राजकीय कर्मचारियों के हस्ताक्षर परिवर्तन की प्रक्रिया | हिंदी हस्ताक्षर अनिवार्यता नियम
राजकीय सेवा में हस्ताक्षर कर्मचारी की विशिष्ट पहचान होती है। यह आवश्यक नहीं है कि सेवा पुस्तिका में किया गया हस्ताक्षर, अन्य दस्तावेजों से मेल खाए, किंतु राज्य सरकार द्वारा जारी आदेशों के अनुसार हस्ताक्षर हिंदी में किया जाना अनिवार्य है।
🔥 हस्ताक्षर परिवर्तन के सामान्य कारण:
- हस्ताक्षर हिंदी में नहीं होना।
- सुरक्षा की दृष्टि से बदलाव।
- समय के साथ हस्ताक्षर शैली में परिवर्तन।
- हस्ताक्षर का अधिक लंबा या कठिन होना।
🔥 हस्ताक्षर बदलने की विधि:
- DDO को हस्ताक्षर परिवर्तन हेतु प्रार्थना पत्र दें।
- DDO द्वारा अनुमति मिलने पर सेवा पुस्तिका में नया हस्ताक्षर अंकित करें।
- DDO सेवा पुस्तिका में हस्ताक्षर को दिनांक सहित प्रमाणित करेगा।
- प्रमाणित प्रार्थना पत्र को सेवा फ़ाइल में संलग्न किया जाएगा।
🔥 हिंदी में हस्ताक्षर क्यों अनिवार्य है?
राजस्थान सरकार के अनुसार सभी राजकीय कर्मचारियों को हिंदी में हस्ताक्षर करना आवश्यक है। अगर कोई अंग्रेज़ी में कर रहा है तो उसे हस्ताक्षर परिवर्तन की प्रक्रिया अपनानी चाहिए।
🔥 उपस्थिति पंजिका में हस्ताक्षर:
उपस्थिति पंजिका में लघु हस्ताक्षर स्वीकार्य हैं, परंतु वे भी हिंदी में होने चाहिए।
🔥 सेवा पुस्तिका में उल्लेखित विशेष नियम:
"इस पृष्ठ के लेख कम से कम प्रत्येक पाँचवें वर्ष नवीनीकरण तथा पुनः प्रमाणित होने चाहिए तथा 9 व 10 के खाने में हस्ताक्षर मय पद दिनांक होना चाहिए। इस नियम के अन्तर्गत अंगुली की छाप नये सिरे से लेने की आवश्यकता नहीं है।"
Note (English):
"The entries in this page should be renewed or re-attested at least every five years and the signature in Column no. 9 and 10 should be dated. Finger prints need not be taken again."
📌 निष्कर्ष:
हस्ताक्षर का हिंदी में होना प्रशासनिक दृष्टि से आवश्यक है। यह एक साधारण प्रक्रिया है जिसे DDO की अनुमति से कभी भी बदला जा सकता है। प्रत्येक 5 वर्षों में हस्ताक्षर का पुनः प्रमाणीकरण सेवा पुस्तिका में होना अनिवार्य है।
हस्ताक्षर संबंधित सामान्य नियम (General Rules Related to Signature in Government Service)
यहाँ सरकारी सेवा में हस्ताक्षर (Signature) से संबंधित सामान्य नियमों का संक्षिप्त एवं स्पष्ट उल्लेख किया जा रहा है, जो प्रत्येक सरकारी कर्मचारी को जानना आवश्यक है:
1. हस्ताक्षर की परिभाषा (Definition of Signature):
हस्ताक्षर व्यक्ति की स्थायी पहचान का चिन्ह होता है, जो उसने अपने द्वारा निर्धारित शैली में स्वयं किया हो।
2. हस्ताक्षर की भाषा:
राजस्थान सरकार के अनुसार, सभी राजकीय कर्मचारियों को अपने हस्ताक्षर हिंदी भाषा में ही करने चाहिए। यदि पहले अंग्रेज़ी में हस्ताक्षर किए गए हों, तो उन्हें हिंदी में परिवर्तित किया जाना चाहिए।
3. हस्ताक्षर में परिवर्तन (Change of Signature):
- हस्ताक्षर बदले जा सकते हैं। इसके लिए डीडीओ (DDO) को एक आवेदन देकर सेवा पुस्तिका में नवीन हस्ताक्षर प्रमाणित करवाए जाते हैं।
- नया हस्ताक्षर सेवा पुस्तिका के निर्धारित पृष्ठ पर दिनांक सहित किया जाना चाहिए।
4. हस्ताक्षर का पुनः प्रमाणीकरण:
सेवा पुस्तिका में दर्ज हस्ताक्षरों को हर पाँच वर्ष में एक बार पुनः प्रमाणित किया जाना आवश्यक होता है।
"इस पृष्ठ के लेख कम से कम प्रत्येक पाँचवें वर्ष नवीनीकरण तथा पुनः प्रमाणित होने चाहिए..."
5. उपस्थिति रजिस्टर में हस्ताक्षर:
- उपस्थिति पंजिका में लघु हस्ताक्षर (Short Signature) किया जा सकता है, बशर्ते वह सेवा पुस्तिका के हस्ताक्षर से मेल खाता हो।
6. हस्ताक्षर की सुरक्षा:
- हस्ताक्षर में परिवर्तन सुरक्षा की दृष्टि से भी किया जा सकता है, जैसे कि किसी के हस्ताक्षर की नकल की संभावना हो।
7. आवेदन की प्रक्रिया (Signature Change Process):
- कर्मचारी डीडीओ को हस्ताक्षर बदलने हेतु आवेदन देगा।
- डीडीओ सेवा पुस्तिका में नए हस्ताक्षर प्रमाणित करेंगे।
- प्रमाणित प्रति सर्विस फाइल में सुरक्षित रखी जाएगी।
8. अंगुली के निशान की आवश्यकता नहीं:
पाँच वर्ष बाद दोबारा हस्ताक्षर प्रमाणन आवश्यक होता है, लेकिन अंगुली/अंगूठे के निशान पुनः लेने की आवश्यकता नहीं होती।
9. हस्ताक्षर से संबंधित सुझाव:
- प्रारंभ से ही हस्ताक्षर हिंदी में रखें।
- हस्ताक्षर में क्लिष्टता न हो।
- सेवा पुस्तिका एवं अन्य सभी दस्तावेज़ों में एकरूपता बनाए रखें।
लेख स्रोत: Daily Edu Magazine | Join Telegram: https://t.me/DailyEduMagzine
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