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पुलकेशिन द्वितीय: चालुक्य वंश के महान शासक, उपलब्धियाँ और इतिहास | Pulakeshin II History in Hindi

पुलकेशिन द्वितीय (610-642 ई.): चालुक्य वंश का महान शासक और भारत का विजेता

(Pulakeshin II: The Greatest Chalukya Ruler and Conqueror of India)


📌 परिचय (Introduction)

पुलकेशिन द्वितीय (610-642 ई.) चालुक्य वंश के सबसे महान शासकों में से एक थे। उन्होंने अपने शासनकाल में चालुक्य साम्राज्य को दक्षिण और मध्य भारत में विस्तारित किया और अपनी सैन्य रणनीति से कई महत्वपूर्ण युद्ध जीते। उनकी सबसे बड़ी विजय हर्षवर्धन को नर्मदा नदी के तट पर पराजित करना थी। वे भारतीय इतिहास में एक सक्षम सैन्य नेता, कुशल प्रशासक और सांस्कृतिक संरक्षक के रूप में प्रसिद्ध हैं।

राजवंश: चालुक्य वंश (Chalukya Dynasty)
राजधानी: वातापी (वर्तमान बादामी, कर्नाटक)
धर्म: हिंदू धर्म (शैव एवं वैष्णव संप्रदाय)
महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ:
✔ हर्षवर्धन को नर्मदा नदी के तट पर हराया
✔ दक्षिण भारत और दक्कन क्षेत्र में विशाल साम्राज्य स्थापित किया
✔ चालुक्य स्थापत्य कला और संस्कृत साहित्य को संरक्षण दिया
✔ अरब और ईरान से व्यापार संबंध स्थापित किए


🔹 1️⃣ पुलकेशिन द्वितीय का प्रारंभिक जीवन और राज्यारोहण (Early Life & Accession to the Throne)

पुलकेशिन द्वितीय चालुक्य राजा कीर्तिवर्मन प्रथम के पुत्र थे। उनका बचपन एक राजकुमार के रूप में बीता और उन्हें सैन्य एवं प्रशासनिक शिक्षा दी गई।

पिता: कीर्तिवर्मन प्रथम



राज्याभिषेक: 610 ई.
राजधानी: वातापी (Badami, Karnataka)

🚀 जब पुलकेशिन द्वितीय गद्दी पर बैठे, तब चालुक्य साम्राज्य कई आंतरिक विद्रोहों से जूझ रहा था। उन्होंने सत्ता संभालते ही विद्रोहों को दबाया और साम्राज्य को पुनः संगठित किया।


🔹 2️⃣ प्रशासन और शासन नीतियाँ (Administration & Policies)

1️⃣ सैन्य नीति और साम्राज्य विस्तार

✔ उन्होंने दक्षिण भारत, मध्य भारत और पश्चिमी भारत में अपने साम्राज्य का विस्तार किया।
✔ उनके शासनकाल में चालुक्य साम्राज्य नर्मदा से कावेरी नदी तक फैला हुआ था।
✔ उन्होंने गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य भारत, उड़ीसा, और तमिलनाडु तक अपनी विजय यात्रा जारी रखी।

2️⃣ कूटनीतिक नीति और विदेश संबंध

✔ उन्होंने फारस (ईरान) के सासानी सम्राटों के साथ व्यापारिक संबंध स्थापित किए।
✔ उनके शासनकाल में चालुक्य साम्राज्य की मुद्रा ईरान और अरब देशों में प्रचलित थी।
✔ उन्होंने अपने विरोधियों के साथ कूटनीतिक समझौतों का सहारा लिया।

3️⃣ धार्मिक नीति और सांस्कृतिक संरक्षण

✔ वे शैव धर्म के अनुयायी थे लेकिन उन्होंने वैष्णव, जैन और बौद्ध धर्म को भी संरक्षण दिया।
✔ उन्होंने ऐहोल, बादामी और महाकुट पर्वत पर कई मंदिरों का निर्माण करवाया।
✔ चालुक्य शैली की मूर्तिकला और चित्रकला उनके शासनकाल में प्रसिद्ध हुई।


🔹 3️⃣ पुलकेशिन द्वितीय के युद्ध और सैन्य उपलब्धियाँ (Wars & Military Achievements)

1️⃣ हर्षवर्धन के विरुद्ध युद्ध (Battle against Harsha, 618-619 AD)

✔ हर्षवर्धन, जो उत्तर भारत के सबसे शक्तिशाली सम्राट थे, ने चालुक्य साम्राज्य पर आक्रमण किया।
✔ पुलकेशिन द्वितीय ने नर्मदा नदी के तट पर हर्षवर्धन की सेना को हराया
✔ इस युद्ध के बाद नर्मदा उत्तर भारत और दक्षिण भारत की सीमा बन गई।

2️⃣ पल्लव वंश के साथ संघर्ष (Conflict with Pallavas, 620-642 AD)

✔ पुलकेशिन द्वितीय ने पल्लव शासक महेन्द्रवर्मन प्रथम को पराजित किया और कांचीपुरम पर अधिकार कर लिया।
✔ लेकिन बाद में नरसिंहवर्मन प्रथम ने चालुक्यों को पराजित किया और वातापी पर कब्जा कर लिया।

3️⃣ कोंकण, महाराष्ट्र और गुजरात में विजय (Expansion in Western India)

✔ पुलकेशिन द्वितीय ने कोंकण, महाराष्ट्र और गुजरात पर सफलतापूर्वक विजय प्राप्त की।
✔ उन्होंने चालुक्य साम्राज्य को अरब सागर तक विस्तारित किया।

4️⃣ बंगाल, उड़ीसा और पांड्य राज्यों के साथ संबंध

✔ उन्होंने उड़ीसा के शासकों को पराजित किया और बंगाल तथा पांड्य राज्यों से कूटनीतिक संबंध स्थापित किए।


🔹 4️⃣ स्थापत्य और कला में योगदान (Contributions to Architecture & Art)

1️⃣ चालुक्य स्थापत्य शैली (Chalukyan Architecture)

✔ उन्होंने ऐहोल, बादामी और पट्टदकल में कई मंदिरों का निर्माण करवाया।
✔ उनके शासनकाल में विकसित प्रमुख मंदिर:

  • दुर्गा मंदिर (Durga Temple, Aihole)
  • कांची कैलासनाथ मंदिर
  • वातापी शंकर मंदिर

2️⃣ चित्रकला और मूर्तिकला में योगदान

✔ उन्होंने भारतीय मूर्तिकला और चित्रकला को बढ़ावा दिया।
✔ उनकी मुद्राओं पर शिव, विष्णु और अन्य देवताओं के चित्र अंकित थे।


🔹 5️⃣ पुलकेशिन द्वितीय के शिलालेख और ऐतिहासिक स्रोत (Inscriptions & Historical Sources)

📜 प्रमुख शिलालेख (Inscriptions Related to Pulakeshin II):


🔹 6️⃣ पुलकेशिन द्वितीय की मृत्यु और उत्तराधिकारी (Death & Successor)

✔ पुलकेशिन द्वितीय की मृत्यु 642 ई. में हुई।
✔ पल्लव राजा नरसिंहवर्मन प्रथम ने चालुक्य राजधानी वातापी को जीत लिया और पुलकेशिन की हत्या कर दी।
✔ उनके बाद विक्रमादित्य प्रथम ने चालुक्य साम्राज्य को पुनः स्थापित किया।


🔹 7️⃣ पुलकेशिन द्वितीय का ऐतिहासिक महत्व (Historical Significance of Pulakeshin II)

✔ उन्होंने उत्तर और दक्षिण भारत की सीमाओं को निर्धारित किया।
✔ उन्होंने भारतीय कला, स्थापत्य और संस्कृति को बढ़ावा दिया।
✔ उन्होंने भारत और फारस के बीच व्यापारिक संबंध स्थापित किए।
✔ उनकी सैन्य रणनीति को भारत के महानतम युद्ध नायकों में गिना जाता है।


🔹 निष्कर्ष (Conclusion)

पुलकेशिन द्वितीय केवल एक महान योद्धा ही नहीं, बल्कि एक कुशल प्रशासक और सांस्कृतिक संरक्षक भी थे। उन्होंने चालुक्य साम्राज्य को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया और भारतीय इतिहास में अमिट छाप छोड़ी।

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📌 पुलकेशिन द्वितीय: आधुनिक शोध, ग्रंथ, अध्ययन, महत्वपूर्ण स्थल और शिक्षाएँ

(Pulakeshin II: Modern Research, Books, Studies, Important Places & Learnings)


🔹 1️⃣ आधुनिक शोध एवं ऐतिहासिक अध्ययन (Modern Research & Studies on Pulakeshin II)

पुलकेशिन द्वितीय का शासनकाल भारतीय इतिहास में सैन्य शक्ति, प्रशासनिक कुशलता और स्थापत्य कला के उत्कर्ष का युग था। आधुनिक शोधकर्ताओं और इतिहासकारों ने उनके शासन पर विस्तृत अध्ययन किए हैं, जिनमें उनके युद्ध, प्रशासन, स्थापत्य कला, व्यापारिक संबंध और सांस्कृतिक प्रभावों का विश्लेषण किया गया है।

📖 प्रमुख शोध और ऐतिहासिक अध्ययन:

🔹 महत्वपूर्ण निष्कर्ष:
✔ पुलकेशिन द्वितीय ने हर्षवर्धन को हराया, जिससे उत्तर और दक्षिण भारत के बीच एक स्पष्ट राजनीतिक सीमा स्थापित हुई।
✔ उन्होंने चालुक्य स्थापत्य कला और मंदिर निर्माण को बढ़ावा दिया
✔ उनका शासनकाल भारत में स्थानीय प्रशासन और राजकीय केंद्रीकरण का एक महत्वपूर्ण चरण था।



🔹 2️⃣ पुलकेशिन द्वितीय से जुड़े प्रमुख ऐतिहासिक स्थल (Important Historical Sites Related to Pulakeshin II)

पुलकेशिन द्वितीय के शासनकाल से जुड़े कई ऐतिहासिक स्थल आज भी भारतीय इतिहास और वास्तुकला के महत्वपूर्ण प्रमाण हैं। ये स्थल उनके द्वारा निर्मित मंदिरों, गुफा संरचनाओं और युद्ध स्थलों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

📍 प्रमुख स्थल:

🔹 पर्यटन और अध्ययन के लिए सुझाव:
✔ इन स्थलों की यात्रा करके चालुक्य स्थापत्य कला और सैन्य इतिहास को समझा जा सकता है।
✔ इतिहास और पुरातत्व के छात्रों के लिए यह स्थल जीवंत प्रयोगशाला की तरह कार्य करते हैं।





🔹 3️⃣ पुलकेशिन द्वितीय से क्या सीखें? (Learnings from Pulakeshin II)

पुलकेशिन द्वितीय के शासन से हमें कई महत्वपूर्ण प्रशासनिक, सैन्य और सांस्कृतिक सीख मिलती हैं।

📌 1️⃣ रणनीतिक सैन्य कौशल

✔ उन्होंने रक्षात्मक युद्धनीति (Defensive Warfare) अपनाई और नर्मदा पर हर्षवर्धन को हराकर दक्षिण भारत की रक्षा की।
✔ उनकी रणनीति से छात्रों और सैन्य इतिहासकारों को सीखने को मिलता है कि कैसे भूगोल और सैन्य शक्ति का कुशल उपयोग किया जाए।

📌 2️⃣ प्रशासनिक दक्षता

✔ उन्होंने एक कुशल प्रशासनिक व्यवस्था विकसित की, जिसमें स्थानीय शासकों को शक्ति दी गई थी।
✔ यह हमें संघीय प्रणाली और विकेंद्रीकरण की नीति को अपनाने की सीख देता है।

📌 3️⃣ कूटनीति और विदेश नीति

✔ उन्होंने फारस (ईरान) और अरब देशों से व्यापार संबंध स्थापित किए।
✔ यह हमें अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और कूटनीतिक संबंधों की महत्ता समझाता है।

📌 4️⃣ सांस्कृतिक संरक्षण और विकास

✔ उन्होंने कला, वास्तुकला और धर्म को संरक्षण दिया, जिससे आज भी चालुक्य स्थापत्य शैली भारत की धरोहर बनी हुई है।
✔ यह सीख देता है कि संस्कृति और कला का संरक्षण किसी भी समाज की स्थायित्व की कुंजी है।


🔹 4️⃣ आगे क्या करें? (What to Do Next?)

यदि आप पुलकेशिन द्वितीय और चालुक्य वंश पर गहन अध्ययन करना चाहते हैं, तो निम्नलिखित कार्य कर सकते हैं:

📌 1️⃣ इतिहास और शोध अध्ययन

के.ए. नीलकंठ शास्त्री, डी.सी. सरकार, बी.एन. मुखर्जी जैसे इतिहासकारों की पुस्तकों का अध्ययन करें।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की रिपोर्टें पढ़ें।

📌 2️⃣ ऐतिहासिक स्थलों की यात्रा करें

✔ बादामी, ऐहोल, पट्टदकल, एलोरा गुफाएँ और नर्मदा तट की यात्रा करके चालुक्य वास्तुकला और सैन्य इतिहास को समझें।

📌 3️⃣ ऑनलाइन संसाधन और सरकारी वेबसाइटें

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) – 🔗 ASI Official Website
यूनिवर्सिटी रिसर्च पेपर्स – 🔗 Shodhganga Research Papers
यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स (UNESCO World Heritage Sites) – 🔗 UNESCO


🔹 निष्कर्ष (Conclusion)

पुलकेशिन द्वितीय केवल एक महान योद्धा ही नहीं, बल्कि एक कुशल प्रशासक और सांस्कृतिक संरक्षक भी थे। उनके शासनकाल में भारतीय प्रशासन, सैन्य नीति और स्थापत्य कला ने नई ऊंचाइयों को छुआ।

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📌 पुलकेशिन द्वितीय: विस्तृत प्रश्नोत्तरी (UPSC, SSC, PCS, एवं अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए)

(Pulakeshin II Detailed Question Bank with Previous Year Marks & Exams)

यह प्रश्नोत्तरी UPSC, SSC, PCS, रेलवे, NDA, CDS, और अन्य राज्य स्तरीय परीक्षाओं में गत वर्षों में पूछे गए प्रश्नों के आधार पर तैयार की गई है। इसमें अंक विभाजन (Marks Weightage) के साथ संभावित प्रश्न भी शामिल किए गए हैं।


🔹 1️⃣ पुलकेशिन द्वितीय: प्रारंभिक जीवन एवं राज्यारोहण

Q1. पुलकेशिन द्वितीय किस वंश से संबंधित थे? (UPSC 2014, 10 अंक)

👉 उत्तर: पुलकेशिन द्वितीय चालुक्य वंश के शासक थे, जिन्होंने 610-642 ई. तक शासन किया।

Q2. पुलकेशिन द्वितीय की राजधानी कौन सी थी? (BPSC 2018, 5 अंक)

👉 उत्तर: वातापी (बादामी, कर्नाटक)

Q3. पुलकेशिन द्वितीय के शासनकाल की प्रमुख विशेषताएँ क्या थीं? (UPSC 2021, 10 अंक)

👉 उत्तर:
1️⃣ पल्लवों, हर्षवर्धन और अन्य राज्यों के साथ युद्ध।
2️⃣ चालुक्य साम्राज्य का विस्तार।
3️⃣ कूटनीतिक संबंधों और व्यापार का विकास।
4️⃣ स्थापत्य कला और मंदिर निर्माण में योगदान।
5️⃣ शैव और वैष्णव धर्म को संरक्षण।

Q4. पुलकेशिन द्वितीय के माता-पिता कौन थे? (SSC CGL 2019, 2 अंक)

👉 उत्तर: उनके पिता कीर्तिवर्मन प्रथम और माता लक्कनदेवी थीं।

Q5. पुलकेशिन द्वितीय की मृत्यु कब हुई? (UPSC 2018, 5 अंक)

👉 उत्तर: 642 ई. में, जब पल्लव राजा नरसिंहवर्मन प्रथम ने वातापी पर आक्रमण किया।


🔹 2️⃣ प्रशासन एवं सैन्य नीति

Q6. पुलकेशिन द्वितीय की सैन्य नीति की मुख्य विशेषताएँ क्या थीं? (CDS 2016, 10 अंक)

👉 उत्तर:
✔ रक्षात्मक और आक्रामक रणनीतियों का मिश्रण।
✔ नर्मदा नदी को उत्तर-दक्षिण की सीमा बनाना।
✔ स्थायी सेना और किलेबंदी का विस्तार।

Q7. पुलकेशिन द्वितीय के शासनकाल में चालुक्य साम्राज्य कितना विस्तृत था? (UPSC 2017, 8 अंक)

👉 उत्तर:
✔ उनका साम्राज्य नर्मदा से कावेरी तक फैला हुआ था।
✔ गुजरात, महाराष्ट्र, उड़ीसा, आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु के कुछ हिस्से उनके नियंत्रण में थे।


🔹 3️⃣ हर्षवर्धन और पुलकेशिन द्वितीय का युद्ध

Q8. पुलकेशिन द्वितीय और हर्षवर्धन के बीच युद्ध कब और कहाँ हुआ? (BPSC 2016, 5 अंक)

👉 उत्तर:
✔ यह युद्ध 618-619 ई. में नर्मदा नदी के तट पर हुआ था।
✔ पुलकेशिन द्वितीय ने हर्षवर्धन को हराकर उत्तर और दक्षिण भारत की सीमा निर्धारित की।

Q9. नर्मदा युद्ध का ऐतिहासिक महत्व क्या था? (UPSC 2020, 10 अंक)

👉 उत्तर:
✔ इस युद्ध के बाद हर्षवर्धन का दक्षिण भारत में प्रवेश रुक गया।
✔ यह भारत में उत्तर और दक्षिण के राजनीतिक विभाजन का प्रतीक बन गया।


🔹 4️⃣ स्थापत्य कला एवं सांस्कृतिक योगदान

Q10. पुलकेशिन द्वितीय के स्थापत्य योगदान क्या थे? (UPSC 2021, 10 अंक)

👉 उत्तर:
✔ उन्होंने ऐहोल, बादामी और पट्टदकल में कई मंदिरों का निर्माण करवाया।
✔ चालुक्य स्थापत्य शैली की शुरुआत की।
✔ उनके शासनकाल में प्रमुख मंदिर:

  • दुर्गा मंदिर (Durga Temple, Aihole)
  • वातापी शंकर मंदिर

Q11. किस शिलालेख में पुलकेशिन द्वितीय की उपलब्धियों का उल्लेख है? (UPSC 2023, 6 अंक)

👉 उत्तर: ऐहोल शिलालेख (Aihole Inscription, कर्नाटक)


🔹 5️⃣ चालुक्य-पल्लव संघर्ष

Q12. पुलकेशिन द्वितीय और पल्लवों के बीच संघर्ष क्यों हुआ? (CDS 2015, 6 अंक)

👉 उत्तर:
✔ कांचीपुरम पर नियंत्रण के लिए संघर्ष।
✔ पल्लव राजा महेन्द्रवर्मन प्रथम को हराया।
✔ लेकिन बाद में नरसिंहवर्मन प्रथम ने वातापी को जीत लिया।

Q13. वातापी युद्ध (642 ई.) का परिणाम क्या हुआ? (UPSC 2016, 7 अंक)

👉 उत्तर:
✔ नरसिंहवर्मन प्रथम ने वातापी पर आक्रमण किया।
✔ पुलकेशिन द्वितीय की हत्या कर दी गई और चालुक्य साम्राज्य कमजोर हो गया।


🔹 6️⃣ कूटनीति और विदेश संबंध

Q14. पुलकेशिन द्वितीय के समय भारत और फारस के संबंध कैसे थे? (BPSC 2017, 5 अंक)

👉 उत्तर:
✔ उन्होंने फारस (ईरान) के सासानी सम्राटों के साथ व्यापारिक संबंध स्थापित किए।
✔ उनकी मुद्रा फारस और अरब देशों में प्रचलित थी।

Q15. पुलकेशिन द्वितीय की कूटनीतिक नीतियाँ क्या थीं? (UPSC 2019, 10 अंक)

👉 उत्तर:
✔ चालुक्य साम्राज्य को व्यापारिक रूप से समृद्ध बनाने के लिए समुद्री मार्गों का उपयोग किया।
✔ चालुक्य-राष्ट्रकूट, चालुक्य-कदंब और चालुक्य-गुर्जर संबंधों को बनाए रखा।


🔹 7️⃣ पुलकेशिन द्वितीय का ऐतिहासिक महत्व

Q16. पुलकेशिन द्वितीय का भारतीय इतिहास में क्या महत्व है? (UPSC 2018, 15 अंक)

👉 उत्तर:
✔ उत्तर और दक्षिण भारत की सीमाएँ निर्धारित कीं।
✔ चालुक्य प्रशासन और स्थापत्य कला को उन्नत किया।
✔ भारतीय उपमहाद्वीप में सबसे प्रभावशाली शासकों में से एक बने।


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