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बौद्ध भिक्षुओं की यात्राएँ और बौद्ध धर्म का वैश्विक प्रसार – ऐतिहासिक दृष्टिकोण और प्रभाव

बौद्ध भिक्षुओं की यात्राएँ और बौद्ध धर्म का प्रसार – एक विस्तृत ऐतिहासिक अध्ययन

भूमिका

बौद्ध धर्म का प्रसार न केवल भारतीय उपमहाद्वीप तक सीमित रहा, बल्कि यह पूरे एशिया और उससे भी आगे तक पहुँचा। इस विस्तार में बौद्ध भिक्षुओं ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने विभिन्न देशों की यात्राएँ कीं, धर्म प्रचार किया और बौद्ध विचारधारा को व्यापक स्तर पर फैलाया।


बौद्ध भिक्षुओं की यात्राओं का महत्व

बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार में बौद्ध भिक्षुओं (Buddhist Monks) की यात्राएँ अत्यंत महत्वपूर्ण रही हैं। उन्होंने धर्म संदेश को दूर-दराज के क्षेत्रों में पहुँचाया और वहाँ की सांस्कृतिक धारा को प्रभावित किया। बौद्ध धर्म का प्रभाव भारत से लेकर चीन, जापान, तिब्बत, मंगोलिया और दक्षिण पूर्व एशिया तक देखा जा सकता है।


बौद्ध भिक्षुओं की प्रमुख यात्राएँ

बौद्ध भिक्षुओं ने अपनी यात्राओं के माध्यम से बौद्ध धर्म के सिद्धांतों को न केवल प्रचारित किया, बल्कि स्थानीय परंपराओं के साथ समन्वय भी स्थापित किया।

1. भारत से श्रीलंका

  • अशोक महान के पुत्र महेंद्र और पुत्री संघमित्रा ने तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में श्रीलंका की यात्रा की।
  • उन्होंने श्रीलंका के राजा देवनामपिय तिस्स (Devanampiya Tissa) को बौद्ध धर्म में परिवर्तित किया।
  • श्रीलंका में महाविहार (Mahavihara) और अभयगिरि विहार (Abhayagiri Vihara) जैसे प्रतिष्ठित बौद्ध केंद्र स्थापित हुए।

2. भारत से तिब्बत

  • बौद्ध धर्म की तिब्बत में यात्रा 7वीं शताब्दी में शुरू हुई।
  • भारतीय आचार्य पद्मसंभव और शांतिरक्षित ने तिब्बत जाकर बौद्ध धर्म का प्रचार किया।
  • तिब्बती सम्राट सोंग्त्सेन गम्पो (Songtsen Gampo) ने बौद्ध धर्म को अपनाया और ल्हासा में जोखांग मंदिर (Jokhang Temple) बनवाया।

3. भारत से चीन

  • बौद्ध धर्म का चीन में प्रसार प्रथम शताब्दी ईस्वी के दौरान हुआ।
  • भारतीय भिक्षु कुमारजीव (Kumārajīva) और बोधिधर्म (Bodhidharma) ने चीन में महायान बौद्ध धर्म का प्रचार किया।
  • प्रसिद्ध चीनी यात्री फ़ाह्यान (Faxian) और ह्वेनसांग (Xuanzang) ने भारत की यात्रा की और यहाँ से बौद्ध ग्रंथों को चीन ले गए।

4. भारत से जापान और कोरिया

  • बोधिधर्म (Bodhidharma) ने चीन और जापान में चान (Chan) या ज़ेन (Zen) बौद्ध धर्म की नींव रखी।
  • कोरिया में बौद्ध धर्म 4वीं शताब्दी में फैला और बाद में यह जापान पहुँचा।
  • जापान में नारा (Nara) और क्योटो (Kyoto) बौद्ध धर्म के महत्वपूर्ण केंद्र बने।

5. भारत से दक्षिण पूर्व एशिया

  • बौद्ध धर्म का प्रभाव म्यांमार, थाईलैंड, वियतनाम, कंबोडिया और लाओस में देखा जाता है।
  • इन देशों में स्थविरवाद (Theravāda) बौद्ध धर्म की शाखा प्रमुख रूप से फैली।

बौद्ध भिक्षुओं के प्रसार में प्रमुख योगदान

1. बौद्ध ग्रंथों का अनुवाद

  • कुमारजीव और ह्वेनसांग ने बौद्ध ग्रंथों का संस्कृत से चीनी भाषा में अनुवाद किया।
  • पालि और संस्कृत ग्रंथों को तिब्बती भाषा में भी अनूदित किया गया।

2. बौद्ध मठों (Monasteries) की स्थापना

  • तक्षशिला, नालंदा, विक्रमशिला और सोमपुरा जैसे बौद्ध महाविहारों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा के केंद्र के रूप में कार्य किया।
  • चीन में दूनहुआंग (Dunhuang) गुफाएँ और जापान में तोडाइजी (Tōdai-ji) जैसे प्रतिष्ठित बौद्ध केंद्र विकसित हुए।

3. व्यापारिक मार्गों का उपयोग

  • बौद्ध भिक्षुओं ने रेशम मार्ग (Silk Route) और समुद्री मार्गों का उपयोग करके धर्म प्रचार किया।
  • व्यापारियों और स्थानीय शासकों ने बौद्ध धर्म को अपनाया और इसे संरक्षित किया।

बौद्ध धर्म के वैश्विक प्रभाव

बौद्ध धर्म का वैश्विक प्रभाव अत्यंत व्यापक रहा है। यह न केवल धार्मिक स्तर पर बल्कि सांस्कृतिक, दार्शनिक और सामाजिक स्तर पर भी प्रभावी रहा।

1. कला और स्थापत्य पर प्रभाव

  • अजंता और एलोरा की गुफाएँ, बोरबोदुर (इंडोनेशिया), श्वेडागोन पगोडा (म्यांमार) और तिब्बती स्तूप बौद्ध वास्तुकला की उत्कृष्ट कृतियाँ हैं।

2. साहित्य और ग्रंथ

  • त्रिपिटक (Tripitaka), महायान सूत्र (Mahāyāna Sūtras) और बोधिसत्व सिद्धांत विभिन्न भाषाओं में अनूदित हुए।

3. सामाजिक प्रभाव

  • बौद्ध धर्म ने अहिंसा, करुणा और मैत्री की भावना को बढ़ावा दिया।
  • समाज में जाति प्रथा के विरुद्ध एक नई चेतना विकसित हुई।

4. आधुनिक युग में प्रभाव

  • 20वीं शताब्दी में डॉ. बी.आर. अंबेडकर ने बौद्ध धर्म अपनाया और दलित बौद्ध आंदोलन को बढ़ावा दिया।
  • आज भी बौद्ध धर्म दुनियाभर में लाखों अनुयायियों द्वारा अपनाया जाता है।

निष्कर्ष

बौद्ध भिक्षुओं की यात्राएँ बौद्ध धर्म के वैश्विक प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इन यात्राओं के माध्यम से बौद्ध धर्म ने न केवल धार्मिक रूप में बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक रूप में भी विभिन्न देशों की सभ्यता को प्रभावित किया। बौद्ध धर्म की यह यात्रा आज भी जारी है और इसकी शिक्षाएँ आधुनिक समाज के लिए प्रासंगिक बनी हुई हैं।


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