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राजस्थान सेवा नियम अध्याय 4: वेतन एवं इसका निर्धारण

राजस्थान सेवा नियम अध्याय 4: वेतन एवं इसका निर्धारण

अध्याय 4

वेतन एवं इसका निर्धारण

वेतनमानों का संक्षिप्त इतिहास

राजस्थान में राज्य कर्मचारियों को 1950 से लेकर 2017 तक समय समय पर जो वेतनमान स्वीकृत किये गये हैं उनका संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है:

1950

सर्वप्रथम राज्य सरकार ने विभिन्न विभागों के एक ही प्रकार के कर्मचारियों के वेतनमान निर्धारित करने के लिये अधिसूचना क्रमांक 112बी.डी.आईडी दिनांक 10 मई 1949 को एक समिति नियुक्त की जिसमें मुख्य सचिव व सदस्य सचिव के रूप में महाराठगकार, राजस्थान, जयपुर को शामिल किया गया। इस समिति की सिफारिशों के आधार पर वित विभाग की अधिसूचना क्रमांक जीएरडी आईडर संख्या एफ.10(34) एफजीएफ/50 दिनांक 12 जुलाई 1950 द्वारा राजस्थान सिविल सेवाएं (वेतनमानों का एकीकरण) नियम, 1950 के जरिये नवीन वेतनमान दिनांक 1 अप्रैल 1950 से लागू किये गये। राज्य के समी विभागों के विभिन्न पदाधिकारियों के लिये वेतनमान स्वीकृत किये गये जिन्हें अनुसूची में सम्मिलित किया गया। वेतनमानों में व्यवस्थान दशांश अवरोध लगाये गये।

1956

कुछ समय बाद सरकार ने यह महसूस किया कि एकीकृत वेतनमान नियमों में कर्मचारियों की विभिन्न श्रेणियों के लिए निर्धारित

वेतन निर्धारण पर्याप्त नहीं है। अतएव तत्समय की वेतन संरचना को व्यापक तौर से युक्तिकृत करने के विचार से एक समिति नियुक्त की जिसमें अतिरिक्त मुख्य सचिव व सदस्य सचिव और अवर सचिव नियुक्त विभाग को शामिल किया गया। राज्य सरकार ने समितिकी सिफारिशों को अन्तिम रूप देते हुए उन्हें नवीन वेतनमान नियमों के रूप में स्वीकार किया व उन्हें। मार्च 1956 से स्वीकार किया। यह वेतनमानों का योजकीकरण था जिसमें कतिपय श्रेणियों के न्यूनतम वेतन को युक्तिकृत बनाया गया।

1961

नवीन वेतनमानों का लागू करते समय कुछ विसंगतियां सामने आई जिससे सम्पूर्ण वेतन संरचना में पुनः जांच आवश्यक हो गयी। सिलाजा, राज्य सरकार ने आदेश क्रमांक एफ.5(9)वा. एवं एफडीति/60 दिनांक 6 जुलाई, 1960 जारी कर राज्य समिति के नाम से एक समिति नियुक्त की। इस समिति में अतिरिक्त मुख्य सचिव एवं विकास आयुक्त, विधिष्ट सचिव, आरकारी, कर एवं वित्त (नियम, अर्थशन एवं लेखा) विभाग के शासन सचिव एवं वित्त विभाग के शासन सचिव रखे गये। राज्य समिति ने द्वितीय केन्द्रीय वेतन आयोग से मार्गदर्शन प्राप्त किया। समिति ने वेतनमानों की संख्या में कमी की, कतिपय विशेष वेतनों को समाप्त करने की सिफारिश की व वेतन की संशोधित दरों में महंगाई भत्ते को मिलाया। राज्य समिति की सिफारिशों के आधार पर वित्त विभाग की अधिसूचना क्रमांक एफ.1(51)एफडीबीएआर/50 दिनांक 18 दिसम्बर 1961 द्वारा राजस्थान सिविल सेवाएं (पुनरीक्षित वेतनमान) नियम, 1961 जारी किये गये जिनके जरिये नवीन वेतनमान दिनांक 1 सितम्बर 1961 से लागू किये गये। संशोधित वेतनमान नियम, 1961 में कुल 36 वेतन श्रेणियां प्रभावशील की गयी। न्यूनतम वेतन श्रेणीला रु45-1-70 तथा अधिकतम वेतन श्रेणीला रु1800-75-1959-100-2250 निर्धारित की गयी।

वेतन निर्धारण पर्याप्त नहीं है। अतएव तत्समय की वेतन संरचना को व्यापक तौर से युक्तिकृत करने के विचार से एक समिति नियुक्त की जिसमें अतिरिक्त मुख्य सचिव व सदस्य सचिव और अवर सचिव नियुक्त विभाग को शामिल किया गया। राज्य सरकार ने समितिकी सिफारिशों को अन्तिम रूप देते हुए उन्हें नवीन वेतनमान नियमों के रूप में स्वीकार किया व उन्हें। मार्च 1956 से स्वीकार किया। यह वेतनमानों का योजकीकरण था जिसमें कतिपय श्रेणियों के न्यूनतम वेतन को युक्तिकृत बनाया गया।

1966

श्री हरिश्चन्द्र माथुर की अध्यक्षता में गठित प्रशासनिक सुधार समिति सिफारिशों व मुख्य सचिव तथा विकास आयुक्त द्वारा तैयार किये गये प्रस्तावों के अनुसार नवीन वेतनमान नियम प्रभावशील किये गये जो 1 अप्रैल 1966 से लागू हुए। संशोधित वेतनमानों में वेतनश्रेणीला संख्या 1 से 19 में अधिकतम वेतन से संबोधन किया गया व वेतनश्रेणीला संख्या 12 से 16 में न्यूनतम में वृद्धि की गयी। दो नये वेतनमान स्वीकृत किये गये। इन वेतनमानों में "वेतन हेतु विशेष/दशांश अवरोध" वार जारू किया गया। कुल 38 वेतन श्रेणियां निर्धारित की गयीं।

1969

राजस्थान के राज्यपाल ने वर्ष 1967-68 में विधानसभा के बजट सत्र के दौरान 4 मई 1967 को अपने अभिभाषण में यह घोषणा की कि बढती हुई कीमतों एवं विकासमान अर्थव्यवस्था की आवश्यकताओं के सन्दर्भ में तथा राज्य के पास उपलब्ध वित्तीय संसाधनों को ध्यान में रखते हुए सरकारी कर्मचारियों की वर्तमान वेतन संरचना का पुनर्विलोकन करने हेतु एक सदस्यीय वेतन आयोग का गठन किया जायेगा। तदनुसार, सरकार की अधिसूचना क्रमांक एफ.20(2)वा.एवं प./67 दिनांक 7 जून 1967 द्वारा राज्य कर्मचारियों की वेतन संरचना तथा विभिन्न सेवाओं में पदोन्नति के लिये नीति एवं क्रियाविधि आदि की जांच करने और इन मामलों में अपनी सिफारिशें देने हेतु एक सदस्यीय वेतन आयोग का गठन किया गया। राजस्थान उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायमूर्ति श्री जवान सिंह राणावत को आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। आयोग ने 1 जुलाई 1968 को अपना प्रतिवेदन राज्य सरकार को प्रस्तुत किया। राज्य सरकार ने वेतनमान,

(नवीन वेतनमान) नियम, 1969 के रूप में जारी हुए जो राज्य में दिनांक 1 सितम्बर 1968 से प्रभावी हुए। वित्त विभाग (व्यय-नियम) ने अपनी अधिसूचना क्रमांक एफ.9(47)वित्त(व्य.नि.)/68 दिनांक 28 जनवरी 1969 द्वारा नवीन वेतनमान जारी किये गये। राज्य सरकार ने कुल 28 वेतन श्रेणीयां जारी की। बाद में 5 नयी वेतन श्रेणियां प्रारम्भ कर उन्हें 33 कर दिया गया। न्यूनतम वेतन श्रेणीला रु60-1-65-2-85 तथा अधिकतम वेतन श्रेणीला रु2000-100-2500 निर्धारित की गयी। राणावत आयोग ने 2,06,915 राज्य कर्मचारियों को लाभ पहुंचाया।

राज्य सरकार ने अपनी अधिसूचना क्रमांक एफ.5(5)आर एफ एवं पा/72 दिनांक 20 मार्च 1972 द्वारा श्री डी.डी. गुप्ता की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया जिसे विभिन्न वेतनमानों में ऐसे पदों का परीक्षण करने का दायित्व सौंपा गया जिनके एक जैसे दायित्व व जिम्मेदारियां हैं। गुप्ता समिति ने अपनी रिपोर्ट नवम्बर 1972 में सरकार को सौंपी। राज्य सरकार ने समिति द्वारा अनुशंसित 113 पदों में से 56 पदों के वेतनमानों में संशोधन कर दिया।

1976

इस पर भी कर्मचारियों का वेतनमानों के प्रति रोष समाप्त नहीं हुआ। इसी मध्य केन्द्र सरकार ने तृतीय केन्द्रीय वेतन आयोग (मार्च 1973) की सिफारिशें स्वीकार कर नवीन वेतनमान जारी कर दिये। आयोग ने 31 दिसम्बर 1972 को पा रहे महंगाई भत्ते, तदर्थ सहायता आदि को मिलाकर वेतन में मिला कर 200 सी.पी.आई. पाइण्ट पर नवीन वेतन संरचना का विकास किया। राजस्थान के राज्य कर्मचारियों ने भी इसी आधार पर वेतनमानों में संशोधन की मांग की। तृतीय केन्द्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर केन्द्र सरकार द्वारा स्वीकार किये गये महंगाई भत्ते का प्रतिमान स्वीकार करते हुए वित्त (ग्रुप-2) विभाग ने अपनी अधिसूचना क्रमांक एफ.9(14)एफडी(ग्रुप-2)/ 76-II दिनांक 1 दिसम्बर 1976 जारी कर राजस्थान सिविल सेवाए

(पुनरीक्षित नवीन वेतनमान) नियम, 1976 दिनांक 1 सितम्बर 1976 से प्रभावशील किये। राज्य सरकार ने कुल 33 वेतन श्रेणीयां जारी की। न्यूनतम वेतन श्रेणीला रु240-3-270-4-290 तथा अधिकतम वेतन श्रेणीला रु2500 (निश्चित) निर्धारित की गयी।

1983

वेतनमानों के अधिकतम पर ठहराव, कतिपय भर्ती की गैर अदायगी, वेतन विसंगतियों के कारण राज्य कर्मचारी आन्दोलन करते रहे व वेतन-भर्ती में संशोधन की मांग करते रहे। इस पर राज्य के मुख्यमंत्री ने राजस्थान विधान सभा के सदन में दिनांक 16 मार्च 1979 को वेतन आयोग के गठन की घोषणा की। तदनुसार, राज्य सरकार की अधिसूचना क्रमांक एफ.14(23)डीओपी/एस-5/79 दिनांक 31 मई 1979 द्वारा एकल सदस्य राजस्थान वेतन आयोग का गठन किया गया। राजस्थान उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायमूर्ति श्री भगवती प्रसाद बेरी को आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। आयोग को एक वर्ष का समय दिया गया लेकिन आयोग ने अपना प्रतिवेदन 15 सितम्बर 1981 को राज्य सरकार को प्रस्तुत किया। वेतनमान, विशेष वेतन तथा वेतन नियंत्रण और अन्य क्षतिपूर्ति भत्तों इत्यादि के संबंध में वेतन आयोग की सिफारिशों पर विचार के लिए 23 फरवरी 1983 जारी किया गया। आयोग ने विभिन्न वेतन आयोग ने अपनी अधिसूचना क्रमांक एफ.17(84)वित्त(ग्रुप-2)/82 दिनांक 17 फरवरी 1983 जारी कर राजस्थान सिविल सेवाएं (पुनरीक्षित वेतनमान) नियम, 1983 दिनांक 1 सितम्बर 1983 से प्रभावशील किये। राज्य सरकार ने कुल 31 वेतन श्रेणीयां जारी की। न्यूनतम वेतन श्रेणीला रु350-5-430 तथा अधिकतम वेतन श्रेणीला रु2800 (निश्चित) निर्धारित की गयी। बेरी आयोग से 3,19,567 राज्य कर्मचारियों को लाभ प्राप्त हुआ।

1987

सरकार ने दिनांक 1 सितम्बर 1986 से सरकारी कर्मचारियों के समस्त प्रगणी के वेतनमानों को पुनरीक्षित करने का निश्चय किया। यह

उक्त समझा गया कि दिनांक 1 सितम्बर 1986 को लागू दरें पर अनुदेय महंगाई भत्ते का विलय पुनरीक्षित वेतनमानों में कर दिया जाया। वेतन नियंत्रण फायदी तथा वेतन नियंत्रण की नीति के बारे में भी सरकार ने विनिश्चय किया। सरकार द्वारा किये गये विनिश्चय को वित्त (ग्रुप-2) विभाग ने अपनी अधिसूचना क्रमांक एफ. 17(7)वित्त(ग्रुप-2)/86 दिनांक 2 फरवरी 1987 जारी कर राजस्थान सिविल सेवाएं (पुनरीक्षित वेतनमान) नियम, 1987 दिनांक 1-9-1986 से प्रभावशील किया गया। राज्य सरकार ने कुल 31 वेतन श्रेणीयां जारी की। न्यूनतम वेतन श्रेणीला रu700-10-850-17-865 तथा अधिकतम वेतन श्रेणीला रu4275-125-4400-150-5300-200-5500 निर्धारित की गयी। इस वेतनमान के बाद अन्य वेतन भोगी कर्मचारियों यथा वनुर्थ श्रेणी, मन्त्रालयिक व अधीनस्थ सेवाओं के लिये दिनांक 23 जनवरी 1985 से रातभेजन ग्रेड प्रारम्भ किये गये।

1989

सरकार ने दिनांक 1 सितम्बर 1988 से सरकारी कर्मचारियों के समस्त प्रगणी के वेतनमानों को पुनरीक्षित करने का निश्चय किया। वेतन नियंत्रण लाभ व वेतन नियंत्रण की नीति के संबंध में भी निर्णय लिया गया। सरकार द्वारा किये गये विनिश्चय को वित्त (ग्रुप-2) विभाग ने अपनी अधिसूचना क्रमांक एफ.20(1)वित्त/ग्रुप-2/89 दिनांक 23 सितम्बर 1989 जारी कर राजस्थान सिविल सेवाएं (पुनरीक्षित वेतनमान) नियम, 1987 दिनांक 1 सितम्बर 1988 से प्रभावशील किया गया। राज्य सरकार ने कुल 27 वेतन श्रेणीयां जारी की। न्यूनतम वेतन श्रेणीला रu750-12-798-13-850-15-940 तथा अधिकतम वेतन श्रेणीला रu5900-200-6700 निर्धारित की गयी।

1998

पांचवें केन्द्रीय वेतन आयोग (जनवरी 1997) की सिफारिशों के अनुरूप केन्द्र सरकार द्वारा केन्द्रीय कर्मचारियों के वेतनमानों में

संशोधन कर दिये जाने के परिणामस्वरूप सरकार ने अपने कर्मचारियों के वेतनमानों में संशोधन करने के विचार से एक समिति का गठन किया। समिति के अध्यक्ष पद पर श्री एन.एस. सिसोदिया, प्रमुख शासन सचिव, उद्योग को नियुक्त किया गया। समिति ने अपना प्रतिवेदन 22 दिसम्बर 1997 को राज्य सरकार को प्रस्तुत किया। राज्य सरकार ने समिति की सिफारिशों पर विचार किया व दिनांक 1-9-1996 से राज्य कर्मचारियों के वेतनमानों में संशोधन करने का निर्णय लिया। तदनुसार, वित्त (नियम) विभाग ने अपनी अधिसूचना क्रमांक एफ. 16(1)वित्त (नियम)/98 दिनांक 17 फरवरी 1998 जारी कर राजस्थान सिविल सेवाएं (पुनरीक्षित वेतनमान) नियम, 1998 दिनांक 1 सितम्बर 1996 से प्रभावशील किये। राज्य सरकार ने कुल 22 वेतन श्रेणीयां जारी की। न्यूनतम वेतन श्रेणीला रु2550-55-2660-60-3200 तथा अधिकतम वेतन श्रेणीला रु18400-500-22400 निर्धारित की गयी।

2008

छठे केन्द्रीय वेतन आयोग (मार्च 2008) की सिफारिशों के अनुकूल केन्द्र सरकार द्वारा केन्द्रीय कर्मचारियों के वेतनमानों में संशोधन कर दिये जाने के परिणामस्वरूप सरकार ने दिनांक 1 सितम्बर 2006 से राज्य कर्मचारियों के वेतनमानों में संशोधन करने का निर्णय लिया। तदनुसार, वित्त (नियम) विभाग ने अपनी अधिसूचना क्रमांक एफ. 11(7)वित्त (नियम)/2008 दिनांक 12 सितम्बर 2008 जारी कर राजस्थान सिविल सेवाएं (पुनरीक्षित वेतन) नियम, 2008 दिनांक 1 जनवरी 1996 से प्रभावशील किये। नवीन वेतन के नियम जारी करने के उपरान्त प्रशासनिक सुधार विभाग (अनुभाग-3) की आज्ञा क्रमांक प.6(58)प्रशु/अनु-3/2008 दिनांक 19 सितम्बर 2008 द्वारा श्रीमती कृष्णा भटनागर, आई.ए.एस. (सेवानिवृत्त) की अध्यक्षता में एक वेतन विसंगति निराकरण समिति का गठन किया गया। राज्य सरकार ने दिनांक 17 फरवरी 2009, 3 जुलाई 2009, 9 नवम्बर 2009 व 20 जनवरी 2010 द्वारा इस समिति का कार्यकाल क्रमशः 19 मई 2009, 19 सितम्बर 2009,

3 दिसम्बर 2009 व 31 मार्च 2010 तक बढाया गया। समिति ने वेतन के उद्यमन एवं वेतन विसंगति की परिवर्तनाओं से जुड़े विषयों पर अपनी रिपोर्ट सरकार को पेश की।

राज्य सरकार ने पहली बार वेतन श्रेणीयों को समाप्त कर पे बैंड व ग्रेड पे प्रभावी लागू की। न्यूनतम वेतन बैंड-1 रु5200-20200 तथा अधिकतम वेतन बैंड-4 रu37400-6700 रखा गया। इसी प्रकार पे बैंड में न्यूनतम ग्रेड पे रु1700 तथा अधिकतम ग्रेड पे रu10000 रखा गया। कुल 4 पे बैंड में 24 ग्रेड पे सम्मिलित किये गये। चालू वेतन बैंड में वेतन और ग्रेड पे के योग को मूल वेतन कहा गया जिसके आधार पर महंगाई भत्ता परिगणित किया गया।

2017

सातवें केन्द्रीय वेतन आयोग (नवम्बर 2015) की सिफारिशों के अनुकूल केन्द्र सरकार द्वारा केन्द्रीय कर्मचारियों के वेतनमानों में संशोधन कर दिये जाने के परिणामस्वरूप सरकार ने दिनांक 1 जनवरी 2016 से राज्य कर्मचारियों के वेतनमानों में संशोधन करने का निर्णय लिया। तदनुसार, वित्त (नियम) विभाग ने अपनी अधिसूचना क्रमांक एफ.15(1)एफडी/रूल्स/2017 दिनांक 30 अक्टूबर 2017 जारी कर राजस्थान सिविल सेवाएं (पुनरीक्षित) वेतन नियम 2017 प्रभावशील किये है जो राज्य में 1 अक्टूबर 2017 से प्रभावशील किये गये है। बाद में एक अन्य अधिसूचना क्रमांक एफ.15(1)एफडी/रूल्स/2017 दिनांक 9 दिसम्बर 2017 जारी कर नये वेतन दिनांक 1 जनवरी 2016 से प्रभावशील किये गये है। नवीन वेतन में पे बैंड व ग्रेड पे प्रभावी को समाप्त कर पे मैट्रिक्स व लेवल निर्धारित किये गये। कर्मचारियों को एरियर दिनांक 1 जनवरी 2017 से दिया गया है। उक्त अधिसूचना के जरिये राज्य सरकार ने राज्य कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग के अनुसार नवीन वेतन स्वीकृति के साथ ही राज्य में पे बैंड व ग्रेड पे के स्थान पर लेवल व पे मैट्रिक्स

निर्धारित किये गये है। अब राज्य कर्मचारी पे मैट्रिक्स के कुल 24 लेवल्स में विभाजित हैं। विभिन्न लेवल्स 40 सैल्स में बांटे गये गये है। सम्पूर्ण वेतन संरचना में पे मैट्रिक्स में निर्धारित सैल्स में अहर्स्ति वेतन आधे मूल वेतन कहेगा तथा उससे सभी राजकीय कर्मचारी का स्याथावर नियम विकास आदेश जाने का निदेशालय (प्राथमिक/माध्यमिक) को अवगति प्रदान करेगा। प्रतिदिन 08 कालांश के समय विभाग चक्र तैयार किया जायेगा। प्राथेना सभा (मुख्य योगाम्यास) तथा मध्यान्तर प्रत्येक 25 मिनट के होंगे। मध्यान्तर चौथे कालांश के पश्चात होगा।

Corresponding Levels of existing Running Pay Band and Grade Pay (Rule No. 5(v) Part -A)

S.No. Existing Running Pay Band Existing Grade Pay Existing Grade Pay No. Level in Pay Matrix
1 2 3 4 5
1. 1700 2 L-1
2. 1750 3 L-2
3. 1900 4 L-3
4. 2000 5 L-4
5. 2400 9 L-5
6. 2400 9A L-6
7. 2400 9B L-7
8. 2800 10 L-8
9. 2800 10A L-9
10. PB-2 (9300-34800) 3600 11 L-10
11. 4200 12 L-11
12. 4800 14 L-12
13. 5400 15 L-13
14. 5400 15 L-14
15. 6000 16 L-15
16. 6600 17 L-16
17. PB-3 (15600-39100) 6800 18 L-17
18. 7200 19 L-18
19. 7600 20 L-19
20. 8200 21 L-20
21. PB-4 (37400-67000) 8700 22 L-21
22. 8900 23 L-22
23. 9500 23A L-23
24. 10000 24 L-24

अब तक गठित वेतन आयोगों ने वेतनमानों का निर्धारण मार्गदर्शक सिद्धान्तों के आधार पर किया है जो इस प्रकार है:

  1. किये जाने वाले कार्य का प्रकार और उसमें निहित जिम्मेदारियां
  2. मानसिक एवं शारीरिक दबाव, जो कर्तव्य के निर्वाहन में अपेक्षित है।
  3. न्यूनतम शैक्षणिक अहर्ताएं और प्रशिक्षण, यदि अपेक्षित हो
  4. कार्य का मुल्यांकन
  5. राज्य का वित्तीय नियोजन होना
  6. भर्ती का तरीका-वह स्तर जिस पर सेवा या संवर्ग के क्रम में भर्ती की जाती है।
  7. न्यूनतम जीवन स्तर के लिये न्यूनतम आवश्यकता आधारित पारिश्रमिक

वेतन एवं इसका निर्धारण

वेतन क्या होता है:

सेवा नियमों के अनुसार जब एक कर्मचारी को उसके द्वारा अस्थायी, स्थायी अथवा कार्यवाहक रूप से धारित पद के वेतनमान में मासिक मुरतान स्वीकृत किया जाता है तो उसे वेतन कहते हैं।

वेतन निर्धारण:

वेतन राज्य सरकार द्वारा अनुमत वेतनमान में ही प्रायः स्वीकृत किया जाता है। राज्य कर्मचारी को किसी वेतनमान में किस स्तर पर किस प्रकार का वेतन अधिकृत किया जाना है, यही वेतन निर्धारण कहा जाता है।

वेतन किस तारीख से देय होता है:

नियम 22 के अनुसार एक राज्य कर्मचारी अपने पद का पदभार संभालने की तारीख से नियमानुसार पद का वेतन तथा देयाधि प्राप्त करेगा और जैसे ही वह उन सेवाओं को करना बन्द करेगा उसे वेतन व भत्ता मिलना बन्द हो जायेगा। इस प्रकार, एक राज्य कर्मचारी एक पद का कार्यभार ग्रहण करने समय उसके साथ देय वेतन एवं भर्ती को उसी दिन से प्राप्त करना प्रारम्भ करेगा जिस दिन से वह कार्यभार ग्रहण करता है यदि उस दिन कार्यभार पूर्वाह्न में (forenoon) यानि मध्याह्न पूर्व सम्भाला गया हो। यदि कार्यभार मध्याह्न पश्चात् (Afternoon) सम्भाला जाये तो व अपना वेतन व भत्ता अगले दिन से प्राप्त करना प्रारम्भ करेगा।

समान कार्यों के लिये समान वेतन

संवर्ग, सेवा व संगठन में पदोन्नति के अवसर

कार्य की अपेक्षा व उनके लिये अपेक्षित कर्तव्य व जिम्मेदारियों की प्रकृति।

राजस्थान राज्य सरकार कर्मचारियों की Pay Matrix तालिका

7वां वेतन आयोग (2017)

Cell No. PB-1 (5200-20200) PB-2 (9300-34800) PB-3 (15600-39100) PB-4 (37400-67000)
1700 1750 1900 2000 2400 2400 2400 2800 2800 3600 4200 4800 5400 5400 6000 6600 6800 7200 7600 8200 8700 8900 9500 10000
2 3 4 5 9 9A 9B 10 10A 11 12 14 15 15 16 17 18 19 20 21 22 23 23A 24
L-1 L-2 L-3 L-4 L-5 L-6 L-7 L-8 L-9 L-10 L-11 L-12 L-13 L-14 L-15 L-16 L-17 L-18 L-19 L-20 L-21 L-22 L-23 L-24
1 17700 17900 18200 19200 20800 21500 22400 26300 28700 33800 37800 44300 53100 56100 60700 67300 71000 75300 79900 88900 123100 129700 145800 148800
2 18200 18400 18700 19800 21400 22100 23100 27100 29600 34800 38900 45600 54700 57800 62500 69300 73100 77600 82300 91600 126800 133600 150200 153300
3 18700 19000 19300 20400 22000 22800 23800 27900 30500 35800 40100 47000 56300 59500 64400 71400 75300 79900 84800 94300 130600 137600 154700 157900
4 19300 19600 19900 21000 22700 23500 24500 28700 31400 36900 41300 48400 58000 61300 66300 73500 77600 82300 87300 97100 134500 141700 159300 162600
5 19900 20200 20500 21600 23400 24200 25200 29600 32300 38000 42500 49900 59700 63100 68300 75700 79900 84800 89900 100000 138500 146000 164100 167500
6 20500 20800 21100 22200 24100 24900 26000 30500 33300 39100 43800 51400 61500 65000 70300 78000 82300 87300 92600 103000 142700 150400 169000 172500
7 21100 21400 21700 22900 24800 25600 26800 31400 34300 40300 45100 52900 63300 67000 72400 80300 84800 89900 95400 106100 147000 154900 174100 177700
8 21700 22000 22400 23600 25500 26400 27600 32300 35300 41500 46500 54500 65200 69000 74600 82700 87300 92600 98300 109300 151400 159500 179300 183000
9 22400 22700 23100 24300 26300 27200 28400 33300 36400 42700 47900 56100 67200 71100 76800 85200 89900 95400 101200 112600 155900 164300 184700 188500
10 23100 23400 23800 25000 27100 28000 29300 34300 37500 44000 49300 57800 69200 73200 79100 87800 92600 98300 104200 116000 160600 169200 190200 194200
11 23800 24100 24500 25800 27900 28800 30200 35300 38600 45300 50800 59500 71300 75400 81500 90400 95400 101200 107300 119500 165400 174300 195900 200000
12 24500 24800 25200 26600 28700 29700 31100 36400 39800 46700 52300 61300 73400 77700 83900 93100 98300 104200 110500 123100 170400 179500 201800 206000
13 25200 25500 26000 27400 29600 30600 32000 37500 41000 48100 53900 63100 75600 80000 86400 95900 101200 107300 113800 126800 175500 184900 207900 212200
14 26000 26300 26800 28200 30500 31500 33000 38600 42200 49500 55500 65000 77900 82400 89000 98800 104200 110500 117200 130600 180800 190400 214100 218600
15 26800 27100 27600 29000 31400 32400 34000 39800 43500 51000 57200 67000 80200 84900 91700 101800 107300 113800 120700 134500 186200 196100
16 27600 27900 28400 29900 32300 33400 35000 41000 44800 52500 58900 69000 82600 87400 94500 104900 110500 117200 124300 138500 191800 202000
17 28400 28700 29300 30800 33300 34400 36100 42200 46100 54100 60700 71100 85100 90000 97300 108000 113800 120700 128000 142700 197600 208100
18 29300 29600 30200 31700 34300 35400 37200 43500 47500 55700 62500 73200 87700 92700 100200 111200 117200 124300 131800 147000 203500
19 30200 30500 31100 32700 35300 36500 38300 44800 48900 57400 64400 75400 90300 95500 103200 114500 120700 128000 135800 151400
20 31100 31400 32000 33700 36400 37600 39400 46100 50400 59100 66300 77700 93000 98400 106300 117900 124300 131800 139900 155900

नोट: Pay Matrix तालिका में Cell 21-40 के आंकड़े भी उपलब्ध हैं जो उच्च वेतन स्तरों के लिए हैं।

महत्वपूर्ण सूचना: PB-2 (9300-34800) में Grade Pay रु. 5400/- वाले मौजूदा सरकारी कर्मचारियों का वेतन Pay Matrix के Level 13 में निर्धारित किया जाएगा।

Pay Matrix का उपयोग कैसे करें:

  1. अपना वर्तमान Pay Band और Grade Pay देखें
  2. उसके अनुकूल Level खोजें
  3. Cell Number के अनुसार अपना नया Basic Pay देखें
  4. यह Basic Pay 7th Pay Commission के अनुसार आपका नया वेतन है
राजस्थान सेवा नियम - अध्याय 4 भाग 01

राजस्थान सेवा नियम

अध्याय 4 - भाग 01

नवीन नियुक्ति पर वेतन

नवीन नियुक्ति पर वेतन

वित्त विभाग की अधिसूचना क्रमांक एफ.1(4)एफ.डी.(रूल्स)/2017-1 दिनांक 30 अक्टूबर 2017 द्वारा नियम 24 को दिनांक 1 जनवरी 2016 (वित्त विभाग की अधिसूचना क्रमांक एफ.1(4)एफ.डी.(रूल्स)/2017 दिनांक 9 दिसम्बर 2017 द्वारा दिनांक 1 अक्टूबर 2017 के स्थान पर दिनांक 1 जनवरी 2016 से प्रभावी) संशोधित करते हुए यह प्रावधान किया गया है कि पे मैट्रिक्स में लेवल में किसी पद पर राज्यीय सेवा में नियुक्त व्यक्ति पद का वह

वेतन प्राप्त करेगा

जो राज्य सरकार द्वारा समय-समय परविहित किया जावे या सरकार द्वारा अनुमतित किया जावे। लेकिन वह समय प्राधिकारी द्वारा उसके द्वारा धारित पद के लिये स्वीकृत वेतन से अधिक नहीं होगा। इस प्रकार, सरकार की स्वीकृति के बिना कोई विशेष या व्यक्तिगत वेतन कर्मचारी को स्वीकृत नहीं किया जावेगा।

परन्तु आगे यह भी है कि परीक्षाधीन प्रशिक्षणार्थी ऐसा नियम पारिश्रमिक प्राप्त करेगा जो समय-समय पर सरकार द्वारा निहित की जावे और परीक्षा प्रशिक्षण की अवधि सफलतापूर्वक पूर्ण करने पर पे-मैट्रिक्स में लेवल में पहले सेल का वेतन स्वीकृत किया जावेगा।

परन्तु आगे यह भी है कि ऐसे सरकारी कर्मचारी को, जो पहले ही राज्य सरकार की नियमित सेवा में है, यदि वह किसी ऐसे पद पर परीक्षाधीन प्रशिक्षणार्थी के रूप में नियुक्त किया जाता है जिसका पे-मैट्रिक्स में लेवल या तो पे-मैट्रिक्स में पूर्व के लेवल के बराबर या उससे अधिक है, पूर्व के पद के पे-मैट्रिक्स में उसके लेवल में या नियत पारिश्रमिक ऐसी दरों पर जो सरकार द्वारा समय-समय पर विहित की जावे, जो भी उसको लाभप्रद हो, वेतन स्वीकृत किया जावेगा और परीक्षा प्रशिक्षण अवधि के सफलतापूर्वक पूरा करने पर उसका वेतन नियम 26 के प्रावधानों के अनुसार नये पद के पे-मैट्रिक्स में लेवल में नियत किया जावेगा।

ऐसे सरकारी कर्मचारी को जो पहले ही राज्य सरकार की नियमित सेवा में है, यदि वह किसी ऐसे पद पर परीक्षाधीन प्रशिक्षणार्थी के रूप में नियुक्त किया जाता है जिसका लेवल पूर्व पद के लेवल से कम है, वह वेतन, जिसका वह तब तक हकदार होगा जब पूर्व पद पर की गयी सेवा की अवधि हो अनुज्ञात किया जाएगा, वेतन स्वीकृत किया जावेगा और परीक्षा प्रशिक्षण की अवधि सफलतापूर्वक पूरा करने पर उसका वेतन नियम 26 के प्रावधानों के अनुसार नये पद के पे-मैट्रिक्स में लेवल में नियत किया जावेगा।

राजस्थान सेवा नियम

जावेगा और परीक्षा प्रशिक्षण की अवधि सफलतापूर्वक पूर्ण करने पर उसका वेतन नियम 26 के प्रावधानों के अनुसार नये पद के पे-मैट्रिक्स में लेवल में नियत किया जावेगा। राजस्थान सेवा नियमों के नियम 97 के नीचे निर्णय संख्या 1. के अनुसार विश्रामकालीन वेतन प्राप्त करने वाले विचाराधीन एवं महाविचाराधीन में अध्यापन करने वाले कर्मचारियों के लिये नियम 24 के नीचे दिये गये अपवाद, स्पष्टीकरण अलग से दृष्ट्व्य है। इसी प्रकार, राजस्थान मृत राज्य कर्मचारी के आश्रित की अनुकम्पातमक नियुक्ति नियम, 1996 के अधीन नियुक्त सरकारी कर्मचारी के लिये वित्त विभाग की अधिसूचना क्रमांक एफ 12(4)एफ.डी.(रूल्स)/2008 दिनांक 4 मार्च 2011 का प्रावधान लागू होगा।

प्रशिक्षण काल आदि में वेतन

राजस्थान सेवा नियमों के नियम 25 के अनुसार यदि किसी सरकारी कर्मचारी को नियम 7(8)(b) के तहत प्रशिक्षण अवधि को कर्त्तव्य के रूप में समझे जाने पर किसी भी राज्य कर्मचारी को ऐसा वेतन स्वीकृत किया जा सकता है जिसे सरकार न्यायोचित समझे लेकिन किसी भी परिस्थिति में वह उस वेतन से अधिक नहीं होगा जिससे राज्य कर्मचारी यदि नियम 7(8)(b) के तहत कर्त्तव्य से मिल कर्त्तव्य पर रहता तो प्राप्त करता।

पदस्थापन आदेशों की प्रतीक्षा के दौरान वेतन

राजस्थान सेवा नियमों के नियम 25A के अनुसार साधारणतया निम्न परिस्थितियों में राज्य कर्मचारी को आवश्यक तौर पर पदस्थापन आदेशों की प्रतीक्षा (Awaiting Posting Orders) में रखा जाता है:

  • अवकाश से लौटने पर
  • भारत के भीतर प्रतिनियुक्ति से अपने मूलभूत विभाग में प्रत्यावर्तन पर
  • प्रशिक्षण पूर्ण करने के बाद या विदेशी कर्त्तव्यमार पूरा करने के बाद वापस लौटने पर
  • भारत के भीतर ही प्रशिक्षण से वापस लौटने पर
  • नियुक्तिकर्ता अधिकारी के निर्देश पर पुराने पद का चार्ज देने पर पदस्थापन आदेशों की प्रतीक्षा करना
  • दूसरे पद पर स्थानान्तरण होने पर अधिकारी को स्वीकार नहीं करना
  • राज्य कर्मचारी को पदावनति से बचाने के लिए
  • विभागीय पदोन्नति समिति/राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा नियुक्ति के मामले में अनुमोदन या नियुक्ति किये जाने तक एक राज्य कर्मचारी के स्थानापन्न रूप से धारित निम्न पद पर पदावनत हो जाने पर
  • कर्मचारी द्वारा धारण किये हुए पद की समाप्ति के कारण कर्मचारी के निम्न पद पर पदावनत हो जाने पर

वित्त विभाग की अधिसूचना क्रमांक एफ.1(1)एफ.डी./(रूल्स)/2007 दिनांक 6 अगस्त 2018 द्वारा राजस्थान सेवा नियम, खण्ड II के परिशिष्ट IX में विद्यमान क्रम संख्या 7A के प्रावधान को अब बदल दिया है जिसके अनुसार नवीन प्रावधान इस प्रकार है:

क्र. स. सेवा नियम का क्रमांक शक्ति की प्रकृति जिसे शक्ति प्रत्यायोजित की गयी है प्राधिकारी प्रत्यायोजित शक्ति की सीमा
1. 25A सरकारी कर्मचारी को आदेशों की प्रतीक्षा में रखने (APO) की शक्ति विभागाध्यक्ष 10 दिन की अवधि से अधिक नहीं-चतुर्थ श्रेणी सेवा/ अधीनस्थ/ मंत्रालयिक सेवा के राज्य कर्मचारी जिस संवर्ग का वह नियंत्रक प्राधिकारी है।
चेयरमेन, राजस्व मण्डल राजस्थान राज्य कर्मचारी के पदस्थापन के प्रतीक्षा के आदेश की प्रति राज्य कर्मचारी के पदस्थापन प्रतीक्षा के कारणों का वर्णित करते हुए प्रशासनिक विभाग को प्रेषित करने।
इस शर्त के साथ 30 दिन की अवधि से अधिक नहीं कि आदेश में पठवारी, मू-अभिलेख निरीक्षक, नायब तहसीलदार और तहसीलदार को पदस्थापन की प्रतीक्षा के आदेश के कारणों को वर्णित करना होगा।
प्रशासनिक विभाग उनके प्रशासनिक नियंत्रण में आने वाले विभागों में कार्यरत सरकारी कर्मचारियों के लिये पूर्ण शक्तियां। विभाग को सरकारी कर्मचारी के पदस्थापन प्रतीक्षा में रखने के कारणों को वर्णित करना होगा।

टिप्पणी:

1. इस तरह पदस्थापन प्रतीक्षा में रखने पर सरकारी कर्मचारी को कर्त्तव्य पर माना जायेगा।

2. नियोजन निर्देशन आरक्षण सहिता के आरोपण के कारण सरकारी कर्मचारी को पदस्थापन प्रतीक्षा में (APO) रखी गयी अवधि पदस्थापन प्रतीक्षा में (APO) के नियमन की ऊपर सम्बन्धित सीमाओं में सम्मिलित नहीं की जावेगी।

3. प्रत्यावर्तन पर पदस्थापन प्रतीक्षा में (APO) रखी गयी अवधि का नियमन ऐसे सरकारी कर्मचारियों के लिये अपेक्षित नहीं होगा जो संकल स्तर के अनुमोदन के बाद प्रतिनियुक्ति/प्रशिक्षण (देश/राज्य/विदेश में) पर गये हैं या अवकाश से लौटे हैं। ऐसे सरकारी कर्मचारियों के नियुक्त वेतन के भुगतान की व्यवस्था उनके नियमित पदस्थापन किये जाने की तारीख तक संबंधित प्रशासनिक विभाग/कार्मिक विभाग द्वारा किया जावेगा।

4. ऐसे सरकारी कर्मचारी के पदस्थापन आदेश उपरोक्त प्रत्यायोजन के अनुसार संकल प्राधिकारी करेंगे जो कम संख्या 3 में वर्णित श्रेणी के अलावा पदस्थापन प्रतीक्षा में रखे गये हैं।

5. ऐसे सरकारी कर्मचारी पदस्थापन प्रतीक्षा में नहीं रखे गये जावेंगे जिनके विरुद्ध राजस्थान सिविल सेवाएं (आचरण) नियम, 1971 अथवा राजस्थान सिविल सेवाएं (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम, 1958 के तहत अनुशासनिक कार्रवाही प्रारम्भ की जानी है। ऐसे मामलों में अनुशासनिक कार्रवाही नियमानुसार प्रारम्भ की जानी चाहिए।

6. ऐसे मामलों में जहां सरकारी कर्मचारियों के पदस्थापन आदेश 30 दिनों के भीतर जारी नहीं किये जाते, वहां संबंधित प्रशासनिक विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव/प्रमुख शासन सचिव/सचिव ऐसे सरकारी कर्मचारियों का विवरण (यानी सरकारी कर्मचारी का नाम, पद व पदस्थापन में रहने की कुल अवधि तारीख सहित) मुख्य मंत्री को तथा एक अर्द्ध-शासकीय पत्र द्वारा मुख्य मंत्री के प्रमुख शासन सचिव को प्रेषित करेंगे।

राजस्थान सेवा नियम - अध्याय 4 भाग 02

राजस्थान सेवा नियम

अध्याय 4 - भाग 02

पदोन्नति पर वेतन निर्धारण

मुख्य सचिव पदस्थापन प्रतीक्षा में रखे गये आदेशों के मामलों की त्रैमासिक समीक्षा करेंगे तथा प्रशासनिक विभाग/कार्मिक विभाग समिति प्रतिवेदन सीएमआर्इएस पर अपलोड करेंगे।

नियम 7(8)(b)(iii) के नीचे दी गयी टिप्पणी में यह प्रावधान किया गया है कि यदि कोई कर्मचारी अवकाश से वापिस लौटने पर या अपने पुराने पद का कार्यभार सम्हाला कर किसी पद पर नियोजित होने के आदेश की प्रतीक्षा करता है तो वह अनियर्त प्रतीक्षा की अवधि भी कर्त्तव्य-अवधि मानी जावेगी। यहां वित्त विभाग के आदेश क्रमांक एफ.1(4)वित्त/सीएफआर/2006 दिनांक 20 जून 2019 का सन्दर्भ देना प्रासंगिक होगा जिसके अनुसार सामान्य एवं वित्त लेखा नियम, खण्ड-1 के गैज़ेटा भाग 6 के नियम 207(a) को विलोपित करते हुये नियम 178(4) में यह प्रावधान जोड़ा गया है कि यदि किसी राज्य कर्मचारी को आदेशों की प्रतीक्षा में रखा गया है तो उसे राजस्थान सेवा नियम के प्रावधानों के अनुगत कर्त्तव्य पर गाना जायेगा। आदेशों की प्रतीक्षा के दौरान ऐसे राज्य कर्मचारी को उसी दर पर किसी स्पष्ट सिक्ति पद के विरुद्ध वेतन एवं भर्ती का चुकारा किया जावेगा जिस दर पर वह अपने पुराने पद के प्रभाव से कार्यमुक्त होने/छोड़ने से ठीक पहले आहरित कर रहा था। उसे बाहर भत्ता या स्थायी यात्रा भत्ता, पदस्थापन आदेशों की प्रतीक्षा अवधि में नहीं मिलेगा।

परीक्षाधीन अवधि सफलतापूर्वक पूरी करने वाले परीक्षाधीन प्रशिक्षणार्थी का लेवल में पे-मैट्रिक्स में वेतन नियतन

वित्त विभाग की अधिसूचना क्रमांक एफ.1(4) एफ.डी.(रूल्स)/2017-1 दिनांक 30 अक्टूबर 2017 द्वारा नियम 26(1) को दिनांक 1 जनवरी 2016 से संशोधित करते हुए यह प्रावधान किया गया है कि परीक्षाधीन प्रशिक्षणार्थी द्वारा परीक्षा अवधि

सफलतापूर्वक पूर्ण करने पर पे मैट्रिक्स के संबंधित लेवल में वेतन प्रथम सेल में अनुज्ञात किया जावेगा।

दिनांक 1 जनवरी 2016 से नियम 26(1) में निम्न पांच परिस्थितियां वर्णित की गयी है जो इस प्रकार है:

(1) यदि कोई राज्य कर्मचारी जो पहले से ही राज्य की नियमित सेवा में है, उसकी नियुक्ति अन्य समान या उच्च पद पर होती है, तथा वह परीक्षा अवधि में पूर्व के पद के पे लेवल में वेतन प्राप्त करने का विकल्प प्रस्तुत करता है तो उसे परीक्षाधीन अवधि में पूर्व के पद के पे लेवल में वार्षिक वेतनवृद्धि देय होगी। परीक्षाधीन अवधि पूर्ण होने पर नये पद के निर्धारित पे लेवल के समान सेल में स्थिर किया जावेगा। यदि समान उपलब्ध नही हो तो उसी लेवल में अगले उच्चतर सेल में स्थिर किया जावेगा।

(2) यदि कोई राज्य कर्मचारी पूर्व के पद से निचले पद पर परीक्षाधीन प्रशिक्षणार्थी के रूप में नियुक्त होता है तथा पुराने पद के वेतन को प्राप्त करने का विकल्प होता है तो परीक्षा अवधि की समाप्ति पर उसका वेतन उस स्तर पर स्थिर किया जावेगा जिस वह यदि पुराने पद वाली सेवा आरम्भ से ही नये पद के विरुद्ध करता तो प्राप्त करता परन्तु यह शर्त भी है कि इस प्रकार निर्धारित वेतन पूर्व के पद पर प्राप्त अन्तिम वेतन से सीमित किया जावेगा।

(3) यदि कोई व्यक्ति जिसकी राजस्थान सिविल सेवाएं (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम, 1958 में यथा परिभाषित राज्य सेवा के प्रारम्भिक पद से उच्चतर किसी ऐसे पद पर जिसकी शैक्षणिक/मूसिक योग्यताएं तथा अनुभव निर्धारित है, सीधी भर्ती से नियुक्त होती है तो उस पद पर उसकी परीक्षा अवधि 1 वर्ष होगी। परीक्षा अवधि की

समाप्ति पर उसे पद के पे-मैट्रिक्स में लेवल (प्रथम सेल) में न्यूनतम वेतन अनुज्ञात किया जावेगा।

(4) यदि कोई राज्य कर्मचारी पूर्व से ही राज्य सेवा में है, तथा पुनः सीधी भर्ती से राज्य सेवा के प्रारम्भिक पद से उच्च किसी ऐसे पद पर 1 वर्ष की अवधि के लिए परीक्षा पर नियुक्त होता है तो उसका पूर्व पद का आहरित वेतन नये पद के प्रारम्भिक वेतन से अधिक है तो पे-मैट्रिक्स में नये पद के लेवल के समान सेल में पुराने पद के वेतन के सन्दर्भ में समान स्तर पर स्थिर किया जावेगा। यदि समान स्तर उपलब्ध नही हो तो उसी लेवल में अगले उच्चतर सेल में स्थिर किया जावेगा।

(5) यदि कोई व्यक्ति जो पहले से भारत सरकार या अन्य राज्य सरकार (भारत सरकार एवं राज्य सरकार की संस्थाओं सहित) में नियुक्त हो और वह सीधी भर्ती से पूर्व के पद से राज्य सेवा के प्रारम्भिक पद से उच्च पद पर नियुक्त होता है तथा उसका पूर्व पद का आहरित वेतन नये पद के निर्धारित प्रारम्भिक वेतन से अधिक है, तो पे-मैट्रिक्स में नये पद के लेवल के समान सेल में पुराने पद के वेतन के सन्दर्भ में समान स्तर पर किया जावेगा। यदि समान स्तर उपलब्ध नही हो तो उसी लेवल में अगले उच्चतर सेल में स्थिर किया जावेगा।

नियम 26(2) के अनुसार ऐसे सरकारी कर्मचारी का वेतन नियतन जो अर्जेंट अस्थायी आधार (Urgent Temporary Basis) पर नियुक्त किया गया हो और जिसकी सेवाएं राजस्थान लोक सेवा आयोग के माध्यम से या सुसंगत सेवा नियमों में विहित चयन समिति द्वारा चयन पर विनियमित की गयी हो-अर्जेंट अस्थायी आधार पर कार्यरत सरकारी कर्मचारी राजस्थान लोक सेवा आयोग

के माध्यम से या सुसंगत सेवा नियमों के अधीन चयन समिति द्वारा चयन होने पर नये सिरे से परीक्षाधीन प्रशिक्षणार्थी के रूप में नियुक्त किया जाता है तो उसे परीक्षा प्रशिक्षण के दौरान नियम पारिश्रमिक अनुज्ञात किया जावेगा और परीक्षा प्रशिक्षण की अवधि पूर्ण होने पर पद के प्रवेश वेतन (Entry pay of the post) का हकदार होगा।

नियम 26(3) के अनुसार जब किसी सरकारी कर्मचारी की नियुक्ति उसके अनुरोध पर राजस्थान सेवा नियम, 1951 के नियम 20(क) या राजस्थान सिविल सेवाएं (पेंशन) नियम, 1996 के नियम 38(1) के अधीन की जाती है तो उसका वेतन स्थिरीकरण पद के पे-मैट्रिक्स में लेवल में समान सेल (Equal Cell) में किया जावेगा। यदि समान स्तर उपलब्ध नही हो तो उसी लेवल में निचले सेल (Lower Cell) में स्थिर किया जावेगा। राज्य सरकार ने स्पष्टीकरण दिया है कि यदि परीक्षाधीन के रूप में/परीक्षा पर सेवारत कोई सरकारी कर्मचारी परीक्षा की निहित अवधि के सतोषप्रद पूर्ण होने से पूर्व नये पद पर नियुक्त किया जाता है तो पुराने पद पर की गयी सेवा की अवधि नये पद पर इस प्रयोजनार्थ नहीं गिनी जावेगी।

पदोन्नति पद वेतन निर्धारण

वित्त विभाग की अधिसूचना क्रमांक एफ.1(4)एफ.डी.(रूल्स)/ 2017-1 दिनांक 30 अक्टूबर 2017 द्वारा पुनरीक्षित वेतन संरचना में एक लेवल से दूसरे लेवल में पदोन्नति के मामले में नियम 26A को दिनांक 1 जनवरी 2016 से संशोधित करते हुए निम्न प्रावधान किये गये है:

(1) उस लेवल में एक वेतनवृद्धि दी जावेगी जिस लेवल से सरकारी कर्मचारी को पदोन्नत किया गया है और उस पद, जिस पर पदोन्नत किया गया है, के लेवल में इस प्रकार आये अंक के समान सेल में रखा जावेगा। यदि उस लेवल, जिस

पर पदोन्नत किया गया है, में कोई ऐसा सेल उपलब्ध नहीं है तो उसे उस लेवल में अगले उच्चतर सेल में रखा जावेगा। यह निम्न दृष्टान्त से समझा जा सकता है:

S. No. Details Pay Band/Grade Pay-Levels/Cells
1. Level in the Revised Pay Structure: Level 4 Pay Band 5200-20200
Grade 1700 1750 1900 2000 2400
Basic Pay in the Revised Pay Structure: 21000 Pay No. 2 3 4 5 9
Granted Promotion in Level 5 Pay after one increment in Level 4:21600 Levels 1 2 3 4 5
2. Pay in the upgraded Level 5:22000 (either equal to or next higher to 21600 in Level 5 1 17700 17900 18200 19200 20800
2 18200 18400 18700 19800 21400
3 18700 19000 19300 20400 22000
4 19300 19600 19900 21000 22700
5. 5 19900 20200 20500 21600 23400
6 20500 20800 21100 22000 24100
7 21100 21400 21700 22900 24800

वित्त विभाग ने अपनी अधिसूचना क्रमांक एफ.1(4)एफ.डी.(रूल्स)/2017-1 दिनांक 26 जुलाई 2023 द्वारा राजस्थान सेवा नियम के नियम 26A के मौजूदा उप नियम (1) को निम्नानुसार प्रतिस्थापित कर दिया है जो 1 जनवरी 2016 से प्रभावशील किया गया है:

जब किसी सरकारी कर्मचारी की पदोन्नति अर्जेंट टेम्परेरी बेसिस को छोड़कर उसकी सेवा, संवर्ग या विभाग में पदोन्नति की नियमित पकीषी में की जाती है तो उच्चतर पद के पे-मैट्रिक्स में पे लेवल में उसका प्रारम्भिक वेतन उस अवस्था में, जिस पर ऐसा वेतन आहरित किया जाता है, एक वेतनवृद्धि देकर निम्नतर पद में उसके द्वारा आहरित

वास्तविक वेतन को बढ़ाकर नोशनल रूप से आगे वेतन के अगली उपरी स्टेज पर नियत किया जावेगा।

(2) चालू वर्ष की विभागीय पदोन्नति समिति (डी.पी.सी.) पर सरकारी कर्मचारी का वेतन निर्धारण:

(i) जहां चालू वर्ष की डी.पी.सी. की गयी है और सरकारी कर्मचारी को उच्चतर पद पर पदोन्नत किया गया है वहां पूर्व वर्ष से आगे लाये गये पद के सम्बन्ध में डी.पी.सी. वर्ष के 1 अप्रैल से या रिक्ति, जिसके प्रति चयन किया गया है, की दिनांक से उच्चतर पद पर काल्पनिक आधार पर वेतन निर्धारित किया जावेगा। वास्तविक लाभ की हकदारी सेवारत कर्मचारी द्वारा पदोन्नति पद का कार्यभार सम्भालने की दिनांक से देय होगा।

(ii) जहां वार्षिक वर्ष की डी.पी.सी. की गयी है किन्तु पदोन्नति आदेश जारी होने से पूर्व पदोन्नत कर्मचारी सेवानिवृत्त हो जाता है वहां उसके वेतन का काल्पनिक निर्धारण, पूर्व वर्ष से लाये गये पद के सम्बन्ध में डी.पी.सी. वर्ष के 1 अप्रैल से या रिक्ति, जिसके प्रति चयन किया गया है, की दिनांक से या यदि पद की रिक्ति की वास्तविक दिनांक का पता लगाना सम्भव न हो तो सरकारी कर्मचारी की सेवानिवृत्ति की दिनांक से, जैसा भी हो, किया जा सकेगा।

(iii) यदि डी.पी.सी. चालू वर्ष में हुई है और पदोन्नति आदेश अगले वर्ष में जारी किया गया है तो पदोन्नति पद पर वेतन निर्धारण पूर्व वर्ष से आगे लाये गये पद के सम्बन्ध में डी.पी.सी. के 1 अप्रैल से या रिक्ति, जिसके प्रति चयन किया गया है, की दिनांक से या यदि पद की

रिक्ति की दिनांक का पता लगाना सम्भव नही हो तो डी.पी.सी. वर्ष के 31 मार्च को, जैसा भी हो, काल्पनिक वेतन निर्धारण किया जावेगा और वास्तविक सदाय पदोन्नति पद का कार्यभार ग्रहण करने की दिनांक से किया जावेगा।

(3) यदि पदोन्नति वार्षिक वेतनवृद्धि की दिनांक से की गयी है तो उस स्थिति में प्रथम वेतनवृद्धि निचले पद पर अनुज्ञात की जावेगी और तत्पश्चात उच्चतर स्तर पर पदोन्नति पर वेतन निर्धारण किया जावेगा।

(4) यदि कोई सरकारी कर्मचारी उसी लेवल में ए.सी.पी की स्वीकृति के पश्चात उच्चतर पद पर पदोन्नत किया जाता है तो उच्चतर पद पर और वेतन निर्धारण नहीं किया जावेगा।

(5) पदोन्नति पर वेतन निर्धारण के बाद वेतनवृद्धि की अगली दिनांक वर्ष की 1 जुलाई होगी।

विशेष वेतन का संरक्षण

एक कर्मचारी नियम 7(31)(क) के अनुसार उच्चतर दायित्वों या विशेष कार्य सम्पादित करने के कारण लगातार 2 वर्ष तक विशेष वेतन (Special Pay) प्राप्त कर रहा हो तथा उसकी उच्च पद पर पदोन्नति या नियुक्ति कर दी जावे तथा उसके पूर्व पद का वेतन एवं विशेष वेतन दोनों मिलाकर पदोन्नति/नियुक्ति वाले पद के निर्धारित वेतन से अधिक रहता हो तो वह अन्तर उसे व्यक्तिगत वेतन (Personal Pay) के रूप में स्वीकृत कर दिया जावेगा तथा इसे भविष्य में उसे देय वार्षिक वेतनवृद्धि के लाभों में अन्तर्लीन (absorbed) कर दिया जावेगा। 2 वर्ष की गणना करते समय कर्मचारी द्वारा लिये गये अवकाशों की समस्त अवधि को भी सम्मिलित किया जावेगा।

वर्कचार्जड पदों को नियमित विभागीय पदों में परिवर्तन पर

नियम 26C के अनुसार किसी वर्कचार्जड कर्मचारी को जब नियमित विभागीय पदों पर आमंत्रित किया जाता है तो वेतन निर्धारण उसी स्तर/दर पर किया जावेगा जो कि वर्कचार्जड के रूप में प्राप्त कर रहा था। ऐसे मामलों में कर्मचारी की वेतनवृद्धि तारीख में कोई परिवर्तन नहीं होगा।

घटाई गयी (कम की गयी) वेतन श्रृंखला में स्थायी नियुक्ति होने पर प्रारम्भिक वेतन का निर्धारण

नियम 27 के अनुसार एक राज्य कर्मचारी जो किसी वेतनमान वाले पद पर स्थायी रूप से नियुक्त है यदि उसका वेतनमान उस पद के कार्य एवं उत्तरदायित्वों को घटाये बिना अन्य कारणों से कम कर दिया जाता है तो उस कर्मचारी को इस कठिनाई से पूर्व के वेतनमान में वेतन प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है, तो उसका वेतन निर्धारण नियम 26 के प्रावधानों के अनुसार किया जावेगा बशर्ते कि

(1) उसने पूर्व में स्थायी रूप से अथवा स्थानापन्न रूप से निम्न प्रकार का कार्य किया हो:

(i) उसी पद पर वेतनमान के कम होने से पूर्व या

(ii) उसी वेतनमान के स्थायी या अस्थायी पद का वेतनमान कम होने से पूर्व, या

(iii) सावधि पद या अस्थायी पद के अलावा एक स्थायी पद पर ऐसे वेतनमान में जो उस पद के घटे हुए वेतनमान के समान हो जिसमें स्थायी पद होता है या

(2) वह ऐसे सावधि पद पर स्थायी रूप से नियुक्त किया गया है जिसका वेतनमान पद के कर्त्तव्य एवं उत्तरदायित्वों को कम किये बिना ही घटा दिया गया है एवं उनसे पूर्व में सावधि

पद के बिना घटाये वेतनमान के समान अन्य वेतनमान वाले किसी सावधि पद पर स्थायी रूप से कार्य किया हो तो कर्मचारी का प्रारम्भिक वेतन (उसका विशेष वेतन, व्यक्तिगत वेतन या अन्य राशि के अलावा) उस वेतन से कम नहीं होगा जिसे वह पूर्व के अवसरों पर नियम 26 के अनुसार प्राप्त करता यदि कम किया गया वेतनमान प्रारम्भ से ही प्रभावशील होता एवं वह कर्मचारी वार्षिक वेतनवृद्धि के लिए सेवा की उस अवधि को भी, जिसमें वह पूर्व अवसरों पर उस वेतन को प्राप्त करता, गिनने का अधिकारी होगा।

परीक्षा के दौरान वेतन

नियम 27A के अनुसार किसी व्यक्ति को परीक्षा पर नियुक्त करने पर:

1. परीक्षा अवधि में वेतनवृद्धि स्वीकृत नहीं की जावेगी

2. नियमों के अनुसार निर्धारित परीक्षा अवधि में संकल प्राधिकारी परीक्षा आयोजित नहीं कर पाये या स्थगीकरण की उपयुक्तता का निर्धारण नहीं कर पाये तो परीक्षाकाल की समाप्ति पर कर्मचारी को वेतनमान के प्रारम्भिक दर पर वेतन यानि न्यूनतम वेतन उठाये जाने की स्वीकृति प्रदान की जावेगी।

3. परीक्षा अवधि में वृद्धि होने पर प्रथम वेतनवृद्धि भी उतने दिन बढ़ा दी जावेगी।

4. परीक्षा की निश्चित अवधि की समाप्ति के दुरन्त बाद प्रभावशील स्थगीकरण की आज्ञा जारी होने पर वार्षिक वेतनवृद्धि जो सामान्य रूप से देय होती है, पूर्व प्रभाव से स्वीकृत कर दी जावेगी।

राजस्थान सेवा नियम - अध्याय 4 भाग 03

राजस्थान सेवा नियम

अध्याय 4 - भाग 03

वार्षिक वेतनवृद्धि

और 7 वर्ष की संतोषजनक सेवा की अनुकूलता या एसीआर में प्राप्त टिप्पणियों के कारण अथवा राजस्थान सिविल सेवाए (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम, 1958 के नियम 17 के अधीन शास्ति के कारण अनुज्ञात नहीं किया जाता है तो परीक्षाधीन विगत सात वर्ष के अनुमान पर उसके पारिश्रमिक प्रभाव नहीं होंगे। परन्तु राजस्थान सिविल सेवाएं (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम, 1958 के नियम 16 के अधीन शास्ति के कारण एसीआर आधारित होती है तो परीक्षाधीन विगत सात वर्ष की सेवा पर उसके पारिश्रमिक प्रभाव होंगे। इसके यह भी पूर्व विगत उपयुक्त की स्वीकृति के निर्देश पर आश्रमित हो जावेगा।" इस प्रकार, राजस्थान सिविल सेवाएं (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम, 1958 के नियम 17 के अनुगत सांविदिक शास्ति की गयी हैं साधिकारिक के मामलों में एसीआर में पारिश्रमिक प्रभाव को समक्ष कर दिया गया है। यह प्रावधान 9 दिसम्बर 2022 से प्रभावशील किया गया है। (राजस्थान राजपत्र विशेषांक भाग 4(ग) उप भाग 3 अप्रैल 2023 पृष्ठ 12-13 पर प्रकाशित)

सामान्य वार्षिक वेतनवृद्धि की देवता

राजस्थान सेवा नियम 29 के अनुसार प्रत्येक कर्मचारी/अधिकारी उसकी देय वार्षिक वेतनवृद्धि सामान्य रूप से समय पर ही दे देनी चाहिए। जब तक उसकी रोकने/स्थगित करने संकल समक्ष प्राधिकारी के पास कारण न हो। 1 अप्रैल 1974 से लिये गये राजस्थान सरकार के विनिश्चय के अनुसार सरकारी कर्मचारियों की वेतनवृद्धि जिस माह में वह सामारम्भ निगम एवं वेतनवृद्धि को निर्धारित करने वाले अधेशों के अधीन अपेक्षित होती है, उस माह की पहली तारीख को स्वीकार की जावे ही। अतएव अब राजस्थान सिविल सेवाएं (पुनरीक्षित वेतन) नियम, 2008 प्रभावशील किये जाने के फलस्वरूप यह प्रावधान किया गया है कि वार्षिक वेतनवृद्धि की एक ही तारीख अवैध प्रत्येक वर्ष की 1 जुलाई होगी। जुलाई को 1 मैट्रिक्स के

किसी भी लेवल में 6 माह और अधिक पूर्ण करने वाले कर्मचारी वेतनवृद्धि की वकील के पात्र हैं।

वित्त विभाग के अपने परिपत्र क्रमांक एफ.1(1)एफ.डी.(रूल्स)/2005 दिनांक 21 नवम्बर 2022 द्वारा यह स्पष्ट किया है कि राजस्थान सिविल सेवाएं (पुनरीक्षित वेतन) नियम, 2017 के नियम 13(2) एवं मलयाल साहित्य राज्य सरकार द्वारा गये राज्य कर्मचारी के लिए 30 जून को प्रशिक्षणार्थी श्रेणी की 2 वर्ष की अवधि पूर्ण कर लेते हैं, को आगामी वेतन वृद्धि 30 जून के तुरन्त बाद आने वाली 1 जुलाई को देय नहीं होगी क्योंकि 2 वर्ष की अवधि पूर्ण होने पर उसे 1 जुलाई को देय प्रशिक्षणार्थी काल। जुलाई को उसकी प्रथम वेतन वृद्धि देय होगी।

कार्मिक विभाग के परिपत्र क्रमांक-प.13(76)कार्मिक/क-1/01 दिनांक 13 जनवरी 2016 के अनुसार राज्य सेवा के राजपत्रित अधिकारियों द्वारा असेल संपत्ति की ब्याज प्रस्तुत नहीं करने पर आगामी वेतनवृद्धि का रोक देय नहीं होगी।

सरकारी कर्मचारी की सेवानिवृत्ति 30 जून को है, उन्हें 1 जुलाई की वेतनवृद्धि देय है या नहीं, यह प्रश्न में यह खड़ा है। यह प्री. अध्यसद्यमध्यम के मामले में माननीय मंत्रालय उच्च न्यायालय रिट पिटीशन डी. 1372/2017 में दिनांक 15 सितम्बर 2017 को दिये गये निर्णय के अनुसार यह प्रश्न उल्लिखित हुआ है। ऐसे मामलों में चर्चा में राज्य सरकार ने गंभीरता पूर्वक विचार किया है। वित्त विभाग ने अपने परिपत्र क्रमांक एफ.9(33)एफ.डी.(रूल्स)/2007 दिनांक 11 फरवरी 2020 तथा 5 जुलाई 2021 द्वारा यह स्पष्ट किया है कि जिन कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति वर्ष की 30 जून को है, उन्हें वर्ष की 1 जुलाई की वेतनवृद्धि देय नहीं है। राजस्थान उच्च न्यायालय,

राजस्थान सेवा नियम

जोधपुर के समक्ष श्री सत्यी मोहनलाल एवं अन्य द्वारा दायर डी.बी. सिविल रिट पिटीशन संख्या 6024/2021 का निर्णाल 1 दिसम्बर 2021 को दिसम्बर कर दिया गया है। अतः वित्त विभाग ने अपने परिपत्र क्रमांक एफ.9(33)एफ.डी.(रूल्स)/2007 दिनांक 5 जनवरी 2022 द्वारा यह पुनः स्पष्ट किया है कि जिन कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति वर्ष की 30 जून को है, उन्हें वर्ष की 1 जुलाई की वेतनवृद्धि देय नहीं है।

दक्षता अवरोध पार करना

राजस्थान सेवा नियम 30 के अनुसार वेतनमान में दक्षता अवरोध के रूप पर आगामी वेतनवृद्धि रोकी न जावेगी जब वेतनवृद्धि रोकने वाला संकल प्राधिकारी प्रसन्न कर्मचारी कर दिया गया है।

वार्षिक वेतन वृद्धियों में सेवाकाल की गणना

राजस्थान सेवा नियम 31 तथा उसे उपनियमों के अनुसार विभिन्न प्रसंग-पत्र के विकल्प अन्य आधार पर दिये गये अवसारण के संदर्भ में निवेदन अवधि को सेवाकाल से बाहर रखने के आदेशों को छोड़कर सेवाकाल की निम्नांकित समस्त अवधि वार्षिक वेतन वृद्धि की गणना में सम्मिलित भई जावेगी।

(1) छुट्टी पर या उसके संगम पर की गयी समस्त सेवा अवधि चाहे वह नियुक्ति स्थायी हो या अस्थायी

(2) भारत के बाहर प्रतिनियुक्ति

(3) अवसारण अवकाश (विभिन्न प्रसंग पत्र के आधार के अलावा) के अलावा अवकाशी अवकाश की अवधि

(4) प्रशिक्षणार्थ अवधि जिसमें कर्मचारी अवकाश पर प्रशिक्षण करने से पूर्व या भारत से बाहर प्रतिनियुक्ति पर जाने से पूर्व कार्य कर रहा था।

(5) अवसारण अवकाश भी सरकार के विशिष्ट आदेश द्वारा वेतनवृद्धि हेतु गिना जा सकता है।

(6) उच्च पद की स्थानापनक/कार्यकालिक सेवा निर्देशन होने पर

(7) वैदेशिक सेवा अवधि

(8) कार्यग्रहण काल की अवधि

(9) संवर्ग से बाहर एकल पद पर की गयी सेवा

(10) राज्य सरकार अथवी राज्य सरकार की विशिष्ट आज्ञा होने पर ही

अपरिमित वेतन वृद्धियों की स्वीकृति

राजस्थान सेवा नियम 32 के अनुसार एक प्राधिकारी जो विशिष्ट वेतनमान से एक संवर्ग में पदों के सृजन करने की शक्ति रखता है, वही उस वेतनमान में राज्य कर्मचारी को अतिरिक्त/अपरिमित वार्षिक वेतन वृद्धि का अनुमान कर सकता है।

निम्न स्तर या निम्न पद पर स्थानान्तरण पर वेतन नियतन की स्वीकृति

राजस्थान सेवा नियम 33 के अनुसार एक संकल प्राधिकारी जब किसी कर्मचारी को दण्ड के रूप में एक पद के वेतनमान से निम्न पद पर स्थानान्तरण करता है तो वह उस कर्मचारी को कोई न वेतन, उसित समझ कर, स्वीकृत कर सकता है लेकिन वह वेतन निम्न पद या श्रेणी के अधिकतम वेतन से अधिक नहीं होगा।

पद या श्रेणी में कमी होने पर भावी वेतनवृद्धियों की स्वीकृति

राजस्थान सेवा नियम 34 में पदावनती के संबंध में दो प्रावधान है:

(क) किसी कर्मचारी को एक वेतनमान में नीचे के स्तर पर पदावनत किया जाता है तो दण्डाधिकारी उस आज्ञा में इस बात का

उल्लेख करेगा कि किस अवधि तक ऐसी आज्ञा प्रभावशील होगी। साथ ही उस प्राधिकारी को यह भी अधिक करना होगा कि इससे पूर्व के स्तर पर कर्मचारी को पदावनत करने पर किसी दिव्य पर भावी वेतनवृद्धि बन्द रहेगी या नहीं। एवं यदि हो तो किस सीमा तक। दूसरे शब्दों में, किसी भी कर्मचारी को एक वेतनमान में निम्न स्तर पर दण्ड के रूप में पदावनत करने वाले संकल प्राधिकारी द्वारा प्रत्येक आज्ञा में निम्नलिखित तथ्यों का स्पष्टत उल्लेख किया जाना चाहिए:

(i) दिनांक, जिससे यह आज्ञा प्रभावी होगी एवं समय (यदि एवं द्वारा) यह दण्ड प्रभावी रहेगा।

(ii) वेतनमान के किसी स्तर पर दिये जाने वाले वेतन का उल्लेख (एवजी में) जिस पर कर्मचारी का पदावनत काल में वेतन दिया जावेगा व दिव्य रामर्श, एवं माह, यदि कोई हो, जिसको उपलब्ध।

(iii) अवधि अवधि एवं नहीं वेतनवृद्धि स्थगित रहेगी या अवधि में या खत्म जाना है कि किसी वेतनमान में नीचे के स्तर पर पदावनत करने वाली एवं अनिच्छा या स्वयं को से देखा निष्पादनपूर्वक नहीं है।

(ख) एक वेतनमान से दूसरे के रूप में निम्न श्रेणी अवधार पर अथवा एक निम्न वेतनमान में पदावनत कर दिया जाता है तो आज्ञा देने वाला प्राधिकारी ऐसी आज्ञा में उस अवधि का उल्लेख भी कर देगा है या नहीं की कार, जिसमें यह आज्ञा प्रभावशील रहेगी। लेकिन जहां आज्ञा में ऐसा उल्लेख कर दिया जाये जहां अधिकारी वह भी अधिक करेगा कि क्या कर्मचारी की पुनः परानुकूलता का समय भावी वार्षिक वेतनवृद्धियों को स्थगित रखेगा एवं यदि हो तो किस सीमा तक।

पदावनती की अवधि समाप्त होने पर राज्य कर्मचारी का वेतन क्या होना चाहिए वह प्रश्न निम्नानुसार तय किया जाना चाहिए:

(i) यदि पदावनती की आज्ञा में स्थिति हो कि पदावनती का समय भावी वार्षिक वेतनवृद्धि को नहीं रोकेगा तो कर्मचारी को वह

वेतन दिया जाना चाहिए जिससे वह साधारण रूप से पात्र करता, किन्तु पदावनती के कारण वह प्राप्त नहीं कर सकता। साथ ही, यदि पदावनती के ठीक पहले उसको द्वारा प्राप्त किया गया वेतन उसे देवत्व राजस्थान सेवा नियमों के नियम 30 के प्रावधान के अनुसार के विरुद्ध, पर करने की आज्ञा नहीं दी जानी चाहिए।

(ii) यदि आज्ञा में विशेष रूप से यह अंकित है कि पदावनती का समय भावी वार्षिक वेतनवृद्धि का स्थगन करेगा तो कर्मचारी को वेतन उपदेश (i) के अनुसार निर्धारित किया जावेगा व मगर उससे वेतनवृद्धि के लिये स्थगित की गयी अवधि की मात्र उससे वेतनवृद्धि के लिये नहीं दिया जावेगा।

पदावनती के आदेश में अस्पष्टता/पुनरकलन

नियम 34A में यह प्रावधान किया गया है कि एक राज्य कर्मचारी की वार्षिक वेतनवृद्धि रोकने, निम्न श्रेणी, सेवा या पद पर उसकी पदावनती करने या निम्न वेतनमान में निम्न स्तर पर पदावनती करने के दण्ड का आदेश जब अस्पष्ट या पुनरकलनीकरण का आदेश निर्गत या संशोधित कर दिया जाये तो कर्मचारी का वेतन, इन नियमों में कुछ भी उल्लेख न होने पर भी, निम्न प्रकार से निर्धारित किया जावेगा:

(i) यदि वह आज्ञा निरस्त कर दी जावे है तो जितने समय तक आज्ञा प्रभावी रहने के वेतन का अन्तर वह प्राप्त करेगा, जिसे वह आज्ञा जारी नहीं होने पर प्राप्त करता एवं वह वेतन जो उसने प्राप्त किया।

(ii) यदि संशोधित आज्ञा संशोधित कर दी जावे है तो वेतन इस प्रकार निर्धारित किया जावेगा मानो संशोधित आज्ञा ही आरम्भ से जारी की गयी हो।

राजस्थान सेवा नियम - अध्याय 4 भाग 04

राजस्थान सेवा नियम

अध्याय 4 - भाग 04

स्थानापन्न नियुक्तियां और वेतन संबंधी नियम

राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि यदि इस नियम के तहत समान प्राधिकारी की आज्ञा को प्रस्तारित करने से पूर्व किसी अवधि के संबंध में एक कर्मचारी द्वारा प्राप्त किया गया भुगतान पूर्ण संशोधित कर दिया गया है (यानी केवल के अलावा), यदि कोई हो, जो उस समय में मिलता हो, संशोधित वेतन के अनुसार ही संशोधित किये जावेंगे।

स्थानापन्न नियुक्तियों पर वेतन निर्धारण

एक संकल प्राधिकारी अपने कार्यक्षेत्र/विभाग में मामले सम्पादन के संबंध में चाहत प्रभाव कर सकता है। जब कर्मी कोई पद किसी कारणवश से रिक्त हो जावे तो संकल प्राधिकारी के पास निम्न विकल्प है:

  • संस्थापन के अन्य व्यक्तियों में उस रिक्त पद के कार्यों को आबंटन कर दिया जावे
  • किसी अन्य आदमी पदोन्नति देकर रिक्त की पूर्ति की जावे
  • किसी राज्य कर्मचारी को उसके पद के कर्त्तव्यों के अलावा दूसरे पद का कार्यभार भी सम्भालने के लिये नियुक्त किया जावे।

राजस्थान सेवा नियम 35 में किसी रिक्त स्थान की पूर्ति करने के लिये संकल प्राधिकारी को स्पष्ट आज्ञा प्रस्तुत करनी चाहिये।

नियम 35-A के अनुसार किसी कर्मचारी को एक पद पर कार्यकाल के आधार पर नियुक्त किया जाता है, तब वह उस पद पर परिवर्तित वेतन प्राप्त करता है। इस संबंध में नियम 6 की गयी है। नियम 35-B के अनुसार यदि किसी पद पर किसी राज्य कर्मचारी की पदोन्नति या नियुक्ति दीर्घकाली पर जाते तो राज्य कर्मचारी का वेतन सरकार द्वारा निकलित सामान्य या विशेष आज्ञाओं के अनुसार निर्धारित होगा।

राजस्थान सेवा नियम

कम दर पर कार्यकालिक वेतन नियत करने की शक्ति:

नियम 36 के अनुसार राज्य सरकार द्वारा एक कार्यकालिक/ स्थानापन्न सरकारी कर्मचारी का वेतन इन नियमों के तहत स्वीकृत वेतन की दर से कम दर पर निर्धारित किया जा सकता है।

अन्य कर्मचारियों के वेतन के समान कार्यकालिक वेतन का निर्धारण

नियम 37 के अनुसार, जब कोई सरकारी कर्मचारी किसी ऐसे पद पर कार्य करता है जिसका वेतन किसी अन्य कर्मचारी के वेतन के समान रूप कर स्वीकार किया गया हो तो सरकार उसे इस प्रकार निर्धारित की गयी किसी दर पर वेतन भुगतान कर सकती है जो उस वेतन के निम्नतम स्तर के वेतन से अधिक नहीं होगा। साथ ही भावी वार्षिक वेतनवृद्धि भी स्वीकृत दर से अधिक नहीं होगी।

प्रशिक्षण में भाग लेने वाले सरकारी कर्मचारियों के स्थान पर कार्यकालिक पदभार

नियम 38 के अनुसार सरकार सामान्य या विशिष्ट आदेश जारी कर ऐसे सरकारी कर्मचारी के स्थान पर कार्यकालिक पदभारी अनुज्ञात कर सकती है जिसे मामले में प्रशिक्षण या पाठयक्रम पूरा करने के लिये छुट्टी दी उसे प्रशिक्षण में भाग लेने के लिये राजस्थान सेवा नियमों के नियम 7(8)(b) के तहत कर्त्तव्य पर माना गया हो। यहां राज्य सरकार के निर्देश है कि वेतन देने के लिये नये पद का सृजन नहीं करना होगा।

व्यक्तिगत वेतन में कमी होना

नियम 39 के अनुसार, जब तक स्वीकृति प्रदान करने वाला प्राधिकारी आदेश न दे दे, किसी सरकारी कर्मचारी का व्यक्तिगत वेतन उसका काल किया जा सकता है जिसका उसका वेतन बढ़ता जावे।

जैसे ही एक कर्मचारी का वेतन व्यक्तिगत वेतन के समान वह जावेगा, वैसे ही व्यक्तिगत वेतन निरस्त हो जावेगा।

अस्थायी पद का सृजन

नियम 40 के अनुसार, जब कभी कोई अस्थायी पद का सृजन किया जाता है जिस ऐसे व्यक्ति से भरा जाता है जो पहले से ही सरकारी सेवा में नहीं है, उस पद का वेतन उस आवश्यक न्यूनतम पर कर्त्तव्य, योग्यता एवं कुशलतापूर्वक सम्पादित करने के लिये कार्य पर लगने के लिये आवश्यक है।

नियम 41 के अनुसार, जब कभी कोई अस्थायी पद का सृजन किया जाता है ऐसे व्यक्ति से भरा जाता है जो पहले से ही सरकारी सेवा में है, उस पद का वेतन निम्न सिद्धान्त के स्थान में रखकर नियत किया जावे:

  1. सम्पादित किये जाने वाले कार्य की प्रकृति एवं उत्तरदायित्व
  2. एक स्तर के सरकारी कर्मचारियों का वर्तमान वेतन जो उस पद पर समान के लिये योग्य है।

वेतन विसंगति का निराकरण

किसी पद की वेतन श्रृंखला का और आगे पुनरीक्षण होने के कारण सीधी भर्ती से नियुक्त किये गये, मारन्द एवं कनिष्ठ सरकारी कर्मचारी के बीच वेतन विसंगति का निराकरण करते हुये राज्य सरकार ने अप्रैल 2008 के बाद की तारीख से वेतन श्रृंखला के आगामी पुनरीक्षण के कारण, यदि मारन्द कर्मचारी का वेतन कनिष्ठ कर्मचारी से कम्तर हो जावे तो ऐसे मामलों में मारन्द सरकारी कर्मचारी का वेतन उस तारीख से उसके कनिष्ठ के वेतन के बराबर बढ़ा दिये जाने की अनुमति प्रदान की जा सकती है जिस तारीख से कनिष्ठ सरकारी कर्मचारी ने उच्चतर वेतन

आनिक वृद्धता प्राप्त किया। ऐसे मामलों में मारन्द सरकारी कर्मचारी की आगामी वेतनवृद्धि की तारीख कनिष्ठ सरकारी कर्मचारी को अनुज्ञेत आगामी वेतनवृद्धि की तारीख के बराबर होगी। इस प्रकार का दिनांक 1 जुलाई 2013 से प्रभावशील किया गया है। (वित्त विभाग का आदेश क्रमांक एफ.14(58) एफडी/ रूल्स/2008 दिनांक 28 मई 2021)

राजस्थान सरकार के कर्मचारियों के लिए अर्नड सैलेरी एडवांस स्कीम, 2023

वित्त (बीएंडआई) विभाग के परिपत्र क्रमांक एफ.6(2) एफडी/ जीएफआर-VI दिनांक 31 मई 2023 द्वारा राज्य में सरकारी कर्मचारियों के लिये यह योजना प्रारम्भ की गयी है। राजस्थान अपने कर्मचारियों के लिये एडवांस सैलेरी की सुविधा देने वाला प्रस्ता का पहला राज्य बन गया है। इसे 1 जून 2023 से सभी कर्मचारियों के लिये लागू किया गया है। यह वैसा एडवांस फाइनेंशियल मैनेजमेंट सिस्टम 3.0 (IFMS-3.0) के जरिये मिलती जहां दूसरे आरएफडीसीएल द्वारा प्राधिकृत नियमित संस्थान और राज्यीय प्राइवेट कर बेकार जाने इस स्कीम के विषय-निर्देश को जारी कर दिये हैं जिसके अनुसार कोई भी कर्मचारी अपनी आवश्यकता एवं पात्रता के अनुसार एक महीने में कई बार एडवांस सैलेरी ले सकता है। यह मद मासिक सैलेरी के 50% हिस्से से ज्यादा का नहीं हो सकती और कोई भी कर्मचारी किसी भी महिन्द की 21 तारीख से पहले एडवांस सैलेरी लेता है तो उसकी मूल्य उनके मजदूर सैलेरी नाह से होगी। जो भी सरकारी कर्मचारी इस सुविधा का इस्तेमाल करना चाहते है उनकी अपनी एसबीआई के जरिये IFMS-3.0 में लॉगिन इन करना होगा और सैलरी एडवांस के जरिये अपने सैलरी प्राइवेट या फिर फाइनेंशियल इंस्ट्रक्शन को अपनी मजदूर देनी होगी। इसके अलावा कर्मचारी अपने आधार/आधिकारिक सर्टिफिकेट करने के

लिये अपने फाइनेंशियल प्राइवेट के ऑनलाइन पोर्टल पर लॉगिन इन कर सकते हैं। उनके बाद उनकी ऑटोपे सर्टिफिकेट करने अपनी मजदूर देने के लिये IFMS वेबसाइट पर जाना होगा। इस सुविधा की सबसे बड़ी बात यह है कि किसी भी सरकारी कर्मचारियों को अपनी सैलेरी एडवांस लेने के लिये किसी प्रकार का ब्याज नहीं देना होगा। इसके लिये केवल जीएसटी सर्विस लेन-देन शुल्क (ट्रांजेक्शन फीस) ही लिया जावेगा। सुधमी पैसान योजना को बेहतर किये जाने की पूर्वक्रिया में यह योजना सरकारी कर्मचारियों की वित्तीय सहायता एवं सुधार देने के लिये प्रारम्भ की गयी है। राज्य सरकार ने इस स्कीम को सरल रूप से एक प्रेस पत्री चार्ट के माध्यम से भी समझाया है। साथ ही आदेश एवं उनिकरण अधिकारी के दायित्व में निर्दिष्ट किये हैं।