डिजिटल प्रवेशोत्सव 2025: राजकीय विद्यालयों की ओर एक सुनहरा कदम
प्रकाशन तिथि: 15 अप्रैल 2025 | स्थान: समस्त राजस्थान
प्रवेशोत्सव 2025 के नवाचार- आंगनवाड़ी से विद्यालय तक का समन्वय: अब 100% आंगनवाड़ी बच्चों का नामांकन सरकारी स्कूलों में सुनिश्चित।
- डिजिटल प्रवेशोत्सव: ऐप और पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन की आसान प्रक्रिया।
- अस्थायी प्रवेश प्रमाण पत्र: नामांकन के तुरंत बाद प्रमाण-पत्र प्राप्त करने की सुविधा।
राजकीय विद्यालयों की विशेषताएं: सम्पूर्ण शिक्षा, समग्र विकास
शैक्षणिक | सुविधाएं |
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निशुल्क पाठ्यपुस्तकें व कार्यपुस्तिकाएं | डिजिटल ई-शिक्षा सुविधाएं |
ABL और FLN शिक्षण: आनंदमय व समझ आधारित | दुर्घटना बीमा, छात्रवृत्ति, पोषाहार भोजन |
नामांकन कैसे करें?
राजकीय विद्यालयों में प्रवेश हेतु 15 अप्रैल 2025 से प्रवेश प्रारंभ होंगे। इच्छुक अभिभावक नजदीकी विद्यालय में जाकर अथवा शाला दर्पण पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
नवाचार की ओर एक कदम
- नियमित स्वास्थ्य परीक्षण और यूनिफॉर्म
- ऑनलाइन प्रमाण पत्र और आवेदन
- बच्चों के लिए सुरक्षित, समावेशी और आनंददायक वातावरण
आइए, अपने बच्चों का भविष्य संवारें!
आज ही नजदीकी राजकीय विद्यालय में नामांकन कराएं।
सरकारी स्रोत:
डिस्क्लेमर: यह जानकारी सार्वजनिक सरकारी दस्तावेजों व घोषणाओं के आधार पर प्रस्तुत की गई है। अधिकृत जानकारी के लिए संबंधित विभागीय वेबसाइट देखें।
ABL शिक्षण क्या है? (गतिविधि आधारित अधिगम)
ABL यानी Activity Based Learning का उद्देश्य है – बच्चों को पारंपरिक रटने की प्रवृत्ति से हटाकर, अनुभवात्मक और खोजपूर्ण तरीके से सीखने की ओर ले जाना। इस शिक्षण पद्धति में छात्र सूचना के निष्क्रिय प्राप्तकर्ता नहीं बल्कि सक्रिय सहभागी होते हैं।
- प्रमुख सिद्धांत: शिक्षा का केंद्र शिक्षक नहीं, बल्कि स्वयं विद्यार्थी होता है।
- शिक्षण पद्धति: कक्षा में विभिन्न शैक्षिक गतिविधियों, प्रयोगों, समूह कार्य और रचनात्मक अभ्यासों को शामिल किया जाता है।
- लाभ: सीखना अधिक स्थायी, आनंददायक और गहराई तक पहुँचने वाला बनता है।
- दृष्टिकोण: यह विधा "करते हुए सीखना" (Learning by Doing) पर आधारित है।
जब विद्यार्थियों को सोचने, खोजने और स्वयं उत्तर निकालने का अवसर मिलता है, तो वे न केवल अधिक सक्रिय सीखने वाले बनते हैं बल्कि उनमें आत्मविश्वास, तार्किकता और रचनात्मकता भी विकसित होती है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 ने भी ऐसी ही गतिविधि-आधारित, समावेशी और आनंदमयी शिक्षा को बढ़ावा देने की सिफारिश की है।
सरकारी पहल: राजस्थान सरकार द्वारा संचालित सरकारी विद्यालयों में ABL एवं FLN शिक्षण को प्राथमिकता दी जा रही है, जिससे बच्चों की नींव मजबूत हो और वे स्वाभाविक रूप से सीखने लगें।
📚 FLN शिक्षा (Foundational Literacy and Numeracy) – आधारशिला की मजबूती
FLN यानी बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान – शिक्षा की वह नींव है, जिस पर एक बच्चे का संपूर्ण शैक्षणिक विकास निर्भर करता है।
🔎 FLN क्या है?
- Foundational Literacy: पढ़ना और लिखना सीखना
- Foundational Numeracy: गणनात्मक सोच, जोड़-घटाव, अंकज्ञान
🌟 FLN की आवश्यकता क्यों?
नई शिक्षा नीति 2020 के अनुसार, अगर कोई बच्चा कक्षा 3 तक पढ़ने और गणना करने में दक्ष नहीं होता है, तो आगे चलकर वह बाकी विषयों को समझ नहीं पाता।
🎯 प्रमुख उद्देश्य:
- कक्षा 3 तक के सभी बच्चों को पढ़ने, लिखने व गणित में दक्ष बनाना
- भाषा और अंक ज्ञान में मजबूत आधार तैयार करना
- खोज-आधारित और गतिविधि-आधारित शिक्षा को बढ़ावा देना
🧩 FLN में होने वाली गतिविधियाँ:
- कहानी सुनाना, चित्र-पहचान
- संख्यात्मक खेल, वस्तु आधारित गणना
- समूह आधारित शिक्षण, स्थानीय परिवेश का उपयोग
📍 राजस्थान में FLN:
निपुण राजस्थान अभियान के तहत सभी स्कूलों में FLN लागू किया गया है।
- ABL शिक्षण के साथ FLN को जोड़ा गया
- शिक्षकों को FLN आधारित प्रशिक्षण दिया जा रहा है
🔗 सरकारी संसाधन:
📥 NIPUN Bharat Guidelines (Official PDF)
📝 निष्कर्ष:
“FLN वह चाबी है जो शिक्षा के हर द्वार को खोलती है।”
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