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राजस्थान सेवा नियम अध्याय 5: मानदेय एवं शुल्क की स्वीकृति के नियम

राजस्थान सेवा नियम अध्याय 5: मानदेय एवं शुल्क की स्वीकृति के नियम

राजस्थान सेवा नियम - अध्याय 5 भाग 01

राजस्थान सेवा नियम

अध्याय 5 - भाग 01

वेतन के अतिरिक्त अन्य भत्ते एवं उनका नियमन

राजस्थान सेवा नियम के नियम 42 में यह सामान्य सिद्धान्त माना गया है जिसके अनुसार क्षतिपूर्ति भत्तों को इस प्रकार निर्धारित किया जाना चाहिए ताकि प्राधिकरण के लिये कुछ मिलकर, आय का एक स्रोत नही बन जावे। सरकार किसी भी कर्मचारी को ऐसे भत्ते स्वीकृत कर सकती है एवं उनकी निर्धारण करने के लिये नियम बना सकती है।

उक्त नियम के द्वारा क्षतिपूर्ति भत्तों को स्वीकार करने काा क्षमता है तथा ऐसे क्षतिपूर्ति भत्तों के लिए नियम बनाने का अधिकार भी दिया है। इस नियम के अन्तर्गत अब तक राज्य सरकार द्वारा बनाये गये नियमों में कुछ निम्न है:

  1. यात्रा भत्ता नियम
  2. मकान किराया भत्ता नियम
  3. शहरी क्षतिपूर्ति भत्ता नियम
  4. चिकित्सा परीक्षण नियम
  5. परिवीक्षा भत्ता नियम

अशासकीय कार्य करने एवं उसके एवज में शुल्क (Fee) स्वीकार करने की अनुमति

नियम 43 (ङ) में किये गये प्रावधान के अनुसार नियम 44 से 46 के अन्तर्गत बनाये गये नियमों के अधीन एक राज्य कर्मचारी द्वारा किसी

अशासकीय व्यक्ति, संस्था अथवा सार्वजनिक निकाय/संगम से संबंधित कार्य स्वीकार करने एवं उसके एवज में आवर्तक अथवा अनावर्तक रूप से शुल्क (Fee) पारिश्रमिक रूप में प्राप्त करने की संकल प्राधिकारी की स्वीकृति दी जा सकती है। यदि कर्मचारी के सेवा का ऐसा उपयोग आवश्यक हो एवं ऐसा कार्य वह अपने कर्त्तव्यों एवं उत्तरदायित्वों में किसी किसी प्रकार की बाधा/आपात पहुंचाये/भवन डाले सकता हो।

शुल्क अनुमोदन के लिए संकल प्राधिकारी की स्वीकृति आवश्यक है

नियम 43(ङ) के अनुसार संकल प्राधिकारी की स्वीकृति के बिना कोई कर्मचारी/अधिकारी किसी भेजी, सार्वजनिक संस्था, निकाय, अथवा व्यक्ति का कार्य नहीं कर सकता एवं ऐसी अनुमति देने से पूर्व प्राधिकारी कुवील कर्मचारी के आकलन पर रहने के मामले को छोड़कर यह प्रमाणित करेगा कि अतिरिक्त कार्य का सम्पादन एक कर्मचारी राजकीय कर्मों एवं उत्तरदायित्वों में किसी प्रकार बाधा/आपात नहीं कर सकता है।

राजस्थान सेवा नियम भाग-II के परिशिष्ट IX में विभागाध्यक्ष को नियम 43(ङ) एवं (ख) के अंतर्गत उन कर्मचारियों को कार्य स्वीकार करने की अनुमति देने के अधिकार दिये गये है जिनके संबंध में प्राधिकृत प्राधिकारी हो। किसी संस्था/संगठन के कार्य सम्पादन के एवज में विभागाध्यक्ष निकलांतर शुल्क स्वीकार करने की अनुमति दे सकता है।

मानदेय (Honorarium) स्वीकृत किये जाने की परिस्थितियां

नियम 43(ग) के अनुसार राज्य सरकार एक कर्मचारी को विशेषत: ऐसे कार्य के लिए मानदेय स्वीकृत कर सकती है जो आकस्मिक एवं कभी-कभार प्रकृति (Occasional and intermittent in

nature) का हो या विशेष परिस्थान का हो अथवा ऐसी विशेष योग्यता का हो जिनके लिए मानदेय स्वीकृत करना आवश्यक माना जावे।

इस प्रकरण में यह स्पष्ट करना आवश्यक है कि मानदेय की परिभाषा इस प्रकार दी गयी है:

आकस्मिक एवं कभी-कभार प्रकृति के विशेष कार्य के लिए केन्द्र की अथवा अन्य प्रादेशिक राज्यों अथवा इस राज्य की संस्थित निधि से मानदेय रूप में किसी कर्मचारी को आकलक अथवा अनावर्तक पुनर्गठन मानदेय कहलाता है।

इससे स्पष्ट है कि जब एक कर्मचारी अपने पद के साधारण/ सामान्य कर्त्तव्यों का निष्पादन करता है तो उसे कोई मानदेय स्वीकृत करना आवश्यक माना नहीं किया गया हो एवं पारिश्रमिक की राशि पूछें में ही निष्पादित कर दी गयी हो।

नियम 7(13) के अनुसार मानदेय की परिभाषा इस प्रकार दी गयी है:

आकस्मिक एवं कभी-कभार प्रकृति के विशेष कार्य के लिये केन्द्र की अथवा अन्य प्रादेशिक राज्यों अथवा इस राज्य की संस्थित निधि से मानदेय अनावर्तक पुनर्गठन मानदेय कहलाता है।

इससे स्पष्ट है कि जब एक कर्मचारी अपने पद के साधारण/ सामान्य कर्त्तव्यों का निष्पादन करता है तो उसे समान मानदेय स्वीकृत तक की कार्यों वर्गों न करे। इसी प्रकार जब अतिरिक्त कार्य की प्रकृति अन्य साधारण कार्यों के समान हो तो भी मानदेय नहीं दिया जा सकता।

नियम 43(ग) के नीचे दिये गये राजस्थान सरकार के अनुदेश क्रमांक 1 के अनुसार, फिर भी लिखित कर्मचारियों के संबंध में जब एक कर्मचारी को अपवाद स्वरूप परिस्थितियों में, सामान्य रूप से सक्रिय समय तक प्रतिदिन अधिक कार्य करने पड़ते हो तो उसे राज्य सरकार राष्ट्रीय प्रबन्धी नियमों के अनुसार मानदेय स्वीकृत कर सकती है परन्तु राजकीय अधिकारी को मानदेय स्वीकृत करने की अधिकरा सरकार को नहीं की जानी चाहिए क्योंकि ऐसा कार्य उसकी सामान्य सेवायों का एक भाग ही होता है अथवा उसके समान होता है चाहे वह कार्यकाल समय के बाद भी कार्य करता हो।

राजस्थान सेवा नियम - अध्याय 5 भाग 02

राजस्थान सेवा नियम

अध्याय 5 - भाग 02

मानदेय एवं शुल्क की स्वीकृति के नियम

इस प्रकार, कोई सरकारी कर्मचारी स्वयं प्राधिकारी की स्वीकृति के बिना किसी कार्य का स्वीकार नहीं कर सकता और मानदेय भी प्राप्त नहीं कर सकता है। संकल प्राधिकारी से यह अपेक्षा की जानी है कि वह मानदेय स्वीकृत करने समय आदेश में अंकित कर दे कि नियम 43 के अन्तर्गत निर्धारित सामान्य वेतन की गई है। मुख्य सम्बन्धी के लिये यहां नियम 13 का उल्लेख करना प्रासंगिक है जिसके अनुसार राज्य कर्मचारियों को सम्पूर्ण समय राज्य सरकार के निष्पादन पर रहना पड़ेगा। इस अतिरिक्त परिश्रमिक की मांग के बिना किसी भी प्रकार से नियुक्त किया जा सकेगा चाहे उसकी धारी नहीं होनी चाहिए ऐसी हो जिसका वेतन आदि सरकार की सहिति निधि से या ऐसे निर्धारित या अतिरिक्त निकाय से दिया जावे जो सरकार पर निर्भर हो ही जिसका सदैव सरकार द्वारा स्वीकृत या नियुक्ति हो।

अपने पद के कर्त्तव्यों के साथ अन्य पद के कर्त्तव्य सम्पादन पर मानदेय की स्वीकृति का निषेध

नियम 43(ग) के नीचे दिये गये राजस्थान सरकार के अनुदेश क्रमांक 1 के अनुसार मानदेय उन कर्मचारी को भी स्वीकार नहीं किया जा सकता है जहां एक कर्मचारी को अपने स्वयं के पद के कर्त्तव्यों के साथ-साथ दूसरे रिक्त पद के कर्त्तव्यों को सम्पादित करने के लिये कहा गया हो क्योंकि मानदेय की परिभाषा के अनुसार विशेष कर्म दिये जाने पर विचार किया जाना चाहिये। नियम 50 के अनुसार विवध वेतन दिये जाने पर विचार किया जाना चाहिए।

सरकार के प्रशासनिक विभाग एवं विभागाध्यक्ष के कर्मचारियों में कार्यरत कर्मचारियों किसी किसी सत्र की अवधि में नियुक्त किया जाने वो उन्हें मानदेय स्वीकृत किया जा सकता है और दूसरे पद के कार्य सम्पादन को कार्यप्रभार प्रदान करने के लिये निकाला भी स्वीकृत किया जा सकता है और दूसरे पद के कार्य सम्पादन करने के एवज में विशेष वेतन के अनुगत परसेदकरण दिनाक 9 अगस्त 1962 एवं नियम 50 के अनुसार दूसरे पद के कार्य सम्पादन के एवज में विशेष वेतन स्वीकृत किया जा सकता है।

मानदेय स्वीकार करने के मानदण्ड सिद्धान्त

मानदेय स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए यह बात स्पष्ट रूप से एवं अन्तिम रूप से वताना समय नहीं है। अतः नियम 43(ग) के नीचे दिये

गये राजस्थान सरकार के अनुदेश क्रमांक 5 के अनुसार, संकल प्राधिकारियों के मानदेय के लिये निम्नलिखित सिद्धान्त निर्धारित किये गये हैं:

  1. कार्य में अस्थायी वृद्धि, जो राजकीय कार्यों में साधारणतया हो सकती है एवं जो कर्मचारी के सामान्य कार्यों का ही अंग होती है, के लिये मानदेय नहीं दिया जाना चाहिए।
  2. जब एक कर्मचारी अपने स्वयं के पद के कर्त्तव्यों के साथ-साथ दूसरे रिक्त पद के कर्त्तव्य भी सम्पादित करे तो भी उसे मानदेय नहीं दिया जाना चाहिए, अपितु नियम 50 के अनुसार विशेष वेतन दिये जाने पर विचार किया जाना चाहिये।
  3. सरकार के प्रशासनिक विभाग एवं विभागाध्यक्षों के कार्यालयों में कार्यरत कर्मचारियों किसी किसी सत्र की अवधि में नियुक्त किये गये अथवा देखने के लिये नियुक्त किया जावे तो उन्हें मानदेय स्वीकृत किया जा सकता है।
  4. वित्त (स्टोर) विभाग के कर्मचारियों को स्टोर रीडर करने के कार्य के लिये मानदेय स्वीकृत किया जा सकता है, किन्तु किसी प्रशासनिक विभाग एवं विभागाध्यक्षों अथवा उनके अधीन कार्यालयों में स्टोर रीडर करने के लिये मानदेय नहीं दिया जावेगा।
  5. राज्य स्तर पर अथवा विभागाध्यक्षों द्वारा आयोजित संगोष्ठी (Seminar) संबंधी कार्य करने के लिये मानदेय स्वीकृत किया जा सकता है किन्तु यह कार्य है कि कर्मचारी को ऐसी संगोष्ठी का कार्य विशेष रूप से बड़ा पहले सौंप दिया गया हो।
  6. गणतन्त्र दिवस एवं स्वतन्त्रता दिवस समारोह के कार्यों के लिये मानदेय दिया जा सकता है जो राज्य स्तर/जिला स्तरों पर आयोजित किये जाते हैं।
  1. कोषालयों में मार्च महीने के दूसरे पखवाड़े में प्राप्त अधिक विलों को निपटाने के लिये मानदेय स्वीकृत किया जा सकता है।
  2. कोषालय अथवा लेखाधिकारियों के कार्यालयों के उन स्टाफ को जिसे वेतन निर्धारणकर्ता का कार्य सौंपा जाता है, मानदेय दिया जा सकता है। किन्तु यह कार्य है कि वेतन निर्धारणकर्ता के मामले निकायों के प्रकाशित होने से 6 माह से निपटा दिये जावे।
  3. चुनाव के समय कर्मचारी जिन्हें सार्वजनिक क्षेत्र में लोक सेवा संबंधी कार्य सौंपे गये हों, मानदेय दिया जा सकता है।
  4. अभाम/आकांक्षिक रूप से प्राकृतिक विपत्तियों तथा, बाढ़, अग्निकाण्ड, महामारी, महामारी आदि के कारण सहायता कार्यों पर नियुक्त स्टाफ को भी मानदेय दिया जा सकता है।
  5. राष्ट्रपति अथवा प्रधानमन्त्री की यात्रा के संबंध में कार्य व्यवस्थाओं पर नियुक्त स्टाफ को भी यह दिया जा सकता है।
  6. राज्यपाल तथा अन्यत्र अधिकारी की अवधि में व्यापक कार्यों के लिये मानदेय दिया जा सकता है, किन्तु ऐसे कार्य की अवधि 2 माह से अधिक नहीं हो।

प्रमाण-पत्र अभिक्रिया करने वाले संकल प्राधिकारी को स्वीकृति दी ही प्रमाण-पत्र अधिकारी करने वाले प्राधिकारी अथवा हो। और कर्मचारियों द्वारा सम्पादित कार्य में संतुष्ट होने पर ही मानदेय स्वीकृत किया गया है।

राजस्थान सेवा नियम भाग-II परिशिष्ट-IX के आदेशन संख्या 14 के अनुसार मानदेय स्वीकार किया जाता है।

राजकीय शिक्षण संस्थाओं में प्रशिक्षण पाठयक्रमों के लिये मानदेय नहीं

राजस्थान सरकार के नियम के अनुसार पूर्ण समय अथवा अशासकीय अध्यापकों को प्रश्न-पत्र बनाने, उत्तर पुस्तिकाओं की जांच

अथवा प्रशिक्षण के कार्यों के लिये कोई मानदेय स्वीकृत नहीं किया जाना चाहिए।

राजकीय विभागों में आयोजित कवि सम्मेलन, सुप्रभात आदि के संबंध में मानदेय

जब राज्य कर्मचारियों को सूचना एवं जनसम्पर्क निदेशालय अथवा प्रशिक्षण के कार्यों के लिये आयोजित कवि सम्मेलन, सुप्रभातें एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाग लेने के लिये आमंत्रित किया जाता है। ऐसे विषयों को मानदेय, यात्रा भत्ते तथा दैनिक भत्ते का पुनर्गठन किया जाता है। इसके अतिरिक्त, सरकारी विभागों, स्वायत्तशासी विभागों/विश्वविद्यालयों तथा राज्य लोक उपक्रमों के विषय विशेषज्ञों को भी उद्गम दिये जाने के लिये इन संस्थाओं द्वारा उन्हें आमंत्रित किया जाता है।

राज्य सरकार के ध्यान में लाया गया है कि कृत्रिम, कर्मचारियों के सेवारी सम्पर्कों के मनोरंजन अध्यापकों के साथ कर्मरत निजी सेवादारी निकाय लिपिकों आदि को उन अधिकारियों का सहयोग करने के एवज में कोई अतिरिक्त पारिश्रमिक नहीं दिया जा सकता।

राजस्थान सेवा नियम

नियम 44 के अनुसार ऐसी उन भर्तों एवं श्रेणियों के लिये राज्य सरकार ने पुष्टक से नियम बनाये हैं जिनके अनुसार मैडिकल ऑफिसर किसित्सा सेवायें उपलब्ध करने एवं उन संस्थाओं से मित्र संयाप देने के लिये फीस स्वीकार कर सकते हैं। मैडिकल ऑफिसर शब्द में चिकित्साधिकारी एवं निकसिक्स भी सम्मिलित हैं।

राजकीय लोक सेवा आयोग तथा अन्य संस्थानों द्वारा आयोजित विषयों को गोपनीय कार्य के कारण कठिन करने तथा छुट्टी सीख की अनुमति दिये जाने के संबंध में

राजस्थान लोक सेवा आयोग तथा परीक्षा संचालित करने के लिये प्राधिकृत संस्थान यथा राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड, राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय तथा राज लोक सेवा आयोग आदि द्वारा राज्य सेवाओं की भर्ती के लिये विषयों को आयोजित किया जाना है। ऐसे विषयों को मानदेय, यात्रा भत्ते तथा दैनिक भत्ते का पुनर्गठन किया जाता है। इसके अतिरिक्त, सरकारी विभागों, स्वायत्तशासी विभागों/विश्वविद्यालयों तथा राज्य लोक उपक्रमों के विषय विशेषज्ञों के निकाय विशेषज्ञों को भी वैकल्पिक प्रशिक्षणार्थ विकाय द्वारा जारी किये जावेंगे।

राज्य सरकार ने ध्यान में लाया गया है कि निर्णयों, कर्मचारियों के सामाजिक सम्बन्धों के मनोरंजन अध्यापकों के साथ कटरत निजी संचालित निकायों, शैक्षणिक संस्थानों या राज्य लोक उपक्रमों के विषय विशेषज्ञों के मामलों में भी लागू होंगे, यदि उपरोक्त प्रयोजन के लिये इन संस्थाओं द्वारा उन्हें आमंत्रित किया जावे। स्वायत्तशासी विभागों/विश्वविद्यालयों तथा राज्य लोक उपक्रमों के विषय संबंधी मामलों में निर्देश संबंधित प्रशासनिक विभाग द्वारा जारी किये जावेंगे।

आवर्तक तथा अनावर्तक शुल्क को पुष्ट मानना तथा इनका राजकीय एवं कर्मचारी के बीच वितरण

नियम 47 के अनुसार जब तक राज्य सरकार निर्धय आज्ञा जारी कर निर्देश न दे वह तक रु400 या आवर्तक शुल्क के मामले में रु250 की वार्षिक आयोजित करने के राज्यकीय पद में जमा करने के लिये राष्ट्रपति द्वारा निर्देशित दिया जावेगा। यह नियम विश्वविद्यालय या अन्य प्रशिक्षण संस्थानों में परीक्षक के रूप में कार्य करने के लिए भी लागू होता है। नियम 47 के अनुसार

उसके 1/3 भाग को सरकार के राजकीय पद में जमा करने के लिये कहा गयी होगी अपितु दोनों प्रकार के शुल्कों को अलग-अलग मानकर अनावर्तक शुल्क के मामले में एक वित्तीय वर्ष में प्राप्त शुल्क के कुल योग के अनुसार सीमा लगाई की जानी चाहिए क्योंकि ऐसे शुल्क की राशि यदि रु250 से अधिक होगी है तो रु250 को छोड़कर शेष के एक-तिहाई भाग को सरकार के राजस्व में जमा करना होगा।

अवकाश की अवधि में प्राप्त छात्रवृत्ति (Scholarship) एवं वृत्ति (Stipend) प्राप्त करने की अनुमति

नियम 47 के नीचे दिये गये राजस्थान सरकार के निर्देश क्रमांक 3 के अनुसार अध्ययन अवकाश या अन्य अवकाशों की अवधि में अध्ययन के सम्बन्ध में केन्द्रीय /राज्य प्रायैशिक सरकार की सिमित निधि के अतिरिक्त अन्य स्रोत से कोई छात्रवृत्ति अथवा वृत्ति प्राप्त करे तो उस राशि में से देवा नियम 47 के अनुसार नहीं की जावेगी।

पुस्तक लेखन से प्राप्त रायल्टी (Royalty) राशि रखने की अनुमति

नियम 47 के नीचे दिये गये राजस्थान सरकार के निर्देश क्रमांक 4 के अनुसार यदि एक कर्मचारी अपने सेवा-काल में अर्जित ज्ञान की सहायता से कोई पुस्तक लिखे और वह पुस्तक केवल राजकीय नियमों/उप-नियम अथवा पत्र-त्रिकाओं/निपत्रिकाओं का संकलन मात्र नहीं हो बल्कि वह लेखक के उस विषय के गहन अध्ययन एवं बुद्धिमता को

प्रकट करे तो ऐसी पुस्तक की रायल्टी से होने वाली आय पर नियम 47 के प्रावधान लागू नहीं किये जाने चाहिए। ऐसे मामलों में सैदा नियम 47 के अन्तर्गत छूट (exemption) देने की सिफारिश करते हुए केन्द्र नियम-पत्र अवस्थ दिया जाना चाहिए। इसी प्रकार केन्द्र सेल नियम 49 के अन्तर्गत संकल प्राधिकारी की स्वीकृति से किसी कर्मचारी द्वारा किये गये आविष्कार से प्राप्त होने वाली आय को भी केन्द्र राज्यक नहीं माना जावेगा।

परीक्षा कार्यों के लिये राशि रखने की अनुमति

नियम 47 के नीचे दिये गये राजस्थान सरकार के निर्देश क्रमांक 5 के अनुसार, विश्वविद्यालय या शिक्षा मण्डल या अन्य परीक्षा लेने वाली संस्थाओं से परीक्षक, पत्र-सेटर, मॉडरेटर, परीक्षिकाओं के रूप में सेवाओं के लिये नियुक्त किये गये राज्य कर्मचारी को ऐसे कार्य करने का उसके एवज में शुल्क प्राप्त करने अनुमति है सकते कि उसके शैक्षिक कार्यों में कभी पकेत या पंकेत समितियों के कार्य स्वीकार कर सकता व इसमें शुल्क भी प्राप्त कर सकता है लेकिन नियम 43 के प्रावधान लागू नहीं दिये जाने चाहिए क्योंकि स्वयं प्राधिकारी की स्वीकृति देनी होगी।

विशिष्ट अनुमति के बिना भुगतान स्वीकार करना

नियम 48 के अनुसार एक सरकारी कर्मचारी निम्नलिखित मामलों में संकल अनुमति के बिना भुगतान प्राप्त करने व उसे भुगतान को अपने पास रखने का अधिकार रखता है:

  1. सार्वजनिक प्रतियोगिता में किसी निबन्ध अथवा बाद-विवाद योजना में प्राप्त पुरस्कार राशि।
  2. न्याय प्रशासन के संबंध में अभ्यागती की गिरफ्तारी करने अथवा सूचना देने अथवा किसी विशिष्ट सेवा देने के लिये प्राप्त पारिश्रमिक।
  1. किसी नियमग्रन्थ/निगमन के अन्तर्गत कोई पारिश्रमिक एवं पुरस्कार की राशि।
  2. करण एवं आकारी नियमों के अनुसार किसी सेवा के एवज में पारिश्रमिक।
  3. किसी स्थानीय नियम अथवा स्थायी शासनिक संस्थान के आदेशों द्वारा राजकीय सहायता से की गयी संस्थाओं के एवज में शुल्क/भुगतान।
  4. राजस्थान सिविल सेवा (पुरस्कार एवं योग्यता प्रमाण-पत्र स्वीकृति) नियम 1973 के अन्तर्गत राज्य सरकार द्वारा धारित पुरस्कारों की नगद राशि।

इसमें स्पष्ट राज्य सरकार ने यह निर्धय किया है कि आकाशवाणी कार्यक्रम आदि राज्य कर्मचारी स्वविधिकृत, पत्रकारिक तथा वैज्ञानिक प्रकृति के प्रयास करे वो उनके प्रयासों के लिये किसी आदेश की आवश्यकता नहीं है। आकाशवाणी द्वारा दिये गये सभी पुनर्गठन मानदेय माने गये हैं। अतः उसके किसी भाग की कटाई उसे शुल्क मानकर नहीं की जावेगी। राज्य कर्मचारी को मानदेय प्राप्त करने के लिये निर्धारित की आवश्यकता नहीं होगी। सरकार के उन कर्मचारियों को स्वीकृति प्राप्त करने की कोई आवश्यकता नहीं है जो आकाशवाणी पर कृषि, पशुपालन, सहकारिता एवं पंचायत व विकास संबधी गतिविधियों के बारे में प्रसारण करते हैं। यदि राज्य कर्मचारी परिवार निश्चयन कार्यक्रम में संबधित प्रसारण आकाशवाणी पर करे तो ऐसे प्रसारण के लिये न तो कोई अनुमति आवश्यक है और न ही ऐसे कार्य के लिये मानदेय प्राप्त करने हेतु संकल प्राधिकारी की स्वीकृति।

अनुसंधान कार्यों पर नियुक्त राज्य कर्मचारी द्वारा किसी आधिकारिक प्राप्त करने की मनाही

नियम 49 के अनुसार अनुसंधान कार्यों पर नियुक्त ऐसे राज्य कर्मचारी को अपने द्वारा किये गये अधिकार को पेटेंट अधिकार प्राप्त करने के लिये निवेदन नहीं करेगा और न ही उसे प्राप्त करेगा। इसमें दिये उस सरकार की स्वीकृति देनी होगी व सरकार द्वारा निर्धारिक किसी भी निधि व सरकार किसी अन्य व्यक्ति के अपने बारे में पेटेंट अधिकार प्राप्त करने का निर्देशन करने के लिये या प्राप्त करने के लिये प्रेरणाशील नहीं करेगा।