भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) – संरचना, कार्य और मौद्रिक नीति की भूमिका

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) - संपूर्ण अध्ययन सामग्री

भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India - RBI)

परिचय और स्थापना

भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India - RBI) भारत का केंद्रीय बैंक है जो देश की मौद्रिक नीति का संचालन करता है। यह भारत सरकार के स्वामित्व में है और देश की वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए जिम्मेदार है।

स्थापना: 1 अप्रैल 1935
मुख्यालय: मुंबई, महाराष्ट्र
गवर्नर: शक्तिकांत दास (दिसंबर 2018 से)
स्थापना अधिनियम: भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934

मूल सिद्धांत

RBI का मूल उद्देश्य "मूल्य स्थिरता बनाए रखना और विकास के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए" है। यह निम्नलिखित सिद्धांतों पर कार्य करता है:

  • मौद्रिक स्थिरता
  • वित्तीय स्थिरता
  • भुगतान प्रणाली की दक्षता
  • बैंकिंग प्रणाली की सुदृढ़ता

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

स्थापना से पूर्व की स्थिति

भारत में RBI की स्थापना से पहले केंद्रीय बैंकिंग के कार्य इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया (वर्तमान में SBI) द्वारा किए जाते थे। 1926 में हिल्टन यंग कमीशन की सिफारिश पर केंद्रीय बैंक स्थापित करने का निर्णय लिया गया।

1773
बैंक ऑफ हिंदुस्तान (पहला बैंक) की स्थापना
1806
बैंक ऑफ कलकत्ता (बाद में बैंक ऑफ बंगाल) की स्थापना
1921
इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया का गठन
1926
हिल्टन यंग कमीशन की रिपोर्ट
1934
भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम पारित
1935
RBI की स्थापना (1 अप्रैल)
1949
RBI का राष्ट्रीयकरण

प्रमुख मील के पत्थर

  • 1935: प्राइवेट शेयरहोल्डर बैंक के रूप में स्थापना
  • 1949: भारत सरकार के पूर्ण स्वामित्व में
  • 1955: State Bank of India का गठन
  • 1969: 14 बैंकों का राष्ट्रीयकरण
  • 1980: 6 और बैंकों का राष्ट्रीयकरण
  • 1991: आर्थिक उदारीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका
  • 2016: मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण व्यवस्था

संगठनात्मक संरचना

केंद्रीय निदेशक मंडल

RBI का शासन केंद्रीय निदेशक मंडल के माध्यम से होता है जिसमें निम्नलिखित सदस्य होते हैं:

पद संख्या नियुक्ति कार्यकाल
गवर्नर 1 केंद्र सरकार 5 वर्ष
डिप्टी गवर्नर 4 केंद्र सरकार 5 वर्ष
सरकारी निदेशक 2 केंद्र सरकार 4 वर्ष
गैर-सरकारी निदेशक 10 केंद्र सरकार 4 वर्ष
स्थानीय बोर्ड निदेशक 4 स्थानीय बोर्ड 4 वर्ष

प्रमुख विभाग

  • मौद्रिक नीति विभाग: ब्याज दरों और तरलता प्रबंधन
  • बैंकिंग विनियमन विभाग: बैंकों की निगरानी
  • मुद्रा प्रबंधन विभाग: नोट और सिक्के
  • भुगतान प्रणाली विभाग: डिजिटल भुगतान
  • विदेशी मुद्रा विभाग: विदेशी मुद्रा नियंत्रण
  • सांख्यिकी एवं सूचना प्रबंधन विभाग: डेटा प्रबंधन

क्षेत्रीय कार्यालय

RBI के पूरे भारत में निम्नलिखित स्थानों पर कार्यालय हैं:

  • मुख्यालय: मुंबई
  • केंद्रीय कार्यालय: दिल्ली
  • क्षेत्रीय कार्यालय: अहमदाबाद, बेंगलुरु, भुवनेश्वर, चंडीगढ़, चेन्नई, गुवाहाटी, हैदराबाद, जयपुर, जम्मू, कानपुर, कोलकाता, नागपुर, पटना, तिरुवनंतपुरम

मुख्य कार्य

प्राथमिक कार्य

1. मौद्रिक प्राधिकरण

  • मौद्रिक नीति का निर्माण और क्रियान्वयन
  • ब्याज दरों का निर्धारण
  • मुद्रा आपूर्ति का नियंत्रण
  • मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण

2. मुद्रा निर्गमन का एकाधिकार

  • एक रुपए के सिक्के को छोड़कर सभी नोट जारी करना
  • मुद्रा की गुणवत्ता बनाए रखना
  • जाली नोटों से सुरक्षा
  • पुराने नोटों को वापस लेना

3. सरकार के बैंकर

  • केंद्र और राज्य सरकारों के लेखे रखना
  • सरकारी प्रतिभूतियों का निर्गमन
  • सरकारी ऋण प्रबंधन
  • विदेशी मुद्रा भंडार का प्रबंधन

4. बैंकों के बैंकर

  • वाणिज्यिक बैंकों का लाइसेंस
  • जमा बीमा निगम का नियंत्रण
  • बैंकों की निगरानी और निरीक्षण
  • अंतिम उपाय के ऋणदाता (Lender of Last Resort)

द्वितीयक कार्य

1. साख नियंत्रण

  • परिमाणात्मक उपाय (Bank Rate, CRR, SLR, OMO)
  • गुणात्मक उपाय (Credit Rationing, Moral Suasion)
  • मार्जिन आवश्यकताएं
  • चुनिंदा साख नियंत्रण

2. विदेशी मुद्रा का नियंत्रण

  • विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) का क्रियान्वयन
  • विदेशी निवेश नीति
  • आयात-निर्यात नीति में सहयोग
  • रुपए की विनिमय दर नीति

3. डेटा संग्रह और प्रकाशन

  • मौद्रिक और बैंकिंग आंकड़े
  • वार्षिक रिपोर्ट
  • मौद्रिक नीति वक्तव्य
  • वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट

मौद्रिक नीति

मौद्रिक नीति समिति (MPC)

गठन: अक्टूबर 2016
सदस्य संख्या: 6
बैठकें: वर्ष में कम से कम 6 बार
निर्णय: बहुमत के आधार पर

MPC की संरचना

  1. RBI गवर्नर (अध्यक्ष)
  2. RBI डिप्टी गवर्नर (मौद्रिक नीति प्रभारी)
  3. RBI कार्यकारी निदेशक (मौद्रिक नीति विभाग)
  4. सरकारी नामित सदस्य (3 बाहरी विशेषज्ञ)

मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण

  • लक्ष्य: 4% CPI मुद्रास्फीति (±2% के साथ)
  • समयावधि: मध्यम अवधि (2-3 वर्ष)
  • प्राथमिकता: मूल्य स्थिरता, विकास को ध्यान में रखते हुए

मौद्रिक नीति के उपकरण

उपकरण वर्तमान दर* उद्देश्य
रेपो रेट 6.50% अल्पकालिक तरलता
रिवर्स रेपो रेट 3.35% अतिरिक्त तरलता अवशोषण
MSF दर 6.75% आपातकालीन तरलता
बैंक दर 6.75% दीर्घकालिक नीति सिग्नल
CRR 4.50% तरलता नियंत्रण
SLR 18.00% सरकारी प्रतिभूति निवेश
*दरें 2024 के अनुसार हैं और परिवर्तनशील हैं

बैंकिंग विनियमन

लाइसेंसिंग और पर्यवेक्षण

  • नए बैंकों का लाइसेंस: न्यूनतम पूंजी आवश्यकता
  • शाखा लाइसेंसिंग: स्थान और व्यावसायिक मानदंड
  • विदेशी बैंकों की शाखाएं: WOS और शाखा मॉडल
  • भुगतान बैंक और स्मॉल फाइनेंस बैंक: विशेष श्रेणी के बैंक

विवेकपूर्ण मानदंड

पूंजी पर्याप्तता अनुपात (CRAR)

  • न्यूनतम CRAR: 9% (बेसल III के अनुसार)
  • Tier 1 पूंजी: कम से कम 6%
  • Common Equity Tier 1: कम से कम 5.5%

आस्ति गुणवत्ता समीक्षा

  • NPA वर्गीकरण: 90 दिन का मानदंड
  • प्रावधानीकरण नियम: हानि के लिए प्रावधान
  • तनाव परीक्षण: वार्षिक आधार पर

जमा बीमा

जमा बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (DICGC):
प्रत्येक जमाकर्ता के लिए ₹5 लाख तक का बीमा कवर (2020 से बढ़ाकर)

मुद्रा प्रबंधन

नोट निर्गमन

RBI का नोट निर्गमन न्यूनतम आरक्षित प्रणाली पर आधारित है:

  • स्वर्ण आरक्षित: ₹115 करोड़
  • विदेशी प्रतिभूति आरक्षित: ₹85 करोड़
  • कुल न्यूनतम आरक्षित: ₹200 करोड़

मुद्रा के प्रकार

मूल्य रंग आकार (मिमी) मुख्य विशेषता
₹10 चॉकलेट भूरा 123×63 सूर्य मंदिर, कोणार्क
₹20 लाल-नारंगी 129×63 एलोरा गुफाएं
₹50 फ्लोरेसेंट नीला 135×66 हम्पी स्मारक
₹100 लैवेंडर 142×66 रानी की वाव, पाटन
₹200 उजला पीला 146×66 सांची स्तूप
₹500 पत्थर धूसर 150×66 लाल किला और हरितक्रांति
₹2000 मैजेंटा 166×66 मंगलयान

सुरक्षा विशेषताएं

  • सूक्ष्म छपाई: अत्यंत छोटे अक्षर
  • वाटरमार्क: महात्मा गांधी का चित्र
  • सुरक्षा धागा: रंग बदलने वाला
  • फ्लोरेसेंट स्याही: UV लाइट में चमकना
  • इंटैग्लियो प्रिंटिंग: उभरे हुए अक्षर

वित्तीय समावेशन

जन धन योजना में RBI की भूमिका

  • बेसिक बैंकिंग खाते की सुविधा
  • KYC नियमों में छूट
  • ज़ीरो बैलेंस खाते
  • डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT)

डिजिटल भुगतान प्रणाली

UPI (Unified Payments Interface)

  • लॉन्च: 2016
  • विशेषताएं: तत्काल भुगतान, 24×7 उपलब्धता
  • दैनिक लेनदेन: करोड़ों रुपए

RTGS और NEFT

  • RTGS: ₹2 लाख से अधिक के लिए
  • NEFT: सभी राशियों के लिए
  • समय: 24×7 उपलब्ध (2019 से)

प्राथमिकता क्षेत्र ऋण

बैंक का प्रकार कुल लक्ष्य कृषि लक्ष्य
घरेलू वाणिज्यिक बैंक 40% 18%
विदेशी बैंक 40% -
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक 75% -

हाल की पहल

डिजिटल मुद्रा (CBDC)

डिजिटल रुपया: RBI ने 2022 में केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) का पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है।
दो प्रकार:
  • Wholesale CBDC (बैंकों के लिए)
  • Retail CBDC (आम जनता के लिए)

फिनटेक विनियमन

  • रेगुलेटरी सैंडबॉक्स: नवाचार के लिए परीक्षण वातावरण
  • P2P लेंडिंग: नियामक ढांचा
  • डिजिटल लेंडिंग: मानदंड और नियम

जलवायु जोखिम प्रबंधन

  • हरित वित्त दिशा-निर्देश
  • सस्टेनेबल फाइनेंसिंग
  • कार्बन न्यूट्रल बैंकिंग

चुनौतियां

वर्तमान चुनौतियां

  • NPA समस्या: बैंकों के डूबे हुए कर्ज
  • मुद्रास्फीति नियंत्रण: खाद्य कीमतों का दबाव
  • वित्तीय समावेशन: ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंच
  • साइबर सुरक्षा: डिजिटल भुगतान में जोखिम
  • क्रिप्टो करेंसी: नियामक चुनौतियां

भविष्य की चुनौतियां

  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का एकीकरण
  • ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का उपयोग
  • वैश्विक मानकों के साथ तालमेल
  • जलवायु परिवर्तन का वित्तीय प्रभाव

प्रश्नोत्तरी

प्रश्न 1: भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना कब और क्यों की गई? इसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का वर्णन करें।
उत्तर:

स्थापना: 1 अप्रैल 1935 को भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम 1934 के तहत

स्थापना के कारण:
  • केंद्रीय बैंकिंग की आवश्यकता: देश में एक केंद्रीय मौद्रिक प्राधिकरण की जरूरत
  • हिल्टन यंग कमीशन (1926) की सिफारिश: एक केंद्रीय बैंक स्थापित करने का सुझाव
  • मुद्रा स्थिरता: भारतीय मुद्रा की स्थिरता और विश्वसनीयता
  • बैंकिंग विकास: बैंकिंग प्रणाली का व्यवस्थित विकास
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
  • पूर्व-स्थापना काल: इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया केंद्रीय बैंकिंग कार्य करता था
  • 1935-1949: निजी शेयरहोल्डर्स के स्वामित्व में
  • 1949: भारत सरकार के पूर्ण स्वामित्व में राष्ट्रीयकरण
  • विकास यात्रा: आर्थिक नीति निर्माण में केंद्रीय भूमिका
प्रथम गवर्नर: सर ओसबर्न स्मिथ (1935-1937)
प्रश्न 2: RBI की संगठनात्मक संरचना का विस्तार से वर्णन करें। केंद्रीय निदेशक मंडल की संरचना क्या है?
उत्तर:

केंद्रीय निदेशक मंडल की संरचना:

1. गवर्नर (1):
  • केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त
  • कार्यकाल: 5 वर्ष
  • मुख्य कार्यकारी अधिकारी
  • मौद्रिक नीति समिति के अध्यक्ष
2. डिप्टी गवर्नर (4):
  • कार्यकाल: 5 वर्ष
  • विभिन्न विभागों के प्रमुख
  • गवर्नर की अनुपस्थिति में कार्यभार
3. सरकारी निदेशक (2):
  • वित्त मंत्रालय के प्रतिनिधि
  • कार्यकाल: 4 वर्ष
4. गैर-सरकारी निदेशक (10):
  • विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ
  • व्यापार, उद्योग, कृषि, श्रम के प्रतिनिधि
  • कार्यकाल: 4 वर्ष
5. स्थानीय बोर्ड निदेशक (4):
  • मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, दिल्ली के स्थानीय बोर्ड
  • क्षेत्रीय आर्थिक मुद्दों की जानकारी
प्रमुख विभाग:
  • मौद्रिक नीति विभाग
  • बैंकिंग विनियमन विभाग
  • मुद्रा प्रबंधन विभाग
  • भुगतान प्रणाली विभाग
  • विदेशी मुद्रा विभाग
  • वित्तीय बाजार विभाग
प्रश्न 3: RBI के मुख्य कार्यों का विस्तृत विवरण दें। प्राथमिक और द्वितीयक कार्यों के बीच अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर:

प्राथमिक कार्य:

1. मौद्रिक प्राधिकरण:
  • मौद्रिक नीति का निर्माण और क्रियान्वयन
  • मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण (4% ±2%)
  • ब्याज दरों का निर्धारण
  • मुद्रा आपूर्ति का नियंत्रण
2. मुद्रा निर्गमन:
  • एक रुपए के सिक्के को छोड़कर सभी नोट जारी करना
  • न्यूनतम आरक्षित प्रणाली (₹200 करोड़)
  • नकली नोटों से सुरक्षा
  • मुद्रा डिज़ाइन और सुरक्षा विशेषताएं
3. सरकार के बैंकर:
  • केंद्र और राज्य सरकारों के खाते
  • सरकारी प्रतिभूतियों का निर्गमन
  • सार्वजनिक ऋण प्रबंधन
  • विदेशी मुद्रा भंडार प्रबंधन
4. बैंकों के बैंकर:
  • बैंकिंग लाइसेंस प्रदान करना
  • जमा स्वीकार करना
  • अंतिम उपाय के ऋणदाता
  • समाशोधन गृह का संचालन
द्वितीयक कार्य:

1. साख नियंत्रण:
  • परिमाणात्मक: Bank Rate, CRR, SLR, OMO
  • गुणात्मक: Credit Rationing, Moral Suasion
  • मार्जिन आवश्यकताएं
2. विकासात्मक कार्य:
  • वित्तीय समावेशन
  • ग्रामीण साख विकास
  • प्राथमिकता क्षेत्र ऋण
3. पर्यवेक्षी कार्य:
  • बैंकों का निरीक्षण
  • वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करना
  • जोखिम प्रबंधन
प्रश्न 4: मौद्रिक नीति समिति (MPC) क्या है? इसकी संरचना, कार्यप्रणाली और निर्णय प्रक्रिया का वर्णन करें।
उत्तर:

मौद्रिक नीति समिति (MPC) का परिचय:

MPC भारत में मौद्रिक नीति निर्धारण के लिए गठित एक संवैधानिक निकाय है जो 2016 में मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण व्यवस्था के साथ स्थापित किया गया।

संरचना (6 सदस्य):
  • RBI गवर्नर - अध्यक्ष और निर्णायक मत
  • डिप्टी गवर्नर - मौद्रिक नीति प्रभारी
  • कार्यकारी निदेशक - मौद्रिक नीति विभाग
  • तीन बाहरी सदस्य - सरकार द्वारा नियुक्त अर्थशास्त्री
कार्यप्रणाली:
  • बैठक आवृत्ति: वर्ष में कम से कम 6 बार (द्विमासिक)
  • अवधि: 3 दिन (मंगलवार से गुरुवार)
  • गणपूर्ति: कम से कम 4 सदस्य
  • निर्णय: प्रत्येक सदस्य का एक वोट
निर्णय प्रक्रिया:
  • आर्थिक समीक्षा: मुद्रास्फीति, विकास दर, वैश्विक स्थिति
  • मतदान: नीतिगत दर पर व्यक्तिगत मत
  • बहुमत का निर्णय: अध्यक्ष का निर्णायक मत
  • पारदर्शिता: व्यक्तिगत मतों का प्रकाशन
मुख्य लक्ष्य:
  • मुद्रास्फीति लक्ष्य: 4% (±2%)
  • मूल्य स्थिरता प्राथमिकता
  • विकास को ध्यान में रखना
उत्पादन:
  • मौद्रिक नीति वक्तव्य
  • नीतिगत दर निर्णय
  • आर्थिक पूर्वानुमान
  • बैठक के कार्यवृत्त
प्रश्न 5: RBI के मौद्रिक नीति उपकरणों का विस्तृत विवरण दें। परिमाणात्मक और गुणात्मक उपायों के बीच अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर:

परिमाणात्मक उपकरण:

1. रेपो रेट:
  • परिभाषा: वह दर जिस पर RBI बैंकों को अल्पकालिक ऋण देता है
  • अवधि: रातों-रात से 14 दिन तक
  • संपार्श्विक: सरकारी प्रतिभूतियां
  • प्रभाव: बैंकिंग ब्याज दरों को प्रभावित करता है
2. रिवर्स रेपो रेट:
  • परिभाषा: वह दर जिस पर RBI बैंकों से जमा स्वीकार करता है
  • उद्देश्य: अतिरिक्त तरलता अवशोषण
  • गलियारा: रेपो रेट से कम
3. MSF (Marginal Standing Facility):
  • परिभाषा: आपातकालीन तरलता सुविधा
  • सीमा: बैंक के NDTL का 1%
  • दर: रेपो रेट से 25 basis points अधिक
4. बैंक रेट:
  • परिभाषा: दीर्घकालिक ऋण की दर
  • संकेत: नीतिगत दिशा का संकेत
  • वर्तमान: MSF दर के बराबर
5. नकद आरक्षित अनुपात (CRR):
  • परिभाषा: बैंकों को RBI के पास रखना होने वाला न्यूनतम नकद
  • आधार: Net Demand and Time Liabilities (NDTL)
  • वर्तमान दर: 4.50%
  • ब्याज: कोई ब्याज नहीं
6. वैधानिक तरलता अनुपात (SLR):
  • परिभाषा: सरकारी प्रतिभूतियों में न्यूनतम निवेश
  • वर्तमान दर: 18.00%
  • घटक: सरकारी बांड, ट्रेजरी बिल, स्वर्ण
7. खुली बाजार परिचालन (OMO):
  • परिभाषा: द्वितीयक बाजार में सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद-बिक्री
  • उद्देश्य: तरलता प्रबंधन
  • प्रकार: खरीद (तरलता जोड़ना), बिक्री (तरलता घटाना)
गुणात्मक उपकरण:

1. मार्जिन आवश्यकताएं:
  • विशिष्ट संपत्तियों के लिए न्यूनतम मार्जिन
  • स्टॉक मार्केट और कमोडिटी वित्तपोषण
2. साख राशनिंग:
  • विशिष्ट क्षेत्रों के लिए ऋण सीमा
  • अवांछनीय क्षेत्रों में ऋण प्रवाह रोकना
3. नैतिक दबाव:
  • बैंकों को सलाह और दिशा-निर्देश
  • अनुनय द्वारा नीति अनुपालन
4. प्रत्यक्ष कार्रवाई:
  • गैर-अनुपालन बैंकों के विरुद्ध दंड
  • लाइसेंस रद्दीकरण की चेतावनी
प्रश्न 6: RBI की बैंकिंग विनियमन और पर्यवेक्षण की भूमिका का वर्णन करें। बेसल III मानदंडों का क्या महत्व है?
उत्तर:

बैंकिंग विनियमन की भूमिका:

1. लाइसेंसिंग कार्य:
  • नए बैंकों का लाइसेंस: न्यूनतम पूंजी ₹500 करोड़
  • शाखा लाइसेंसिंग: वार्षिक शाखा विस्तार योजना
  • विदेशी बैंक: WOS या शाखा मॉडल की अनुमति
  • विशेष बैंक: भुगतान बैंक, स्मॉल फाइनेंस बैंक
2. पर्यवेक्षण कार्य:
  • ऑन-साइट निरीक्षण: वार्षिक या आवश्यकतानुसार
  • ऑफ-साइट निगरानी: नियमित रिपोर्टिंग
  • जोखिम आकलन: CAMELS रेटिंग सिस्टम
  • सुधारात्मक कार्रवाई: PCA ढांचा
बेसल III मानदंडों का महत्व:

1. पूंजी पर्याप्तता:
  • न्यूनतम CRAR: 11.5% (9% + 2.5% पूंजी संरक्षण बफर)
  • Tier 1 पूंजी: कम से कम 8.5%
  • Common Equity Tier 1: कम से कम 7%
  • Leverage Ratio: न्यूनतम 4%
2. तरलता मानदंड:
  • LCR (Liquidity Coverage Ratio): 100%
  • NSFR (Net Stable Funding Ratio): 100%
  • उच्च गुणवत्ता तरल संपत्ति: HQLA की आवश्यकता
3. जोखिम प्रबंधन:
  • बेहतर जोखिम भारांकन
  • व्यापारिक पुस्तक समीक्षा
  • प्रतिपक्ष ऋण जोखिम
पर्यवेक्षी उपकरण:
  • CAMELS रेटिंग: Capital, Asset Quality, Management, Earnings, Liquidity, Systems
  • PCA (Prompt Corrective Action): जोखिम सीमा के आधार पर हस्तक्षेप
  • तनाव परीक्षण: विभिन्न परिदृश्यों में बैंकों की मजबूती
प्रश्न 7: मुद्रा प्रबंधन में RBI की भूमिका का विस्तार से वर्णन करें। नोट निर्गमन की न्यूनतम आरक्षित प्रणाली क्या है?
उत्तर:

मुद्रा प्रबंधन में RBI की भूमिका:

1. नोट निर्गमन:
  • एकाधिकार: एक रुपए के सिक्के को छोड़कर सभी मुद्रा
  • डिज़ाइन और उत्पादन: करेंसी नोट प्रेस और सिक्यूरिटी प्रिंटिंग प्रेस
  • वितरण: बैंकों के माध्यम से जनता तक पहुंचाना
  • प्रतिस्थापन: क्षतिग्रस्त नोटों की अदला-बदली
2. न्यूनतम आरक्षित प्रणाली:

ऐतिहासिक विकास:
  • 1956 से पूर्व: आनुपातिक आरक्षित प्रणाली (40% स्वर्ण + विदेशी मुद्रा)
  • 1956 के बाद: न्यूनतम आरक्षित प्रणाली अपनाई गई
वर्तमान न्यूनतम आरक्षित:
  • कुल आरक्षित: ₹200 करोड़
  • स्वर्ण आरक्षित: ₹115 करोड़ (न्यूनतम)
  • विदेशी मुद्रा आरक्षित: ₹85 करोड़ (न्यूनतम)
  • शेष राशि: रुपया प्रतिभूतियों में
3. सुरक्षा विशेषताएं:
  • वाटरमार्क: महात्मा गांधी का चित्र
  • सुरक्षा धागा: रंग बदलने वाला
  • माइक्रो लेटरिंग: अत्यंत सूक्ष्म छपाई
  • इंटैग्लियो प्रिंटिंग: स्पर्श से पहचान
  • फ्लोरेसेंट स्याही: UV प्रकाश में चमकना
  • होलोग्राम: ऊंचे मूल्य के नोटों में
4. नकली मुद्रा रोकथाम:
  • उन्नत सुरक्षा तकनीक
  • जागरूकता अभियान
  • बैंकों को प्रशिक्षण
  • कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ समन्वय
5. स्वच्छ नोट नीति:
  • क्षतिग्रस्त नोटों का प्रतिस्थापन
  • ATM में स्वच्छ नोट सुनिश्चित करना
  • बैंकों द्वारा सॉर्टिंग और पैकेजिंग मानदंड
6. डिजिटल मुद्रा पहल:
  • CBDC (Central Bank Digital Currency) का विकास
  • Wholesale और Retail CBDC
  • पायलट प्रोजेक्ट का संचालन
प्रश्न 8: वित्तीय समावेशन में RBI की भूमिका का वर्णन करें। डिजिटल भुगतान प्रणाली के विकास में RBI का योगदान क्या है?
उत्तर:

वित्तीय समावेशन में RBI की भूमिका:

1. नीतिगत पहल:
  • प्राथमिकता क्षेत्र ऋण: कुल ऋण का 40% निर्धारित क्षेत्रों में
  • नो फ्रिल्स अकाउंट: न्यूनतम शेष राशि के बिना खाते
  • सरलीकृत KYC: छोटे खातों के लिए आसान दस्तावेज़
  • बैंकिंग कॉरेस्पॉन्डेंट मॉडल: दूरदराज के क्षेत्रों में सेवा
2. संस्थागत विकास:
  • भुगतान बैंक: मूल बैंकिंग सेवाओं के लिए
  • स्मॉल फाइनेंस बैंक: छोटे और सीमांत किसानों के लिए
  • क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक: ग्रामीण क्षेत्रों में विशेषज्ञता
  • सहकारी बैंक: स्थानीय आवश्यकताओं के लिए
3. जन धन योजना में सहयोग:
  • बेसिक सेविंग्स बैंक डिपॉजिट अकाउंट (BSBDA)
  • रुपे डेबिट कार्ड की सुविधा
  • ओवरड्राफ्ट सुविधा (₹10,000 तक)
  • दुर्घटना बीमा कवर
डिजिटल भुगतान प्रणाली में योगदान:

1. UPI (Unified Payments Interface):
  • लॉन्च: अप्रैल 2016
  • विशेषताएं: तत्काल भुगतान, 24×7 उपलब्धता
  • वर्तमान स्थिति: दैनिक अरबों रुपए का लेनदेन
  • UPI 2.0: ओवरड्राफ्ट और क्रेडिट लाइन सुविधा
2. IMPS (Immediate Payment Service):
  • तत्काल मनी ट्रांसफर
  • मोबाइल और इंटरनेट के माध्यम से
  • 24×7×365 उपलब्धता
3. RTGS और NEFT:
  • RTGS: ₹2 लाख से अधिक के लिए (2019 से ₹2 लाख)
  • NEFT: सभी राशियों के लिए
  • 24×7 सेवा: दिसंबर 2019 से
  • शुल्क संरचना: किफायती दरें
4. डिजिटल पेमेंट इकोसिस्टम:
  • NPCI: National Payments Corporation of India
  • RuPay: स्वदेशी कार्ड पेमेंट नेटवर्क
  • BBPS: Bharat Bill Payment System
  • e-RUPI: वाउचर आधारित डिजिटल भुगतान
5. फिनटेक विनियमन:
  • रेगुलेटरी सैंडबॉक्स
  • P2P लेंडिंग नियम
  • डिजिटल लेंडिंग दिशा-निर्देश
  • क्रिप्टोकरेंसी पर नीति
प्रश्न 9: CBDC (Central Bank Digital Currency) क्या है? भारत में इसके क्रियान्वयन की वर्तमान स्थिति और भविष्य की संभावनाओं का वर्णन करें।
उत्तर:

CBDC (Central Bank Digital Currency) का परिचय:

CBDC केंद्रीय बैंक द्वारा जारी की जाने वाली डिजिटल मुद्रा है जो कागजी मुद्रा का डिजिटल रूप है। यह ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित है लेकिन पारंपरिक क्रिप्टोकरेंसी से अलग है।

CBDC की विशेषताएं:
  • केंद्रीकृत नियंत्रण: RBI का पूर्ण नियंत्रण
  • कानूनी मान्यता: कानूनी निविदा की स्थिति
  • सुरक्षा: उच्च क्रिप्टोग्राफिक सुरक्षा
  • पारदर्शिता: सभी लेनदेन का रिकॉर्ड
भारत में CBDC के प्रकार:

1. Wholesale CBDC (CBDC-W):
  • उपयोग: बैंकों और वित्तीय संस्थानों के बीच
  • उद्देश्य: बैंकों के बीच निपटान
  • लॉन्च: नवंबर 2022
  • सहभागी: चुनिंदा बैंक
2. Retail CBDC (CBDC-R):
  • उपयोग: आम जनता के लिए
  • उद्देश्य: दैनिक लेनदेन
  • पायलट शुरुआत: दिसंबर 2022
  • चरणबद्ध विस्तार: धीरे-धीरे सभी राज्यों में
वर्तमान क्रियान्वयन स्थिति:
  • पायलट शहर: मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु, भुवनेश्वर
  • सहभागी बैंक: SBI, ICICI, HDFC, PNB आदि
  • उपयोगकर्ता संख्या: लाखों में (2024 तक)
  • दैनिक लेनदेन: करोड़ों रुपए
CBDC के फायदे:
  • लागत कमी: मुद्रा प्रबंधन लागत में कमी
  • वित्तीय समावेशन: बैंकिंग सुविधा का विस्तार
  • पारदर्शिता: मनी लॉन्ड्रिंग की रोकथाम
  • मौद्रिक नीति: बेहतर ट्रांसमिशन
  • सीमा पार भुगतान: तेज़ और सस्ता
चुनौतियां:
  • गोपनीयता चिंताएं: लेनदेन की निगरानी
  • साइबर सुरक्षा: हैकिंग का जोखिम
  • तकनीकी अवसंरचना: व्यापक कनेक्टिविटी की आवश्यकता
  • बैंक जमा पर प्रभाव: बैंकिंग व्यवसाय पर असर
भविष्य की संभावनाएं:
  • चरणबद्ध विस्तार: पूरे देश में लागू करना
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: अन्य देशों के CBDC के साथ इंटीग्रेशन
  • स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट: प्रोग्रामेबल मनी की सुविधा
  • ऑफलाइन सुविधा: इंटरनेट के बिना भी उपयोग
प्रश्न 10: निबंधात्मक प्रश्न - "भारतीय रिजर्व बैंक की बदलती भूमिका और भविष्य की चुनौतियां" विषय पर 600 शब्दों में लिखें।
उत्तर:

भारतीय रिजर्व बैंक की बदलती भूमिका और भविष्य की चुनौतियां

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की स्थापना के बाद से इसकी भूमिका और जिम्मेदारियों में निरंतर विकास हुआ है। 1935 में स्थापित यह संस्था आज न केवल मौद्रिक नीति का संचालन करती है बल्कि डिजिटल युग की आवश्यकताओं के अनुकूल खुद को ढाल रही है।

पारंपरिक भूमिका से आधुनिक चुनौतियों तक:

RBI की प्रारंभिक भूमिका मुख्यतः मुद्रा निर्गमन, बैंकिंग विनियमन और सरकारी बैंकर के रूप में सीमित थी। स्वतंत्रता के बाद इसकी भूमिका आर्थिक विकास में योगदान देने तक विस्तृत हुई। 1991 के आर्थिक उदारीकरण के दौरान RBI ने वित्तीय क्षेत्र सुधारों में केंद्रीय भूमिका निभाई।

सबसे महत्वपूर्ण परिवर्तन 2016 में मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण व्यवस्था की शुरुआत के साथ आया। इससे RBI का प्राथमिक उद्देश्य मूल्य स्थिरता बना, जो पहले विकास और स्थिरता के बीच संतुलन था। मौद्रिक नीति समिति का गठन इस नई व्यवस्था की आधारशिला बना।

डिजिटल क्रांति में RBI की भूमिका:

21वीं सदी में RBI की सबसे बड़ी उपलब्धि डिजिटल भुगतान प्रणाली का विकास है। UPI का सफल क्रियान्वयन भारत को वैश्विक डिजिटल भुगतान में अग्रणी बनाया है। आज UPI के माध्यम से दैनिक अरबों रुपए का लेनदेन होता है, जो वित्तीय समावेशन में क्रांतिकारी योगदान है।

CBDC (डिजिटल रुपया) की शुरुआत RBI की दूरदर्शिता का प्रमाण है। यह पहल न केवल भारत को डिजिटल मुद्रा के क्षेत्र में अग्रणी बनाती है बल्कि मुद्रा प्रबंधन लागत को भी कम करती है।

वित्तीय स्थिरता में नवाचार:

2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के बाद RBI ने वित्तीय स्थिरता को प्राथमिकता दी। बेसल III मानदंडों का क्रियान्वयन, तनाव परीक्षण की शुरुआत, और PCA ढांचे का विकास इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं।

NPA संकट के दौरान RBI ने दृढ़ता दिखाई और बैंकों को अपनी बैलेंस शीट साफ करने पर मजबूर किया। IBC (दिवालियापन संहिता) के साथ तालमेल बिठाकर RBI ने बैंकिंग प्रणाली की सफाई में योगदान दिया।

भविष्य की चुनौतियां:

तकनीकी चुनौतियां: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, और ब्लॉकचेन जैसी तकनीकों का एकीकरण RBI के लिए बड़ी चुनौती है। साइबर सुरक्षा खतरे लगातार बढ़ रहे हैं जिनसे निपटना आवश्यक है।

क्रिप्टोकरेंसी विनियमन: प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी का बढ़ता उपयोग मौद्रिक नीति की प्रभावशीलता के लिए चुनौती है। RBI को इस क्षेत्र में स्पष्ट नीति बनानी होगी।

जलवायु जोखिम: जलवायु परिवर्तन का वित्तीय प्रणाली पर प्रभाव एक नई चुनौती है। हरित वित्त और सस्टेनेबल बैंकिंग के नियम बनाना आवश्यक है।

वैश्विक एकीकरण: अंतर्राष्ट्रीय मानकों के साथ तालमेल बिठाते हुए राष्ट्रीय हितों की रक्षा करना एक कठिन संतुलन है।

निष्कर्ष:

RBI की बदलती भूमिका भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास की कहानी है। पारंपरिक केंद्रीय बैंकिंग से लेकर डिजिटल युग के नवाचारों तक, RBI ने हमेशा समय की मांग के अनुकूल खुद को ढाला है। भविष्य में भी यह संस्था भारत की आर्थिक संप्रभुता और वित्तीय स्थिरता की रक्षक की भूमिका निभाएगी। सफलता इस बात में होगी कि RBI कितनी तेजी से नई चुनौतियों के लिए नवाचारी समाधान खोजती है और वैश्विक मानकों के साथ तालमेल बिठाते हुए भारतीय परिस्थितियों के अनुकूल नीतियां बनाती है।

🧠 भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) – UPSC पैटर्न प्रश्नोत्तरी

  1. RBI की स्थापना कब हुई थी?
    A. 1930
    B. 1935 ✅
    C. 1947
    D. 1950
  2. RBI का राष्ट्रीयकरण किस वर्ष हुआ?
    A. 1947
    B. 1950
    C. 1949 ✅
    D. 1955
  3. RBI के पहले गवर्नर कौन थे?
    A. मनमोहन सिंह
    B. सी. डी. देशमुख
    C. बिमल जालान
    D. ओस्बोर्न स्मिथ ✅
  4. भारतीय रिजर्व बैंक के वर्तमान गवर्नर (2024) कौन हैं?
    A. शक्तिकांत दास ✅
    B. उर्जित पटेल
    C. रघुराम राजन
    D. नचिकेत मोर
  5. RBI का मुख्यालय कहाँ स्थित है?
    A. दिल्ली
    B. मुंबई ✅
    C. कोलकाता
    D. हैदराबाद
  6. निम्नलिखित में से कौन RBI के कार्यों में शामिल नहीं है?
    A. मौद्रिक नीति निर्धारण
    B. मुद्रा निर्गमन
    C. प्रत्यक्ष कर वसूली ✅
    D. विदेशी मुद्रा विनियमन
  7. RBI किस अधिनियम के तहत स्थापित किया गया?
    A. बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949
    B. भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 ✅
    C. वित्त अधिनियम, 1950
    D. मुद्रा अधिनियम, 1930
  8. RBI के पास निम्न में से कौन-सा अधिकार होता है?
    A. बैंकों का लाइसेंस जारी करना ✅
    B. चुनाव आयोग का नियंत्रण
    C. संसद अधिनियम संशोधन
    D. IT सेक्टर रेगुलेशन
  9. मौद्रिक नीति समिति (MPC) कितने सदस्यों की होती है?
    A. 4
    B. 5
    C. 6 ✅
    D. 7
  10. RBI द्वारा रेपो रेट को नियंत्रित करने का मुख्य उद्देश्य क्या है?
    A. मुद्रा स्फीति को नियंत्रित करना ✅
    B. GDP को बढ़ाना
    C. आय कर को नियंत्रित करना
    D. बजट संतुलन सुनिश्चित करना

उत्तर कुंजी:
1 – B, 2 – C, 3 – D, 4 – A, 5 – B, 6 – C, 7 – B, 8 – A, 9 – C, 10 – A

📚 यह प्रश्नोत्तरी UPSC, RPSC, Banking, SSC व अन्य परीक्षाओं हेतु अत्यंत उपयोगी है।
📌 स्रोत: Sarkari Service Prep ™
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