राजस्थान सेवा नियम अध्याय 10 – अवकाश की सामान्य शर्तें
राजस्थान सेवा नियम - चिकित्सा अवकाश नियम
पूरा नाम | राजस्थान सेवा नियम, 1951 |
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नियम संख्या | 57-86 |
अध्याय | X और XI |
विषय | चिकित्सा अवकाश नियम |
लागू तिथि | 1951 |
संशोधन | 2010, 2012, 2017 |
प्राधिकरण | राजस्थान सरकार |
राजस्थान सेवा नियम - चिकित्सा अवकाश नियम राजस्थान राज्य के सरकारी कर्मचारियों के लिए चिकित्सा आधार पर अवकाश लेने की प्रक्रिया को नियंत्रित करते हैं। ये नियम राजस्थान सेवा नियम, 1951 के अध्याय X और XI में वर्णित हैं। इन नियमों का उद्देश्य राज्य कर्मचारियों को चिकित्सा कारणों से आवश्यक अवकाश प्रदान करना है तथा साथ ही सरकारी कार्यों में निरंतरता बनाए रखना है।
अनुक्रम
- 1 इतिहास
- 2 अवकाश की सामान्य शर्तें
- 3 राजपत्रित अधिकारियों के लिए चिकित्सा अवकाश
- 4 अराजपत्रित कर्मचारियों के लिए चिकित्सा अवकाश
- 5 विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों के नियम
- 6 चिकित्सा प्रमाण-पत्र प्रपत्र
- 7 अवकाश स्वीकृति प्रक्रिया
- 8 विशेष प्रावधान
- 9 यह भी देखें
- 10 संदर्भ
- 11 बाहरी कड़ियाँ
इतिहास[संपादित करें]
राजस्थान सेवा नियम का मूल संस्करण 1951 में लागू किया गया था। चिकित्सा अवकाश संबंधी नियमों में समय-समय पर महत्वपूर्ण संशोधन किए गए हैं। प्रमुख संशोधन 1994, 1998, 2010, 2012 और 2017 में हुए हैं। वित्त विभाग की अधिसूचना क्रमांक एफ. 1(5) विवि (नियम)/2008 दिनांक 7 सितंबर 2010 द्वारा चिकित्सा प्रमाण-पत्र के प्रपत्र को संशोधित किया गया।
अवकाश की सामान्य शर्तें[संपादित करें]
राजस्थान सेवा नियम के अध्याय X में अवकाश की सामान्य शर्तें निर्धारित की गई हैं जो सभी प्रकार के अवकाशों पर लागू होती हैं।
अवकाश अर्जन के सिद्धांत
नियम 57 के अनुसार अवकाश केवल कर्तव्य संपादन के कारण ही अर्जित किये जा सकते हैं। सेवा में व्यतीत अवधि भी अवकाशों की गणना में शामिल होती है। वैदेशिक सेवा में अंशदान दिये जाने पर व्यतीत अवधि को कर्तव्य अवधि में गिना जाता है।
अवकाश का अधिकार
नियम 59 स्पष्ट करता है कि कर्मचारी अवकाश को अधिकार के रूप में नहीं मांग सकता। अवकाश स्वीकृतकर्ता प्राधिकारी के पास निम्नलिखित विवेकाधिकार हैं:
- जनहित में आवेदित अवकाश को अस्वीकार करना
- कम समय का अवकाश स्वीकार करना
- स्वीकृत अवकाश को किसी भी समय निरस्त या खंडित करना
राजपत्रित अधिकारियों के लिए चिकित्सा अवकाश[संपादित करें]
नियम 70-75 राजपत्रित अधिकारियों के लिए चिकित्सा अवकाश के नियम निर्धारित करते हैं।
चिकित्सा प्रमाण-पत्र आवश्यकता
राजपत्रित अधिकारियों को चिकित्सा आधार पर अवकाश स्वीकृत करने से पहले वित्त विभाग द्वारा निर्धारित प्रपत्र में चिकित्सा प्रमाण-पत्र आवश्यक है।
अवकाश की अवधि | सक्षम चिकित्सा अधिकारी |
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अधिकतम 15 दिन | किसी भी ग्रेड के सरकारी चिकित्सा अधिकारी |
15 से 30 दिन तक | वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी/कनिष्ठ विशेषज्ञ सहायक प्रोफेसर या उससे ऊपर |
30 से 45 दिन तक | वरिष्ठ विशेषज्ञ/प्रमुख चिकित्सा अधिकारी/एसोसिएट प्रोफेसर/प्रोफेसर |
45 दिन से अधिक | केवल मेडिकल बोर्ड |
संदिग्ध मामलों में प्रक्रिया
नियम 73 के अनुसार चिकित्सा प्रमाण-पत्र को स्वीकृत या अस्वीकृत करने से पूर्व समिति संदिग्ध मामले में 14 दिन तक आवेदक को चिकित्सालय परीक्षण में रख सकती है।
अराजपत्रित कर्मचारियों के लिए चिकित्सा अवकाश[संपादित करें]
नियम 76-86 अराजपत्रित कर्मचारियों के लिए चिकित्सा अवकाश के नियम निर्धारित करते हैं।
प्राधिकृत चिकित्सक का प्रमाण-पत्र
नियम 76(1)(क) के अनुसार अराजपत्रित कर्मचारी को चिकित्सा आधार पर अवकाश प्राधिकृत चिकित्सक के प्रमाण-पत्र पर दिया जा सकता है। प्रमाण-पत्र में रोग की प्रकृति और बीमारी की संभावित अवधि अंकित होनी चाहिए।
पंजीकृत चिकित्सा व्यवसायी
नियम 76(1)(ख) के अनुसार जहां कोई प्राधिकृत चिकित्सक उपलब्ध नहीं हो तो पंजीकृत चिकित्सा व्यवसायी के प्रमाण-पत्र पर अवकाश दिया जा सकता है। 2010 के संशोधन के अनुसार इसमें एलोपैथी, आयुर्वेद और यूनानी प्रैक्टिशनर शामिल हैं।
चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी
नियम 77 के अनुसार चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के संबंध में अवकाश स्वीकृतकर्ता प्राधिकारी किसी भी प्रकार के उपयुक्त प्रमाण-पत्र को स्वीकार कर सकता है।
विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों के नियम[संपादित करें]
आयुर्वेद चिकित्सा
आयुर्वेद निदान, राजस्थान के आदेश क्रमांक प.25(35)आयु/95 दिनांक 15 जून 1996 द्वारा आयुर्वेद चिकित्सकों के लिए विशेष नियम निर्धारित हैं।
अवधि | सक्षम अधिकारी |
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15 दिन तक | आयुर्वेद चिकित्सक |
15-22 दिन | वैयक्तिक चिकित्सक |
29-45 दिन | "या" श्रेणी के वरिष्ठ चिकित्सक/जिला आयुर्वेद अधिकारी |
45 दिन से अधिक | स्वास्थ्य परीक्षण समिति (आयुर्वेद) |
होम्योपैथिक चिकित्सा
राज्य सरकार के आदेश क्रमांक प.1(12)एफडी(ग्रुप-2)/200 दिनांक 16 अक्टूबर 1980 के अनुसार होम्योपैथिक चिकित्सक 15 दिन तक के लिए चिकित्सा प्रमाण-पत्र देने के लिए सक्षम हैं।
चिकित्सा प्रमाण-पत्र प्रपत्र[संपादित करें]
वित्त विभाग की अधिसूचना द्वारा दो मुख्य प्रपत्र निर्धारित किए गए हैं:
परिशिष्ट-1 (राजपत्रित अधिकारी)
राजपत्रित अधिकारियों के लिए विस्तृत चिकित्सा प्रमाण-पत्र जिसमें निम्नलिखित विवरण शामिल हैं:
- व्यक्तिगत जानकारी (आयु, पदनाम, कुल सेवा)
- पूर्व चिकित्सा अवकाश का रिकॉर्ड
- व्यक्तिगत आदतों का विवरण
- रोग की प्रकृति
- मेडिकल बोर्ड की आवश्यकता संबंधी राय
परिशिष्ट-2 (अराजपत्रित कर्मचारी)
अराजपत्रित कर्मचारियों के लिए संक्षिप्त प्रपत्र जिसमें मुख्यतः रोग का विवरण और आवश्यक अवकाश की अवधि का उल्लेख होता है।
अवकाश स्वीकृति प्रक्रिया[संपादित करें]
प्राथमिकता निर्धारण
नियम 80 के अनुसार जब एक से अधिक कर्मचारी अवकाश की मांग करें तो निम्नलिखित बिंदुओं पर विचार किया जाना चाहिए:
- राज्य कार्य की सुविधा
- अवशेष अवकाशों की संख्या
- गत अवकाश से लौटने के बाद की सेवा अवधि
- पूर्व में अवकाश अस्वीकृति का इतिहास
संदिग्ध मामलों में अवकाश
नियम 83 के अनुसार जहां चिकित्सा अधिकारी ने कर्मचारी के सेवा पर न लौटने की संभावना व्यक्त की हो:
- अनिश्चित स्थिति में अधिकतम 12 माह का अवकाश
- स्थायी अयोग्यता में 6 माह से अधिक का अवकाश नहीं
विशेष प्रावधान[संपादित करें]
अवकाश समाप्ति के बाद अनुपस्थिति
नियम 86 के 2017 संशोधन के अनुसार निम्नलिखित स्थितियों में पदत्याग माना जाएगा:
स्थिति | अवधि | परिणाम |
---|---|---|
स्वीकृत अवकाश समाप्ति के बाद अनुपस्थिति | 1 वर्ष से अधिक | पदत्याग माना जाएगा |
लगातार कर्तव्य से अनुपस्थिति | 5 वर्ष से अधिक | पदत्याग माना जाएगा |
वैदेशिक सेवा में निर्धारित अवधि से अधिक रहना | अनुमोदित अवधि से अधिक | पदत्याग माना जाएगा |
विदेश यात्रा नियम
2012 के आदेश के अनुसार निजी विदेश यात्रा के लिए अवकाश आवेदन यात्रा तिथि से न्यूनतम 3 सप्ताह पूर्व प्रस्तुत करना आवश्यक है।
स्वस्थता प्रमाण-पत्र
चिकित्सा अवकाश के बाद सेवा में वापसी के लिए निर्धारित प्रपत्र में स्वस्थता का प्रमाण-पत्र आवश्यक है।
यह भी देखें[संपादित करें]
- राजस्थान सेवा नियम
- भारत में सरकारी सेवा नियम
- कर्मचारी अवकाश नीति
- चिकित्सा प्रमाण-पत्र
- राजस्थान सरकार
संदर्भ[संपादित करें]
- राजस्थान सेवा नियम, 1951। नियम 57-86। राजस्थान सरकार।
- वित्त विभाग, राजस्थान सरकार (2010)। "अधिसूचना क्रमांक एफ. 1(5) विवि (नियम)/2008"। दिनांक 7 सितंबर 2010।
- चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग (1994)। "आदेश क्रमांक प.16(25)एफ.ई/ग्रुप-1/94"। दिनांक 28 जून 1994।
- वित्त विभाग, राजस्थान सरकार (2017)। "अधिसूचना क्रमांक एफ.1 (4) एफडी/रूल्स/2006"। दिनांक 12 जनवरी 2017।
- आयुर्वेद निदान, राजस्थान (1996)। "आदेश क्रमांक प.25(35)आयु/95"। दिनांक 15 जून 1996।
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
श्रेणियां: राजस्थान सेवा नियम | चिकित्सा अवकाश | सरकारी अवकाश नीति | भारत में सरकारी सेवा | 1951 में स्थापित नियम | राजस्थान सरकार
राजस्थान सेवा नियम - अवकाश की सामान्य शर्तें
मूल नियम | राजस्थान सेवा नियम, 1951 |
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खंड | भाग IV |
अध्याय | X और XI |
नियम संख्या | 57-126 |
विषय | अवकाश की सामान्य शर्तें |
अनुभाग | 11 अनुभाग |
प्राधिकरण | राजस्थान सरकार |
राजस्थान सेवा नियम अध्याय 10 - अवकाश की सामान्य शर्तें राजस्थान राज्य के सरकारी कर्मचारियों के लिए अवकाश संबंधी नियमों और शर्तों को परिभाषित करता है। यह नियम राजस्थान सेवा नियम, 1951 के खंड I भाग IV के अध्याय X और XI में वर्णित हैं।
अनुक्रम
- 1 संरचना और अनुभाग
- 2 अवकाश की सामान्य शर्तें (नियम 57-78)
- 2.1 कर्तव्य संपादन पर अवकाशों का अर्जन
- 2.2 पुनर्नियोजन और सेवा बहाली
- 2.3 अवकाश अधिकार और स्वीकृति
- 3 अवकाश प्रक्रिया और प्रक्रिया
- 4 चिकित्सा आधारित अवकाश
- 5 संदर्भ
संरचना और अनुभाग[संपादित करें]
राजस्थान सेवा नियम, 1951 में अवकाश संबंधी प्रावधान दो मुख्य अध्यायों में विभाजित हैं:
अध्याय X - अवकाश की सामान्य शर्तें
अनुभाग | विषय | नियम संख्या |
---|---|---|
अनुभाग I | अवकाश की सामान्य शर्तें | 57-78 |
अनुभाग II | अवकाशों की स्वीकृति | 80-86 |
अध्याय XI - अवकाश के प्रकार
अनुभाग | विषय | नियम संख्या |
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अनुभाग I | सामान्य नियम | 87-89 |
अनुभाग II | उपार्जित अवकाश | 91-97 |
अनुभाग III | विशेष असर्थता अवकाश | 99-102 |
अनुभाग IV | प्रसूति अवकाश | 103-104 |
अनुभाग V | अस्पताल अवकाश | 105-108 |
अनुभाग VI | अध्ययन अवकाश | 108-121A |
अनुभाग VII | परीक्षाधीन एवं शिक्षार्थियों को अवकाश | 122-123 |
अनुभाग VIII | अंशकालीन सेवारत कर्मचारियों का अवकाश अर्जन | 124-125 |
अनुभाग IX | मानदेय अथवा दैनिक पारिश्रमिक सेवा द्वारा अर्जित अवकाश | 126 |
अवकाश की सामान्य शर्तें (नियम 57-78)[संपादित करें]
कर्तव्य संपादन पर अवकाशों का अर्जन
मुख्य सिद्धांत: अवकाश केवल कर्तव्य संपादन (By duty) के कारण ही अर्जित किये जा सकते हैं।
- सेवा में व्यतीत अवधि भी अवकाशों की गणना में शामिल होगी
- वैदेशिक सेवा में अंशदान दिये जाने पर व्यतीत अवधि को कर्तव्य अवधि में गिना जाएगा
जब एक राज्य कर्मचारी किसी ऐसी राजकीय सेवा या पद पर स्थानांतरित होता है जिस पर राजस्थान सेवा नियम प्रभावशील नहीं हैं, तो:
पुनर्नियोजन और सेवा बहाली
जब एक कर्मचारी जो क्षतिपूरक (Compensation) अथवा अयोग्यता पेंशन/ग्रेच्यूटी पर राज्य सेवा छोड़ता है और बाद में पुनः नियुक्त होता है:
- क्षतिपूरक/अयोग्यता पेंशन/ग्रेच्यूटी की राशि वापस राजकोष में जमा करना
- स्वीकृत पेंशन पूर्णतया स्थगित करना
- पूर्व सेवाएं अंतिम सेवानिवृत्ति पर पेंशन योग्य होना
राज्य सेवा से निष्कासित अथवा बर्खास्त कर्मचारी, यदि अपील अथवा पुनरावलोकन के कारण सेवा में पुनः नियुक्त हो जाए तो वह अपनी पूर्व सेवाओं को अवकाश के लिये शामिल कराने का अधिकारी होगा।
अवकाश अधिकार और स्वीकृति
मुख्य सिद्धांत: कर्मचारी अवकाश को अधिकार के रूप में नहीं मांग सकता।
- जनहित में आवेदित अवकाश को अस्वीकार करना
- कम समय का अवकाश स्वीकार करना
- स्वीकृत अवकाश को किसी भी समय निरस्त/खंडित करना
- आवेदित एवं देय अवकाश की प्रकृति (Nature) परिवर्तित करने का अधिकार नहीं
- कर्मचारी के विकल्प (उपार्जित/अर्द्ध-वेतन अवकाश) में हस्तक्षेप का अधिकार नहीं
अवकाश प्रक्रिया और प्रक्रिया[संपादित करें]
प्रारंभ: अवकाश उस दिन से प्रारंभ होता है जिस दिन कर्मचारी अपने पद का कार्यभार दूसरे को सौंप देता है।
समाप्ति: जब वह किसी पद का कार्यभार ग्रहण कर लेता है।
- जहाज से: भारत के निर्धारित बंदरगाह पर आने का दिन अवकाश का अंतिम दिन
- वायुयान से: देश के नियमित हवाई अड्डे पर आने का दिन अवकाश का अंतिम दिन
अवकाश पर प्रस्थान करने वाले प्रत्येक राज्य कर्मचारी को अपने अवकाश आवेदन पत्र में डाक का पता अंकित करना चाहिए जिस पर अवकाश-काल में पत्र प्राप्त हो सके।
नियम 61 - अवकाश से पूर्व/बाद सार्वजनिक अवकाश
कर्मचारी सार्वजनिक अवकाशों के प्रारंभ से पूर्व के दिन (मध्याह्न पश्चात्) कार्यालय छोड़ सकता है, बशर्ते:
- कार्यभार में इंप्रेस्ट राशि एवं प्रतिभूतियों की जिम्मेदारी शामिल न हो
- किसी अन्य कर्मचारी को एवज में नहीं बुलाना पड़े
- वापसी पर अस्थायी व्यवस्था में बाधा न आए
नियम 63 - वेतन व भत्तों पर प्रभाव
- Prefixed सार्वजनिक अवकाश: अवकाश वेतन व्यवस्था सार्वजनिक अवकाश के बाद से लागू
- Affixed सार्वजनिक अवकाश: वेतन व्यवस्था अवकाश समाप्ति तक लागू
- व्यवसाय की स्थापना
- चार्टर्ड अकाउंटेंट/सलाहकार का कार्य
- कानूनी तथा चिकित्सा संबंधी सलाह/परामर्श
चिकित्सा आधारित अवकाश[संपादित करें]
राजपत्रित अधिकारियों को चिकित्सा आधार पर अवकाश स्वीकृत करने से पहले वित्त विभाग द्वारा निर्धारित प्रपत्र में चिकित्सा प्रमाण-पत्र आवश्यक है।
चिकित्सा प्रमाण-पत्र को स्वीकृत या अस्वीकृत करने से पूर्व समिति संदिग्ध मामले में 14 दिन तक आवेदक को चिकित्सालय परीक्षण में रख सकती है।
अवधि | आवश्यक प्रमाण-पत्र | प्राधिकारी |
---|---|---|
60 दिन तक | प्राधिकृत चिकित्सक का प्रमाण-पत्र | सक्षम प्राधिकारी |
60 दिन से अधिक | मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी या उससे उच्च स्तर के चिकित्सा अधिकारी का प्रमाण-पत्र | सक्षम प्राधिकारी |
राजकीय अस्पताल में भर्ती | संबंधित विभाग/इकाई के प्रभारी चिकित्सक का प्रमाण-पत्र | सक्षम प्राधिकारी |
संदर्भ[संपादित करें]
- राजस्थान सेवा नियम, 1951। खंड I भाग IV अध्याय X और XI। राजस्थान सरकार।
- वित्त विभाग, राजस्थान सरकार (2010)। "अधिसूचना क्रमांक एफ. 1(5) विवि (नियम)/2008"। दिनांक 7 सितंबर 2010।
- वित्त विभाग, राजस्थान सरकार (1990)। "अधिसूचना क्रमांक एफ. 1(40) विवि (ग्रुप-2)/82"। दिनांक 15 सितंबर 1990।
- "राजस्थान सेवा नियम - अवकाश प्रावधान व्याख्या"। कार्मिक विभाग, राजस्थान सरकार।
श्रेणियां: राजस्थान सेवा नियम | सरकारी अवकाश नीति | भारत में सरकारी सेवा | 1951 में स्थापित नियम
राजस्थान सेवा नियम में चिकित्सा प्रमाण-पत्र नियम
मूल नियम | राजस्थान सेवा नियम, 1951 |
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संबंधित नियम | नियम 70-76 |
प्रमुख संशोधन | 1994, 1998, 2010, 2012 |
विभाग | चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग |
चिकित्सा पद्धति | एलोपैथी, आयुर्वेद, होम्योपैथी |
प्राधिकरण | राजस्थान सरकार |
राजस्थान सेवा नियम में चिकित्सा प्रमाण-पत्र नियम राजस्थान राज्य के सरकारी कर्मचारियों के लिए चिकित्सा आधार पर अवकाश लेने की प्रक्रिया को नियंत्रित करते हैं। ये नियम राजस्थान सेवा नियम, 1951 के नियम 70-76 के अंतर्गत निर्धारित हैं और विभिन्न अधिसूचनाओं के माध्यम से समय-समय पर संशोधित किए गए हैं।
अनुक्रम
- 1 सामान्य सिद्धांत
- 2 अवधि के आधार पर चिकित्सा अधिकारी का स्तर
- 3 चिकित्सा परामर्शदाता की व्यवस्था
- 4 आयुर्वेद विभाग के नियम
- 5 होम्योपैथिक चिकित्सा नियम
- 6 महत्वपूर्ण प्रावधान
- 7 संदर्भ
सामान्य सिद्धांत[संपादित करें]
राजस्थान सेवा नियम के अनुसार सरकारी कर्मचारी को बिना चिकित्सा प्रमाण-पत्र के किसी प्रकार का चिकित्सा अवकाश नहीं दिया जा सकता। यह नियम सभी राज्य कर्मचारियों (प्रसूति चिकित्सा अधिकारी) के कार्य पर लागू होता है।
अवधि के आधार पर चिकित्सा अधिकारी का स्तर[संपादित करें]
वित्त विभाग के परिपत्र क्रमांक प.1(5)विवि(नियम)/2008 दिनांक 7 सितंबर 2010 द्वारा राजस्थान सेवा नियम के नियम 74 में निम्नलिखित प्रावधान किए गए हैं:
क्र. सं. | अवकाश की अवधि | सक्षम चिकित्सा अधिकारी का स्तर |
---|---|---|
1. | अधिकतम 15 दिन | किसी भी ग्रेड के सरकारी चिकित्सा अधिकारी |
2. | 15 दिन से अधिक किन्तु 30 दिन तक | वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी/कनिष्ठ विशेषज्ञ सहायक प्रोफेसर या इससे ऊपर के अधिकारी। इसमें मूल अवधि भी सम्मिलित होगी। |
3. | 30 दिन से अधिक किन्तु 45 दिन तक | वरिष्ठ विशेषज्ञ/प्रमुख चिकित्सा अधिकारी/एसोसिएट प्रोफेसर/प्रोफेसर एवं क्रमांक 2 में वर्णित अधिकारी यदि संबंधित मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी/प्रमुख चिकित्सा अधिकारी द्वारा प्रमाणित हो। इसमें मूल अवधि भी सम्मिलित होगी। |
4. | 45 दिन से अधिक अवधि हेतु | केवल मेडिकल बोर्ड। इसमें मूल अवधि भी सम्मिलित होगी। |
चिकित्सा परामर्शदाता की व्यवस्था[संपादित करें]
शासन उप सचिव, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य (ग्रुप-1) विभाग, राजस्थान द्वारा जारी आदेश प.16(25)एफ.ई/ग्रुप-1/94 दिनांक 17 मई 2012 के अनुसार राज्य सरकार द्वारा अनुमोदित किसी चिकित्सालय के चिकित्सक निदानकर्ता चिकित्सा प्रमाण पत्र जारी करने के लिए निम्नलिखित चिकित्सा अधिकारी अधिकृत किये गये हैं:
क्र. सं. | अवकाश की अवधि | सक्षम चिकित्सा अधिकारी |
---|---|---|
1. | अधिकतम 15 दिन चिकित्सा परामर्शदाता के लिए | चिकित्सा परामर्शदाता (Medical Consultant) |
2. | 15 दिन से अधिक की अवधि के लिए किन्तु 30 दिन तक | वरिष्ठ चिकित्सा परामर्शदाता (Senior Consultant) एवं उससे ऊपर के अधिकारी। इसमें मूल अवधि शामिल होगी। |
3. | 30 दिन से अधिक किन्तु 45 दिन तक | वरिष्ठ विषय विशेषज्ञ (Senior Faculty Consultant) जो वरिष्ठ विशेषज्ञ/प्रमुख चिकित्सा अधिकारी/एसोसिएट प्रोफेसर/प्रोफेसर के समान हो एवं क्रमांक 2 में वर्णित अधिकारी यदि संबंधित अस्पताल अधीक्षक एवं संयुक्त अधिकारी से प्रमाणित हो। इसमें मूल अवधि भी सम्मिलित होगी। |
4. | 45 दिन से अधिक अवधि हेतु | मेडिकल बोर्ड। इसमें मूल अवधि भी सम्मिलित होगी। |
आयुर्वेद विभाग के नियम[संपादित करें]
आयुर्वेद निदान, राजस्थान जयपुर के आदेश क्रमांक प.25(35)आयु/95 दिनांक 15 जून 1996 द्वारा जारी आदेशों के अनुसार आयुर्वेद चिकित्सकों के लिए निम्नलिखित सक्षम चिकित्सा अधिकारी निर्धारित हैं:
क्र. सं. | अवकाश की अवधि | सक्षम चिकित्सा अधिकारी |
---|---|---|
1. | 15 दिन के लिए | आयुर्वेद चिकित्सक |
2. | 15 दिन के बाद 7 दिन की अवधि के लिए | वैयक्तिक चिकित्सक |
3. | 29 दिन से 45 दिन तक | "या" श्रेणी के वरिष्ठ चिकित्सक/जिला आयुर्वेद अधिकारी सहायक निदेशक/संयुक्त अधिकारी एवं अन्य उपकार्मिकारी |
4. | 45 दिन से अधिक अवधि हेतु | स्वास्थ्य परीक्षण समिति (आयुर्वेद) स्वास्थ्य परीक्षण समिति में निम्न सदस्य होते हैं: (1) जिला आयुर्वेद अधिकारी/सहायक निदेशक/प्रभारी (2) सक्षम जिले में स्थित "या" श्रेणी चिकित्सालय के वरिष्ठ चिकित्सक-सचिवक (3) दो चिकित्सक (आयुष की सहमती से) आपातकाल होने की स्थिति में चिकित्सक सदस्य। |
5. | अन्तरम रोगी के सदस्य में 30 दिन से अधिक | आयुर्वेद "या" श्रेणी चिकित्सालय के प्रभारी के प्रति हस्ताक्षर की आवश्यकता होगी। |
6. | 60 वर्ष के बाहर के मामले में | सक्षम चिकित्सालय संस्थान के चिकित्सक का प्रमाण पत्र मान्य होगा। |
होम्योपैथिक चिकित्सा नियम[संपादित करें]
राज्य सरकार के आदेश क्रमांक प.1(12)एफडी(ग्रुप-2)/200 दिनांक 16 अक्टूबर 1980 के अनुसार होम्योपैथिक चिकित्सक 15 दिन के लिए चिकित्सा प्रमाण-पत्र देने के लिए सक्षम चिकित्सा अधिकारी हैं। उनका बीमारी हेतु दिया गया स्वास्थ्यलक्षण पत्र और मूल अनुपम चिकित्सक द्वारा जारी रोगप्रदर्शना होने के प्रमाण-पत्र के आधार पर राज्य कर्मचारी की 15 दिन तक का अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है।
महत्वपूर्ण प्रावधान[संपादित करें]
चिकित्सा प्रमाण-पत्र अवकाश का अधिकार नहीं देता
नियम 75 में यह प्रावधान किया गया है कि नियम 74 के तहत प्रमाण पत्र प्राप्त करने से संबंधित अधिकारी को किसी अवकाश का अधिकार स्वरूप नहीं मिलता। यह स्पष्ट किया गया है कि उसे चाहिए कि वह ऐसा प्रमाण पत्र सक्षम प्राधिकारियों को प्रस्तुत कर उनकी आवेदन की जांच कराए।
संदर्भ[संपादित करें]
- राजस्थान सेवा नियम, 1951। नियम 70-76। राजस्थान सरकार।
- शासन उप सचिव, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग (1994)। "आदेश क्रमांक प.16(25)एफ.ई/ग्रुप-1/94"। दिनांक 28 जून 1994।
- वित्त विभाग, राजस्थान सरकार (2010)। "अधिसूचना क्रमांक प.1(5) विवि (नियम)/2008"। दिनांक 7 सितंबर 2010।
- चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग (2012)। "आदेश क्रमांक प.16(25)एफ.ई/ग्रुप-1/94"। दिनांक 17 मई 2012।
- आयुर्वेद निदान, राजस्थान (1996)। "आदेश क्रमांक प.25(35)आयु/95"। दिनांक 15 जून 1996।
- राज्य सरकार (1980)। "आदेश क्रमांक प.1(12)एफडी(ग्रुप-2)/200"। दिनांक 16 अक्टूबर 1980।
श्रेणियां: राजस्थान सेवा नियम | चिकित्सा प्रमाण-पत्र | सरकारी अवकाश नीति | स्वास्थ्य सेवा नियम | 1951 के नियम
राजस्थान सेवा नियम - अराजपत्रित कर्मचारी चिकित्सा अवकाश नियम
मूल नियम | राजस्थान सेवा नियम, 1951 |
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संबंधित नियम | नियम 76-86 |
कर्मचारी श्रेणी | अराजपत्रित, चतुर्थ श्रेणी |
प्रमुख संशोधन | 2010, 2012, 2017 |
विभाग | चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग |
अधिकतम अवकाश | 3 वर्ष (लगातार) |
प्राधिकरण | राजस्थान सरकार |
राजस्थान सेवा नियम में अराजपत्रित कर्मचारी चिकित्सा अवकाश नियम राजस्थान राज्य के अराजपत्रित और चतुर्थ श्रेणी के सरकारी कर्मचारियों के लिए चिकित्सा आधार पर अवकाश लेने की प्रक्रिया को नियंत्रित करते हैं। ये नियम राजस्थान सेवा नियम, 1951 के नियम 76-86 के अंतर्गत निर्धारित हैं।
अनुक्रम
- 1 अराजपत्रित कर्मचारियों के चिकित्सा अवकाश नियम
- 1.1 प्राधिकृत चिकित्सक का प्रमाण-पत्र
- 1.2 पंजीकृत चिकित्सा व्यवसायी
- 1.3 द्वितीय चिकित्सक सम्मति
- 2 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के विशेष नियम
- 3 अवकाशों की स्वीकृति (नियम 80-86)
- 3.1 अवकाश स्वीकृति में प्राथमिकताएं
- 3.2 संदिग्ध मामलों में अवकाश
- 3.3 अवकाश समाप्ति के बाद अनुपस्थिति
- 4 विदेश यात्रा संबंधी नियम
- 5 संदर्भ
अराजपत्रित कर्मचारियों के चिकित्सा अवकाश नियम[संपादित करें]
नियम 76 में अराजपत्रित अधिकारियों को चिकित्सा आधार पर अवकाश निम्न प्रक्रिया के अनुसार स्वीकृत किये जाने का प्रावधान है:
प्राधिकृत चिकित्सक का प्रमाण-पत्र
सक्षम प्राधिकारी द्वारा अराजपत्रित कर्मचारी को चिकित्सा आधार पर अवकाश प्राधिकृत चिकित्सक के प्रमाण-पत्र पर दिया जा सकता है जिसमें रोग की प्रकृति और बीमारी की संभावित अवधि अंकित होनी चाहिए। यह प्रमाण पत्र अवकाश आवेदन पत्र के साथ संलग्न होना चाहिए।
पंजीकृत चिकित्सा व्यवसायी
जहां एक कर्मचारी बीमार पड़ता है, यदि वहां कोई प्राधिकृत चिकित्सक या राजकीय डिस्पेंसरी, औषधालय, दवाखाने में चिकित्सक नहीं हो तो उस स्थान पर स्थित एक पंजीकृत चिकित्सा व्यवसायी (Registered Medical Practitioner) के प्रमाण-पत्र पर अवकाश दिया जा सकता है किंतु ऐसे प्रमाण-पत्र में व्यवसायी का पंजीयन क्रमांक अवश्य अंकित होना चाहिए।
द्वितीय चिकित्सक सम्मति
सक्षम प्राधिकारी अपने स्वविवेक पर एक कर्मचारी के बारे में दूसरी चिकित्सक सम्मति प्राप्त कर सकता है जिसके लिए ऐसे कर्मचारी द्वारा प्रथम चिकित्सा प्रमाण-पत्र प्रस्तुत किये जाने के तुरंत बाद उस कर्मचारी को उस स्थान के राजकीय चिकित्सा अधिकारी जो प्रमुख चिकित्सा अधिकारी से नीचे का नहीं हो, के पास परीक्षण हेतु भिजवाना चाहिए।
राजकीय चिकित्सा अधिकारी का यह दायित्व है कि वह आवेदक की बीमारी और उसके उपचार हेतु की गयी अभिशंसा की आवश्यकता के संबंध में अपनी सम्मति प्रकट करे व अवकाश की प्रार्थना करने वाले को अपने सम्मुख या उसके मनोनीत किसी चिकित्सा अधिकारी के सम्मुख उपस्थित होने के लिए कह सकता है।
किसी प्राधिकृत चिकित्सक से चिकित्सा प्रमाण-पत्र प्राप्त कर लेने से किसी अधिकारी अथवा कर्मचारी को अवकाश स्वीकृत किये जाने का कोई अधिकार प्राप्त नहीं होता।
चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के विशेष नियम[संपादित करें]
चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के संबंध में चिकित्सा प्रमाण-पत्र के आधार पर अथवा उसकी वृद्धि के आवेदन के साथ अवकाश स्वीकृतकर्ता प्राधिकारी, जैसा भी उचित समझे, किसी भी प्रकार के प्रमाण-पत्र को स्वीकार कर सकता है।
संदिग्ध मामलों में निषेध
किसी ऐसे मामले में जहां यह ज्ञात हो/आभास हो कि अवकाश के उपभोग के पश्चात् कर्मचारी के सेवा पर पुनः उपस्थित होने की आशा नहीं है तो चिकित्सा अधिकारी को अवकाश की सिफारिश नहीं करनी चाहिए। ऐसे मामले में चिकित्सा प्रमाण-पत्र में केवल यही अंकित किया जाना चाहिए कि कर्मचारी राज्य सेवा के लिए स्थायी रूप से अयोग्य है।
चिकित्सा प्राधिकारी द्वारा किसी कर्मचारी को अवकाश की सिफारिश के साथ दिये गये प्रत्येक प्रमाण-पत्र में यह प्रावधान किया जाना चाहिए कि इस प्रमाण पत्र में अंकित सिफारिश किसी कर्मचारी के लिए ऐसे अवकाशों को अधिकार रूप से मांगने की साक्षी नहीं होगी जो उस कर्मचारी को उस प्रभावी नियमों/शर्तों के अंतर्गत देय नहीं हो।
अवकाशों की स्वीकृति (नियम 80-86)[संपादित करें]
अवकाश स्वीकृति में प्राथमिकताएं
सार्वजनिक हित को ध्यान में रखते हुए अवकाश स्वीकृतकर्ता प्राधिकारी को निम्नांकित मार्गदर्शक बिंदुओं पर विचार करना चाहिए जब एक से अधिक कर्मचारी अवकाशों की एक साथ मांग करें:
- (क) किस कर्मचारी को राज्य कार्य की सुविधा के अनुसार अवकाश के लिए कार्यमुक्त किया जा सकता है
- (ख) आवेदक कर्मचारियों के खातों में अवशेष अवकाशों की संख्या
- (ग) गत अवकाश से लौटने के बाद प्रत्येक आवेदक द्वारा दी गई सेवा की अवधि/प्रकृति
- (घ) उनमें से क्या किसी कर्मचारी को पूर्व में स्वीकृत अवकाश अवधि में पूर्व ही सेवा पर वापिस बुलाया गया
- (ङ) पूर्व में उनमें से किसी कर्मचारी को जनहित की दृष्टि से अवकाश अस्वीकृत तो नहीं किया गया
निष्कासन के मामले में निषेध
एक ऐसे कर्मचारी को अवकाश स्वीकृत नहीं किया जाना चाहिए जो दुर्व्यवहार अथवा सामान्य अयोग्यता के आधार पर राज्य सेवा से शीघ्र निष्कासित किये जाने वाला हो अथवा निष्कासित किया जाने वाला हो।
संदिग्ध मामलों में अवकाश
जहां चिकित्सा अधिकारी ने यह सम्मति व्यक्त कर दी हो कि एक कर्मचारी के सेवा पर लौटने की उचित संभावना नहीं है तो ऐसे कर्मचारी को यदि कोई अवकाश देय हो तो सक्षम प्राधिकारी, निम्नांकित शर्तों पर उसको अवकाश स्वीकृत कर सकता है:
- (क) यदि चिकित्सा अधिकारी यह बात निश्चित रूप से नहीं कह सके कि कर्मचारी सेवा पर लौट नहीं सकेगा तो देय होने पर अधिकतम 12 माह का अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है
- (ख) यदि कर्मचारी को चिकित्सा अधिकारी के अनुसार पूर्ण रूप से अथवा अस्थायी रूप से आगे सेवा करने के अयोग्य घोषित कर दिया गया हो तो उसे 6 माह से अधिक का अवकाश नहीं देना चाहिए
स्वस्थता का प्रमाण-पत्र
एक कर्मचारी जिसने चिकित्सा प्रमाण-पत्र के आधार पर अवकाश का उपभोग किया हो, उसे सेवा पर वापस उस समय तक नहीं लिया जा सकता है जब तक वह इस नियम द्वारा निर्धारित प्रपत्र में स्वस्थता का प्रमाण-पत्र (Certificate of Fitness) प्रस्तुत नहीं कर देता।
अवकाश समाप्ति के बाद अनुपस्थिति
नियम 86 राजस्थान सेवा नियम का एक महत्वपूर्ण नियम है जो अवकाश समाप्ति के बाद अनुपस्थिति से संबंधित है:
बिना अनुमति अनुपस्थिति
एक कर्मचारी बिना अवकाश अथवा सक्षम प्राधिकारी द्वारा उसके अवकाश को स्वीकृत करने से पूर्व ही अपने पद/कर्तव्य से अनुपस्थित रहता है तो उसे कर्तव्य से जानबूझकर अनुपस्थित रहा (Willful absent from duty) माना जाएगा और ऐसी अनुपस्थिति की 'सेवा में व्यवधान' मानते हुए पिछले सेवाकाल को जब्त किया जा सकेगा।
स्वीकृत अवकाश के बाद अनुपस्थिति
एक कर्मचारी जो स्वीकृत अवकाश की समाप्ति के बाद अथवा अवकाश वृद्धि को मना कर देने पर अपने कर्तव्यों से अनुपस्थित रहता है, तो वह उस अनुपस्थित की अवधि के लिए किसी प्रकार का कोई वेतन एवं भत्ते प्राप्त करने का अधिकारी नहीं होगा एवं वह अवधि असाधारण अवकाश में परिवर्तित कर दी जाएगी।
अवकाश की समाप्ति पर अपने पद के कर्तव्यों से स्वेच्छापूर्वक अनुपस्थिति, एक राज्य कर्मचारी को अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए दोषी बना देती है।
दीर्घकालिक अनुपस्थिति
एक अनुशासनिक प्राधिकारी एक ऐसे राज्य कर्मचारी के विरुद्ध राजस्थान सिविल सेवाएं (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम, 1958 के अनुसार विभागीय कार्यवाही आरंभ कर सकता है जो अपने पद से एक माह से अधिक समय से स्वेच्छा से अनुपस्थित हो।
पदत्याग की स्थिति
स्थिति | अवधि | परिणाम |
---|---|---|
(a) स्वीकृत अवकाश की समाप्ति के बाद बिना प्राधिकार अनुपस्थिति | 1 वर्ष से अधिक | पदत्याग माना जाएगा |
(b) लगातार कर्तव्य से अनुपस्थिति | 5 वर्ष से अधिक | पदत्याग माना जाएगा |
(c) अनुमोदित अवधि से परे वैदेशिक सेवा में रहना | निर्धारित अवधि से अधिक | पदत्याग माना जाएगा |
विदेश यात्रा संबंधी नियम[संपादित करें]
वित्त विभाग की अधिसूचना क्रमांक प.1 (4) वित्त/नियम/2008 दिनांक 17 फरवरी 2012 के अनुसार:
- विदेश में निजी यात्रा पर जाने संबंधी अवकाश आवेदन पत्र यात्रा तिथि से न्यूनतम 3 सप्ताह पूर्व सक्षम प्राधिकारी को प्रेषित करना आवश्यक है
- इसकी पालना नहीं करने पर ऐसे मामले सेवा नियम 86 के प्रावधानों के अनुसार देखे जाएंगे
संदर्भ[संपादित करें]
- राजस्थान सेवा नियम, 1951। नियम 76-86। राजस्थान सरकार।
- वित्त विभाग, राजस्थान सरकार (2010)। "अधिसूचना क्रमांक एफ. 1(5) विवि (नियम)/2008"। दिनांक 7 सितंबर 2010।
- वित्त विभाग, राजस्थान सरकार (2017)। "अधिसूचना क्रमांक एफ.1 (4) एफडी/रूल्स/2006"। दिनांक 12 जनवरी 2017।
- वित्त विभाग, राजस्थान सरकार (2012)। "अधिसूचना क्रमांक प.1 (4) वित्त/नियम/2008"। दिनांक 17 फरवरी 2012।
- राजस्थान सिविल सेवाएं (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम, 1958। राजस्थान सरकार।
श्रेणियां: राजस्थान सेवा नियम | अराजपत्रित कर्मचारी नियम | चिकित्सा अवकाश | सरकारी सेवा नियम | 1951 के नियम
राजस्थान सेवा नियम चिकित्सा प्रमाण-पत्र प्रपत्र
दस्तावेज़ प्रकार | सरकारी प्रपत्र |
---|---|
प्रपत्र संख्या | परिशिष्ट-1, परिशिष्ट-2 |
विषय | चिकित्सा प्रमाण-पत्र |
कर्मचारी श्रेणी | राजपत्रित, अराजपत्रित |
आधार नियम | नियम 70, 76 |
संस्करण | 2010 |
भाषा | हिंदी, अंग्रेजी |
राजस्थान सेवा नियम चिकित्सा प्रमाण-पत्र प्रपत्र राजस्थान राज्य के सरकारी कर्मचारियों के लिए चिकित्सा आधार पर अवकाश लेने हेतु आवश्यक आधिकारिक प्रपत्र हैं। ये प्रपत्र वित्त विभाग की अधिसूचना क्रमांक एफ. 1(5) विवि (नियम)/2008 दिनांक 7 सितंबर 2010 द्वारा निर्धारित किए गए हैं।
अनुक्रम
- 1 परिशिष्ट-1 (राजपत्रित अधिकारी)
- 2 परिशिष्ट-2 (अराजपत्रित कर्मचारी)
- 3 प्रपत्र की तुलना
- 4 आवश्यक जानकारी
- 5 संदर्भ
परिशिष्ट-1 (राजपत्रित अधिकारी)[संपादित करें]
परिशिष्ट-1 राजपत्रित अधिकारियों के लिए निर्धारित चिकित्सा प्रमाण-पत्र का प्रपत्र है। यह प्रपत्र राजस्थान सेवा नियम के नियम 70 के अंतर्गत आता है।
प्रपत्र का विवरण
शीर्षक: Medical Certificate for Gazetted Officers / राजपत्रित अधिकारी के लिए चिकित्सा प्रमाणपत्र
आधार: राजस्थान सेवा नियम के नियम 70 के अन्तर्गत
प्राधिकरण: वित्त विभाग, राजस्थान की अधिसूचना क्रमांक एफ.1(5)विवि(नियम)/2008 दिनांक 7 सितम्बर 2010 द्वारा प्रतिस्थापित
प्रपत्र में शामिल विवरण
- Statement of the case: मामले का विवरण (प्राधिकृत चिकित्सा अधिकारी की उपस्थिति में भरा जाना)
- Appointment: पदनाम
- Age: आयु
- Total Service: कुल सेवा
- Previous records of leave if absence on medical certificate: चिकित्सा प्रमाण-पत्र पर पूर्व अवकाश का रिकॉर्ड
- Habits: आदतें
- Disease: रोग
- Authorized Medical Attendant of: प्राधिकृत चिकित्सा अधिकारी
चिकित्सा अधिकारी का प्रमाण पत्र
चिकित्सा अधिकारी द्वारा निम्नलिखित प्रमाणित किया जाता है:
"I (Name of Medical Officer) ........................ after careful personal examination of the case certify that (Name of the Patient) ........................ is in a bad state of health and I solemnly and sincerely declare that according to the best of my judgment the period of absence from duty is essentially necessary for the recovery of her/his health and recommend that she/he may be granted ........................ days/month's leave with effect from ........................ In my opinion it is/is not necessary for the officer to appear before a Medical Board."
परिशिष्ट-2 (अराजपत्रित कर्मचारी)[संपादित करें]
परिशिष्ट-2 अराजपत्रित सरकारी कर्मचारियों के लिए निर्धारित चिकित्सा प्रमाण-पत्र का प्रपत्र है। यह प्रपत्र राजस्थान सेवा नियम के नियम 76(4) के अंतर्गत आता है।
प्रपत्र का विवरण
शीर्षक: Medical Certificate for Non-Gazetted Government servant / अराजपत्रित सरकारी कर्मचारी के लिए चिकित्सा प्रमाणपत्र
आधार: राजस्थान सेवा नियम के नियम 76(4) के अन्तर्गत
प्राधिकरण: वित्त विभाग, राजस्थान की अधिसूचना क्रमांक एफ.1(5)विवि(नियम)/2008 दिनांक 7 सितम्बर 2010 द्वारा प्रतिस्थापित
चिकित्सा अधिकारी का प्रमाण पत्र
चिकित्सा अधिकारी द्वारा निम्नलिखित प्रमाणित किया जाता है:
"I (Name of Medical Officer) ........................ after careful personal examination of case hereby certify that (Name of the Patient) ........................ whose signature is given below, is suffering from ........................ and I consider that a period of ........................ from duty of ........................ with effect from ........................ is absolutely necessary for the restoration of her/his health."
प्रपत्र की तुलना[संपादित करें]
विशेषता | परिशिष्ट-1 (राजपत्रित) | परिशिष्ट-2 (अराजपत्रित) |
---|---|---|
आधार नियम | नियम 70 | नियम 76(4) |
विस्तार | अधिक विस्तृत | संक्षिप्त |
व्यक्तिगत जानकारी | आयु, कुल सेवा, आदतें, पूर्व अवकाश रिकॉर्ड | केवल नाम और रोग |
मेडिकल बोर्ड सिफारिश | शामिल | शामिल नहीं |
चिकित्सक योग्यता | प्राधिकृत चिकित्सा अधिकारी | प्राधिकृत चिकित्सा अधिकारी/पंजीकृत चिकित्सा व्यवसायी |
हस्ताक्षर आवश्यकता | मुहर और पंजीयन संख्या | पंजीयन संख्या और मुहर |
आवश्यक जानकारी[संपादित करें]
प्रपत्र भरने की आवश्यकताएं
राजपत्रित अधिकारियों के लिए
- मामले का पूरा विवरण प्राधिकृत चिकित्सा अधिकारी की उपस्थिति में भरना
- पदनाम, आयु, कुल सेवा का उल्लेख
- पूर्व चिकित्सा अवकाश का रिकॉर्ड
- व्यक्तिगत आदतों का विवरण
- रोग की प्रकृति का स्पष्ट उल्लेख
- मेडिकल बोर्ड की आवश्यकता के बारे में चिकित्सक की राय
अराजपत्रित कर्मचारियों के लिए
- रोगी का नाम और हस्ताक्षर
- रोग की प्रकृति
- आवश्यक अवकाश की अवधि
- अवकाश की प्रभावी तिथि
- चिकित्सक का पंजीयन संख्या और मुहर सहित हस्ताक्षर
चिकित्सक की योग्यता
राजपत्रित अधिकारियों के लिए: केवल प्राधिकृत चिकित्सा अधिकारी (Authorized Medical Attendant)
अराजपत्रित कर्मचारियों के लिए: प्राधिकृत चिकित्सा अधिकारी या पंजीकृत चिकित्सा व्यवसायी (Registered Medical Practitioner) जिसमें एलोपैथी, आयुर्वेद, यूनानी प्रैक्टिशनर शामिल हैं।
संदर्भ[संपादित करें]
- राजस्थान सेवा नियम, 1951। नियम 70, 76। राजस्थान सरकार।
- वित्त विभाग, राजस्थान सरकार (2010)। "अधिसूचना क्रमांक एफ. 1(5) विवि (नियम)/2008"। दिनांक 7 सितंबर 2010।
- "चिकित्सा प्रमाण-पत्र प्रपत्र - परिशिष्ट 1 और 2"। राजस्थान सेवा नियम, अक्टूबर 2023।
- "राजपत्रित और अराजपत्रित कर्मचारियों के लिए चिकित्सा अवकाश प्रक्रिया"। कार्मिक विभाग, राजस्थान सरकार।
श्रेणियां: राजस्थान सेवा नियम | चिकित्सा प्रमाण-पत्र | सरकारी प्रपत्र | 2010 के दस्तावेज़