प्राचीन भारत के शिक्षा केंद्र: नालंदा, तक्षशिला और विक्रमशिला

# प्राचीन भारत के शिक्षा केंद्र: नालंदा, तक्षशिला और विक्रमशिला


🔹 प्रस्तावना

प्राचीन भारत में शिक्षा का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान था, जहाँ ज्ञान और विद्या के प्रसार के लिए कई प्रतिष्ठित शिक्षा केंद्र स्थापित किए गए थे। इनमें नालंदा, तक्षशिला, और विक्रमशिला विश्वविद्यालय प्रमुख थे, जो न केवल भारत में, बल्कि विश्वभर में शिक्षा और अनुसंधान के प्रमुख केंद्र थे।


🔸 तक्षशिला विश्वविद्यालय

1️⃣ स्थापना और स्थान

  • स्थान: वर्तमान पाकिस्तान के रावलपिंडी से लगभग 18 मील उत्तर में स्थित था।
  • स्थापना: लगभग 7वीं शताब्दी ईसा पूर्व में स्थापित, इसे विश्व का प्रथम विश्वविद्यालय माना जाता है।

2️⃣ शैक्षिक संरचना

  • विषय: वेद, वेदांत, व्याकरण, दर्शन, आयुर्वेद, ज्योतिष, शिल्पकला, युद्धकला, राजनीति, अर्थशास्त्र आदि।
  • प्रसिद्ध विद्वान: पाणिनी (व्याकरणाचार्य), चाणक्य (अर्थशास्त्री और राजनीतिज्ञ), जीवक (प्रसिद्ध चिकित्सक)।

3️⃣ विशेषताएँ

  • शिक्षण पद्धति: गुरुकुल प्रणाली, जहाँ विद्यार्थी आचार्यों के आश्रम में रहकर शिक्षा प्राप्त करते थे।
  • विद्यार्थी संख्या: लगभग 10,500 से अधिक छात्र विभिन्न विषयों का अध्ययन करते थे।

🔸 नालंदा विश्वविद्यालय

1️⃣ स्थापना और स्थान

  • स्थान: वर्तमान बिहार राज्य में, पटना से 95 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में स्थित।
  • स्थापना: लगभग 5वीं शताब्दी ईस्वी में गुप्त सम्राट कुमारगुप्त प्रथम द्वारा।

2️⃣ शैक्षिक संरचना

  • विषय: बौद्ध धर्म, वेद, व्याकरण, तर्कशास्त्र, चिकित्सा, गणित, योग, खगोलशास्त्र आदि।
  • पुस्तकालय: विशाल पुस्तकालय "धर्मगंज" में लाखों पांडुलिपियाँ संग्रहित थीं।

3️⃣ विशेषताएँ

  • विद्यार्थी संख्या: लगभग 10,000 छात्र और 2,000 शिक्षक।
  • अंतर्राष्ट्रीय ख्याति: चीन, कोरिया, जापान, तिब्बत, मंगोलिया, तुर्की आदि देशों से छात्र अध्ययन के लिए आते थे।

🔸 विक्रमशिला विश्वविद्यालय

1️⃣ स्थापना और स्थान

  • स्थान: वर्तमान बिहार राज्य के भागलपुर जिले में स्थित।
  • स्थापना: 8वीं शताब्दी ईस्वी में पाल वंश के राजा धर्मपाल द्वारा।

2️⃣ शैक्षिक संरचना

  • विषय: बौद्ध धर्म की वज्रयान शाखा, तंत्र, व्याकरण, तर्कशास्त्र, दर्शन, चिकित्सा आदि।
  • प्रसिद्ध विद्वान: अतीश दीपंकर, जिन्होंने तिब्बत में बौद्ध धर्म के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

3️⃣ विशेषताएँ

  • पुस्तकालय: समृद्ध पुस्तकालय जिसमें दुर्लभ पांडुलिपियाँ संग्रहित थीं।
  • अंतर्राष्ट्रीय संबंध: तिब्बत और अन्य देशों के साथ शैक्षिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान।

🔹 निष्कर्ष

नालंदा, तक्षशिला, और विक्रमशिला विश्वविद्यालय प्राचीन भारत की शिक्षा प्रणाली के स्तंभ थे, जिन्होंने ज्ञान, विज्ञान, और संस्कृति के प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इन शिक्षा केंद्रों की विरासत आज भी हमें प्रेरित करती है और भारतीय शिक्षा की गौरवशाली परंपरा का प्रतीक है।


📢 Sarkari Service Prep™ – टेलीग्राम ग्रुप से जुड़ें!

📌 सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे हैं? नवीनतम अपडेट, क्विज़ और स्टडी मटेरियल प्राप्त करें!

🔗 Join Now – Sarkari Service Prep™


🔗 स्रोत


यह आलेख शोध-आधारित है और प्राचीन भारत के शिक्षा केंद्रों की विस्तृत जानकारी प्रदान करता है। इसे साझा करें और ज्ञान के इस खजाने को सब तक पहुँचाएँ!


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

शाला दर्पण पोर्टल: कक्षा 6 से 11 तक लोकल परीक्षाओं का नया अंक विभाजन (2024–25)

Child Care Leave (CCL) for Teachers of Rajasthan – Complete Guide with Rules, Forms & Download Links

स्कूल सामग्री एवं आवश्यक कार्य रजिस्टर: विद्यालय व्यवस्थापन में एक क्रांतिकारी पहल