Top 10 Controversial Constitutional Amendments for UPSC – Explained by Surendra Sir
🎙️ परिचय:
📘 भारतीय संविधान – सरल भाषा में समझें
संविधान हमारे देश का वह दस्तावेज़ है जो यह तय करता है कि देश कैसे चलेगा, किसके पास कौन-सी शक्ति होगी, और नागरिकों के क्या अधिकार होंगे।
🔹 संविधान क्या है?
संविधान किसी भी देश की मुख्य कानूनी किताब होती है। इसमें सरकार की संरचना, शक्तियाँ और नागरिकों के अधिकार लिखे होते हैं।
🔹 भारत का संविधान कब बना?
• 26 नवम्बर 1949 को संविधान बना
• 26 जनवरी 1950 से लागू हुआ (इसीलिए हम इस दिन गणतंत्र दिवस मनाते हैं)
🔹 भारतीय संविधान की विशेषताएँ:
- 📜 दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान
- ⚖️ मौलिक अधिकार – जैसे बोलने की आज़ादी, धर्म की स्वतंत्रता आदि
- 🏛 लोकतंत्र – जनता द्वारा चुनी हुई सरकार
- 🧭 धर्मनिरपेक्षता – सभी धर्मों को समान सम्मान
- 🪔 समाजवाद – सभी को समान अवसर
- 🇮🇳 एकता में विविधता – विभिन्न राज्यों, भाषाओं को एक साथ जोड़े रखना
🔹 संविधान किसने बनाया?
संविधान बनाने वाली सभा को संविधान सभा कहा गया। इसके अध्यक्ष थे डॉ. राजेन्द्र प्रसाद और प्रारूप समिति के अध्यक्ष थे डॉ. भीमराव अंबेडकर।
🔹 संविधान में क्या-क्या होता है?
- प्रस्तावना (Preamble) – संविधान का परिचय
- अनुच्छेद (Articles) – कुल 448
- अनुसूचियाँ (Schedules) – कुल 12
- भाग (Parts) – कुल 25 भाग
🔹 संविधान हमारे लिए क्यों ज़रूरी है?
संविधान यह तय करता है कि:
- सरकार जनता की सेवा कैसे करेगी
- नागरिकों को क्या अधिकार मिलेंगे
- न्याय, स्वतंत्रता और समानता कैसे सुनिश्चित होगी
🔹 क्या संविधान बदला जा सकता है?
हाँ। संविधान में समय-समय पर बदलाव किए जाते हैं जिन्हें संविधान संशोधन100+ संशोधन
📚 निष्कर्ष:
संविधान सिर्फ एक किताब नहीं – यह हमारे अधिकारों, कर्तव्यों और लोकतंत्र की आत्मा
✍️ Tip: यदि आप संविधान को UPSC के लिए पढ़ रहे हैं, तो शुरुआत प्रस्तावना से करें, फिर मौलिक अधिकार और फिर संसद व न्यायपालिका।
📘 संविधान में संशोधन का अर्थ – सरल भाषा में समझें
संविधान एक स्थायी दस्तावेज़ होता है, लेकिन समय के साथ समाज और शासन की ज़रूरतें बदलती हैं। ऐसे में संविधान को आधुनिक ज़रूरतों के अनुसार अपडेटसंविधान संशोधन
🔹 संविधान में संशोधन क्यों किया जाता है?
- 🕊️ नए अधिकार या नीति जोड़ने के लिए
- 📜 पुराने कानूनों को हटाने या बदलने के लिए
- 🏛 राजनीतिक, सामाजिक या आर्थिक सुधारों के लिए
- ⚖️ न्यायपालिका या संसद की शक्तियों में बदलाव हेतु
🔹 भारत में संशोधन की प्रक्रिया (Article 368)
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 368 बताता है कि संविधान में कैसे संशोधन किया जा सकता है। तीन प्रकार के संशोधन होते हैं:
- साधारण बहुमत से – जैसे राज्य सूची में बदलाव
- विशेष बहुमत से – जैसे मौलिक अधिकारों में संशोधन
- विशेष बहुमत + राज्यों की सहमति – जैसे केंद्र-राज्य संबंधों में बदलाव
🔹 अब तक कितने संशोधन हो चुके हैं?
अब तक 100 से अधिक संविधान संशोधन अधिनियम
🔹 कुछ महत्वपूर्ण संशोधन (उदाहरण):
- 🔹 42वां संशोधन (1976): संविधान को "मिनी संविधान" कहा गया – समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता जोड़े गए
- 🔹 44वां संशोधन (1978): आपातकालीन अधिकारों को सीमित किया गया
- 🔹 73वां एवं 74वां संशोधन (1992): पंचायत और नगर निकायों को संवैधानिक दर्जा मिला
📚 निष्कर्ष:
संविधान में संशोधन एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया है, जो यह सुनिश्चित करती है कि हमारा संविधान समय के अनुसार प्रासंगिक बना रहे। यह एक जीवंत दस्तावेज़ है, जो समाज की आवश्यकताओं के अनुसार खुद को ढालता है।
💡 UPSC Tip: संविधान में संशोधन से जुड़े केस (जैसे – Keshavananda Bharati Case, Minerva Mills Case) जरूर पढ़ें। Mains और Interview दोनों में काम आएगा।
🇮🇳 क्या भारत के संविधान में संशोधन संभव है?
हाँ, भारत का संविधान ऐसा दस्तावेज़ है जिसे समय-समय पर संशोधित (Amend) किया जा सकता है ताकि यह देश की बदलती जरूरतों और सामाजिक परिस्थितियों के अनुरूप बना रहे। यह संशोधन संविधान के अनुच्छेद 368 के अंतर्गत संभव है।
📘 किस अनुच्छेद में संशोधन की प्रक्रिया दी गई है?
संविधान का Article 368 (अनुच्छेद 368) बताता है कि संविधान में संशोधन कैसे किया जा सकता है। इसके अंतर्गत संसद को यह शक्ति प्राप्त है कि वह संविधान में आवश्यक संशोधन कर सके।
🧾 संशोधन की ज़रूरत क्यों पड़ती है?
- 🧠 समय के साथ नई सामाजिक और राजनीतिक चुनौतियाँ आती हैं
- 📜 नीतियों और संस्थाओं में सुधार की आवश्यकता होती है
- ⚖️ मूल अधिकारों और कर्तव्यों का विस्तार किया जा सकता है
- 🏛 लोकतंत्र को मजबूत करने हेतु संविधान को अपडेट किया जाता है
🛠️ कैसे किया जाता है संविधान में संशोधन?
संविधान में संशोधन के तीन तरीके होते हैं:
- ✅ संसद में साधारण बहुमत
- ✅ संसद में विशेष बहुमत
- ✅ विशेष बहुमत + राज्यों की सहमति
📌 निष्कर्ष:
भारत का संविधान एक जीवंत दस्तावेज़ है। इसमें संशोधन की प्रक्रिया इसे समय के अनुसार लचीला और प्रासंगिक बनाती है। यह प्रक्रिया लोकतांत्रिक और संतुलित है ताकि संविधान के मूल ढाँचे (Basic Structure) को क्षति न पहुँचे।
💡 UPSC Point: सुप्रीम कोर्ट ने केशवानंद भारती केस (1973) में कहा कि "संविधान संशोधित किया जा सकता है, लेकिन उसका मूल ढाँचा नहीं बदला जा सकता।"
📘 भारतीय संविधान में संशोधन कितने प्रकार का होता है?
भारतीय संविधान अनुच्छेद 368 के तहत तीन प्रकार से संशोधित किया जा सकता है। यह संशोधन की विधियाँ संसद और राज्यों की भूमिका के अनुसार भिन्न होती हैं।
🔹 1. सरल (Simple) बहुमत द्वारा संशोधन
कुछ प्रावधान जैसे राज्य पुनर्गठन, नाम परिवर्तन, नागरिकता अधिनियम में बदलाव आदि को संसद के साधारण बहुमत
🔹 2. विशेष (Special) बहुमत द्वारा संशोधन
अधिकांश संवैधानिक संशोधन दो-तिहाई उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों की विशेष बहुमत
- मौलिक अधिकारों में संशोधन
- निर्वाचन आयोग, CAG आदि का कार्यक्षेत्र
- अनुसूचित भाषाओं की सूची में परिवर्तन
🔹 3. विशेष बहुमत + आधे राज्यों की सहमति द्वारा
कुछ संशोधन ऐसे होते हैं जिनमें संविधान के संघीय ढांचे को प्रभावित किया जाता है। इन संशोधनों को पास करने के लिए:
- संसद में विशेष बहुमत
- भारत के कम से कम आधे राज्यों की सहमति अनिवार्य होती है
उदाहरण:
- राष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया
- संविधान संशोधन की प्रक्रिया में परिवर्तन
- उच्च न्यायालयों की शक्तियों में बदलाव
📌 निष्कर्ष:
इस प्रकार, संविधान संशोधन की प्रक्रिया तीन स्तरों
🇮🇳 भारतीय संविधान की मूल संरचना: सरल भाषा में समझिए
भारतीय संविधान दुनिया का सबसे विस्तृत लिखित संविधान है। इसकी बुनियाद चार मुख्य स्तंभों पर टिकी हुई है:
🔹 1. प्रस्तावना (Preamble)
संविधान की शुरुआत एक संक्षिप्त प्रस्तावना से होती है जो भारत को संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य घोषित करती है। यह हमारे संविधान का ' है, जिसमें इसके लक्ष्य, उद्देश्य और आदर्श दर्शाए गए हैं।
🔹 2. अनुच्छेद (Articles)
भारतीय संविधान में कुल 448 अनुच्छेद (Articles) हैं (मूल रूप से 395 थे)। ये अनुच्छेद संविधान के विधिक प्रावधान हैं जो भारत के शासन के हर पहलू को नियंत्रित करते हैं:
- 🧑⚖️ नागरिकों के मौलिक अधिकार
- 🏛 केंद्र-राज्य संबंध
- ⚖️ न्यायपालिका की शक्तियाँ
- 🗳 निर्वाचन आयोग, संसद, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री इत्यादि का विवरण
✅ हर अनुच्छेद को उसके भाग (Part) और अनुक्रमणिका (Number) द्वारा पहचाना जाता है। जैसे – अनुच्छेद 21: जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार
🔹 3. अनुसूचियाँ (Schedules)
भारतीय संविधान में कुल 12 अनुसूचियाँ हैं, जो विशेष विषयों से संबंधित सूचियाँ, विवरण, तकनीकी जानकारी देती हैं।
अनुसूची | विवरण |
---|---|
1 | भारत का संघीय स्वरूप: राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों की सूची |
2 | सरकारी पदों के वेतन, भत्ते |
3 | शपथ और प्रतिज्ञाएँ |
5 & 6 | आदिवासी क्षेत्रों का प्रशासन |
7 | संघ, राज्य, समवर्ती सूची (तीन सूचियाँ) |
8 | भारत की आधिकारिक भाषाओं की सूची (22 भाषाएँ) |
10 | दलबदल कानून |
💡 UPSC View: अनुसूचियाँ आपको संविधान के गहराई में जाने के लिए shortcut reference देती हैं।
🔹 4. भाग (Parts)
संविधान में कुल 25 भाग (Parts) हैं जो विषयवार वर्गीकरण को दर्शाते हैं — उदाहरण:
- 🔹 Part III: मौलिक अधिकार (Fundamental Rights)
- 🔹 Part IV: राज्य के नीति निदेशक तत्व (DPSPs)
- 🔹 Part V: केंद्र सरकार की कार्यपालिका
- 🔹 Part IX: पंचायत राज
- 🔹 Part XIV: सरकारी सेवाएं, UPSC इत्यादि
✅ ये भाग संविधान को एक क्लासिफाइड और ऑर्गनाइज़्ड रूप में प्रस्तुत करते हैं।
📌 निष्कर्ष:
संविधान की ये चार इकाइयाँ – प्रस्तावना, अनुच्छेद, अनुसूचियाँ, भाग – मिलकर भारत के शासन को नीति, उद्देश्य, संरचना और प्रक्रिया प्रदान करते हैं।
📚 UPSC तैयारी के लिए याद रखें:
- ✅ प्रस्तावना = लक्ष्य
- ✅ अनुच्छेद = कानून
- ✅ अनुसूचियाँ = टेक्निकल लिस्टिंग
- ✅ भाग = विषयों का वर्गीकरण
📩 और पढ़ें: भारतीय राजव्यवस्था – सभी लेख देखें
📘 UPSC अथवा RPSC की तैयारी में भारतीय संविधान का महत्व
संविधान न केवल भारत का मूलभूत कानून है, बल्कि यह प्रशासनिक संरचना, अधिकारों और कर्तव्यों का मार्गदर्शक भी है। यही कारण है कि UPSC और RPSC जैसी शीर्ष परीक्षाओं में संविधान विषय की विशेष भूमिका है।
🔹 क्यों महत्वपूर्ण है संविधान?
- 📚 UPSC Prelims & RPSC Pre: प्रतिवर्ष संविधान से जुड़े लगभग 10–15 प्रश्न पूछे जाते हैं।
- 🧑⚖️ Mains में GS Paper 2: पूरा पेपर संविधान, शासन, और नीति से संबंधित होता है।
- 🧠 Essay & Interview: संविधान के मूल सिद्धांतों की समझ से आपकी उत्तर लेखन क्षमता और दृष्टिकोण निखरता है।
🔸 कौन-कौन से टॉपिक्स विशेष रूप से पूछे जाते हैं?
- 📖 मौलिक अधिकार (Fundamental Rights)
- ⚖️ राज्य नीति के निदेशक तत्व (DPSP)
- 🧾 संविधान संशोधन (Amendments)
- 🏛 केंद्र और राज्य सरकार के अधिकार
- 🗳 निर्वाचन प्रक्रिया, चुनाव आयोग
- 🧑⚖️ न्यायपालिका की स्वतंत्रता
- 👥 पंचायत राज व्यवस्था
📌 परीक्षा रणनीति के लिए सुझाव:
- ✅ NCERT Class 11-12 (Polity) + Laxmikanth को प्राथमिकता दें।
- ✅ संविधान के अनुच्छेदों को याद रखें, विशेषकर Part III और Part IV।
- ✅ वर्तमान संविधान संशोधनों पर विशेष ध्यान दें।
- ✅ डेली न्यूज़ में संविधान से जुड़े मुद्दों की केस स्टडी बनाएं।
🎯 निष्कर्ष:
संविधान वह धुरी है जिस पर भारत की शासन व्यवस्था घूमती है। एक सिविल सेवक के रूप में आपको न केवल इसके प्रावधानों को जानना है, बल्कि उसके आदर्शों और भावना (constitutional morality) को भी आत्मसात करना है।
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आज हम संविधान संशोधन (Constitutional Amendments) को समझने जा रहे हैं – बिल्कुल वैसे जैसे सुरेन्द्र सर कक्षाओं में समझाते हैं। यह विषय केवल परीक्षा नहीं, बल्कि भारतीय लोकतंत्र की आत्मा को समझने की कुंजी है।
📘 भाग 1: 25 प्रमुख संविधान संशोधन – Prelims के लिए
- 1st Amendment (1951): 9वीं अनुसूची और भूमि सुधार।
- 7th Amendment (1956): राज्य पुनर्गठन।
- 10th Amendment (1961): दादरा नगर हवेली का विलय।
- 12th Amendment (1962): गोवा, दमन, दीव का भारत में समावेश।
- 24th Amendment (1971): संसद को संविधान संशोधन की पूर्ण शक्ति।
- 25th Amendment (1971): संपत्ति अधिकार में कटौती।
- 26th Amendment (1971): प्रिवी पर्स की समाप्ति।
- 36th Amendment (1975): सिक्किम को राज्य का दर्जा।
- 42nd Amendment (1976): “Sovereign, Socialist, Secular, Integrity” जोड़े गए।
- 44th Amendment (1978): आपातकालीन शक्तियों में संशोधन।
- 52nd Amendment (1985): दल बदल विरोधी कानून।
- 61st Amendment (1989): मतदाता की आयु 21 से 18 वर्ष।
- 69th Amendment (1991): दिल्ली को विशेष राज्य का दर्जा।
- 73rd Amendment (1992): पंचायत राज प्रणाली।
- 74th Amendment (1992): शहरी स्थानीय निकाय।
- 86th Amendment (2002): शिक्षा का अधिकार (Article 21A)।
- 91st Amendment (2003): मंत्रियों की संख्या सीमित।
- 93rd Amendment (2005): अल्पसंख्यक संस्थानों में आरक्षण।
- 97th Amendment (2011): सहकारी समितियाँ।
- 99th Amendment (2015): NJAC (रद्द कर दिया गया)।
- 100th Amendment (2015): भारत-बांग्लादेश सीमा समझौता।
- 101st Amendment (2017): GST लागू।
- 102nd Amendment (2018): NCBC को संवैधानिक दर्जा।
- 103rd Amendment (2019): EWS आरक्षण (10%)।
- 104th Amendment (2020): एंग्लो-इंडियन आरक्षण समाप्त।
💥 भाग 2: 10 विवादास्पद संशोधन – सोचने और उत्तर देने योग्य
- 1st Amendment: न्यायपालिका बनाम संसद की पहली टक्कर।
- 24th Amendment: संसद को पूर्ण शक्ति – न्यायपालिका को दरकिनार करने की कोशिश।
- 25th Amendment: मूल अधिकारों की उपेक्षा।
- 39th Amendment: इंदिरा गांधी का केस संविधान से बाहर!
- 42nd Amendment: इसे “मिनी संविधान” भी कहते हैं – तानाशाही का रास्ता।
- 44th Amendment: लोकतंत्र की पुनर्स्थापना।
- 61st Amendment: युवा वोटर्स – क्या 18 की उम्र पर्याप्त परिपक्व है?
- 97th Amendment: सहकारी समितियों पर संघीय विवाद।
- 99th Amendment: NJAC – न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर चोट।
- 103rd Amendment: आरक्षण की सीमा 50% से ऊपर – क्या संविधान सहमत है?
🧠 भाग 3: Interview स्टाइल प्रश्नोत्तर
Student: सर, इतने सारे संशोधन याद कैसे रखें?
Teacher: बेटा, बदलाव की जड़ समझो – हर संशोधन किसी आवश्यकता या राजनीति का परिणाम है। बस उनका कारण और प्रभाव समझ लो।
Student: लेकिन Prelims में कौन-कौन याद रखें?
Teacher: जो Landmark हैं – जैसे 1st, 24th, 42nd, 44th, 73rd, 103rd। शॉर्ट ट्रिक्स भी बनाओ।
Student: Mains में कैसे लिखें?
Teacher: UPSC Evidence मांगता है। उदाहरण दो – 42nd Amendment के बाद देश कैसा बदला, NJAC क्यों विफल हुआ। बस मुद्दे की बात करो।
📚 यह भी पढ़ें:
🔔 टेलीग्राम चैनल: Sarkari Service Prep – जहाँ अपडेट, क्विज़ और Notes हर दिन मिलते हैं।
📢 अंतिम संदेश:
संविधान के संशोधन भारत के लोकतंत्र का जीवंत प्रमाण हैं। ये हमें बताते हैं कि कानूनों को लोगों के अनुसार ढलना चाहिए – लेकिन सीमाओं में।
“UPSC एक परीक्षा नहीं, एक दृष्टिकोण है।”
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