राष्ट्रपिता महात्मा गांधी देश की युवा शक्ति को पूर्णतः समाज सेवा की सृजनशील धारा की ओर उन्मुख करने के पक्षधर थे, इसलिए उनका कहना था "विद्यार्थी समाज की आर्थिक और सामाजिक अक्षमता के संबंध में न केवल वैचारिक सहानुभूति रखें, वरन वे संख्यात्मक कार्यों में उत्साह से भाग भी लें, ताकि नागरिकों के जीवन स्तर को आर्थिक और नैतिक दृष्टि से उन्नत किया जा सके।"
इसके अलावा अनेक शिक्षाविदों एवं समाजसेवियों ने भी समाज सेवा के महत्व को प्रतिपादित किया, अतः विद्यार्थियों को शिक्षा ग्रहण करने के साथ-साथ समाज सेवा करने हेतु भी प्रेरित किया जाता है। इसका यह ध्येय इसलिए भी रखा गया है कि विद्यार्थियों की सामाजिक चेतना को जाग्रत किया जाये जिससे वे अपने गांव / शहर के नागरिकों के साथ मिलकर सृजनात्मक और रचनात्मक कार्य भी कर सकें तथा जो शिक्षा वे ग्रहण करते हैं उसे समाजोन्मुखी करके सामाजिक उपयोग में ले सकें।
इसके अलावा विद्यार्थी समाज सेवा के माध्यम से अपने व्यक्तित्व का विकास करें और अपने अनुभव विकसित करें। शिक्षा का लक्ष्य विद्यार्थी के व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास करना है तथा समाज सेवा विद्यार्थी के व्यक्तित्व के विकास में सहायक है।
इसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु राज्य में कक्षा 9 से 10 तक के विद्यार्थियों के पाठ्यक्रम में "समाजोपयोगी उत्पादन कार्य एवं समाज सेवा" विषय भी समाहित है और कतिपय चयनित उच्च माध्यमिक विद्यालयों में कक्षा 11 से 12 तक के विद्यार्थियों के लिए राष्ट्रीय समाज सेवा योजना (एन. एस. एस.) भी संचालित है। कक्षा ग्यारह उत्तीर्ण विद्यार्थियों द्वारा ग्रीष्मावकाश में दो सप्ताह के लिए समाज सेवा करना प्रस्तावित है, परन्तु एन.एस.एस. से जुड़े विद्यार्थी इससे मुक्त रहेंगे।
2. उद्देश्य
- विद्यार्थियों को समाजिक जीवन से सरोकार करवाना।
- विद्यार्थियों को निःस्वार्थ भाव से सेवा करने हेतु प्रेरित करना।
- विद्यार्थियों में सामाजिक दायित्व और नागरिकता के भाव विकसित करना।
- विद्यार्थियों में सामुदायिक समस्याओं के प्रति संवेदनशीलता विकसित करना।
- विद्यार्थियों में सामूहिक जीवन जीने का कौशल उत्पन्न करना।
- विद्यार्थियों को सामाजिक गतिविधियों में सहभागिता निभाने हेतु तैयार करना।
- विद्यार्थियों में लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति आदर भाव उत्पन्न करना।
- विद्यार्थियों में पारस्परिक सहयोग की भावना पैदा करना।
- विद्यार्थियों में राष्ट्रीय एकता की भावना पनपाना।
- विद्यार्थियों में श्रम के प्रति निष्ठा प्रतिष्ठापित करना।
3. विद्यार्थियों का चयन
राजकीय/अनुदानित/गैर अनुदानित उच्च माध्यमिक विद्यालयों से कक्षा ग्यारह उत्तीर्ण विद्यार्थियों द्वारा ग्रीष्मावकाश में समाज सेवा की गतिविधियों में अनिवार्यतः भाग लिया जायेगा। एन.एस.एस. से जुड़े विद्यार्थी इससे मुक्त रहेंगे।
4. समाज सेवा की गतिविधियाँ
विद्यार्थियों द्वारा समाज सेवा से संबंधित अग्रांकित मुख्य मुख्य गतिविधियों में सहभागिता निभाना प्रस्तावित है:
- राष्ट्रीय एकता एवं साम्प्रदायिक सद्भाव
- परिवार कल्याण
- पर्यावरण संवर्द्धन एवं संरक्षण
4. समाज सेवा की प्रमुख गतिविधियाँ
- साक्षरता के प्रति जाग्रति
- मतदान के प्रति संचेतना
- कानूनी साक्षरता
- उपभोक्ता संरक्षण
- अल्प बचत
- सरकारी योजनाओं की जानकारी
- प्राथमिक उपचार का ज्ञान
- यातायात नियम
- प्राकृतिक आपदाओं में सावधानियाँ
- ऋण उपलब्धता
- अन्धविश्वासों का उन्मूलन
- सामाजिक बुराइयों का निवारण
- बुक बैंक की स्थापना
- वाचनालय की व्यवस्था
- चल पुस्तकालय का संचालन
- विद्यालय भवन का सौंन्दर्गीकरण
- सार्वजनिक स्थल की सफाई
- सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण
- विकासात्मक कार्य
- बीमारों की सेवा-सुश्रूषा
- लाचार व्यक्तियों की सेवा
- निरक्षरों के पत्र पढ़ना-लिखना
- सार्वजनिक स्थल पर जल सेवा
- समारोह-उत्सव में सहयोग
- क्रीड़ा केन्द्र का संचालन
- वस्तुओं का निर्माण
- सर्वेक्षण का कार्य
- अन्य स्थानीय संसाधनों व आवश्यकताओं के अनुसार गतिविधियाँ
5. संस्था प्रधान के दायित्व
- विद्यालय स्तर पर योग्य व्याख्याता/वरिष्ठ अध्यापक को प्रभारी शिक्षक नियुक्त करना।
- प्रभारी शिक्षक को किसी एक दल का दलनायक शिक्षक भी नियुक्त करना।
- समस्त शिक्षकों की एक दिवसीय बैठक वार्षिक परीक्षा से पूर्व आयोजित कर कार्य योजना की जानकारी देना।
- प्रार्थना सभा में समाज सेवा के महत्व पर प्रकाश डालना।
- शिक्षक-अभिभावक परिषद, विद्यालय विकास समिति और जनप्रतिनिधियों के साथ बैठक आयोजित करना।
- स्थानीय विभागों के अधिकारियों से सहयोग प्राप्त करना।
- ग्रीष्मावकाश से पूर्व कार्य योजना बनाकर उसकी क्रियान्विति सुनिश्चित करना।
- प्रभारी व दलनायक शिक्षकों को उपार्जित अवकाश का लाभ स्वीकृत करना।
- विद्यार्थियों के मूल्यांकन के आधार पर श्रेणियां माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, अजमेर को प्रेषित करना।
प्रभारी शिक्षक के दायित्व
- प्रत्येक 50 विद्यार्थियों पर एक दलनायक शिक्षक का चयन करना।
- किसी एक दल का दलनायक शिक्षक स्वयं बनकर कार्य करना।
- विद्यार्थियों द्वारा चयनित गतिविधियों के आधार पर समग्र कार्य योजना बनाना।
6. प्रभारी शिक्षक के दायित्व (आगे)
- कार्य योजना की क्रियान्विति हेतु आवश्यक संसाधनों की व्यवस्था करना।
- समाज सेवा सम्बंधी सभी आवश्यक बैठकों का आयोजन करवाना।
- समाज सेवा संबंधित अभिलेखों जैसे कार्य योजना, विद्यार्थी दैनिक डायरी, मूल्यांकन प्रपत्र आदि का संधारण करना।
- विद्यार्थियों का समग्र मूल्यांकन तैयार कर सचिव, माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, अजमेर को प्रेषित करना।
- संस्था प्रधान के निर्देशों का पालन करना।
7. दलनायक शिक्षक के दायित्व
- दल के विद्यार्थियों से समाज सेवा गतिविधियों का चयन करवाकर प्रभारी शिक्षक को देना।
- प्रत्येक विद्यार्थी से कार्य योजनानुसार समाज सेवा करवाना।
- प्रत्येक विद्यार्थी द्वारा किए गए कार्यों का परिवीक्षण करना।
- प्रत्येक विद्यार्थी से दैनिक डायरी संधारित करवाना।
- प्रत्येक दिन डायरी में अंकित कार्य पर हस्ताक्षर करना।
- सभी विद्यार्थियों की दैनिक डायरी प्रभारी शिक्षक को समय पर जमा कराना।
- प्रत्येक विद्यार्थी का मूल्यांकन कर 31 जुलाई तक प्रभारी शिक्षक को देना।
- संस्था प्रधान एवं प्रभारी शिक्षक के निर्देशों का पालन करना।
8. विद्यार्थी के दायित्व
- ग्रीष्मावकाश में दो सप्ताह तक अनिवार्य रूप से समाज सेवा करना।
- समाज सेवा हेतु आवश्यक सामग्री स्वयं एकत्रित करना।
- समाज सेवा के समय अनुशासन बनाए रखना।
- प्रति सप्ताह दो गतिविधियों के आधार पर कुल चार गतिविधियाँ चयनित कर क्रियान्वयन करना।
- प्रत्येक दिन डायरी में किए गए कार्य को दर्ज कर संबंधित व्यक्ति से हस्ताक्षर करवाना।
- समाप्ति पर डायरी दलनायक शिक्षक को जमा कराना।
- संस्था प्रधान / प्रभारी शिक्षक / दलनायक शिक्षक के निर्देशों का पालन करना।
9. गतिविधियों का प्रबन्धन
संस्था प्रधान एवं प्रभारी शिक्षक को उपलब्ध संसाधनों, स्थानीय आवश्यकताओं तथा विद्यार्थियों की रुचियों के अनुसार गतिविधियों का चयन ग्रीष्मावकाश से पूर्व करना होगा। इसके लिए समग्र कार्य योजना का निर्माण आवश्यक है। समाज सेवा का कार्य विद्यालय परिसर अथवा उससे जुड़े समुदाय में किया जा सकता है।
10. कार्यक्रम स्थल और दैनिक कार्यक्रम
गाँव / शहर में शिविर लगाया जा सकता है। शिविर व्यय हेतु स्थानीय भामाशाहों को प्रेरित किया जा सकता है या विद्यालय विकास समिति से सहयोग लिया जा सकता है। विद्यार्थी स्वयं भी खाद्य व अन्य सामग्री जुटाएंगे। गतिविधियाँ 17-31 मई तक प्रतिदिन प्रातः 7:00 से दोपहर 12:00 तक होंगी। विद्यार्थी अल्पाहार अपने साथ लाएँगे।
प्रतिदिन का कार्यक्रम
- प्रातः 7:00 - 8:00: प्रार्थना, कार्य स्थल / शिविर की सफाई, व्यायाम
- प्रातः 8:00 - 11:00: चयनित गतिविधि का संचालन
- प्रातः 11:00 - 11:30: अल्पाहार एवं विश्राम
- प्रातः 11:30 - 11:45: दिन की समीक्षा
- प्रातः 11:45 - 12:00: अगले दिन की कार्य योजना का निर्माण
10. गतिविधियों की क्रियान्विति
विद्यार्थियों को नीचे दी गई गतिविधियों में से किसी चार का चयन कर प्रभारी शिक्षक के मार्गदर्शन में क्रियान्वित करना होगा।
10.1 राष्ट्रीय एकता एवं साम्प्रदायिक सद्भाव
- सर्वधर्म प्रार्थना सभा, शान्ति यात्रा, प्रभात फेरी, रैली, प्रदर्शनी, व्याख्यान, संगोष्ठी, परिचर्चा आदि का आयोजन।
- युवाओं द्वारा महापुरुषों के क्रियाकलापों पर चर्चा।
- जन प्रतिनिधियों / वरिष्ठ नागरिकों द्वारा जीवनियों पर प्रकाश डालना।
- प्रेरक प्रसंगों व आदर्श वाक्यों की पोस्टरों द्वारा प्रदर्शनी।
- प्रश्नोत्तर कार्यक्रम का आयोजन।
- प्रभात फेरी द्वारा आदर्श वाक्य उद्घोष और सर्वधर्म प्रार्थना सभा।
- महापुरुषों पर आधारित विचित्र वेशभूषा प्रतियोगिता।
- स्थानीय सांस्कृतिक धरोहरों का चित्रों के माध्यम से परिचय।
10.2 परिवार कल्याण
- जनसंख्या नियंत्रण हेतु परिवार कल्याण योजना का प्रचार-प्रसार।
- छोटे और बड़े परिवार की तुलना द्वारा लाभ व हानि की जानकारी।
- बढ़ती जनसंख्या के दुष्प्रभावों की जानकारी देना।
- सर्वेक्षण द्वारा तुलनात्मक अध्ययन कर नागरिकों को जागरूक करना।
10.2 (जारी)
- छोटा परिवार सुखी परिवार के दूरगामी परिणामों से अवगत कराना।
- राज्य सरकार द्वारा छोटे परिवार हेतु संचालित योजनाओं की जानकारी देना।
- स्थानीय नागरिकों हेतु जनसंख्या प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम का आयोजन करना।
10.3 पर्यावरण संवर्द्धन एवं संरक्षण
- नागरिकों को पर्यावरण संरक्षण हेतु प्रेरित करना।
- विद्यार्थियों द्वारा वृक्षारोपण कर हरियाली बढ़ाना।
- टी-गार्ड लगाकर पौधों की सुरक्षा करना, वाटिका का निर्माण करना।
- स्वच्छ पर्यावरण हेतु पोस्टर व प्रदर्शनी के माध्यम से जनजागरूकता।
- समाजसेवी संस्थाओं/वन विभाग के सहयोग से वृक्षारोपण।
- पौधों की देखरेख हेतु उन्हें स्थानीय नागरिकों को सौंपना।
- गड्ढे भरना, गंदे पानी के निकास की व्यवस्था, पोलिथिन उन्मूलन।
- गोबर गैस, सोलर चूल्हे की उपयोगिता के प्रति जागरूक करना।
- स्थानीय इको-क्लब के साथ वृक्षारोपण कार्यक्रम में भागीदारी।
10.4 साक्षरता के प्रति जाग्रति
- 6-14 और 15-35 वर्ष के निरक्षरों को साक्षर बनाना।
- नुक्कड़ नाटक, लोक गीत, समूह गीत, रैली व प्रभात फेरी द्वारा प्रचार।
- सर्वे कर निरक्षरों की पहचान करना।
- सरकारी साक्षरता योजनाओं की जानकारी देना।
- निरक्षरों को अनौपचारिक शिक्षा के प्रति प्रेरित करना।
- घर-घर जाकर अथवा समूह बनाकर पढ़ाना।
10.5 मतदान के प्रति संचेतना
- नागरिकों को मताधिकार का महत्व समझाना।
- लोभ व भय से मुक्त होकर मतदान हेतु प्रेरित करना।
- सर्वे द्वारा मतदान योग्य व्यक्तियों की जानकारी एकत्रित करना।
- जनसमूह को मत के महत्व की जानकारी देना।
10.6 कानूनी साक्षरता
- नागरिकों को आवश्यकतानुसार कानूनी सहायता लेने की जानकारी देना।
- प्रश्नोत्तर प्रपत्र द्वारा कानूनी जानकारी की स्थिति का सर्वे करना।
- विधिक साक्षरता व्याख्यान/गोष्ठी का आयोजन करना।
- दैनिक जीवन में उपयोगी कानूनों की जानकारी देना।
10.7 उपभोक्ता संरक्षण
- सामान की खरीद-फरोख्त और सेवाओं में उपभोक्ताओं को सचेत करना।
- उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की जानकारी देना।
- समस्या आने पर शिकायत करने की विधि बताना।
10.7 (जारी) उपभोक्ता संरक्षण
- उपभोक्ता संबंधी जानकारी स्थानीय नागरिकों को देना।
- विधि विभाग के सहयोग से उपभोक्ता कानून की जानकारी उपलब्ध करवाना।
- उपभोक्ता संरक्षण नियम 1986 का उपयोग "नुक्कड़ नाटक" का प्रदर्शन कर सिखाना।
10.8 अल्प बचत
- अल्प बचत का महत्व बताकर नागरिकों में बचत की आदत विकसित करना।
- बचत की आवश्यकता के बारे में जानकारी देना।
- बचत खाता खोलने के लिए वित्तीय संस्थाओं की जानकारी देना।
- बैंकों की विभिन्न अल्प बचत योजनाओं की जानकारी देना।
- नागरिकों के बैंक / पोस्ट ऑफिस में खाते खुलवाना।
10.9 सरकारी योजनाओं की जानकारी
- नागरिकों को केन्द्र/राज्य सरकार की जन-कल्याणकारी योजनाओं से अवगत कराना।
- कृषि, तकनीकी, बिजली, स्वास्थ्य, शिक्षा, भवन निर्माण से जुड़ी योजनाओं की जानकारी संबंधित विभागों से प्राप्त करना।
- प्राप्त जानकारी के आधार पर पोस्टर, चार्ट और स्लोगन तैयार करना।
- तैयार सामग्री को चयनित स्थलों पर प्रदर्शित करना।
- रैली निकालकर योजनाओं की जानकारी जन-जन तक पहुंचाना।
10.10 प्राथमिक उपचार का ज्ञान
- नागरिकों को मौसमी बीमारियों सहित विभिन्न रोगों के प्राथमिक उपचार की जानकारी देना।
- प्राथमिक उपचार पेटी तैयार करना।
- नागरिकों को प्रायोगिक रूप से प्राथमिक उपचार का प्रशिक्षण देना।
10.11 यातायात नियम
- नागरिकों को सभी प्रकार के यातायात नियमों और चिह्नों की जानकारी देना।
- पोस्टर प्रदर्शन द्वारा यातायात नियमों की जानकारी देना।
- यातायात चिह्नों का ज्ञान कराना।
- सर्वे के माध्यम से नागरिकों के ड्राइविंग लाइसेंस की स्थिति जानना।
- ड्राइविंग लाइसेंस हेतु समाजसेवी संस्थाओं के सहयोग से शिविर लगाना।
10.12 प्राकृतिक आपदाओं में सावधानियाँ
- नागरिकों को अतिवृष्टि, अनावृष्टि, ओलावृष्टि, भूकम्प, महामारी, भूस्खलन आदि आपदाओं के समय सावधानियों की जानकारी देना।
- प्राकृतिक आपदाओं के कारणों व प्रभावों की जानकारी रैली के माध्यम से देना।
- आपदाओं से बचाव के उपायों और नियंत्रण के तरीकों की जानकारी व्याख्यान व पोस्टर के माध्यम से देना।
10.12 (जारी) प्राकृतिक आपदाओं में सावधानियाँ
- वृक्षों की कटाई एवं भवनों के पास खनन कार्य को रोकने हेतु स्थानीय प्रशासन से सहयोग प्राप्त करना।
10.13 ऋण की उपलब्धता
- नागरिकों को रोजगार अथवा घरेलू कार्य हेतु ऋण योजनाओं की जानकारी देना।
- बैंकों द्वारा उपलब्ध ऋण योजनाओं की जानकारी प्रदान करना।
- फर्म, बैंक अथवा प्रशासनिक अधिकारियों से सहयोग दिलवाना।
- ऋण प्राप्ति हेतु फार्म भरवाकर सहायता प्रदान करना।
10.14 अन्धविश्वासों का उन्मूलन
- गांव / शहर में प्रचलित अंधविश्वासों के बारे में नागरिकों के विचार जानना।
- अंधविश्वासों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से गलत सिद्ध करना।
- नागरिकों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करना।
10.15 सामाजिक बुराइयों का निवारण
- दहेज प्रथा, बाल विवाह, मद्यपान, मृत्युभोज, छुआछूत, भ्रूण हत्या आदि बुराइयों की जानकारी देना।
- सामाजिक बुराइयों के हानिकारक प्रभावों से अवगत कराना।
- संबंधित समाचारों का संकलन कर प्रदर्शित करना।
- इनसे संबंधित कानूनों की जानकारी देना।
- नुक्कड़ नाटक के माध्यम से जागरूकता बढ़ाना।
10.16 बुक बैंक की स्थापना
- विद्यालय में बुक बैंक की स्थापना करना।
- पुस्तकें देने वाले विद्यार्थियों के नाम, विषय एवं कक्षा की सूची तैयार करना।
- पाठ्य पुस्तकें सूची अनुसार एकत्रित करना।
- बुक बैंक में उपलब्ध पुस्तकों का वितरण करना।
10.17 वाचनालय की व्यवस्था
- वाचनालय हेतु नागरिकों के सहयोग से स्थान का चयन करना।
- विद्यालय पुस्तकालय से पुरानी पत्र-पत्रिकाएं एकत्रित करना।
- दानदाताओं से आर्थिक सहायता प्राप्त कर पत्र-पत्रिकाएं मंगवाना।
- निश्चित समय निर्धारण कर वाचनालय का संचालन करना।
10.18 चल पुस्तकालय का संचालन
- विद्यार्थियों द्वारा नैतिक शिक्षा हेतु चल पुस्तकालय का संचालन करना।
- विद्यालय पुस्तकालय से पुस्तकें प्राप्त कर संग्रहित करना।
- चल पुस्तकालय की व्यवस्था करना।
- विभिन्न विषयों की पुस्तकें शामिल करना।
- नागरिकों को पुस्तकें वितरित कर उन्हें पढ़ने हेतु प्रेरित करना।
10.19 विद्यालय भवन का सौंदर्गीकरण
- स्थानीय विद्यालय भवन का सौंदर्यकरण करना।
- पुस्तकालय, कक्षा-कक्ष, खेल मैदान, बगीचा, पानी की टंकी आदि स्थानों का चयन।
- चयनित स्थानों की सफाई करना।
- फर्नीचर की सफाई कर उस पर विद्यालय का नाम/क्रमांक अंकित करना।
- पंखों की सफाई करना।
- कक्षा में दीवारों पर पुताई करना।
- पानी की टंकियों को साफ करना व निकास की उचित व्यवस्था करना।
- बगीचे की गुड़ाई, खरपतवार हटाना व पौधों को पानी देना।
10.20 सार्वजनिक स्थल की सफाई
- पनघट, मंदिर, धर्मशाला, मस्जिद, अस्पताल, बस स्टैंड आदि की सफाई करना।
- साफ-सफाई के लिए आवश्यक संसाधन जुटाना।
- धार्मिक आस्था का ध्यान रखते हुए सफाई करना।
- गंदे पानी के गड्ढों को भरना, केरोसिन व फिनाइल का छिड़काव करना।
- कुओं/तालाबों/बावड़ियों में लाल दवा का छिड़काव करना।
10.21 सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण
- स्थानीय भ्रमण द्वारा सांस्कृतिक स्थलों की जानकारी प्राप्त करना।
- मंदिर, मस्जिद, झील, तालाब, छतरियों की सफाई व्यवस्था करना।
- जनसहयोग से आवश्यक सुधार कार्य करना।
10.22 विकासात्मक कार्य
- गाँव/शहर में आम रास्तों की मरम्मत करना।
- सड़कों के गड्ढों को भरना।
- लिंक रोड निर्माण जैसे कार्यों में श्रमदान देना।
- खाद के गड्ढों का निर्माण करना।
10.22 (जारी) विकासात्मक कार्य
- सड़क पर ज़ेबरा लाइनों को ठीक करना।
- कच्ची सड़क का निर्माण करना।
- तालाब, बावड़ियों एवं झीलों की सफाई करना।
- गड्ढे तैयार कर बगीचों के लिए खाद बनाना।
- सार्वजनिक स्थलों पर लिखे दिशानिर्देशों को ठीक करना।
10.23 बीमारों की सेवा-सुश्रूषा
- वृद्धाश्रम, अनाथाश्रम, चिकित्सालय आदि में सेवा के लिए स्थान का चयन करना।
- बुजुर्गों अथवा असहाय व्यक्तियों की जानकारी एकत्रित करना।
- समाजसेवी संस्थाओं से संपर्क कर दवाइयां व खाद्य सामग्री वितरित करना।
- पत्र-पत्रिकाएं उपलब्ध कराना व पढ़कर सुनाना।
- मनोरंजन हेतु कहानियाँ, कविताएँ, वार्ता द्वारा मानसिक सहयोग देना।
10.24 लाचार व्यक्तियों की सेवा
- गाँव/शहर में अपाहिज, अंधे, बुजुर्ग आदि लाचार व्यक्तियों की सेवा करना।
- सर्वे द्वारा ऐसे व्यक्तियों की जानकारी एकत्रित करना।
- उनकी आवश्यकतानुसार दैनिक सेवा करना ताकि उन्हें आत्मविश्वास मिल सके।
10.25 निरक्षरों के पत्र पढ़ना-लिखना
- निरक्षर व्यक्तियों के पत्रों को पढ़कर सुनाना।
- पत्रों के उत्तर लिखना।
- पत्रों को डाक में डालना।
- पत्रों की गोपनीयता बनाए रखना।
10.26 सार्वजनिक स्थल पर जल सेवा
- बस स्टैण्ड, रेलवे स्टेशन, अस्पताल आदि स्थानों पर प्याऊ लगाना।
- यात्रियों को स्वच्छ जल उपलब्ध कराना।
- पक्षियों के लिए छींके लटकाकर पानी की व्यवस्था करना।
- आवश्यक सामग्री नागरिकों या समाजसेवी संस्थाओं के सहयोग से प्राप्त करना।
10.27 समारोह-उत्सव में सहयोग
- गांव/शहर में आयोजित समारोह जैसे मेला, विवाह, प्रवचन आदि में सहयोग करना।
- समारोह स्थल की सफाई करना।
- आगंतुकों को बैठने की व्यवस्था कराना।
- जनसमुदाय के लिए जल सेवा की व्यवस्था करना।
10.28 क्रीड़ा केन्द्र का संचालन
- क्रीड़ा केन्द्र संचालन हेतु स्थान का चयन करना।
- जनसहयोग से खेल मैदान की व्यवस्था करना।
- खेलों के नियमों की जानकारी देना।
- नियमित अभ्यास कराना।
- अंतिम दिन प्रतियोगिता आयोजित कर विजेताओं को पुरस्कृत करना।
- योग अभ्यास सिखाना और उसका प्रचार करना।
10.29 वस्तुओं का निर्माण
- अनुपयोगी वस्तुओं से उपयोगी वस्तुएं बनाना सिखाना।
- घर की सजावट और स्वरोजगार की प्रेरणा देना।
- प्रायोगिक रूप से निर्माण की प्रक्रिया दिखाना।
- नागरिकों से अनुपयोगी सामग्री एकत्र कर कार्य कराना।
- निर्मित वस्तुओं का बिना लाभ-हानि के विक्रय करना।
10.30 सर्वेक्षण का कार्य
- जनसंख्या, साक्षरता, स्कूल छोड़ चुके छात्र/छात्रा, कुटीर उद्योग, कृषि उपज, पोलियो टीकाकरण, बेरोजगारी आदि पर सर्वेक्षण।
- सर्वेक्षण हेतु फॉर्म या रजिस्टर तैयार करना।
- प्रत्येक घर का सर्वे करना।
- संग्रहीत जानकारी को संबंधित विभाग को उपलब्ध कराना।
11. मूल्यांकन
प्रत्येक विद्यार्थी का मूल्यांकन उसके दलनायक शिक्षक द्वारा किया जाएगा। मूल्यांकन दो आधारों पर होगा:
- 1. गतिविधियों की क्रियान्विति
- 2. विद्यार्थी की दैनिक डायरी का निरीक्षण
मूल्यांकन "रेटिंग स्केल मैथड" द्वारा निम्न 5 मानदंडों पर होगा:
- (i) आयोजना
- (ii) प्रबंधन
- (iii) क्रियान्विति
- (iv) निष्पादन
- (v) गुणवत्ता
प्रत्येक मानदण्ड के लिए अधिकतम 5 अंक निर्धारित हैं। इस प्रकार प्रत्येक गतिविधि का मूल्यांकन कुल 25 अंकों में किया जाएगा।
2. प्रत्येक विद्यार्थी की कुल चार गतिविधियों के मूल्यांकन हेतु कुल पूर्णांक 100 होंगे। 3. प्रत्येक विद्यार्थी को 100 में से प्राप्ताकों के आधार पर निम्नानुसार ग्रेड प्रदान करनी होगी। उपलब्धि सम्प्राप्ति स्तर ग्रेड ए बी सी डी 80 प्रतिशत से 100 प्रतिशत तक उत्कृष्ट उत्तम 60 प्रतिशत से 79 प्रतिशत तक अच्छा 50 प्रतिशत से 59 प्रतिशत तक सामान्य 50 प्रतिशत से नीचे 4. दलनायक शिक्षक द्वारा प्रत्येक विद्यार्थी का परिशिष्ट-1 के अनुसार 'समाज सेवा योजना मूल्यांकन प्रपत्र' तैयार करना होगा।प्रेषिति
- 1. समस्त उपनिदेशक माध्यमिक/जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक, राजस्थान।
- 2. समस्त प्रधानाचार्य, राजकीय / गैर राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, राजस्थान।
विषय :
कक्षा-11 उत्तीर्ण छात्रों हेतु आयोजित समाज सेवा शिविर के प्रभावी संचालन के क्रम में।
प्रसंग :
प्रमुख शासन सचिव, शिक्षा प.17(6) शिक्षा-1/2012, जयपुर, दिनांक 02.01.13 के अनुसार माध्यमिक शिक्षा विभाग द्वारा उच्च माध्यमिक विद्यालयों में कक्षा-11 उत्तीर्ण विद्यार्थियों के लिए ग्रीष्मावकाश में 17 मई से 31 मई तक दो सप्ताह का समाज सेवा शिविर आयोजित किया जाना अनिवार्य किया गया था।
इसका उद्देश्य विद्यार्थियों में सामाजिक चेतना जाग्रत करना, सृजनात्मक कार्यों से जोड़ना तथा उनके व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास करना था। एन.एस.एस. से जुड़ाव रखने वाले विद्यार्थियों को इस शिविर से मुक्त रखा गया है।
वर्तमान में शिविरों का संचालन प्रभावी नहीं हो पाने के कारण सरकार ने इसे गंभीरता से लिया है। अतः सत्र 2013-14 से राज्य सरकार द्वारा निर्देशित निम्नलिखित बिंदुओं की अनुपालना सुनिश्चित की जाए।
(1) समाज सेवा शिविर की पूर्व तैयारी :
- प्रत्येक विद्यालय में फरवरी के प्रथम सप्ताह में प्रधानाचार्य द्वारा शिक्षकों की बैठक आयोजित कर निम्न कार्यवाही की जाए:
- (अ) समाज सेवा शिविर स्थल का चयन करना।
- (ब) स्थानीय आवश्यकता अनुसार चार गतिविधियों का चयन करना (कक्षा-11 बोर्ड विवरणिका में उल्लेखित 30 गतिविधियों में से)।
- (स) एक योग्य व्याख्याता को समाज सेवा शिविर प्रभारी नामित करना।
- (द) कक्षा-11 के विद्यार्थियों को 50-50 के समूहों में विभक्त कर प्रत्येक समूह को एक प्रेरणादायी नाम देना।
- (च) प्रत्येक समूह से एक योग्य विद्यार्थी को दलनायक एवं एक को सह-दालनायक के रूप में नामित करना।
- (छ) प्रत्येक दल हेतु एक योग्य शिक्षक को दल प्रभारी नियुक्त करना।
⚠️ डिस्क्लेमर (Disclaimer)
यह लेख समाज सेवा शिविर से संबंधित आधिकारिक आदेश, निर्देशों एवं योजनाओं का सरल रूपांतरण है, जिसका उद्देश्य शिक्षकों, विद्यार्थियों और शिक्षा संस्थानों को स्पष्ट एवं संक्षिप्त जानकारी प्रदान करना है।
प्रस्तुत जानकारी शिक्षा विभाग, राजस्थान सरकार के निर्देशों पर आधारित है, परंतु इसका आधिकारिक उपयोग तभी करें जब इसे संबंधित अधिसूचना अथवा परिपत्र से सत्यापित कर लिया जाए।
इस लेख में प्रयुक्त शब्द, गतिविधियाँ और तिथियाँ शिक्षा विभाग की नीतियों पर आधारित हैं और समयानुसार परिवर्तन संभव है। इस सामग्री का उपयोग आपकी सुविधा हेतु किया गया है, किसी भी विवाद की स्थिति में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, राजस्थान अथवा संबंधित जिला शिक्षा अधिकारी का निर्णय अंतिम माना जाएगा।
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