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RPSC अल्टीमेट चैलेंज: 50 विशेषज्ञ-स्तरीय प्रश्न और उत्तर

RPSC अल्टीमेट चैलेंज: 50 विशेषज्ञ-स्तरीय प्रश्न और उत्तर 

दोस्तों, अब तक की हमारी यात्रा शानदार रही है। हमने सैकड़ों प्रश्नों और रणनीतियों पर काम किया है। यह इस श्रृंखला का अंतिम और सबसे चुनौतीपूर्ण भाग है। ये 50 प्रश्न आपकी तैयारी के शिखर का परीक्षण करेंगे। चलिए, देखते हैं कि आप इस 'फाइनल  लेवल' के लिए कितने तैयार हैं!


भाग 1: इतिहास और भूगोल का अंतर्संबंध

  1. प्रश्न: हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप की छापामार युद्धनीति की सफलता में उस क्षेत्र की भौगोलिक संरचना (तंग घाटियाँ, पहाड़ी इलाके) ने क्या भूमिका निभाई? विश्लेषण करें।
    उत्तर: हल्दीघाटी की तंग और जटिल घाटियों ने प्रताप की छोटी और स्थानीय भूगोल से परिचित सेना को मुगल सेना के विशाल लश्कर पर घात लगाकर हमला करने (Guerilla Warfare) का अवसर दिया। मुगल सेना अपने भारी तोपखाने और घुड़सवारों का प्रभावी ढंग से उपयोग नहीं कर सकी, जबकि प्रताप के सैनिक आसानी से पहाड़ियों में छिप जाते थे और पुनः आक्रमण करते थे।
  2. प्रश्न: 'आहड़ सभ्यता' का विकास आयड़/बेड़च नदी के किनारे ही क्यों हुआ? इसके पीछे के भौगोलिक और आर्थिक कारणों को स्पष्ट करें।
    उत्तर: भौगोलिक कारण नदी से जल की उपलब्धता और उपजाऊ भूमि थी। आर्थिक कारण यह था कि यह क्षेत्र तांबा उत्पादक क्षेत्रों (जैसे- राजसमंद, भीलवाड़ा) के निकट था, जिससे आहड़ तांबा गलाने और व्यापार का एक प्रमुख केंद्र बन सका।
  3. प्रश्न: "राजस्थान के अधिकांश दुर्ग किसी ऊँची पहाड़ी या पठार पर ही बनाए गए हैं।" इस कथन के पीछे के सामरिक (Strategic) और जल-प्रबंधन संबंधी कारणों का मूल्यांकन करें।
    उत्तर: सामरिक कारण ऊंचाई से शत्रु पर निगरानी रखना और सुरक्षा प्रदान करना था। जल-प्रबंधन की दृष्टि से, पहाड़ियों पर वर्षा जल को टांकों और तालाबों में संग्रहित करना आसान होता था, जिससे लंबी घेराबंदी के दौरान भी किले के अंदर पानी की कमी नहीं होती थी।
  4. प्रश्न: प्राचीन व्यापार मार्ग 'उत्तर पथ' का राजस्थान से गुजरने वाला हिस्सा किन प्रमुख भौगोलिक बाधाओं और अवसरों से प्रभावित होता था?
    उत्तर: मुख्य बाधा थार मरुस्थल की शुष्क और दुर्गम परिस्थितियाँ थीं। अवसर यह था कि अरावली के दर्रे (Passes) इस मार्ग को सुरक्षित और छोटा रास्ता प्रदान करते थे, जिससे यह मध्य एशिया और गुजरात के बंदरगाहों के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी बन गया।
  5. प्रश्न: चम्बल नदी के 'बीहड़' (Ravines) ने मध्यकाल में डाकुओं और विद्रोहियों के लिए एक सुरक्षित शरण स्थली के रूप में कैसे काम किया?
    उत्तर: चम्बल के बीहड़ अत्यंत ऊबड़-खाबड़ और गहरी घाटियों वाले क्षेत्र हैं, जो बाहरी सेनाओं के लिए लगभग अभेद्य थे। स्थानीय डाकू और विद्रोही इस भूगोल से परिचित थे और इसका उपयोग छिपने, घात लगाकर हमला करने और आसानी से बच निकलने के लिए करते थे।
  6. प्रश्न: 'कालीबंगा' के पतन का एक संभावित कारण घग्घर नदी का सूखना माना जाता है। इस 'नदी अपहरण' (River Piracy) की परिकल्पना को समझाएं।
    उत्तर: परिकल्पना यह है कि घग्घर (प्राचीन सरस्वती) की एक प्रमुख सहायक नदी (संभवतः यमुना) ने भूगर्भिक हलचलों के कारण अपना मार्ग बदल लिया और गंगा नदी प्रणाली में जा मिली। इससे सरस्वती नदी का प्रवाह सूख गया, जिससे कालीबंगा जैसी महान सभ्यता का पतन हो गया।
  7. प्रश्न: 'सांभर झील' के निकट शाकम्भरी (सांभर) के चौहान वंश के उदय का इस झील के आर्थिक महत्व से क्या संबंध था?
    उत्तर: सांभर झील प्राचीन काल से ही नमक उत्पादन का एक बहुत बड़ा केंद्र थी। नमक एक अत्यंत मूल्यवान व्यापारिक वस्तु थी। इस झील पर नियंत्रण ने चौहानों को एक मजबूत आर्थिक आधार प्रदान किया, जिससे वे अपनी सैन्य और राजनीतिक शक्ति का विस्तार कर सके।
  8. प्रश्न: 'कांतली नदी' के किनारे 'गणेश्वर सभ्यता' के ताम्र-उपकरण उद्योग का विकास क्यों हुआ?
    उत्तर: क्योंकि यह क्षेत्र 'खेतड़ी' की तांबे की खानों के बहुत निकट था। इससे गणेश्वर के लोगों को तांबा अयस्क आसानी से उपलब्ध हो जाता था, जिसे वे पिघलाकर उपकरण बनाते थे और हड़प्पा जैसी सभ्यताओं को निर्यात करते थे।
  9. प्रश्न: मेवाड़ के सिसोदिया शासकों ने अपनी राजधानियों (चित्तौड़, कुम्भलगढ़) के लिए अरावली के दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों को ही क्यों चुना?
    उत्तर: क्योंकि अरावली की पहाड़ियाँ दिल्ली और गुजरात के आक्रमणकारियों के विरुद्ध एक प्राकृतिक सुरक्षा कवच प्रदान करती थीं। इन दुर्गम किलों पर हमला करना और उन्हें जीतना बहुत मुश्किल था, जिससे मेवाड़ लंबे समय तक अपनी स्वतंत्रता बनाए रख सका।
  10. प्रश्न: 'रेगिस्तानीकरण' की प्रक्रिया ने प्राचीन 'सरस्वती-दृषद्वती' घाटी की उपजाऊ भूमि को धीरे-धीरे एक अनुत्पादक क्षेत्र में कैसे बदल दिया?
    उत्तर: जलवायु परिवर्तन और नदियों के सूखने से क्षेत्र में शुष्कता बढ़ी। पश्चिमी हवाओं द्वारा लाई गई रेत धीरे-धीरे उपजाऊ जलोढ़ मिट्टी पर जमा होती गई, जिससे कृषि योग्य भूमि बंजर हो गई और पूरी घाटी रेगिस्तान में परिवर्तित हो गई।

भाग 2: कला, साहित्य और समाज

  1. प्रश्न: 'पिछवाई' चित्रकला का विकास नाथद्वारा में ही क्यों हुआ? इसका श्रीनाथजी के 'स्वरूप' की अवधारणा से क्या संबंध है?
    उत्तर: जब औरंगजेब के काल में मूर्तियों को तोड़ा जा रहा था, तब श्रीनाथजी की मूर्ति को मथुरा से मेवाड़ (सिहाड़ गांव) लाया गया। पिछवाई चित्रकला का विकास मूर्ति के पीछे की दीवार को सजाने और कृष्ण लीलाओं का चित्रण करके भक्तों को कथा सुनाने की एक दृश्य-परंपरा के रूप में हुआ। यह 'स्वरूप' की सेवा का ही एक अंग है।
  2. प्रश्न: 'मारू-गुर्जर' स्थापत्य शैली की दो प्रमुख विशेषताएं क्या हैं और यह किन राजवंशों के संरक्षण में विकसित हुई?
    उत्तर: विशेषताएं हैं: (1) विस्तृत और बारीक नक्काशी वाले स्तंभ और तोरण। (2) सोपान (सीढ़ीदार) कुओं और तालाबों का निर्माण। यह मुख्य रूप से गुर्जर-प्रतिहार और सोलंकी राजवंशों के संरक्षण में विकसित हुई।
  3. प्रश्न: 'ढोला-मारू रा दूहा' में व्यक्त प्रेम कहानी तत्कालीन राजपूत समाज के किन सामाजिक मानदंडों (जैसे- बाल विवाह, बहुविवाह) पर प्रकाश डालती है?
    उत्तर: यह कृति 'बाल विवाह' की प्रथा को दर्शाती है (ढोला और मारू का विवाह बचपन में होता है)। साथ ही, ढोला का मालवणी से दूसरा विवाह 'बहुविवाह' की सामंती प्रथा पर भी प्रकाश डालता है।
  4. प्रश्न: राजस्थान में 'त्याग प्रथा' और 'डावरिया प्रथा' जैसी सामाजिक कुरीतियाँ सामंती व्यवस्था की देन कैसे थीं?
    उत्तर: 'त्याग प्रथा' में चारण-भाट अपनी बेटियों के विवाह पर राजपूत जागीरदारों से मुंहमांगी भेंट लेते थे, जो जागीरदार की प्रतिष्ठा का प्रतीक था। 'डावरिया प्रथा' में राजा-सामंत अपनी पुत्री के विवाह में दहेज के साथ कुंवारी कन्याएं भी भेजते थे। ये दोनों प्रथाएं सामंती समाज के शक्ति प्रदर्शन और झूठी शान से जुड़ी थीं।
  5. प्रश्न: 'रागमाला' पेंटिंग्स क्या हैं? ये मेवाड़ और कोटा शैली में किस प्रकार भिन्न रूप से चित्रित की गईं?
    उत्तर: रागमाला पेंटिंग्स भारतीय शास्त्रीय संगीत के विभिन्न 'रागों' और 'रागिनियों' का काव्यात्मक और चित्रात्मक रूपांतरण हैं। मेवाड़ शैली में इन्हें अधिक आध्यात्मिक और शांत भाव से चित्रित किया गया है, जबकि कोटा शैली में इन्हें अधिक जीवंत और श्रृंगारिक रूप में दर्शाया गया है।
  6. प्रश्न: 'राठी', 'नागौरी', 'थारपारकर' और 'कांकरेज' नस्लों का संबंध किस पशु से है और ये राजस्थान के किन भौगोलिक क्षेत्रों से जुड़ी हैं?
    उत्तर: ये सभी गाय की प्रमुख नस्लें हैं। 'राठी' (राजस्थान की कामधेनु) उत्तरी-पश्चिमी राजस्थान, 'नागौरी' नागौर क्षेत्र (हल जोतने के लिए प्रसिद्ध), 'थारपारकर' पश्चिमी सीमावर्ती क्षेत्र (बाड़मेर, जैसलमेर), और 'कांकरेज' दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र (जालौर, सिरोही) से जुड़ी हैं।
  7. प्रश्न: 'लोकनाट्य' की 'तुर्रा-कलंगी' शैली का विषय क्या है और इसके प्रवर्तक कौन थे?
    उत्तर: इसका विषय 'शिव' (तुर्रा) और 'शक्ति' (कलंगी) के बीच का दार्शनिक संवाद है। इसके प्रवर्तक तुकनगीर (शिव के पक्षधर) और शाह अली (शक्ति के पक्षधर) थे।
  8. प्रश्न: 'अचलदास खींची री वचनिका' में गागरोन के प्रथम साके का वर्णन है। यह किस साहित्यिक विधा में लिखी गई है?
    उत्तर: यह 'वचनिका' विधा में लिखी गई है, जो गद्य और पद्य मिश्रित राजस्थानी साहित्य की एक विशिष्ट शैली है।
  9. प्रश्न: राजस्थान में 'ब्लू पॉटरी' (Blue Pottery) का उद्गम कहाँ से माना जाता है और इसे जयपुर में किसके शासनकाल में प्रसिद्धि मिली?
    उत्तर: इसका उद्गम पर्शिया (ईरान) से माना जाता है जो लाहौर होते हुए भारत आई। इसे जयपुर में सवाई राम सिंह द्वितीय के शासनकाल में सर्वाधिक प्रसिद्धि और संरक्षण मिला।
  10. प्रश्न: 'पणिहारी' गीत का सामाजिक संदर्भ क्या है?
    उत्तर: यह एक लोकगीत है जिसमें एक राजस्थानी स्त्री कुएं से पानी भरकर लाते समय अपने पतिव्रता धर्म और सामाजिक मर्यादाओं का वर्णन करती है। यह गीत पानी की कमी और महिलाओं के दैनिक जीवन के संघर्ष को भी दर्शाता है।

भाग 3: अर्थव्यवस्था, प्रशासन और नीतियां

  1. प्रश्न: मध्यकालीन राजस्थान में 'भोम' और 'जागीर' भूमि अनुदान में क्या अंतर था?
    उत्तर: 'जागीर' भूमि राज्य की सेवा के बदले में दी जाती थी और इसे शासक वापस ले सकता था। 'भोम' भूमि किसी युद्ध में वीरता दिखाने या बलिदान देने के बदले दी जाती थी, यह वंशानुगत होती थी और इस पर शासक का हस्तक्षेप न्यूनतम होता था। भोम के स्वामी 'भोमिया' कहलाते थे।
  2. प्रश्न: 'इन्वेंटरी मैनेजमेंट सिस्टम (IMS)', जिसका उल्लेख एक पत्रिका में है, को लागू करने के पीछे शासन में पारदर्शिता लाने का क्या उद्देश्य है? इसे मध्यकालीन 'कोठार' व्यवस्था से तुलना करें।
    उत्तर: IMS का उद्देश्य सरकारी भंडारों के सामान (स्टॉक) की रीयल-टाइम ट्रैकिंग करके भ्रष्टाचार और बर्बादी को रोकना है। मध्यकालीन 'कोठार' (अन्न भंडार) व्यवस्था में भी रिकॉर्ड रखे जाते थे, लेकिन वे हस्तलिखित और गैर-पारदर्शी होते थे, जबकि IMS एक डिजिटल और पारदर्शी प्रणाली है।
  3. प्रश्न: 'गिरल लिग्नाइट थर्मल पावर प्लांट' की स्थापना किस देश के तकनीकी सहयोग से की गई है?
    उत्तर: जर्मनी के सहयोग से।
  4. प्रश्न: 'सेज़' (SEZ - Special Economic Zone) और 'ईपीआईपी' (EPIP - Export Promotion Industrial Park) में क्या मूलभूत अंतर है?
    उत्तर: 'सेज़' एक बहुत बड़ा क्षेत्र होता है जिसे व्यापार के लिए विदेशी क्षेत्र माना जाता है और यहाँ मुख्यतः निर्यात-उन्मुख इकाइयों के लिए करों में भारी छूट होती है। 'ईपीआईपी' एक छोटा औद्योगिक पार्क होता है जो केवल निर्यात को बढ़ावा देने के लिए आधारभूत सुविधाएं प्रदान करता है, इसमें कर छूट सेज़ जितनी व्यापक नहीं होती।
  5. प्रश्न: 'अंगरेखी' और 'बंडी' क्या हैं?
    उत्तर: ये पुरुषों द्वारा शरीर के ऊपरी भाग में पहने जाने वाले पारंपरिक राजस्थानी वस्त्र हैं।
  6. प्रश्न: 'सागड़ी प्रथा' क्या थी और इसे किस कानून द्वारा समाप्त किया गया?
    उत्तर: यह बंधुआ मजदूरी की एक प्रथा थी जिसमें कर्जदार व्यक्ति कर्ज चुकाने तक साहूकार के लिए बिना वेतन या कम वेतन पर काम करता था। इसे 'सागड़ी निवारण अधिनियम, 1961' द्वारा समाप्त किया गया।
  7. प्रश्न: 'दस्तक' और 'परवाना' में क्या प्रशासनिक अंतर था?
    उत्तर: 'दस्तक' एक प्रकार का व्यापारिक परमिट होता था जो कर-मुक्त व्यापार की अनुमति देता था। 'परवाना' शासक द्वारा जारी किया गया एक आधिकारिक आज्ञा-पत्र या सनद होती थी।
  8. प्रश्न: 'कर्नल डिक्सन' का नाम राजस्थान के किस शहर को बसाने से जुड़ा है?
    उत्तर: ब्यावर (अजमेर) शहर को।
  9. प्रश्न: राजस्थान में 'टसर' रेशम का विकास किन जिलों में किया जा रहा है?
    उत्तर: कोटा, उदयपुर और बांसवाड़ा जिलों में अर्जुन के पेड़ों पर।
  10. प्रश्न:- 'बर, शिवपुर, सूरा घाट' दर्रे किस जिले में स्थित हैं?
    उत्तर:- ये दर्रे ब्यावर जिले (पूर्व में पाली/अजमेर) में स्थित हैं।

भाग 4: पर्यावरण, संरक्षण और आंदोलन

  1. प्रश्न: बिश्नोई समुदाय के 'सांथरी' की अवधारणा आधुनिक 'कम्युनिटी कंजर्वेशन रिजर्व' की अवधारणा से किस प्रकार भिन्न और समान है?
    उत्तर: समानता यह है कि दोनों में समुदाय की भागीदारी से वन्यजीवों का संरक्षण होता है। भिन्नता यह है कि 'सांथरी' एक पारंपरिक, धार्मिक और नैतिक अवधारणा है, जबकि 'कम्युनिटी रिजर्व' एक कानूनी और सरकारी ढांचा है।
  2. प्रश्न: 'लांपिया' और 'ओरणी' किस प्रकार के संरक्षण से संबंधित हैं?
    उत्तर: ये दोनों ही पारंपरिक संरक्षण के रूप हैं। 'लांपिया' राष्ट्रीय पक्षी गोडावण को बचाने की एक संरक्षण विधि का नाम है। 'ओरण' (Oran) गांवों के आसपास स्थित पवित्र वन भूमि होती है जहाँ से लकड़ी काटना वर्जित होता है।
  3. प्रश्न: 'बेरी' या 'छोटी कुई' का निर्माण पश्चिमी राजस्थान में क्यों किया जाता है?
    उत्तर: क्योंकि यहाँ जिप्सम की एक कठोर परत (खड़ीन) के नीचे रिसा हुआ मीठा पानी जमा हो जाता है। उस पानी तक पहुँचने के लिए 5-6 मीटर गहरे और संकरे गड्ढे खोदे जाते हैं, जिन्हें बेरी या छोटी कुई कहते हैं।
  4. प्रश्न: 'खेजड़ली आंदोलन' और 'चिपको आंदोलन' में क्या वैचारिक समानता थी?
    उत्तर: दोनों आंदोलनों में मुख्य वैचारिक समानता यह थी कि लोगों ने पेड़ों को बचाने के लिए उनसे चिपककर अपने प्राणों की आहुति देने का संकल्प लिया था। दोनों ही आंदोलन पर्यावरण संरक्षण के लिए मानवीय बलिदान के प्रतीक हैं।
  5. प्रश्न: 'राष्ट्रीय झील संरक्षण कार्यक्रम' (NLCP) के अंतर्गत राजस्थान की कौन-सी झीलें शामिल हैं?
    उत्तर: इसके अंतर्गत पिछोला, फतहसागर (उदयपुर), आनासागर (अजमेर), पुष्कर (अजमेर), नक्की (माउंट आबू) और मानसागर (जयपुर) झीलें शामिल हैं।
  6. प्रश्न: 'मरुस्थलीकरण' के संदर्भ में 'हवा द्वारा अपरदन' (Wind Erosion) के तीन प्रकार कौनसे हैं?
    उत्तर: (1) अपवाहन (Deflation): हवा द्वारा सूखी और ढीली मिट्टी को उड़ा ले जाना। (2) अपघर्षण (Abrasion): हवा के साथ उड़ते रेत के कणों द्वारा चट्टानों को घिसना। (3) सन्निघर्षण (Attrition): हवा में उड़ते हुए रेत के कणों का आपस में टकराकर टूटना।
  7. प्रश्न: 'अरावली बचाओ आंदोलन' का मुख्य उद्देश्य क्या है?
    उत्तर: इसका मुख्य उद्देश्य अरावली क्षेत्र में हो रहे अवैध खनन, वनों की कटाई और अतिक्रमण को रोकना है ताकि अरावली के पारिस्थितिक तंत्र को बचाया जा सके।
  8. प्रश्न: 'मुकुंदरा हिल्स' को 'टाइगर रिजर्व' बनाने का मुख्य कारण क्या था?
    उत्तर: इसका मुख्य कारण रणथम्भौर और सरिस्का टाइगर रिजर्व पर बाघों का दबाव कम करना और उन्हें एक नया, सुरक्षित प्राकृतिक गलियारा (Corridor) प्रदान करना था।
  9. प्रश्न: 'कालीसिंध' और 'आहू' नदियों के संगम पर कौनसा प्रसिद्ध जल दुर्ग स्थित है?
    उत्तर: गागरोन का किला (झालावाड़)।
  10. प्रश्न: 'जाल' और 'पीलू' के वृक्ष राजस्थान के किस वन प्रकार की विशेषता हैं?
    उत्तर: ये शुष्क और कंटीले मरुस्थलीय वनों की विशेषता हैं।

भाग 5: विविध विशेषज्ञ-स्तरीय प्रश्न

  1. प्रश्न: RPSC Mains परीक्षा के लिए, 'राजस्थान में जल स्वावलंबन' पर एक निबंध की रूपरेखा तैयार करें, जिसमें प्राचीन जल संरक्षण विधियों से लेकर वर्तमान सरकारी योजनाओं तक का समावेश हो।
    उत्तर: रूपरेखा: (1) परिचय: राजस्थान की जल-संकट की समस्या। (2) प्राचीन ज्ञान: टांका, खड़ीन, जोहड़, नाड़ी जैसी पारंपरिक विधियों का वर्णन। (3) आधुनिक प्रयास: इंदिरा गांधी नहर, राजीव गांधी सिद्धमुख नहर परियोजना। (4) सरकारी योजनाएं: मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान, अटल भूजल योजना। (5) चुनौतियां: अति-दोहन, प्रदूषण। (6) निष्कर्ष: एकीकृत जल प्रबंधन की आवश्यकता।
  2. प्रश्न: "राजस्थान की हस्तकलाएं केवल कला नहीं, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण स्तंभ हैं।" इस कथन का मूल्यांकन करें।
    उत्तर: यह कथन सत्य है। हस्तकलाएं (जैसे- सांगानेरी प्रिंट, बंधेज, ब्लू पॉटरी) न केवल राजस्थान की सांस्कृतिक पहचान हैं, बल्कि ये कम लागत वाले, पर्यावरण-अनुकूल रोजगार का सृजन करती हैं। ये ग्रामीण क्षेत्रों में, विशेषकर महिलाओं के लिए आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं और कृषि पर निर्भरता को कम करती हैं।
  3. प्रश्न: 'गींदड़', 'चंग' और 'डांडिया' नृत्यों में क्या क्षेत्रीय और अवसर-संबंधी भिन्नता है?
    उत्तर: तीनों नृत्य होली के अवसर पर पुरुषों द्वारा किए जाते हैं। 'गींदड़' और 'चंग' मुख्य रूप से शेखावाटी क्षेत्र में किए जाते हैं, जिसमें घेरा बनाकर नृत्य होता है। 'डांडिया' मुख्य रूप से मारवाड़ (जोधपुर) क्षेत्र का है, जिसमें पुरुष डांडियों को टकराकर नृत्य करते हैं।
  4. प्रश्न: 'कर्नल जेम्स टॉड' को 'राजस्थान के इतिहास का पितामह' क्यों कहा जाता है, जबकि उनके लेखन में कई तथ्यात्मक त्रुटियाँ हैं?
    उत्तर: क्योंकि उन्होंने पहली बार बिखरे हुए ऐतिहासिक तथ्यों, शिलालेखों और ख्यातों को व्यवस्थित रूप से संकलित कर एक क्रमबद्ध इतिहास ('Annals and Antiquities of Rajasthan') लिखने का प्रयास किया। उन्होंने ही सबसे पहले इस क्षेत्र के लिए 'रायथान' या 'राजस्थान' शब्द का प्रयोग किया और सामंती व्यवस्था का विस्तृत विश्लेषण किया, जिसने भविष्य के इतिहासकारों के लिए एक आधार तैयार किया।
  5. प्रश्न: 'राजस्थानी भाषा' को संवैधानिक मान्यता न मिलने के पीछे क्या मुख्य राजनीतिक और सामाजिक कारण हैं?
    उत्तर: राजनीतिक कारण इच्छाशक्ति की कमी और इसे हिंदी की एक बोली मानने का तर्क है। सामाजिक कारण राजस्थानी की विभिन्न बोलियों (मारवाड़ी, मेवाड़ी, ढूंढाड़ी) में एकरूपता का अभाव और एक सर्वमान्य मानक लिपि और व्याकरण पर आम सहमति न बन पाना है।
  6. प्रश्न: 'पधारो म्हारे देस' राजस्थान पर्यटन का लोगो (Logo) है। यह राजस्थान की किस सांस्कृतिक विशेषता को दर्शाता है?
    उत्तर: यह राजस्थान की 'अतिथि देवो भव:' की भावना और मेहमाननवाजी की विश्व प्रसिद्ध परंपरा को दर्शाता है।
  7. प्रश्न: 'बजट' या 'भड़ालिया' कौन होते थे?
    उत्तर: ये वे व्यक्ति होते थे जो विवाह संबंधों को तय करवाने में मध्यस्थ की भूमिका निभाते थे।
  8. प्रश्न: 'ऊँट की खाल पर चित्रांकन' की कला क्या कहलाती है और यह कहाँ की प्रसिद्ध है?
    उत्तर: यह 'उस्ता कला' कहलाती है और यह बीकानेर की प्रसिद्ध है।
  9. प्रश्न: 'थेगड़ी' और 'थेड़ो' क्या हैं?
    उत्तर: ये भील पुरुषों द्वारा पहने जाने वाले वस्त्र हैं। 'थेगड़ी' या 'थेपड़ा' तंग धोती को और 'थेड़ो' सामान्य धोती को कहते हैं।
  10. प्रश्न: 'हाथीमना' नृत्य किस जनजाति द्वारा किया जाता है?
    उत्तर: यह भील जनजाति द्वारा विवाह के अवसर पर घुटनों के बल बैठकर किया जाने वाला नृत्य है।

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