण बनाती हैं।

लेखक ने भाषा में सरलता, व्यंग्य, भावप्रवणता और प्रभावशाली प्रस्तुति के सभी तत्त्वों को सफलतापूर्वक अपनाया है।

📚 परीक्षा उपयोगी बिंदु:

  • भारतेंदु हरिश्चन्द्र की भाषा शैली = पठनगम्य + व्यंग्यात्मक
  • UP Board, RBSE, RPSC में भाषा शैली पर अक्सर प्रश्न पूछे जाते हैं

🐄 "गौरा संस्मरण" – महादेवी वर्मा की संवेदना


महादेवी वर्मा ने अपने संस्मरण 'गौरा' में एक सुंदर, आकर्षक एवं दुःखद गाय का चित्र प्रस्तुत किया है।

🖋️ मुख्य भाव:

  • गौरा एक दूधारू, सुंदर व मासूम गाय थी।
  • लेखिका ने गौरा की निष्ठा, त्याग और मौन पीड़ा को अत्यंत मार्मिक शैली में प्रस्तुत किया है।
  • गौरा संवेदनशीलता और करुणा का प्रतीक है।

📖 परीक्षा उपयोगी:

  • CBSE-RBSE में कक्षा 10 के लिए बेहद महत्वपूर्ण
  • साहित्य में पशु संवेदना, पशु-प्रेम पर आधारित निबंध में उपयोगी उदाहरण

🐄 गौरा की मृत्यु का चित्रण – महादेवी वर्मा

महादेवी वर्मा की करुणा भरी भाषा में गौरा गाय की मृत्यु को मार्मिक रूप में प्रस्तुत किया गया है। लेखिका ने जब देखा कि गौरा दूध नहीं दे रही है तो मजबूरी में गौशाला के कर्मचारी ने उसे कसाई को बेचने के लिए तैयार कर दिया।

👉 घटनाक्रम:

  • गौरा की स्थिति बिगड़ती गई
  • वह धीरे-धीरे मृत्यु की ओर अग्रसर हुई
  • गंभीर अस्वस्थता, कमजोरी व दर्द के बावजूद गौरा ने लेखिका की ओर करुणा से देखा

लेखिका ने करुणा, आत्मग्लानि व पशु-संवेदना


📘 'इदगाह' – प्रेमचन्द की बाल मनोविज्ञान पर आधारित कहानी

मुनशी प्रेमचन्द द्वारा लिखित 'इदगाह' एक अत्यंत प्रसिद्ध बाल-कहानी है जो मुख्यतः हामिद नामक बालक के त्याग, बुद्धिमत्ता और भावनात्मक परिपक्वता को दर्शाती है।

🎯 प्रमुख बिंदु:

  • हामिद के पास केवल तीन पैसे थे
  • दूसरे बच्चों ने खिलौने खरीदे, लेकिन हामिद ने अपनी दादी के लिए चिमटा खरीदा
  • यह चिमटा उसकी दादी की जलने की पीड़ा से बचाने का एक प्रतीक है

📚 परीक्षा उपयोगी तथ्य:

  • बाल मनोविज्ञान पर आधारित श्रेष्ठ उदाहरण
  • CBSE, RBSE कक्षा 6–10 में अनिवार्य प्रश्न
  • नैतिक शिक्षा के लिए उपयुक्त कहानी

🎵 यान्त्रिक युग में संगीत – 'सुर-यंत्र-प्रभाव'

संगीत के क्षेत्र में वैज्ञानिक उपकरणों और तकनीक (यंत्रों) ने क्रांति ला दी है। लेखक ने यह स्पष्ट किया है कि:

  • आज के युग में रेडियो, टेलीविजन, माइक
  • स्वर की गुणवत्ता और ध्वनि की तीव्रता में तकनीकी सुधार आया है
  • यान्त्रिक संगीत ने भावनात्मक संप्रेषण और समवेत आनंद

💡 परीक्षा उपयोगी: तकनीक और कला के समन्वय पर निबंध लेखन या नुक्ताचीनी में इस विषय का उपयोग करें।


🌺 मातृ वंदना – सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'

यह कविता कवि सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' द्वारा रचित है। इसमें भारत माता के प्रति अपार भक्ति एवं समर्पण का भाव प्रकट किया गया है।

🎯 प्रमुख विशेषताएँ:

  • देशप्रेम से ओत-प्रोत रचना
  • कवि का संदेश: अपने मन, शरीर, आत्मा से भारत की सेवा करें
  • सभी फल भारत माता के चरणों में अर्पण करें

🧕 'आखिरी सलाह' – कस्तूरबा गांधी की आध्यात्मिक प्रेरणा

मोहन् बाबू (महात्मा गांधी) की पत्नी कस्तूरबा गांधी का वर्णन इस निबंध में किया गया है। जब वह अंतिम समय में थीं, उन्होंने परिवार व राष्ट्र दोनों के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को निभाया।

💡 उल्लेखनीय तथ्य:

  • कस्तूरबा गांधी ने मृत्यु के समय अपने पुत्रों को आध्यात्मिक सलाह दी
  • उन्होंने मोहनदास को हमेशा सत्य और सेवा पर चलने की प्रेरणा दी
  • उनके विचारों में 'त्याग' और 'कर्तव्य' का उच्च स्थान था

🧠 दादा भाई नैरोजी – आदर्श उपदेश

उन्होंने कहा कि दूसरों की निंदा करने वाले व्यक्ति न तो स्वयं का विकास कर सकते हैं और न ही समाज में सम्मान प्राप्त कर सकते हैं।

👉 उन्होंने "कर्म, विनम्रता, आत्म-निरीक्षण और सेवा" पर बल दिया।


📜 तुलसीदास – जीवन परिचय

रामभक्त कवि तुलसीदास का जन्म विक्रम संवत 1589 में उत्तरप्रदेश के बांदा जिले के राजापुर गांव में हुआ।

मुख्य बिंदु:

  • पिता: आत्माराम दुबे, माता: हुलसी देवी
  • जन्म के समय शगुन अशुभ मानने के कारण माता-पिता ने त्याग दिया
  • बचपन दासी 'चुनिया' के पास बीता

👉 अगले भाग में हम तुलसीदास की शिक्षा और रचनाएं देखेंगे।

📄 पेज संख्या: 12


📜 तुलसीदास – जीवन और रचनाएँ

तुलसीदास को बचपन में माता-पिता ने त्याग दिया था। उनका पालन-पोषण चुनिया नामक दासी ने किया।

  • गुरु का नाम – नरहरिदास
  • पत्नी का नाम – रत्नावली
  • पत्नी के वचन से वैराग्य प्राप्त हुआ

➡ उन्होंने जीवन भर श्रीराम भक्ति में रचनाएँ की।

मृत्यु: संवत् 1680 में, गंगा नदी के किनारे असि घाट पर।

📚 प्रमुख कृतियाँ:

  • रामचरितमानस
  • रामललानहछू
  • रामाज्ञाप्रश्न
  • बरवै रामायण
  • जानकीमंगल
  • पार्वती मंगल
  • विनय पत्रिका
  • कवितावली
  • गीतावली
  • हनुमान चालीसा

✍️ मुंशी प्रेमचंद – हिंदी कथा सम्राट

जन्म: 1880, लमही ग्राम (वाराणसी)
मूल नाम: धनपत राय
पेन नेम: नवाब राय → प्रेमचंद

🌿 उन्होंने भारतीय समाज के यथार्थ को चित्रित किया। उनकी रचनाएँ सामाजिक सुधार की प्रेरणा देती हैं।

मृत्यु: सन् 1936 में

📚 प्रमुख कृतियाँ:

  • 📘 उपन्यास: गोदान, गबन, कर्मभूमि, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, सेवासदन
  • 🎭 नाटक: कर्बला, संग्राम
  • 📰 पत्रिकाएँ: माधुरी, हंस, जागरण

🌀 वाक्य संरचना में 'मुड़े' वाक्य पर निषेध

🔁 मुड़े वाक्य यानी गलत क्रम में रखे गए शब्दों को निषेधित किया गया है:

  1. सीधा व बाँये मुड़ना – ❌ निषेध
  2. आगे से दायें मुड़ना – ❌ निषेध
  3. किसी भी संकेत पर मुड़ना – ❌ निषेध
  4. आगे व पीछे दोनों तरफ मुड़ना – ❌ निषेध

📄 पेज संख्या: 13


🚰 राजस्थान में गहराता जल संकट

(i) प्रस्तावना:

“जल ही जीवन है”

जल पृथ्वी पर पाई जाने वाली एक ऐसी अनमोल वस्तु है जो प्रत्येक जीव के लिए अनिवार्य है। वैज्ञानिकों के अनुसार –

  • पृथ्वी पर 71% भाग जल से ढका है।
  • शुद्ध जल केवल 2.7% है।
  • मीठा जल उपयोग हेतु मात्र 0.3% है।

राजस्थान जैसे शुष्क और अर्ध-रेगिस्तानी राज्य में जल संकट और भी गंभीर रूप ले चुका है। कम वर्षा, अधिक तापमान, और भूजल का अत्यधिक दोहन मिलकर इस संकट को गहराते जा रहे हैं।

(ii) जल संकट के कारण:

“सर्वे स्वच्छ जल तमेव स्वस्थ कल्याणम्”
  • राजस्थान की भौगोलिक स्थिति – कम वर्षा क्षेत्र
  • भूजल का अत्यधिक दोहन
  • जल संरक्षण के प्रति जागरूकता की कमी
  • पारंपरिक जल स्त्रोतों की उपेक्षा
  • जल की व्यर्थ बर्बादी
  • मानसिकता की अनियमितता – जल को अनंत मानना

📄 पेज संख्या: 14


🚰 जल ही जीवन है।


(ii) जल संकट के कारण:

  • राजस्थान की भौगोलिक स्थिति के कारण यहाँ अत्यल्प वर्षा होती है।
  • जल संचयन परंपराएँ लुप्त हो चुकी हैं।
  • भूजल का अत्यधिक दोहन बिना पुनर्भरण के किया जाता है।
  • जल संरक्षण के प्रति जन-जागरूकता की कमी है।
  • पारंपरिक जल स्रोतों की उपेक्षा और क्षरण।
  • जल की व्यर्थ बर्बादी व अत्यधिक दोहन।
  • मानव-जन्य अनियंत्रितता – योजनाबद्ध उपयोग न होना।

उपरोक्त कारणों से राजस्थान में जल संकट एक गहरी समस्या बन गया है। केवल नीति निर्माण ही नहीं, जनभागीदारी और व्यवहार परिवर्तन अत्यंत आवश्यक है।

(iii) जल संकट के निराकरण के उपाय:

  1. जल संरक्षण ही समाधान है।
  2. राजस्थान सरकार द्वारा मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन योजना चलायी गई है, जिसके अंतर्गत 1,000 गाँवों तक जल संचयन की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है।
  3. सरकार और व्यक्तिगत स्तर पर आदर्श प्रयास अपेक्षित हैं।

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(iv) व्यक्तिगत प्रयास:

  • विभिन्न स्रोतों का आपस में जोड़ना व जन-जागरूकता फैलाना।
  • दूषित जल की व्यर्थ बर्बादी को रोकना।
  • जागरूकता अभियानों में भाग लेना।
  • घरों में पानी की अधिक बचत हेतु नलों की मरम्मत करना।
  • पारंपरिक जल स्रोतों का संरक्षण करना।
  • जल संचयन विधियों को विकसित करना।

यदि हर व्यक्ति अपने स्तर पर जल संरक्षण का प्रयास करे, तो जल संकट को निश्चित रूप से दूर किया जा सकता है।

🔚 उपसंहार:

जल जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है। जल का संरक्षण ही जीवन का संरक्षण है।
हमें यह प्रण लेना चाहिए कि हम हर स्तर पर प्रयास करेंगे और जल संरक्षण को अपनी आदत बनाएँगे
ऐसा करके हम न केवल वर्तमान पीढ़ी को, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी जल संकट से बचा पाएँगे।

📄 पेज संख्या: 16


शिकायत पत्र
विषय: विद्युत की नियमित व पर्याप्त पूर्ति हेतु शिकायत

सेवा में,
माननीय विद्युत अभियंता महोदय,
विद्युत कार्यालय,
जयपुर।

मान्यवर,

सविनय निवेदन है कि मैं ईशांत, निवासी लक्ष्मीनगर, जयपुर हूँ। हमारे क्षेत्र में पिछले कई दिनों से विद्युत आपूर्ति नियमित और पर्याप्त नहीं हो रही है जिससे आमजन को अनेक परेशानियाँ हो रही हैं।

विद्यार्थियों की पढ़ाई बाधित हो रही है, घरेलू कार्यों में परेशानी आ रही है, और व्यापारिक प्रतिष्ठान भी प्रभावित हो रहे हैं।

इस क्षेत्र की ओर विशेष ध्यान देते हुए आपसे निवेदन है कि विद्युत व्यवस्था को सुचारू रूप से संचालित किया जाए और आवश्यक सुधारात्मक कदम उठाए जाएँ।

आपकी कृपा होगी।

प्रार्थी:
ईशांत
लक्ष्मीनगर (जयपुर)
दिनांक: 17-03-18

📄 पेज संख्या: 17


📌 टॉपर जैसी उत्तर पुस्तिका कैसे लिखें?

  • हर उत्तर में शुरुआत, मुख्य बिंदु और निष्कर्ष अवश्य जोड़ें।
  • सही अनुच्छेद विभाजन करें।
  • उदाहरण और प्रसंगों का प्रयोग करें।
  • प्रश्नों को ध्यान से पढ़कर ही उत्तर लिखें।
  • समय का सही नियोजन करें – हर उत्तर को संतुलित समय दें।

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