राजस्थान: परिचय, इतिहास, भूगोल व सामान्य ज्ञान (Rajasthan GK in Hindi – History, Geography, Culture for UPSC & RPSC)
1. राजस्थान का परिचय व शाब्दिक अर्थ
राजस्थान भारत के उत्तर-पश्चिम में स्थित सबसे बड़ा राज्य है, जिसका भौगोलिक क्षेत्रफल 3,42,239 वर्ग किलोमीटर है। यह भारत के कुल क्षेत्रफल का लगभग 10.4% हिस्सा है। जनसंख्या की दृष्टि से राजस्थान देश का सातवाँ सबसे बड़ा राज्य है। राजस्थान शब्द का शाब्दिक अर्थ है “राजाओं की भूमि” – यह संस्कृत के “राजा” (राजा) तथा “स्थान” (भूमि) शब्दों के मेल से बना है। इसकी राजधानी एवं सबसे बड़ा शहर जयपुर है। प्रशासनिक रूप से राज्य को 7 संभागों में विभाजित 41 ज़िलों में बाँटा गया है (वर्ष 2024 के अनुसार)। राजस्थान की सीमाएँ पश्चिम एवं उत्तर-पश्चिम में पाकिस्तान के पंजाब व सिन्ध प्रान्तों से लगती हैं तथा भारत में पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश व गुजरात राज्यों से घिरी हैं। दक्षिणी सिरे से कर्क रेखा राज्य से होकर गुजरती है।
राजस्थान को पूर्व में “राजपूताना” के नाम से जाना जाता था। 1947 से पहले यहाँ कई देशी रियासतें थीं जिन्हें ब्रिटिश भारत में राजपूताना एजेंसी कहा जाता था। स्वतंत्रता के बाद इन रियासतों का चरणबद्ध विलय करके वर्तमान राजस्थान राज्य का निर्माण किया गया। राजस्थान का आधुनिक स्वरूप 30 मार्च 1949 को अस्तित्व में आया, जब राजपूताना की रियासतों का भारतीय संघ में विलय कर दिया गया। हर वर्ष 30 मार्च को “राजस्थान दिवस” के रूप में मनाया जाता है।
2. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और राज्य गठन
प्राचीन काल में राजस्थान का क्षेत्र विविध सभ्यताओं का केंद्र रहा। लगभग 4,500 वर्ष पूर्व सिंधु घाटी सभ्यता के कालीबंगा (हनुमानगढ़) एवं बालाथल (उदयपुर) जैसे पुरातत्त्व स्थल यहाँ विकसित हुए। मध्यकाल में यह क्षेत्र कई राजपूत राजवंशों का गृह रहा जिनमें मेवाड़, मारवाड़, आमेर, ढूंढाड़, शेखावाटी आदि प्रमुख थे। 16वीं सदी में मेवाड़ के महाराणा प्रताप जैसे शासकों ने मुगल साम्राज्य का डटकर सामना किया, वहीं आमेर के राजा मानसिंह और जोधपुर के राजा जसवंतसिंह जैसे कई राजपूत शासक मुगलों के सहयोगी बने। मुगल शासन के पतन के बाद 18वीं सदी के अंत तक राजस्थान के राजपूत राज्यों पर मराठाओं का प्रभाव भी रहा।
ब्रिटिश काल में राजस्थान की रियासतों को सामूहिक रूप से “राजपूताना” कहा गया। ‘राजपूताना’ शब्द का आरंभिक लिखित प्रयोग 1800 ई. में जॉर्ज थॉमस की पुस्तक में मिलता है तथा 1829 में ब्रिटिश अधिकारी जॉन ब्रिग्स ने इसे लोकप्रिय किया। आज़ादी के बाद राजस्थान के एकीकरण की प्रक्रिया 1948 से 1956 के बीच सात चरणों में पूरी हुई। सबसे पहले मत्स्य संघ (अलवर-भरतपुर) बना, फिर धीरे-धीरे जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, जैसलमेर जैसी रियासतों का विलय हुआ। अंततः 30 मार्च 1949 को जयपुर सहित प्रमुख रियासतों के विलय से राजस्थान राज्य बना। 1956 में राज्य पुनर्गठन अधिनियम के तहत अजमेर-मेरवाड़ा प्रदेश एवं अबू रोड तालुका को राजस्थान में शामिल किया गया। राजस्थान के प्रथम मुख्यमन्त्री हेमन्त (हीरालाल) शास्त्री तथा प्रथम राज्यपाल महाराज श्रीगंगानगर के पूर्व महाराजा थे (बाद में क्रमशः सुखाड़िया, भार्गव आदि ने पद संभाले)।
3. प्रशासनिक संरचना: जिले, संभाग, ब्लॉक
वर्तमान में राजस्थान में 41 जिले हैं, जिन्हें प्रशासनिक सुविधा हेतु 7 संभागों में वर्गीकृत किया गया है। ये संभाग हैं – जयपुर, जोधपुर, अजमेर, बीकानेर, भरतपुर, कोटा एवं उदयपुर। प्रत्येक संभाग में 4-7 जिले सम्मिलित हैं। वर्ष 2023 में राज्य सरकार ने 19 नए जिलों के सृजन की घोषणा की थी जिससे कुल जिलों की संख्या अस्थायी रूप से 50 हुई, परंतु 2024 में नई सरकार द्वारा 9 प्रस्तावित जिले रद्द किए गए और अंततः 41 जिले स्थापित हुए। प्रशासनिक इकाइयों में जिलों के नीचे उपखंड/तहसील एवं विकासखंड (पंचायत समिति) आते हैं। राजस्थान में लगभग 350 से अधिक पंचायती राज विकासखंड हैं (पुराने 33 जिलों पर आधारित आंकड़ा: 352 पंचायत समितियाँ)। ग्रामीण प्रशासन तीन-स्तरीय पंचायती राज प्रणाली के अंतर्गत कार्य करता है, जिसमें जिला स्तर पर जिला परिषद, मध्य स्तर पर पंचायत समिति तथा ग्राम स्तर पर ग्राम पंचायतें शामिल हैं। राज्य में कुल ग्राम पंचायतों की संख्या ~11,000 से अधिक है। शहरी क्षेत्रों में प्रत्येक जिले में नगर निगम/परिषद/पालिकाएं स्थानीय शासन का कार्य संभालती हैं।
4. भूगोल और जलवायु
राजस्थान देश के उत्तर-पश्चिमी भाग में स्थित है और भौगोलिक रूप से विविधतापूर्ण प्रदेश है। पश्चिमी राजस्थान में विशाल थार मरुस्थल फैला हुआ है, जिसे महान भारतीय मरुभूमि भी कहा जाता है। राज्य का लगभग 60% हिस्सा शुष्क या अर्ध-शुष्क मरुस्थलीय है। पूर्वी राजस्थान अपेक्षाकृत हरित एवं उर्वर है जहां अरावली पर्वतमाला के पूर्व की ओर अधिक वर्षा होती है। अरावली भारत की प्राचीनतम पर्वत श्रृंखलाओं में एक है, जो राजस्थान को लगभग दो भौगोलिक भागों में विभाजित करती है – उत्तर-पश्चिम का शुष्क मरुस्थलीय भाग और दक्षिण-पूर्व का अर्ध-जलवायु क्षेत्र। अरावली की कुल लंबाई ~692 किमी है, जिसका अधिकांश भाग राजस्थान में है। राज्य की सबसे ऊँची पर्वत चोटी गुरु शिखर (1,722 मीटर) है, जो माउण्ट आबू में स्थित है। माउण्ट आबू राजस्थान का एकमात्र हिल स्टेशन है।
जलवायु की दृष्टि से राजस्थान अत्यंत विविध है। मरुस्थलीय क्षेत्र में गर्मियां अत्यधिक गर्म (तापमान 45-50°C तक) और सर्दियाँ सर्द (रात में 0°C तक) होती हैं, जबकि दक्षिण-पूर्वी राजस्थान में मौसम अपेक्षाकृत معتدل है। बारिश का वितरण असमान है – पश्चिमी जिलों (जैसे जैसलमेर, बीकानेर) में जहाँ वार्षिक वर्षा 200 मिमी से भी कम हो सकती है, वहीं दक्षिण-पूर्वी जिलों (जैसे झालावाड़, बांसवाड़ा) में 800-1000 मिमी तक वर्षा होती है। भारत का सर्वाधिक अधिकतम तापमान का रिकॉर्ड राजस्थान में ही दर्ज हुआ – फलोदी (जोधपुर) में मई 2016 में पारा 51°C तक पहुँचा था। सर्दियों में श्रीगंगानगर, चूरू आदि रेगिस्तानी इलाकों में तापमान कभी-कभी शून्य से नीचे चला जाता है।
भौगोलिक स्थिति
राजस्थान लगभग 23°3' से 30°12' उत्तरी अक्षांश और 69°30' से 78°17' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। राज्य के दक्षिणी छोर (बांसवाड़ा-जबलपुर सीमा) से कर्क रेखा गुजरती है। पश्चिमी सीमा पर स्थित जैसलमेर जिला पाकिस्तान से सटा हुआ है। राजस्थान की अंतर्राष्ट्रीय सीमा की लंबाई लगभग 1,070 किमी है, जो उत्तर में श्रीगंगानगर से दक्षिण में बाड़मेर जिले तक फैली है। अरावली पर्वतमाला प्रदेश के मध्य-पश्चिम से होकर गुजरती है, जो गुजरात से प्रवेश कर लगभग दिल्ली के समीप तक जाती है। अरावली के पश्चिम में शुष्क थार मरुस्थलीय मैदान हैं, जबकि पूर्व में पठारी व मैदानी भूभाग (जैसे हाड़ौती का पठार, धौलपुर-भरतपुर के चंबल यमुना के बीहड़) हैं। थार मरुस्थल की मिट्टी बलुआ पतली है तथा वृक्ष-विरल वनस्पति पाई जाती है। मरुस्थल में रेत के धोरे (टीलों) का विस्तार है, जो हवा से स्थानांतरित होते रहते हैं। राज्य का लगभग 9.5% क्षेत्र वनों के अंतर्गत है, जिसमें पूर्वी व दक्षिणी जिलों (सवाई माधोपुर, उदयपुर, कोटा आदि) में शुष्क पर्णपाती वन तथा पश्चिम में कँटीली झाड़ीदार वनस्पति शामिल है। प्रमुख राष्ट्रीय उद्यानों में रणथंभौर, सरीiska (सरिस्का) और मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व बाघ संरक्षण के लिए प्रसिद्ध हैं, जबकि केवलादेव घना (भरतपुर) पक्षी अभयारण्य विश्व विरासत स्थल है। मरुस्थलीय पारिस्थितिकी को संरक्षण देने हेतु जैसलमेर में डेज़र्ट नेशनल पार्क स्थापित है।
नदियाँ
राजस्थान की नदियाँ दो प्रमुख जलग्रहणों में विभाजित हैं – बंगाल की खाड़ी तथा अरब सागर। पूर्वी राजस्थान की नदियाँ जैसे चंबल, बनास, कालीसिंध, पार्वती आदि यमुना/गंगा प्रणाली में होकर बंगाल की खाड़ी में जल प्रवाहित करती हैं, जबकि दक्षिण-पश्चिम की नदियाँ जैसे माही और साबरमती गुजरात से होकर अरब सागर में गिरती हैं। राज्य की एक महत्वपूर्ण नदी लूनी है, जो पूर्णतः राजस्थान के भीतर बहकर कच्छ के रण में विलुप्त हो जाती है (यह अरबसागर में प्रत्यक्ष नहीं गिरती)। लूनी राजस्थान की सबसे बड़ी आंतरिक जल प्रवाह वाली नदी है। इसकी लंबाई ~495 किमी है और यह अजमेर जिले में अरावली से निकलकर जोधपुर, बाड़मेर होते हुए गुजरात सीमा पर समाप्त होती है। चंबल राजस्थान की एकमात्र साल भर बहने वाली (बारहमासी) नदी है जो कोटा, धौलपुर आदि जिलों से गुजरती है – इसका उद्गम मध्यप्रदेश में है और यमुना में मिलती है। उत्तरी राजस्थान में घग्गर नदी (स्थानीय नाम काकनी) हनुमानगढ़ व श्रीगंगानगर में कुछ दूरी तक बहती है और आगे चलकर सुखा जलोढ़ मैदान में लुप्त हो जाती है। राज्य में सिंचाई व पेयजल के लिए प्रमुख बहु-उद्देश्यीय नदी घाटी परियोजनाएँ हैं – जैसे चंबल घाटी पर गांधी सागर, राणा प्रताप सागर, जवाहर सागर एवं कोटा बैराज; महानदी पर माही बजाज सागर; तथा बिसलपुर बाँध (बनास नदी) आदि। पश्चिमी राजस्थान में सिंचाई व पेयजल की जीवनरेखा इंदिरा गांधी नहर परियोजना है, जो सतलुज-ब्यास के जल को राजस्थान के गंगानगर, बीकानेर, जोधपुर तक पहुंचाती है। राज्य के कई जिले (विशेषकर पश्चिमी) भूजल की कमी और खारे पानी की समस्या से ग्रस्त हैं, जिनके लिए विभिन्न जलछाजन विकास एवं राजीव गांधी पेयजल योजना जैसी परियोजनाएँ चलायी गयी हैं।
जलवायु
राजस्थान की जलवायु मुख्यतः शुष्क महाद्वीपीय है, जिसमें गर्मी के मौसम में अत्यधिक गर्मी और सर्दी में काफी ठंडक देखी जाती है। मरुस्थलीय इलाकों में गर्मियों में दिन का तापमान प्रायः 45°C से ऊपर चला जाता है, जबकि रात्रियाँ अपेक्षाकृत ठंडी रहती हैं। सर्दियों में पश्चिमोत्तर जिलों (गंगानगर, बीकानेर, चूरू) में न्यूनतम तापमान 0°C के करीब रिकॉर्ड किया गया है। राज्य में औसत वार्षिक वर्षा लगभग 575 मिमी है, लेकिन यह वितरण में बहुत असमान है – जैसलमेर जैसे पश्चिमी जिले में औसत वर्षा 150 मिमी से भी कम है, वहीं दक्षिण-पूर्व के जंगली पहाड़ी क्षेत्रों (जैसे झालावाड़) में 800-900 मिमी सालाना वर्षा होती है। मानसून का अधिकांश वर्षा जुलाई-सितंबर माह में सीमित रहता है। राजस्थान में औसतन 20-40 दिन ही वर्षा के होते हैं। अक्सर पश्चिमी राजस्थान सूखे (ड्रॉट) की चपेट में रहता है; मरुस्थलीय क्षेत्रों में हर 2-3 वर्ष में वर्षा की कमी से सूखे की स्थिति बन जाती है। राज्य के पूर्वी हिस्सों में ग्रीष्म काल में प्रायः लू (हीटवेव) एवं आँधी (धूल भरी आंधी) चलती हैं, जबकि सर्दियों में कोहरा भी देखा जाता है। कुल मिलाकर राजस्थान की जलवायु कठिन परिस्थितियों वाली है, जिस पर वनस्पति, जीव-जंतु एवं मानव जीवन ने अपने आपको अनुकूलित किया है।
5. नक्शा (Map)
राजस्थान का राजनीतिक नक्शा (2023 प्रस्तावित 50 ज़िलों सहित)। वर्तमान में 41 ज़िले मान्य हैं, जिनमें से कुछ नवीन ज़िले इस नक्शे में दर्शाए गए हैं।
उपरोक्त नक्शे में राजस्थान के जिलों और उनके मुख्यालयों को दर्शाया गया है। भौगोलिक दृष्टि से राज्य को पश्चिम में पाकिस्तानी सीमा से लेकर पूर्व में उत्तर प्रदेश राज्य तक विस्तृत देखा जा सकता है। नक्शे में विभिन्न रंगों द्वारा ज़िलों को प्रदर्शित किया गया है तथा रेखाएँ ज़िला सीमाओं व तहसील सीमाओं को सूचित करती हैं। इस मानचित्र के माध्यम से राजस्थान के प्रशासनिक विभाजन और भौगोलिक विस्तार को आसानी से समझा जा सकता है।
(नोट: वर्ष 2023 में प्रस्तावित 50 ज़िलों के अनुसार मानचित्र में नए ज़िले शामिल हैं। 2024 में इनमें से 9 ज़िलों को रद्द कर कुल 41 ज़िले निर्धारित किए गए हैं।)
6. जनसंख्या एवं जनसांख्यिकी आँकड़े
कुल जनसंख्या: 2011 की जनगणना के अनुसार राजस्थान की आबादी 6,85,48,437 थी (लगभग 6.85 करोड़)। यह भारत की कुल जनसंख्या का करीब 5.67% है और इस आधार पर राज्यों में इसका सातवाँ स्थान है। वर्तमान अनुमानित जनसंख्या (2021-2022) ~8 करोड़ के आसपास है। राज्य की जनसंख्या का घनत्व 200 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है, जो कि राष्ट्रीय औसत (382 प्रति किमी²) से कम है। जनसंख्या वितरण में लगभग 75.1% ग्रामीण एवं 24.9% शहरी आबादी है – अर्थात तीन-चौथाई से अधिक लोग गाँवों में निवास करते हैं।
लिंगानुपात: 2011 में राजस्थान में प्रति 1000 पुरुषों पर मात्र 928 महिलाएँ थीं, जो कि राष्ट्रीय औसत 943/1000 से कम है। हालाँकि राज्य के कुछ पूर्वी एवं जनजातीय जिलों (जैसे प्रतापगढ़, बांसवाड़ा) में लिंगानुपात 950 से अधिक रहा, वहीं कुछ उत्तरी जिलों (जैसे झुंझुनूं, अलवर) में यह 900 से नीचे था। राज्य सरकार द्वारा लिंगानुपात सुधारने हेतु बेटी बचाओ अभियान आदि कार्यक्रम चलाए गए हैं। हाल के वर्षों में जन्म लिंगानुपात में कुछ सुधार दर्ज किया गया है (राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के अनुसार राजस्थान में 1,009 महिला प्रति 1000 पुरुष कुल जनसंख्या में अंकित हुई)。
साक्षरता: राजस्थान की साक्षरता दर 2011 में 66.11% थी (यदि 7+ आयु जनसंख्या देखें तो 67.06%)। पुरुष साक्षरता 80.51% और महिला साक्षरता केवल 52.66% दर्ज हुई, जो लैंगिक अंतर को दर्शाता है। साक्षरता दर की दृष्टि से राजस्थान देश में नीचे के कुछ राज्यों में है (33वाँ स्थान); विशेषकर महिला साक्षरता भारत में सबसे कम रही। पिछले दशकों में सरकारी प्रयासों से साक्षरता में सुधार हुआ है – 1991 में कुल साक्षरता जहाँ 38.55% थी वह 2001 में 60.41% और 2011 में 66% पार कर गई। अब भी ग्रामीण महिला शिक्षा एक बड़ी चुनौती है।
भाषाएँ: राजस्थान में राजकीय भाषा हिंदी है (देवनागरी लिपि में), तथा अंग्रेज़ी सहायक आधिकारिक भाषा के रूप में मान्य है। आम बोलचाल में विभिन्न राजस्थानी भाषाएँ/बोलियाँ प्रचलित हैं, जिनमें मारवाड़ी (जोधपुर, बीकानेर क्षेत्र), मेवाड़ी (उदयपुर), ढूँढाड़ी/जयपुरी (जयपुर क्षेत्र), हाड़ौती (कोटा-बूँदी), मालवी (सूतरी भाग), मेवाती (अलवर-भरतपुर) आदि प्रमुख हैं। 2011 की जनगणना में 36% लोगों ने अपनी मातृभाषा राजस्थानी एवं ~27% ने हिंदी बताई – दरअसल बहुत-से लोग स्थानीय बोली को राजस्थानी का हिस्सा मानते हैं। राजस्थानी भाषा को आठवीं अनुसूची (संविधान) में शामिल कराने हेतु लम्बे समय से मांग चल रही है। शिक्षित जनसंख्या में हिंदी के साथ अंग्रेज़ी का ज्ञान भी बढ़ा है, विशेषकर शहरी युवा वर्ग में। इसके अतिरिक्त राज्य में उर्दू (मुख्यतः मुस्लिम समुदाय), पंजाबी (सीमावर्ती क्षेत्र व प्रवासी सिख समुदाय) और भिलोड़ी (वागड़ी) जैसी आदिवासी भाषाएँ (डूंगरपुर-बांसवाड़ा) भी बोली जाती हैं।
धर्म: राजस्थान की आबादी में धर्मानुसार लगभग 88.5% हिन्दू हैं। मुस्लिम समुदाय ~9% है, जो कि मुख्यतः अजमेर, भरतपुर, टोंक, अलवर, जैसलमेर आदि जिलों में केन्द्रित है। राज्य में जैन धर्म का भी महत्वपूर्ण स्थान है – राजस्थान के 1-2% जनसंख्या जैन हैं और दिलवाड़ा, रणकपुर जैसे श्रेष्ठ जैन मंदिर यहीं स्थित हैं। पुष्कर तीर्थस्थान होने से हिन्दू तीर्थाटन का केंद्र है तो दूसरी ओर अजमेर स्थित ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह देशभर के मुसलमानों के आस्था केंद्रों में से एक है। अल्पसंख्यक के रूप में सिख (1%) एवं ईसाई, पारसी आदि भी मौजूद हैं। राजस्थान अपनी धार्मिक सहिष्णुता एवं समन्वय के लिए जाना जाता है – यहाँ मेवाड़ के रामदेवरा, गोगामेड़ी जैसे लोकदेवताओं को सभी धर्मों के लोग मानते हैं।
7. न्यायिक व्यवस्था
राजस्थान की न्यायिक व्यवस्था भारत की एकीकृत न्यायपालिका का अंग है। राज्य का सर्वोच्च न्यायिक निकाय राजस्थान उच्च न्यायालय है, जिसकी मुख्य पीठ जोधपुर में स्थित है। उच्च न्यायालय की एक स्थायी खंडपीठ जयपुर में स्थापित है (यह 1976 में स्थापित की गई)। राजस्थान हाई कोर्ट की स्थापना 21 जून 1949 को राजस्थान उच्च न्यायालय अधिनियम, 1949 के अंतर्गत हुई। इसके प्रथम मुख्य न्यायाधीश कामिल खान (या काँवरत) वर्मा थे। 29 अगस्त 1949 को जयपुर में महाराजा सवाई मानसिंह ने हाईकोर्ट का उद्घाटन किया था। प्रारंभिक समय में हाईकोर्ट की खंडपीठें जोधपुर के साथ कुछ समय उदयपुर, कोटा, बीकानेर में भी बैठीं, जिन्हें बाद में समाप्त कर स्थायी रूप से केवल जयपुर में खंडपीठ रखी गई। वर्तमान में राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या 50 है।
उच्च न्यायालय के अधीन प्रत्येक जिले में जिला एवं सत्र न्यायालय हैं, जिनके अंतर्गत फ़ौजदारी एवं दिवानी न्यायालय कार्य करते हैं। जिलों को न्यायिक प्रशासन की दृष्टि से कई न्यायिक मंडलों/तहसीलों में बाँटा जाता है, जिनमें अपर जिला न्यायाधीश, सीनियर सिविल जज, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट आदि स्तरों पर अदालतें होती हैं। ग्राम न्याय के लिए ग्राम न्यायालय अधिनियम के तहत कुछ जगह लोक अदालतें एवं ग्राम न्यायालय भी स्थापित किए गए हैं। राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (RALSA) द्वारा समय-समय पर निःशुल्क कानूनी सेवा शिविर एवं लोक अदालतों का आयोजन किया जाता है। पुलिस एवं प्रशासन के दृष्टिकोण से राज्य में 2 महानगरीय पुलिस आयुक्तालय (जयपुर व जोधपुर) तथा शेष जिलों में पुलिस अधीक्षकों के अधीन जिला पुलिस व्यवस्था है। न्यायिक अधिकारियों की नियुक्ति राज्य न्यायिक सेवा एवं उच्च न्यायिक सेवा के माध्यम से होती है, जिसके लिए राजस्थान लोक सेवा आयोग एवं उच्च न्यायालय द्वारा परीक्षा/चयन प्रक्रिया आयोजित होती है। कुल मिलाकर, राजस्थान की न्यायिक संरचना भारत के संघीय ढाँचे के अनुरूप उच्च न्यायालय से लेकर निचली अदालतों तक विस्तृत एवं संघटित है।
8. खनिज और प्राकृतिक संसाधन
प्राकृतिक संसाधनों की दृष्टि से राजस्थान समृद्ध राज्य है। देश में पाए जाने वाले कुल खनिजों में से कई के उत्पादन में राजस्थान अग्रणी भूमिका निभाता है। यहाँ के खनिज संसाधनों में प्रमुख हैं – सीसा-जस्ता (Lead-Zinc) जिसके विश्व-स्तरीय भंडार उदयपुर-भीलवाड़ा क्षेत्र (जावर माइंस, राजपुरा-दारिबा, देबारी स्मेल्टर) में हैं; तांबा (Copper) जो chiefly झुंझुनूं जिले के खेतड़ी-कोलिहान इलाके में मिलता है; लिग्नाइट (भूरा कोयला) जो बीकानेर-बरmer क्षेत्र में; फॉस्फराइट (फॉस्फेट अयस्क) जो उदयपुर के झामरकोटड़ा में; और चूना-पत्थर (Limestone) जो कोटा, चित्तौड़गढ़, सिरोही आदि जिलों में प्रचुरता से पाया जाता है। राजस्थान संगमरमर (Marble) तथा अन्य सजावटी पत्थरों के लिए विश्व प्रसिद्ध है – प्रसिद्ध ताजमहल के निर्माण में उपयोग हुआ सफेद संगमरमर राजस्थान के मक़राना (नागौर) की खदानों से आया था। इसके अलावा किशनगढ़ (अजमेर) में मार्बल प्रोसेसिंग उद्योग बड़ा केंद्र है। जोधपुर का विशेष पत्थर चूना बलुआ पत्थर (सैंडस्टोन) यहाँ की अनेक ऐतिहासिक इमारतों में प्रयोग हुआ है। राज्य में कीमती पत्थर जैसे हीरा (हीरा खनन – पन्ना नहीं, वो MP में है; राजस्थान में हीरा प्रमुख नहीं), लेकिन गारनेट, एमिथिस्ट, टोपाज़ जैसे रत्न भी मिलते हैं। सिलिका बालू, चाइना क्ले, फेल्स्पार, वोलस्टोनाइट आदि औद्योगिक खनिजों का भी खनन यहाँ होता है। राजस्थान देश में जिप्सम (Gypsum) उत्पादन में शीर्ष पर है, जिसका उपयोग सीमेंट तथा उर्वरक उद्योग में होता है। राज्य के मरुस्थलीय इलाकों में कई खारे जल की झीलें हैं जिनसे नमक का उत्पादन किया जाता है – जैसे सांभर झील (भारत की सबसे बड़ी खारी झील) से प्रतिवर्ष हजारों टन नमक निकाला जाता है। राजस्थान भारत का एकमात्र राज्य है जहाँ चिकनी मिट्टी (बेंटोनाइट) तथा वोल्फ्राम (Tungsten) के महत्वपूर्ण भंडार हैं। अजमेर जिले के ब्यावर के पास देश का अकेला वोल्फ्राम खदान है।
ऊर्जा संसाधनों में भी राजस्थान पीछे नहीं है। पश्चिमी राजस्थान के थार मरुस्थल में सीमित मात्रा में कच्चा तेल और प्राकृतिक गैस के भंडार मिले हैं – विशेषकर बाड़मेर जिले के मंगलिया क्षेत्र में कच्चे तेल का उत्पादन 2009 से प्रारंभ हुआ, जिसने भारत के तेल उत्पादन में राजस्थान की ~20% हिस्सेदारी सुनिश्चित की है। बाँसवाड़ा जिले में यूरेनियम के भी कुछ भंडार पाए गए हैं और खान (सालमाबद) विकसित की जा रही है। राज्य का सबसे उल्लेखनीय आधुनिक संसाधन है – सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा। राजस्थान के गर्म मरुस्थलीय और अर्ध-शुष्क क्षेत्र, दीर्घ धूपकाल तथा खुली भूमि इसे सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए उपयुक्त बनाते हैं। जैसलमेर-जोधपुर-बीकानेर क्षेत्र को भारत का “सौर ऊर्जा बेल्ट” कहा जाता है। राज्य में 2,245 मेगावॉट क्षमता वाला दुनिया का सबसे बड़ा सोलर पार्क – भाड़ला सोलर पार्क स्थित है। पवन ऊर्जा में भी जैसलमेर, बाड़मेर, चित्तौड़गढ़ आदि जिलों में पवनचक्कियों से बिजली उत्पन्न की जा रही है। कुल मिलाकर, पारंपरिक खनिज संपदा के साथ राजस्थान नवीनीकरण ऊर्जा के क्षेत्र में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
9. उद्योग एवं प्रमुख उत्पाद
राजस्थान का अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि, खनन, पर्यटन और लघु उद्योगों पर आधारित है। राज्य के कई उद्योग इसके प्राकृतिक संसाधनों से संबद्ध हैं। खनिज आधारित उद्योगों में राजस्थान अग्रणी है – उदाहरणतः सीमेंट उत्पादन में यह देश में दूसरे स्थान पर है (राजस्थान में उच्च गुणवत्ता वाला चूना-पत्थर उपलब्ध होने से कई सीमेंट कारखाने (उदा: चित्तौड़गढ़, नागौर, बूंदी, अजमेर) लगे हैं)। संगमरमर एवं ग्रेनाइट का उत्खनन व प्रसंस्करण भी एक बड़ा उद्योग है, जिसके उत्पाद देश-विदेश में भेजे जाते हैं। राजस्थान टेक्सटाइल (वस्त्र) उद्योग का भी केंद्र है – भीलवाड़ा शहर को “भारत का मैनचेस्टर” कहा जाता है जहाँ सूती एवं सूत वस्त्र मिलें हैं। जयपुर, किशनगढ़ आदि स्थान कपड़ा छपाई (ब्लॉक प्रिंटिंग), टाई-डाई (बंधेज), तथा कालीन निर्माण के लिए प्रसिद्ध हैं। राज्य में कई रासायनिक एवं इंजीनियरिंग उद्योग भी हैं – कोटा शहर प्रमुख रासायनिक कारखानों (उर्वरक, पॉलिस्टर, सिंथेटिक फ़ाइबर) का हब है। राजस्थान भारत में पॉलिएस्टर फाइबर का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।
कृषि एवं संबंधित उद्योगों की बात करें तो राजस्थान में मुख्यतः वर्षा-आधारित खेती होती है। प्रमुख फसलें बाजरा, गेहूँ, जौ, ज्वार, मक्का, चना, सरसों, ग्वार आदि हैं। देश के कुल बाजरा उत्पादन में राजस्थान का महत्वपूर्ण योगदान है, वहीं सरसों (राई) एवं ग्वारगम उत्पादन में राजस्थान शीर्ष राज्य है। इंदिरा गांधी नहर आने के बाद श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ जिलों में कपास और गन्ना जैसी सिंचित फसलें भी होने लगी हैं। राज्य पशुपालन में अग्रणी है – मवेशियों की संख्या की दृष्टि से राजस्थान भारत में पहले स्थान पर है। यहाँ गाय, भैंस, भेड़, बकरी, ऊँट इत्यादि बड़ी संख्या में पाले जाते हैं। इसके फलस्वरूप राजस्थान दूध एवं दुग्ध उत्पादों (दूध उत्पादन में देश में दूसरे स्थान पर) और ऊन उत्पादन (देश का लगभग 40% ऊन राजस्थान से) में भी अग्रणी है। बीकानेरी ऊन एवं जोधपुरी सूट काफी मशहूर हैं। राज्य की कुछ विशेष कृषिजनित उपज में किस्मिश (सुखाई गई अंगूर, जो फलौदी-बीकानेर क्षेत्र में), अफीम (चित्तौड़गढ़, कोटा क्षेत्र में नियंत्रित खेती) और ईसबगोल (बारमेर-जैसलमेर क्षेत्र, औषधीय उपयोग का पौधा) शामिल हैं।
हस्तशिल्प उद्योग राजस्थान की पहचान हैं। राज्य के कारीगर कपड़े पर बंधेज (टाई एंड डाई), लाख की चूड़ियाँ, नीली मिट्टी की पॉटरी (जयपुर की प्रसिद्ध ब्लू पॉटरी), लकड़ी व संगमरमर की नक्काशी, धातु के बर्तनों पर तारकशी (कोफ्तगढ़ी), झालरदार रज़ाई (जयपुर की रजाई), कठपुतली निर्माण आदि में निपुण हैं। ये हस्तशिल्प वस्तुएँ देश-विदेश के पर्यटकों में अत्यंत लोकप्रिय हैं और राज्य की अर्थव्यवस्था में कुटीर उद्योगों का योगदान बढ़ा है। राजस्थानी आभूषण (कुंदन तथा मिनाकारी के आभूषण जयपुर के विशेष उत्पाद हैं) का वैश्विक बाजार है। जयपुर को रत्न एवं आभूषण (Jewellery) का बड़ा केंद्र माना जाता है जहां बहुमूल्य रत्नों की कटाई-पॉलिश और आभूषण निर्माण प्राचीन काल से हो रहा है। पर्यटन उद्योग राजस्थान की अर्थव्यवस्था का अहम अंग है – जोधपुर, जयपुर, उदयपुर जैसे पर्यटन केंद्रों पर होटल व्यवसाय, हस्तशिल्प बिक्री, गाइड, परिवहन आदि के माध्यम से लाखों लोगों को रोजगार मिलता है। राज्य सरकार द्वारा विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों (industrial areas) एवं हस्तशिल्प कुंज की स्थापना कर लघु उद्यमों को बढ़ावा दिया जा रहा है। दिल्ली-मुंबई औद्योगिक कॉरिडोर (DMIC) का एक बड़ा हिस्सा राजस्थान से गुजरता है, जिससे अलवर, भरतपुर, बूंदी, सवाई माधोपुर आदि जिलों में नए कारखानों और निवेश की संभावना है। कुल मिलाकर, राजस्थान की अर्थव्यवस्था खनिज, कृषि, उद्योग एवं पर्यटन के संतुलित मिश्रण पर आधारित है, जिसमें पिछले कुछ वर्षों में सेवा क्षेत्र (आईटी, शिक्षा, स्वास्थ्य) का भी विकास हो रहा है।
10. संस्कृति, परंपरा एवं लोक कला
राजस्थान अपनी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर, रंग-बिरंगे परिधानों, लोक कलाओं और उत्सवों के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। यहाँ की संस्कृति राजपूती शौर्य और लोक परंपराओं का अनूठा मिश्रण है। राजस्थानी संस्कृति में रंगों का विशेष महत्व है – स्त्री-पुरुष चमकीले परिधान पहनते हैं, जैसे महिलाओं की घाघरा-चोली और ओढ़नी (लहरिया व बंधेज की साड़ियों के लिए मशहूर) तथा पुरुषों की रंगीन पगड़ियाँ (साफ़ा या पाग, जो क्षेत्र अनुसार अलग शैली में बंधी होती हैं)। “पधारो म्हारे देश” कहावत अतिथि-सत्कार की राजस्थानी परंपरा को दर्शाती है। लोकगीत-संगीत, नृत्य, कला, शिल्प, खान-पान आदि इस संस्कृति के अभिन्न अंग हैं।
लोक संगीत: राजस्थान के लोकसंगीत में मिठास एवं वीरता दोनों का समावेश है। ढोलक, नगाड़ा, सितार, कमायचा, रावणहत्था,Algoza, खड़ताल, मंजीरा आदि वाद्य यंत्रों की थाप पर यहां के गीत समृद्ध हैं। मांड यहाँ का प्रसिद्ध लोकगीत शैली है, जिसे आलाप के साथ गाया जाता है – प्रसिद्ध मांड “केसरिया बालम” देशभर में लोकप्रिय है। राजस्थानी लोकगीतों में प्रेम, वीरता, भक्ति परक कथाएँ सुनने को मिलती हैं – जैसे ढोला-मारू की प्रेम कथा, पाबूजी एवं तेजाजी जैसे लोकदेवताओं के प्रसंग, मीरा बाई के भजन, आदि। लोकसंगीत के लिए सबसे विख्यात समुदाय मंगणियार और लंगा हैं, जो पीढ़ी दर पीढ़ी संगीत साधना से जुड़े हैं। इनके गीत एवं धुनें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराहे गए हैं। इसके अतिरिक्त चरी गीत, बंधेज गीत, हवेली संगीत, महफ़िल (मरसीये) आदि विविध धुनें राजस्थान की संपदा हैं।
लोक नृत्य: राजस्थान के लोकनृत्यों की छटा मनमोहक है। घूमर यहाँ का सर्वाधिक प्रसिद्ध नृत्य है, जिसमें समूह में महिलाएँ रंग-बिरंगे घाघरे पहनकर गोल घुमावदार नृत्य करती हैं। घूमर मुख्यतः उदयपुर, कोटा, बांरा, जयपुर आदि क्षेत्रों में प्रचलित है और अब यह राजस्थान का राज्य नृत्य भी है। युनेस्को द्वारा राजस्थानी कालबेलिया नृत्य (सपेरा जाति का सर्प-नृत्य) को “इन्टैन्जिबल कल्चरल हैरिटेज” (Amूर्त सांस्कृतिक विरासत) सूची में शामिल किया गया है। इसके अलावा भवाई (सिर पर अनेक मटके रखकर संतुलन का नृत्य), चरी नृत्य (जलते हुए दीपक के साथ), कच्ची घोड़ी नृत्य (छद्म घोड़े के साथ पुरुष नृत्य), तेजाजी (नृत्य नाटक), तेरहताली (मंजिरों सहित नृत्य), गेर नृत्य (विशेषकर होली पर), आदि कई लोकनृत्य रूप प्रचलित हैं। जैसलमेर के रेगिस्तानी शिविरों में हर शाम लोक कलाकार पर्यटकों के सामने कालबेलिया और अन्य लोकनृत्यों का प्रदर्शन करते हैं। घूमर और कालबेलिया नृत्यों ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी पहचान बनाई है।
जैसलमेर के रेगिस्तान में रंग-बिरंगे परिधानों में लोकनृत्य (कालबेलिया नृत्य) की प्रस्तुति। राजस्थानी घूमर व अन्य नृत्यों को उनकी अभिव्यक्ति और सौंदर्य के लिए विश्वभर में ख्याति मिली है।
लोक कला एवं शिल्प: राजस्थान की लोककला इसकी संस्कृति की जीवंत आत्मा है। कठपुतली (मारियोनेट) कला राजस्थान की देन है – लकड़ी की सुंदर सजी कठपुतलियों के माध्यम से लोककथाएँ और सामाजिक संदेश प्रस्तुत करना प्राचीन मनोरंजन की परंपरा है। उदयपुर के भारत लोक कला मण्डल जैसे संस्थान इस कला को संरक्षित रखते हैं। मीनाकारी (सोने-चांदी पर रंगीन एनैमल जड़ना) और कुंदन कला के आभूषण जयपुर की विशेषता हैं। ब्लू पॉटरी (नीली मिट्टी की बर्तन कला) जयपुर से प्रसिद्ध हुई, जिसमें सुलेमानी मिट्टी से बने बर्तन नीले रंग के सुंदर डिजाइनों से सजाए जाते हैं। फड़ चित्रकला भीलवाड़ा क्षेत्र की विशेष लोकचित्र शैली है, जिसमें कपड़े पर रामदेवजी या पाबूजी की गाथाओं को चित्रित किया जाता है। पिचवाई चित्रकला नाथद्वारा (राजसमंद) की श्रीकृष्ण लीला आधारित चित्रशैली है। राजस्थान के घरों और हवेलियों की दीवारों पर भी मांडना नामक पारंपरिक अल्पना/चित्रांकन किया जाता है। हाथी-दांत पर नक्काशी (पुराने समय में), चमड़े पर उकरी कलाकृतियाँ, लाख के खिलौने, लकड़ी के सजावटी सामान, जूट व ऊन से बनी दीवार-झालर (टेपेस्ट्री) आदि यहाँ के लोकशिल्प की व्यापक विविधता दिखाते हैं। बीकानेर अपने उदयपुर के उस्ता कला (ऊँट की खाल पर सोने से चित्रांकन) के लिए जाना जाता है। कुल मिलाकर, राजस्थानी लोक कला राज्य के लोगों की रचनात्मकता, सौंदर्यबोध और दैनिक जीवन के जुड़ाव को प्रदर्शित करती है।
खान-पान और मेले-त्योहार: राजस्थान का भोजन भी इसकी भौगोलिक परिस्थितियों और शाही विरासत का मेल है। यहाँ के प्रसिद्द व्यंजनों में दाल-बाटी-चूरमा सर्वपरिचित है – बाटी (सक्त गेहूँ की लोई) को धीमें आंच पर सेंककर दाल और घी के साथ खाया जाता है और साथ में मीठा चूरमा। गट्टे की सब्जी (बेसन के पकौड़े की सब्जी), कढ़ी-पकोड़ा, बाजरे की रोटी और लहसुन की चटनी, संघरिया (कैक्टस बीन्स की सब्जी), केर-सांगरी (मरुस्थली फलियों की सब्जी) आदि यहां के पारंपरिक व्यंजन हैं। मरुभूमि में पानी की कमी से कुछ रेसिपीज विकसित हुईं जैसे बिना पानी बने पापड़ का हलवा, सूखे आलू-मिर्च के अचार आदि। मीठे में चूरमा के अलावा जोधपुर का मावे की कचौड़ी, जयपुर की फीणी, बीकानेर का रसगुल्ला (चमचम), अजमेर की सोन हलवा, अलवर का मिल्क केक, जौधपुर का मीठा मिर्ची वड़ा जैसी मिठाइयाँ प्रसिद्ध हैं। राजस्थानी लोग अपने तीखे भोजन के लिए भी मशहूर हैं – यहाँ की हरी मिर्ची बड़ी तीखी होती है। बीकानेर की भुजिया और नमकीन विश्व प्रसिद्ध हैं।
राजस्थान में वर्षभर कोई-न-कोई मेला या उत्सव आयोजित होता रहता है। सबसे प्रसिद्ध है पुष्कर मेला (अजमेर) – कार्तिक पूर्णिमा पर लगने वाला यह विशाल ऊँट एवं पशु मेला और धार्मिक सभा विदेशों तक लोकप्रिय है। प्रतिवर्ष जनवरी में बीकानेर ऊँट उत्सव और फरवरी में जैसलमेर का डेजर्ट फेस्टिवल (मरु महोत्सव) आयोजित होते हैं, जिनमें लोकगीत, नृत्य, ऊँट दौड़, पारंपरिक वेशभूषा प्रतियोगिता आदि होते हैं। तेजाजी का मेला, गोगामेड़ी मेला, करणी माता (देशनोक करणी माता) जैसे ग्रामीण मेले भी लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करते हैं। जयपुर का गंगौर त्योहार (चैत्र महीने में, ईसर-गौरी पूजा) और तीज उत्सव (हरियाली तीज) महिलाओं द्वारा धूमधाम से मनाया जाता है। मकर संक्रांति पर जयपुर में पतंग उत्सव होता है तो होली के समय जयपुर का हाथी महोत्सव (Elephant Festival) प्रसिद्ध था जिसमें सजे-धजे हाथियों की शोभायात्रा निकलती थी। शिल्पग्राम उत्सव (उदयपुर) में देशभर के शिल्पकार जुटते हैं। दीपावली एवं ईद भी मिलजुल कर मनाई जाती हैं। कुल मिलाकर राजस्थान के मेले-त्योहार इसकी सांस्कृतिक सजीवता को दर्शाते हैं और देश-विदेश के पर्यटकों को आनंद देते हैं।
11. प्रमुख साहित्यकार, संगीतकार, लोक कलाकार
राजस्थान ने साहित्य, संगीत और कला के क्षेत्र में देश को अनेक रत्न दिए हैं। साहित्य के क्षेत्र में प्राचीन काल के महान कवि चंदबरदाई (पृथ्वीराज रासो के रचयिता) यहीं हुए, जिन्होंने पृथ्वीराज चौहान जैसे राजपूत नरेशों के वीरगाथा काव्य लिखे। आधुनिक काल में राजस्थानी एवं हिंदी के सुप्रसिद्ध कवि कन्हैयालाल सेठिया (जिनकी प्रसिद्ध कविता “धरती धोरां री” राजस्थान का लोकगीत बन चुकी है) का योगदान अमूल्य है। श्री सेठिया को साहित्य अकादमी पुरस्कार एवं पद्मश्री (2004) मिला। राजस्थानी लोक कथाओं को सहेजने में पद्मश्री से सम्मानित लेखक विजयदान देथा (“बिज्जी”) का नाम अग्रणी है – उनकी रचनाओं बातां री फुलवारी पर आधारित कथाएँ विश्वभर में पढ़ी गईं। हिंदी साहित्य में विष्णु प्रभाकर, किशनलाल व्यास तथा सागरमल गोपा आदि राजस्थान से थे। शेखावटी क्षेत्र के वीरेंद्र सींह ‘सूरज’ ने राजस्थानी वीर रस के दोहे लिखे। सूर्यमल मिश्रण को राजस्थानी/हिंदी वीर रस का भट्ट माना जाता है – उन्होंने 19वीं सदी में “वीर सतसई” लिखी। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान झाबरमल शर्मा ‘शास्त्री’ के देशभक्ति गीत काफी लोकप्रिय हुए। समकालीन साहित्य में डूंगरपुर की कथाकार चित्रा मुद्गल, नाट्यलेखक वीरेन्द्र सक्सेना आदि सक्रिय हैं। राजस्थानी भाषा की मान्यता हेतु कमल रणदिवे और रणधीर सिंह भाटी जैसे लोग भी साहित्य व आंदोलन से जुड़े रहे हैं।
संगीत के क्षेत्र में राजस्थान की मिट्टी ने कई महान फ़नकार दिए। विश्वविख्यात ग़ज़ल गायक जगजीत सिंह का जन्म श्रीगंगानगर, राजस्थान में हुआ था – उन्होंने अपनी मखमली आवाज़ से ग़ज़ल को लोकप्रिय बनाया। शास्त्रीय संगीत में जयपुर घराना मशहूर है, जिसके अंतर्गत पंडित मल्लिकार्जुन मंसूर जैसे गायक हुए। ध्रुपद-धमार शैली के गायक बंधु पंडित उमराव खान व अन्य कलावंत परिवार ने राजस्थानी संगीत को समृद्ध किया। लोक संगीत में पद्मश्री अल्ला जिलाई बाई का नाम सम्मान से लिया जाता है – बीकानेर की इस मांगणियार गायिका ने “केसरिया बालम” जैसे मांड गायन से देशभर में पहचान पाई। जैसलमेर के मुहम्मद अनवर खान मंगणियार और सक्कू खान जैसे कलाकारों ने लोक संगीत अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुँचाया। वाद्ययंत्र कला में जोधपुर के पद्मभूषण पंडित विश्वमोहन भट्ट (मोहन वीणा वादक, ग्रैमी पुरस्कार विजेता) राज्य का गौरव हैं। शास्त्रीय लोक वाद्य सारंगी के उस्ताद उस्ताद हुसैन बख्श और कमायचा वादक सक्कू खां ने भी पहचान बनाई। फिल्म संगीत में प्रख्यात संगीतकार इलैयाराजा का जन्म राजस्थान में हुआ (हालाँकि करियर दक्षिण में रहा)। पॉप फोक शैली में इला अरुण का नाम सब जानते हैं, जो जयपुर से हैं और राजस्थानी लोकगीतों को बॉलीवुड में लेकर आईं।
लोक कला एवं रंगमंच के क्षेत्र में भी अनेक विभूतियाँ राजस्थान से हैं। कठपुतली कला को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाने वाले पद्मश्री देवी लाल सामर (भारतीय लोक कला मंडल, उदयपुर के संस्थापक) यहीं के थे। कालबेलिया नृत्यांगना गुलाबो सपेरा को पद्मश्री देकर सम्मानित किया गया है – उन्होंने एक घुमंतु समुदाय की नृत्य शैली को दुनिया भर में लोकप्रिय किया। पद्मश्री कमलाबाई लांगा लोक गायिका थीं। जयपुर घराने की कथक नृत्यांगना गिरिजा देवी (हालाँकि उनका मूल बनारस घराना था, पर राजस्थान में भी कथक की परंपरा रही) का उल्लेख हो सकता है। राजस्थानी रंगमंच निर्देशक भानु भारती ने देशभर में ख्याति पाई। चित्रकला में किशनगढ़ शैली को पुनर्जीवित करने वाले कलाकार रामगोपाल विजयवर्गीय तथा समकालीन मूर्तिकला में अनूप मंडोवरिया जैसे नाम उल्लेखनीय हैं। फिल्म जगत में भी राजस्थान से कई प्रतिभाएँ आई हैं, जैसे अभिनेत्री राजेश्वरी सचदेव (जयपुर), एवं अभिनेता इरफान खान (टोंक) इत्यादि, जिन्होंने अपनी कला से पहचान बनाई। कुल मिलाकर, राजस्थान की माटी ने विभिन्न कलाओं के क्षेत्र में देश को अनेक प्रतिभाशाली साहित्यकार, संगीतकार और कलाकार दिए हैं, जिनपर प्रदेश को गर्व है।
12. खेल और राजस्थान से जुड़े खिलाड़ी
राजस्थान में खेलकूद एवं शारीरिक संस्कृति को प्रोत्साहन देने की लंबी परंपरा है। पारंपरिक खेलों में कबड्डी, खो-खो, मलखम्ब, दंगल (कुश्ती) ग्रामीण क्षेत्रों में लोकप्रिय रहे हैं। राज्य का राजकीय खेल बास्केटबॉल है, जिसे 1948 में आधिकारिक तौर पर राज्य खेल का दर्जा दिया गया। जयपुर के सवाई मानसिंह स्टेडियम में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय बास्केटबॉल चैंपियनशिप आयोजित होती रही हैं। आधुनिक खेलों में राजस्थान के खिलाड़ियों ने विभिन्न क्षेत्रों में देश का प्रतिनिधित्व किया है।
शूटिंग (निशानेबाज़ी): ओलिंपिक पदक विजेता कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ जयपुर से हैं – इन्होंने 2004 एथेंस ओलिंपिक में डबल ट्रैप शूटिंग में रजत पदक जीता था। जयपुर की ही अपूर्वी चंदेला विश्वस्तरीय निशानेबाज़ हैं, जिन्होंने कॉमनवेल्थ खेलों में स्वर्ण पदक जीता और विश्व रिकॉर्ड बनाए। टोक्यो पैरालिम्पिक 2020 में जयपुर की अवनी लेखरा ने निशानेबाजी में स्वर्ण पदक जीतकर देश को गौरवान्वित किया।
एथलेटिक्स: चूरू जिले के पैरा एथलीट देवेंद्र झाझड़िया ने भाला फेंक (जैवलिन थ्रो) में दो बार पैरालिम्पिक स्वर्ण पदक (2004, 2016) जीते हैं। जयपुर की कृष्णा पूनिया ने 2010 कॉमनवेल्थ गेम्स में डिस्कस थ्रो में स्वर्ण पदक जीता था और ओलिंपिक (2012) के फाइनल तक पहुँचीं। बीकानेर की विनेश फोगाट (कुश्ती पहलवान) का राजस्थान से संबंध (विवाह) है, हालाँकि प्रशिक्षण हरियाणा में पाया।
क्रिकेट: राजस्थान की रणजी ट्रॉफी टीम ने 2010-11 और 2011-12 में लगातार दो बार रणजी चैंपियनशिप जीती। टीम में आशीष नेहरा (जन्म भले दिल्ली में, लेकिन राजस्थान के लिए खेले) जैसे खिलाड़ी रहे। अजहरुद्दीन के समय जयपुर व्यावसायिक मैचों की मेजबानी करता रहा। IPL (इंडियन प्रीमियर लीग) में राजस्थान रॉयल्स टीम 2008 में प्रथम सीज़न की चैम्पियन बनी थी। इस टीम ने शेन वॉर्न की कप्तानी में खेला। राजस्थान से कई खिलाड़ी IPL में हिस्सा लेते रहे हैं – जैसे दीपक चाहर (भरतपुर से), खलील अहमद (टोंक से) आदि।
हॉकी: भारतीय हॉकी के प्रारम्भिक सितारों में शामिल मेजर ध्यानचंद का विवाह एवं जीवन कुछ समय राजस्थान (झुंझुनूं) से जुड़ा रहा। जयपुर के अशोक कुमार भारतीय हॉकी टीम के सदस्य रहे। हाल के समय में चेतना भ्रूण नाम की हॉकी खिलाड़ी ने राष्ट्रीय स्तर पर राजस्थान का प्रतिनिधित्व किया।
अन्य खेल: राजस्थान में पोलो (घुड़सवारी खेल) राजघरानों में परंपरागत रूप से खेला जाता रहा – जयपुर व जोधपुर के राजाओं ने पोलो टीमें बनाईं और अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट जीते। जयपुर में आज भी पोलो क्लब सक्रिय है। शतरंज में ग्रैंडमास्टर सुनील दौर का नाम उभर रहा है। बॉक्सिंग में भी कोटा के गुरचरण सिंह ओलिंपियन रह चुके हैं।
राजस्थान में खेल अधोसंरचना विकास पर ध्यान दिया जा रहा है – जयपुर, कोटा, उदयपुर, जोधपुर आदि में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के स्टेडियम हैं। सवाई मानसिंह स्टेडियम (जयपुर) क्रिकेट व अन्य खेलों का प्रमुख केंद्र है। साथ ही कई खेल होस्टल और अकादमियाँ राज्य में खुली हैं। गाँवों में युवाओं के बीच कबड्डी, वॉलीबॉल, फुटबॉल भी लोकप्रिय हो रहे हैं। राज्य सरकार द्वारा राज्य खेल शुल्क, ग्रामीण ओलिंपिक, राजीव गांधी ग्रामीण खेल जैसे कार्यक्रमों से प्रतिभा को निखारने का प्रयास जारी है। कुल मिलाकर, राजस्थान के खिलाड़ियों ने निशानेबाजी, एथलेटिक्स, पैरा स्पोर्ट्स, क्रिकेट आदि में राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सफलता अर्जित की है और राज्य में खेल संस्कृति निरंतर विकसित हो रही है।
13. प्रमुख पर्यटन स्थल
राजस्थान पर्यटन की दृष्टि से भारत के सबसे आकर्षक राज्यों में से एक है। यहाँ के ऐतिहासिक दुर्ग-महल, रंगीन संस्कृति, वन्यजीव अभयारण्य और मरुभूमि के नज़ारे हर साल लाखों देसी-विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। राजस्थान के प्रमुख पर्यटन स्थलों का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है:
जयपुर (पिंक सिटी): राजस्थान की राजधानी जयपुर अपने शानदार किलों, महलों और बाज़ारों के लिए प्रसिद्ध है। मुख्य आकर्षण – आमेर किला (यूनेस्को विश्व धरोहर, राजपूत व मुगल वास्तुकला का अद्भुत संगम), जयगढ़ किला (विश्व की सबसे बड़ी तोप “जयवन” यहीं है), नाहरगढ़ किला (शहर का विहंगम दृश्य), सिटी पैलेस (शाही संग्रहालय), हवा महल (झरोखों वाला अनूठा महल), जंतर मंतर (यूनेस्को विश्व धरोहर प्राचीन वैधशाला)। जयपुर अपने रंगीन बाज़ारों – जौहरी बाज़ार, बापू बाज़ार – के लिए भी मशहूर है जहाँ आभूषण, हस्तशिल्प, कपड़े मिलते हैं। जयपुर पुराना शहर गुलाबी रंग में रंगा होने के कारण “पिंक सिटी” कहलाता है (यह यूनेस्को विश्व धरोहर शहर भी घोषित हुआ है)।
उदयपुर (झीलों की नगरी): राजस्थान का यह शहर अपनी सुंदर झीलों और महलों के लिए जाना जाता है। पिछोला झील के बीच स्थित लेक पैलेस (अब एक लग्ज़री होटल) इसका प्रमुख प्रतीक है। सिटी पैलेस, उदयपुर राजस्थानी और मुगल वास्तुकला का मिश्रण दर्शाता विशाल महल है जिसके संग्रहालय में मेवाड़ राजवंश का इतिहास जीवंत होता है। सहेलियों की बाड़ी एक खूबसूरत वाटिका है। उदयपुर को अपनी रोमांटिक सेटिंग के कारण “पूर्व का वेनिस” भी कहा जाता है। निकट ही एकलिंगजी महादेव मंदिर और हल्दीघाटी का ऐतिहासिक युद्धस्थल दर्शनीय हैं।
जोधपुर (सूर्य नगरी): यह राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा शहर है और “ब्लू सिटी” के नाम से प्रसिद्ध (यहाँ के पुराने घर नीले रंग में रंगे हैं)। जोधपुर का मुख्य आकर्षण है मेहरानगढ़ किला – 400 फीट ऊँची पहाड़ी पर बना विशाल दुर्ग, जिसके अंदर संग्रहालय, शस्त्रागार, शाही महल इत्यादि हैं। पास में जसवंत थड़ा (सफेद संगमरमर की छतरी) और उम्मेद भवन पैलेस (अब आंशिक तौर पर होटल और संग्रहालय) भी देखने लायक हैं। जोधपुर के बाज़ार मसाले, कपड़े और हस्तशिल्प के लिए जाने जाते हैं। शहर अपनी धूप भरी मौसम के कारण “सूर्य नगरी” कहलाता है।
जैसलमेर (स्वर्ण नगरी): थार मरुस्थल के ह्रदय में बसा जैसलमेर अपने स्वर्णिम पीले पत्थरों से बने किले और हवेलियों के लिए मशहूर है। जैसलमेर किला (सोनार किला) विश्व का शायद एकमात्र जीवंत किला है जहाँ आज भी आबादी रहती है – सूर्य की रोशनी में इसका पीला पत्थर सुनहरा दिखाई देता है। किले के अंदर जैन मंदिर और महल दर्शनीय हैं। शहर में पटवों की हवेली, नाथमल की हवेली, सलीम सिंह की हवेली जैसी खूबसूरत झरोखेदार हवेलियाँ हैं। जैसलमेर से 40 किमी दूर सम के रेत के टीले (Sam Sand Dunes) पर पर्यटक ऊँट सफारी, जीप सफारी और कैंपिंग का आनंद लेते हैं – यह रेगिस्तान की विशाल रेत के धोरे देखने का उत्तम स्थान है। हर साल फ़रवरी में मरु महोत्सव आयोजित होता है।
चित्तौड़गढ़: यह राजस्थान का सबसे बड़ा किला है तथा मेवाड़ की वीरभूमि के रूप में जाना जाता है। चित्तौड़गढ़ किले में विजय स्तंभ, कीर्ति स्तंभ, रानी पद्मिनी महल तथा मीराबाई मंदिर प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं। यही वह ऐतिहासिक दुर्ग है जहाँ महारानी पद्मिनी और हजारों स्त्रियों ने अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण के समय जौहर किया था। चित्तौड़गढ़ किला यूनेस्को विश्व विरासत में शामिल “राजस्थान के पहाड़ी किले” का हिस्सा है। पास ही मेवाड़ की राजधानी उदयपुर जाने से पहले पर्यटक राणा कुंभा द्वारा निर्मित कुंभलगढ़ किले (राजस्थान की दूसरी विश्व धरोहर पहाड़ी किला, जिसकी दीवार चीन की दीवार के बाद दूसरी सबसे लंबी दीवार मानी जाती है) को भी देखते हैं।
सवाई माधोपुर (रणथंभौर): सवाई माधोपुर जिले में स्थित रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान भारत के सबसे प्रसिद्ध बाघ अभयारण्यों में गिना जाता है। यहाँ खुले जंगल में बाघ, तेंदुआ, हिरण, नीलगाय, भालू आदि वन्यजीव देखे जा सकते हैं। रणथंभौर किले के रमणीय भग्नावशेष भी पार्क के बीच स्थित हैं। वन्यजीव प्रेमियों के लिए यह आकर्षण का केंद्र है। सarisका टाइगर रिजर्व अलवर जिले में है जहाँ बाघ पुनःप्राप्ति के प्रयास चल रहे हैं। भरतपुर का केवलादेव घना पक्षी अभयारण्य प्रवासी पक्षियों (विशेषकर साइबेरियाई सारस) के लिए विश्वविख्यात है और यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में शामिल है।
अजमेर-पुष्कर: अजमेर शहर अपने सूफ़ी संत ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के लिए पूरे उपमहाद्वीप में मशहूर है – यहाँ हज़रत ख़्वाजा की दरगाह पर लाखों ज़ायरिन मत्था टेकने आते हैं। अजमेर में तारागढ़ किला, आना सागर झील एवं अधूरे रह गए मैगज़ीन (राजपूताना संग्रहालय) भी देखे जा सकते हैं। अजमेर से सटे तीर्थस्थल पुष्कर है जहाँ भगवान ब्रह्मा का प्राचीन मंदिर स्थित है (ब्रह्मा के विश्व में विरले मंदिरों में एक)। पुष्कर सरोवर के घाटों पर श्रद्धालु स्नान करते हैं। कार्तिक पूर्णिमा पर पुष्कर का वार्षिक ऊँट एवं पशु मेला लगता है जिसमें देश-विदेश के पर्यटक शामिल होते हैं।
माउंट आबू: राज्य का अकेला हिल-स्टेशन माउंट आबू अरावली की पहाड़ियों में ~1,200 मीटर की ऊँचाई पर बसा एक मनमोहक पर्वतीय स्थल है। यहाँ की सुखद जलवायु इसे गर्मी में लोकप्रिय ग्रीष्मकालीन अवकाश स्थल बनाती है। माउंट आबू के मुख्य आकर्षण हैं – दिलवाड़ा जैन मंदिर (11वीं-13वीं सदी के श्वेत संगमरमर से निर्मित अद्भुत जैन मंदिर, जिनकी बारीक नक्काशी देखने लायक है), नक्की झील (एक सुंदर पहाड़ी झील जहाँ नौका विहार होता है), टोड रॉक (मेंढक चट्टान), और गुरु शिखर (राजस्थान का सर्वोच्च बिंदु, जहाँ से खूबसूरत दृश्य दिखता है)। पास में माउंट आबू अभयारण्य भी है जहाँ वन्य जीव-जंतु देखे जा सकते हैं।
बीकानेर: बीकानेर अपने पुराने किले, ऊँट और मिठाइयों के लिए जाना जाता है। यहाँ का जूनागढ़ किला (1588 ई.) लाल बलुआ पत्थर से बना भव्य दुर्ग है जिसके महलों और संग्रहालय में बहुमूल्य ऐतिहासिक वस्तुएँ हैं। बीकानेर को “ऊँटों का शहर” कहा जाता है – यहाँ विश्वप्रसिद्ध ऊँट अनुसंधान केन्द्र है और हर साल ऊँट उत्सव आयोजित होता है। बीकानेर की भुजिया नमकीन और रसगुल्ले मिठाई बहुत प्रसिद्द हैं। बीकानेर से 30 किमी दूर देशनोक में करणी माता का मंदिर है जहाँ हजारों चूहे निवास करते हैं और श्रद्धालु उन्हें पुण्य स्वरूप मानते हैं (इसे “चूहों वाला मंदिर” भी कहते हैं)।
अन्य दर्शनीय स्थल: राजस्थान के उपरोक्त मुख्य स्थलों के अलावा भी अनेक आकर्षण हैं – जयपुर के पास अबानेरी में चाँद बावड़ी (प्रसिद्ध प्राचीन बावड़ी), कोटा शहर अपने गढ़ पैलेस और चंबल उद्यान के लिए, बूँदी की तारागढ़ी और बावड़ियों के लिए, जैसलमेर के पास लोंगेवाला में भारत-पाक युद्ध स्मारक, अलवर के भानगढ़ किले के रहस्यमयी खंडहर (प्रेतबाधित माना जाता है), खाटूश्यामजी और मेहंदीपुर बालाजी जैसे आस्था स्थल भी प्रसिद्ध हैं। शेखावटी क्षेत्र (झुंझुनूं, सीकर) में बिसाऊ, मंडावा, नवलगढ़ आदि स्थानों पर हवेलियों पर बनी भित्ति चित्रांकन (फ्रेस्को) कला दर्शनीय है, जिसे “शेखावटी की खुली चित्र दीर्घा” कहा जाता है।
जयपुर के निकट पहाड़ी पर स्थित आमेर का किला – राजपूत वास्तुकला का बेजोड़ नमूना और यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल। राजस्थान के विशाल दुर्ग देश-विदेश के पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
राजस्थान के पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार “पधारो म्हारे देश” थीम से प्रचार करती है। पर्यटकों के लिए राज्य में हैरिटेज होटल (पुराने महलों को होटल में तब्दील किया गया) का अनुभव अद्वितीय है। विदेशी पर्यटक राजस्थान आकर यहाँ की संस्कृति – ऊँट सफारी, गाँव भ्रमण, लोक संगीत नृत्य, हस्तशिल्प खरीदारी – का भरपूर आनंद उठाते हैं। पर्यटन राजस्थान की अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख स्तंभ है और आम जनजीवन में इसका बड़ा सकारात्मक प्रभाव है।
14. यातायात और परिवहन
राजस्थान एक विशाल क्षेत्रफल वाला राज्य है, जहाँ यातायात और परिवहन के विभिन्न साधन उपलब्ध हैं। भौगोलिक दृष्टि से राज्य में सड़क, रेल और हवाई नेटवर्क का विस्तार समय के साथ हुआ है:
सड़क परिवहन: राजस्थान में सड़क मार्गों का जाल पूरे राज्य में फैला है। राष्ट्रीय राजमार्गों (NH) की लंबाई के मामले में राजस्थान अग्रणी राज्यों में है। एनएच-48 (पुराना NH-8) दिल्ली-जयपुर-अजमेर-उदयपुर-अहमदाबाद होकर जाता है और इसे “गोल्डन क्वाड्रिलेटरल” का हिस्सा माना जाता है। एनएच-52 जयपुर को कोटा, जबलपुर आदि से जोड़ता है। एनएच-11 बीकानेर से आगरा को जोड़ता है (बीकानेर-जयपुर-भरतपुर होकर)। राजस्थान के सभी 33 (अब 41) जिला मुख्यालय सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह जुड़े हैं। राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम (RSRTC) द्वारा अंतर-राज्यीय और आंतरिक बस सेवाएं चलाई जाती हैं। डीलक्स, एक्सप्रेस एवं वोल्वो बसें जयपुर, उदयपुर, जोधपुर आदि से दिल्ली, आगरा, अहमदाबाद, मुंबई इत्यादि प्रमुख शहरों के बीच नियमित रूप से चलती हैं। ग्रामीण क्षेत्रों को जिला मुख्यालयों से जोड़ने के लिए ग्रामीण बस सेवाएँ और निजी बसें संचालित होती हैं। सुदूर मरुस्थलीय इलाकों में अब पक्की सड़कें बिछ चुकी हैं। राज्य में कुल मिलाकर ~150,000 किमी सड़कों का नेटवर्क है। शहरों में ऑटो-रिक्शा, टैक्सी, एवं कुछ शहरों (जयपुर, कोटा) में सिटी बस सेवा उपलब्ध है। जयपुर शहर में 2015 से मेट्रो रेल का संचालन भी शुरू हो चुका है (जयपुर मेट्रो – प्रथम चरण)।
रेल परिवहन: राजस्थान में भारतीय रेल का व्यापक नेटवर्क है। राज्य रेलवे के उत्तरी-पश्चिमी परिक्षेत्र (North Western Railway) के अंतर्गत आता है जिसका मुख्यालय जयपुर है। राज्य में रेल मार्गों की कुल लंबाई ~5,822 किमी है जो देश के रेल नेटवर्क का लगभग 8.6% है। मुख्य रेलवे जंक्शन: जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, कोटा, भरतपुर, अजमेर, सवाई माधोपुर, चित्तौड़गढ़, श्रीगंगानगर आदि हैं। जयपुर-कोटा-मुंबई रेलखंड विद्युतिकृत है और सुपरफास्ट ट्रेनें (राजधानी, दुरंतो, शताब्दी) संचालित होती हैं। दिल्ली-जयपुर-आबू रोड-अहमदाबाद लाइन भी प्रमुख मार्ग है। कोटा रेलवे मंडल पश्चिम मध्य रेलवे के अधीन है और दिल्ली-मुंबई मुख्य लाइन पर पड़ता है। राजस्थान से होकर कई महत्वपूर्ण ट्रेनें गुजरती हैं – जैसे दिल्ली-अजमेर शताब्दी, जयपुर-दिल्ली दुरंतो, तथा लग्जरी “पैलेस ऑन व्हील्स” ट्रेन, जो पर्यटकों को राजस्थान के ऐतिहासिक स्थलों की सैर कराती है। राज्य में मीटरगेज़ लाइनें ज्यादातर ब्रॉडगेज में बदल चुकी हैं। कुछ शाखा लाइनों पर डीज़ल इंजन से ट्रेन चलती है, पर प्रमुख मार्ग इलेक्ट्रिफिकेशन के तहत हैं। राजस्थान के कुछ क्षेत्रों (जैसे जैसलमेर-बारमेर) में रेल उपलब्धता कम है, परंतु जैसलमेर के लिए जोधपुर से सीधी ट्रेन है। मेट्रो: जयपुर मेट्रो देश की पहली प्रांत स्तरीय राजधानी मेट्रो सेवा है, जो शहर में मानसरोवर से चांदपोल तक चलती है (द्वितीय चरण निर्माणाधीन)।
वायु परिवहन: राजस्थान में वर्तमान में १ अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (जयपुर) और कुछ आंतरिक हवाई अड्डे हैं। जयपुर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (JAI) सांगानेर में स्थित है, जहां से दुबई, शारजाह, मस्कट, बैंकॉक आदि के लिए सीधी अंतरराष्ट्रीय उड़ानें उपलब्ध हैं। इसके अतिरिक्त जोधपुर, उदयपुर, बीकानेर, जैसलमेर एवं किशनगढ़ (अजमेर) में घरेलू हवाई अड्डे हैं। जयपुर, जोधपुर, उदयपुर से दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद आदि महानगरों के लिए दैनिक उड़ानें हैं। एयर इंडिया, इंडिगो, स्पाइसजेट आदि एयरलाइंस राजस्थान के हवाई अड्डों को जोड़ती हैं। सैनिक दृष्टि से जोधपुर, बीकानेर, उत्तरलाई (बाड़मेर) में एयरबेस हैं जिनका एयरफोर्स प्रयोग करती है। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए छोटे चार्टर प्लेन जैसलमेर, कोटा, भरतपुर जैसे शहरों तक भी संचालित होते हैं। राज्य सरकार ने कुछ नए एयरस्ट्रिप (हनुमानगढ़, नागौर आदि) विकसित किए हैं ताकि हवाई संपर्क सुधारा जा सके।
अन्य परिवहन: राजस्थान एक स्थल-परिवेष्ठित (लैंडलॉक्ड) राज्य है, जिसकी समुद्र तक कोई सीधी पहुंच नहीं है। निकटतम बंदरगाह गुजरात के कांडला, मोरमुगाओ या महाराष्ट्र के जवाहरलाल नेहरू पोर्ट हैं जहां से आयात-निर्यात होता है। माल परिवहन के लिए सड़क-रेल अहम साधन हैं। राज्य में अंतर्देशीय जलमार्ग नहीं के बराबर हैं (चंबल नदी पर कोटा के पास हल्का-फुल्का नौवहन)। शहरों में सार्वजनिक परिवहन को बढ़ाने हेतु जयपुर में सिटी बस रैपिड ट्रांज़िट सिस्टम है, वहीं उदयपुर, जोधपुर में सिटी बसें चलती हैं। ग्रामीण इलाकों में जीप, ट्रैक्टर ट्रॉली, ऊँटगाड़ी जैसे साधन पारंपरिक रूप से प्रचलित रहे हैं, हालांकि अब सड़क संपर्क सुधरने से बस एवं निजी वाहन इस्तेमाल बढ़ा है।
कुल मिलाकर, राजस्थान में पिछले कुछ दशकों में परिवहन अवसंरचना में काफ़ी सुधार हुआ है – राष्ट्रीय राजमार्गों का चौड़ीकरण, एक्सप्रेसवे (कोटा-जयपुर एक्सप्रेसवे निर्माणाधीन), समर्पित फ्रेट कॉरिडोर (दिल्ली-मुंबई) के तहत रेललाइन, और नए हवाई अड्डों की स्थापना इसके उदाहरण हैं। बेहतर परिवहन से राज्य के आर्थिक, सामाजिक और पर्यटन गतिविधियों को गति मिली है।
15. परीक्षा उपयोगी तथ्य (One-Liner)
- राजस्थान की स्थापना (राज्य दिवस): 30 मार्च 1949 – इस दिन तत्कालीन राजपूताना की रियासतों को विलय कर संयुक्त राजस्थान राज्य बना। इसे राजस्थान दिवस के रूप में मनाया जाता है।
- राजस्थान का प्राचीन नाम: राजपूताना – ब्रिटिश काल में प्रयुक्त, जिसका अर्थ “राजपूतों की भूमि” है।
- राजधानी एवं सबसे बड़ा शहर: जयपुर (जनसंख्या ~30 लाख)। जयपुर को उसकी गुलाबी स्थापत्य के कारण “पिंक सिटी” कहा जाता है और यह यूनेस्को विश्व धरोहर शहर है।
- क्षेत्रफल: 342,239 वर्ग किमी – भारत का सबसे बड़ा राज्य (कुल क्षेत्रफल का ~10.4%)। क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान ब्रिटेन जैसे देश से बड़ा है।
- जनसंख्या (2011): 6.85 करोड़ – भारत में जनसंख्या की दृष्टि से 7वाँ स्थान। वर्तमान अनुमानित जनसंख्या ~7.9 करोड़ (2021 के आसपास)।
- जिले: वर्तमान में 41 जिले (7 संभाग)। 2023 में घोषित 19 नए ज़िलों सहित कुल 50 होने थे, किंतु 2024 में पुनर्गठन के बाद 41 ज़िलों को मान्यता दी गई। पहले लंबे समय तक जिले 33 ही थे।
- सबसे बड़ा जिला (क्षेत्रफल): जैसलमेर ~38,401 किमी² – यह भारत का सबसे बड़ा जिला भी है।
- सबसे छोटा जिला (क्षेत्रफल): धौलपुर ~3,034 किमी² – राजस्थान का सबसे छोटा जिला (क्षेत्रफल की दृष्टि से)।
- जनसंख्या की दृष्टि से सबसे बड़ा जिला: जयपुर ~66 लाख (2011)।
- जनसंख्या की दृष्टि से सबसे छोटा जिला: जैसलमेर ~6.7 लाख (2011), हालाँकि नए सृजित ज़िलों की आबादी इससे कम हो सकती है।
- राजकीय प्रतीक:
- राज्य पशु: चिंकारा (भारतीय ग़ज़ल) – वन्यजीव राज्य पशु; ऊँट – 2014 में पर्यावरणीय महत्व हेतु दूसरा राज्य पशु घोषित।
- राज्य पक्षी: गोड़ावण (Great Indian Bustard) – 1981 से राज्य पक्षी। इसे स्थानीय भाषा में सोन चिड़िया कहते हैं, ये वर्तमान में संकटग्रस्त प्रजाति है।
- राज्य वृक्ष: खेजड़ी (Prosopis cineraria) – 1981 से। खेजड़ी शुष्क क्षेत्र का जीवनदाता वृक्ष है, इसके फली (सांगरी) और पत्तियाँ पशुओं के चारे व सब्जी में काम आती हैं।
- राज्य फूल: रोहिड़ा (Tecomella undulata) – 1983 से। खूबसूरत पीले-लाल फूल वाला मरुधर का वृक्ष, जिसे मरूगुलाब भी कहते हैं।
- राज्य नृत्य: घूमर – राजस्थान का पारंपरिक स्त्री समूह नृत्य, जिसे 2015 में राज्य लोकनृत्य का दर्जा मिला (जैसलमेर का कालबेलिया नृत्य भी प्रसिद्ध है)।
- राज्य खेल: बास्केटबॉल – 1948 से राजस्थान का राजकीय खेल।
- राज्य का आदर्श वाक्य: “सत्य मेव जयते” (भारतीय राष्ट्र वाक्य)।
- सबसे ऊँची चोटी: गुरु शिखर (1,722 मीटर) – माउंट आबू, सिरोही जिला।
- अंतरराष्ट्रीय सीमा: ~1,070 किमी पाकिस्तान के साथ (गुजरात से पंजाब तक सटी हुई)।
- सीमावर्ती राज्य: पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात (5 राज्य)।
- मरुस्थल का विस्तार: राजस्थान के ~61% भूभाग में थार मरुस्थल है, मुख्यतः पश्चिमोत्तर जिलों – जैसलमेर, बारमेर, बीकानेर, जोधपुर, चूरू, श्रीगंगानगर, झुंझुनूं के कुछ भाग।
- वनाच्छादन: राज्य का लगभग 9.5% भाग वनों से आच्छादित है (2019 वन रिपोर्ट अनुसार ~32,737 वर्ग किमी)। बनासवाड़ा, उदयपुर, कोटा सबसे अधिक वनीय क्षेत्र वाले जिले हैं।
- मुख्य नदियाँ: चंबल (सहायक बनास, कालीसिंध, पार्वती), लूनी (सहायक सूकड़ी, जवाई), घग्गर, माही, बनास, साबरमती। चंबल प्रदेश की एकमात्र perennial (बारहमासी) नदी है। लूनी सबसे बड़ी आंतरिक नदी है।
- प्रमुख झीलें: सांभर झील (नमक उत्पादन के लिए प्रसिद्ध, भारत की सबसे बड़ी खारी झील), जयसमंद झील (एशिया की दूसरी सबसे बड़ी मानव निर्मित मीठे पानी की झील, उदयपुर), पुष्कर झील (तीर्थस्थान), उदयपुर की फतेहसागर और पिछोला झीलें।
- थार मरुस्थल का लोक नाम: “मरुस्थली पार्थिव” या “मरु धरती” भी कहा जाता है; अंग्रेजी में ग्रेट इंडियन डेज़र्ट। थार रेगिस्तान एशिया का 17वाँ व विश्व का 9वाँ सबसे बड़ा मरुस्थल है।
- किले (विश्व विरासत): राजस्थान के 6 पहाड़ी किले यूनेस्को विश्व विरासत सूची में शामिल हैं: चित्तौड़गढ़, कुंभलगढ़, रणथंभौर, आमेर (जयपुर), जैसलमेर व गागरोन (झालावाड़) किले। जयपुर शहर (2019) तथा जैसलमेर का किला (बड़ा किला) भी विश्व विरासत हैं।
- प्रथम पंचायतीराज: 2 अक्टूबर 1959 को नागौर जिले में देश की पहली पंचायतीराज सभा का उद्घाटन प्रधानमंत्री नेहरू द्वारा किया गया। इसे भारत में पंचायती राज की शुरुआत माना जाता है।
- महत्त्वपूर्ण दिवस: 30 मार्च (राजस्थान दिवस), 15 अप्रेल (राजस्थानी भाषा दिवस), 18 जून (हल्दीघाटी दिवस) आदि।
- राजस्थान की लोक देवियाँ/देवता: गोगाजी (सर्प देवता), रामदेवजी (दलितों के आराध्य), पाबूजी, तेजाजी, करणी माता (देशनोक) आदि, जिनके मेले लगते हैं।
- एतिहासिक युद्ध: हल्दीघाटी (1576, महाराणा प्रताप बनाम अकबर की सेना), खानवा (1527, राणा साँगा बनाम बाबर), सामेल (1544, मालदेव राठौड़ बनाम शेरशाह), चितौड़ घेरे (1303, 1535, 1567 में तीन जौहर) – ये युद्ध राजस्थान की वीरगाथा का हिस्सा हैं।
- वर्तमान मुख्यमंत्री: (2023 के बाद बदल गया, अपडेट आवश्यक) – [उदाहरण: अशोक गहलोत (कांग्रेस) 2018-2023; वसुंधरा राजे (भाजपा) 2013-2018]। नोट: नवीनतम जानकारी परीक्षार्थी स्वयं अद्यतन करें।
- वर्तमान राज्यपाल: [उदाहरण: कलराज मिश्र 2019 onwards] नोट: समयानुसार बदल सकता है।
- राजस्थान में यूनेस्को विश्व धरोहर: जैसलमेर का किला, राजस्थान के पहाड़ी किले (6 किले समूह), जयपुर शहर, केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान, जयपुर का जंतर मंतर – कुल 5 प्रविष्टियाँ हैं।
- अन्य उपनाम: उदयपुर – झीलों की नगरी; जोधपुर – सूर्य नगरी/ब्लू सिटी; जयपुर – गुलाबी नगरी; बीकानेर – ऊँट नगरी; भरतपुर – लोहागढ़ (इसके दुर्ग के कारण); कोटा – एजुकेशन सिटी (प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग हब)।
- राजस्थान का GDP: लगभग 11 लाख करोड़ रु (2020-21 अनुमान) – अर्थव्यवस्था आकार की दृष्टि से भारत में 7वाँ स्थान। प्रति व्यक्ति आय ~₹1.18 लाख वार्षिक।
- HDI रैंक: मानव विकास सूचकांक में राजस्थान 0.628 स्कोर (2018) के साथ 22वें स्थान पर रहा, जो कि मध्यम श्रेणी है।
- विशेष: राजस्थान में देश के सबसे पुराने पहाड़ (अरावली), सबसे बड़ा मरुस्थल (थार), सबसे बड़ा जिला (जैसलमेर) हैं। यहां के लोकनृत्य घूमर और कालबेलिया अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हैं। साथ ही, भारत के प्रथम परमाणु परीक्षण (स्माइलिंग बुद्धा, 1974) का स्थल भी राजस्थान का पोखरण (जैसलमेर) ही है।
16. UPSC और RPSC प्रश्न (MCQs)
प्रश्न 1: राजस्थान राज्य का गठन किस तारीख को हुआ था?
A. 15 अगस्त 1947
B. 26 जनवरी 1950
C. 30 मार्च 1949
D. 1 नवंबर 1956
उत्तर: C. 30 मार्च 1949
प्रश्न 2: राजस्थान का राजकीय पक्षी कौन सा है?
A. मोर
B. गोडावण (ग्रेट इंडियन बस्टर्ड)
C. सारस क्रौंच
D. बाज़
उत्तर: B. गोडावण (ग्रेट इंडियन बस्टर्ड)
प्रश्न 3: निम्न में से राजस्थान किसके लिए भारत में प्रथम स्थान पर है?
A. जनसंख्या
B. क्षेत्रफल
C. जनसंख्या घनत्व
D. साक्षरता दर
उत्तर: B. क्षेत्रफल
प्रश्न 4: राजस्थान की सर्वोच्च पर्वत चोटी कौनसी है?
A. आबूगढ़
B. गुरू शिखर
C. दिलवाड़ा पीक
D. नाहरगढ़
उत्तर: B. गुरू शिखर (माउंट आबू) – 1722 मीटर ऊँची।
प्रश्न 5: “पंचायती राज” प्रणाली सबसे पहले राजस्थान के किस जिले में प्रारंभ की गई?
A. जयपुर
B. बीकानेर
C. नागौर
D. अजमेर
उत्तर: C. नागौर (2 अक्टूबर 1959 को, पं. नेहरू द्वारा उद्घाटन)।
प्रश्न 6: राजस्थान के उच्च न्यायालय की स्थायी खंडपीठ जयपुर में किस वर्ष स्थापित की गई?
A. 1956
B. 1976
C. 2000
D. 1949
उत्तर: B. 1976 (राष्ट्रपति के आदेश द्वारा 1976 में जयपुर में स्थायी बेंच स्थापित हुई)।
प्रश्न 7: राजस्थान का राज्य खेल कौनसा है?
A. हॉकी
B. कबड्डी
C. फुटबॉल
D. बास्केटबॉल
उत्तर: D. बास्केटबॉल
प्रश्न 8: जैसलमेर स्थित थार मरुस्थल को किस नाम से भी जाना जाता है?
A. छोटा तिब्बत
B. महान भारतीय मरुस्थल
C. दून घाटी
D. रण क्षेत्र
उत्तर: B. महान भारतीय मरुस्थल (Great Indian Desert)।
(इन प्रश्नों के उत्तर से संबंधित विस्तृत जानकारी आप ऊपर लेख में संबंधित विषयों के अंतर्गत पढ़ सकते हैं। ये प्रश्न UPSC, RPSC, SSC जैसी परीक्षाओं में राजस्थान सामान्य ज्ञान से पूछे जा सकते हैं।)
17. FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
प्रश्न: राजस्थान राज्य का गठन कैसे हुआ था? इसके इतिहास के मुख्य चरण कौनसे हैं?
उत्तर: राजस्थान का गठन आज़ादी के बाद विभिन्न रियासतों के विलय से हुआ। 15 अगस्त 1947 तक राजस्थान क्षेत्र 19 बड़ी व छोटी रियासतों (जैसे जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, बीकानेर आदि) एवं केंद्रशासित अजमेर-मेरवाड़ा में बंटा था जिन्हें ब्रिटिश काल में राजपूताना कहते थे। 1948-49 में इन रियासतों का चरणबद्ध एकीकरण किया गया – सबसे पहले मत्स्य संघ (अलवर-भरतपुर) बना, फिर राजपुताना संघ, तत्पश्चात 30 मार्च 1949 को जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, जैसलमेर आदि के विलय से “वृहत्तर राजस्थान” बना जिसे राजस्थान राज्य कहा गया। उस समय राजधानी जयपुर बनी और सारदार वल्लभ भाई पटेल के दिशा-निर्देश में यह विलय हुआ। बाद में 1956 में राज्य पुनर्गठन के तहत अजमेर को भी राजस्थान में मिला दिया गया। इस प्रकार आधुनिक राजस्थान का निर्माण 1949 में हुआ और आगे कुछ मामूली समायोजन 1956 तक हुए। इसलिए 30 मार्च 1949 राजस्थान दिवस के रूप में मनाया जाता है।
प्रश्न: वर्तमान में (2024 तक) राजस्थान में कुल कितने जिले हैं? हाल में नए जिले कौन-कौनसे बने?
उत्तर: वर्ष 2024 तक राजस्थान में कुल 41 जिले हैं। मार्च 2023 में पिछली सरकार ने 19 नए जिलों के गठन की घोषणा की थी, जिससे उस समय गिनती 50 जिलों तक पहुँच गई थी। लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद दिसंबर 2024 में समीक्षा कर 9 प्रस्तावित नए जिलों को रद्द कर दिया गया। शेष 8 नए जिलों को मान्यता दी गई, जिससे वर्तमान में 33 पुराने + 8 नए = 41 जिले अस्तित्व में हैं। नए जिलों में प्रमुख हैं – बालोतरा, ब्यावर, डीग, डीडवाना-कुचामन, फालोदी, अनूपगढ़, सलूम्बर, खोेर (उदा.)। संभाग पूर्ववत 7 ही हैं क्योंकि 3 नए प्रस्तावित संभाग (सीकर, पाली, बांसवाड़ा) स्थगित हो गए। परीक्षा के लिहाज से नवीनतम जिलों की सूची और मानचित्र देख लेना चाहिए, क्योंकि प्रशासनिक इकाइयों में परिवर्तन गतिशील रहते हैं।
प्रश्न: राजस्थान की भौगोलिक विशेषताएँ क्या हैं? मुख्य पर्वत और नदियाँ कौनसी हैं?
उत्तर: राजस्थान भौगोलिक रूप से विविध राज्य है – पश्चिमी भाग में थार मरुस्थल फैला है, मध्य में उत्तर से दक्षिण को अरावली पर्वतमाला काटती है, और पूर्वी तथा दक्षिणी भाग अपेक्षाकृत उपजाऊ पठारी/मैदानी हैं। राज्य का उच्चतम बिंदु गुरु शिखर (1722 मी) है जो माउंट आबू (सिरोही) में है। अरावली की पहाड़ियाँ राजस्थान की प्राचीन अरावली श्रेणी हैं जो प्राकृतिक जलवायु विभाजक का काम करती हैं। थार मरुस्थल अपने रेत के टीलों, कम वर्षा और ऊँटों के लिए प्रसिद्ध है। नदियों में चंबल सबसे महत्वपूर्ण है (यह पूर्वी राजस्थान को सींचती है और यमुना की सहायक है)। अन्य नदियाँ – बनास (चंबल की सहायक, जो पूरी तरह राजस्थान में बहती है), लूनी (पश्चिमी राजस्थान में बहती हुई कच्छ के रण में सूख जाती है), घग्गर (हनुमानगढ़ क्षेत्र में मौसमी नदी), माही (दक्षिण राजस्थान से निकलकर गुजरात जाती है), साबरमती (अरावली से निकलती है), काली सिंध, पार्वती आदि हैं। राज्य में जयसमंद, पंचभद्रा, बीसलपुर जैसे बड़े बाँध और झीलें भी हैं। कुल मिलाकर, राजस्थान में मरुस्थल से लेकर पहाड़, जंगल से लेकर नदी-घाटी तक सभी भौगोलिक रूप मौजूद हैं।
प्रश्न: राजस्थान के प्रमुख पर्यटन और दर्शनीय स्थल कौन-कौनसे हैं?
उत्तर: राजस्थान पर्यटन के लिए अत्यंत लोकप्रिय है। कुछ प्रमुख पर्यटन स्थल इस प्रकार हैं – जयपुर (आमेर किला, हवा महल, सिटी पैलेस, जंतर-मंतर), उदयपुर (लेक पैलेस, सिटी पैलेस, पिछोला झील, सहेलियों की बाड़ी), जोधपुर (मेहरानगढ़ किला, जसवंत थड़ा, उम्मेद भवन), जैसलमेर (सोनार किला, पटवों की हवेली, सम रेत के टीले), चित्तौड़गढ़ (भव्य किला, विजय स्तम्भ, पद्मिनी महल), सवाई माधोपुर/रणथंभौर (बाघ अभयारण्य, रणथंभौर किला), आबू पर्वत (दिलवाड़ा जैन मंदिर, नक्की झील), बीकानेर (जूनागढ़ किला, करणी माता चूहों का मंदिर), अजमेर (दरगाह शरीफ़, अढ़ाई दिन का झोपड़ा) और पुष्कर (ब्रह्मा मंदिर, पुष्कर सरोवर) प्रमुख हैं। इसके अलावा कुंभलगढ़, जवाई लेपर्ड सफारी, बीसलपुर, जैसलमेर के खोड़ी धोरे, जयपुर का आमेर, नागौर का किला, अलवर का सिलीसेढ़, भरतपुर घना पक्षी उद्यान आदि भी देखने योग्य हैं। राजस्थान के मेले (पुष्कर मेला, ऊँट उत्सव बीकानेर) भी पर्यटन आकर्षण हैं। शाही पैलेस होटलों का अनुभव, लोक नृत्यों के कार्यक्रम, ऊँट सफारी, हाथी सफारी जैसे गतिविधियाँ भी पर्यटकों को खींचती हैं। कुल मिलाकर, राजस्थान में ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक स्थल असीमित हैं।
प्रश्न: राजस्थान के राजकीय चिह्न (प्रतीक) क्या-क्या हैं? उदाहरणार्थ राज्य पशु, पक्षी, फूल आदि।
उत्तर: राजस्थान के राजकीय प्रतीक निम्नलिखित हैं – राज्य पशु (वन्य): चिंकारा अर्थात भारतीय गज़ल (ये एक सुंदर हिरण प्रजाति है)। साथ ही ऊँट को 2014 में राज्य पशु (पालतू) घोषित किया गया, क्योंकि ऊँट रेगिस्तान का अभिन्न हिस्सा है। राज्य पक्षी: गोडावण (ग्रेट इंडियन बस्टर्ड) है, जो एक दुर्लभ पक्षी है और मरुस्थलीय घासस्थलों में पाया जाता है – इसे बचाने के प्रयास चल रहे हैं। राज्य वृक्ष: खेजड़ी है, जिसे स्थानीय तौर पर शमी या जांटी कहते हैं – यही वृक्ष है जिससे प्रसिद्ध “श्री शमी" (कल्पवृक्ष) की कहानी जुड़ी है और पोखरण में पनघट पर अमर शहीदों ने रक्षा की थी। राज्य फूल: रोहिड़ा (मरू गुलाब) है – थार के रेगिस्तान में खिलने वाला सुनहरे-पीले रंग का खूबसूरत फूल। राज्य लोकनृत्य: घूमर – राजस्थानी महिलाओं द्वारा किया जाने वाला घेरा बनाकर नृत्य, इसे 2013 में राज्य नृत्य का दर्जा दिया गया। राज्य खेल: बास्केटबॉल है – इसे 1948 से मान्यता प्राप्त है और राजस्थान के खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय स्तर पर अच्छा प्रदर्शन किया है। इन प्रतीकों के अलावा राज्य की पहचान से जुड़े गाने (केसरिया बालम), नारे (पधारो म्हारे देश) और वस्तुएँ (ब्लू पॉटरी, राजस्थानी पगड़ी) भी सांस्कृतिक प्रतीक समान महत्व रखते हैं।
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