राजस्थान सेवा नियम (RSR) अध्याय 6: नियुक्तियों का संयोजन नियम 50(1)
अध्याय 6
नियुक्तियों का संयोजन
नियुक्तियों का संयोजन (Combination of appointment):
नियम 50(1) के अनुसार राज्य सरकार किसी सरकारी कर्मचारी को अस्थायी अधार पर या एक समय में दो स्वतंत्र पदों पर कार्य करने के लिये नियुक्त कर सकती है। ऐसे मामलों में उसका वेतन तथा विशेष वेतन निम्न प्रकार से विनियमित होगा—
- (i) यदि 2 पदों में से एक पद पर ही राज्य कर्मचारी की नियुक्ति होती है तो दोनों में से जो अधिकतम वेतन प्राप्त करने का अधिकारी होता वह वेतन उस पद को धारण करने के कारण उसे स्वीकृत किया जा सकता है।
- (ii) अन्य पद के लिये वह ऐसा युक्तियुक्त वेतन प्राप्त करेगा जिसे सरकार नियत करे किन्तु किसी भी दशा में वह पद के कार्यपालक वेतन यानी पे-मैट्रिक्स में लेवलों में मूल वेतन के 1% से अधिक नहीं होगा। (वित्त विभाग की अधिसूचना क्रमांक एफ.1(4)एफ.डी.(नियम)/2017-II दिनांक 30 अक्टूबर 2017 द्वारा दिनांक 1 अक्टूबर 2017 से प्रभावी)
- (iii) यदि नियुक्तियों के संयोजन के मामलों में उन पदों में से एक पद अथवा पदों के साथ कोई क्षतिपूरक (Compensatory) अथवा सत्कार (Sumptuary) भत्ता स्वीकार्य हो तो संबंधित कर्मचारी ऐसे क्षतिपूरक एवं सत्कार भत्ते, सरकार की स्वीकृति से, प्राप्त कर सकता है किन्तु ऐसे भत्ते उन पदों के साथ तेय समस्त
क्षतिपूरक एवं व्ययपूरक भत्तों की राशि से अधिक नहीं हो सकेंगे।
जहां किसी सरकारी कर्मचारी को नियम 50(1) के अनुसार अपने स्वयं के पद के कार्यों के साथ साथ किसी दूसरे रिक्त पद का पूर्ण कार्य सम्पादित करने के लिए नियुक्त कर दिया जावे तो वहा ऐसी दोहरी व्यवस्था 6 माह से अधिक समय के लिए किसी रूप में आगे नहीं चलेगी। परिणामस्वरूप 6 माह पूर्ण होने पर ऐसी किसी भी व्यवस्था के लिये विशेष वेतन या कार्यभार भत्ता अनुमत नहीं किया जायेगा। 6 माह की अवधि समाप्त होने पर ऐसे पद पर नियमित नियुक्ति/पदोन्नति की जानी चाहिए वरना उसके बाद ऐसे रिक्त पद को आस्थगित (Abeyance) माना जायेगा। (नियम 50(2)
यदि किसी सरकारी कर्मचारी को जिस अस्थायी रूप से उसके पद के पूर्वकालिक कार्यों के अतिरिक्त किसी अन्य स्वतंत्र रिक्त पद पर कार्य करने हेतु अपषिकारिक रूप से नियुक्त किया जाता है तो उसे विशेष वेतन का भुगतान वित्त विभाग की अधिसूचना क्रमांक एफ.8(28)एफ-II/55 दिनांक 9 अगस्त 1962 तत्पुरान्त समय समय पर किये जाने वाले संशोधनों द्वारा नियमित किया जायेगा। इस नियम के प्रावधान उन मामलों में लागू नहीं होंगे जहां सरकारी कर्मचारी सरकार के अधीन किसी पद के अलावा किसी पद का अतिरिक्त भार धारण करता है।
उन मामलों में, जहां कोई सरकारी कर्मचारी किसी अर्द्ध-शासकीय/अशासकीय पद पर प्रतिनियुक्त/प्रेषित सेवा में अपने स्वयं के कर्तव्यों के साथ साथ सरकार के अधीन किसी पद का भी अतिरिक्त कार्य सम्पादित करे तो वह इस नियम के अन्तर्गत विशेष वेतन पाने का हकदार होगा।
राजस्थान सेवा नियम 153
विशेष वेतन की दरों में संशोधन करते हुए यह प्रावधान किया है कि राज्य सरकार किसी सरकारी कर्मचारी को एक समय में दो स्वतंत्र पदों पर कार्य करने हेतु नियुक्त कर सकती है। ऐसे मामलों में उसका वेतन निम्न प्रकार से शासित होगा—
- (i) कर्मचारी के चारित पद से दूसरा पद यदि अधीनस्थ है तो उसे कुछ भी प्राप्त नहीं होगा।
- (ii) कर्मचारी के चारित पद से दूसरा पद यदि समकक्ष या निम्न है लेकिन अधीनस्थ नहीं है, तो कार्यवाहक भत्ता 30 दिन से 60 दिन तक परिकलित वेतन का 1% तथा 60 दिन से अधिक कार्य करने पर परिकलित वेतन का 2% देय होगा।
- (iii) कर्मचारी के चारित पद से दूसरा पद उच्चतर है तथा सरकारी कर्मचारी उच्चतर पद को धारित करने की योग्यता रखता है या नियमित पदोन्नति या आकस्मिक पदोन्नति के लिये सर्वथा वरिष्ठ है तो वह उच्चतर पद का वेतन प्राप्त करेगा या 30 दिन से 60 दिन तक परिकलित वेतन का 1% तथा 60 दिन से अधिक कार्य करने पर परिकलित वेतन का 2% देय होगा।
- (iv) कर्मचारी के चारित पद से दूसरा पद उच्चतर है तथा सरकारी कर्मचारी उच्चतर पद को धारित करने की योग्यता नहीं रखता है तो 30 दिन से अधिक के कार्य के लिये उसे अपने वेतन का अधिकतम 1% देय होगा। 6 माह से अधिक अवधि हेतु कार्यभार भत्ता स्वीकृत नहीं किया जायेगा।
एक पद को दूसरे पद के अधीनस्थ तब ही माना जायेगा जब प्रथम पद वाले कर्मचारी का कार्य दूसरे पद वाले कर्मचारी/अधिकारी द्वारा देखा जाता है या नियंत्रित किया जाता है तथा दोनों पद एक ही कार्यालय में स्थित हों। यदि एक राजपत्रित अधिकारी अपने पद के कार्यों के अतिरिक्त किसी राजपत्रित पद का कार्यभार भी संभाले अथवा सम्पादित करे तो उसे राजपत्रित पद के अधीनस्थ पद माना जायेगा
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यदि वह पद राजपत्रित अधिकारी के सीधे प्रशासनिक नियंत्रण में हो। उच्च पद का निर्धारण करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि किसी पद के साथ विशेष वेतन देय होने पर एक पद को उच्च पद समझा जा सकता है।
No allowance after 6 months
Rajasthan Service Rules 50 & 60
अवकाश के पूर्व में एवं बाद में पड़ने वाले सार्वजनिक अवकाशों को भी अवकाश की उक्त प्रकार किये जाने वाले दोहरे प्रभव अवधि में, विशेष वेतन को भी गणना के लिये, सम्मिलित किया जाना चाहिए एवं अवकाश अवधि को मिलाकर ही विशेष वेतन स्वीकृत किया जाना चाहिए।
राजस्थान सरकार का यह निर्णय है कि नवीन सृजित पद उस दिन से प्रभावी होता है जब वह पूर्वकालिक आधार पर भरा जाता है। ऐसा नवीन सृजित पद यदि प्रारम्भ में पूर्वकालिक आधार पर नहीं भरा गया है तो उस पद के कार्यों के लिये किसी कर्मचारी को कोई विशेष वेतन स्वीकृत नहीं किया जा सकेगा।