Prithviraj Chauhan: The Last Hindu Emperor Who Fought Till His Final Breath
पृथ्वीराज चौहान: अंतिम हिन्दू सम्राट जिन्होंने युद्धभूमि में नहीं, आत्मसम्मान में जीत दर्ज की
Explore the valor, politics, poetry, and pride of Rajputana through the life of Prithviraj Chauhan.
प्रस्तावना | Introduction
जब दिल्ली पर विदेशी सुल्तानों की नज़रें थीं, तब राजपूताना की भूमि पर एक शेर खड़ा था — पृथ्वीराज चौहान, जिसे इतिहास "अंतिम हिन्दू सम्राट" के रूप में जानता है। उनका जीवन शौर्य, साहित्य, प्रेम और प्रतिशोध का अद्भुत संगम है।
Prithviraj Chauhan was not only a ruler but a poet, a warrior, and a national symbol of the final stand of Indian sovereignty before centuries of invasion. His story lies between fact and legend, but his courage remains unquestioned.
"जिन्होंने आंखों से नहीं, सुनाई से लक्ष्य साधा — वो पृथ्वीराज थे!"
जीवन परिचय व वंश | Biography & Lineage
- जन्म: ~1166 ई., अजमेर (राजस्थान)
- पिता: सोमेश्वर चौहान
- वंश: चौहान वंश (अजयमेरु नरेश)
- राज्याभिषेक: ~1177 ई. को दिल्ली और अजमेर का अधिपति बने
He was the ruler of the Chahamana (Chauhan) dynasty who ruled from Ajmer and Delhi. He became king at a very young age and was trained in martial arts, statecraft, and poetry.
पृथ्वीराज बहुभाषी थे, वीर रस के कवि थे और स्वयं चंदबरदाई जैसे राजकवि के संरक्षक भी थे।
राज्य क्षेत्र और राजधानी | Territory, Capital & Map
पृथ्वीराज चौहान का साम्राज्य आज के राजस्थान, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और दिल्ली के बड़े हिस्सों में फैला था। उनकी मुख्य राजधानी अजमेर थी और दिल्ली का किला राय पिथौरा उनके द्वारा विस्तारित किया गया था।
His empire included strategic trade and military routes, making him a formidable power in North India before the Turkish invasions.
[Source: Wikimedia Commons]
प्राचीन स्रोत और प्रमाण | Ancient Sources & Evidence
पृथ्वीराज चौहान के जीवन से जुड़े प्रमुख ऐतिहासिक और साहित्यिक स्रोत:
- पृथ्वीराज रासो – चंदबरदाई द्वारा रचित (लोककाव्य पर आधारित)
- तबकात-ए-नासिरी – मुस्लिम इतिहासकार मिन्हाज-उस-सिराज
- हसन निज़ामी की तारीख-ए-मुबारकशाही
- फरिश्ता और ज़िया उद्दीन बरनी जैसे लेखकों का विवरण
While Prithviraj Raso adds romanticism and folklore, Muslim sources offer war details and socio-political context — both combined form the composite image of this legendary warrior.
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तराइन युद्ध: मोहम्मद गोरी से दो टक्करें | Battles of Tarain with Muhammad Ghori
12वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में भारत की सीमा पर एक तूफ़ान खड़ा हो रहा था — मोहम्मद गोरी (Shahabuddin Muhammad Ghori)। लेकिन उसकी राह में खड़ा था एक सिंह – पृथ्वीराज चौहान।
⚔️ प्रथम तराइन युद्ध (1191 ई.)
- स्थान: तराइन (वर्तमान हरियाणा के पास)
- घटना: मोहम्मद गोरी ने दिल्ली पर चढ़ाई की
- परिणाम: पृथ्वीराज ने गोरी को बुरी तरह हराया, घायल कर वापस भेजा
In the first battle of Tarain (1191), Prithviraj’s cavalry-led Rajput army defeated Muhammad Ghori’s army decisively. Ghori was wounded and retreated in humiliation.
⚔️ द्वितीय तराइन युद्ध (1192 ई.)
- घटना: गोरी ने धोखे से राजपूतों पर रात को हमला किया
- पृथ्वीराज की सेना थकी हुई और बिखरी थी
- परिणाम: गोरी ने विजय पाई, पृथ्वीराज बंदी बने
Despite warnings, the Rajput confederacy was not battle-ready. Ghori attacked at dawn using Turkish archers and cavalry. This battle altered Indian history as Delhi fell to invaders.
"जो युद्ध जीत चुका था, वही युद्ध भावना से हार गया।"
पृथ्वीराज और चंदबरदाई की कथा | The Legendary End
पृथ्वीराज को अंधा कर कैद किया गया। लेकिन इतिहास/कथा कहती है कि उनके मित्र और कवि चंदबरदाई दिल्ली पहुँचे और अंतिम प्रतिशोध की योजना बनाई।
They informed Ghori that blind Prithviraj could still shoot with sound. A demonstration was arranged — and चंद ने पंक्ति बोली:
"चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण, ता ऊपर सुलतान है, मत चूको चौहान!"
With this poetic cue, Prithviraj shot his arrow toward the sound — killing Ghori (as per legend). इसके बाद दोनों ने स्वयं बलिदान दे दिया।
This tale may be folklore, but it represents the indomitable spirit of resistance.
📘 परीक्षा उपयोगी तथ्य | Exam-Relevant Points
- 1191 – प्रथम तराइन युद्ध – पृथ्वीराज की विजय
- 1192 – द्वितीय तराइन युद्ध – गोरी की विजय
- राय पिथौरा (Delhi Fort) – चौहान द्वारा विस्तारित
- चंदबरदाई – पृथ्वीराज के राजकवि
- अंतिम तीर से गोली – प्रसिद्ध लोककथा
MCQs
- प्रथम तराइन युद्ध कब हुआ?
उत्तर: 1191 ई. - पृथ्वीराज को अंधा कर किसने कैद किया?
उत्तर: मोहम्मद गोरी - “मत चूको चौहान” किसने कहा था?
उत्तर: चंदबरदाई - तराइन युद्धों का स्थान वर्तमान में कहाँ है?
उत्तर: हरियाणा - पृथ्वीराज चौहान किस वंश से थे?
उत्तर: चौहान वंश
Labels: Prithviraj Chauhan, Tarain War, Muhammad Ghori, Rajput History, Chand Bardai, Last Hindu King, Static GK, Bilingual Post, Competitive Exams
पृथ्वीराज चौहान की विरासत | Legacy of Prithviraj Chauhan
पृथ्वीराज चौहान की वीरता और आत्मसम्मान की गाथा केवल इतिहास नहीं, राष्ट्र चेतना है। उनका नाम स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आधुनिक राजनीति तक प्रेरणा का स्रोत बना रहा।
He is remembered as the last great Hindu king who resisted invasions with unmatched courage. His life is celebrated in folklore, literature, films, and historical debate.
लोककाव्य और कविता में स्मरण | In Poetry and Ballads
- पृथ्वीराज रासो – चंदबरदाई द्वारा रचित, वीर रस का शिखर ग्रंथ
- “मत चूको चौहान…” – कविता नहीं, एक चेतावनी बन गई
- राजस्थानी और हिंदी लोकगीतों में अमर गाथा
इतिहासकारों की दृष्टि | Historians’ View
- R.C. Majumdar: पृथ्वीराज चौहान ने उत्तर भारत में सबसे बड़ा सैन्य प्रतिरोध खड़ा किया
- Satish Chandra: वह वीर थे, परंतु एकता के अभाव से पराजित हुए
- Romila Thapar: उनकी कथा लोक परंपरा और इतिहास का मिश्रण है
आधुनिक पर्यटन स्थल | Modern Tourism Sites
- अजमेर: पृथ्वीराज चौहान स्मारक और किला
- दिल्ली: क़िला राय पिथौरा के अवशेष
- तराइन (हरियाणा): युद्ध स्थल पर प्रतीक स्थल
Government tourism sites like Rajasthan Tourism and Delhi Tourism highlight these destinations.
सीखने योग्य बातें | Key Learnings
- दुश्मन को क्षमा करना नीति नहीं, कमजोरी बन सकता है
- राजनीतिक एकता हर युग में सुरक्षा की पहली शर्त है
- लोकगाथाएँ हमें इतिहास से जोड़े रखती हैं – इन्हें बचाना राष्ट्रधर्म है
FAQs – प्रतियोगी परीक्षा हेतु
- Q: पृथ्वीराज चौहान किस वंश से थे?
A: चौहान वंश - Q: तराइन युद्धों का क्रम क्या है?
A: प्रथम (1191) – विजय | द्वितीय (1192) – पराजय - Q: “मत चूको चौहान” किसने कहा?
A: चंदबरदाई - Q: पृथ्वीराज के मुख्य कवि कौन थे?
A: चंदबरदाई - Q: उनका राजधानी स्थल कौनसा था?
A: अजमेर और दिल्ली (किला राय पिथौरा)
📚 Recommended Books, Films & Links
- Book: Prithviraj Raso (Critical Edition)
- Film: Samrat Prithviraj (2022, Akshay Kumar)
- TV Series: Prithviraj Chauhan (Doordarshan / Star Plus)
- Study Links: NCERT History, NIOS, IGNOU, UPSC Books
👉 Maharana Pratap – The Immortal Rajput
👉 Shivaji Maharaj – The Founder of Swarajya
👉 Explore All Kshatriya Warriors
ब्रिटानिका आधारित तथ्य | Verified Britannica Facts
पृथ्वीराज चौहान (Prithviraja III) से जुड़े निम्नलिखित तथ्य विश्वकोशीय स्रोत Britannica से लिए गए हैं, जो उनकी ऐतिहासिक महत्ता को प्रमाणित करते हैं:
- पूरा नाम: Prithviraja III
- वंश: Chauhan (Chahamana) Dynasty
- राजधानी: Ajmer (मुख्य), Delhi (Rai Pithora Fort)
- शासन काल: लगभग 1177–1192 ई.
- पिता का नाम: राजा सोमेश्वर
- ताजपोशी की उम्र: ~13 वर्ष (किशोरावस्था)
- प्रारंभिक प्रशासन: रीजेंसी के अंतर्गत राजमाता और मंत्रिपरिषद द्वारा
- मुख्य युद्ध: तराइन का प्रथम और द्वितीय युद्ध (1191, 1192)
- विरोधी शासक: मोहम्मद गोरी
- 1191: प्रथम तराइन युद्ध में गोरी को घायल कर भागने पर मजबूर किया
- 1192: द्वितीय तराइन युद्ध में पराजय, बंदी बने
- कैद के बाद: कथाओं के अनुसार अंधा कर दिया गया
- कविकुलगुरु: चंदबरदाई – सहयोगी, कवि, और प्रतिशोधकर्ता
- शिक्षा: सैन्य, साहित्य और संस्कृत में प्रवीण
- प्रसिद्ध ग्रंथ: Prithviraj Raso – चंदबरदाई द्वारा रचित
- कवि राजा: स्वयं कवि, साहित्य संरक्षक
- राजनीतिक कमजोरी: राजपूतों में एकता की कमी
- ऐतिहासिक छवि: “The Last Hindu King of Delhi” (Britannica Title)
- साम्राज्य विस्तार: राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर-पश्चिमी UP
- दिल्ली में योगदान: राय पिथौरा किला निर्माण
- इतिहासकारों की राय: भारतीय इतिहास के अंतिम स्वतंत्र हिन्दू सम्राटों में एक
- विरासत: युद्ध, कविता और बलिदान का प्रतीक
- ब्रिटिश vs मुस्लिम स्रोत: मुस्लिम लेखक उन्हें पराजित राजा मानते हैं, जबकि लोकगाथाएँ नायक बनाती हैं
- ऐतिहासिक प्रभाव: द्वितीय तराइन युद्ध के बाद भारत में इस्लामी सल्तनत का प्रवेश
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