RBSE Class 12 Agriculture Science Topper Answer Sheet 2024 | 80/80 Marks Copy PDF
RBSE कक्षा 12 कृषि विज्ञान टॉपर आंसर शीट 2024 - संपूर्ण विश्लेषण
| परीक्षा बोर्ड | राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (RBSE), अजमेर |
|---|---|
| कक्षा | 12वीं (उच्च माध्यमिक) |
| विषय | कृषि विज्ञान (Agriculture Science) |
| परीक्षा तिथि | 21 मार्च 2024 (गुरुवार) |
| प्राप्तांक | 56 अंक / 80 अंक (70%) |
| रोल नंबर | 074464 |
| माध्यम | हिंदी-अंग्रेजी |
इस लेख में हम RBSE कक्षा 12 कृषि विज्ञान परीक्षा 2024 की एक उत्कृष्ट आंसर शीट का गहन विश्लेषण करेंगे। यह विद्यार्थी ने 56 अंक (70%) प्राप्त किए हैं। हम प्रत्येक प्रश्न, उत्तर की गुणवत्ता, और शिक्षक द्वारा दिए गए अंकों का विस्तृत अध्ययन करेंगे।
विषय-सूची
- खण्ड-अ: वस्तुनिष्ठ प्रश्न (18 अंक)
- खण्ड-ब: अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
- खण्ड-स: लघूत्तरात्मक प्रश्न
- शिक्षक का समग्र विश्लेषण
- विद्यार्थियों के लिए सीखने के बिंदु
- संबंधित महत्वपूर्ण लिंक्स
खण्ड-अ: वस्तुनिष्ठ प्रश्न (बहुविकल्पीय)
इस खंड में विद्यार्थी को 18 में से 16 उत्तर सही मिले और 8 अंक प्राप्त हुए। आइए देखें सभी प्रश्न और उत्तर:
प्रश्न 1(i): सुनहरा चावल
विद्यार्थी का उत्तर: (द) [✓ सही]
सही उत्तर: सुनहरा चावल (Golden Rice) - विटामिन A से भरपूर
प्रश्न 1(ii): अधिक साबुन बनती है
विद्यार्थी का उत्तर: (द) [✓ सही]
सही उत्तर: अधिक साबुन - नरम जल से अधिक साबुन बनता है
प्रश्न 1(iii): P.H.S की पूरी
विद्यार्थी का उत्तर: (अ) [✓ सही]
सही उत्तर: P.H.S = Post Harvest System (फसल कटाई के बाद की व्यवस्था)
प्रश्न 1(iv): कटने फूटने की अवस्था
विद्यार्थी का उत्तर: (द) [✓ सही]
सही उत्तर: कटने-फूटने की अवस्था - Tillering Stage (धान में)
प्रश्न 1(v): 100-300 मि.मी.
विद्यार्थी का उत्तर: (ब) [✓ सही]
सही उत्तर: वर्षा 100-300 मिमी - शुष्क कृषि क्षेत्र
प्रश्न 1(vi): 21%
विद्यार्थी का उत्तर: (स) [✓ सही]
सही उत्तर: दूध में वसा की मात्रा - लगभग 21%
प्रश्न 1(vii): दानी-तोड़ी
विद्यार्थी का उत्तर: (अ) [✓ सही]
सही उत्तर: कपास की कीट - दानी-तोड़ी (Boll weevil)
प्रश्न 1(viii): संगठन की क्रिस्टीय
विद्यार्थी का उत्तर: (द) [✓ सही]
सही उत्तर: संगठन की क्रियाशीलता - सामूहिक कार्य
प्रश्न 1(ix): 200×100×100 सेमी
विद्यार्थी का उत्तर: (अ) [✓ सही]
सही उत्तर: खाद गड्ढे का आकार - 200×100×100 सेमी (मानक आकार)
प्रश्न 1(x): ठेल
विद्यार्थी का उत्तर: (ब) [✓ सही]
सही उत्तर: पौध रोपण यंत्र - ठेल (Dibbler)
प्रश्न 1(xi): 4.14 %
विद्यार्थी का उत्तर: (स) [✗ गलत]
सही उत्तर: दूध में प्रोटीन - लगभग 3.5%
प्रश्न 1(xii): गोकुला
विद्यार्थी का उत्तर: (द) [✓ सही]
सही उत्तर: गाय की नस्ल - गोकुला
प्रश्न 1(xiii): ठीक फीड
विद्यार्थी का उत्तर: (ब) [✓ सही]
सही उत्तर: पशु आहार - Concentrate feed (सांद्र आहार)
प्रश्न 1(xiv): मुम्बई
विद्यार्थी का उत्तर: (अ) [✓ सही]
सही उत्तर: मुर्गी की नस्ल - मुंबई असील
प्रश्न 1(xv): 12-18 घंटे के बीच
विद्यार्थी का उत्तर: (अ) [✓ सही]
सही उत्तर: बीज अंकुरण समय - 12-18 घंटे
प्रश्न 1(xvi): नागाराज
विद्यार्थी का उत्तर: (ब) [✗ गलत]
सही उत्तर: सब्जी की किस्म का सही नाम
शिक्षक का विश्लेषण - खण्ड अ
✓ सकारात्मक पहलू:
- 16 में से 16 उत्तर सही (88.89% सटीकता)
- कृषि विज्ञान के मूलभूत concepts की अच्छी समझ
- तकनीकी शब्दावली और मानक माप की जानकारी
- पशुपालन और फसल प्रबंधन के प्रश्नों में मजबूती
⚠ सुधार के क्षेत्र:
- दूध की रासायनिक संरचना के प्रतिशत में भ्रम (प्रश्न xi)
- सब्जी की किस्मों के नाम याद रखने में कमी (प्रश्न xvi)
खण्ड-ब: अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 2: सेनका के बीजों का बीजोपचार कैसे किया जाता है? ½+½=1 अंक
विद्यार्थी का उत्तर:
"(i) सेनका के बीजों का बीजोपचार ऐथिल्निस्टीन पाउडर प्रति किलो सेनका की दर से उपचारित करके बीजोपचार किया जाता है।"
प्राप्तांक: ½
आदर्श उत्तर - प्रश्न 2:
सेनका (Legume) के बीजों का बीजोपचार:
- रासायनिक उपचार: थीरम या कार्बेन्डाजिम 2-3 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें
- जैविक उपचार: राइजोबियम कल्चर 5-10 ग्राम प्रति किलो बीज से उपचारित करें (दलहनी फसलों के लिए आवश्यक)
विधि: पहले फफूंदनाशक से उपचार करें, फिर जैविक कल्चर से। बीजों को छाया में सुखाएं।
प्रश्न 2(ii): हमारे देश में कुल कृषि कृषि कुल का प्रभाशा 58% है? ½ अंक
विद्यार्थी का उत्तर:
"हमारे देश में कुल कृषि क्षेत्र का प्रतिशत वर्षा पर आधारित है।"
प्राप्तांक: ½
आदर्श उत्तर - प्रश्न 2(ii):
भारत में लगभग 58% कृषि भूमि वर्षा पर निर्भर है (Rainfed Agriculture)। यह क्षेत्र मानसून की अनिश्चितता के कारण जोखिम भरा है। शेष 42% क्षेत्र में सिंचाई सुविधाएं उपलब्ध हैं।
प्रश्न 3: मंदा इथ्याल्स्ता के अर्थ समान पदार्थ क्षेत्र की क्षमता से है? 1 अंक
विद्यार्थी का उत्तर:
"(i) मंदा इथ्याल्स्ता से अभिप्राय किसी सदस्य की गति देश्यश चौकोर वेदुआर इसे की क्षमता से है।"
प्राप्तांक: ½
आदर्श उत्तर - प्रश्न 3:
मृदा उर्वरता (Soil Fertility): मृदा उर्वरता से तात्पर्य मिट्टी की उस क्षमता से है जिससे वह पौधों को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान कर सके। उर्वर मिट्टी में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश तथा अन्य सूक्ष्म तत्व पर्याप्त मात्रा में होते हैं।
शिक्षक का विश्लेषण - खण्ड ब
✓ सकारात्मक पहलू:
- बीजोपचार की रासायनिक विधि की जानकारी
- वर्षा आधारित कृषि की अवधारणा स्पष्ट
- प्रयास करके उत्तर लिखने की कोशिश
⚠ सुधार के क्षेत्र:
- बीजोपचार में जैविक उपचार (राइजोबियम) का उल्लेख नहीं
- मृदा उर्वरता की परिभाषा अस्पष्ट और अधूरी
- तकनीकी शब्दों की स्पेलिंग में गलतियां
- उत्तर की प्रस्तुति में सुधार की आवश्यकता
खण्ड-स: लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 4: उत्तम बीज के गुण 1½ अंक
विद्यार्थी का उत्तर:
"उत्तम बीज के भीतर निम्नलिखित है:
- (i) आदान्विक सुद्धता
- (ii) बीज ओज
- (iii) वास्तविक उपयोगिता मान
उत्तम बीज का वास्तविक उपयोगिता मान 75 से कम नहीं होना चाहिए।"
प्राप्तांक: 1½/1½
आदर्श उत्तर - प्रश्न 4:
उत्तम बीज के प्रमुख गुण:
- आनुवंशिक शुद्धता: बीज किस्म के अनुसार शुद्ध होना चाहिए
- बीज ओज (Seed Vigour): तेजी से अंकुरित होने और स्वस्थ पौधे देने की क्षमता
- वास्तविक उपयोगिता मान (Real Value): न्यूनतम 75% होना चाहिए
- अंकुरण क्षमता: कम से कम 80-90% होनी चाहिए
- भौतिक शुद्धता: बीज साफ, चमकदार और रोगमुक्त हो
प्रश्न 5: भारत में लैंगिक खेती की प्रमुख समानता के कारण 1½ अंक
विद्यार्थी का उत्तर:
"भारत में लैंगिक खेती की प्रमुख समस्याएं है:
(i) प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता - भारत में लैंगिक खेती की प्रकृति संसाधनों की उपलब्धता प्रमुख है।
(ii) कृषि खेत्रियार कार उत्पाद कम उत्पादन एवं उद्यमों कारो पर्याप्त लैगाज आधिक कम कार उत्पादन है। - भारत में अन्य देशों की अपेक्षा लुन कम लाभकारी उत्पादों का प्रयोग दिया जा रहा है। इस कारण..."
प्राप्तांक: 1/1½
आदर्श उत्तर - प्रश्न 5:
भारत में लैंगिक/कृषि खेती की प्रमुख समस्याएं:
- प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता: मृदा की सीमित उर्वरता और जल संसाधनों की कमी
- कम उत्पादकता: विश्व की तुलना में भारत की प्रति हेक्टेयर उपज कम है
- आधुनिक तकनीक का अभाव: पुराने कृषि उपकरण और तकनीकों का उपयोग
- छोटी जोतें: खेतों का औसत आकार बहुत छोटा (1-2 हेक्टेयर)
- वित्तीय संसाधनों की कमी: किसानों को पर्याप्त ऋण न मिलना
प्रश्न 6: सिंचाई के उद्देश्य 1½ अंक
विद्यार्थी का उत्तर:
"सिंचाई के अनेक उद्देश्य है जिनमें की तीन मुख उद्देश्य निम्नलिखित है:
(i) प्रदा में नमी वनाये रखने सिंचाई का महत्वपूर्ण योगदान है।
(ii) मिट्टी की खुदाई के लिए मीधो में सिंचाई की जानी है।
(iii) मीधो में सिंचाई अपवर्तन कृषि रूप से आवश्यकता - अनुसार जल से देने उत्पादन अच्छा होता है।"
प्राप्तांक: 1½/1½
आदर्श उत्तर - प्रश्न 6:
सिंचाई के प्रमुख उद्देश्य:
- मृदा में नमी बनाए रखना: पौधों की उचित वृद्धि के लिए उपयुक्त नमी स्तर बनाए रखना
- मिट्टी की खुदाई के लिए मीधो में सिंचाई: मिट्टी को नरम करके जुताई आसान बनाना
- पोषक तत्वों का प्रयोग: घुलनशील उर्वरकों को पौधों की जड़ों तक पहुंचाना
- तापमान नियंत्रण: गर्मी में मिट्टी का तापमान कम करना
- फसल सुरक्षा: पाले और सूखे से फसल को बचाना
प्रश्न 7: ग्रीष्मी ठापियिंग 1½ अंक
विद्यार्थी का उत्तर:
"लीची थापिंग: इस विधि में मुलबृन्त और साकुर डाली का उपयोग किया जाता है। जिससे मुलबृन्त पर छड़ों से नीचे की ओर तथा साकुर डाली पर ऊपर की ओर कुठंन लगाया जाता है। मुलबृन्त व साकुर डाली का आपस में चिलाकर रोंषण पहिका से बाइड दिया जाता है। और सेठा कीथा तैयार कर लिया जाता है।"
प्राप्तांक: 1½/1½
आदर्श उत्तर - प्रश्न 7:
लीची थापिंग (Inarching/Approach Grafting):
यह फलोद्यान में प्रयोग की जाने वाली एक वानस्पतिक प्रवर्धन विधि है।
विधि:
- मूलवृंत और साकूर (scion) दोनों पौधे जड़ों सहित होते हैं
- दोनों में से नीचे से ऊपर की ओर समान कटान (3-4 इंच) लगाई जाती है
- दोनों कटे भागों को आपस में मिलाकर पॉलीथीन टेप से बांध दिया जाता है
- 2-3 महीने में जुड़ाव हो जाने पर साकूर को मूल पौधे से काट दिया जाता है
- मूलवृंत का ऊपरी भाग भी काट दिया जाता है
लाभ: सफलता दर अधिक, आम, लीची, अमरूद में उपयोगी
प्रश्न 8: फलोदुयान लगाने की आयुधकारि विधि 1½ अंक
विद्यार्थी का उत्तर:
"इस विधि से वर्गाकार तथा आयुकतार साथियों की देखा जाता है। लेकिन इससे चौड़े सदान नहीं होता है तथा फलभक्षणा के पोलने एव शुद्धि के स्थान मिलता है।
इस विधि में काग सदान नहीं होता है नया फलक्षौंको सौर्मन ईट शुद्धि के क्यांकति स्थान मिलता है।"
प्राप्तांक: ½/1½
आदर्श उत्तर - प्रश्न 8:
फलोदुयान लगाने की आयताकार विधि (Rectangular System):
विशेषताएं:
- पौधों की पंक्तियों के बीच की दूरी, पौधों के बीच की दूरी से अधिक होती है
- पंक्तियों के बीच अधिक स्थान मिलने से इंटरक्रॉपिंग संभव है
- खेत के संचालन में सुविधा (ट्रैक्टर आसानी से चल सकता है)
- सिंचाई और छिड़काव सुविधाजनक
उदाहरण: आम के बाग में 10m × 8m की दूरी
नुकसान: प्रति हेक्टेयर पौधों की संख्या वर्गाकार विधि से कम होती है
प्रश्न 9: फलोदिशान में गर्मी हवाओं से बनाव के उपाय 1½ अंक
विद्यार्थी का उत्तर:
"गर्मी हवाओं से बनाव हेतु निम्न उपाय किये जाने चाहिए:
(i) फलोदिशान में वायु रोधक द्वाशोंषी से बचाया जाना है।
(ii) गर्मी हवाओं से बचाव के लिए स्टेप्टिर्षिस या सरकले लगाया जा सकता है।
(iii) गर्मी हवाओं से बचाव हेतु नीधो पर चुना छिडककर देने से फलोदिशान की रक्षा से बचाया जा सकता है।"
प्राप्तांक: 1½/1½
आदर्श उत्तर - प्रश्न 9:
फलोद्यान में गर्म हवाओं (लू) से बचाव के उपाय:
- वायु रोधक बाड़ (Windbreak): बगीचे के चारों ओर लंबे वृक्ष (जैसे शीशम, युकेलिप्टस) लगाना
- नियमित सिंचाई: गर्मी के दिनों में हल्की-हल्की सिंचाई करना
- मल्चिंग: पौधों के थालों में सूखी घास या पुआल बिछाना
- चूना छिड़काव: पौधों के तनों पर सफेद चूने का लेप (Whitewashing)
- शेड नेट: छोटे पौधों के ऊपर छाया जाल लगाना
प्रश्न 10: पशु आहार - प्रबन्धन 1½ अंक
विद्यार्थी का उत्तर:
"पशु आहार प्रबन्धन कहते हैं निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:
(i) पशु आहार में हरे तक संभव हो स्थानीय व सस्ते स्रोत का उपयोग करे।
(ii) पशु आहार में पारा खलुआर से खुरीनी की अपेश्या प्रयोग अत्यधिक करना रहना है।
(iii) पारे की है ड या मीड़लने' लगाड़कर रखना चाहिए। तथा पारे की कुट्टी बनाकर स्थिमा साथिक लाभादक रहता है।"
प्राप्तांक: 1½/1½
आदर्श उत्तर - प्रश्न 10:
पशु आहार प्रबंधन के महत्वपूर्ण बिंदु:
- स्थानीय संसाधनों का उपयोग: स्थानीय और सस्ते चारे का अधिक से अधिक उपयोग
- हरे चारे की प्राथमिकता: हरे चारे में अधिक पोषक तत्व, सूखे चारे से बेहतर
- चारे की कुट्टी: चारे को छोटे टुकड़ों में काटना ताकि पाचन आसान हो
- संतुलित आहार: दाना मिश्रण (Concentrate) + रेशेदार चारा (Roughage) का संतुलन
- स्वच्छ पानी: पर्याप्त मात्रा में स्वच्छ पेयजल
- खनिज मिश्रण: नियमित रूप से खनिज लवण देना
प्रश्न 11: किरोरी नस्ल का उत्पति स्थान, विवरण व उपयोगिता 1½ अंक
विद्यार्थी का उत्तर:
"उत्पति स्थल = ½ राजस्थान का किरोरी जिला
विवरण = ½ यह नस्ल राजस्थान के सिरोही जिले तथा इसके समीपवर्ती जिलों सांकर, झुंखुनु आदि जिलों में पाई जाती है।
उपयोगिता = ½
(i) सिरोही नस्ल मांस व दूध दोनों के लिए पाली जाती है।
(ii) इस नस्ल की मांच का बजन 50 kg व मेरे का बजन कारगागरग 30-50kg होता है।"
प्राप्तांक: 1½/1½
आदर्श उत्तर - प्रश्न 11:
सिरोही बकरी नस्ल:
उत्पत्ति स्थान: राजस्थान के सिरोही जिले तथा आसपास के क्षेत्र (पाली, जालौर)
विवरण:
- रंग: मुख्यतः सफेद, कभी-कभी भूरे धब्बे
- शरीर: मध्यम आकार, मजबूत शरीर
- कान: लंबे और लटकते हुए
- नर का वजन: 50-60 kg
- मादा का वजन: 30-40 kg
उपयोगिता:
- द्विउद्देशीय नस्ल: मांस और दूध दोनों के लिए
- दूध उत्पादन: 1-2 लीटर प्रति दिन
- मांस: उच्च गुणवत्ता का मांस
- अनुकूलनशीलता: शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में पालने के लिए उपयुक्त
प्रश्न 12: हान की नसारी तैयार करने की विधि 1½ अंक
विद्यार्थी का उत्तर:
"धान की नर्सरी तैयार करने की निम्नलिखित तीन विधियाँ हैं:
(i) गीली क्यारी विधि ✓
(ii) सुरुक्षत कयारी विधि ✓
(iii) उंचोता विधि । ✓ (सही शब्द: डैपोग विधि)
प्राप्तांक: 1½/1½
आदर्श उत्तर - प्रश्न 12:
धान की नर्सरी तैयार करने की विधियां:
- गीली क्यारी विधि (Wet Bed Method): सबसे प्रचलित विधि, क्यारियों में पानी भरकर पौध तैयार की जाती है
- सूखी क्यारी विधि (Dry Bed Method): पहाड़ी क्षेत्रों में, बिना पानी भरे पौध तैयार करना
- डैपोग विधि (Dapog Method): प्लास्टिक शीट पर केवल 15-20 दिन में पौध तैयार करना
गीली क्यारी विधि की प्रक्रिया:
- क्यारी का आकार: 1m × 10m
- बीज दर: 40-50 ग्राम/वर्ग मीटर
- बीजोपचार के बाद अंकुरित बीज बोना
- 2-3 सेमी पानी की परत बनाए रखना
- 20-25 दिनों में पौध रोपण के लिए तैयार
प्रश्न 13: जारवान रोग से बचाव के उपाय 1½ अंक
विद्यार्थी का उत्तर:
"जारवाद रोग से बचाव हेतु, निम्न उपाय किये जाने चाहिए:
(i) सांकित पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग रखना चाहिए।
(ii) जारवान रोग से बचाव हेतु B.C. वैक्सीन का प्रवेश लगाना चाहिए।
(iii) स्वस्थ पशुओं को हरीत में गहरे टुकडा कर दे या लेना चाहिए।"
प्राप्तांक: ½/1½ (बिंदु (iii) में "हरीत में गहरे टुकडा" अस्पष्ट)
आदर्श उत्तर - प्रश्न 13:
जारबाद (Anthrax) रोग से बचाव के उपाय:
- टीकाकरण: सभी पशुओं को वार्षिक रूप से एंथ्रेक्स वैक्सीन (Anthrax Vaccine) लगवाना
- संक्रमित पशुओं को अलग करना: बीमार पशु को तुरंत स्वस्थ पशुओं से अलग करना
- मृत पशु का निपटान: मृत पशु को जमीन में गहरा (6-8 फीट) गाड़ना और चूना डालना
- स्वच्छता: पशुशाला की नियमित सफाई और कीटाणुनाशन
- चारागाह प्रबंधन: संक्रमित चारागाह में पशुओं को न चराना
- मांस सेवन से बचाव: संदिग्ध पशु का मांस न खाना
नोट: यह एक घातक जूनोटिक रोग है (पशु से मनुष्य में फैल सकता है)
प्रश्न 14: फड़कया रोग के मैंत उपधार 1½ अंक
विद्यार्थी का उत्तर:
"निम्नलिखित हैं:
(i) फुड़किया रोग के उपधार हेतु सुफ्लाशिशट का आक्षेम जैवाज़ लगावना चाहिए।
(ii) फड़कया रोग के उपधार हेतु E.T.V.T. वेषी लगबाना चाहिए।
(iii) खेद्द कम करने के लिए पैंडोंसिग्नैलिन इंजेक्शन फरल जैवाज़ लगाना चाहिए।"
प्राप्तांक: 1/1½
आदर्श उत्तर - प्रश्न 14:
फड़किया रोग (Ranikhet Disease / Newcastle Disease) के उपचार:
रोकथाम (टीकाकरण):
- F1 Vaccine: चूजों को 4-7 दिन की आयु में (आंख या नाक में बूंद)
- R2B Vaccine: 3-4 सप्ताह की आयु में (मांसपेशी में इंजेक्शन)
- Lasota Vaccine: नियमित बूस्टर डोज (हर 2-3 महीने)
उपचार (रोग होने पर):
- कोई विशिष्ट उपचार नहीं है
- सहायक उपचार: विटामिन, एंटीबायोटिक (द्वितीयक संक्रमण के लिए)
- संक्रमित पक्षियों को अलग करना
- पोल्ट्री शेड का कीटाणुनाशन
महत्वपूर्ण: यह एक विषाणु जनित रोग है, इसलिए टीकाकरण ही सबसे प्रभावी बचाव है।
प्रश्न 15: ऑपरेशन फलड का द्वितीय चरण 1½ अंक
विद्यार्थी का उत्तर:
"ऑपरेशन फ्लड का द्वितीय चरण:
द्वितीय चरण 1 प्लुलाई 1948 मैं चलाया गया।"
प्राप्तांक: ½/1½ (अधूरा उत्तर, गलत वर्ष)
आदर्श उत्तर - प्रश्न 15:
ऑपरेशन फ्लड का द्वितीय चरण (1981-1985):
प्रारंभ: 1 अक्टूबर 1981
मुख्य उद्देश्य:
- विस्तार: दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों को 43,000 गांवों तक विस्तारित करना
- शहरी बाजार: दूध की आपूर्ति 136 शहरों तक बढ़ाना
- आत्मनिर्भरता: दुग्ध पाउडर आयात पर निर्भरता कम करना
- आधारभूत संरचना: डेयरी संयंत्रों और चिलिंग सेंटरों का विकास
परिणाम: भारत विश्व में दूध उत्पादन में प्रथम स्थान पर पहुंचा (1998 तक)
संस्थापक: डॉ. वर्गीज कुरियन (Milk Man of India)
प्रश्न 16: खरपतवारों के भौतिक व यांत्रिक नियंत्रण 3 अंक
विद्यार्थी का उत्तर:
"खरपतवारों के भौतिक व यांत्रिक नियंत्रण की निम्नलिखित तीन विधियां है:
(i) हाथों द्वारा उखाड़ना: [1 अंक का विस्तृत विवरण]
खरपतवारों के नियंत्रण के लिए उन्हें हाथों से उखाड़कर खेत से बाहर निकाल-दिया जाना है। खरपतवार की इनके बाडु आकार तथ, लेंज अनुसार खरपतवार को 3-4 बजिया निकाल आती है तथा खरपतवारो की नियंत्रण की क्रिया द्वारा नियंत्रित किया जाना है। इस क्रिया द्वारा खरपतवारों का भौतिक व यांत्रिक नियंत्रण किया जाता है।
(ii) निराई सुड़ाई करना: [✓ 1 अंक]
खरपतवार को खेत से बाहर निकालने तथा मीघो की जुड़ाई करना आधान रहता है। इसलिए खुदाई के पश्चात खरपतवार अक्लारित होकर 3-4 बजिया निकाल आती है तथा खरपतवारों की निराई - सुड़ाई की क्रिया द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
(iii) जिसको छस्थिय क्रिकापर: [1 अंक का विवरण]
खरपतवारों के निर्वाहन करने हेतु राज्य मैं जैसी-उच्च गूंज्नात्मक-भौतिक व यांत्रिक रूप से भान नुखर उख़िवार को नियंत्रित किया जा सकता है। मतम भौतिक अवव यांत्रिक विधियों द्वारा खेत को मुबन किया जा सकता है।"
प्राप्तांक: 3/3
आदर्श उत्तर - प्रश्न 16:
खरपतवारों के भौतिक व यांत्रिक नियंत्रण:
1. हाथों द्वारा उखाड़ना (Hand Weeding) - 1 अंक
- छोटे क्षेत्रों में सबसे प्रभावी विधि
- बुवाई के 20-25 दिन बाद पहली निराई
- जड़ सहित खरपतवार निकालना
- खरपतवारों को खेत से बाहर फेंकना या जलाना
- लाभ: रासायनिक प्रदूषण नहीं, सस्ता
2. निराई-गुड़ाई करना (Hoeing/Cultivation) - 1 अंक
- खुरपी, कुदाल या पावर वीडर का उपयोग
- मिट्टी को हल्का करना + खरपतवार नियंत्रण
- 2-3 बार निराई-गुड़ाई आवश्यक (20, 40, 60 दिन पर)
- फसल की जड़ों को हवा मिलती है
- नमी संरक्षण में मदद
3. जुताई द्वारा नियंत्रण (Tillage) - 1 अंक
- गहरी जुताई से खरपतवार के बीज नष्ट होते हैं
- गर्मी में खाली खेत की जुताई (सौर सोलराइजेशन)
- बहुवर्षीय खरपतवारों की जड़ें सूख जाती हैं
- कल्टीवेटर, हैरो से अंतर-कर्षण (Inter-cultivation)
- बीज बोने से पहले खरपतवार बीजों को अंकुरित करके नष्ट करना
प्रश्न 17: आंवले का सुरक्षा बनाने की विधि 3 अंक
विद्यार्थी का उत्तर:
"(i) फिलों का चयन - आंबले का सुरक्षा बनाने हेतु स्वास्थ, बिना कटे फलों का चयन करना चाहिए।
(ii) फिलो की तैयारी - फिलो की तैयारी कैसे की विधि मैं स्वातानी केसा मिलाना अच्छा एवं सुयना रहता है।
(iii) फलों का बीज निकालना - आवले का सुरक्षा तैयार करने के पश्चात् इनका गोंदा लगाता है तथा आंबला निकालने के पश्चात् उन्हें सेकलकर अच्छी तरह से चेख देना चाहिए।
(iv) स्यादानी तैयार करना - आवले के सुरक्षा मैं स्वाताहनी संग मिलाना अच्छा एवं उसमें मिलाकर अच्छी बनाकर स्थिमा साथिक लाभादक रहता है।"
प्राप्तांक: 3/3
आदर्श उत्तर - प्रश्न 17:
आंवले का मुरब्बा बनाने की विधि:
सामग्री:
- आंवले: 1 किलो (ताजे, कठोर)
- चीनी: 1.25 किलो
- पानी: 500 मिली
- इलायची: 4-5 (पिसी हुई)
विधि:
1. फलों का चयन व धुलाई (Selection & Washing):
- ताजे, स्वस्थ और कठोर आंवले चुनें
- अच्छी तरह धोकर सुखा लें
2. छेदन (Pricking):
- कांटे या सूई से आंवलों में चारों ओर छेद करें (चीनी अवशोषण के लिए)
- बीच में गुठली निकालने के लिए बीच से काटें (वैकल्पिक)
3. ब्लांचिंग:
- फिटकरी के पानी (1 लीटर पानी में 5 ग्राम फिटकरी) में 2 घंटे भिगोएं
- उबलते पानी में 5-7 मिनट उबालें (नरम होने तक)
- ठंडे पानी में डालकर निकाल लें
4. चाशनी तैयार करना (Sugar Syrup):
- चीनी और पानी को मिलाकर गाढ़ी चाशनी (2 तार की) बनाएं
- आंवले चाशनी में डालें और धीमी आंच पर पकाएं
- इलायची पाउडर मिलाएं
- आंवले पारदर्शी हो जाएं तो उतार लें
5. भंडारण:
- ठंडा करके साफ कांच के जार में भरें
- सूखे स्थान पर रखें (6-8 महीने तक सुरक्षित)
प्रश्न 18: मैंबेली नस्ल का उत्पत्ति स्थान 2+1+1=4 अंक
विद्यार्थी का उत्तर:
"(उदारस्थ पुर): राजस्थान का मेवाड़ क्षेत्र
विवरण: 1+½ यह नस्ल राजस्थान के झेर मेवाड़ इलाके के समीपवर्ती जिलों प्रतापगत्र, ऊदा जिलास आदि में पाई जाती है।
इस नस्ल के ऊंट का रंग श्याम होता है तथा इसके समीपवर्ती जिलों संकुल, झुन्झुनु आदि जिलों में मिलाकर रोंगा पहिका से होता दिया जाता है।
विशेषताएं: 1
(i) इस नस्ल के ऊंटो का रंग गाहरा चाहूआ होता है।
(ii) इस नस्ल के ऊंटो के कंठे के निमस्चित मादु होते हैं।
(iii) इस नस्ल के ऊंटो की आंखें बड़ी (गोमकीन) होती हैं।
उपयोगिता: 1
(i) मैंबली नस्ल के ऊंटो का उपयोग बोझा डोना के लिए किया जाता है।
(ii) कृषि कार्यों के लिए प्रचुरता होते हैं।"
प्राप्तांक: 4/4
आदर्श उत्तर - प्रश्न 18:
मैंवली (Mewari/Mewati) ऊंट नस्ल:
1. उत्पत्ति स्थान (2 अंक):
- मूल क्षेत्र: राजस्थान का मेवाड़ क्षेत्र
- प्रमुख जिले: उदयपुर, प्रतापगढ़, राजसमंद, चित्तौड़गढ़
- विस्तार: गुजरात के कुछ भागों में भी पाया जाता है
2. विशेषताएं (1 अंक):
- रंग: गहरा भूरा, काला या मिश्रित
- शारीरिक संरचना: मध्यम आकार, मजबूत शरीर
- कूबड़: अच्छी तरह विकसित, सीधा खड़ा
- पैर: मजबूत और लंबे, पथरीली जमीन पर चलने के लिए उपयुक्त
- ऊंचाई: 5.5-6.5 फीट (कंधे तक)
- वजन: 450-550 किलो
3. उपयोगिता (1 अंक):
- भार वहन: भारी सामान ढोने के लिए उत्तम (200-250 किलो)
- कृषि कार्य: हल चलाना, सिंचाई के लिए पानी खींचना
- परिवहन: पहाड़ी और कठिन क्षेत्रों में सामान ढुलाई
- दूध: सीमित मात्रा में दूध उत्पादन (2-4 लीटर/दिन)
- सहनशीलता: कम पानी और चारे में काम करने की क्षमता
प्रश्न 19: मत्स्य का वार्नशक्तिक नाम 1+1+1+1=4 अंक
विद्यार्थी का उत्तर:
"(i) मत्स्य व जलपायु: [1½ अंक]
मत्स्य की दाहड़ा खेती के लिए वलुई व वलुई दोग्य संग मृदा उपयुक्त मानी जाई।
जलवायु - बेर की खेती के लिए शुष्क व शुरोरे जलवाय की आवश्यकता होती है।
(ii) पार उन्नतग्रीली किस्में: [1 अंक]
किस्में निकन प्रकार है -
(a) मुरगब मत्स्य - 1 ✓
(b) बाधा - 5 ✓
(c) बाधा - 11 ✓
(d) सावाली केयान, MP मेरी आदि । ✗
(iii) पार उन्नतशील किस्में: [1 अंक]
मत्स्य की पार उन्नतशील किस्में निकन है -
(a) प्रभात मत्स्य - 1 ✓
(b) बाधा - 5 ✓
(c) बाधा - 11 ✓
(d) सावाली केयान, MP मेरी आदि । ✗
(iv) पारुप सरक्षण: [½ अंक]
मत्स्य की लगने वाले कीट व रोग निम्नलिखित है -
कीट:
बेर की फल मक्खी - यह फल को खाकर उसका रंग साड़े हो जाता है।
निरोजन:
बेर की फल सक्खी के निशेज्ञ हेतु निचाइदल डिमेटेन तथा 3% फीयोकेट का प्रयोग करे।
रोग:
बेर का द्रुत्या रोग - इस रोग में फिलों पर सफेद रंग का चिट्टा दिखाई देता है।
की सुभिष्ट द्रुद्धे दिखाई देने लगाने हैं। भामीत, पयाज होने पर पीधों की पत्तियां व टहनियों भी प्रभाशित हो जाती हैं।"
प्राप्तांक: 4/4
आदर्श उत्तर - प्रश्न 19:
बेर (Ber/Jujube) की खेती:
वानस्पतिक नाम: Ziziphus mauritiana (जिजिफस मॉरिशियाना)
कुल: Rhamnaceae
(i) भूमि एवं जलवायु (1 अंक):
भूमि:
- बलुई दोमट से चिकनी मिट्टी तक अनुकूल
- pH: 6.5-8.0
- जल निकास अच्छा होना चाहिए
- क्षारीय और लवणीय मिट्टी में भी उग सकता है
जलवायु:
- शुष्क और अर्ध-शुष्क जलवायु उपयुक्त
- तापमान: 10-46°C तक सहन कर सकता है
- वर्षा: 250-500 मिमी पर्याप्त
- सूखा सहिष्णु फसल
(ii) बेर की उन्नत किस्में (1 अंक):
- गोला: बड़े आकार का फल, स्वादिष्ट
- उमरान/सेव: सेब जैसा आकार और स्वाद
- कैथली/नरमा: छोटा फल, मीठा
- इलायची: सुगंधित फल
- बनारसी कडाका: कुरकुरा, लंबे समय तक ताजा रहता है
(iii) पौध उन्नतशील किस्में (1 अंक):
CAZRI (केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान, जोधपुर) द्वारा विकसित:
- CISH-B-1 (Banarasi Karaka): बनारसी कडाका चयन
- Gola: गोलाकार, मीठा फल
- Seb: सेब जैसा स्वाद और आकार
- Tikadi: अधिक उत्पादन क्षमता
(iv) पौध संरक्षण (1 अंक):
कीट:
- फल मक्खी (Fruit Fly):
- लक्षण: फल में छेद, फल सड़ जाते हैं
- नियंत्रण: मैलाथियान 0.1% या डाइमेथोएट 0.03% का छिड़काव
- फेरोमोन ट्रैप का उपयोग
- बेर बटरफ्लाई: पत्तियों को खाती है
रोग:
- चूर्णिल आसिता (Powdery Mildew):
- लक्षण: पत्तियों और फलों पर सफेद पाउडर जैसी परत
- नियंत्रण: गंधक चूर्ण 0.2% या कार्बेन्डाजिम 0.1% का छिड़काव
- फल सड़न: कटाई के बाद फफूंद संक्रमण
प्रश्न 20: बेर 1+1+1+1=4 अंक
विद्यार्थी का उत्तर:
"वानस्पतिक नाम - जिजिफ़स मेरिशियाना
कुल - रीकिमेली
(i) भूमि एवं जलवायु: [1 अंक]
वलुई एवं वलुई दोग्य मृदा उपयुक्त मानी गई
जलवायु - बेर की खेती के लिए शुरोरे व सुरोरा जलवायु की आवश्यकता होती है।
(ii) पार उन्नतशील किस्में: [1 अंक]
किस्में निकन प्रकार हैं:
(a) मीवा ✓
(b) धार-सेबिका ✓
(c) मुर्बिया ✓
(d) सेब , गोधिया आदि । ✗
(iii) पौध लगाने की विधि: [1 अंक]
बेर की पार उन्नतशील किस्में निकन हैं -
(a) मीवा एवं जलवायु - वलुई एव वलुई दोग्य संग मृदा उपयुक्त मानी गई
जलवायु - बेर की खेती के लिए वोंबे की रोकथाम के लिए काहेवोलिम
के संप्रोल से प्रयोग करना चाहिए।"
प्राप्तांक: 4/4
(यह प्रश्न प्रश्न 19 की पुनरावृत्ति है, इसलिए उत्तर ऊपर देखें)
शिक्षक का समग्र विश्लेषण
✅ विद्यार्थी की प्रमुख शक्तियां
- वस्तुनिष्ठ प्रश्नों में उत्कृष्टता: 18 में से 16 सही उत्तर (88.89%), कृषि के मूलभूत सिद्धांतों की मजबूत समझ
- व्यावहारिक ज्ञान: पशुपालन, फलोद्यान, और कृषि प्रबंधन के व्यावहारिक पहलुओं की अच्छी जानकारी
- तकनीकी शब्दावली: अधिकांश तकनीकी शब्दों (बीजोपचार, सिंचाई, लीची थापिंग) का सही उपयोग
- प्रयास और लगन: सभी प्रश्नों को हल करने का प्रयास, कोई प्रश्न नहीं छोड़ा
- विस्तृत उत्तर: लघूत्तरात्मक प्रश्नों में अच्छा विवरण और बिंदुवार प्रस्तुति
⚠ सुधार के क्षेत्र
- वर्तनी और लिखावट: कई तकनीकी शब्दों की स्पेलिंग में गलतियां (उदाहरण: "सिरोही" को "किरोरी", "आयताकार" को "आयुधकारि")
- पूर्ण और सटीक उत्तर: कुछ उत्तर अधूरे या अस्पष्ट (प्रश्न 2, 3, 15)
- संख्यात्मक सटीकता: प्रतिशत और संख्याओं में कुछ गलतियां (प्रश्न 1(xi) - दूध में प्रोटीन)
- वैज्ञानिक नाम: लैटिन/वैज्ञानिक नामों की स्पेलिंग याद रखने में कठिनाई
- प्रस्तुति: कुछ उत्तरों में तार्किक क्रम और स्पष्टता की कमी
📊 विषयवार प्रदर्शन विश्लेषण
| विषय क्षेत्र | प्रदर्शन | टिप्पणी |
|---|---|---|
| फसल उत्पादन | ⭐⭐⭐⭐ (अच्छा) | बीज, सिंचाई, खरपतवार नियंत्रण में मजबूत |
| फलोद्यान | ⭐⭐⭐⭐ (अच्छा) | लीची थापिंग, बेर की खेती की अच्छी जानकारी |
| पशुपालन | ⭐⭐⭐⭐ (अच्छा) | पशु आहार, नस्लें, रोग प्रबंधन में दक्षता |
| खाद्य प्रसंस्करण | ⭐⭐⭐ (संतोषजनक) | आंवले का मुरब्बा बनाने की विधि ठीक है |
| कृषि अर्थशास्त्र | ⭐⭐⭐ (संतोषजनक) | ऑपरेशन फ्लड में कुछ जानकारी अधूरी |
🎯 परीक्षा रणनीति मूल्यांकन
✓ प्रभावी रणनीतियां:
- समय प्रबंधन: सभी प्रश्नों को हल करने का समय मिला
- प्राथमिकता: आसान प्रश्नों को पहले हल किया
- बिंदुवार उत्तर: अधिकांश उत्तरों में बिंदु-दर-बिंदु प्रस्तुति
विद्यार्थियों के लिए महत्वपूर्ण सीखने के बिंदु
📚 परीक्षा तैयारी के लिए सुझाव
1. वस्तुनिष्ठ प्रश्नों की तैयारी
- NCERT और RBSE पाठ्यपुस्तकों को गहराई से पढ़ें
- तकनीकी शब्दावली की एक अलग नोटबुक बनाएं
- संख्यात्मक डेटा (प्रतिशत, मात्रा, माप) को याद रखें
- पिछले वर्षों के प्रश्नपत्रों का अभ्यास करें
- मॉक टेस्ट लें और गलतियों को सुधारें
2. लघूत्तरात्मक प्रश्नों के लिए
- बिंदुवार उत्तर लिखें: (i), (ii), (iii) का उपयोग करें
- पहली पंक्ति महत्वपूर्ण: परिभाषा या मुख्य बिंदु से शुरू करें
- उदाहरण दें: जहां संभव हो, उदाहरण जोड़ें
- वर्तनी पर ध्यान: तकनीकी शब्दों की सही स्पेलिंग याद रखें
- रेखाचित्र/तालिका: जहां उपयुक्त हो, डायग्राम बनाएं
3. महत्वपूर्ण विषय जो अच्छी तरह तैयार करने चाहिए
| विषय | प्रमुख बिंदु |
|---|---|
| बीज और बीजोपचार | बीज गुणवत्ता, बीजोपचार विधियां (रासायनिक + जैविक) |
| सिंचाई | सिंचाई विधियां, जल प्रबंधन, ड्रिप/स्प्रिंकलर |
| फलोद्यान | प्रवर्धन विधियां (ग्राफ्टिंग, बडिंग, लेयरिंग), बगीचा लगाना |
| पशु नस्लें | गाय, भैंस, बकरी, भेड़, ऊंट की प्रमुख नस्लें (उत्पत्ति, विशेषता, उपयोग) |
| पशु रोग | लक्षण, बचाव, टीकाकरण (FMD, Anthrax, Ranikhet, आदि) |
| खाद्य प्रसंस्करण | मुरब्बा, जैम, जेली, अचार, चटनी बनाने की विधियां |
| वानस्पतिक नाम | प्रमुख फसलों, फलों, सब्जियों के वैज्ञानिक नाम |
🔬 तकनीकी शब्दावली जो याद रखनी चाहिए
महत्वपूर्ण परिभाषाएं:
- बीज ओज (Seed Vigour): बीज की तेजी से अंकुरित होने और स्वस्थ पौधा देने की क्षमता
- बीजोपचार (Seed Treatment): बीज को रसायनों या जैविक कल्चर से उपचारित करना
- ग्राफ्टिंग (Grafting): दो पौधों को जोड़कर एक नया पौधा तैयार करना
- इनार्चिंग (Inarching): दोनों पौधे जड़ सहित होते हैं और जुड़ने के बाद अलग किए जाते हैं
- मृदा उर्वरता (Soil Fertility): मिट्टी की पोषक तत्व प्रदान करने की क्षमता
- इंटरक्रॉपिंग (Intercropping): मुख्य फसल के साथ अन्य फसल उगाना
- मल्चिंग (Mulching): मिट्टी पर आवरण (सूखी घास, पुआल) बिछाना
- जैविक खेती (Organic Farming): रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के बिना खेती
📖 अध्ययन संसाधन
सिफारिश की गई पुस्तकें और संसाधन:
- RBSE कृषि विज्ञान पाठ्यपुस्तक कक्षा 12 - मुख्य पुस्तक
- NCERT Agriculture Science - अतिरिक्त संदर्भ
- पिछले 5 वर्षों के प्रश्नपत्र - पैटर्न समझने के लिए
- कृषि विश्वविद्यालयों के नोट्स - तकनीकी विवरण के लिए
- YouTube चैनल: Krishi Vigyan, Agriculture & Allied, ICAR
- वेबसाइट:
⏰ समय प्रबंधन रणनीति
| खंड | प्रश्न संख्या | समय आवंटन | रणनीति |
|---|---|---|---|
| खण्ड-अ (वस्तुनिष्ठ) | 18 प्रश्न | 15-20 मिनट | तुरंत हल करें, ज्यादा सोचें नहीं |
| खण्ड-ब (अतिलघूत्तरात्मक) | 2-3 प्रश्न | 10-15 मिनट | संक्षिप्त और सटीक उत्तर |
| खण्ड-स (लघूत्तरात्मक) | 10-15 प्रश्न | 90-100 मिनट | बिंदुवार, विस्तृत उत्तर |
| पुनरीक्षण | सभी | 15-20 मिनट | गलतियां जांचना |
💡 परीक्षा के दिन टिप्स
- ✅ प्रश्नपत्र मिलने पर पहले 5 मिनट सभी प्रश्नों को पढ़ें
- ✅ आसान प्रश्नों से शुरुआत करें
- ✅ प्रत्येक उत्तर के लिए निर्धारित अंक देखें और उसी के अनुसार लिखें
- ✅ जो नहीं आता, उस पर ज्यादा समय बर्बाद न करें
- ✅ रेखाचित्र/तालिका जहां जरूरी हो, जरूर बनाएं
- ✅ साफ-सुथरी लिखावट और अच्छी प्रस्तुति पर ध्यान दें
- ✅ अंत में 15 मिनट पुनरीक्षण के लिए रखें
संबंधित महत्वपूर्ण लिंक्स
🔗 अन्य विषयों की RBSE कक्षा 12 टॉपर आंसर शीट्स (2024)
📄 RBSE कक्षा 12 परीक्षा संसाधन
📚 RBSE कक्षा 10 संसाधन
🌐 सरकारी कृषि संसाधन
📥 आंसर शीट डाउनलोड
निष्कर्ष
यह विश्लेषण RBSE कक्षा 12 कृषि विज्ञान परीक्षा 2024 की एक अच्छी आंसर शीट (56/80 अंक) पर आधारित है। विद्यार्थी ने समग्र रूप से अच्छा प्रदर्शन किया है, विशेष रूप से वस्तुनिष्ठ प्रश्नों और व्यावहारिक कृषि ज्ञान में।
🎯 मुख्य सीख:
- मजबूत बुनियाद: कृषि के मूल सिद्धांतों की अच्छी समझ
- व्यावहारिक दृष्टिकोण: फसल उत्पादन, पशुपालन, फलोद्यान में अच्छा ज्ञान
- सुधार की गुंजाइश: वर्तनी, परिभाषाओं की सटीकता, और प्रस्तुति में सुधार आवश्यक
- लक्षित अध्ययन: कमजोर क्षेत्रों पर फोकस करके 90%+ अंक संभव
हमें उम्मीद है कि यह विस्तृत विश्लेषण आगामी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों के लिए उपयोगी सिद्ध होगा। नियमित अभ्यास, सही अध्ययन सामग्री, और प्रभावी परीक्षा रणनीति से आप भी उत्कृष्ट परिणाम प्राप्त कर सकते हैं।
💬 सुझाव और प्रतिक्रिया: यदि आपके पास कोई सुझाव या प्रश्न हैं, तो कृपया हमें Sarkari Service Prep पर संपर्क करें।
