शतरंज की बिसात और गणित की अद्भुत शक्ति – एक राजा, एक मंत्री और एक असंभव उपहार
यह कहानी जितनी रोचक है, उतनी ही गणितीय ज्ञान से भरपूर भी है। आइए इसे भारतीय विद्यार्थियों की दृष्टि से बेहद सरल और प्रेरणादायक भाषा में समझते हैं।
कहानी की शुरुआत:
एक दिन एक ज्ञानी मंत्री ने राजा को उसकी समस्याओं से निकाल कर बहुत सहायता की। खुश होकर राजा ने कहा – "मांगी गई कोई भी चीज़ मैं तुम्हें उपहार में दूँगा।"
मंत्री ने मुस्कुराते हुए कहा – "महाराज! मुझे कुछ विशेष नहीं चाहिए। बस इतना कीजिए कि शतरंज की बिसात के पहले खाने में ₹1 रख दीजिए, दूसरे में ₹2, तीसरे में ₹4, फिर ₹8 और इसी प्रकार हर खाने में पिछले से दोगुना।"
राजा ने कहा – "बस इतनी-सी बात? ये तो कुछ भी नहीं!" लेकिन क्या वाकई में ये कुछ भी नहीं था?
शतरंज की बिसात और गणित:
- शतरंज की बिसात में कुल 64 खाने होते हैं।
- हर खाने में पिछले खाने से दोगुना राशि रखनी है।
- यह एक ज्यामितीय श्रेणी (Geometric Progression) है:
प्रथम पद (a) = ₹1
गुणन अनुपात (r) = 2
पदों की संख्या (n) = 64
योग का सूत्र:
S = a × (r^n – 1) / (r – 1)
अर्थात:
S = ₹1 × (2⁶⁴ – 1)
S = ₹18,446,744,073,709,551,615 (18 क्विंटलियन रुपए से भी अधिक!)
राजा को क्या महसूस हुआ?
राजा पहले तो मुस्कुराया, लेकिन जैसे ही उसके राजकोष के विद्वान गणना करने लगे, उसकी मुस्कान गायब हो गई। पूरे राज्य की दौलत भी मंत्री की मांग पूरी नहीं कर सकती थी!
सीखने के बिंदु (Learning Points):
- 1. किसी भी श्रृंखला का प्रभाव कैसे तेजी से बढ़ सकता है – यह गणित की ताकत है।
- 2. दोगुनी वृद्धि (exponential growth) को कभी हल्के में न लें।
- 3. समस्याएं बड़ी लगें तो उन्हें गणना से देखें – सच सामने होगा।
- 4. यह कहानी कंपाउंड इंटरेस्ट, डेटा साइंस और डिजिटल ग्रोथ जैसे विषयों की भी नींव है।
मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से:
हम सोचते हैं कि ₹1 से ₹2, फिर ₹4 – कुछ नहीं। लेकिन यही सोच निवेश, समय और ज्ञान में परिवर्तन ला सकती है। अगर आप हर दिन खुद में 1% सुधार करें, तो 64 दिन में आपकी क्षमता exponential हो सकती है।
इस कहानी से हम सीखते हैं कि गणित केवल किताबों तक सीमित नहीं, यह जीवन के हर क्षेत्र में है – सोचने से लेकर निर्णय लेने तक।
शतरंज की बिसात और गणित की अद्भुत शक्ति – एक राजा, एक मंत्री और एक असंभव उपहार
यह कहानी जितनी रोचक है, उतनी ही गणितीय ज्ञान से भरपूर भी है। आइए इसे भारतीय विद्यार्थियों की दृष्टि से बेहद सरल और प्रेरणादायक भाषा में समझते हैं।
कहानी की शुरुआत:
एक दिन एक ज्ञानी मंत्री ने राजा को उसकी समस्याओं से निकाल कर बहुत सहायता की। खुश होकर राजा ने कहा – "मांगी गई कोई भी चीज़ मैं तुम्हें उपहार में दूँगा।"
मंत्री ने मुस्कुराते हुए कहा – "महाराज! मुझे कुछ विशेष नहीं चाहिए। बस इतना कीजिए कि शतरंज की बिसात के पहले खाने में ₹1 रख दीजिए, दूसरे में ₹2, तीसरे में ₹4, फिर ₹8 और इसी प्रकार हर खाने में पिछले से दोगुना।"
राजा ने कहा – "बस इतनी-सी बात? ये तो कुछ भी नहीं!" लेकिन क्या वाकई में ये कुछ भी नहीं था?
शतरंज की बिसात और गणित:
- शतरंज की बिसात में कुल 64 खाने होते हैं।
- हर खाने में पिछले खाने से दोगुना राशि रखनी है।
- यह एक ज्यामितीय श्रेणी (Geometric Progression) है:
प्रथम पद (a) = ₹1
गुणन अनुपात (r) = 2
पदों की संख्या (n) = 64
योग का सूत्र:
S = a × (r^n – 1) / (r – 1)
अर्थात:
S = ₹1 × (2⁶⁴ – 1)
S = ₹18,446,744,073,709,551,615 (18 क्विंटलियन रुपए से भी अधिक!)
राजा को क्या महसूस हुआ?
राजा पहले तो मुस्कुराया, लेकिन जैसे ही उसके राजकोष के विद्वान गणना करने लगे, उसकी मुस्कान गायब हो गई। पूरे राज्य की दौलत भी मंत्री की मांग पूरी नहीं कर सकती थी!
सीखने के बिंदु (Learning Points):
- 1. किसी भी श्रृंखला का प्रभाव कैसे तेजी से बढ़ सकता है – यह गणित की ताकत है।
- 2. दोगुनी वृद्धि (exponential growth) को कभी हल्के में न लें।
- 3. समस्याएं बड़ी लगें तो उन्हें गणना से देखें – सच सामने होगा।
- 4. यह कहानी कंपाउंड इंटरेस्ट, डेटा साइंस और डिजिटल ग्रोथ जैसे विषयों की भी नींव है।
मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से:
हम सोचते हैं कि ₹1 से ₹2, फिर ₹4 – कुछ नहीं। लेकिन यही सोच निवेश, समय और ज्ञान में परिवर्तन ला सकती है। अगर आप हर दिन खुद में 1% सुधार करें, तो 64 दिन में आपकी क्षमता exponential हो सकती है।
इस कहानी से हम सीखते हैं कि गणित केवल किताबों तक सीमित नहीं, यह जीवन के हर क्षेत्र में है – सोचने से लेकर निर्णय लेने तक।
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