राजस्थान सेवा नियम अध्याय 7: भारत से बाहर प्रतिनियुक्ति
अध्याय 7
भारत से बाहर प्रतिनियुक्ति
भारतवर्ष से बाहर प्रतिनियुक्ति— राजस्थान सेवा नियम के नियम 51 के अनुसार जब कोई अधिकारी, स्थायी प्राधिकारी की स्वीकृति से, राज्य से बाहर भारतवर्ष में भरित पद के कर्तव्यों अथवा विशेष कार्यों के लिये अथवा पद से संबंधित प्रशिक्षण के लिये भारतवर्ष से बाहर प्रतिनियुक्त किया जावे तो उसे प्रतिनियुक्ति काल में भी वही वेतन प्राप्त करने की स्वीकृति दी जा सकती है जिसे वह देश में तैनात रहने पर प्राप्त करता।
क्षतिपूरक भत्ते— प्रतिनियुक्ति पर एक अधिकारी को नियम में क्षतिपूरक भत्ता उस धनराशी तक स्वीकृत किया जा सकता है जो भारत के राष्ट्रपति, अभिकरणपूर्ण समझ कर, स्वीकृत करे।
राज्य सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि जब एक अधिकारी को भारतवर्ष से बाहर प्रतिनियुक्त किया जावे तो उसके लिये पृथक से किसी पद के सृजन की आवश्यकता नहीं है क्योंकि ऐसी अवधि को कर्तव्य अवधि (Duty Period) समझा जाता है। कभी-कभी परिस्थिति में भारतवर्ष से बाहर अधिकारियों को प्रतिनियुक्त किया जाता है किन्तु यह अवधि भी कर्तव्य ही मानी जाती है। दोनों ही मामलों में एक अधिकारी को भारत से बाहर प्रतिनियुक्ति पर भेजने के कारण भारतवर्ष में हुए रिक्त पद कार्यवाहक व्यवस्था की जा सकती है एवं ऐसे अधिकारी को वेतन एवं भत्ते आदि निकासी जाने के लिये गये पद का सृजन आवश्यक नहीं है। ऐसे मामले में एक पद के विरुद्ध दो
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अधिकारियों का वेतन उठाया जा सकता है किंतु स्वीकृत अधिक (Permissible excess) कहा जाता है।
अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति, कोलम्बो योजना, चार-सूत्री कार्यक्रम आदि के अन्तर्गत प्रशिक्षण व भेजने पर वेतन एवं भत्तों का अनुमोदन—
जब एक अधिकारी राज्य सरकार द्वारा राष्ट्रसंघ, कोलम्बो योजना, चार-सूत्री कार्यक्रम आदि के अन्तर्गत भारतवर्ष से बाहर किसी राजकीय अथवा गैर-राजकीय संस्थाओं, यथा, राजकंडक, कॉर्ड फाउन्डेशन आदि द्वारा संचालित प्रशिक्षण हेतु मनोनीत किया जाता है तो ऐसे प्रशिक्षण की अवधि में प्रतिनियुक्ति की भांति के अन्तर्गत अधिकारी का वेतन एवं भत्ते निम्न प्रकार शासित होंगे :
- (i) वेतन : भारतवर्ष के पद से अनुपस्थिति की पूर्ण अवधि को, उसे वही वेतन मिलेगा जो यदि वह अधिकारी भारतवर्ष में तैनात रहता तो प्राप्त करता।
- (ii) महंगाई भत्ता : प्रशिक्षण के प्रयास छ: सत्ताह की अवधि में नहीं दिया जायेगा किन्तु जो वह भारत में रहकर प्राप्त करता। इस अवधि के बाद कोई महंगाई भत्ता देय नहीं होगा।
- (iii) मकान किराया भत्ता : इस अवधि में मकान किराया भत्ता उसे ही दिया जायेगा जो वह भारत में रहने पर प्राप्त करता। प्रशिक्षण की पूर्ण अवधि में मकान किराया भत्ता मिलेगा। इसी प्रकार यदि उसका परिवार राजकीय आवास में रहता हो तो ऐसे आवास के किराये पहलदारी उससे सरकार की जायेगी जिस प्रकार उसके भारत में रहने पर की जाती।
पूर्व सरकार ने भारत से बाहर प्रतिनियुक्ति की शर्तें पत्रांकित रूप से उद्धार करके दी है कि अम: निम्नांकित मार्गदर्शक सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए निर्णय चाहिए
- (1) किसी भी कर्मचारी/अधिकारी को किसी विदेशी संस्था अथवा सरकार से इस संबंध में सीधा पत्र-व्यवहार/संपर्क नहीं करना चाहिए।
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- (2) विदेशों में प्रशिक्षण आदि के लिये भेजे जाने की कार्यवाही तथा आज्ञा को संस्थानिक निर्णय द्वारा किये जाने चाहिए।
- (3) प्रशिक्षण पर भेजने से पूर्व देखना चाहिए कि किसी अस्थाई राज्य कर्मचारी को प्रतिनियुक्ति पर नहीं भेजा जाकर विभाग के स्थायी कर्मचारी को भेजा जाये। यह उस योग्यता का स्थायी कर्मचारी को नहीं जाये तो अस्थाई कर्मचारी, जिसकी सेवा की निरंतरता सेवा ही चुकी हो, को प्रशिक्षण के लिये चुना जा सकता है।
- (4) प्रशिक्षण पूर्ण करने के बाद ऐसे अधिकारी की न्यूनतम सेवा अवधि की शर्तें होनी चाहिए तथा उस अवधि में उसकी सेवा-निवृत्त होने की कोई संभावना नहीं होनी चाहिए।
- (5) ऐसे समस्त श्रेणी के कर्मचारियों से परिशिष्ट-18 द्वारा निर्धारित बंध-पत्र (Bond) भरवाया जाना चाहिए कि वह प्रशिक्षण से वापिस आकर वहां तक राजकीय सेवा करने को सहमत है।
- (6) स्थायी कर्मचारी को भी प्रशिक्षण में भेजने से पूर्व सीमा पूर्व की सीमा पूर्ण करनी चाहिए। इस सीमा में उस मामले में छूट दी सकती है जहां प्रशिक्षण की प्रकृति इस प्रकार की हो कि यह उसके पद की योग्यता एवं कार्य संगणती में आवश्यक हो।
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(7) एक बार में ऐसे मामलों में प्रतिनियुक्ति का आधिकरणपूर्ण एवं प्राधिकरण सेवा नाम स्वकर्ता चाहिए।
यदि विदेश में प्रशिक्षण किसी उपाधि अथवा विशेषज्ञता प्राप्त करने के लिये हो तो प्रथम छ: माह की अवधि भारत से बाहर पूर्ण वेतन पर, प्रतिनियुक्ति के रूप में समझी जायेगी तथा शेष अवधि, निम्नांकित शर्तों पर, विशेष अवकाश के रूप में स्वीकृत कर नियमित की जायेगी :
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- (1) विशेष अवकाश का समय पदोन्नति तथा पेंशन के लिये गिना जायेगा।
- (2) इस अवकाश समय किसी अन्य अवकाश के लेखे में नहीं जोड़ा जायेगा। अर्थात् यह अतिरिक्त अवकाश (Extra credit leave) होगा। विशेष अवकाश की अवधि में अधिकारी का कोई वेतन, भत्ता आदि देय नहीं होगा।
- (3) विशेष अवकाश की अवधि में समस्त कोई महंगाई भत्ता नहीं दिया जायेगा किन्तु केवल समुद्रपार (Overseas) छात्रवृत्ति योजना के अन्तर्गत किसी अधिकारी का प्रशिक्षण के लिये प्रतिनियुक्ति पर उक प्रकार पैंठासी गये अवकाश वेतन के साथ वित्त विभाग द्वारा समय-समय पर निर्धारित दरों के अनुसार, महंगाई भत्ता दिया जायेगा।
- (4) विशेष अवकाश की अवधि में मकान किराया भत्ता उसी दर पर दिया जायेगा जो कर्मचारी भारत में सेवारत रहने पर प्राप्त करता।
- (5) परिशिष्ट 18 के अनुसार भराये जाने वाले बंधपत्र (Bond) में उन शर्तों का उल्लेख किया जायेगा जैसे अधिकारी के वेतन, भत्ते यात्रा एवं अन्य व्यय, विदेशी संस्थाएं/लेखी द्वारा उस पर किया गया प्रशिक्षण व्यय, इत्यादि।
- (6) विदेश में प्रशिक्षण संबंधी योजनाओं के अन्तर्गत किसी अधिकारी का भेजना का प्रस्ताव सरकार द्वारा समिति के द्वारा अनुमोदित किया जायेगा जिसके मुख्य सचिव अध्यक्ष एवं वित्त सचिव, विशिष्ट शासन सचिव संगठित विभाग के सचिव सदस्य हैं तथा जिसमें संबंधित विभागाध्यक्ष को भी उसके विभाग के किसी अधिकारी के मामले को तय करते समय सदस्य के रूप में मनोनीत किया जा सकता है।
- (7) प्रतिनियुक्ति के मामलों की समस्त स्वीकृतियां विशुद्ध विभाग के संबंधित व्यय अनुमान की सहायता से जारी की जानी चाहिए।
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(8) महंगाई भत्ते देने की एक शर्त यह भी रखी गई है कि प्रशिक्षण पर जाने की अवधि में वह अवधि भी सम्मिलित मानी जायेगी। इस छ: माह की अवधि में यह अवधि भी सम्मिलित मानी जायेगी जो एक अधिकारी डाकिल अड़ेंड तथा वापसगाह पर लगाता है क्योंकि प्रशिक्षण का समय पूर्ण वेतन तथा विशेष अवकाश के रूप में माना जाता है।
स्वयंसेवी के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को स्वयंसेवी निकाय में पद का अतिरिक्त प्रभार प्राधिकरण पर फीस का भुगतान—
जब कभी राजस्थान कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा को कैडर नियंत्रण में किसी पद का अतिरिक्त प्रभार प्राधिकरण तो कार्मिक (का-1) विभाग की आज्ञा क्रमांक एफ.3/13(2)कैडर-1/85 पार्ट दिनांक 15 मई, 2018 के अनुसार उसे निम्नानुसार फीस का संयोजन अनुमति है जो दिनांक 15 मई, 2018 से प्रभावी है :
क्रम संख्या | अधिकारी की सेवा स्थिति | फीस राशि मात्र |
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1. | अतिरिक्त मुख्य शासन सचिव/ प्रधान शासन सचिव/ शासन सचिव/ विशिष्ट शासन सचिव/ संयुक्त शासन सचिव में आसीन कर रहे या भारतीय प्रशासनिक सेवा की स्केल के ऊपर के विभागाध्यक्ष के लिये | ₹ 5000 per month |
2. | जिला कलेक्टर/उपसंचालक 1 में सम्मिलित नहीं किये गये विभागाध्यक्ष के लिये | ₹ 4000 per month |
3. | संयुक्त शासन सचिव के लिये | ₹ 3000 per month |
उपरोक्त आज्ञा विभाग द्वारा पूर्व प्रकाशित समस्तीयक आज्ञा दिनांकित 5 जुलाई, 1985, 23 जुलाई, 1988, 23 नवम्बर 1998 तथा 6 अप्रैल, 2005 में अंकित दरों में संशोधन करते हुए जारी की गयी है।
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स्टॉप ओवर/स्टे ओवर (Stop Over/Stay Overs) की अवधि का नियंत्रण—
जब एक अधिकारी किसी किसी सरकारी कार्यक्रम के अन्तर्गत विदेश प्रशिक्षण के लिये भेजा जाता है तो उसे विदेश यात्रा पर निम्नांकित, अधिकतम सीमा तक, प्रशिक्षण स्थानीय के बाद वहां रुकने अथवा रोके जाने की स्वीकृति दी जा सकती है। ऐसी अवधि में जहां अधिकारी अथवा अधिकारी को प्रशिक्षण के भेजने वाले अधिकारी द्वारा ही जारी करनी होगी जिसमें यह स्पष्ट कर देना चाहिए कि स्टॉप ओवर/स्टे ओवर के समय होने वाला समस्त व्यय संबंधित अधिकारी द्वारा वहन किया जायेगा तथा उसके लिये प्रशिक्षण आयोजित करने वाली संस्था/सहायक एजेंसी से किसी प्रकार का निर्देशांक नहीं करना चाहिए।
ऐसी अवधि में यात्रा के लिये संबंधित अधिकारी का अतिरिक्त विदेशी मुद्रा भी उपलब्ध नहीं करवायी जायेगी। उसे प्रशिक्षण के लिये पहले से चुकी कोई यात्रा सुविधा प्रदान होगी। स्टॉप ओवर/स्टे ओवर के समय की स्वीकृति निम्न प्रकार दी जा सकती :
- (i) जब भारतवर्ष से बाहर किसी प्रशिक्षण का समय 3 माह अथवा उससे कम हो तो ऐसे प्रशिक्षणार्थी एक सप्ताह के स्टॉप/स्टे ओवर की सुविधा का उपयोग कर सकता है।
- (ii) जब अवधि 3 माह से अधिक किन्तु 6 माह से कम हो तो स्टॉप ओवर/स्टे ओवर की सुविधा 2 सप्ताह तक दी जा सकती है।
- (iii) जब प्रशिक्षण की अवधि 6 माह से अधिक कोई हो तो ऐसी सुविधा 3 सप्ताह तक के लिये दी जा सकती है।
उपरोक्त निर्धारित सीमा के अन्तर्गत स्टॉप ओवर/स्टे ओवर की स्वीकृतियां संबंधित प्रशासनिक विभाग जारी कर सकता है। इससे अधिक सीमा तथा अन्य कोई सुविधा देनी हो तो उक मामला वित्त विभाग को भेजा जायेगा। उपरोक्त अंकित सीमा में स्टॉप ओवर/स्टे
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ओवर अवधि भारत में उस अधिकारी को आवश्यक समय के रूप में विकसित करने में कोई आपत्ति नहीं है यदि प्रशासनिक विभाग इस बात से संतुष्ट हो जावे कि भारतवर्ष में भी उसकी विदेशी यात्रा से संबंधित कार्य करना आवश्यक हो एवं अधिकारी के पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा का प्रबन्ध हो एवं अधिकारी के पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा का प्रबन्ध हो।
भारत से बाहर विदेशों में प्रतिनियुक्ति पर जाने की प्रक्रिया—
राज्य सरकार ने दिनांक 14-12-1993 के आदेश से यह निर्णय किया है कि भविष्य में कोई अधिकारी किसी विदेशी सरकार/देश से सीधी संपर्क नहीं करेगा यह यदि किसी मित्र राष्ट्र में किसी पद पर कार्य/नियोजन करना चाहता है तो उसे अपना आवेदन-पत्र अपने विभागाध्यक्ष के माध्यम से सम्बन्धालय में अपने प्रशासनिक विभाग को भिजवाना होगा। प्रशासनिक विभाग ऐसे आवेदन का अपने स्तर पर परीक्षण करके अपनी टीप के साथ उप शासन सचिव (जन संपर्क) को अधिकृत करेगा। जनसंपर्क विभाग के उप सचिव की ऐसी टीप आदेशों का परीक्षण करके निर्धारणपुर जीप करके उसे भारत सरकार के विदेशी कार्य मन्त्रालय उप राज्यमन्त्री गृहार विभाग/देश औपचारिक विभाग विभाग को विदेश-निर्देशन हेतु आवेदन के साथ (प्रेरल) में जोड़ने हेतु भिजवाई जायेगी। वहां उस पर निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार आगे कार्यवाही करेंगे।
भारत सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग/देशी तथा औपचारिक विभाग से कर्मचारी के बच्छप्रवृत्ति की सूचना प्राप्त होने पर उप शासन सचिव (जनसंपर्क) द्वारा उसकी सूचना शीघ्र प्रशासनिक विभाग को प्रेषित की जायेगी जो संबंधित अधिकारी को निर्धारित भर्ती के आधार विदेशी नियोजन के लिये कार्यमुक्त करने की कार्यवाही करेगा।
विदेशी नियोजन निम्नांकित शर्तों के आधार पर किया जा सकेगा :
- (i) अधिकारी का उसके स्वयं पद पर पदस्थापकर अधिकतम तीन वर्ष तक रहा जा सकेगा।
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- (2) इस अवधि में राज्य सरकार से वेतनभत्तों का कोई भुगतान नहीं होगा। यात्रा व्यय भी देय नहीं होगा। विदेशी नियोजन द्वारा प्रदत्त राशि में से वेतन-भत्ता प्राप्त करेगा।
- (3) विदेशी नियोजन की अवधि वेतन वृद्धि की गणना में जोड़ी जायेगी। यह पेंशन योग्य सेवा में भी सम्मिलित की जायेगी यदि अधिकारी स्वयं उस अवधि का पेंशन योगदान, सरकार द्वारा निर्धारित दर से राजकोष में जमा कर दे।
- (4) विदेशी नियोजन की अवधि अवकाश गणना में सम्मिलित नहीं की जायेगी।