राजस्थान सेवा नियम अध्याय 9 – अनिवार्य सेवानिवृत्ति
अध्याय 9 [संपादित करें]
अनिवार्य सेवानिवृत्ति [संपादित करें]
राजस्थान सेवा नियम के नवें अध्याय का नियम 56 अनिवार्य सेवा निवृत्ति पर आधारित है। इस नियम में अधिवार्षिकी आयु का उल्लेख है। दिनांक 27 जून 1998 से पूर्व नियम 56 (A) विद्यमान था जिसे वित्त विभाग की अधिसूचना क्रमांक एफ.1 (6) वित्त/नियम/98 दिनांक 27 जून 1998 द्वारा नियम 56 से प्रतिस्थापित कर दिया।
वित्त विभाग की अधिसूचना क्रमांक एफ-21 (30) आर/51 दिनांक 11 सितम्बर 1951 से प्रारम्भ में राज्य कर्मचारियों की अधिवार्षिकी आयु 55 वर्ष नियत थी जिसे 27 जून 1998 से 58 वर्ष कर दिया गया। बाद में मई 2004 में इसे 60 वर्ष कर दिया गया।
अधिवार्षिकी की आयु सीमा [संपादित करें]
नियम 56 के अनुसार एक राज्य कर्मचारी अनिवार्य सेवा निवृत्ति की तारीख उस माह की अंतिम तारीख होगी जिसमें वह 60 वर्ष की आयु पूर्ण करता है परन्तु इस नियम के प्रावधान उन राज्य कर्मचारियों पर प्रभावशील नहीं होंगे जो वर्तमान में राज्य सेवा में अधिवार्षिकी आयु पूर्ण करने के बाद पुनःनियुक्ति (Re-employed) अथवा सेवा के विस्तार पर (Extension in Service) कार्यरत हैं।
लेकिन वित्त विभाग की अधिसूचना क्रमांक एफ.1 (5) वित्त/नियम/2016 दिनांक 31 जनवरी 2016 द्वारा यह प्रावधान किया गया है कि राजस्थान चिकित्सा सेवा (महाविद्यालय शाखा) के ऐसे चिकित्सा अध्यापकों की अधिवार्षिकी आयु 62 वर्ष होगी जो:
- एम.बी.बी.एस. डिग्री धारक हैं और
- राजस्थान चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवा के एम.बी.बी.एस. डिग्री धारक हैं।
नोट
- जिन राज्य कर्मचारियों की जन्म तारीख किसी माह की 1 तारीख है, उन्हें उस माह के पूर्व के माह के अंतिम दिन राज्य सेवा से सेवानिवृत्त कर दिया जावेगा।
- यदि किसी माह के अंतिम दिन अवकाश हो, तो भी एक राज्य कर्मचारी औपचारिक रूप से उस माह के अंतिम दिन ही अपने पद का कार्यभार त्यागे अर्थात् औपचारिक आदेश जारी कर कार्यभार त्यागना/छोड़ना चाहिए।
वित्त विभाग की अधिसूचना क्रमांक एफ.1 (5) वित्त/नियम/2016 दिनांक 30 मार्च 2018 द्वारा उपरोक्त प्रावधान के स्थान पर अब यह प्रावधान किया गया है कि राजस्थान चिकित्सा सेवा (महाविद्यालय शाखा) के एम.बी.बी.एस. डिग्रीधारक चिकित्सा अध्यापकों की अधिवार्षिकी आयु 65 वर्ष होगी। 62 वर्ष की आयु प्राप्त करने के बाद ऐसे चिकित्सा अध्यापकों की सेवाएं केवल गैर-प्रशासनिक पदों पर ली जा सकेगी।
राजस्थान चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा के एम.बी.बी.एस. डिग्रीधारक अधिकारियों की अधिवार्षिकी आयु 62 वर्ष रहेगी। यह आदेश दिनांक 30 मार्च 2018 से लागू किया गया है।
चिकित्सा शिक्षा (ग्रुप-1) विभाग, राजस्थान ने अपने कार्यालय ज्ञापन क्रमांक एफ. 1 (2)/ एमई/ग्रुप-1/2017 पार्ट-1 दिनांक 17 अप्रैल 2018 द्वारा प्रशासनिक पदों की सूची जारी की है जिन पर चिकित्सा अध्यापक 62 वर्ष की आयु प्राप्त करने के पश्चात् नहीं रखे जायेंगे। इस सूची में सम्मिलित प्रशासनिक पद हैं:
- अधिष्ठाता (Dean)
- प्राचार्य एवं नियंत्रक (Principal and Controller)
- निदेशक (Director)
- अपर प्राचार्य (Additional Principal)
- चिकित्सा अधीक्षक (Medical Superintendent)
- अपर अधीक्षक (Additional Superintendent)
- उप अधीक्षक (Deputy Superintendent)
- संबंधित विशेषज्ञता के विभागाध्यक्ष (Head of the Department of respective speciality)
बाद में चिकित्सा शिक्षा (ग्रुप-1) विभाग, राजस्थान ने अपने कार्यालय ज्ञापन क्रमांक एफ. 1 (2)/ एमई/ग्रुप-1/2017 पार्ट-1 दिनांक 2 अगस्त 2019 द्वारा संबंधित विशेषज्ञता के विभागाध्यक्ष पद को प्रशासनिक पद नहीं मानते हुए उसे सूची से हटा दिया है।
वित्त विभाग की अधिसूचना क्रमांक एफ.1 (6) वित्त/नियम/98 दिनांक 2 मई 2004 द्वारा राज्य सरकार ने यह निर्णय लिया कि राज्य कर्मचारियों की अधिवार्षिकी आयु दिनांक 31 मई 2004 से 58 वर्ष के स्थान पर 60 वर्ष की जाती है। यह निर्णय पंचायत समितियों, जिला परिषदों एवं कार्य प्रभारित कर्मचारियों पर भी लागू किया गया।
राज्य सरकार के उक्त निर्णय से 31 मई 2004 को 58 वर्ष की आयु पूरी कर लेने वाले राज्य कर्मचारियों को दिनांक 31 मई 2004 को सेवानिवृत्त नहीं किया गया। उन्हें दिनांक 31 मई 2006 को सेवानिवृत्त किया गया। उक्त अधिसूचना के पैरा नं. 1 के तीसरे वाक्य में यह स्पष्ट किया गया कि मई 2004 में किसी भी दिन 58 वर्ष की आयु पूरी कर लेने वाले राज्य कर्मचारियों को दिनांक 31 मई 2006 को सेवानिवृत्त किया जायेगा।
अधिवार्षिकी आयु के बाद सेवा में अभिवृद्धि (Extension in Service) के संबंध में प्रक्रिया [संपादित करें]
सरकार की सामान्य रूप से यह नीति है कि यथासंभव किसी कर्मचारी को अधिवार्षिकी आयु के बाद सेवा में नहीं रखा जाये। असाधारण मामलों में ही उन व्यक्तियों, जिन्होंने अधिवार्षिकी आयु प्राप्त कर ली है, की सेवाकाल में वृद्धि स्वीकृत करने की शक्ति नियम 56 व नियम 239 के तहत कार्मिक विभाग की सहमति से प्रशासनिक विभाग को प्रदत्त है। यह वृद्धि एक वर्ष तक सीमित रहेगी।
अधिवार्षिकी की आयु के बाद सेवा में वृद्धि करने के मामले को संबंधित अधिकारी सेवा निवृत्ति की तारीख से न्यूनतम छः माह पूर्व प्रशासनिक विभाग के सचिव के पास कर्मचारी के गोपनीय प्रतिवेदन की पत्रावली तथा अन्य महत्वपूर्ण सेवा संबंधी अभिलेखों के साथ भेज दिया जावेगा। यदि कोई विभागीय जाँच की पत्रावली हो तो वह भी साथ भेजी जावेगी।
ऐसे प्रस्ताव का परीक्षण प्रशासनिक सचिव करेगा तथा वह अपने विभाग के प्रभारी मंत्री को संबंधित मामला अनुमोदनार्थ प्रस्तुत करेगा। मंत्री महोदय का यदि दृढ़ मत हो कि सेवा में वृद्धि न्यायोचित तथा जनहित में आवश्यक है तो ऐसे प्रस्ताव को कार्मिक (क-2) विभाग में संबंधित अभिलेखों के साथ विश्रामवृत्ति की आयु से तीन माह पूर्व भिजवाया जावेगा जिसका परीक्षण करके कार्मिक विभाग उसे मुख्यमंत्री महोदय को, मुख्य सचिव के माध्यम से, यह आदेश प्राप्त करने हेतु प्रस्तुत करेगा कि प्रस्ताव उचित है तथा उसे मंत्रिमंडल के समक्ष प्रस्तुत करने की अनुमति दी जाये। जहाँ पर कोई विभागाध्यक्ष नहीं हो अथवा विभागाध्यक्ष स्वयं उस मामले में संबंधित हो वहाँ शासन सचिव ही उपरोक्त प्रक्रिया एवं सिद्धांतों का पालन करते हुए मामले चलायेंगे।
मुख्यमंत्री द्वारा ऐसे प्रस्तावों का परीक्षण किया जाकर उसे मंत्रिमण्डल के समक्ष अंतिम निर्णय हेतु अनुमोदनार्थ प्रस्तुत करने का आदेश दिया जावेगा।
बहुत ही असाधारण मामलों को छोड़कर ऐसे राज्य कर्मचारियों की सेवा में वृद्धि के मामले कार्मिक विभाग को स्वीकृति के लिये नहीं भेजे जाने चाहिये जो सेवा निवृत्ति की आयु शीघ्र ही प्राप्त करने वाले हों अथवा प्राप्त कर ली हो।
सेवा में वृद्धि के मामले केवल निम्नांकित सिद्धांतों के आधार पर ही विचारार्थ स्वीकार किये जायेंगे:
- अन्य अधिकारी कार्य करने में पूर्ण परिपक्व नहीं हों।
- सेवानिवृत्त होने वाला अधिकारी/कर्मचारी गुणावगुण (Merit) में श्रेष्ठता रखता हो।
- प्रथम सिद्धांत की पालना के लिये यह सिद्ध करना आवश्यक होगा कि अन्य अधिकारी सेवा निवृत्त होने वाले अधिकारी के समान पूर्ण परिपक्व नहीं माने गये हों अर्थात् विशिष्ट ज्ञान, योग्यता, अनुभव आदि का पूरा ब्यौरा देना होगा।
- दूसरे सिद्धांत की पालना के लिये सिद्ध करना होगा कि विशेषज्ञ ज्ञान में (वैज्ञानिक अथवा तकनीकी) वह अधिकारी सभी प्रकार से उपर्युक्त है तथा कल्पना एवं विवेक शक्ति में भी अन्य व्यक्तियों से अधिक है।
समेकित पारिश्रमिक पर पुनःनियोजन (Re-employment of Retired Government Servants) [संपादित करें]
प्रारम्भ में राज्य सरकार ने यह निर्णय लिया था कि किसी भी राज्य कर्मचारी को उसकी अधिवार्षिकी की आयु के उपरान्त राज्य सेवा में नहीं रखा जावे। लेकिन वर्ष 1995 में यह महसूस किया गया कि कई विभागों व अधीनस्थ कार्यालयों में विभिन्न श्रेणियों के पद रिक्त चल रहे थे। पदों के सृजन व प्रत्याशियों की उपलब्धता के मध्य रिक्तता थी जिससे राज्य कार्य प्रभावित हो रहा था।
ऐसे में राज्य सरकार ने अक्टूबर 1995 में पहली बार यह निर्णय लिया कि सेवाओं के कनिष्ठतम वेतन श्रृंखला में रिक्तियों को 61 वर्ष की आयु के नीचे के राज्य सरकार के सेवानिवृत्त कर्मचारियों को अनुबन्ध के आधार पर रखकर भर लिया जावे। आगे चलकर यह आयु सीमा 65 वर्ष कर दी गयी। तदनुसार कार्मिक विभाग के ज्ञापन संख्या क्रमांक एफ.17 (10) कार्मिक/क-2/94 दिनांक 31 अक्टूबर 1995 द्वारा अनुबन्ध के आधार पर सेवानिवृत्त कर्मचारियों को एंगेज करने की मार्गदर्शक रेखाएं निर्धारित की।
इसके बाद सेवानिवृत्त कर्मचारियों को अधिवार्षिकी की आयु के उपरान्त समेकित पारिश्रमिक पर पुनः नियोजन की मार्गदर्शक रेखाओं में समय समय पर स्वल्प परिवर्तन किये गये। वित्त विभाग की अधिसूचना क्रमांक एफ 12 (6) वित्त (नियम) / 2009 दिनांक 1 दिसम्बर 2015 द्वारा राजस्थान सिविल सेवाएं (पेंशन) नियम, 1996 में समेकित पारिश्रमिक पर पुनःनियोजन से संबंधित नया नियम 164-A जोड़ा गया है। कार्मिक विभाग ने इस संबंध में जारी सभी आदेशों के अतिक्रमण में परिपत्र क्रमांक एफ.17 (10) कार्मिक/क-2/94 दिनांक 11 जुलाई 2017 जारी कर नई मार्गदर्शक रेखाएं निर्धारित की है जिसके अधिक्रमण में परिपत्र क्रमांक एफ.17 (10) कार्मिक/क-2/94 दिनांक 8 फरवरी 2018 पुनः नई मार्गदर्शक रेखाएं निर्धारित की गयी हैं।
नई मार्गदर्शक रेखाओं के अनुसार, राज्य सरकार के विभागों, विभिन्न परियोजनाओं, नये आयोगों, समितियों, राजकीय संस्थाओं आदि में जहां भी सेवा नियम अभी तक नहीं बन पाये हैं या रिक्त पदों पर तात्कालिक आवश्यकता और अपरिहार्यता को दृष्टिगत रखते हुए, जनहित में वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में समेकित पारिश्रमिक पर सेवानिवृत्त कर्मचारियों की पुनर्नियुक्ति प्रथम बार एक वर्ष या नियमित कर्मचारी उपलब्ध होने से, जो भी पहले हो, तक की अवधि के लिये प्रशासनिक विभाग के पद अनुमोदन से की जा सकेगी। विभाग को प्रस्ताव देते समय पद नहीं भरने के कारण/आत्यधिक दर्शाने होंगे। तदुपरान्त एक वर्ष के उपरान्त प्रशासनिक विभाग की आशा/पूर्व अनुमति से एक वर्ष की कालावधि के लिये और विस्तारित की जा सकेगी। दो वर्ष के बाद समेकित पारिश्रमिक पर पुनर्नियुक्ति अवधि में अभिवृद्धि कार्मिक एवं वित्त विभाग की पूर्व सहमति से ही की जा सकेगी।
समेकित पारिश्रमिक पर पुनर्नियुक्ति के लिये सहम प्राधिकारी इस प्रकार है:
क्र. सं. | सिविल सेवाएं | सहम प्राधिकारी |
---|---|---|
1. | राज्य सेवाएं | संबंधित प्रशासनिक सचिव |
2. | अधीनस्थ, मंत्रालयिक एवं वर्गीय श्रेणी सेवाओं में राज्य स्तरीय सिफ़ारिशों के लिये | संबंधित विभागाध्यक्ष |
3. | अधीनस्थ, मंत्रालयिक एवं वर्गीय श्रेणी सेवाओं में जिला/स्थानीय स्तरीय सिफ़ारिशों के लिये | संबंधित जिला स्तरीय अधिकारी |
राज्य सेवा से सेवानिवृत्त 65 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति निम्न तालिका के अनुसार समेकित पारिश्रमिक पर पुनर्नियुक्ति के लिये पात्र हैं। कार्मिक विभाग परिपत्र क्रमांक एफ.17(10)कार्मिक/ए-2/94 दिनांक 12 अक्टूबर 2020 जारी कर यह प्रावधान किया गया है कि केवल ऐसे सेवानिवृत्त अधिकारी/कर्मचारी, जिन्होंने 65 वर्ष की आयु प्राप्त नहीं की है, को समेकित पारिश्रमिक पर पुनर्नियुक्ति पर सेवाएं लेने हेतु विचार किया जायेगा परन्तु किसी सेवा विभाग के चिकित्सक चिकित्सकों (एम.बी.बी.एस. उपाधि धारक) की सेवानिवृत्ति आयु 65 वर्ष के उपरान्त आपवादिक मामलों में 2 वर्ष के लिये वित्त एवं कार्मिक विभाग की सहमति से समेकित पारिश्रमिक के आधार पर पुनर्नियुक्ति की जा सकेगी। ऐसे सेवानिवृत्त अधिकारियों/कर्मचारियों जिन्हें सेवा से अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त किया गया था या जिन्हें किसी अन्य रीति से दण्डित किया गया था, के संबंध में समेकित पारिश्रमिक पर पुनर्नियुक्ति के लिये विचार नहीं किया जायेगा। यह प्रावधान उपरोक्त परिपत्र जारी होने की तारीख दिनांक 12 अक्टूबर 2020 से प्रभावी किया गया है।
सेवानिवृत्त अधिकारियों/कर्मचारियों को पुनर्नियुक्त किये जाने पर दिये जाने वाले समेकित पारिश्रमिक की प्रति माह दर राज्य सरकार द्वारा दिनांक 1 अप्रैल, 2023 निम्नानुसार तय की गयी है:
क्र. सं. | राजस्थान सिविल सेवाएं (पुनरीक्षित वेतन) नियम 2008/2017 के तहत नियम वेतन में सेवानिवृत्त होने वाले पदधारी | समेकित पारिश्रमिक प्रतिमाह (दिनांक 8.2.2018) | समेकित पारिश्रमिक प्रतिमाह (दिनांक 1.4.2023) |
---|---|---|---|
1 | ₹5200-20000+ Grade Pay ₹1700/L-1 | ₹6400 | ₹12200 |
2 | ₹5200-20000+ Grade Pay ₹1750/L-2 | ₹6500 | ₹12400 |
3 | ₹5200-20000+ Grade Pay ₹1900/L-3 | ₹7000 | ₹12600 |
4 | ₹5200-20000+ Grade Pay ₹2000/L-4 | ₹7400 | ₹13200 |
5 | ₹5200-20000+ Grade Pay ₹2400/L-5 | ₹9100 | ₹14400 |
6 | ₹5200-20000+ Grade Pay ₹2400/L-6 | ₹9100 | ₹14800 |
7 | ₹5200-20000+ Grade Pay ₹2400/L-7 | ₹9100 | ₹15500 |
राजस्थान सरकार सेवानिवृत्त कर्मचारी पुनर्नियुक्ति नीति
प्रकार | सरकारी नीति |
---|---|
क्षेत्राधिकार | राजस्थान, भारत |
नवीनतम संशोधन | 28 मार्च 2023 |
प्रभावी तिथि | 1 अप्रैल 2023 |
प्राधिकरण | कार्मिक विभाग वित्त विभाग |
आधार नियम | राजस्थान सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1996 |
राजस्थान सरकार सेवानिवृत्त कर्मचारी पुनर्नियुक्ति नीति भारतीय राज्य राजस्थान में सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों की पुनर्नियुक्ति को नियंत्रित करने वाली एक व्यापक नीतिगत ढांचा है। यह नीति राजस्थान सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1996 के अंतर्गत स्थापित की गई है और इसका उद्देश्य सेवानिवृत्त कर्मचारियों के अनुभव का उपयोग करते हुए प्रशासनिक आवश्यकताओं को पूरा करना है।[1]
अनुक्रम
- 1 इतिहास
- 2 नीति का ढांचा
- 2.1 समेकित पारिश्रमिक पर पुनर्नियुक्ति
- 2.2 नियम 151 के तहत पुनर्नियुक्ति
- 3 पात्रता मानदंड
- 4 वेतन निर्धारण
- 5 सुविधाएं और भत्ते
- 6 अनुमोदन प्रक्रिया
- 7 संदर्भ
इतिहास[संपादित करें]
राजस्थान में सेवानिवृत्त कर्मचारियों की पुनर्नियुक्ति की परंपरा 1975 से चली आ रही है।[2] प्रारंभिक नियम कार्मिक विभाग के परिपत्र क्रमांक एफ 15 (1) का/क-2/75 दिनांक 3 जून 1975 के माध्यम से स्थापित किए गए थे। समय के साथ, नीति में कई महत्वपूर्ण संशोधन हुए हैं:
- 1996: राजस्थान सिविल सेवा (पेंशन) नियम में नियम 151 का समावेश
- 2014: वेतन निर्धारण में महत्वपूर्ण बदलाव
- 2018: समेकित पारिश्रमिक पर पुनर्नियुक्ति के लिए नए दिशा-निर्देश
- 2023: वर्तमान नीति का व्यापक संशोधन
नीति का ढांचा[संपादित करें]
राजस्थान सरकार की पुनर्नियुक्ति नीति दो मुख्य श्रेणियों में विभाजित है: समेकित पारिश्रमिक पर पुनर्नियुक्ति और राजस्थान सिविल सेवा (पेंशन) नियम के नियम 151 के तहत पुनर्नियुक्ति।
समेकित पारिश्रमिक पर पुनर्नियुक्ति[संपादित करें]
समेकित पारिश्रमिक पर पुनर्नियुक्ति का उद्देश्य उन पदों को भरना है जहां नियमित कर्मचारी उपलब्ध नहीं हैं या सेवा नियम अभी तक निर्धारित नहीं हुए हैं।[3]
अवधि और अनुमोदन
चरण | अवधि | अनुमोदन प्राधिकारी |
---|---|---|
प्रथम नियुक्ति | 1 वर्ष | प्रशासनिक विभाग |
प्रथम विस्तार | 1 वर्ष | प्रशासनिक विभाग |
अतिरिक्त विस्तार | आवश्यकतानुसार | कार्मिक एवं वित्त विभाग |
मुख्य शर्तें
- अनुपस्थिति कटौती: बिना अवकाश के प्रत्येक दिवस की अनुपस्थिति के लिये मासिक पारिश्रमिक का 1/30वां भाग काटा जाता है
- अवकाश: एक वर्ष में 12 दिवस का वैतनिक आकस्मिक अवकाश
- यात्रा भत्ता: राजस्थान यात्रा भत्ता नियम, 1971 के अनुसार
- सेवा समाप्ति: 15 दिवस का पूर्व नोटिस
नियम 151 के तहत पुनर्नियुक्ति[संपादित करें]
राजस्थान सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1996 का नियम 151 विशेष परिस्थितियों में सेवानिवृत्त कर्मचारियों की पुनर्नियुक्ति की अनुमति देता है।[4]
विशेष श्रेणियां
- नियामकीय आयोग में पुनर्नियुक्ति
- मंत्री के निजी स्टाफ के रूप में
- पूर्व सैनिकों की विशेष नियुक्ति
- न्यायाधीशों की अर्द्ध-न्यायिक मंचों में नियुक्ति
- जांच आयोग में पुनर्नियुक्ति
- 65 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों की आपवादिक नियुक्ति
पात्रता मानदंड[संपादित करें]
आयु सीमा: सामान्यतः 65 वर्ष से कम आयु के सेवानिवृत्त कर्मचारी पात्र हैं। आपवादिक मामलों में इस सीमा में छूट दी जा सकती है।
सामान्य पात्रता
- आयु: 65 वर्ष से कम (आपवादिक मामलों को छोड़कर)
- स्वास्थ्य: शारीरिक और चिकित्सकीय रूप से उपयुक्त
- सेवा रिकॉर्ड: अनिवार्य सेवानिवृत्त या दंडित व्यक्ति अपात्र
- कैडर: मूल कैडर में रिक्त पदों के विरुद्ध पात्रता
वेतन निर्धारण[संपादित करें]
पुनर्नियुक्ति पर वेतन निर्धारण का सूत्र अंतिम आहरित वेतन से पेंशन घटाकर किया जाता है।[5]
वेतन सीमा
नियम 151 के तहत पुनर्नियुक्त व्यक्तियों के लिए स्थिर किया गया वेतन और सकल पेंशन मिलाकर ₹2,25,000 प्रति माह से अधिक नहीं हो सकता।
सुविधाएं और भत्ते[संपादित करें]
अनुमत सुविधाएं
सुविधा | विवरण | अनुमोदन आवश्यक |
---|---|---|
मकान किराया भत्ता | अंतिम वेतन के आधार पर | वित्त विभाग |
दूरभाष सुविधा | समकक्ष अधिकारियों के समान (100%) | वित्त विभाग |
परिवहन सुविधा | समुचित मामलों में | वित्त विभाग |
चिकित्सा सुविधा | राजस्थान सरकार स्वास्थ्य योजना | यदि CGHS उपलब्ध नहीं |
अनुमत नहीं सुविधाएं
- शहरी क्षतिपूर्ति भत्ता
- समाचार पत्र सुविधा
- उपार्जित अवकाश का नकद भुगतान
- चिकित्सा अवकाश
- ग्रेच्युटी
अनुमोदन प्रक्रिया[संपादित करें]
पुनर्नियुक्ति की अनुमोदन प्रक्रिया में विभिन्न स्तरों पर सहमति आवश्यक है। 10 जनवरी 2019 के परिपत्र के अनुसार, सभी पुनर्नियुक्ति मामलों में मुख्यमंत्री का अनुमोदन अनिवार्य है।[6]
अनुमोदन क्रम
- प्रशासनिक सचिव का प्रारंभिक अनुमोदन
- कार्मिक विभाग की सहमति
- वित्त विभाग की सहमति
- मुख्य सचिव के माध्यम से मुख्यमंत्री का अंतिम अनुमोदन
संदर्भ[संपादित करें]
- कार्मिक विभाग, राजस्थान सरकार (2023). "परिपत्र क्रमांक एफ.17 (10) डीओपी/ए-11/94". दिनांक 28 मार्च 2023.
- कार्मिक विभाग, राजस्थान सरकार (1975). "परिपत्र क्रमांक एफ 15 (1) का/क-2/75". दिनांक 3 जून 1975.
- "राज्य सरकार के विभागों में समेकित पारिश्रमिक पर पुनर्नियुक्ति दिशा-निर्देश". कार्मिक विभाग, राजस्थान.
- राजस्थान सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1996. नियम 151. राजस्थान सरकार.
- वित्त विभाग, राजस्थान सरकार (2014). "अधिसूचना क्रमांक एफ.12(6) एफडी/रूल्स/2009". दिनांक 22 सितंबर 2014.
- कार्मिक विभाग, राजस्थान सरकार (2019). "परिपत्र क्रमांक एफ. 15 (1) कार्मिक/क-2/2009 पार्ट". दिनांक 10 जनवरी 2019.
राजस्थान सरकार पुनर्नियुक्ति प्रपत्र
दस्तावेज़ प्रकार | सरकारी प्रपत्र |
---|---|
प्रपत्र संख्या | प्रपत्र-4, 195-198 |
विषय | पुनर्नियुक्ति आवेदन |
प्राधिकरण | राजस्थान सेवा नियम |
संस्करण | RSR October 2023 |
भाषा | हिंदी |
राजस्थान सरकार पुनर्नियुक्ति प्रपत्र राजस्थान राज्य में सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों की पुनर्नियुक्ति हेतु आवश्यक दस्तावेज़ हैं। ये प्रपत्र राजस्थान सेवा नियम (RSR) अक्टूबर 2023 संस्करण में प्रकाशित हैं और समेकित पारिश्रमिक पर पुनर्नियुक्ति की प्रक्रिया को नियंत्रित करते हैं।
अनुक्रम
- 1 प्रपत्र-4: पुनर्नियुक्ति आदेश
- 2 पुनर्नियुक्ति शर्तें
- 3 पारिश्रमिक संरचना
- 4 वेतन स्केल सूची
- 5 संदर्भ
प्रपत्र-4: पुनर्नियुक्ति आदेश[संपादित करें]
(नियम 17 के प्राथमिक नियमावली के नियम 168 के अधीन)
एकमुश्त नकद
पेंशन
दिनांक:
हस्ताक्षर
वरिष्ठ पदाधिकारी
राजकीय
वरिष्ठ सुपर के प्राधिकरण आदेश से दिए गए निम्नलिखित के विवरण:
1. राजकीय वेतन राजकीय, राजकीय प्राधिकरण;
2. वेतन राजकीय से विवरण;
3. राजकीय राजकीय के राजकीय विवरण;
4.
5.
6.
हस्ताक्षर
वरिष्ठ पदाधिकारी
पुनर्नियुक्ति शर्तें[संपादित करें]
राजस्थान सेवा नियम के अनुसार पुनर्नियुक्ति प्रक्रिया में निम्नलिखित मुख्य शर्तें शामिल हैं:
मुख्य शर्तें
- समेकित पारिश्रमिक पर पुनर्नियुक्ति: आवेदक को राजकीय/अधीनस्थ/चतुर्थ श्रेणी के पुनर्नियुक्ति के अधिकारी से प्राप्त होना चाहिए
- वेतन निर्धारण: पुनर्नियुक्ति पर वेतन = अंतिम वेतन - पेंशन
- अवधि: प्रारंभिक अवधि एक वर्ष, विस्तार संभव
- अनुमोदन: सक्षम प्राधिकारी का पूर्व अनुमोदन आवश्यक
पात्रता मानदंड
- 65 वर्ष से कम आयु
- शारीरिक और चिकित्सकीय रूप से योग्य
- अनिवार्य सेवानिवृत्त या दंडित कर्मचारी अपात्र
- मूल कैडर में रिक्त पद उपलब्ध
पारिश्रमिक संरचना[संपादित करें]
कार्मिक विभाग
पुनर्नियुक्ति की शर्तें:
- समेकित पारिश्रमिक पर पुनर्नियुक्ति सेवाएं केवल जनहित में राज्य की अनुमति के साथ 12 दिन राजकीय आकस्मिक अवकाश के हकदार होंगे। परंतु राजस्थान सेवा नियमों के अधीन उपार्जित अवकाश या अन्य प्रकार के अवकाश के हकदार नहीं होंगे। यदि आकस्मिक अवकाश के हकदार नहीं हैं।
- इन्हें किसी प्रकार का राजकीय आवास आवंटित नहीं किया जाएगा और न ही किसी प्रकार की राजकीय गाड़ी की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
- पुनर्नियुक्ति की अवधि के दौरान सर्वेंट राजकीय आकस्मिक व्यावसायिक पत्र कार्य कर सकेंगे।
- पुनर्नियुक्ति पर पत्र की जो भी शिक्षा दी गई है, वह केवल 1/30 के भाग पर कार्य करेंगे।
- पुनर्नियुक्ति सेवाओं के दौरान अर्जी संशोधन संयुक्त आवेदन की होगी।
Digitally signed by Additional Chief
Secretary Personnel Department
Government of Rajasthan
Date: 2023.10.__ __:__ IST
Reason: Approved
वेतन स्केल सूची[संपादित करें]
सेवानिवृत्त कार्मिकों की समेकित पारिश्रमिक पर पुनर्नियुक्ति सेवा के लिए समेकित पारिश्रमिक की सूची:
क्र.सं. | वेतन लेवल | समेकित पारिश्रमिक प्रति माह (राशि रुपए में) | समेकित पारिश्रमिक प्रति माह (राशि रुपए में) |
---|---|---|---|
1 | L-1 | 18000/- | 18250/- |
2 | L-2 | 19900/- | 20750/- |
3 | L-3 | 21700/- | 23250/- |
4 | L-4 | 25500/- | 27750/- |
5 | L-5 | 29200/- | 32250/- |
6 | L-6 | 35400/- | 39000/- |
7 | L-7 | 44900/- | 49500/- |
8 | L-8 | 47600/- | 52500/- |
9 | L-9 | 53100/- | 58500/- |
10 | L-10 | 56100/- | 61750/- |
11 | L-11 | 67700/- | 74500/- |
12 | L-12 | 78800/- | 86750/- |
13 | L-13 | 78800/- | 86750/- |
14 | L-14 | 118200/- | 130000/- |
15 | L-15 | 118200/- | 130000/- |
16 | L-16 | 144200/- | 158500/- |
17 | L-17 | 166600/- | 183000/- |
18 | L-18 | 166600/- | 183000/- |
19 | L-19 | 205400/- | 226000/- |
20 | L-20 | 224100/- | 246500/- |
21 | L-21 | 224100/- | 246500/- |
22 | L-22 | 267000/- | 293750/- |
23 | L-23 | 267000/- | 293750/- |
24 | L-24 | 267000/- | 293750/- |
नोट: उपरोक्त समेकित पारिश्रमिक की राशि से यह स्पष्ट है कि पुनर्नियुक्ति कर्मचारियों के लिए निर्धारित वेतन स्केल के अनुसार अलग-अलग स्तरों पर विभिन्न राशियां निर्धारित की गई हैं।
संदर्भ[संपादित करें]
- राजस्थान सेवा नियम (RSR), अक्टूबर 2023 संस्करण। कार्मिक विभाग, राजस्थान सरकार।
- "प्रपत्र-4: सेवानिवृत्त कर्मचारी पुनर्नियुक्ति आदेश प्रपत्र"। राजस्थान सेवा नियम, पृष्ठ 194-198।
- राजस्थान राजकीय सेवा (पेंशन) नियम, 1996। नियम 58 और संबंधित प्रावधान।
- "समेकित पारिश्रमिक पर पुनर्नियुक्ति दिशा-निर्देश"। कार्मिक विभाग, राजस्थान सरकार, 2023।