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राजस्थान में SNA-SPARSH: केंद्रीय योजनाओं के फंड प्रबंधन में पारदर्शिता और दक्षता

राजस्थान वित्त विभाग का परिपत्र 14498: केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं के लिए SNA-SPARSH मॉडल का विस्तृत विश्लेषण

विषय-सूची (Table of Contents)



सीखने के बिंदु (Key Learning Points)

  • परिपत्र 14498, 37 अतिरिक्त केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं को 1 जुलाई, 2025 से SNA-SPARSH मॉडल पर लाने का निर्देश देता है।
  • SNA-SPARSH 'जस्ट-इन-टाइम' (JIT) फंड रिलीज सुनिश्चित करता है, जिससे सरकारी धन का निष्क्रिय पड़ा रहना कम होता है।
  • यह मॉडल PFMS, राज्य IFMIS और RBI के e-Kuber प्लेटफॉर्म को एकीकृत करता है, जिससे वित्तीय प्रबंधन में पारदर्शिता और दक्षता आती है।
  • प्रत्येक केंद्रीय प्रायोजित योजना के लिए एक 'सिंगल नोडल एजेंसी' (SNA) नामित की जाती है जो सभी फंड लेनदेन को संभालती है।
  • राज्यों को मौजूदा SNA खातों को बंद करने और अप्रयुक्त केंद्रीय हिस्से को भारत के समेकित कोष में वापस करने का निर्देश दिया गया है।
  • इस पहल का उद्देश्य सरकारी धन के उपयोग में दक्षता, पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाना है, जिससे लाभार्थियों को समय पर लाभ मिल सके।

परिचय: परिपत्र 14498 और SNA-SPARSH मॉडल

राजस्थान सरकार के वित्त विभाग द्वारा जारी परिपत्र संख्या 14498, केंद्र प्रायोजित योजनाओं (Centrally Sponsored Schemes - CSS) के फंड प्रबंधन में एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक है। यह परिपत्र 'सिंगल नोडल एजेंसी - SPARSH' (SNA-SPARSH) मॉडल को अपनाने पर केंद्रित है, जिसका उद्देश्य सरकारी धन के प्रवाह को अधिक कुशल, पारदर्शी और 'जस्ट-इन-टाइम' (Just-In-Time - JIT) बनाना है। Google के पाठकों के लिए, यह लेख इस महत्वपूर्ण वित्तीय सुधार को विस्तार से समझाएगा, इसके प्रावधानों, कार्यप्रणाली और अपेक्षित लाभों पर प्रकाश डालेगा। मूल परिपत्र को यहाँ देखा जा सकता है।

परिपत्र 14498 क्या है?

राजस्थान वित्त विभाग का परिपत्र संख्या 14498, दिनांक 10.06.2025 के वित्त मंत्रालय, भारत सरकार के कार्यालय ज्ञापन संख्या F. No.1 (27)/PFMS/2020 के संदर्भ में जारी किया गया है। इसका मुख्य विषय 37 अतिरिक्त केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं (CSS) को 1 जुलाई, 2025 से SNA-SPARSH मॉडल पर ऑन-बोर्ड करना है [1]। यह परिपत्र विभाग के दिनांक 07.08.2023 और 14.10.2024 के पूर्व के परिपत्रों की निरंतरता में है, जो केंद्र प्रायोजित योजनाओं के वित्तीय प्रबंधन में सुधार की दिशा में एक सतत प्रयास को दर्शाता है [1]। परिपत्र में SNA-SPARSH पर ऑन-बोर्ड होने वाली CSS और संबंधित SLS (राज्य-लिंक्ड योजनाएं) की पूरी सूची अनुलग्नक-सी में संलग्न है [1]।

SNA-SPARSH मॉडल: एक विस्तृत समझ

SNA-SPARSH मॉडल भारत सरकार द्वारा केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं के लिए फंड प्रबंधन और प्रवाह को बढ़ाने के लिए लागू किया गया एक नया तंत्र है। यह एक एकीकृत वित्तीय प्रबंधन प्रणाली है जो धन के वितरण में दक्षता, जवाबदेही और पारदर्शिता लाती है [2]।

क्या है SNA-SPARSH?

SNA-SPARSH का पूरा नाम Samayochit Pranaalee Sheeghr Hastaantaran - Real time System of Integrated Quick Transfers है [2, 3]। इसका अर्थ है 'समय पर और त्वरित हस्तांतरण की एकीकृत वास्तविक समय प्रणाली'। यह एक ऐसा तंत्र है जो सरकारी धन के वितरण को सुव्यवस्थित करता है।

'जस्ट-इन-टाइम' (JIT) की आवश्यकता क्यों?

पारंपरिक रूप से, सरकारी धन की बड़ी रकम कई खातों में निष्क्रिय पड़ी रहती थी, जिससे अक्षम नकदी प्रबंधन होता था और अनावश्यक उधार लेने की लागतें आती थीं [4, 5]। 'जस्ट-इन-टाइम' (JIT) प्रणाली यह सुनिश्चित करती है कि धन की आवश्यकता पड़ने पर ही उसे जारी किया जाए, जिससे बैंक खातों में निष्क्रिय शेष राशि कम हो जाती है [2, 4]। यह प्रणाली केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर नकदी प्रबंधन में अधिक दक्षता लाती है [3, 4]।

एकीकृत प्रणाली: PFMS, IFMIS और e-Kuber

SNA-SPARSH तीन प्रमुख डिजिटल प्लेटफॉर्म को एकीकृत करता है ताकि धन हस्तांतरण को कुशलतापूर्वक प्रबंधित किया जा सके [2, 3, 4]:

  • PFMS (Public Financial Management System): यह कार्यक्रमों को ट्रैक करता है और कार्यान्वयनकर्ताओं, लाभार्थियों और विक्रेताओं को सीधे धन वितरित करता है। यह धन प्रवाह की वास्तविक समय की निगरानी के लिए केंद्रीय और राज्य कोषागार प्रणालियों के साथ एकीकृत होता है [2]।
  • राज्य IFMIS (Integrated Financial Management Information System): यह राज्य की सभी वित्तीय गतिविधियों का प्रबंधन करता है, जिसमें बजट, व्यय प्रबंधन और राजस्व संग्रह शामिल है, जिससे सार्वजनिक प्रशासन और शासन में सुधार होता है [2]।
  • RBI e-Kuber: यह भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) का कोर बैंकिंग समाधान है जो सरकार और निजी क्षेत्र के सभी बैंकों के साथ बैंक के लेनदेन को संभालता है, जो सरकारी फंड प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण है [2]। RBI एकमात्र बैंकिंग चैनल के रूप में कार्य करता है [4]।

सिंगल नोडल एजेंसी (SNA) की भूमिका

प्रत्येक राज्य/केंद्र शासित प्रदेश प्रत्येक केंद्रीय प्रायोजित योजना के लिए एक सिंगल नोडल एजेंसी (SNA) नामित करता है ताकि उस एकल खाते में धन प्राप्त हो सके [3, 6, 7]। इस योजना के कार्यान्वयन से संबंधित सभी लेनदेन, जिसमें अन्य कार्यान्वयन एजेंसियों द्वारा किए गए व्यय भी शामिल हैं, इसी SNA खाते से प्रभावित होते हैं [6]। जिला स्तर या उससे नीचे की अन्य सभी कार्यान्वयन एजेंसियां या तो SNA के खाते का उपयोग करेंगी या SNA द्वारा निर्धारित आहरण सीमाओं के साथ एक शून्य-शेष सहायक खाता खोलेंगी [6]।

फंड प्रवाह कैसे काम करता है?

SNA-SPARSH के तहत, फंड संबंधित समेकित कोष में रहते हैं और परिपत्र में विस्तृत प्रक्रिया के अनुसार 'जस्ट-इन-टाइम' आधार पर लाभार्थियों/विक्रेताओं को जारी किए जाते हैं [1, 4]। इसका मतलब है कि धन को किसी व्यक्तिगत जमा (PD) खाते या विभाग/SNA द्वारा किसी अन्य खाते में नहीं मोड़ा जाएगा [1]। यह प्रणाली यह सुनिश्चित करती है कि धन केवल तभी हस्तांतरित हो जब उसकी आवश्यकता हो, जिससे अनावश्यक देरी समाप्त हो जाती है [4]।

परिपत्र 14498 के प्रमुख प्रावधान और निर्देश

राजस्थान वित्त विभाग का यह परिपत्र कार्यान्वयन विभागों के लिए निम्नलिखित प्रक्रिया का पालन करने पर जोर देता है [1]:

  • SNA खाते खोलना: सिंगल नोडल एजेंसियां (SNAs) RBI में SLS-वार आहरण खाते खोलेंगी। आवेदन पत्र विभाग के लेटर हेड पर भरा जाएगा और सत्यापन/प्रमाणीकरण के लिए वित्त (तरीके और साधन) विभाग के संयुक्त सचिव को प्रस्तुत किया जाएगा। इसे AG कार्यालय की मंजूरी के बाद RBI को भेजा जाएगा।
  • फंड शेयरिंग अनुपात की एकरूपता: यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि उस SLS के सभी घटकों के तहत केंद्र-राज्य फंड शेयरिंग अनुपात एक समान हो। यदि घटकों में भिन्न शेयरिंग पैटर्न है, तो भारत सरकार के संबंधित मंत्रालय के परामर्श से उप-योजनाओं/घटकों के लिए अलग SLS खोला जाना चाहिए।
  • PFMS पर ऑन-बोर्डिंग: RBI में आहरण खाते खोलने के बाद, PFMS के SNA-SPARSH प्लेटफॉर्म पर योजना को ऑन-बोर्ड करने और CSS को 'चिह्नित' करने के लिए PFMS डिवीजन राजस्थान से संपर्क किया जाना चाहिए।
  • मौजूदा SNA खातों का बंद होना: SNA-SPARSH प्लेटफॉर्म पर योजना के ऑन-बोर्ड होने पर, राज्य विभाग को DOE के 23 मार्च 2021 के पहले के दिशानिर्देशों के अनुसार फंड जारी करने के लिए मौजूदा SNA प्लेटफॉर्म का उपयोग तुरंत बंद कर देना चाहिए और योजना के सभी मौजूदा SNA खातों को बंद कर देना चाहिए।
  • अप्रयुक्त शेष राशि की वापसी: SNA खाते में पड़ी अप्रयुक्त शेष राशि का केंद्रीय हिस्सा भारत के समेकित कोष (CFI) में वापस किया जाएगा; इसी तरह, SNA खाते में पड़ी अप्रयुक्त शेष राशि का राज्य हिस्सा राज्य के समेकित कोष में वापस किया जाएगा।
  • धन का गैर-विचलन: धन संबंधित समेकित कोष में रहेगा और इस परिपत्र में विस्तृत प्रक्रिया के अनुसार 'जस्ट-इन-टाइम' आधार पर लाभार्थियों/विक्रेताओं को जारी किया जाएगा। धन को विभाग/SNA द्वारा किसी भी व्यक्तिगत जमा (PD) खाते या किसी अन्य खाते में नहीं मोड़ा जाएगा।
  • SNA का पदनाम: राज्य विभागों के प्रमुख उन योजनाओं के लिए नए तंत्र के तहत CSS के अनुरूप राज्य-लिंक्ड योजनाओं (SLSs) के लिए सिंगल नोडल एजेंसियों (SNAs) को नामित करेंगे जिन्हें वे लागू करते हैं। मौजूदा 'SNA मॉडल' के तहत SNAs को SNA-SPARSH मॉडल के तहत भी नामित किया जा सकता है।
  • टॉप-अप योजनाओं के लिए: राज्य सरकार द्वारा टॉप-अप वाली योजनाओं के मामले में, भारत सरकार के मंत्रालय/विभाग उन भुगतान फाइलों के खिलाफ केंद्रीय हिस्से के लिए स्वीकृति उत्पन्न नहीं करेंगे जो टॉप-अप राशि को अलग से नहीं दर्शाती हैं।

SNA-SPARSH के लाभ

SNA-SPARSH मॉडल के कार्यान्वयन से कई महत्वपूर्ण लाभ अपेक्षित हैं [2, 4, 5, 6]:

  • लागत दक्षता: धन की आवश्यकतानुसार उपलब्धता सुनिश्चित करके उधार लेने से जुड़ी लागतों को कम करता है, जिससे निष्क्रिय धन का जमावड़ा कम होता है।
  • बेहतर निगरानी और पारदर्शिता: सहायक खातों में अप्रयुक्त धन के संचय को रोकता है और धन के रिलीज और उपयोग की निगरानी में पारदर्शिता बढ़ाता है। यह हितधारकों को केंद्रीय धन के रिलीज और उपयोग की अधिक प्रभावी ढंग से निगरानी करने की अनुमति देता है, जिससे बेहतर जवाबदेही और शासन को बढ़ावा मिलता है।
  • तेज और समय पर वितरण: RBI सीधे लाभार्थियों को धन हस्तांतरित करता है, जिससे समय पर वितरण सुनिश्चित होता है और अनावश्यक देरी समाप्त होती है। यह क्षेत्र स्तर की एजेंसियों तक धन प्रवाह में लगने वाले समय को कम करता है।
  • नकदी प्रबंधन में सुधार: अनावश्यक सरकारी उधार की आवश्यकता को कम करके नकदी प्रबंधन में सुधार करता है।
  • सरलीकृत उपयोगिता प्रमाण पत्र: चूंकि केंद्रीय प्रायोजित योजना पर व्यय अब एक ही खाते से किया जाता है, इसलिए राज्यों के लिए उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा करने की प्रक्रिया बहुत आसान हो गई है।
  • प्रबंधकीय निर्णय लेने में सहायता: यह उच्चतम स्तर पर प्रबंधकीय निर्णय लेने में मदद करता है।

चुनौतियाँ और आगे की राह

इस बड़े वित्तीय सुधार के सफल कार्यान्वयन के लिए कुछ चुनौतियाँ भी हैं। इसमें राज्य विभागों, बैंकों और PFMS के बीच मजबूत समन्वय और तकनीकी एकीकरण की आवश्यकता होगी। कर्मचारियों को नए सिस्टम के बारे में प्रशिक्षित करना और किसी भी प्रारंभिक तकनीकी बाधाओं को दूर करना महत्वपूर्ण होगा। हालांकि, यह प्रणाली केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर वित्तीय अनुशासन और जवाबदेही को और मजबूत करेगी, जिससे सुशासन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ेगा। हिमाचल प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों ने पहले ही SNA-SPARSH मॉडल को सफलतापूर्वक लागू या पायलट किया है, जो इसके प्रभावी होने का प्रमाण है [4, 7]।

निष्कर्ष

राजस्थान वित्त विभाग का परिपत्र 14498, भारत सरकार के 'जस्ट-इन-टाइम' वित्तीय प्रबंधन के दृष्टिकोण के अनुरूप, राज्य में केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं के फंड प्रबंधन में एक महत्वपूर्ण सुधार का प्रतिनिधित्व करता है। SNA-SPARSH मॉडल को अपनाकर, राजस्थान सरकार न केवल वित्तीय दक्षता और पारदर्शिता बढ़ा रही है, बल्कि यह भी सुनिश्चित कर रही है कि सार्वजनिक धन का उपयोग अधिक प्रभावी ढंग से और समय पर हो, जिससे अंततः लाभार्थियों को सीधा लाभ मिले। यह पहल सुशासन और वित्तीय जवाबदेही की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो राज्य के वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करेगा और विकास परियोजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करेगा।

संदर्भ: राजस्थान वित्त विभाग परिपत्र 14498

राजस्थान सरकार, वित्त विभाग. (2025). *परिपत्र संख्या 14498*. https://finance.rajasthan.gov.in/PDFDOCS/WM/14498.pdf

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