हर्षवर्धन साम्राज्य | हर्षवर्धन का शासन, विजय अभियान और संस्कृति | UPSC एवं सरकारी परीक्षाओं के लिए संपूर्ण अध्ययन
📜 हर्षवर्धन साम्राज्य – उत्तर भारत का महान शासक 📜
हर्षवर्धन का शासनकाल, प्रशासन, विजय अभियान, धार्मिक नीतियाँ, और सांस्कृतिक योगदान। UPSC, SSC और अन्य सरकारी परीक्षाओं के लिए प्रमाणिक ऐतिहासिक अध्ययन।
🔷 प्रस्तावना
हर्षवर्धन (Harshavardhana) ने 606 ईस्वी में पुष्यभूति वंश के शासक के रूप में उत्तर भारत में एक शक्तिशाली साम्राज्य की स्थापना की।
✅ उनका शासनकाल 606 से 647 ईस्वी तक रहा।
✅ उन्होंने कन्नौज (Kannauj) को अपनी राजधानी बनाया।
✅ वह एक कुशल सेनापति, विद्वान और धर्मपरायण शासक थे।
✅ उन्होंने हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म दोनों को संरक्षण दिया।
हर्षवर्धन के शासनकाल में उत्तर भारत राजनीतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से समृद्ध हुआ।
🔷 हर्षवर्धन की वंशावली और सत्ता प्राप्ति
1️⃣ पुष्यभूति वंश और हर्ष का उत्थान
✅ हर्षवर्धन पुष्यभूति वंश से संबंधित थे, जिसका केंद्र थानेसर (हरियाणा) था।
✅ उनके पिता प्रभाकरवर्धन थे, जिन्होंने हूणों से संघर्ष किया था।
✅ हर्ष के बड़े भाई राज्यवर्धन की हत्या गौड़ शासक शशांक ने कर दी थी, जिसके बाद हर्षवर्धन गद्दी पर बैठे।
2️⃣ हर्षवर्धन की विजय अभियान और विस्तार
✅ गौड़ राज्य पर आक्रमण: हर्षवर्धन ने बंगाल के शासक शशांक को हराया।
✅ मालवा, कन्नौज और मैत्रक पर अधिकार: हर्ष ने इन राज्यों को अपने साम्राज्य में शामिल किया।
✅ चालुक्य राजा पुलकेशिन द्वितीय से पराजय: नर्मदा नदी के पास पुलकेशिन द्वितीय (Chalukya Dynasty) ने हर्ष को पराजित किया।
🔗 हर्षवर्धन के विजय अभियानों पर शोध – Archaeological Survey of India
🔷 हर्षवर्धन का प्रशासनिक ढाँचा
✅ हर्षवर्धन सम्राट होते हुए भी एक उदार शासक थे।
✅ उन्होंने संघीय प्रशासन प्रणाली अपनाई।
✅ राज्य को भू-राजस्व और व्यापारिक करों से आय प्राप्त होती थी।
प्रशासनिक विभाग:
- महासंधिविग्रहिक: विदेश नीति का प्रमुख
- महादंडनायक: न्याय व्यवस्था का प्रमुख
- भटसंग्रहिक: सैन्य संचालन का प्रमुख
🔗 प्राचीन भारतीय प्रशासन पर शोध – National Museum of India
🔷 हर्षवर्धन की धार्मिक नीतियाँ
✅ प्रारंभ में हिंदू शैव मत के अनुयायी थे।
✅ बाद में बौद्ध धर्म की ओर आकर्षित हुए।
✅ हर्ष ने कन्नौज में बौद्ध धर्म सभा का आयोजन किया।
✅ उन्होंने चीन के यात्री ह्वेनसांग (Xuanzang) को संरक्षण दिया।
🔗 हर्षवर्धन और बौद्ध धर्म पर शोध – Indira Gandhi National Centre for the Arts
🔷 हर्षवर्धन की साहित्यिक उपलब्धियाँ
✅ हर्षवर्धन एक महान कवि और लेखक थे।
✅ उन्होंने संस्कृत में तीन नाटक लिखे:
- नागानंद
- रत्नावली
- प्रियदर्शिका
✅ उनके दरबार में प्रसिद्ध कवि बाणभट्ट थे, जिन्होंने हर्षचरितम् (Harshacharita) लिखा।
🔗 प्राचीन भारतीय साहित्य पर शोध – Sanskrit Documents
🔷 हर्षवर्धन साम्राज्य का पतन
✅ 647 ईस्वी में हर्षवर्धन की मृत्यु हुई।
✅ उनकी कोई संतान नहीं थी, जिससे वंश समाप्त हो गया।
✅ गुर्जर-प्रतिहारों और राष्ट्रकूटों के उदय से कन्नौज का महत्व कम हुआ।
🔗 हर्षवर्धन के पतन पर शोध – Cambridge Ancient History
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🔷 निष्कर्ष
हर्षवर्धन एक शक्तिशाली और विद्वान सम्राट थे, जिन्होंने भारत में कला, संस्कृति और धर्म को बढ़ावा दिया।
✅ उन्होंने प्रशासनिक और सैन्य संगठन को मजबूत किया।
✅ ह्वेनसांग के विवरण के अनुसार, हर्ष का शासनकाल भारत के समृद्ध कालों में से एक था।
✅ उनके बाद भारत में छोटी-छोटी राज्यों की स्थापना हुई और गुप्तकाल की तरह विशाल साम्राज्य फिर नहीं बना।
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