"भारत में हरित क्रांति: उद्भव, प्रभाव, चुनौतियाँ और सतत समाधान | Sarkari Service Prep"
भारत में हरित क्रांति और उसका प्रभाव – विस्तृत अध्ययन
इस लेख में हरित क्रांति (Green Revolution) का परिचय, भारत में इसका प्रभाव, लाभ और हानियाँ, प्रमुख वैज्ञानिक, सरकारी योजनाएँ, वर्तमान कृषि स्थिति और UPSC एवं अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण प्रश्न शामिल हैं।
🔷 भाग 1: हरित क्रांति – एक परिचय
📌 हरित क्रांति क्या है?
✅ हरित क्रांति (Green Revolution) का अर्थ कृषि उत्पादन में क्रांतिकारी परिवर्तन लाना है, जिसमें वैज्ञानिक तकनीकों और उच्च उत्पादकता वाली फसलों का उपयोग किया जाता है।
✅ यह 1950-60 के दशक में शुरू हुआ और 1960-70 के दशक में भारत में अपनाया गया।
✅ "हरित क्रांति" शब्द नॉर्मन बोरलॉग (Norman Borlaug) ने दिया, जो इसे दुनिया में शुरू करने वाले वैज्ञानिक थे।
✅ भारत में इस क्रांति के जनक डॉ. एम. एस. स्वामीनाथन को माना जाता है।
📌 वैज्ञानिक रिपोर्ट: हरित क्रांति से पहले भारत में प्रति हेक्टेयर गेहूँ उत्पादन 1.2 टन था, जो 1990 तक 3.5 टन हो गया।
🔷 भाग 2: भारत में हरित क्रांति की पृष्ठभूमि
स्वतंत्रता के बाद भारत खाद्यान्न संकट से जूझ रहा था।
✅ 1947-1960 के दशक में खाद्यान्न उत्पादन अपर्याप्त था और भारत को PL-480 योजना के तहत अमेरिका से अनाज आयात करना पड़ा।
✅ 1965 के भारत-पाक युद्ध के बाद अमेरिका ने गेहूँ निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया, जिससे खाद्यान्न आत्मनिर्भरता की आवश्यकता महसूस हुई।
✅ इस संकट को दूर करने के लिए भारत सरकार ने 1965 में हरित क्रांति को अपनाने का निर्णय लिया।
📌 महत्वपूर्ण तथ्य: 1965-66 में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने HYV (High Yield Variety) गेहूँ के बीजों को विकसित करने का काम शुरू किया।
🔷 भाग 3: हरित क्रांति के प्रमुख घटक
✅ 1️⃣ उच्च उत्पादकता वाली फसलें (HYV Seeds):
- HYV गेहूँ, चावल, मक्का और ज्वार जैसी फसलों का उपयोग किया गया।
✅ 2️⃣ रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक:
- उत्पादन बढ़ाने के लिए नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश (NPK) युक्त उर्वरकों का उपयोग बढ़ा।
✅ 3️⃣ आधुनिक सिंचाई तकनीकें:
- नहरें, कुएँ, ट्यूबवेल, ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई को बढ़ावा दिया गया।
✅ 4️⃣ कृषि यंत्रीकरण:
- ट्रैक्टर, हार्वेस्टर और आधुनिक उपकरणों के उपयोग से कृषि कार्यों की गति तेज हुई।
✅ 5️⃣ संस्थागत समर्थन:
- राष्ट्रीयकृत बैंक और सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को ऋण सहायता दी गई।
📌 ICAR की रिपोर्ट: HYV बीजों का उपयोग करने से गेहूँ का उत्पादन 1970-80 के दशक में 50% बढ़ा।
🔷 भाग 4: हरित क्रांति के प्रभाव
(A) आर्थिक प्रभाव (Economic Impact)
✅ खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि:
- 1950 में भारत का खाद्यान्न उत्पादन 50 मिलियन टन था, जो 1990 में 176 मिलियन टन हो गया।
✅ कृषि से जुड़े उद्योगों का विकास:
- उर्वरक, कीटनाशक, ट्रैक्टर, बीज और सिंचाई उपकरणों का उत्पादन बढ़ा।
✅ आय और रोजगार में वृद्धि:
- पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई।
📌 सरकारी रिपोर्ट: 1970-80 के दशक में हरित क्रांति से कृषि GDP में 4% की वार्षिक वृद्धि हुई।
(B) सामाजिक प्रभाव (Social Impact)
✅ कृषकों की जीवनशैली में सुधार:
- किसानों की आय में वृद्धि हुई और शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार हुआ।
✅ क्षेत्रीय असमानता:
- हरित क्रांति का प्रभाव केवल कुछ राज्यों में रहा, जबकि पूर्वी भारत में विकास धीमा रहा।
✅ कृषि में जातिगत और सामाजिक परिवर्तन:
- जमींदारी प्रथा समाप्त हुई और छोटे किसानों को भी कृषि का लाभ मिला।
📌 FAO रिपोर्ट: भारत 2010 तक चावल और गेहूँ उत्पादन में आत्मनिर्भर हो गया।
(C) पर्यावरणीय प्रभाव (Environmental Impact)
✅ मिट्टी की उर्वरता में गिरावट:
- अत्यधिक उर्वरकों के उपयोग से भूमि की उत्पादकता कम होने लगी।
✅ जल संकट:
- अत्यधिक सिंचाई से भूजल स्तर में गिरावट आई।
✅ जैव विविधता पर प्रभाव:
- HYV फसलों के बढ़ते उपयोग से परंपरागत फसलें लुप्त होने लगीं।
📌 राष्ट्रीय जल आयोग (CWC) की रिपोर्ट: हरित क्रांति के कारण पंजाब और हरियाणा में भूजल स्तर प्रति वर्ष 1 मीटर घट रहा है।
🔷 भाग 5: हरित क्रांति के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव
📌 ICAR के अनुसार, 2050 तक भारत को "सतत कृषि नीति" अपनानी होगी, ताकि हरित क्रांति के दुष्प्रभाव कम किए जा सकें।
🔷 भाग 6: UPSC एवं प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1: भारत में हरित क्रांति कब शुरू हुई?
📌 उत्तर: 1965-66 के दौरान।
प्रश्न 2: हरित क्रांति का भारत में जनक किसे कहा जाता है?
📌 उत्तर: डॉ. एम. एस. स्वामीनाथन।
प्रश्न 3: हरित क्रांति का सबसे अधिक प्रभाव किन राज्यों में हुआ?
📌 उत्तर: पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश।
प्रश्न 4: हरित क्रांति में कौन-कौन सी प्रमुख फसलें शामिल थीं?
📌 उत्तर: गेहूँ, चावल, मक्का, ज्वार।
प्रश्न 5: हरित क्रांति के कारण कौन-कौन सी पर्यावरणीय समस्याएँ उत्पन्न हुईं?
📌 उत्तर: भूमि की उर्वरता में कमी, जल संकट, जैव विविधता में गिरावट।
🔷 निष्कर्ष (Conclusion)
✅ हरित क्रांति ने भारत को खाद्य आत्मनिर्भरता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
✅ हालांकि, इसके कुछ नकारात्मक प्रभाव भी देखे गए, जिससे सतत कृषि की आवश्यकता महसूस हुई।
✅ भविष्य में जैविक कृषि, सूक्ष्म सिंचाई और प्राकृतिक खेती को अपनाकर स्थायी कृषि विकास किया जा सकता है।
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🔷 भाग 7: हरित क्रांति के बाद की कृषि नीति और सुधार
हरित क्रांति के प्रभाव को देखते हुए भारत सरकार ने कृषि को और मजबूत करने के लिए विभिन्न नीतियाँ और योजनाएँ लागू की हैं। ये नीतियाँ हरित क्रांति के दुष्प्रभावों को कम करने और सतत कृषि (Sustainable Agriculture) को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई हैं।
📌 1️⃣ हरित क्रांति के बाद भारत में कृषि सुधार
(A) द्वितीय हरित क्रांति (Second Green Revolution)
✅ 2000 के दशक में भारत सरकार ने पूर्वी भारत (बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, असम) में हरित क्रांति को फैलाने के लिए नई रणनीति बनाई।
✅ इसमें कृषि विविधीकरण, जल प्रबंधन, और जैविक कृषि को शामिल किया गया।
✅ भारत सरकार ने राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSM) को लागू किया।
📌 FAO रिपोर्ट: द्वितीय हरित क्रांति के तहत भारत में धान और गेहूँ के उत्पादन में 20% की वृद्धि दर्ज की गई।
(B) कृषि यंत्रीकरण (Mechanization of Agriculture)
✅ हरित क्रांति के बाद ट्रैक्टर, हार्वेस्टर, बीज ड्रिल मशीन, और ड्रिप सिंचाई प्रणाली का उपयोग बढ़ा।
✅ किसानों को कृषि यंत्रों पर सब्सिडी दी जाने लगी।
📌 सरकारी रिपोर्ट: भारत में 2010-2020 के बीच ट्रैक्टर की बिक्री में 30% की वृद्धि हुई।
(C) फसल विविधीकरण (Crop Diversification)
✅ सिर्फ गेहूँ और चावल पर निर्भरता को कम करने के लिए दलहन, तिलहन, बागवानी और जैविक कृषि को बढ़ावा दिया गया।
✅ राष्ट्रीय बागवानी मिशन (NHM) और राष्ट्रीय तिलहन मिशन शुरू किए गए।
📌 कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट: फसल विविधीकरण से भारत में दलहन उत्पादन 30% बढ़ा।
📌 2️⃣ हरित क्रांति के दुष्प्रभावों को कम करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम
📌 ICAR की रिपोर्ट: भारत में 40% से अधिक कृषि भूमि मृदा क्षरण (Soil Degradation) से प्रभावित हो रही है।
🔷 भाग 8: हरित क्रांति और वर्तमान कृषि चुनौतियाँ
📌 1️⃣ प्रमुख कृषि चुनौतियाँ
✅ 1️⃣ जलवायु परिवर्तन (Climate Change):
- मानसून की अनिश्चितता, तापमान में वृद्धि, और अधिक बाढ़ एवं सूखा।
✅ 2️⃣ किसानों की आय में असमानता:
- हरित क्रांति से केवल कुछ राज्यों (पंजाब, हरियाणा) को लाभ हुआ, लेकिन पूर्वी और दक्षिणी भारत को अपेक्षित लाभ नहीं मिला।
✅ 3️⃣ भूजल संकट:
- हरित क्रांति के कारण पंजाब और हरियाणा में भूजल स्तर तेजी से गिरा।
✅ 4️⃣ रासायनिक उर्वरकों का अधिक उपयोग:
- मृदा प्रदूषण (Soil Pollution) बढ़ा, जिससे जैव विविधता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा।
📌 NITI Aayog रिपोर्ट: यदि जलवायु परिवर्तन और जल संकट को नियंत्रित नहीं किया गया, तो 2050 तक भारत की कृषि उत्पादकता में 15% की गिरावट आ सकती है।
📌 2️⃣ सतत कृषि (Sustainable Agriculture) को बढ़ावा देने के लिए सुझाव
✅ 1️⃣ प्राकृतिक खेती और जैविक कृषि को बढ़ावा देना।
✅ 2️⃣ सूक्ष्म सिंचाई (Drip & Sprinkler Irrigation) को बढ़ावा देना।
✅ 3️⃣ किसान शिक्षा और जागरूकता कार्यक्रम चलाना।
✅ 4️⃣ सरकार को 'द्वितीय हरित क्रांति' को संपूर्ण भारत में लागू करना चाहिए।
📌 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘अटल भूजल योजना’ (Atal Bhujal Yojana) शुरू की, जिससे जल संकट से निपटा जा सके।
🔷 भाग 9: UPSC एवं प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
📌 हरित क्रांति से संबंधित प्रश्नोत्तरी (MCQs & Short Questions)
प्रश्न 1: भारत में हरित क्रांति के जनक कौन हैं?
📌 उत्तर: डॉ. एम. एस. स्वामीनाथन।
प्रश्न 2: हरित क्रांति का मुख्य उद्देश्य क्या था?
📌 उत्तर: खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाना और भारत को आत्मनिर्भर बनाना।
प्रश्न 3: हरित क्रांति के कारण भारत में किन फसलों का उत्पादन सबसे अधिक बढ़ा?
📌 उत्तर: गेहूँ और धान।
प्रश्न 4: हरित क्रांति से सबसे अधिक प्रभावित राज्य कौन-से थे?
📌 उत्तर: पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश।
प्रश्न 5: हरित क्रांति के कारण कौन-कौन सी पर्यावरणीय समस्याएँ उत्पन्न हुईं?
📌 उत्तर: जल संकट, मिट्टी की उर्वरता में गिरावट, जैव विविधता में कमी।
प्रश्न 6: भारत में दूसरी हरित क्रांति (Second Green Revolution) का मुख्य उद्देश्य क्या था?
📌 उत्तर: पूर्वी भारत में खाद्यान्न उत्पादन को बढ़ावा देना।
प्रश्न 7: भारत सरकार ने हरित क्रांति के प्रभाव को संतुलित करने के लिए कौन-कौन सी योजनाएँ शुरू कीं?
📌 उत्तर: प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना, जैविक खेती मिशन।
🔷 निष्कर्ष (Conclusion)
✅ हरित क्रांति ने भारत को खाद्यान्न आत्मनिर्भरता दिलाई और कृषि को वैज्ञानिक दृष्टिकोण प्रदान किया।
✅ हालांकि, इसके कुछ नकारात्मक प्रभाव भी देखे गए, जिससे सतत कृषि (Sustainable Agriculture) की आवश्यकता महसूस हुई।
✅ भविष्य में जैविक कृषि, प्राकृतिक खेती, और जल प्रबंधन तकनीकों को अपनाकर हरित क्रांति के दुष्प्रभावों को कम किया जा सकता है।
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