शनिवार, 31 मई 2025

Rajasthan Service Rules (RSR) Part 1 – सामान्य परिचय और परिभाषाएँ [With Glossary, Cases, Highlights]

🧾 Rajasthan Service Rules (RSR) – भाग 1: सामान्य परिचय एवं परिभाषा

📘 अध्याय – 1
सामान्य परिचय
राजस्थान सेवा नियम (आर.एस.आर)

🔷 नियम 1:

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 309 के तहत प्रत्येक राज्य को अपने राज्य में सरकारी सेवा के संचालन के लिए कुछ नियम व उपबंध बनाने का अधिकार है।

  • 📅 23 मार्च 1951 की अधिसूचना के आधार पर राजस्थान सेवा नियम (आर.एस.आर.) राजस्थान में 01.04.1951 से प्रभावी हुई।

आरंभसूचक नियम: राज्यपाल के कार्यकारी आदेशों से तथा राज्य सरकार के समस्त कर्मचारियों पर लागू होते हैं।

❌ अपवाद जिन पर राजस्थान सेवा नियम लागू नहीं होते हैं:

  1. राजस्थान में नियुक्त केंद्र सरकार के कर्मचारी।
  2. वे केंद्र कर्मचारी, जो अन्य कार्य पर हैं लेकिन प्रतिनियुक्ति के आधार पर राज्य में नियुक्त हैं।
  3. राजस्थान लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्य।
  4. राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश।
  5. वे कर्मचारी जिनका विपरीत निर्धारण भुगतान आकस्मिकता से होता है। आकस्मिक निधि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 267(2) के तहत संचालित होती है।
  6. सिविल निधि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 266(1) के तहत संचालित होती है।

🔷 नियम 7: परिभाषाएँ

📌 नियम 7(1) – आयु:

इसका तात्पर्य आरंभकाल में उस कर्मचारी से है, जो नियुक्ति दिनांक तक मासिक वेतन के आधार पर निर्धारण किया जाए।

📌 नियम 7(2) – सेवक:

इसका तात्पर्य आरंभकाल में उस कर्मचारी से है, जो स्थायी पद के विपरीत नियुक्त तक मासिक वेतन के आधार पर नियुक्त किया जाए।

📌 नियम 7(3) – संविधान:

भारतीय संसद द्वारा 26.11.1949 को अंगीकृत किया गया कानून संविधान कहलाता है।

📌 नियम 7(4) – वर्ग:

स्थायी पद का प्रतिनिधित्व करने वाला वर्ग संवर्ग कहलाता है।

📌 नियम 7(4)(क) – चतुर्थ श्रेणी सेवा:

आरएसआर में ग्रेड पे 1700–1800 को निर्दिष्ट करने वाला कर्मचारी।

📌 नियम 7(5) – अंशकालिक भत्ते:

ऐसे भत्ते जिनका प्रारंभिक भुगतान स्वयं कर्मचारी द्वारा किया जाता है तथा फिर इनकी पूर्ति सरकार द्वारा कर्मचारी को कर दी जाती है।

📌 नियम 7(6) – सक्षम अधिकारी:

परिशिष्ट 9 भाग 2 के तहत आने वाले सभी कर्मचारी, जो विनियाम शक्ति/अधिकार का उपयोग कर सकते हैं।

📌 नियम 7(7) – संचित निधि:

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 266(1) के तहत निधारित निधि।

📌 नियम 7(7)(क) – रूपान्तरित अवकाश:

नियम 93 के तहत आने वाले अर्जित/अनवैतनिक अवकाशों को रूपान्तरित अवकाश में परिवर्तित किया जा सकता है।

📌 नियम 7(8) – कर्तव्य:

इससे तात्पर्य किसी कर्मचारी को सरकारी सेवा के रूप में परिवीक्षाधीन अवधि, अवकाश की अवधि सहित सेवाकाल की अवधि से है।

📌 नियम 7(8)(क):

सेवाकाल की अवधि जब कार्य न हो तो उसे कर्तव्य नहीं माना जाता।

📌 नियम 7(8)(ख):

सेवाकाल में वह अवधि जिसमें कर्मचारी को कोई कार्य सौंपा न गया हो परंतु उसे पूर्व स्वीकृति से सेवा में रखा गया हो, वह भी कर्तव्य मानी जाती है।

📌 नियम 7(9) – शुल्क:

संपत्ति निधि से प्राप्त अन्य किसी से प्राप्त होने वाली आय शुल्क कहलाती है तथा नियम 64 के तहत इसे भुगतान योग्य माना गया है।

📌 नियम 7(10) – वेतनविहीन सेवा:

ऐसी सेवा जिसमें कर्मचारी को भुगतान संचित निधि के स्थान पर स्थायी निधि से हो, वेतनविहीन सेवा कहलाती है।

📌 नियम 7(10)(क) – राजपत्रित अधिकारी:

वर्गीकरण नियंत्रण अपील नियम 1958 की धारा 1 में आने वाले समस्त अधिकारी राजपत्रित अधिकारी होते हैं।

📌 नियम 7(10)(ख) – अर्द्ध वेतन:

अर्द्ध वेतन से तात्पर्य नियम 93 के तहत दिए जाने वाले अवकाश से है।

📌 नियम 7(11) – विभागाध्यक्ष:

परिशिष्ट 14 भाग 2 के तहत आने वाले समस्त अधिकारी विभागाध्यक्ष होते हैं।

📌 नियम 7(12) – सार्वजनिक अवकाश:

ऐसे अवकाश जो सरकार देती है अर्थात् ऐसे अवकाश जो सरकार द्वारा किसी अधिसूचना के आधार पर घोषित हो।

📌 नियम 7(13) – मानदेय:

मानदेय सदैव सरकारी कर्मचारी को कोई सामान्यिक कार्य करने पर देय होता है।

📌 नियम 7(14) – पदभार ग्रहण काल:

1981 नियमों के तहत कर्मचारी का एक स्थान पर स्थानांतरण होने पर दिए जाने वाला समय पदभार ग्रहणकाल कहलाता है।

📌 नियम 7(15) – अवकाश:

कर्मचारी द्वारा अपने खाते से लिए गए अवकाश।

📌 नियम 7(16) – अवकाश वेतन:

कर्मचारी द्वारा लिये गए स्वीकृत अवकाशों में, उसी के अनुरूप उसे वेतन देय है। (नियम 97)

📌 नियम 7(17) – पदाधिकारी:

स्थायी पद पर स्थायी रूप से नियुक्त होने पर कर्मचारी को उस पद पर पदाधिकारी होता है।

📌 नियम 7(18) – स्थानांतरण निधि:

भारतीय संविधान के अनु. 268(2) के तहत निधारित होने वाली निधि स्थानांतरण निधि कहलाती है।

📌 नियम 7(19) – मंत्रालयिक कर्मचारी:

परिशिष्ट 12 के तहत आने वाले कर्मचारी, मंत्रालयिक कर्मचारी हैं (लिपिक श्रेणी)।

📌 नियम 7(20) – माह:

माह से तात्पर्य अंग्रेजी कैलेंडर के एक पूर्ण महीने से है।

📌 नियम 7(21) – दिनांक 01.01.1995 को विलुप्त।

📌 नियम 7(22) – सवेतनिक कर्मचारी:

इससे तात्पर्य आरएसआर में उन पद पर स्थायी अधिकारी रखने वाला कर्मचारी है।

📌 नियम 7(23) – स्थानापन:

इससे तात्पर्य उन कर्मचारियों से है, जिन्हें अपने पद के साथ-साथ अतिरिक्त पद की जिम्मेदारी दी जाती है।

📌 नियम 7(24) – वेतन:

वेतन से तात्पर्य आरएसआर में किसी सरकारी कर्मचारी को मिलने वाली मासिक राशि से है।

📌 नियम 7(25) – पेंशन:

कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति पश्चात मिलने वाली मासिक राशि जो सरकार भुगतान करें।

📌 नियम 7(26) – स्थायी पद:

ऐसे पद जिनकी कोई समय सीमा आरएसआर में निर्धारित नहीं होती है।

📌 नियम 7(27) – व्यक्तिगत वेतन:

किसी कारणवश यदि सरकारी कर्मचारी के वेतन में वृद्धि या कोई कटौती होती है तथा एक निश्चित समय सीमा तक उस कटौती का लाभ उन्हें दिया जाता है, उसे व्यक्तिगत वेतन कहते हैं।

📌 नियम 7(28) – उपार्जित अवकाश:

सेवा में व्यतीत किए गए समय के आधार पर अर्जित किये गये अवकाश उपार्जित अवकाश की श्रेणी में आते हैं। (नियम 91 के अनुसार)

📌 नियम 7(29) – पद पर परिवर्तित वेतन:

ऐसा वेतन वह होता है जब कर्मचारी को अपने पद के अलावा किसी अतिरिक्त पद/कर्तव्य का कार्य सौंपा जाए और उस अतिरिक्त कार्य हेतु विशेष वेतन मान्य हो।

📌 नियम 7(30) – परिवीक्षाधीन:

दिनांक 20.01.2006 के पश्चात राजस्थान सरकार द्वारा ऐसे कर्मियों को भी पद पर नियुक्त नहीं माना जाता है जो परिवीक्षाधीन स्थिति में हों।

📌 नियम 7(30)(क) – परिवीक्षाधीन प्रशिक्षार्थी:

ऐसे कर्मचारी जो दिनांक 20.01.2006 के बाद स्थायी पद पर दो वर्ष के लिए नियुक्त किए जाएँ, वे प्रशिक्षार्थी कहे जाते हैं।

📌 नियम 7(31) – विशेष वेतन:

यदि कोई सरकारी कर्मचारी सेवा में रहते हुए कोई विशेष उत्तरदायित्व निभाता है, तो ऐसे कार्य हेतु उसे विशेष वेतन देय होता है।

📌 नियम 7(32) – उच्च सेवा:

आरएसआर में चतुर्थ श्रेणी सेवा को छोड़कर समस्त सेवा उच्च सेवा मानी जाती है।

📌 नियम 7(33) – निवृत्त अनुदान:

कर्मचारी के निवृत्त होने पर सरकार द्वारा कर्मचारी को देय मासिक अनुदान निवृत्त अनुदान कहलाता है।

📌 नियम 7(34) – मूल वेतन:

कर्मचारी की वेतन श्रृंखला में ग्रेड पे के जुड़ने के बाद उसका मूल वेतन निर्धारित होता है।

📌 नियम 7(35) – स्थायी नियुक्ति:

ऐसी नियुक्ति जिस पर कार्य करने वाले कर्मचारी को एक निश्चित पदाधिकारी होता है।

📌 नियम 7(36) – सावधिक पद:

सामान्य तौर पर ऐसे पद एक निश्चित अवधि तक सूचीबद्ध किये जाते हैं तथा इन पर कार्य करने वाले कर्मचारियों का उस पद पर पदाधिकारी जुड़ा रहता है।

📌 नियम 7(37) – समय वेतनमान:

कर्मचारी की वेतन श्रृंखला समय वेतनमान सदैव निम्न स्तर से उच्च स्तर की ओर जाता है।

📌 नियम 7(38) – स्थानांतरण:

इससे तात्पर्य कर्मचारी को एक स्थान से दूसरे स्थान पर नियुक्त देने से है।

📌 नियम 7(39) – विश्रामकालीन विभाग:

ऐसे विभाग जिनमें एक निश्चित समय सीमा तक मुख्यालय बंद रहते हैं। जैसे न्यायिक विभाग, शिक्षा विभाग, कृषि विभाग।

📌 नियम 7(40) – पेंशन के अयोग्य संस्थापन:

ऐसे कर्मचारियों को वेतन व भत्तों का निर्धारण सरकारी बजट के अलावा सरकार के किसी अन्य स्रोत से किया जाता है।

🎯 यह अध्याय क्यों समझना चाहिए? (Why Understand RSR Part 1?)

RSR का भाग 1 केवल प्रारंभिक परिचय नहीं है, बल्कि यह पूरे सेवा जीवन की रीढ़ है। इसमें दी गई परिभाषाएँ, नियमों का आधार और कानूनी शब्दावली उस ढांचे को तैयार करती है जिस पर शेष सभी RSR भाग आधारित हैं।

🧾 कारण: क्यों पढ़ना चाहिए?

  • 📚 सभी अन्य भागों की भाषा यहीं से निकलती है: यदि आप "सेवा", "स्थायीत्व", "प्रबोधना", "ड्यूटी", "पेंशन" जैसे शब्दों का अर्थ नहीं जानते, तो आप अगला भाग नहीं समझ पाएंगे।
  • 📜 संवैधानिक आधार को समझाता है: यह अध्याय स्पष्ट करता है कि RSR की वैधता संविधान के अनुच्छेद 309 पर आधारित है।
  • 🛡️ अपने अधिकारों और कर्तव्यों की पहचान: सेवा पुस्तिका, नियुक्ति प्रक्रिया, अवकाश आदि पर आपकी वैधता भाग 1 में दी परिभाषाओं पर निर्भर करती है।
  • 🎯 RAS Mains, Clerk, SI आदि में सीधा प्रश्न: "परिभाषा आधारित प्रश्न" परीक्षा में बार-बार पूछे जाते हैं।
  • 🏛️ प्रत्येक संस्था प्रमुख को इसका गहरा ज्ञान होना चाहिए: निर्णय, प्रमाणन, Leave Approvals इत्यादि इसी पर निर्भर करते हैं।

📘 निष्कर्ष:

RSR भाग 1 को समझना सेवा अनुशासन, सरकारी प्रशासन, और कर्मचारी की सेवा सुरक्षा के लिए उतना ही आवश्यक है जितना कि किसी भवन की नींव।

📌 यदि आप RSR को गहराई से समझना चाहते हैं, तो भाग 1 को न छोड़ें — यही प्रवेश द्वार है।

राजस्थान सेवा नियम (RSR) की नींव भारतीय संविधान के अनुच्छेद 309 के अंतर्गत रखी गई है, जिसके तहत प्रत्येक राज्य को अपने सेवा नियम बनाने का अधिकार है।

📜 लागू तिथि एवं अधिकार

  • 📅 23 मार्च 1951 की अधिसूचना द्वारा ये नियम लागू हुए।
  • 📌 01 अप्रैल 1951 से प्रभावी माने जाते हैं।
  • 👨‍⚖️ ये नियम राज्यपाल द्वारा कार्यकारी आदेश

📌 किन पर लागू नहीं होते?

  • केंद्र सरकार के कर्मचारी जो राजस्थान में कार्यरत हैं।
  • संविधान के अनुच्छेद 267(2) के तहत नियंत्रित कर्मचारी।
  • राज्य उच्च न्यायालय के न्यायधीश।
  • राजस्थान लोक सेवा आयोग के सदस्य।

🧠 महत्वपूर्ण परिभाषाएँ (Definitions)

शब्द अर्थ (RSR के संदर्भ में)
🧓 वय (Age) जिस दिन कर्मचारी सेवा में नियुक्त होता है, वही आयु का निर्धारण दिन होगा।
🎓 शिक्षार्थी (Apprentice) ऐसा कर्मचारी जिसे सीमित अवधि के लिए प्रशिक्षण हेतु नियुक्त किया गया हो।
📜 संविधान (Constitution) भारत का संविधान जिसे 26 नवंबर 1949 को अंगीकृत किया गया।
👤 गणना सेवा (Quasi-permanent Service) Grade Pay 1700 से 1800 तक के कर्मचारियों की अस्थायी सेवा।
💰 स्ववित्त पोषित भत्ते ऐसे भत्ते जो कर्मचारी द्वारा पहले दिए गए कार्यों के एवज में पुनः राज्य द्वारा भुगतान किए जाते हैं।
👨‍💼 लिपिकीय कर्मचारी जो वित्तीय शक्तियों का उपयोग करने वाले पदों पर कार्यरत हों।
⚖️ स्थानीय नियम संविधान के अनुच्छेद 266(1) के अनुसार स्थापित नियम।
🔁 Leave Encashment आरएसआर नियम 93 के अंतर्गत दी गई आर्थिक सहायता स्वरूप छुट्टियों की राशि।
🔐 शासन की सेवा (Duty) जिस समय कर्मचारी सरकारी सेवा में कार्यरत हो, वह अवधि।

📎 अतिरिक्त बिंदु

  • 👮 प्रशिक्षण अवधि भी सेवा मानी जाती है, यदि वह विधिवत अनुमोदित हो।
  • 💼 स्थायी नियुक्ति वाले कर्मचारी को ही पदस्थापना अधिकार प्राप्त होता है।
  • 📋 राजकीय सेवा में पारदर्शिता बनाए रखने हेतु सभी परिभाषाएँ स्पष्ट की गई हैं।

📚 परीक्षा उपयोगी तथ्य (Exam-Oriented Points)

  • ❓ RSR किस अनुच्छेद के तहत लागू हुआ? 👉 अनुच्छेद 309
  • 📆 लागू तिथि? 👉 01 अप्रैल 1951
  • 📜 कौन कर्मचारी अपवाद हैं? 👉 केंद्र सरकार, न्यायालय, आयोग के सदस्य

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📌 RSR भाग 1 – संस्था प्रधान (Head of Office) हेतु समझने व याद रखने वाले बिंदु

  1. 📖 RSR भारतीय संविधान के अनुच्छेद 309 के तहत लागू नियम हैं जो राज्य सरकार को अपने अधीनस्थ सेवाओं के लिए नियम बनाने की अनुमति देता है।
  2. 📅 प्रभावी तिथि: RSR को 01 अप्रैल 1951 से राजस्थान में लागू किया गया।
  3. 🔒 लागू नहीं होते: केंद्र सरकार के अधिकारी, उच्च न्यायालय के न्यायधीश, और राज्य लोक सेवा आयोग के सदस्य RSR के अंतर्गत नहीं आते।
  4. 📝 संस्था प्रमुख की भूमिका:
    • कर्मचारी का सेवा अभिलेख (Service Book) अपडेट रखना।
    • 📌 प्रत्येक नियुक्त कर्मचारी से समय पर मेडिकल प्रमाणपत्र और दस्तावेज लेना।
    • 🗂️ नियुक्ति और पुष्टि (Confirmation) से पूर्व सभी नियमों का पालन सुनिश्चित करना।
  5. 📁 सेवा की परिभाषाएँ: संस्था प्रधान को RSR में दी गई प्रमुख परिभाषाओं जैसे "Service", "Duty", "Leave", "Pay", "Probation", आदि की पूरी जानकारी होनी चाहिए।
  6. 👥 Apprentice/Probationer को स्थायी सेवक मानने की शर्तें: नियुक्ति प्रक्रिया, सेवा काल और अनुमोदन का पालन आवश्यक।
  7. 🔁 Leave Encashment & Leave Records: छुट्टियों की सही गणना, रिकॉर्ड और मंजूरी की प्रक्रिया संस्था प्रधान के दायित्व में आती है।
  8. 🧾 कार्यभार ग्रहण दिनांक (DOJ) से सेवा संबंध प्रारंभ: आयु, वेतन, वरिष्ठता आदि सभी DOJ के अनुसार मान्य होती हैं।
  9. ⚠️ RTI/Inspection Audit में उत्तरदायित्व: संस्था प्रधान के निर्णयों की जांच की जा सकती है, इसलिए सभी आदेश और रिकॉर्ड लिखित एवं पारदर्शी हों।
  10. 🧠 संविधान, प्रशासन और मानव संसाधन के मूल ज्ञान का पालन: संस्था प्रमुख को नियमों की व्याख्या, मानव व्यवहार एवं नीतिगत निर्णयों में न्यायसंगत दृष्टिकोण रखना चाहिए।

📘 स्मरण मंत्र:

  • 📍 RSR = "राज्य सेवा नियम", लेकिन यह सिर्फ कर्मचारी नहीं, संस्था प्रमुख के लिए भी समान रूप से लागू है।
  • 🛡️ संस्था प्रधान नियमों का रक्षक होता है – न कि केवल आदेश देने वाला।
  • 🔎 नियमों की व्याख्या तभी करें जब आप उनका ठीक से अध्ययन करें – अज्ञानता भी अनुशासनहीनता मानी जाती है।

👨‍💼 कर्मचारी हेतु याद रखने योग्य बिंदु (Key Points for Government Employees)

  1. 📅 सेवा प्रारंभ तिथि (Date of Joining) से ही आपकी आयु, वेतन, वरिष्ठता और सेवा गणना शुरू होती है। इसे प्रमाणित दस्तावेजों के साथ सहेजें।
  2. 🩺 प्रारंभिक नियुक्ति से पहले मेडिकल प्रमाणपत्र देना अनिवार्य है। बिना इसकी पुष्टि के स्थायीत्व नहीं मिलेगा।
  3. 📕 सेवा पुस्तिका (Service Book) में हर प्रविष्टि सत्यापित करवाना आपकी जिम्मेदारी है — इसे नज़रअंदाज़ करना भविष्य में विवाद ला सकता है।
  4. 🏛️ RSR नियम न केवल कार्यालयी अनुशासन के लिए, बल्कि अवकाश, वेतन, प्रमोशन, पेंशन आदि हर पहलू को नियंत्रित करते हैं।
  5. 🕒 समय पर उपस्थिति और कर्तव्य पालन "ड्यूटी" की परिभाषा में आता है, और ये वेतन व प्रोबेशन की गणना को प्रभावित करता है।
  6. 📜 आप RSR के अंतर्गत तभी आते हैं जब आपकी नियुक्ति राजस्थान राज्य सरकार द्वारा हो — केंद्रीय सेवाएं व अपवाद अलग हैं।
  7. 🛡️ स्थायी सेवा (Permanent Service) तभी मानी जाती है जब सरकार द्वारा पुष्टि (Confirmation) आदेश प्राप्त हो जाए।
  8. 💼 प्रशिक्षण अवधि (Apprenticeship) केवल मान्य तभी है जब वह आधिकारिक रूप से स्वीकृत हो।
  9. 💰 Leave Encashment और अन्य भत्तों के लिए छुट्टियों व सेवा अवधि की सटीक गणना जरूरी है — बिना रिकॉर्ड के भुगतान रुक सकता है।
  10. 🔁 RSR नियमों का पालन आपकी सुरक्षा भी करता है और उत्तरदायित्व भी बढ़ाता है — इसलिए समय-समय पर पुनरावलोकन करें।

🧠 स्मरण सूत्र:

  • ✅ सेवा में नियुक्ति = दस्तावेज + मेडिकल + सेवा पुस्तिका + पुष्टि आदेश
  • ✅ नियमों की जानकारी रखना कर्मचारी की जिम्मेदारी है, न कि केवल प्रधान की।
  • ✅ RTI/Promotion/Pension में RSR नियमों की भूमिका निर्णायक होती है।

📘 Exam Point (MCQ Style Hints):

  • ❓ RSR किस तिथि से लागू हुआ? 👉 01-04-1951
  • ❓ RSR किस संविधान अनुच्छेद के तहत बना? 👉 अनुच्छेद 309
  • ❓ क्या सभी कर्मचारी RSR के अंतर्गत आते हैं? 👉 नहीं

⚖️ RSR भाग 1: न्यायालय निर्णय एवं केस स्टडी

राजस्थान सेवा नियम (RSR) न केवल प्रशासनिक बल्कि न्यायिक स्तर पर भी महत्वपूर्ण सिद्ध हुए हैं। उच्च न्यायालय एवं सर्वोच्च न्यायालय द्वारा समय-समय पर इन नियमों की व्याख्या की गई है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि नियमों का पालन कैसे होना चाहिए।

📌 1. नियुक्ति और सेवा शर्तों पर न्यायालय की टिप्पणी

  • ⚖️ अनुच्छेद 309 के अंतर्गत बनी सेवा शर्तें राज्यपाल द्वारा विनियमित होती हैं।
  • 📚 न्यायालय ने यह कहा कि कोई भी नियुक्ति अथवा सेवा परिवर्तन नियमों के विपरीत नहीं हो सकता
  • 📌 नियुक्ति यदि वैधानिक प्रक्रिया के बिना हो तो उसे रद्द किया जा सकता है।

📌 2. सेवा पुस्तिका (Service Book) पर कोर्ट का निर्णय

  • 📖 सेवा पुस्तिका कर्मचारी का वैधानिक रिकॉर्ड है — इसमें दर्ज प्रविष्टियाँ निर्णायक होती हैं।
  • 🔍 यदि किसी प्रविष्टि को चुनौती दी जाए, तो बोझ सरकार पर होता है कि वह सेवा पुस्तिका को सही साबित करे।
  • 🖋️ प्रमोशन, पेंशन और अवकाश स्वीकृति जैसे मामलों में सेवा पुस्तिका मुख्य साक्ष्य मानी जाती है।

📌 3. अनुशासनात्मक कार्रवाई एवं निलंबन

  • ⚠️ Natural Justice का पालन आवश्यक है — "सुनवाई का अवसर" देना अनिवार्य है।
  • 🔒 निलंबन आदेश यदि बिना कारण और समयसीमा के जारी होता है, तो वह रद्द किया जा सकता है।
  • 📅 स्थायी सेवक के विरुद्ध कार्रवाई RSR नियमों के अनुसार और स्पष्ट प्रमाणों के आधार पर ही की जा सकती है।

📌 4. महत्वपूर्ण केस संकेत

  • 🧑‍⚖️ Radhey Shyam Sharma vs State of Rajasthan – सेवा पुस्तिका की प्रविष्टि से संबंधित मामला
  • 🧑‍⚖️ Sita Ram vs Rajasthan Govt – निलंबन की अवधि सीमा पार करने पर स्वत: समाप्ति
  • 🧑‍⚖️ Rajesh Singh vs RPSC – नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता के सिद्धांत की पुष्टि

📘 कर्मचारी हेतु सलाह

  • ✅ हमेशा सेवा पुस्तिका अद्यतन रखें और उसकी प्रति सुरक्षित रखें।
  • ✅ किसी भी कार्रवाई के विरुद्ध अपील का अधिकार जानें और उसका प्रयोग करें।
  • ✅ नियमों का स्वयं अध्ययन करें — अज्ञानता दंड से नहीं बचाती।

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🏛️ विभाग/संस्था में करणीय कार्य एवं रखने योग्य अभिलेख (As per RSR Part 1)

प्रत्येक सरकारी संस्था को राजस्थान सेवा नियम (RSR) के अनुसार कुछ मूलभूत व्यवस्थाएँ नियमित रूप से करनी चाहिए। ये कार्य न केवल सेवा अनुशासन हेतु आवश्यक हैं, बल्कि पेंशन, प्रमोशन, ऑडिट, RTI एवं न्यायिक मामलों में भी साक्ष्य रूप में काम आते हैं।


✅ A. नियमित करणीय कार्य (Regular Duties as per RSR)

  1. 📌 सभी कर्मचारियों की सेवा पुस्तिका (Service Book) को अद्यतन रखना।
  2. 📅 नियुक्ति तिथि से ही वेतन निर्धारण, वरिष्ठता, छुट्टियों की गणना प्रारंभ करना।
  3. 🩺 नियुक्ति से पूर्व मेडिकल प्रमाणपत्र लेना और उसमें अनुलेख दर्ज करना।
  4. 🔁 Leave Record (CL, EL, ML, Special Leave) का दैनिक अद्यतन।
  5. 📝 दैनिक उपस्थिति रजिस्टर का सटीक संधारण।
  6. 📤 सेवानिवृत्ति से पूर्व पेंशन फॉर्म्स, सेवा सत्यापन प्रमाण पत्र समय पर तैयार करना।
  7. 📁 प्रोबेशन से संबंधित आदेश/विस्तार पत्र सुरक्षित रखना।
  8. 📑 स्थायीत्व आदेश की प्रति सेवा पुस्तिका में संलग्न करना।
  9. 📋 पदस्थापन/स्थानांतरण आदेश की प्रति Record File में संधारित करना।
  10. 📈 सभी प्रमोशन/ACP/MACP आदेश को अद्यतन वेतन पत्रक में सम्मिलित करना।

🗃️ B. रखने योग्य अभिलेख (Essential Records to be Maintained)

  • 📘 सेवा पुस्तिका (पृष्ठवार क्रमबद्ध)
  • 📂 मेडिकल प्रमाणपत्र फाइल
  • 📋 नियुक्ति आदेश फोल्डर (प्रत्येक कर्मचारी के लिए अलग)
  • 📊 Leave Register (CL, EL, ML, SPL आदि कॉलम सहित)
  • 📆 उपस्थिति पंजिका (Biometric या Manual दोनों)
  • 📄 स्थायीत्व एवं पुष्टि आदेश संग्रह
  • 📎 प्रमोशन/ACP/MACP आदेश संग्रह
  • 🧾 RTI उत्तर/शिकायत समाधान रिकॉर्ड
  • 📚 सेवा सत्यापन प्रमाण पत्र फोल्डर
  • 🖋️ पेंशन प्रकरण/फॉर्म/दावे रिकॉर्ड

📌 विशेष निर्देश (Special Notes)

  • 📅 प्रत्येक कर्मचारी की सर्विस बुक की प्रतिवर्ष समीक्षा करें।
  • 🧾 हर आदेश की प्रति पर तिथि, क्रमांक और हस्ताक्षर सुनिश्चित करें।
  • 📁 सभी अभिलेख क्रमांकित एवं विषयानुसार वर्गीकृत हों।
  • 🔐 संवेदनशील अभिलेख सील्ड और सीमित एक्सेस में रखें।

📘 संबंधित अध्ययन:

⚖️ भारतीय संविधान का अनुच्छेद 309 – संक्षिप्त टिप्पणी

अनुच्छेद 309 भारत के संविधान का वह अनुच्छेद है जो केंद्र और राज्य सरकारों को अपनी अधीनस्थ सेवाओं के लिए नियुक्ति, सेवा शर्तें, स्थानांतरण, पदोन्नति और सेवानिवृत्ति इत्यादि को विनियमित करने हेतु नियम बनाने की शक्ति देता है।

📘 अनुच्छेद 309 – मूल पाठ (Simplified Hindi)

"सिवाय जब तक संसद कानून द्वारा कुछ और उपबंध न करे, केंद्र और राज्य सरकारें अपने अधीनस्थ सेवकों की नियुक्ति और सेवा से संबंधित सभी मामलों के लिए नियम बना सकती हैं।"

🔍 मुख्य बातें

  • 📌 यह एक है जो संविधान के लागू होते ही अस्तित्व में आया।
  • ⚖️ यदि संसद ने किसी विषय पर कोई कानून नहीं बनाया है, तब तक कार्यपालिका स्वयं नियम बना सकती है।
  • 🏛️ इसे कार्यपालिका अधिनियम शक्ति (Executive Rule-Making Power) भी कहते हैं।

📘 राजस्थान सेवा नियम (RSR) का निर्माण – संविधानिक आधार

📌 RSR कैसे बने?

  • 📅 23 मार्च 1951 को राजस्थान सरकार द्वारा एक अधिसूचना जारी की गई।
  • 📅 01 अप्रैल 1951 से राजस्थान सेवा नियम (RSR) को प्रभाव में लाया गया।
  • 📜 इन नियमों को राज्यपाल की कार्यकारी शक्ति द्वारा अनुच्छेद 309 के तहत अधिसूचित किया गया।

📎 RSR का उद्देश्य:

  • 🧾 नियुक्तियों की पारदर्शिता सुनिश्चित करना।
  • 🧑‍💼 सेवा शर्तों को समान, स्पष्ट और न्यायसंगत बनाना।
  • 📑 कर्मचारी और सरकार के बीच नियमबद्ध संबंध स्थापित करना।

📚 परीक्षा बिंदु:

  • ❓ RSR किस अनुच्छेद के अंतर्गत बनाए गए? 👉 अनुच्छेद 309
  • ❓ किस तिथि से लागू? 👉 01 अप्रैल 1951
  • ❓ किसके द्वारा अधिसूचित? 👉 राज्यपाल, कार्यकारी आदेश द्वारा

📥 संबंधित स्रोत:

📚 RSR Part-1 Flashcards – Top 20 Questions for Revision

  1. ❓ प्रश्न: RSR का पूर्ण रूप क्या है?
    उत्तर: Rajasthan Service Rules
  2. ❓ प्रश्न: RSR कब से लागू हुए?
    उत्तर: 01 अप्रैल 1951
  3. ❓ प्रश्न: RSR किस संवैधानिक अनुच्छेद के अंतर्गत बनाए गए?
    उत्तर: अनुच्छेद 309
  4. ❓ प्रश्न: RSR को अधिसूचित किसके द्वारा किया गया था?
    उत्तर: राजस्थान के राज्यपाल द्वारा कार्यकारी आदेश से
  5. ❓ प्रश्न: अनुच्छेद 309 किस विषय से संबंधित है?
    उत्तर: सरकारी सेवकों की नियुक्ति और सेवा शर्तों से
  6. ❓ प्रश्न: सेवा पुस्तिका क्या है?
    उत्तर: कर्मचारी की सेवा संबंधी सम्पूर्ण जानकारी का आधिकारिक अभिलेख
  7. ❓ प्रश्न: सेवा पुस्तिका किस तिथि से भरना अनिवार्य है?
    उत्तर: नियुक्ति की तिथि से
  8. ❓ प्रश्न: स्थायीत्व किस अवधि के बाद मिलता है?
    उत्तर: सामान्यतः 2 वर्ष की सफल प्रबोधना (Probation) अवधि के बाद
  9. ❓ प्रश्न: सेवा पुस्तिका में प्रविष्टियाँ किसके द्वारा प्रमाणित की जाती हैं?
    उत्तर: संस्था प्रमुख / नियुक्त प्राधिकारी
  10. ❓ प्रश्न: RSR नियमों का पालन क्यों आवश्यक है?
    उत्तर: ताकि सेवा संबंधी निर्णय न्यायसंगत, पारदर्शी और वैधानिक हों
  11. ❓ प्रश्न: RSR का उद्देश्य क्या है?
    उत्तर: राज्य कर्मचारियों की सेवा शर्तों का विधिवत निर्धारण
  12. ❓ प्रश्न: सेवा पुस्तिका अद्यतन न होने से क्या प्रभाव पड़ता है?
    उत्तर: प्रमोशन, पेंशन, अवकाश जैसे मामलों में अड़चन
  13. ❓ प्रश्न: Leave Register किस प्रकार के अवकाशों को दर्शाता है?
    उत्तर: CL, EL, ML, Special Leave आदि
  14. ❓ प्रश्न: नियुक्ति पत्र RSR के किस भाग से संबंधित होता है?
    उत्तर: भाग 1 – सामान्य परिभाषाएँ व नियुक्ति नियम
  15. ❓ प्रश्न: क्या सेवा पुस्तिका एक कानूनी दस्तावेज है?
    उत्तर: हाँ, यह न्यायालय में मान्य साक्ष्य होती है
  16. ❓ प्रश्न: अनुच्छेद 309 किस परिस्थिति में नियम बनाने की शक्ति देता है?
    उत्तर: जब तक संसद/विधानसभा ने कोई कानून न बनाया हो
  17. ❓ प्रश्न: कर्मचारी के लिए सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज कौन-सा होता है?
    उत्तर: सेवा पुस्तिका (Service Book)
  18. ❓ प्रश्न: नियुक्ति से पहले कौन-सा प्रमाणपत्र अनिवार्य है?
    उत्तर: मेडिकल फिटनेस प्रमाणपत्र
  19. ❓ प्रश्न: स्थायीत्व से संबंधित आदेश सेवा पुस्तिका में दर्ज होना चाहिए या नहीं?
    उत्तर: हाँ, यह अनिवार्य है
  20. ❓ प्रश्न: क्या एक संस्था प्रमुख Leave Register में अपनी मर्जी से छुट्टियाँ जोड़ सकता है?
    उत्तर: नहीं, नियमों के अनुसार अनुमोदन आवश्यक होता है

📝 नोट: यह Flashcard-Style प्रश्न RAS, REET, Junior Assistant, School Headmaster, और अन्य सभी सरकारी भर्ती परीक्षाओं हेतु उपयोगी हैं।

📌 🔗 RSR की सभी पोस्ट्स पढ़ें

🏛️ RSR Part-1 से संबंधित RPSC में पूछे गए प्रश्न

  1. प्रश्न: सेवा पुस्तिका का उद्देश्य क्या है?
    उत्तर: कर्मचारी की सेवा की सभी प्रविष्टियों का अभिलेख रखना
  2. प्रश्न: RSR के तहत स्थायीत्व कब प्रदान किया जाता है?
    उत्तर: नियुक्ति के पश्चात सफलतापूर्वक प्रबोधना (probation) अवधि पूर्ण करने पर
  3. प्रश्न: अनुच्छेद 309 का संबंध किससे है?
    उत्तर: सरकारी सेवकों की नियुक्ति एवं सेवा शर्तों के लिए नियम बनाना
  4. प्रश्न: अनुच्छेद 309 किसे नियम निर्माण की शक्ति देता है?
    उत्तर: केंद्र एवं राज्य सरकारों को
  5. प्रश्न: RSR की शुरुआत कब हुई थी?
    उत्तर: 01 अप्रैल 1951
  6. प्रश्न: क्या सेवा पुस्तिका न्यायालय में वैध साक्ष्य मानी जाती है?
    उत्तर: हाँ
  7. प्रश्न: RSR के अनुसार नियुक्ति से पूर्व कौन-सा प्रमाण पत्र आवश्यक है?
    उत्तर: चिकित्सकीय प्रमाणपत्र (Medical Certificate)
  8. प्रश्न: Leave Register में किन प्रकार की छुट्टियाँ दर्ज की जाती हैं?
    उत्तर: CL, EL, ML, Special Leave आदि
  9. प्रश्न: सेवा पुस्तिका में प्रमोशन प्रविष्टि कौन करता है?
    उत्तर: सक्षम प्राधिकारी/संस्था प्रधान
  10. प्रश्न: क्या सेवा पुस्तिका की प्रतिवर्ष समीक्षा की जाती है?
    उत्तर: हाँ, यह अनिवार्य है
  11. प्रश्न: RSR के नियम लागू किसके आदेश से होते हैं?
    उत्तर: राज्यपाल के कार्यकारी आदेश द्वारा
  12. प्रश्न: RSR नियमों का पालन किस प्रकार के कर्मचारियों पर लागू होता है?
    उत्तर: राज्य सरकार के स्थायी, अर्ध-स्थायी एवं अस्थायी कर्मचारी
  13. प्रश्न: सेवा पुस्तिका में क्या-क्या प्रविष्टियाँ होती हैं?
    उत्तर: नियुक्ति, प्रमोशन, स्थानांतरण, वेतन, स्थायीत्व, छुट्टियाँ आदि
  14. प्रश्न: राज्य सेवाओं हेतु नियम बनाने की शक्ति राज्य सरकार को कहाँ से प्राप्त है?
    उत्तर: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 309 से
  15. प्रश्न: पेंशन दावा पत्र में सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज क्या होता है?
    उत्तर: सेवा सत्यापन प्रमाण पत्र
  16. प्रश्न: RSR का उपयोग किस क्षेत्र में किया जाता है?
    उत्तर: राजस्थान राज्य सरकार की सेवाओं में
  17. प्रश्न: CL, EL और ML का पूर्ण रूप बताइए:
    उत्तर: Casual Leave, Earned Leave, Medical Leave
  18. प्रश्न: सेवा पुस्तिका में किसी आदेश की प्रति दर्ज करने हेतु किस बात की आवश्यकता होती है?
    उत्तर: क्रमांक, दिनांक एवं प्राधिकारी के हस्ताक्षर
  19. प्रश्न: Probation अवधि में सेवा निरंतरता किस पर निर्भर करती है?
    उत्तर: सफल कार्य निष्पादन और अधिकारी की अनुशंसा पर
  20. प्रश्न: किसी कर्मचारी की सेवा पुस्तिका में कौन सी प्रविष्टियाँ प्रमोशन हेतु आवश्यक हैं?
    उत्तर: सेवा सत्यापन, कार्यग्रहण तिथि, स्थायीत्व आदेश

📌 उपयोग: ये प्रश्न सीधे RPSC Pre/Mains, Headmaster, Clerk Grade-II, REET, एवं अन्य परीक्षाओं में बार-बार पूछे जा चुके हैं या पूछे जाने की संभावना प्रबल है।

🔗 RSR आधारित अन्य लेख पढ़ें

📘 Glossary – Rajasthan Service Rules (RSR) Part 1

🔢 क्रमांक 🔤 शब्द (Term) 📝 अर्थ / Explanation (Hindi + English)
1 वय (Age) सेवा में नियुक्ति की तिथि को मानी गई आयु।
The age considered is as on the date of joining service.
2 शिक्षार्थी (Apprentice) सीमित अवधि हेतु प्रशिक्षण हेतु नियुक्त व्यक्ति।
An individual appointed for training for a limited period.
3 गणना सेवा (Quasi-permanent Service) Grade Pay 1700–1800 के अंतर्गत अस्थायी सेवा।
Temporary service in specified grade pay range.
4 स्थायी नियुक्ति (Permanent Post) ऐसा पद जो स्थायी रूप से स्थापित है।
A post sanctioned without a time limit.
5 संविधान (Constitution) भारत का सर्वोच्च विधिक दस्तावेज।
The supreme law of India, adopted on 26 November 1949.
6 वेतन (Pay) सेवा में कार्य करने के बदले दी जाने वाली नियमित राशि।
Regular remuneration for government service.
7 स्थानीय नियम (Local Rules) संविधान के अनुच्छेद 266(1) के अंतर्गत बने राज्य नियम।
Rules framed under Article 266(1) of the Constitution.
8 लिपिकीय कर्मचारी (Ministerial Staff) वित्तीय शक्तियों का प्रयोग करने वाले पदाधिकारी।
Officials exercising financial powers.
9 शासन की सेवा (Duty) सेवा की वह अवधि जब कर्मचारी कार्यरत हो।
The period when a person is officially on government duty.
10 Leave Encashment छुट्टियों की आर्थिक प्रतिपूर्ति।
Monetary compensation for earned leaves.

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Top 10 Controversial Constitutional Amendments for UPSC – Explained by Surendra Sir

Top 10 Controversial Constitutional Amendments for UPSC – Explained by Surendra Sir

🎙️ परिचय:

📘 भारतीय संविधान – सरल भाषा में समझें

संविधान हमारे देश का वह दस्तावेज़ है जो यह तय करता है कि देश कैसे चलेगा, किसके पास कौन-सी शक्ति होगी, और नागरिकों के क्या अधिकार होंगे।

🔹 संविधान क्या है?

संविधान किसी भी देश की मुख्य कानूनी किताब होती है। इसमें सरकार की संरचना, शक्तियाँ और नागरिकों के अधिकार लिखे होते हैं।

🔹 भारत का संविधान कब बना?

26 नवम्बर 1949 को संविधान बना
26 जनवरी 1950 से लागू हुआ (इसीलिए हम इस दिन गणतंत्र दिवस मनाते हैं)

🔹 भारतीय संविधान की विशेषताएँ:

  • 📜 दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान
  • ⚖️ मौलिक अधिकार – जैसे बोलने की आज़ादी, धर्म की स्वतंत्रता आदि
  • 🏛 लोकतंत्र – जनता द्वारा चुनी हुई सरकार
  • 🧭 धर्मनिरपेक्षता – सभी धर्मों को समान सम्मान
  • 🪔 समाजवाद – सभी को समान अवसर
  • 🇮🇳 एकता में विविधता – विभिन्न राज्यों, भाषाओं को एक साथ जोड़े रखना

🔹 संविधान किसने बनाया?

संविधान बनाने वाली सभा को संविधान सभा कहा गया। इसके अध्यक्ष थे डॉ. राजेन्द्र प्रसाद और प्रारूप समिति के अध्यक्ष थे डॉ. भीमराव अंबेडकर

🔹 संविधान में क्या-क्या होता है?

  • प्रस्तावना (Preamble) – संविधान का परिचय
  • अनुच्छेद (Articles) – कुल 448
  • अनुसूचियाँ (Schedules) – कुल 12
  • भाग (Parts) – कुल 25 भाग

🔹 संविधान हमारे लिए क्यों ज़रूरी है?

संविधान यह तय करता है कि:

  • सरकार जनता की सेवा कैसे करेगी
  • नागरिकों को क्या अधिकार मिलेंगे
  • न्याय, स्वतंत्रता और समानता कैसे सुनिश्चित होगी

🔹 क्या संविधान बदला जा सकता है?

हाँ। संविधान में समय-समय पर बदलाव किए जाते हैं जिन्हें संविधान संशोधन100+ संशोधन

📚 निष्कर्ष:

संविधान सिर्फ एक किताब नहीं – यह हमारे अधिकारों, कर्तव्यों और लोकतंत्र की आत्मा

✍️ Tip: यदि आप संविधान को UPSC के लिए पढ़ रहे हैं, तो शुरुआत प्रस्तावना से करें, फिर मौलिक अधिकार और फिर संसद व न्यायपालिका।

📘 संविधान में संशोधन का अर्थ – सरल भाषा में समझें

संविधान एक स्थायी दस्तावेज़ होता है, लेकिन समय के साथ समाज और शासन की ज़रूरतें बदलती हैं। ऐसे में संविधान को आधुनिक ज़रूरतों के अनुसार अपडेटसंविधान संशोधन

🔹 संविधान में संशोधन क्यों किया जाता है?

  • 🕊️ नए अधिकार या नीति जोड़ने के लिए
  • 📜 पुराने कानूनों को हटाने या बदलने के लिए
  • 🏛 राजनीतिक, सामाजिक या आर्थिक सुधारों के लिए
  • ⚖️ न्यायपालिका या संसद की शक्तियों में बदलाव हेतु

🔹 भारत में संशोधन की प्रक्रिया (Article 368)

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 368 बताता है कि संविधान में कैसे संशोधन किया जा सकता है। तीन प्रकार के संशोधन होते हैं:

  1. साधारण बहुमत से – जैसे राज्य सूची में बदलाव
  2. विशेष बहुमत से – जैसे मौलिक अधिकारों में संशोधन
  3. विशेष बहुमत + राज्यों की सहमति – जैसे केंद्र-राज्य संबंधों में बदलाव

🔹 अब तक कितने संशोधन हो चुके हैं?

अब तक 100 से अधिक संविधान संशोधन अधिनियम

🔹 कुछ महत्वपूर्ण संशोधन (उदाहरण):

  • 🔹 42वां संशोधन (1976): संविधान को "मिनी संविधान" कहा गया – समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता जोड़े गए
  • 🔹 44वां संशोधन (1978): आपातकालीन अधिकारों को सीमित किया गया
  • 🔹 73वां एवं 74वां संशोधन (1992): पंचायत और नगर निकायों को संवैधानिक दर्जा मिला

📚 निष्कर्ष:

संविधान में संशोधन एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया है, जो यह सुनिश्चित करती है कि हमारा संविधान समय के अनुसार प्रासंगिक बना रहे। यह एक जीवंत दस्तावेज़ है, जो समाज की आवश्यकताओं के अनुसार खुद को ढालता है।

💡 UPSC Tip: संविधान में संशोधन से जुड़े केस (जैसे – Keshavananda Bharati Case, Minerva Mills Case) जरूर पढ़ें। Mains और Interview दोनों में काम आएगा।

🇮🇳 क्या भारत के संविधान में संशोधन संभव है?

हाँ, भारत का संविधान ऐसा दस्तावेज़ है जिसे समय-समय पर संशोधित (Amend) किया जा सकता है ताकि यह देश की बदलती जरूरतों और सामाजिक परिस्थितियों के अनुरूप बना रहे। यह संशोधन संविधान के अनुच्छेद 368 के अंतर्गत संभव है।

📘 किस अनुच्छेद में संशोधन की प्रक्रिया दी गई है?

संविधान का Article 368 (अनुच्छेद 368) बताता है कि संविधान में संशोधन कैसे किया जा सकता है। इसके अंतर्गत संसद को यह शक्ति प्राप्त है कि वह संविधान में आवश्यक संशोधन कर सके।

🧾 संशोधन की ज़रूरत क्यों पड़ती है?

  • 🧠 समय के साथ नई सामाजिक और राजनीतिक चुनौतियाँ आती हैं
  • 📜 नीतियों और संस्थाओं में सुधार की आवश्यकता होती है
  • ⚖️ मूल अधिकारों और कर्तव्यों का विस्तार किया जा सकता है
  • 🏛 लोकतंत्र को मजबूत करने हेतु संविधान को अपडेट किया जाता है

🛠️ कैसे किया जाता है संविधान में संशोधन?

संविधान में संशोधन के तीन तरीके होते हैं:

  1. ✅ संसद में साधारण बहुमत
  2. ✅ संसद में विशेष बहुमत
  3. विशेष बहुमत + राज्यों की सहमति

📌 निष्कर्ष:

भारत का संविधान एक जीवंत दस्तावेज़ है। इसमें संशोधन की प्रक्रिया इसे समय के अनुसार लचीला और प्रासंगिक बनाती है। यह प्रक्रिया लोकतांत्रिक और संतुलित है ताकि संविधान के मूल ढाँचे (Basic Structure) को क्षति न पहुँचे।

💡 UPSC Point: सुप्रीम कोर्ट ने केशवानंद भारती केस (1973) में कहा कि "संविधान संशोधित किया जा सकता है, लेकिन उसका मूल ढाँचा नहीं बदला जा सकता।"

📘 भारतीय संविधान में संशोधन कितने प्रकार का होता है?

भारतीय संविधान अनुच्छेद 368 के तहत तीन प्रकार से संशोधित किया जा सकता है। यह संशोधन की विधियाँ संसद और राज्यों की भूमिका के अनुसार भिन्न होती हैं।

🔹 1. सरल (Simple) बहुमत द्वारा संशोधन

कुछ प्रावधान जैसे राज्य पुनर्गठन, नाम परिवर्तन, नागरिकता अधिनियम में बदलाव आदि को संसद के साधारण बहुमत

🔹 2. विशेष (Special) बहुमत द्वारा संशोधन

अधिकांश संवैधानिक संशोधन दो-तिहाई उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों की विशेष बहुमत

  • मौलिक अधिकारों में संशोधन
  • निर्वाचन आयोग, CAG आदि का कार्यक्षेत्र
  • अनुसूचित भाषाओं की सूची में परिवर्तन

🔹 3. विशेष बहुमत + आधे राज्यों की सहमति द्वारा

कुछ संशोधन ऐसे होते हैं जिनमें संविधान के संघीय ढांचे को प्रभावित किया जाता है। इन संशोधनों को पास करने के लिए:

  1. संसद में विशेष बहुमत
  2. भारत के कम से कम आधे राज्यों की सहमति अनिवार्य होती है

उदाहरण:

  • राष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया
  • संविधान संशोधन की प्रक्रिया में परिवर्तन
  • उच्च न्यायालयों की शक्तियों में बदलाव

📌 निष्कर्ष:

इस प्रकार, संविधान संशोधन की प्रक्रिया तीन स्तरों

💡 UPSC Exam Tip: संशोधन की प्रक्रिया संविधान के मूल ढाँचे (Basic Structure) को प्रभावित नहीं कर सकती — जैसा कि सुप्रीम कोर्ट ने केशवानंद भारती केस (1973) में कहा।

🇮🇳 भारतीय संविधान की मूल संरचना: सरल भाषा में समझिए

भारतीय संविधान दुनिया का सबसे विस्तृत लिखित संविधान है। इसकी बुनियाद चार मुख्य स्तंभों पर टिकी हुई है:


🔹 1. प्रस्तावना (Preamble)

संविधान की शुरुआत एक संक्षिप्त प्रस्तावना से होती है जो भारत को संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य घोषित करती है। यह हमारे संविधान का ' है, जिसमें इसके लक्ष्य, उद्देश्य और आदर्श दर्शाए गए हैं।

📌 UPSC टिप: संविधान की प्रस्तावना को संविधान की आत्मा (Soul of the Constitution) भी कहा गया है।

🔹 2. अनुच्छेद (Articles)

भारतीय संविधान में कुल 448 अनुच्छेद (Articles) हैं (मूल रूप से 395 थे)। ये अनुच्छेद संविधान के विधिक प्रावधान हैं जो भारत के शासन के हर पहलू को नियंत्रित करते हैं:

  • 🧑‍⚖️ नागरिकों के मौलिक अधिकार
  • 🏛 केंद्र-राज्य संबंध
  • ⚖️ न्यायपालिका की शक्तियाँ
  • 🗳 निर्वाचन आयोग, संसद, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री इत्यादि का विवरण

✅ हर अनुच्छेद को उसके भाग (Part) और अनुक्रमणिका (Number) द्वारा पहचाना जाता है। जैसे – अनुच्छेद 21: जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार


🔹 3. अनुसूचियाँ (Schedules)

भारतीय संविधान में कुल 12 अनुसूचियाँ हैं, जो विशेष विषयों से संबंधित सूचियाँ, विवरण, तकनीकी जानकारी देती हैं।

अनुसूची विवरण
1 भारत का संघीय स्वरूप: राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों की सूची
2 सरकारी पदों के वेतन, भत्ते
3 शपथ और प्रतिज्ञाएँ
5 & 6 आदिवासी क्षेत्रों का प्रशासन
7 संघ, राज्य, समवर्ती सूची (तीन सूचियाँ)
8 भारत की आधिकारिक भाषाओं की सूची (22 भाषाएँ)
10 दलबदल कानून

💡 UPSC View: अनुसूचियाँ आपको संविधान के गहराई में जाने के लिए shortcut reference देती हैं।


🔹 4. भाग (Parts)

संविधान में कुल 25 भाग (Parts) हैं जो विषयवार वर्गीकरण को दर्शाते हैं — उदाहरण:

  • 🔹 Part III: मौलिक अधिकार (Fundamental Rights)
  • 🔹 Part IV: राज्य के नीति निदेशक तत्व (DPSPs)
  • 🔹 Part V: केंद्र सरकार की कार्यपालिका
  • 🔹 Part IX: पंचायत राज
  • 🔹 Part XIV: सरकारी सेवाएं, UPSC इत्यादि

✅ ये भाग संविधान को एक क्लासिफाइड और ऑर्गनाइज़्ड रूप में प्रस्तुत करते हैं।


📌 निष्कर्ष:

संविधान की ये चार इकाइयाँ – प्रस्तावना, अनुच्छेद, अनुसूचियाँ, भाग – मिलकर भारत के शासन को नीति, उद्देश्य, संरचना और प्रक्रिया प्रदान करते हैं।

📚 UPSC तैयारी के लिए याद रखें:

  • ✅ प्रस्तावना = लक्ष्य
  • ✅ अनुच्छेद = कानून
  • ✅ अनुसूचियाँ = टेक्निकल लिस्टिंग
  • ✅ भाग = विषयों का वर्गीकरण

📩 और पढ़ें: भारतीय राजव्यवस्था – सभी लेख देखें

📘 UPSC अथवा RPSC की तैयारी में भारतीय संविधान का महत्व

संविधान न केवल भारत का मूलभूत कानून है, बल्कि यह प्रशासनिक संरचना, अधिकारों और कर्तव्यों का मार्गदर्शक भी है। यही कारण है कि UPSC और RPSC जैसी शीर्ष परीक्षाओं में संविधान विषय की विशेष भूमिका है।


🔹 क्यों महत्वपूर्ण है संविधान?

  • 📚 UPSC Prelims & RPSC Pre: प्रतिवर्ष संविधान से जुड़े लगभग 10–15 प्रश्न पूछे जाते हैं।
  • 🧑‍⚖️ Mains में GS Paper 2: पूरा पेपर संविधान, शासन, और नीति से संबंधित होता है।
  • 🧠 Essay & Interview: संविधान के मूल सिद्धांतों की समझ से आपकी उत्तर लेखन क्षमता और दृष्टिकोण निखरता है।

🔸 कौन-कौन से टॉपिक्स विशेष रूप से पूछे जाते हैं?

  • 📖 मौलिक अधिकार (Fundamental Rights)
  • ⚖️ राज्य नीति के निदेशक तत्व (DPSP)
  • 🧾 संविधान संशोधन (Amendments)
  • 🏛 केंद्र और राज्य सरकार के अधिकार
  • 🗳 निर्वाचन प्रक्रिया, चुनाव आयोग
  • 🧑‍⚖️ न्यायपालिका की स्वतंत्रता
  • 👥 पंचायत राज व्यवस्था

📌 परीक्षा रणनीति के लिए सुझाव:

  • ✅ NCERT Class 11-12 (Polity) + Laxmikanth को प्राथमिकता दें।
  • ✅ संविधान के अनुच्छेदों को याद रखें, विशेषकर Part III और Part IV।
  • ✅ वर्तमान संविधान संशोधनों पर विशेष ध्यान दें।
  • ✅ डेली न्यूज़ में संविधान से जुड़े मुद्दों की केस स्टडी बनाएं।
💡 TIP: UPSC और RPSC में सफलता पाने के लिए संविधान की गहराई से समझ अनिवार्य है — यह केवल रटना नहीं, समझने और जोड़ने की कला है।

🎯 निष्कर्ष:

संविधान वह धुरी है जिस पर भारत की शासन व्यवस्था घूमती है। एक सिविल सेवक के रूप में आपको न केवल इसके प्रावधानों को जानना है, बल्कि उसके आदर्शों और भावना (constitutional morality) को भी आत्मसात करना है।

📎 संबंधित लेख: संविधान संशोधन – टॉप 25 | विवादास्पद संशोधन

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आज हम संविधान संशोधन (Constitutional Amendments) को समझने जा रहे हैं – बिल्कुल वैसे जैसे सुरेन्द्र सर कक्षाओं में समझाते हैं। यह विषय केवल परीक्षा नहीं, बल्कि भारतीय लोकतंत्र की आत्मा को समझने की कुंजी है।


📘 भाग 1: 25 प्रमुख संविधान संशोधन – Prelims के लिए

  • 1st Amendment (1951): 9वीं अनुसूची और भूमि सुधार।
  • 7th Amendment (1956): राज्य पुनर्गठन।
  • 10th Amendment (1961): दादरा नगर हवेली का विलय।
  • 12th Amendment (1962): गोवा, दमन, दीव का भारत में समावेश।
  • 24th Amendment (1971): संसद को संविधान संशोधन की पूर्ण शक्ति।
  • 25th Amendment (1971): संपत्ति अधिकार में कटौती।
  • 26th Amendment (1971): प्रिवी पर्स की समाप्ति।
  • 36th Amendment (1975): सिक्किम को राज्य का दर्जा।
  • 42nd Amendment (1976): “Sovereign, Socialist, Secular, Integrity” जोड़े गए।
  • 44th Amendment (1978): आपातकालीन शक्तियों में संशोधन।
  • 52nd Amendment (1985): दल बदल विरोधी कानून।
  • 61st Amendment (1989): मतदाता की आयु 21 से 18 वर्ष।
  • 69th Amendment (1991): दिल्ली को विशेष राज्य का दर्जा।
  • 73rd Amendment (1992): पंचायत राज प्रणाली।
  • 74th Amendment (1992): शहरी स्थानीय निकाय।
  • 86th Amendment (2002): शिक्षा का अधिकार (Article 21A)।
  • 91st Amendment (2003): मंत्रियों की संख्या सीमित।
  • 93rd Amendment (2005): अल्पसंख्यक संस्थानों में आरक्षण।
  • 97th Amendment (2011): सहकारी समितियाँ।
  • 99th Amendment (2015): NJAC (रद्द कर दिया गया)।
  • 100th Amendment (2015): भारत-बांग्लादेश सीमा समझौता।
  • 101st Amendment (2017): GST लागू।
  • 102nd Amendment (2018): NCBC को संवैधानिक दर्जा।
  • 103rd Amendment (2019): EWS आरक्षण (10%)।
  • 104th Amendment (2020): एंग्लो-इंडियन आरक्षण समाप्त।

💥 भाग 2: 10 विवादास्पद संशोधन – सोचने और उत्तर देने योग्य

  1. 1st Amendment: न्यायपालिका बनाम संसद की पहली टक्कर।
  2. 24th Amendment: संसद को पूर्ण शक्ति – न्यायपालिका को दरकिनार करने की कोशिश।
  3. 25th Amendment: मूल अधिकारों की उपेक्षा।
  4. 39th Amendment: इंदिरा गांधी का केस संविधान से बाहर!
  5. 42nd Amendment: इसे “मिनी संविधान” भी कहते हैं – तानाशाही का रास्ता।
  6. 44th Amendment: लोकतंत्र की पुनर्स्थापना।
  7. 61st Amendment: युवा वोटर्स – क्या 18 की उम्र पर्याप्त परिपक्व है?
  8. 97th Amendment: सहकारी समितियों पर संघीय विवाद।
  9. 99th Amendment: NJAC – न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर चोट।
  10. 103rd Amendment: आरक्षण की सीमा 50% से ऊपर – क्या संविधान सहमत है?

🧠 भाग 3: Interview स्टाइल प्रश्नोत्तर 

Student: सर, इतने सारे संशोधन याद कैसे रखें?

Teacher: बेटा, बदलाव की जड़ समझो – हर संशोधन किसी आवश्यकता या राजनीति का परिणाम है। बस उनका कारण और प्रभाव समझ लो।

Student: लेकिन Prelims में कौन-कौन याद रखें?

Teacher: जो Landmark हैं – जैसे 1st, 24th, 42nd, 44th, 73rd, 103rd। शॉर्ट ट्रिक्स भी बनाओ।

Student: Mains में कैसे लिखें?

Teacher: UPSC Evidence मांगता है। उदाहरण दो – 42nd Amendment के बाद देश कैसा बदला, NJAC क्यों विफल हुआ। बस मुद्दे की बात करो।


📚 यह भी पढ़ें:

🔔 टेलीग्राम चैनल: Sarkari Service Prep – जहाँ अपडेट, क्विज़ और Notes हर दिन मिलते हैं।


📢 अंतिम संदेश:

संविधान के संशोधन भारत के लोकतंत्र का जीवंत प्रमाण हैं। ये हमें बताते हैं कि कानूनों को लोगों के अनुसार ढलना चाहिए – लेकिन सीमाओं में।

“UPSC एक परीक्षा नहीं, एक दृष्टिकोण है।”




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Top 10 Controversial Constitutional Amendments of India – UPSC Mains & Prelims Focused

⚖️ Top 10 Controversial Constitutional Amendments of India – UPSC Mains & Prelims Focused

संविधान संशोधन भारत की विधायिका की शक्ति और विचारधारा को दर्शाते हैं। परंतु कुछ संशोधन इतने विवादास्पद रहे कि उन्होंने लोकतंत्र, मौलिक अधिकार और न्यायपालिका की स्वतंत्रता तक को प्रभावित किया। यह लेख UPSC के लिए उन 10 संशोधनों को उजागर करता है जो इतिहास, राजनीति और परीक्षा तीनों दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण हैं।

📜 1. First Amendment (1951)

विवाद: अनुच्छेद 19 की सीमाएं तय कर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बाधित करना।

मुख्य कारण: भूमि सुधार को न्यायिक समीक्षा से बचाना, बोलने की स्वतंत्रता पर 'reasonable restrictions' जोड़ी गईं।

नतीजा: संविधान का लचीलापन उजागर हुआ, लेकिन Free Speech पर पहला आघात भी।

⚖️ 2. 24th Amendment (1971)

विवाद: संसद को संविधान के किसी भी भाग में संशोधन की पूर्ण शक्ति प्रदान करना।

मुख्य बात: Article 368 में संशोधन; संविधान संशोधन भी मौलिक अधिकारों पर लागू हो सकता है – यह स्पष्ट किया गया।

न्यायिक प्रतिक्रिया: Kesavananda Bharati Case (1973) में 'Basic Structure Doctrine' आया।

💥 3. 25th Amendment (1971)

विवाद: संपत्ति के अधिकार को कमजोर करना, 'मुआवज़ा' की जगह 'राशि' शब्द।

प्रभाव: न्यायपालिका के हस्तक्षेप को सीमित करने की कोशिश, Article 31C जोड़ा गया।

न्यायिक व्याख्या: Article 31C को Minerva Mills में आंशिक रूप से असंवैधानिक घोषित किया गया।

🚨 4. 39वां संविधान संशोधन (1975)

विवाद: तत्कालीन प्रधानमंत्री की चुनाव याचिका को न्यायिक क्षेत्राधिकार से बाहर कर देना।

उद्देश्य: Article 329A जोड़ा गया – प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति के चुनावों को कोर्ट से बचाना।

राजनीतिक परिदृश्य: इमरजेंसी के दौरान इंदिरा गांधी के समर्थन में पारित हुआ – Rule of Law का उल्लंघन माना गया।

🧱 5. 42वां संविधान संशोधन (1976) – मिनी संविधान

विवाद: न्यायपालिका की शक्तियों को सीमित करना, केंद्र को अत्यधिक शक्ति देना।

प्रमुख परिवर्तन:

  • 'समाजवादी', 'धर्मनिरपेक्ष', 'राष्ट्रीय एकता' शब्द प्रस्तावना में जोड़े गए।
  • Article 368 में संशोधन, संसद सर्वोच्च बताई गई।
  • न्यायिक समीक्षा का दायरा घटाया गया।

प्रतिक्रिया: इसे संविधान के मूल ढांचे पर हमला कहा गया।

🛡️ 6. 44वां संविधान संशोधन (1978)

विवाद नहीं, सुधार: 42वें संशोधन के कई दुरुपयोगों को वापस लिया गया।

प्रमुख बिंदु:

  • संपत्ति का अधिकार मौलिक अधिकार से हटाकर वैधानिक अधिकार बनाया गया।
  • Article 352: आपातकाल लगाने की शर्तें कड़ी की गईं।
  • Article 21 में 'Due Process of Law' जोड़ा गया।

UPSC Mains Insight: यह संशोधन लोकतंत्र की वापसी और न्यायपालिका के सशक्तिकरण का प्रतीक है।

🗳️ 7. 61वां संविधान संशोधन (1989)

विवाद: मतदान की न्यूनतम आयु 21 से घटाकर 18 वर्ष करना – कुछ राज्यों ने इसे जल्दीबाज़ी कहा।

प्रभाव: युवा भागीदारी बढ़ी, पर साथ में जागरूकता की कमी पर बहस छिड़ी।

सवाल: क्या 18 वर्ष के युवा पर्याप्त समझ रखते हैं? यह अभी भी बहस का विषय है।

🏢 8. 97वां संविधान संशोधन (2011)

विवाद: सहकारी संस्थाओं के अधिकार केंद्र सरकार ने सीधे तय किए – संघवाद का उल्लंघन माना गया।

न्यायिक निष्कर्ष: 2021 में Supreme Court ने कहा – राज्यों से सहमति के बिना यह संशोधन आंशिक रूप से असंवैधानिक है।

केंद्र-बनाम-राज्य विषय में यह एक मील का पत्थर बना।

⚖️ 9. 99वां संविधान संशोधन (2014) – NJAC

विवाद: Collegium सिस्टम की जगह NJAC लाने की कोशिश – न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर सीधा सवाल।

न्यायालय का रुख: 2015 में Supreme Court ने इसे असंवैधानिक घोषित कर दिया।

विशेष: यह पहला ऐसा संशोधन था जिसे न्यायपालिका ने संविधान के मूल ढांचे के विरुद्ध माना।

🎓 10. 103वां संविधान संशोधन (2019) – EWS आरक्षण

विवाद: आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए 10% आरक्षण – लेकिन SC/ST/OBC से बाहर।

सवाल: क्या यह आरक्षण की सीमा 50% से अधिक कर सकता है?

SC का फैसला: 2022 में इसे वैध माना गया, पर बहस अब भी जारी है।

📊 Summary Table – Controversial Amendments at a Glance

नीचे दी गई सारणी में प्रत्येक विवादास्पद संशोधन की तिथि, उद्देश्य और विवाद का संक्षेप में उल्लेख किया गया है:

📊 Summary Table: Top 10 Controversial Constitutional Amendments

Amendment No. Year Key Focus Controversy
1 1951 Land Reform and 9th Schedule Judicial confrontation on Fundamental Rights
24 1971 Curtailing Judicial Review Attack on Basic Structure doctrine
25 1971 Property Right Restrictions Misuse of property acquisition
39 1975 Protecting PM from Judicial Scrutiny Unconstitutional shielding of PM
42 1976 Preamble Change & Power Shift to Centre Massive centralisation; weakened judiciary
44 1978 Restoration of Democracy & Article 21 Corrective amendment to 42nd
61 1989 Voting Age reduced to 18 Debate over political maturity of youth
97 2011 Cooperative Societies Control Federal structure violation (SC struck partially)
99 2014 NJAC for Judges Appointment Judicial independence threatened
103 2019 EWS Reservation (10%) Breached 50% reservation limit

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❓ UPSC Learners के लिए अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

Q1. क्या सभी संविधान संशोधन UPSC परीक्षा में पूछे जाते हैं?

नहीं, UPSC विशेषकर महत्वपूर्ण, ऐतिहासिक या विवादास्पद संशोधनों पर फोकस करता है। जैसे – 42वां, 44वां, 103वां संशोधन।

Q2. Prelims के लिए कितना याद रखें?

Prelims के लिए Top 25 संशोधनों की लिस्ट पर्याप्त होती है। साल, नंबर और विषयवस्तु के साथ याद रखें।

Q3. Interview में कैसे प्रस्तुत करें?

संविधान संशोधन की वर्तमान प्रासंगिकता, विवाद का सार और न्यायपालिका की प्रतिक्रिया बताने में अच्छा प्रभाव पड़ता है।

Q4. क्या संविधान संशोधन से जुड़ी Landmark Judgements भी जरूरी हैं?

हाँ! खासकर Kesavananda Bharati (1973), Minerva Mills (1980), NJAC Case (2015) जैसे निर्णयों का संदर्भ आवश्यक है।

🧠 UPSC Special Quiz: Controversial Constitutional Amendments

प्रश्नों का उत्तर देकर अपनी तैयारी को जाँचे!

  1. 42वें संशोधन को किसने 'मिनी संविधान' कहा था?
    ☐ A. इंदिरा गांधी
    ☐ B. वेंकटरमण
    ☑ C. एम. सी. सेतलवाड
    ☐ D. के. टी. शाह

  2. 24वां संविधान संशोधन किससे संबंधित है?
    ☐ A. संपत्ति अधिकार को हटाना
    ☑ B. संसद की संशोधन शक्ति बढ़ाना
    ☐ C. मताधिकार 18 वर्ष
    ☐ D. न्यायिक नियुक्ति

  3. 39वां संशोधन किस मामले के लिए विवादित रहा?
    ☐ A. आरक्षण
    ☐ B. शिक्षा अधिकार
    ☑ C. प्रधानमंत्री को न्यायिक छूट
    ☐ D. उच्च न्यायालय शक्तियाँ

  4. संविधान के किस संशोधन ने "धर्मनिरपेक्ष" और "समाजवादी" शब्दों को जोड़ा?
    ☐ A. 36वां
    ☑ B. 42वां
    ☐ C. 44वां
    ☐ D. 52वां

  5. न्यायिक नियुक्ति के लिए NJAC किस संशोधन द्वारा लाया गया?
    ☐ A. 96वां
    ☑ B. 99वां
    ☐ C. 102वां
    ☐ D. 105वां

  6. संविधान का 44वां संशोधन किसकी बहाली करता है?
    ☐ A. संपत्ति अधिकार
    ☐ B. मताधिकार
    ☑ C. मौलिक अधिकारों की सुरक्षा
    ☐ D. समवर्ती सूची

  7. केशवानंद भारती केस किस संशोधन से जुड़ा था?
    ☐ A. 1वां
    ☑ B. 24वां
    ☐ C. 39वां
    ☐ D. 61वां

  8. 103वां संशोधन किस पर केंद्रित है?
    ☐ A. शिक्षा नीति
    ☑ B. आर्थिक आधार पर आरक्षण
    ☐ C. न्यायिक शक्ति
    ☐ D. राज्यों की स्वायत्तता

  9. 97वें संशोधन को सुप्रीम कोर्ट ने किस आधार पर खारिज किया?
    ☐ A. संपत्ति का उल्लंघन
    ☑ B. संघीय ढांचे के उल्लंघन पर
    ☐ C. मौलिक अधिकार विरोधी
    ☐ D. न्यायिक समीक्षा पर अंकुश

  10. संविधान का 61वां संशोधन किससे जुड़ा है?
    ☐ A. मतदान की अनिवार्यता
    ☐ B. संपत्ति अधिकार
    ☑ C. मताधिकार 18 वर्ष
    ☐ D. न्यायिक समीक्षा

  11. 25वां संशोधन किस अधिकार को सीमित करता है?
    ☐ A. शिक्षा अधिकार
    ☑ B. संपत्ति अधिकार
    ☐ C. धार्मिक स्वतंत्रता
    ☐ D. भाषाई अधिकार

  12. मूल संरचना सिद्धांत किस संशोधन के बाद सामने आया?
    ☐ A. 1वां
    ☐ B. 24वां
    ☑ C. 42वां
    ☐ D. 44वां

  13. संविधान के कौनसे संशोधन में अध्याय IXB जोड़ा गया?
    ☐ A. 91वां
    ☑ B. 97वां
    ☐ C. 101वां
    ☐ D. 105वां

  14. मूल संरचना सिद्धांत का आधार किसने रखा?
    ☐ A. डॉ. अंबेडकर
    ☐ B. इंदिरा गांधी
    ☑ C. सुप्रीम कोर्ट (केशवानंद केस)
    ☐ D. पी. वी. नरसिंह राव

  15. संविधान में पहली बार संपत्ति को मौलिक अधिकार से हटाने की पहल किस संशोधन से हुई?
    ☑ A. 44वां
    ☐ B. 25वां
    ☐ C. 42वां
    ☐ D. 46वां

  16. संविधान संशोधन पर न्यायिक समीक्षा की सीमा किस केस ने तय की?
    ☐ A. गोपालन केस
    ☑ B. केशवानंद केस
    ☐ C. मिनर्वा मिल्स
    ☐ D. शंकर प्रसाद केस

  17. राज्यसभा की सहमति के बिना किए गए NJAC संशोधन को किस आधार पर रद्द किया गया?
    ☐ A. केंद्र अतिक्रमण
    ☑ B. न्यायपालिका की स्वतंत्रता का उल्लंघन
    ☐ C. लोकसभा वर्चस्व
    ☐ D. राष्ट्रपति सहमति के बिना

  18. 42वें संशोधन ने किस अनुच्छेद को विशेष रूप से प्रभावित किया?
    ☐ A. अनुच्छेद 14
    ☐ B. अनुच्छेद 32
    ☑ C. अनुच्छेद 368
    ☐ D. अनुच्छेद 226

  19. Amendment Power का Source संविधान के किस अनुच्छेद में है?
    ☐ A. 245
    ☐ B. 124
    ☑ C. 368
    ☐ D. 352

  20. 44वें संशोधन द्वारा कौन-से Fundamental Rights को Restore किया गया?
    ☐ A. Article 19
    ☑ B. Article 21
    ☐ C. Article 29
    ☐ D. Article 25

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Top 25 Constitutional Amendments of India – UPSC, RPSC, SSC के लिए सबसे ज़रूरी संशोधन

📘 Top 25 Constitutional Amendments of India – UPSC के लिए सबसे महत्वपूर्ण संशोधन

संविधान के संशोधन भारतीय राजनीति और नीति निर्माण की दिशा तय करते हैं। UPSC, RPSC, और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में इनसे संबंधित प्रश्न बार-बार पूछे जाते हैं। यह लेख आपको भारतीय संविधान के 25 प्रमुख संशोधनों की जानकारी देगा, जो परीक्षा की दृष्टि से अत्यंत उपयोगी हैं।

🔖 Table of Contents

📜 25 प्रमुख संविधान संशोधन – One-Liner Format (UPSC Focused)

  1. 1st Amendment (1951): भूमि सुधार और अभिव्यक्ति पर सीमाएं, नौवीं अनुसूची जोड़ी गई।
  2. 7th Amendment (1956): राज्यों का भाषाई पुनर्गठन, Part A, B, C समाप्त।
  3. 10th Amendment (1961): दादरा नगर हवेली का भारत में विलय।
  4. 12th Amendment (1962): गोवा, दमन और दीव भारत में शामिल।
  5. 21st Amendment (1967): सिंधी भाषा को आठवीं अनुसूची में जोड़ा गया।
  6. 26th Amendment (1971): प्रिवी पर्स समाप्त कर राजाओं की विशेष मान्यता हटाई गई।
  7. 31st Amendment (1973): लोकसभा की सीटें 525 से बढ़ाकर 545 की गईं।
  8. 36th Amendment (1975): सिक्किम भारत का 22वां राज्य बना।
  9. 42nd Amendment (1976): समाजवादी-धर्मनिरपेक्ष शब्द, मौलिक कर्तव्य जोड़े गए।
  10. 44th Amendment (1978): संपत्ति का अधिकार हटाया गया, आपातकाल सीमित किया गया।
  11. 52nd Amendment (1985): दलबदल विरोधी कानून लागू किया गया।
  12. 61st Amendment (1989): मतदान की उम्र 21 से घटाकर 18 की गई।
  13. 69th Amendment (1991): दिल्ली को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र घोषित किया गया।
  14. 73rd Amendment (1992): पंचायत राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा।
  15. 74th Amendment (1992): नगर पालिका संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा।
  16. 86th Amendment (2002): शिक्षा को मौलिक अधिकार (Article 21A) बनाया गया।
  17. 91st Amendment (2003): मंत्री संख्या पर सीमा – कुल सदस्यों के 15% से अधिक नहीं।
  18. 97th Amendment (2011): सहकारी समितियों के लिए संविधान में नया भाग IXB जोड़ा गया।
  19. 99th Amendment (2014): NJAC (न्यायिक नियुक्ति आयोग) का प्रावधान किया गया (बाद में असंवैधानिक)।
  20. 100th Amendment (2015): भारत-बांग्लादेश भूमि सीमा समझौते को संवैधानिक आधार मिला।
  21. 101st Amendment (2016): GST लागू किया गया।
  22. 102nd Amendment (2018): राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा मिला।
  23. 103rd Amendment (2019): EWS (10%) आरक्षण लागू किया गया।
  24. 104th Amendment (2020): लोकसभा/राज्यसभा में एंग्लो इंडियन सीटें समाप्त की गईं।
  25. 105th Amendment (2021): राज्यों को अपनी OBC सूची बनाने का अधिकार पुनः दिया गया।

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RTI Chapter 3 – केंद्रीय सूचना आयोग की संरचना, शक्तियाँ और कार्य | Central Information Commission (Hindi)

RTI Chapter 3 – केंद्रीय सूचना आयोग (Central Information Commission)

सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के अध्याय 3 में "केंद्रीय सूचना आयोग" की स्थापना, उसकी शक्तियाँ, कार्य एवं अपील की प्रक्रिया को विस्तृत रूप से समझाया गया है। यह आयोग पारदर्शिता और उत्तरदायित्व सुनिश्चित करने के लिए एक संवैधानिक तंत्र के रूप में कार्य करता है।

🔰 आयोग की स्थापना (Establishment of Central Information Commission)

सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 12 के अनुसार, भारत सरकार द्वारा एक केंद्रीय सूचना आयोग की स्थापना की जाती है। यह आयोग केंद्र सरकार के अधीन एक स्वतंत्र संस्था है जो नागरिकों को सूचना प्राप्त करने के उनके अधिकार को सुरक्षित करने के उद्देश्य से कार्य करता है।

  • यह आयोग भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है।
  • सूचना का अधिकार अधिनियम लागू होने के 100 दिन के भीतर आयोग की स्थापना अनिवार्य थी।
  • यह आयोग एक वैधानिक संस्था के रूप में कार्य करता है।
  • इसका मुख्यालय नई दिल्ली

🏛️ आयोग की संरचना (Composition of Central Information Commission)

सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 12(2) के अनुसार, केंद्रीय सूचना आयोग निम्नलिखित सदस्यों से मिलकर बनता है:

  • एक मुख्य सूचना आयुक्त (Chief Information Commissioner)
  • अधिकतम 10 सूचना आयुक्त (Information Commissioners)

सभी नियुक्तियाँ राष्ट्रपति द्वारा की जाती हैं और इनकी नियुक्ति हेतु सिफारिश एक पैनल समिति द्वारा की जाती है जिसमें:

  1. प्रधानमंत्री – अध्यक्ष
  2. लोकसभा में विपक्ष के नेता – सदस्य
  3. केंद्रीय मंत्री (PM द्वारा नामित) – सदस्य

👨‍⚖️ योग्यता, कार्यकाल और सेवा शर्तें (Eligibility, Tenure and Conditions of Service)

सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत केंद्रीय सूचना आयुक्तों की नियुक्ति हेतु निम्नलिखित मापदंड निर्धारित किए गए हैं:

  • उम्मीदवार का लोक सेवा, कानून, विज्ञान, प्रशासन, पत्रकारिता, सामाजिक कार्य आदि क्षेत्रों में विशिष्ट अनुभव होना चाहिए।
  • किसी भी सूचना आयुक्त को पुनः नियुक्त नहीं किया जा सकता।
  • इनका कार्यकाल 3 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक, जो पहले हो, तक सीमित है।
  • इनका वेतन और अन्य भत्ते सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के समान होते हैं।

यह सुनिश्चित करता है कि आयोग में केवल उच्चतम नैतिकता और योग्यता वाले व्यक्ति ही नियुक्त हों।

⚖️ केंद्रीय सूचना आयोग के अधिकार और शक्तियाँ (Powers and Functions of CIC)

सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत केंद्रीय सूचना आयोग को कई विधिक अधिकार प्रदान किए गए हैं ताकि पारदर्शिता एवं जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके। आयोग की मुख्य शक्तियाँ निम्नलिखित हैं:

  • सूचना उपलब्ध नहीं कराने पर सुनवाई और निर्णय देने का अधिकार
  • दस्तावेज़ों, अभिलेखों, रिपोर्टों आदि की जांच हेतु सशक्त
  • गवाही देने हेतु गवाहों को बुलाने और दस्तावेज़ प्रस्तुत करने
  • दंड का प्रावधान: संबंधित अधिकारी पर ₹250 प्रतिदिन (अधिकतम ₹25,000) का जुर्माना
  • आवेदकों को क्षतिपूर्ति दिलाने की का अधिकार

आयोग को सिविल न्यायालय के समान शक्तियाँ प्राप्त हैं और यह देश में सूचना अधिकार की रक्षा में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

🚫 केंद्रीय सूचना आयोग की सीमाएँ और आलोचनाएँ (Limitations and Criticisms of CIC)

केंद्रीय सूचना आयोग भले ही एक स्वतंत्र वैधानिक निकाय हो, लेकिन कुछ व्यावहारिक एवं प्रशासनिक चुनौतियाँ इसे प्रभावित करती हैं:

  • 👉 मामलों की अधिक संख्या के कारण निर्णयों में देरी
  • 👉 प्रशासनिक और वित्तीय स्वायत्तता की कमी
  • 👉 आयोग की अनुशंसा बाध्यकारी नहीं होती
  • 👉 राजनीतिक नियुक्तियाँ निष्पक्षता पर प्रश्न उठाती हैं
  • 👉 तकनीकी ढांचा अभी भी काफी सीमित

इन आलोचनाओं के बावजूद, CIC सूचना अधिकार की रक्षा में एक स्तंभ के रूप में कार्य करता है। सुधार की आवश्यकता बनी हुई है।

🏛️ केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) के ऐतिहासिक निर्णय

सूचना के अधिकार अधिनियम को प्रभावशाली बनाने में केंद्रीय सूचना आयोग द्वारा दिए गए कुछ निर्णय ऐतिहासिक माने जाते हैं:

  • ✔️ राजनैतिक दलों की RTI के अंतर्गत लाना: आयोग ने स्पष्ट किया कि राजनीतिक दल सार्वजनिक प्राधिकरण हैं।
  • ✔️ प्रधानमंत्री राहत कोष से जुड़ी जानकारी: पारदर्शिता की दृष्टि से जानकारी देना अनिवार्य ठहराया।
  • ✔️ CBSE परीक्षा मूल्यांकन संबंधी जानकारी: छात्र उत्तर पुस्तिकाओं की प्रतियां प्राप्त कर सकते हैं।
  • ✔️ सीबीआई को RTI से छूट पर आपत्ति: आयोग ने सूचना देने के पक्ष में तर्क रखे।
  • ✔️ सरकारी भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता: आयोग ने चयन प्रक्रिया से जुड़े दस्तावेज सार्वजनिक करने के निर्देश दिए।

इन निर्णयों ने RTI को एक शक्तिशाली जनाधिकार उपकरण के रूप में स्थापित किया।

📘 संभावित परीक्षा प्रश्न (RTI MPQ)

  1. सूचना का अधिकार अधिनियम कब लागू हुआ था?
  2. केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) की स्थापना किस वर्ष हुई?
  3. RTI Act के अंतर्गत कितने दिन में जानकारी प्रदान की जानी चाहिए?
  4. RTI अधिनियम में कुल कितने अनुभाग हैं?
  5. क्या निजी कंपनियाँ RTI अधिनियम के अंतर्गत आती हैं?
  6. RTI की पहली अपील कहाँ की जाती है?
  7. सूचना के अधिकार अधिनियम की धारा 8 क्या कहती है?
  8. RTI आवेदन को अस्वीकार करने की स्थिति में कितने दिन में अपील की जा सकती है?
  9. राज्य सूचना आयोग के गठन का प्रावधान किस अनुच्छेद में है?
  10. RTI अधिनियम में सूचना आयोग को कौन नियुक्त करता है?

✍️ इन प्रश्नों की नियमित प्रैक्टिस से UPSC, RPSC, SSC आदि परीक्षाओं में सफलता की संभावना बढ़ती है।

📌 प्रमुख केस स्टडी और उदाहरण

  • ➤ मनोज मिश्रा बनाम डाक विभाग (2008): एक व्यक्ति को पोस्ट ऑफिस की देरी से संबंधित जानकारी मिली और उसके आधार पर अधिकारियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई हुई।
  • ➤ अंजलि भारद्वाज मामला (2015): RTI के माध्यम से सरकारी योजनाओं में हुई भ्रष्टाचार की जानकारी उजागर हुई।
  • ➤ RTI द्वारा अर्जित जानकारी से संपत्ति के रिकॉर्ड अपडेट हुए: कई राज्यों में भूमि और आवास विभाग में लंबित संपत्ति रिकॉर्ड RTI आवेदन के बाद अपडेट किए गए।
  • ➤ आरटीआई से सरकारी स्कूलों की स्थिति उजागर: कई पत्रकारों और NGO ने RTI के माध्यम से स्कूलों में टीचिंग स्टाफ की कमी और भवन समस्याओं को उजागर किया।
  • ➤ RTI द्वारा की गई रक्षा सौदों की निगरानी: RTI एक्ट के ज़रिए पारदर्शिता की माँग के चलते कई रक्षा समझौते सार्वजनिक चर्चा में आए।

✅ RTI अधिनियम न केवल व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा करता है, बल्कि शासन में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व भी सुनिश्चित करता है।

📚 RTI अधिनियम से क्या सीखें? (Key Takeaways)

  • 🔍 पारदर्शिता और उत्तरदायित्व (Accountability) की स्थापना में RTI Act एक शक्तिशाली साधन है।
  • 📑 किसी भी सार्वजनिक प्राधिकरण से सूचना प्राप्त करने का मूल अधिकार नागरिकों को प्राप्त है।
  • 🕒 30 दिन के भीतर सूचना देने का प्रावधान है, आपत्ति होने पर अपील का अधिकार भी मिलता है।
  • ⚖️ RTI के माध्यम से खुलासा कई घोटालों और भ्रष्टाचार को उजागर कर चुका है।
  • 👩‍🏫 छात्र, शिक्षक, NGO और नागरिक सभी इसका उपयोग अपनी जिज्ञासा और अधिकार के लिए कर सकते हैं।
  • 📬 आवेदन पत्र सरल है और एक मामूली शुल्क देकर ऑनलाइन/ऑफलाइन जमा किया जा सकता है।

✨ RTI अधिनियम का प्रभावी उपयोग लोकतंत्र को मजबूत करता है और नागरिक सशक्तिकरण का आधार बनता है।

📌 MPQ – Most Probable Questions (RTI Act)

🧠 Multiple Choice Questions (MCQs)

  1. RTI अधिनियम कब लागू हुआ था?
    🔘 (A) 2002 ✅ (B) 2005 (C) 2007 (D) 2010

  2. RTI अधिनियम के अंतर्गत सूचना प्राप्त करने की अधिकतम अवधि क्या है?
    🔘 (A) 15 दिन (B) 20 दिन ✅ (C) 30 दिन (D) 45 दिन

  3. सूचना के अधिकार अधिनियम को किस उद्देश्य से लागू किया गया था?
    🔘 (A) शिक्षा सुधार (B) रोजगार बढ़ाना ✅ (C) पारदर्शिता लाना (D) कर प्रणाली में सुधार

  4. RTI अधिनियम के तहत प्रथम अपील किस स्तर पर की जाती है?
    🔘 (A) राष्ट्रपति (B) प्रधानमंत्री ✅ (C) उच्च अधिकारी (D) जिला कलेक्टर

  5. सूचना का अधिकार अधिनियम किस संविधानिक अधिकार से जुड़ा है?
    🔘 (A) अनुच्छेद 14 (B) अनुच्छेद 19 (1)(a) ✅ (C) दोनों (D) इनमें से कोई नहीं

📖 Short Questions (विषय आधारित लघु प्रश्न)

  • RTI का फुल फॉर्म क्या है?
  • सूचना अधिकार अधिनियम के उद्देश्य क्या हैं?
  • RTI के अंतर्गत कितने दिन में जवाब देना होता है?
  • RTI आवेदन कैसे किया जा सकता है?
  • RTI अधिनियम में किन सूचनाओं को बाहर रखा गया है?
  • RTI के अंतर्गत कितने स्तर की अपील होती है?

📘 📍 Revision Tip: RTI अधिनियम से संबंधित पूछे गए प्रश्नों को पढ़ना, उनके उत्तर को समझना और रोज़ाना दोहराना परीक्षाओं में सफलता दिला सकता है।

📚 आपने RTI Act के इस अध्याय को पढ़ा, अब आगे क्या?

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