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Role of Lipase Enzyme in Human Digestive System – Fat Digestion Explained

Role of Lipase Enzyme in Human Digestive System – Fat Digestion Explained

मानव पाचन तंत्र में लाइपेस एंजाइम की भूमिका

मानव पाचन तंत्र में लाइपेस एंजाइम की भूमिका

यह लेख मानव शरीर में वसा पाचन के दौरान लाइपेस एंजाइम की महत्वपूर्ण भूमिका पर केंद्रित है।
लाइपेस एंजाइम
वैज्ञानिक नाम Pancreatic Lipase (EC 3.1.1.3)
मुख्य कार्य वसा (ट्राइग्लिसराइड) का विघटन
स्राव स्थान अग्न्याशय (पैंक्रिास)
कार्य स्थान छोटी आंत (ड्यूओडेनम)
pH आवश्यकता 8.0-8.5 (क्षारीय)
सहायक कारक कोलाइपेस, पित्त लवण
अंतिम उत्पाद मोनोग्लिसराइड + फैटी एसिड

परिचय

लाइपेस (Lipase) मानव पाचन तंत्र का एक अत्यंत महत्वपूर्ण एंजाइम है जो वसा (फैट्स) के पाचन में मुख्य भूमिका निभाता है। यह एंजाइम मुख्यतः अग्न्याशय (पैंक्रिास) में उत्पन्न होता है और छोटी आंत में वसा के विघटन का कार्य करता है।

मानव आहार में लगभग 90-95% वसा ट्राइग्लिसराइड के रूप में होती है, जो तीन फैटी एसिड अणुओं से बने एक ग्लिसरॉल अणु का मिश्रण है। लाइपेस एंजाइम इन जटिल वसा अणुओं को सरल अणुओं में तोड़ता है ताकि वे आंत की दीवार से अवशोषित हो सकें।

लाइपेस एंजाइम की संरचना

आणविक संरचना

पैंक्रिएटिक लाइपेस एक ग्लोब्यूलर प्रोटीन है जिसमें लगभग 449 अमीनो एसिड होते हैं। इसका आणविक भार लगभग 48,000 डाल्टन होता है। एंजाइम की सक्रिय साइट में सेरीन, हिस्टिडीन, और एसपार्टिक एसिड का एक विशेष त्रिकोण होता है जो कैटालिटिक गतिविधि के लिए आवश्यक है।

सक्रियकरण प्रक्रिया

लाइपेस अग्न्याशय से निष्क्रिय रूप में स्रावित होता है और छोटी आंत में कोलाइपेस नामक सह-कारक की उपस्थिति में सक्रिय हो जाता है। पित्त लवण भी इसकी गतिविधि बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

वसा पाचन प्रक्रिया

प्रारंभिक चरण: मुंह और पेट में

वसा पाचन की शुरुआत मुंह में ही हो जाती है जहां लिंगुअल लाइपेस की थोड़ी मात्रा लार में मौजूद होती है। पेट में गैस्ट्रिक लाइपेस वसा के लगभग 10-30% भाग को पचाता है।

महत्वपूर्ण तथ्य: वयस्कों में गैस्ट्रिक लाइपेस की भूमिका सीमित होती है, लेकिन नवजात शिशुओं में यह बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि उनका पैंक्रिएटिक लाइपेस अभी पूर्ण विकसित नहीं होता।

मुख्य पाचन प्रक्रिया: छोटी आंत में

लाइपेस एंजाइम की कार्य प्रक्रिया

ट्राइग्लिसराइड लाइपेस + कोलाइपेस मोनोग्लिसराइड + 2 फैटी एसिड

pH: 8.0-8.5, तापमान: 37°C, स्थान: ड्यूओडेनम

छोटी आंत के पहले भाग (ड्यूओडेनम) में वसा पाचन की मुख्य प्रक्रिया होती है। यहाँ निम्नलिखित चरण होते हैं:

चरण प्रक्रिया परिणाम
1. इमल्सीफिकेशन पित्त लवण द्वारा वसा का छोटे कणों में विभाजन वसा की सतह क्षेत्र में वृद्धि
2. लाइपेस क्रिया ट्राइग्लिसराइड का एस्टर बंधन टूटना मोनोग्लिसराइड + फैटी एसिड
3. माइसेल निर्माण पित्त लवण के साथ उत्पादों का मिश्रण जल में घुलनशील माइसेल

अवशोषण प्रक्रिया

लाइपेस द्वारा पचे गए वसा उत्पाद (मोनोग्लिसराइड और फैटी एसिड) माइसेल के रूप में आंत की दीवार (विली) में अवशोषित होते हैं। अवशोषण के बाद ये पुनः ट्राइग्लिसराइड बनते हैं और लसीका तंत्र के माध्यम से रक्त प्रवाह में पहुंचते हैं।

अन्य पाचन एंजाइमों से तुलना

एंजाइम मुख्य कार्य कार्य स्थान स्राव स्रोत
लाइपेस वसा पाचन छोटी आंत अग्न्याशय
एमाइलेस स्टार्च पाचन मुंह, छोटी आंत लार ग्रंथि, अग्न्याशय
पेप्सिन प्रोटीन पाचन पेट गैस्ट्रिक ग्रंथि
ट्रिप्सिन प्रोटीन पाचन छोटी आंत अग्न्याशय

प्रश्न का उत्तर: मानव शरीर में वसा के विघटन में लाइपेस (D) एंजाइम सहायक होता है। एमाइलेस स्टार्च को, पेप्सिन और ट्रिप्सिन प्रोटीन को पचाते हैं, जबकि केवल लाइपेस ही वसा का पाचन करता है।

चिकित्सा संबंधी महत्व

नैदानिक परीक्षण

रक्त में लाइपेस का स्तर अग्न्याशय की स्थिति का महत्वपूर्ण संकेतक है। सीरम लाइपेस परीक्षण निम्नलिखित स्थितियों में किया जाता है:

  • एक्यूट पैंक्रिएटाइटिस - लाइपेस का स्तर सामान्य से 3-10 गुना बढ़ जाता है
  • क्रॉनिक पैंक्रिएटाइटिस - लाइपेस का स्तर कम हो जाता है
  • पैंक्रिएटिक कैंसर - अनियमित लाइपेस स्तर
  • गॉल स्टोन - पित्त की नली में रुकावट से लाइपेस बढ़ सकता है

सामान्य मान

आयु समूह सामान्य रेंज (U/L) टिप्पणी
वयस्क 10-150 लैबोरेटरी के अनुसार भिन्न हो सकता है
बच्चे 20-180 उम्र के साथ धीरे-धीरे कम होता है
नवजात 9-105 जन्म के बाद तेजी से बढ़ता है

लाइपेस की कमी से होने वाले रोग

अग्न्याशयी एंजाइम की कमी (Pancreatic Insufficiency)

जब अग्न्याशय पर्याप्त लाइपेस नहीं बना पाता, तो निम्नलिखित समस्याएं हो सकती हैं:

  • स्टीटोरिया - मल में अपचित वसा की अधिकता
  • कुअवशोषण सिंड्रोम - वसा में घुलनशील विटामिन की कमी
  • वजन में गिरावट - कैलोरी की हानि
  • पेट में दर्द और गैस - अपचित वसा के कारण

उपचार

लाइपेस की कमी का उपचार मुख्यतः पैंक्रिएटिक एंजाइम रिप्लेसमेंट थेरेपी (PERT) से किया जाता है। इसमें भोजन के साथ कृत्रिम लाइपेस एंजाइम की गोलियां दी जाती हैं।

निष्कर्ष

लाइपेस एंजाइम मानव पाचन तंत्र का एक अपरिहार्य घटक है जो वसा के पाचन और अवशोषण में मुख्य भूमिका निभाता है। यह एंजाइम न केवल पोषण के लिए आवश्यक है बल्कि विभिन्न रोगों के निदान में भी महत्वपूर्ण है।

आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में लाइपेस की भूमिका केवल पाचन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह अग्न्याशय के स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण बायोमार्कर भी है। उचित आहार और जीवनशैली के साथ-साथ लाइपेस एंजाइम का स्वस्थ स्राव मानव स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक है।