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राजस्थान सेवा निवृत्ति / मृत्यु उपदान नियम – सम्पूर्ण व्याख्या (Rule 55-56, Pension Rules 1996)

सेवा निवृत्ति / मृत्यु उपदान
(Death-Cum-Retirement Gratuity)
(नियम–55)

📌 महत्वपूर्ण बिंदु : सेवा निवृत्ति / मृत्यु उपदान नियम (Rule 55–56)

  • सेवा निवृत्ति उपदान एवं मृत्यु उपदान दोनों एकमुश्त भुगतान होते हैं।
  • अधिकतम सीमा दिनांक 1.1.2016 से ₹20.00 लाख निर्धारित की गई है।
  • सेवा उपदान हेतु न्यूनतम 5 वर्ष की नियमित सरकारी सेवा आवश्यक है।
  • प्रत्येक छह माह के खंड के अनुसार गणना की जाती है।
  • मृत्यु उपदान की गणना सेवा अवधि के आधार पर 2 गुना से 33 गुना तक की जा सकती है।
  • 20 वर्ष से अधिक सेवा पर प्रत्येक 6 माह हेतु आधे मास की परिलाभी राशि देय होती है।
  • मनोयन पत्र होने पर भुगतान उसी के अनुसार किया जाता है।
  • मनोयन नहीं होने की स्थिति में वर्ग 1 एवं वर्ग 2 के अनुसार राशि का वितरण होता है।
  • वर्ग 1 में पत्नी/पति, पुत्र-पुत्री (अविवाहित) शामिल होते हैं।
  • वर्ग 2 में विधवा पुत्रियाँ, माता-पिता, अविवाहित बहन, विवाहित पुत्रियाँ आदि सम्मिलित होते हैं।
  • अवयस्क सदस्य होने पर भुगतान प्राकृतिक अथवा कानूनी संरक्षक के माध्यम से किया जाता है।

सेवानिवृत्ति / मृत्यु उपदान से आशय सेवानिवृत्त कर्मचारी को या सेवा के दौरान मृत्यु को प्राप्त कर्मचारी के परिवार को देय नियमानुसार एकमुश्त भुगतान से है जो निहित प्रावधानों के तहत देय होता है। उपर्युक्त प्रकार के दोनों मामलों में देय राशि की अधिकतम सीमा दिनांक 31.12.2006 तक रु. 3.50 लाख तथा दिनांक 1.1.2007 से 31.12.2015 तक रु. 10.00 लाख रही। 1.1.2016 से इस राशि की अधिकतम सीमा 20.00 लाख की गयी है (नकट देयता 1.1.2017 को की गयी है)।

उपदान हेतु परिसीमाओं की गणना के लिए इस पुस्तिका के प्रथम अध्याय में अतिरिक्त पेंशन गणना हेतु निर्धारित नियमों व प्रक्रियाओं के अलावा पेंशन परिसीमाओं में सेवानिवृत्ति / मृत्यु दिनांक को देय महँगाई भत्ते को भी सेवानिवृत्ति उपदान / मृत्यु उपदान के प्रयोजनार्थ परिसीमाओं का भाग माना गया है।

सेवा निवृत्ति उपदान एवं मृत्यु उपदान दोनों की गणना करने के लिए निम्न नियमों में अलग-अलग प्रावधान हैं जिसका विवरण निम्नानुसार है:

(क) सेवा निवृत्ति के मामले में लागू प्रावधान

सेवा निवृत्ति से सम्बन्धित मामलों में निम्न शर्तें पूर्ण करने पर सेवा उपदान देय होता है:

  1. सरकारी कर्मचारी ने नियमानुसार 5 वर्ष की सेवा पूर्ण कर ली हो।
  2. सरकारी कर्मचारी सेवा उपदान (Service Gratuity) प्राप्त करने का पात्र हो गया हो।
  3. उपरोक्त शर्तों के अधीन पेंशन योग्य (अर्हकारी) सेवा के प्रत्येक छह माह के खंड (अवधि) के लिए परिसीमाओं की गणना।

पेंशन नियम

पेंशन नियम

एक-चौथाई के बराबर उपदान राशि देय है किन्तु कुल देय उपदान राशि परिसीमाओं के (साढ़े सोलह गुनी) से अधिक नहीं होगी।

उदाहरणार्थ यदि किसी कर्मचारी का सेवा निवृत्ति पर वेतन (महंगाई भत्ता सहित) ₹ 80,200 प्रतिमाह है तथा 15 वर्ष की पेंशन योग्य सेवा पूर्ण की है तो 15 वर्षों के छह माह के खंड बनाने पर 30 खंड होते हैं। के आधार पर प्रत्येक खंड के लिए परिसीमाओं के एक-चौथाई के बराबर राशि अर्थात ₹ 20,050 देय होने पर कुल 20,050 x 30 = ₹ 6,01,500 की राशि देय होगी।

अतः उपदान राशि गणना का फार्मूला निम्नानुसार है:

परिलाभियाँ × पूरे किए गए 6 माह के खंड
÷ 4 = देय उपदान राशि

(ख) सेवा के दौरान मृत्यु के मामले में लागू प्रावधान

उक्त मामले में देयता को दो भागों में बाँटा जा सकता है:

  1. उपदान राशि की गणना विधि
  2. उपदान राशि के भुगतान हेतु पात्रता का निर्धारण

(i) उपदान राशि की गणना विधि

कर्मचारी के परिवार को निम्न विवरण के अनुसार मृत्यु उपदान राशि देय होने का प्रावधान है:

क्र. सं. पूर्ण की गई पेंशन योग्य (अर्हकारी) सेवा की अवधि मृत्यु उपदान राशि की दर
1. एक वर्ष से कम मासिक परिलाभियों का दो गुना
2. एक वर्ष या अधिक किन्तु पाँच वर्ष से कम मासिक परिलाभियों का छह गुना
3. पाँच वर्ष या अधिक किन्तु 11 वर्ष से कम मासिक परिलाभियों का 12 गुना
क्र. सं. पूर्ण की गई पेंशन योग्य (अर्हकारी) सेवा की अवधि मृत्यु उपदान राशि की दर
4. 11 वर्ष या अधिक किन्तु 20 वर्ष से कम मासिक परिलाभियों का 20 गुना
5. 20 वर्ष या अधिक पेंशन योग्य सेवा के पूर्ण किए गये प्रत्येक छः माह के खण्ड के लिए आधे मास की परिलाभियों के बराबर राशि देय होगी किन्तु देय राशि परिलाभियों के 33 गुना से अधिक नहीं होगी

परन्तु यह राशि ₹ 20.00 लाख से अधिक नहीं होगी।

(ii) पात्रता का निर्धारण (नियम –56)

पात्रता का निम्न प्रकार से निर्धारण किया जाता है:

  1. यदि कर्मचारी के द्वारा मृत्यु से पूर्व मृत्यु उपदान की प्राप्ति के लिए किसी व्यक्ति या व्यक्तियों को मनोनीत किया हुआ हो तो मनोयन पत्र के अनुसार भुगतान की कार्यवाही की जायेगी। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि यदि किसी राज्य कर्मचारी की परिवार में वह परिवार के सदस्य के अलावा किसी अन्य के नाम का मनोयन पत्र नहीं दे सकेगा।
  2. यदि कर्मचारी द्वारा मृत्यु से पूर्व उपर्युक्त सम्बन्ध में कोई मनोयन पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया हो तो उपदान राशि वर्ग 1 में दिये गये परिवार के सदस्यों के बराबर-बराबर बाँटी जायेगी जिसका विवरण निम्नानुसार है :

(नियम –55(4))

वर्ग संख्या – 1

  1. मृतक कर्मचारी की पत्नी (पुरुष कर्मचारी के मामलों में)
  2. मृतक राज्य कर्मचारी का पति (महिला कर्मचारी के मामले में)
  1. मृतक कर्मचारी के समस्त पुत्र
  2. मृतक कर्मचारी की समस्त अविवाहित पुत्रियाँ

3. यदि उपर्युक्त वर्ग संख्या 1 का कोई भी पारिवारिक सदस्य जीवित न हो तो निम्न विवरण के अनुसार वर्ग संख्या 2 के सदस्यों में राशि बराबर-बराबर बाँटी जायेगी :

वर्ग संख्या – 2

  1. विधवा पुत्रियाँ
  2. पिता
  3. माता
  4. 18 वर्ष से कम आयु का भाई
  5. अविवाहित या विधवा बहन
  6. विवाहित पुत्रियाँ
  7. पूर्व मृत पुत्र के बच्चे

अवयस्क सदस्य को भुगतान की प्रक्रिया :

यदि भुगतान अवयस्क सदस्य को अधिकृत किया जाता है तो भुगतान प्राकृतिक संरक्षक (माता / पिता) के माध्यम से किया जा सकता है। इसके अभाव में तथा जहाँ प्राप्तकर्ता मुसलिम हो तो भुगतान कानूनी संरक्षक के माध्यम से ही किये जाने का प्रावधान है।


📚 आगे पढ़ें: राजस्थान सिविल सेवा पेंशन नियमों की सम्पूर्ण श्रृंखला

🎯 यह लेख Rajasthan Civil Services Rules के अंतर्गत पेंशन व उपदान संबंधी गहराई से समझ प्रदान करता है। अन्य लेखों को भी अवश्य पढ़ें और परीक्षा/कार्यालय दोनों उपयोग में लाएँ।

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