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राजस्थान सेवा नियम अध्याय : आकस्मिक अवकाश (Casual Leave Rules in Rajasthan Service Rules)

राजस्थान सेवा नियम अध्याय : आकस्मिक अवकाश (Casual Leave Rules in Rajasthan Service Rules)

आकस्मिक अवकाश - राजस्थान सेवा नियम
यह लेख राजस्थान सेवा नियम, 1951 के अध्याय II पर आधारित है।
आकस्मिक अवकाश
अध्याय: II
स्रोत: राजस्थान सेवा नियम, 1951
खण्ड: II
संशोधन: अक्टूबर 2023

आकस्मिक अवकाश

आकस्मिक अवकाश राजस्थान सेवा नियम, 1951 के अध्याय II में वर्णित अवकाश की एक श्रेणी है। यह एक प्रशासनिक सुविधा है जो राज्य कर्मचारियों को आकस्मिक परिस्थितियों में प्रदान की जाती है।

अवकाश के प्रकार

राजस्थान सेवा नियम, 1951 खण्ड II में निम्न प्रावधान है—

राजस्थान सेवा नियम के अनुसार निम्नलिखित प्रकार के अवकाश निर्धारित हैं:

  1. आकस्मिक अवकाश (परिशिष्ट I का भाग III)
  2. विशिष्ट आकस्मिक अवकाश
  3. छुट्टी के बदले में क्षतिपूर्ति (आकस्मिक) अवकाश
  4. ऐच्छिक अवकाश
  5. निरोधावकाश
  6. वैद्यिक सेवा के दौरान अवकाश
  7. परिशिष्ट II-A अवकाश के लेखे का प्रपत्र व
  8. परिशिष्ट XIX राजस्थान सेवा नियम के अन्तर्गत अवकाश के लिये आवेदन पत्र

मुख्य श्रेणियां

आकस्मिक अवकाश की मुख्य श्रेणियों में सम्मिलित हैं:

  1. आकस्मिक अवकाश (Casual Leave)
  2. विशिष्ट आकस्मिक अवकाश (Special Casual Leave)
  3. क्षतिपूर्ति (आकस्मिक) अवकाश (Compensatory Casual Leave)
  4. निरोधावकाश (Quarantine Leave)

प्रतिबंधित अवकाश या ऐच्छिक अवकाश

प्रतिबंधित अवकाश या ऐच्छिक अवकाश (Restricted Holidays) एक विशेष प्रकार का अवकाश है जो निर्धारित सीमा के अन्तर्गत प्रदान किया जाता है।

आकस्मिक अवकाश की परिभाषा

महत्वपूर्ण: राज्य सरकार आकस्मिक अवकाश किसी प्रकार की मान्यता प्रदान नहीं करती इसलिये यह मान्यता प्राप्त अवकाश नहीं है।

राजस्थान सेवा नियम में आकस्मिक अवकाश को अवकाश की श्रेणी में नहीं माना गया है क्योंकि आकस्मिक अवकाश के दौरान राज्य कर्मचारी "कर्त्तव्य वेतन" आहरित करता है। यह अवकाश किसी नियम के अधीन नहीं है। इसे राज्य सरकार ने नियमित अवकाश से अलग रखा है व इसे प्रशासनिक निर्देश के रूप में स्थान दिया गया है।

तकनीकी स्थिति

तकनीकी रूप से यह अवकाश राज्य कर्मचारी द्वारा लिया जाता है तो वह काम से अनुपस्थित नहीं माना जाता। और न ही उसका वेतन रोका जाता है। परन्तु यह अवकाश इस तरह नहीं दिया जाना चाहिए जिसके कारण निम्न नियमों से बचा जा सके—

  1. वेतन एवं भत्ते की संगणना की तारीख
  2. कार्यालय का पदभार
  3. अवकाश का प्रारम्भ एवं अन्त
  4. अवकाश से पुनः कार्य को लौटना

या अवकाश की अवधि इतनी बढ़ा देना कि नियमानुसार उसे स्वीकृत नहीं किया जा सके।

स्वीकृति की प्रक्रिया

आकस्मिक अवकाश पर कोई व्यक्ति सेवा में कार्य कर हुआ माना जावेगा। इसलिये आकस्मिक अवकाश स्वीकृत करना एक ऐसा विषय है जो स्वीकृत करने वाले प्राधिकारी के स्विवेक पर पूर्णतया निर्भर करता है। ऐसी स्थिति में यह पहले से ही नहीं माना जा सकता कि कर्मचारी द्वारा मांगा गया आकस्मिक अवकाश उसे सहेज स्वीकृत कर ही दिया जायेगा।

यदि अवकाश स्वीकृत करने वाला प्राधिकारी यह माने कि राज कार्य में हानि होगी तो मांगा गया अवकाश वह अस्वीकार कर सकता है। यदि किसी राज्य कर्मचारी का आकस्मिक अवकाश के लिये प्रार्थना पत्र अस्वीकार कर दिया जावे और राज्य कर्मचारी कर्त्तव्य पर उपस्थित न हो तो वह माना जायेगा कि वे जानबूझ कर सेवा में अनुपस्थित होने का दोषी है।

अनुपस्थिति का परिणाम

जानबूझ कर ऐसी अनुपस्थिति को सेवा में व्यादत मानते हुए निष्कें सेवा काल को जब्त किया जा सकेगा जब तक संतोषप्रद कारण बताने पर उक्त अनुपस्थिति को अवकाश स्वीकृतकर्ता प्राधिकारी द्वारा उसे देय अवकाश स्वीकृत कर नियमित नहीं कर दिया जाता है या असाधारण अवकाशों में परिवर्तित नहीं कर दिया जाता है।

विदेश यात्रा संबंधी नियम

वित्त विभाग की अधिसूचना क्रमांक एफ0.1(4)वित्त/(नियम)/2008 दिनांक 17 फरवरी 2012 के अनुसार राज्य सरकार द्वारा यह देखा गया है कि राज्य के अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा निजी कार्यों के लिये विदेश यात्रा हेतु आकस्मिक अवकाश/उपार्जित अवकाश का आवेदन पत्र विदेश यात्रा के कुछ दिनों पूर्व ही सक्षम प्राधिकारी को भिजाया जाता है।

विदेश यात्रा के लिए आकस्मिक अवकाश हेतु निम्नलिखित समयसीमा निर्धारित की गई है:

  • विदेश में निजी यात्रा के लिए: 3 सप्ताह पूर्व आवेदन
  • व्यक्तिगत विदेश यात्रा स्वीकृति के लिए: 45 दिन पूर्व आवेदन

विशिष्ट श्रेणियों के लिए नियम

शासकीय कर्मचारियों के लिए

वित्त विभाग के ज्ञापन क्रमांक 3003/59एफo ऐ(45)/वित्त-ए/नियम/57 दिनांक 12 जून 1959 के अनुसार शासकीय कर्मचारियों को अन्य कर्मचारियों की भांति आकस्मिक अवकाश प्रदान किया जाना चाहिये।

शिक्षा विभाग के अधिकारियों के लिए

वित्त विभाग की आज्ञा क्रमांक एफo1(46)वित्त (नियम)/70 दिनांक 27 जुलाई 1970 के अनुसार शिक्षा विभाग के अधिकारियों को विद्या संबंधी कार्यों के लिये आकस्मिक अवकाश स्वीकृत किया जा सकता।

शैक्षणिक कार्यों के लिए आकस्मिक अवकाश की शर्तें:

  • माध्यमिक शिक्षा मण्डल की बैठकों में उपस्थिति
  • परीक्षा कार्य के लिये निरीक्षण, पर्यवेक्षक और परीक्षा अधीक्षक का काम
  • एक शैक्षिक सत्र में 15 दिनों से अधिक नहीं
  • साधारण यात्रा भत्ता व परिश्रमिक अलग से नहीं मिलना चाहिए

नवनियुक्त कर्मचारियों के लिए

वित्त विभाग की आज्ञा क्रमांक एफo5(1)एफडी(आर)/56 दिनांक 11 जनवरी 1956 के अनुसार राज्य कर्मचारी को एक वर्ष में 15 दिन का आकस्मिक अवकाश स्वीकृत किया जाता है।
आकस्मिक अवकाश - राजस्थान सेवा नियम
आकस्मिक अवकाश
स्रोत: राजस्थान सेवा नियम, 1951
खण्ड: II
संशोधन: अक्टूबर 2023
लागू: राजस्थान राज्य

आकस्मिक अवकाश - राजस्थान सेवा नियम

आकस्मिक अवकाश राजस्थान सेवा नियम, 1951 के अध्याय II में वर्णित अवकाश की एक विशेष श्रेणी है जो राज्य कर्मचारियों को आकस्मिक परिस्थितियों में प्रदान की जाती है।

सेवानिर्वृत्त कर्मचारियों हेतु आकस्मिक अवकाश की मात्रा

कोई व्यक्ति वर्ष मध्य में कार्यग्रहण करता है तो उसे पर 15 दिन का आकस्मिक अवकाश नहीं स्वीकृत किया जा सकता। यह निम्नानुसार स्वीकृत किया जावेगा:

क्रम सेवा अवधि आकस्मिक अवकाश
1. 3 माह या कम की सेवा होने पर 5 दिन
2. 3 माह से अधिक परन्तु 6 माह के कम की सेवा होने पर 10 दिन
3. 6 माह से अधिक की सेवा होने पर 15 दिन

सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों को आकस्मिक अवकाश

वित्त विभाग की आज्ञा क्रमांक एफ0.1(8)वित्त/(नियम)/95 दिनांक 20 फरवरी 2002 के अनुसार सेवानिवृत्त होने वाले राज्य कर्मचारियों को आकस्मिक अवकाश निम्नानुसार स्वीकृत किया जावेगा।
क्रम सेवानिवृत्त वर्ष में सेवा अवधि आकस्मिक अवकाश
1. सेवानिवृत्त वर्ष में 3 माह या कम की सेवा होने पर 5 दिन
2. सेवानिवृत्त वर्ष में 3 माह से अधिक परन्तु 6 माह से कम सेवा पर 10 दिन
3. सेवानिवृत्त वर्ष में 6 माह से अधिक की सेवा होने पर 15 दिन

जिला कलेक्टर, सम्मानीय आयुक्त, प्रशासनिक समितियों को आकस्मिक अवकाश व मुख्यालय से अनुपस्थिति

ज्ञापन क्रमांक एफ-1 विभाग ने जिला कलेक्टर, सम्मानीय आयुक्त, प्रशासनिक समितियों की मुख्यालय से अनुपस्थिति व अवकाश लेने के संबंध में निम्न निर्देश जारी किये हैं—

राज्य सरकार के आदेश निम्नलिखित क्रमांकों में जारी किए गए हैं:

  1. एफ0.5(5)गृसे/ए-1/2001 दिनांक 27 फरवरी 2002
  2. एफ0.5(6)गृसे/ए-1/2004 दिनांक 4 अक्टूबर 2004
  3. एफ0.5(6)गृसे/ए-1/2004 दिनांक 17 मार्च 2005
  4. एफ0.5(6)गृसे/ए-1/2004 दिनांक 4 जुलाई 2005
  5. एफ0.5(6)गृसे/ए-1/2004 दिनांक 22 अगस्त 2005
  6. एफ0.5(6)गृसे/ए-1/2004 दिनांक 5 सितम्बर 2007
  7. एफ0.5(6)गृसे/ए-1/2004 दिनांक 5 मार्च 2008
  8. एफ0.5(4)गृसे/ए-1/2005 दिनांक 9 दिसम्बर 2020

राज्य सरकार के निर्देश

  1. जिला कलेक्टर तथा सम्मानीय आयुक्त मुख्य सचिव की लिखित पूर्वानुमति प्राप्त किये बगैर किसी बैठक/सेमीनार अथवा आकस्मिक अवकाश के कारण अपना क्षेत्राधिकार नहीं छोड़ेंगे।
  2. उपरोक्त अनुदेशों के होते हुए भी, राज्य सरकार के परिपत्र दिनांक 5 सितम्बर 2007 के अनुसार 3 दिन तक का आकस्मिक अवकाश लेने के लिये जिला कलेक्टर सम्मानीय आयुक्त से अनुमति प्राप्त कर ही मुख्यालय छोड़ेंगे। मगर, वे इसकी सूचना मुख्य सचिव कार्यालय को अवश्य देंगे।
  3. सभी अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रमुख शासन सचिव, सचिवगण यह सुनिश्चित करेंगे कि वे जिला कलेक्टर्स, सम्मानीय आयुक्तों को उनके क्षेत्राधिकार के बाहर किसी बैठक/सेमीनार, कार्यशाला आदि में भाग लेने के लिये निर्देश देने से पूर्व मुख्य सचिव की पूर्व अनुमति ले ली गयी है तथा जिला कलेक्टर, सम्मानीय आयुक्तों को सम्बधित सचार में इसका उल्लेख कर दिया गया है।
  4. अवकाश के लिये आवेदन करने व मुख्यालय छोड़ने की अनुमति लेते समय प्रत्येक अधिकारी/कर्मचारी से यह अपेक्षा की जाती है कि वह अपने प्रार्थना पत्र में अपना सम्पर्क पता मय टेलीफोन नम्बर के अंकित करें ताकि आपात स्थिति में उससे उस पते पर सम्पर्क स्थापित किया जा सके।
उपरोक्त निर्देशों के अलावा, सभी अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रमुख शासन सचिव, सचिवगणों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये बैठकों का आयोजन करें। इससे मामलों में देरी नहीं होगी। जिला कलेक्टर या सम्मानीय आयुक्त को जयपुर या उनके क्षेत्राधिकार से बाहर आवश्यक परिस्थितियों में ही बैठकों में बुलाया जावे। इन निर्देशों की अवहेलना को राज्य सरकार द्वारा गम्भीरता से लिया जायेगा।

विशिष्ट आकस्मिक अवकाश

राज्य सरकार विभिन्न कार्यों के लिये निम्नानुसार विशिष्ट आकस्मिक अवकाश स्वीकृत किये जाने का प्रावधान किया गया है।

1. शैक्षणिक कार्यों के लिये

वित्त विभाग के आदेश क्रमांक एफ0.1(12)वि.वि/युव-2/83 दिनांक 1 अप्रैल 1983 के अनुसार विद्या संबंधी कार्य के लिये सरकारी विद्यालयों तथा महाविद्यालयों के शिक्षकों को अधिकतम 15 दिनों का विशिष्ट आकस्मिक अवकाश स्वीकृत किया जा सकेगा।

वित्त विभाग के आदेश क्रमांक एफ0.1(12)वि.वि/युव-2/83 दिनांक 29 अगस्त 1998 द्वारा उपरोक्त आदेश में तकनीकी शिक्षा विभाग का भी समावेश कर दिया गया है। विद्या संबंधी कार्यों में निम्न कार्य सम्मिलित हैं—

  1. राजस्थान में विश्वविद्यालयों तथा माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, राजस्थान के विभिन्न निकायों की बैठकों में उपस्थित होना जिसमें विश्वविद्यालय/माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की ओर से निरीक्षक के रूप में कार्य करना सम्मिलित है, बशर्ते कि वे यात्रा भत्ते के अलावा व इस प्रकार की उपस्थिति के लिये व समस्त कार्य हेतु एक मुश्त राशि प्राप्त न करें। इस श्रेणी में अनुमत 15 विशिष्ट आकस्मिक अवकाश के अलावा राज्य स्तरीय राज जिन्हें वित्त विभाग के आदेश क्रमांक एफ0.1(36) वि.वि/युव-2/78 दिनांक 7 नवम्बर 1978 द्वारा मान्यता प्रदान की गयी है, की कार्यकारिणी के पदाधिकारियों को एक कलेण्डर वर्ष में 10 दिनों का अधिकतम विशिष्ट आकस्मिक अवकाश स्वीकृत किया जा सकेगा।
  2. राजस्थान में विश्वविद्यालयों, विभागों एवं माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, राजस्थान की प्रयोगशाला परीक्षाएं (practical examinations) संचालन करना
  3. संबंधित शिक्षा विभाग के निदेशक के पूर्व अनुमोदन से राज्य स्तर या अखिल भारतीय स्तर पर होने वाली सेमीनारों/ कार्यशालाओं/सम्मेलनों में भाग लेना
  4. सेमीनारों में शोध पत्र वाचन या राज्य के अन्दर विशिष्ट श्रेणी/विषय के शिक्षकों के विभिन्न राज्य-स्तरीय संघों द्वारा बुलाये गये सम्मेलनों में शैक्षिक चर्चा (academic discussion) में भाग लेना। इस श्रेणी में विशिष्ट आकस्मिक अवकाश राजकीय महाविद्यालयों के लिये निदेशक, कॉलेज शिक्षा तथा विद्यालयों के लिये निदेशक, प्रारम्भिक शिक्षा/ माध्यमिक शिक्षा द्वारा निम्नलिखित शर्तों पर स्वीकृत किया जा सकेगा।

विशिष्ट शैक्षणिक अवकाश की शर्तें

  1. जब किसी विशिष्ट श्रेणी/विषय के शिक्षकों के संघों जैसे प्राध्यापक (स्कूल शिक्षा) संघ/शिक्षक संघ द्वारा कोई सभा/सम्मेलन आयोजित किया जाता है तो केवल उस विशिष्ट श्रेणी/विषय के शिक्षकों को ही विशिष्ट आकस्मिक अवकाश स्वीकृत किया जावेगा अन्य को नहीं।
  2. यदि संबंधित विषय की शैक्षणिक चर्चा का संचालन करने हेतु विशिष्ट श्रेणी/विषय के शिक्षकों के एक से ज्यादा संघ हैं तो ऐसी बैठकों/सेमीनारों में भाग लेने के लिये केवल एक बार ही 2 दिनों तक का विशिष्ट आकस्मिक अवकाश स्वीकृत किया जावेगा
  3. जिला स्तरीय सम्मेलनों के लिये 2 दिन तक का और राज्य स्तरीय सम्मेलनों के लिये विशिष्ट आकस्मिक अवकाश स्वीकृत किया जावेगा अतिक्त एक शैक्षिक सत्र में किसी विषय शिक्षक को कुल 4 दिन से ज्यादा विशिष्ट आकस्मिक अवकाश स्वीकृत नहीं किया जावेगा
  4. किसी शैक्षिक सत्र में 31 जनवरी के बाद कोई विशिष्ट आकस्मिक अवकाश स्वीकृत नहीं किया जावेगा।

पी.एम.टी. परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं का जांच कार्य

वित्त विभाग के आदेश क्रमांक एफ0.1(43)वि.वि/युव-2/74 दिनांक 28 अगस्त 1974 के अनुसार प्रिमेडिक शिक्षा मण्डल, राजस्थान या व्यावसायिक प्रशिक्षण की नेशनल परिषद की प्रायोगिक परीक्षाओं का संचालन करने के लिये तकनीकी शिक्षा के अधिकारियों को विशिष्ट आकस्मिक अवकाश के उपयोग की अनुमति प्रदान की जावेगी।
वित्त विभाग की आज्ञा क्रमांक एफ0.1(4)वित्त(नियम)/2012 दिनांक 14 फरवरी 2012 के अनुसार शैक्षिक कार्यों के लिये तकनीकी शिक्षा सहित शिक्षा विभाग के परीक्षाधीन प्रशिक्षणार्थी शिक्षकों को भी वित्त विभाग के आदेश क्रमांक एफ0.1(12)वि. वि/युव-1 अप्रैल 1983 के अनुसार विशिष्ट आकस्मिक अवकाश के उपयोग की अनुमति प्रदान की जावेगी। उन पर भी उपरोक्त नियम लागू होंगे।

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के कार्मिकों हेतु विशेष प्रावधान

आयुर्वालय कॉलेज शिक्षा, राजस्थान जयपुर द्वारा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत विश्वविद्यालयों में उच्च अध्ययन/अनुसंधान करने के लिये फैलोशिप व नेशनल फैलोशिप पाने वाले प्रयुक्त शिक्षक को सम्पूर्ण अवधि के लिये वेतन भर्ती सहित शैक्षणिक अवकाश स्वीकृत किया जावेगा। यह अवकाश वेतनयुक्त व प्रारम्भ के प्रयोजन के लिये भी निर्धारित करना होगा। शिक्षकों को इस भिन्न संस्थाओं द्वारा प्रायोजित करना होगा।

चिकित्सा विभाग के अधिकारियों/कर्मचारियों को भी शैक्षिक कार्यों तथा प्रामाणिक परीक्षाओं का संचालन करने, मेडिकल कॉन्फ्रेंस की कार्यकारी समितियों की बैठकों में भाग लेने, राष्ट्रीय/ अन्तर्राष्ट्रीय शैक्षिक सम्मेलनों में भाग लेने कनिष्ठ शर्तों के साथ के लिये एक शैक्षिक सत्र के दौरान 15 दिन राज्य में व 6 दिन बाहर के लिये विशिष्ट आकस्मिक अवकाश देय है।

वित्त विभाग के आदेश क्रमांक एफ0.1(1)एफडी(रू्ल्स)/2012 दिनांक 26 फरवरी 2018 के अनुसार चिकित्सा शिक्षा विभाग के मेडिकल अध्यापक अपने नियंत्रक अधिकारियों से पूर्व अनुमति लेकर यदि परीक्षा कार्य करते हैं तो उन्हें विशिष्ट आकस्मिक अवकाश देय है।

उन्हें इस शर्त पर एक शैक्षिक सत्र के दौरान 15 दिन राज्य में व 6 दिन बाहर के लिये विशिष्ट आकस्मिक अवकाश देय है कि वे उपनी उपस्थिति के लिये अनुबंध दरों पर साधारण यात्रा एवं दैनिक भत्ते के अलावा कोई पारिश्रमिक प्राप्त नहीं करेंगे।

खान एवं भूगर्भ विभाग के अधिकारियों को भारतीय विज्ञान कांग्रेस संघ के वार्षिक सत्रों में उपस्थित रहने के लिये 15 दिन राज्य में व 6 दिन बाहर के लिये विशिष्ट आकस्मिक अवकाश देय है।

2. बन्ध्याकरण ऑपरेशन के लिये

जो सरकारी कर्मचारी बन्ध्याकरण ऑपरेशन (Sterilization operation) करायेंगे उन्हें पुरुष की स्थिति में 6 दिन व महिला के मामले में 10 दिन का विशिष्ट आकस्मिक अवकाश देय है। नॉन प्यूपरल या गाइनेकोलॉजिकल बन्ध्याकरण (Non-puerperal or gynaecological Sterilization) कराने वाली महिला कर्मचारी को 14 दिन तक का विशिष्ट आकस्मिक अवकाश देय है। उस महिला के पति को आपनी पत्नी की देख-भाल के लिये 7 दिन का विशिष्ट आकस्मिक अवकाश देय है। ट्यूबेक्टेमी शल्य चिकित्सा के असफल होने की दशा में दूसरी बार गैर-प्यूपरल ट्यूबेक्टेमी शल्य चिकित्सा कराने पर प्रमाण पत्र देने पर दुबारा 14 दिन तक का विशिष्ट आकस्मिक अवकाश देय है। पुनर्नालीकरण (Recanalization) के लिये ऑपरेशन करवाने पर सरकारी कर्मचारी को 21 दिन या प्राधिकृत चिकित्सा अधिकारी द्वारा प्रमाणित अस्पतालवास की वास्तविक अवधि, जो भी कम हो, के लिये विशिष्ट आकस्मिक अवकाश देय है। यह अवकाश नियमित अवकाश के पहले जोड़ा जा सकता है किन्तु इसे आकस्मिक अवकाश के साथ तथा नियमित अवकाश के बीच नहीं जोड़ा जा सकता।

वित्त विभाग की आज्ञा क्रमांक एफ0.1(19)वि.वि.(व्यय-नियम)/ 64 दिनांक 29 अप्रैल 1967 के अनुसार महिला राज्य कर्मचारी को गर्भपात कार्यक्रम के तहत आई.यू.डी.(LUP) लगवाने पर 1 दिन का विशिष्ट आकस्मिक अवकाश देय है।

3. विभागीय परीक्षा में बैठने के लिये

वित्त विभाग की आज्ञा क्रमांक एफ0.1(23)एफडी(ई.आर.)/64 दिनांक 2 जून 1964 के अनुसार राज्य कर्मचारी को राजस्थान सिविल सेवाएं (विभागीय परीक्षाएं) नियम 1959 के अधीन विभागीय

परीक्षा में बैठने के दिनों के लिये विशिष्ट आकस्मिक अवकाश देय है बशर्ते कि यह विभागीय परीक्षा में नियमानुसार बैठने का पात्र हो व उसे परीक्षा देना अपेक्षित हो। परीक्षा में बैठने वाले राज्य कर्मचारी को कोई यात्रा भत्ता देय नहीं होगा। यह अवकाश सामान्य आकस्मिक अवकाश के साथ जोड़ा जा सकेगा लेकिन नियमित अवकाश के साथ नहीं। संबंधित विभागाध्यक्ष/ कार्यालयाध्यक्ष यह अवकाश स्वीकृत कर सकेंगे।

4. सेवा संघों के सम्मेलनों के लिये

प्रशासनिक विभाग सेवा संघों के सम्मेलनों में उपस्थित होने या व्यक्तिगत रूप से वाद-विवाद, व्याख्यान आदि में भाग लेने के लिये अपने अपने प्रशासनिक नियंत्रण में आने वाले अधिकारियों को विशिष्ट आकस्मिक अवकाश स्वीकृत नहीं कर सकेंगे। उन्हें ऐसे प्रसंग वित्त विभाग को अनुमति के लिये प्रेषित करने होंगे। क्योंकि उनमें कोई जनहित नहीं है और वित्त विभाग द्वारा विशिष्ट आकस्मिक अवकाश स्वीकृत नहीं किया जा सकता। सरकार से मान्यता प्राप्त अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी फेडरेशन और राज्य स्तरीय संघ के कार्यकारी निकाय के सदस्त पदाधिकारियों को एक कलेण्डर वर्ष में अधिकतम 10 दिन का विशिष्ट आकस्मिक अवकाश स्वीकृत किया जा सकेगा।

5. खेलकूद प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिये

जो राज्य कर्मचारी अखिल भारतीय ख्याति के खिलाड़ी हैं, और भारत में या भारत के बाहर आयोजित किये जाने वाले राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय महत्व के खेलकूद, प्रतियोगिताओं या मेलों में भाग लेने के लिये आमंत्रित किये जाने हैं उन्हें विशिष्ट आकस्मिक अवकाश स्वीकृत किया जा सकेगा। यह अवकाश 30 दिनों से अधिक नहीं होगा। स्थानीय या राज्य स्तर की खेलकूद, प्रतियोगिताओं या मेलों में भाग लेने के लिये अधिकतम

10 दिनों का विशिष्ट आकस्मिक अवकाश स्वीकृत किया जा सकेगा। खिलाड़ियों के दल के साथ जाने वाले प्रबंधक व एक कोच को भी यह अवकाश देय है। आठ इण्डिया रेडियो, दूरदर्शन से संबंधित राष्ट्रीय कार्यक्रमों में भाग लेने वाले राज्य कर्मचारियों को भी विशिष्ट आकस्मिक अवकाश देय है। राष्ट्रीय या अन्तर्राष्ट्रीय महत्व की खेलकूद प्रतिस्पर्द्धाओं या मेलों के संबंध में आयोजित कोचिंग/प्रशिक्षण कैंस में भाग लेने वाले कर्मचारियों को भी यह अवकाश देय है।

छुट्टी के बदले में क्षतिपूर्ति (आकस्मिक) अवकाश

रविवार तथा अन्य राजपत्रित अवकाशों में विभिकचारीय व यथुर्घ श्रेणी सेवा के कर्मचारी वर्ग को प्रभावी राजपत्रित अधिकारी द्वारा कार्यालय में अनिवार्यतः उपस्थित देने के लिये बाध्य किया जावे तो उन्हें दिन तक क्षतिपूर्ति आकस्मिक अवकाश देय है जितने दिन उन्हें उपस्थित देने के लिये बाध्य किया जाता है। यह अवकाश उसे देय 15 आकस्मिक अवकाशों के अलावा देय होगा। लेकिन रविवार तथा अन्य राजपत्रित अवकाशों में उपस्थिति देने के लिये कोई बाह्य प्रभाव या अतिरिक्त पारिश्रमिक स्वीकृत नहीं किया जायेगा। यह अवकाश अधिकारियों के निजी स्टाफ़ जैसे पी. ए. स्टेनोग्राफर, चर्डू के राइवर आदि को देय नहीं है। राज्य सेवा के राजपत्रित अधिकारियों को यह अवकाश देय नहीं है।

ऐच्छिक अवकाश

राजस्थान सेवा नियमों के नियम 7(12)(b) में प्रतिबंधित अवकाश यानि ऐच्छिक अवकाश का नहीं तरीके से सम्मिलित नहीं किया गया है जैसाकि यह वर्तमान में मंजूर है। प्रतिबंधित अवकाश पर सरकारी कार्यालय राजकार्य के देय-देय के लिये

बन्द नहीं रहता। इस प्रकार का अवकाश सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा प्रतिवर्ष घोषित किया जाता है। राजकीय कलेण्डर में कार्यशील दिवस कानूनी स्वाही में, रविवार व सार्वजनिक अवकाश लाल स्वाही में व प्रतिबंधित अवकाश यानि ऐच्छिक अवकाश नीली स्वाही में मुद्रित किये जाते हैं। ऐच्छिक अवकाशों की सूची में से राज्य कर्मचारी अपनी इच्छा से कोई 2 प्रतिबंधित अवकाश चुन कर उनका उपयोग कर सकता है। वित्त विभाग के भीमी संस्था एफ0.1(49)एफडी/यूव-2/82 दिनांक 15 सितम्बर 1990 के अनुसार प्रतिबंधित अवकाश यानि ऐच्छिक अवकाश नियमित अवकाश अथवा आकस्मिक अवकाश के पहले या बाद में लिया जा सकता है।

निरोधावकाश

राज्य कर्मचारी के परिवार या घर में किसी छुत का रोग (infectious disease) जैसे हैज़ा (Cholera), वैरीक (Small-pox), प्लेग (Plague), डिप्थीरिया (Diphtheria), टाइफस बुखार (Typhus fever) तथा सेरेब्रोस्पाइनल (Cerebrospinal), मेनिनजाइटिस (Meningitis), स्वाइन फ्लू (Swine Flu) और कोविड-19 (Covid-19) आदि लग जाने पर निरोधावकाश देय होता है। ऐसी स्थिति में कार्यालय में उपस्थित नहीं होने का आदेश दिया जाता है जिससे कार्य में अनुपस्थित रहने की अनुमति दी जाती है। यह अवकाश कार्यालयाध्यक्ष द्वारा स्वीकृत किया जा सकता है। इसके लिये चिकित्सा या लोक स्वास्थ्य अधिकारी का प्रमाण पत्र आवश्यक है। सामान्य परिस्थिति में 21 दिन व विशेष परिस्थिति में 30 दिन की अवधि से यह ज्यादा देय नहीं होगा। यदि स्पर्शावर्जन के लिये उक्त अवधि से अधिक अवकाश देना आवश्यक हो तो वह सामान्य अवकाश में गिना जायेगा। यदि जरूरी समझा जावे तो निरोधावकाश अन्य अवकाश की निरन्तरता में भी स्वीकृत किया जा सकता है। निरोधावकाश पर अनुपस्थित कर्मचारी के स्थान पर

कोई अन्य कर्मचारी नियुक्त नहीं किया जाना चाहिए। इस अवकाश में किसी राज्य कर्मचारी को काम में अनुपस्थित नहीं माना जाता और उसको वेतन भी देय होता है। यह अवकाश उस राज्य कर्मचारी को देय नहीं है जो स्वयं छुत के रोग से पीड़ित है। उसे अवकाश के नियमों के अनुसार अवकाश दिया जायेगा।

स्वाइन फ्लू (Swine Flu) और कोविड-19 (Covid-19) के संबंध में

वित्त विभाग के आदेश इस प्रकार हैं—

  1. वित्त विभाग के आदेश संख्या एफ0.1(1)वित्त/नियम/2012 दिनांक 15 अक्टूबर 2012 के अनुसार राज्य सरकार ने चिकित्सा विभाग की राय से स्वाइन फ्लू की संक्रामक रोग की श्रेणी में शामिल किया है कि सरकारी कर्मचारी को निरोधावकाश स्वीकृत प्रावधान के अनुसार निम्नलिखित शर्तों के अनुसार स्वीकृत किया जा सकता है—
    1. स्वाइन फ्लू रोग इन्फ्लुएन्जा-ए.एच.एन वायरस (Swine Flu disease Influenza-A H1N1 Virus) की पुष्टि सरकारी प्रयोगशाला या सरकार द्वारा अनुमोदित प्राईवेट प्रयोगशाला द्वारा की जावेगी।
    2. स्वाइन फ्लू के लिये निरोधावकाश की अधिकतम अवधि केवल 7 दिन की होगी।
  2. वित्त विभाग के आदेश क्रमांक एफ0.1(1)एफडी/रूल्स/2012 दिनांक 12 मई 2020 के अनुसार कोविड-19 नामक वैश्विक महामारी पर निरोधावकाश सरकारी कर्मचारी को निम्न शर्तों पर स्वीकृत किया जा सकता है—
    1. मौजूद प्रावधानों के अनुसार ऐसे सरकारी कर्मचारी को निरोधावकाश स्वीकृत किया जा सकता है जिसे कोविड-19 के कारण चिकित्सा प्राधिकारियों ने क्वारन्टाइन किया है।
क्र.स. परिस्थितियां स्पष्टीकरण
1. वे सरकारी कर्मचारी जो सरकार दारे की सामाजिक की तारीख से उनकी जांचिंग लोक परिवहन का साधन प्रकल्पित (deemed) मानी उपलब्ध नहीं होने के जावेगी यदि सरकारी कर्मचारी कारण मुख्यालय पर ने किसी भी रूप में लोक बैठठ में असमर्थ हैं। परिवहन/हवाई सेवाओं की अनुपलब्धता के कारण कार्यालय में बुप्यो ज्वाइन करने में कठिनाई व्यतीत की हो। सरकार दारे की सामाजिक की तारीख से उनकी जांचिंग प्रकल्पित (deemed) मानी जावेगी यदि सरकारी कर्मचारी ने किसी भी रूप में लोक परिवहन/हवाई सेवाओं की अनुपलब्धता के कारण कार्यालय में बुप्यो ज्वाइन करने में कठिनाई व्यतीत की हो।
2. वे सरकारी कर्मचारी छुट्टी की समाप्ति की तारीख जिनका दिनांक 20 मार्च जांचिंग प्रकल्पित (deemed) मानी 2020 से प्रभावी लॉक जावेगी यदि सरकारी कर्मचारी डाउन आदेश जारी होने ने लोक परिवहन/हवाई सेवाओं से पहले छुट्टी पर आधा की अनुपलब्धता के कारण लेकर मुख्यालय त्याग कार्यालय में जांचिंग करने की मुख्यालय की अनुपलब्धता के कारण कठिनाई से किसी भी प्रकार से अलग दिनांक 23 मार्च 2020, कराया है। दिनांक 23 मार्च 2020 को मुख्यालय पर जांचिंग प्रकल्पित (deemed) मानी जावेगी यदि सरकारी कर्मचारी ने लोक परिवहन/हवाई सेवाओं की अनुपलब्धता के कारण कार्यालय में जांचिंग करने की कठिनाई से किसी भी प्रकार से अलग कराया है।
3. सरकारी कर्मचारियों ने दिनांक 23 मार्च 2020 को दिनांक 20 मार्च 2020 मुख्यालय पर जांचिंग सरकारी अवकाश को प्रकल्पित (deemed) मानी लॉक डाउन से पूर्व जावेगी यदि सरकारी कर्मचारी सदाहरण पर आधा ने लोक परिवहन/हवाई सेवाओं लेकर मुख्यालय त्याग की अनुपलब्धता के कारण लेकर कार्यालय कार्यालय में जांचिंग करने की उनकी अनुपलब्धता के कठिनाई को किसी भी प्रकार से अलग कारण से किसी भी कराया है प्रकार से अलग कराया है यह दिनांक 23 मार्च 2020, सोमवार को मुख्यालय पर नहीं लौट पाये हैं। दिनांक 23 मार्च 2020 को मुख्यालय पर जांचिंग प्रकल्पित (deemed) मानी जावेगी यदि सरकारी कर्मचारी ने लोक परिवहन/हवाई सेवाओं की अनुपलब्धता के कारण कार्यालय में जांचिंग करने की कठिनाई से किसी भी प्रकार से अलग कराया है।
4. वे सरकारी कर्मचारी जो स्वीकृत छुट्टी की कल्प्ति पर दिनांक 25 मार्च 2020 सहमति तब तक नहीं दी जाने से प्रभावी लॉक डाउन जब तक कि कार्यालय की के आदेश जारी होने से आवश्यकता पर आधारित पूर्व छुट्टी पर थे तथा विशेष मामलों में केवल कार्यालय सहमति के अवकाश स्वीकृतकर्ता दौरान उनकी छुट्टी प्राधिकारी द्वारा अनुमति न दे समाप्त हो गयी हो, दी जावे। लॉक डाउन की लेकिन वे छुट्टी समाप्ति अवधि के दौरान अवकाश की की तारीख के बाद समाप्ति की तारीख के बाद कार्यालय की जांचिंग कार्यालय की जांचिंग प्रकल्पित (deemed) प्रकल्पित (deemed) मानी जावेगी। मानी जावेगी। स्वीकृत छुट्टी की कल्प्ति पर सहमति तब तक नहीं दी जाने जब तक कि कार्यालय की आवश्यकता पर आधारित विशेष मामलों में केवल अवकाश स्वीकृतकर्ता प्राधिकारी द्वारा अनुमति न दे दी जावे। लॉक डाउन की अवधि के दौरान अवकाश की समाप्ति की तारीख के बाद कार्यालय की जांचिंग प्रकल्पित (deemed) मानी जावेगी।
वित्त विभाग ने ज्ञापन क्रमांक एफ0.1(1)एफडी/रूल्स/2012 दिनांक 23 सितम्बर 2021 जारी कर कोविड-19 के लॉक डाउन

की दूसरी लहर के कारण दिनांक 25-4-2021 से 1-6-2021 के मध्य कार्मिकों की अनुपस्थिति को विनियमित करने का निर्णय लिया है जिसके तहत राज्य सरकार ने परिस्थितिनुसार स्पष्टीकरण जारी कर कार्मिकों की अनुपस्थिति को विनियमित किया है।

वैद्यिक सेवा के दौरान अवकाश

यदि राज्य कर्मचारी सक्षम प्राधिकारी के आदेशानन्तर्गत वैद्यिक सेवा में रहे तो वह राज्य कर्मचारी राजस्थान सेवा नियम के अध्याय 13 में दिये गये नियमों के पालन के लिये स्वयं व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी है। ऐसे में वह ऐसे अवकाश का उपयोग कर सकेगा जिसका वह अधिकारी है। अनियमिता के उठाया गया अवकाश वेतन उसे पुनः जमा कराना होगा। जमा नहीं करने पर सरकार के अधीन पूर्व सेवाकाल को जब्त किया जा सकेगा व इसका हक समाप्त हो जावेगा।

राजस्थान सेवा नियम, 1951 खण्ड II के परिशिष्ट II-A में अवकाश के लेखे का प्रपत्र दिया गया है जिसमें सरकारी कर्मचारी के अवकाश का विवरण रखा जायेगा। यह कर्मचारी की सेवा पुस्तिका का भाग रहेगा।

राजस्थान सेवा नियम के अन्तर्गत अवकाश के लिये आवेदन पत्र का प्ररूप परिशिष्ट XIX में दिया गया है जो नियमित अवकाश प्राप्त करने के लिये प्रयुक्त किया जाता है। आकस्मिक अवकाश नियमित अवकाश नहीं है अतः यह इस प्रपत्र पर नहीं भरा जा सकता। इसके लिये साथे कागज़ पर प्रार्थना करनी होगी।

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में डे-ऑफ संबंधी नियम

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य (ग्रुप-2) विभाग राजस्थान, जयपुर द्वारा डे-ऑफ संबंधी अब तक निम्न आदेश जारी किये गये हैं—
  • आदेश क्रमांक: प.16(35)चि0स्व0/2/89 दिनांक: 15-05-2000
  • आदेश क्रमांक: प.16(35)चि0स्व0/2/89 दिनांक: 26-2-2001
  • आदेश क्रमांक: प.16(35)चि0स्व0/2/81 दिनांक: 9-7-2004
  • आदेश क्रमांक: प.16(35)चि0स्व0/2/89 दिनांक: 30-3-2012
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य (ग्रुप-2) विभाग के आदेश क्रमांक: प.16(35)चि0स्व0/2/89 दिनांक: 15-05-2000 द्वारा राज्य के समस्त चिकित्सालयों में कार्यरत स्टाफ, नर्सिंग एवं पैरा मेडिकल के साप्ताहिक अवकाश (डे-ऑफ) एवं क्षतिपूर्ति अवकाश (कम्पेसेटरी लीव) के संबंध में आदेश जारी किये गये हैं। ये आदेश दिनांक 15 मई 2000 से लागू हैं।

डे-ऑफ के मुख्य नियम

  • पूरे वर्ष में आने वाले रविवार व राजपत्रित अवकाशों (द्वितीय शनिवार को छोड़कर) की गणना कर 12 से भाग देकर प्रत्येक माह में आने वाले रविवार व राजपत्रित अवकाशों का मासिक औसत निकाला जायेगा।
  • द्वितीय शनिवार को अवकाश में गणना नहीं की जावेगी।
  • वह स्टाफ जो आपडी में कार्यरत है तथा रविवार व अन्य राजपत्रित अवकाशों पर उपस्थित होता है, को प्रत्येक माह में कम संख्या। पर मिलाये गये मासिक अवकाशों से दो अवकाश कम कर दिये जावें।
  • किसी भी महीने का साप्ताहिक अवकाश (डे-ऑफ) का उपयोग उसी महीने में तथा क्षतिपूर्ति अवकाश का उपयोग उसी माह में किया जावेगा। इसे कैरी फारवर्ड नहीं किया जावेगा एवं लेप्स माना जावेगा।
  • प्रत्येक माह में दिये जाने वाले साप्ताहिक अवकाश/क्षतिपूर्ति अवकाश का कलेण्डर प्रभारी अधिकारी/नर्सिंग अधीक्षक द्वारा

महीना शुरू होने से पूर्व ही बनाकर कर्मचारी को नोट करा दिया जाना चाहिए।

  • यह कलेण्डर इस प्रकार बनाया जाये कि अस्पतालों की आवश्यक सेवाओं पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़े।
  • राज्य सरकार का निर्देश है कि राजपत्रित अवकाश एवं रविवार को अवकाश के दिन अपेक्षाकृत कम स्टाफ को आवश्यकतानुसार लगाया जावे, यथासम्भव दो से ज्यादा डे-ऑफ एक बार में नहीं किये जावें।
  • 26 फरवरी 2001 से इस नियम को बदल दिया गया है।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य (ग्रुप-2) विभाग के आदेश क्रमांक: प.16(35)चि0स्व0/2/89 दिनांक: 26-2-2001 के अनुसार राजस्थान सेवा नियमों में आकस्मिक अवकाश को अवकाश की श्रेणी में नहीं माना गया है। आकस्मिक अवकाश के दौरान कर्मचारी 'कर्त्तव्य वेतन' आहरित करता है।
  • आकस्मिक अवकाश के पूर्व अथवा बाद में अथवा मध्य में पड़ने वाले साप्ताहिक अवकाश, राजपत्रित अवकाश एवं ऐच्छिक अवकाशों का उपयोग आकस्मिक अवकाश के साथ करने पर कोई बाधक नहीं है।
  • चिकित्सा सेवाएं आवश्यक सेवाओं में आती हैं अतः डे-ऑफ आकस्मिक अवकाश के साथ किसी कर्मचारी द्वारा लिया जाता है तो विशेष परिस्थितियों को छोड़कर वह डे-ऑफ के साथ आकस्मिक अवकाश का उपयोग बिना पूर्व अनुमति के नहीं करेगा।

चिकित्सक और नर्सिंग स्टाफ के लिए विशेष नियम

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य (ग्रुप-2) विभाग के आदेश क्रमांक: प.16(35)चि0स्व0/2/81 दिनांक: 9-7-2004 में यह प्रावधान किया गया है कि
  • दो रविवार या दो राजपत्रित अवकाश या एक रविवार व एक राजपत्रित अवकाश में जुड़ोती करने वाली की एक डे-ऑफ देय होगा।
  • वे अपना डे-ऑफ आगामी सप्ताह में इस तरह से ले सकेंगे कि एक दिन में एक चिकित्सक और एक नर्सिंग स्टाफ से अधिक डे-ऑफ नहीं लेंगे।
  • लेकिन प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर डे-ऑफ इस प्रकार लिया जा सकेगा कि चिकित्सक और नर्सिंग स्टाफ एक ही दिन के डे-ऑफ नहीं लेंगे।
  • जिला अस्पतालों में डे-ऑफ इस प्रकार लिया जा सकेगी कि वहां की व्यवस्थाओं में कोई व्यवधान न हो।

डे-ऑफ के उपयोग की शर्तें

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य (ग्रुप-2) विभाग के आदेश क्रमांक: प.16(35)चि0स्व0/2/89 दिनांक: 30-3-2012 में यह प्रावधान किया गया है कि दो से ज्यादा डे-ऑफ एक बार में नहीं दिया जाने तथा डे-ऑफ को किसी अन्य अवकाश के साथ (आकस्मिक अवकाश को छोड़कर) प्रीफिक्स या सफिक्स नहीं किया जायेगा।
  • सामान्यतया चिकित्सक और नर्सिंग स्टाफ एक सप्ताह में एक डे-ऑफ लेंगे लेकिन एक सप्ताह में दो डे-ऑफ ज्यादा नहीं ले सकेंगे।
  • उपरोक्तानुसार डे-ऑफ एक माह में यदि नहीं लिये गये हो तो आगामी माह में नहीं लिया जा सकेगा।

यह आदेश निदेशालय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के आदेश क्रमांक 2357-2445 दिनांक 14-7-2004 द्वारा पुष्टाकित किये गये हैं।

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य (ग्रुप-2) विभाग के आदेश क्रमांक: प.16(35)चि0स्व0/2/89 दिनांक: 30-3-2012 में यह प्रावधान किया गया है कि दो से ज्यादा डे-ऑफ एक बार में नहीं दिया जाने तथा डे-ऑफ को किसी अन्य अवकाश के साथ (आकस्मिक अवकाश को छोड़कर) प्रीफिक्स या सफिक्स नहीं किया जायेगा।