राजस्थान मृत सरकारी कर्मचारियों के आश्रितों को अनुकंपात्मक नियुक्ति नियम,
1996
(Compassionate Appointment Rules to the Dependents of Rajasthan Deceased
Government Employees 1996)
राजस्थान सरकार
कार्मिक(क-2) विभाग
सं-एफ.5 (51) कार्मिक/क-2/88 जयपुर दिनांक-31.12.1996
अधिसूचना
भारत के संविधान के अनुच्छेद 309 के परंतु द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए राजस्थान के राज्यपाल मृत सरकारी कर्मचारियों के आश्रितों की अनुकंपात्मक आधारों पर भर्ती को विनियमित करने के लिए इसके द्वारा निम्नलिखित नियम बनाए जाते हैं अर्थात-
राजस्थान मृत सरकारी कर्मचारियों के आश्रितों को अनुकंपात्मक नियुक्ति नियम, 1996
1. संक्षिप्त नाम और प्रारंभ
- इन नियमों का नाम राजस्थान मृत सरकारी कर्मचारियों के आश्रितों की अनुकंपात्मक नियुक्ति नियम, 1996 है।
- ये राजस्थान के राजपत्र में इनके प्रकाशन की तारीख से प्रवृत्त होंगे।
2. परिभाषाएं
जब तक सन्दर्भ द्वारा अन्यथा अपेक्षित ना हो, इन नियमों में-
- (क) “नियुक्ति प्राधिकारी” से राजस्थान सरकार अभिप्रेरित है तथा इसमें अन्य कोई ऐसा अधिकारी सम्मिलित है जिसे सरकार द्वारा सुसंगत सेवा नियमों यदि कोई हो, के अधीन नियुक्ति प्राधिकारी की शक्तियों का प्रयोग एवं कृत्यों का पालन करने के लिए किसी भी विशेष या सामान्य आदेश द्वारा शक्तियां प्रत्यायोजित की गई हो।
-
(ख) “मृत सरकारी कर्मचारी” से
ऐसा व्यक्ति अभिप्रेरित है जो राज्य के कार्यकलाप के संबंध में आयोजित किया
गया था और इसमें राजस्थान राज्य के संवर्ग का अखिल भारतीय सेवाओं का वह
सदस्य भी शामिल है जिसका वेतन राज्य की समेकित निधि के प्रति विकलनीय था और
जिसकी सेवाकाल के दौरान मृत्यु हो गई थी और जो-
- स्थाई था या
- नियमित आधार पर नियुक्ति के पश्चात अस्थाई रूप से कोई पद धारण कर रहा था या
- अर्जेंट अस्थाई नियुक्ति पर नियमित रिक्ति के प्रति नियुक्त किया गया था और जिसने इस रूप में 1 वर्ष की निरंतर सेवा कर ली थी।
- (ग) “आश्रित” से पति या पत्नी, पुत्र, अविवाहित या विधवा पुत्री, मृत सरकारी कर्मचारी द्वारा अपने जीवनकाल के दौरान वैध रूप से ग्रहित दत्तक पुत्र/पुत्री अभिप्रेरित है जो मृत सरकारी कर्मचारी पर, उसकी मृत्यु के समय पूर्णतया आश्रित थे।
- (घ) ”सरकार” से राजस्थान सरकार अभिप्रेरित है।
- (ड) विभागाध्यक्ष/कार्यालयाध्यक्ष से ऐसे विभाग/ कार्यालय का अध्यक्ष भी प्रेरित है जिसमें मृत सरकारी कर्मचारी अपनी मृत्यु के समय सेवा कर रहा था/थी।
- (च) ”राज्य” से राजस्थान राज्य अभिप्रेरित है।
3. निर्वचन
जब तक सन्दर्भ से अन्यथा अपेक्षित ना हो, इन नियमों के निर्वचन के लिए राजस्थान साधारण खंड अधिनियम, 1955 (1955 का राजस्थान अधिनियम संख्या 8) उसी तरह लागू होगा जैसे वह किसी राजस्थान अधिनियम के निर्वचन के लिए लागू होता है।
4. विस्तार
ये नियम अनुकंपात्मक आधार पर मृत सरकारी कर्मचारी के आश्रित की नियुक्ति को शासित करेंगे और ये किसी पद विशेष के लिए कोई अधिकार प्रदान नहीं करेंगे।
5. कतिपय शर्तों के अध्यधीन नियुक्ति
जब किसी सरकारी कर्मचारी की सेवाकाल के दौरान मृत्यु हो जाती है तो उसके किसी
एक आश्रित की इस शर्त के अध्यधीन सरकारी सेवा में नियुक्ति के लिए विचार किया
जा सकेगा कि इन नियमों के अधीन अनुकंपा नियुक्ति उन मामलों में अनुज्ञेय नहीं
होगी जहां पति या पत्नी या कोई एक पुत्र, अविवाहित पुत्री, दत्तक
पुत्र/पुत्री केंद्र या राज्य सरकार अथवा केंद्र सरकार / राज्य सरकार के
कानूनी बोर्ड संगठन/निगम जो पूर्णतः या भागतः केंद्र/राज्य सरकार के
स्वामित्व में हो या नियंत्रण में हो, के अधीन सरकारी कर्मचारी की मृत्यु के
समय
नियमित आधार पर पहले से ही नियोजित हो।
परंतु यह शर्त वहां लागू नहीं होगी जहां
विधवा स्वयं के लिए नियोजन प्राप्त करती है।
6. पदों का चयन
- आश्रित को उनकी शैक्षिक अहर्ताओं के अनुसार और सेवा की अन्य शर्तों की पूर्ति करने पर अधीनस्थ सेवाओं/मंत्रालयिक सेवाओं/चतुर्थ श्रेणी सेवाओं में सीधी भर्ती से भरे जाने वाले केवल वेतनमान संख्या 1 से 9 तक के पदों पर मृत कर्मचारी की रैंक और प्रास्थिति को विचार में लाए बिना, नियुक्ति के लिए विचार किया जाएगा।
- इन नियमों के अधीन किसी पद पर एक बार नियुक्त कर दिए जाने पर इन नियमों के अधीन आश्रित प्रसुविधा उपभोग की गई मान ली जाएगी और मामले पर किसी भी परिस्थिति में किसी अन्य पद पर नियुक्ति के लिए पुनः विचार नहीं किया जाएगा।
7. अहर्ताएं
- आश्रित के पास नियुक्ति के समय संबंधित सेवा नियमों के अधीन के पद के लिए अहर्ताएं होनी चाहिए।
- चतुर्थ श्रेणी सेवा में नियुक्ति के लिए विचार करते समय पद के लिए शैक्षिक अहर्ताओं की अपेक्षा से अभिमुक्ति दी जाएगी।
- किसी आश्रित की नियुक्ति किए जाने से पूर्व नियुक्ति प्राधिकारी स्वयं का समाधान करेगा कि उसके चरित्र और शारीरिक योग्यता तथा संबंधित नियमों में विहित अन्य सामान्य शर्तों को देखते हुए, वह सरकारी सेवा में नियुक्ति के लिए अन्यथा उपयुक्त है।
8. आयु
आश्रित को नियुक्ति के समय संबंधित सेवा नियमों के अधीन के पद के लिए विहित आयु सीमा के भीतर होना चाहिए परंतु-
- किसी विधवा के लिए कोई ऊपरी आयु सीमा नहीं होगी।
- अन्य के लिए ऊपरी आयु सीमा उस कालावधि में 5 वर्ष तक शिथिलनीय रहेगी या 40 वर्ष की आयु तक की जो भी कम हो, होगी।
- आयु की संगणना करने के लिए निर्णायक तारीख, नियुक्ति के लिए आवेदन प्राप्त करने की तारीख होगी। एक उपयुक्त पद की व्यवस्था करने में बीता समय आश्रित को निरर्हित नहीं करेगा यदि वह उस कालावधि के दौरान अधिक आयु हो जाता है।
9. प्रक्रियात्मक अपेक्षाएं आदि
प्रारंभिक नियुक्ति के समय चयन के लिए प्रक्रियात्मक अपेक्षाओं, जैसे प्रशिक्षण या विभागीय परीक्षा या टंकण परीक्षा पर जोर नहीं दिया जाएगा। तथापि, आश्रित से 3 वर्ष के भीतर स्थायीकरण के लिए हकदारी हेतु ऐसा प्रशिक्षण या विभागीय परीक्षा या टंकण परीक्षा उत्तीर्ण करने की अपेक्षा की जाएगी और ऐसा ना होने पर उसकी नियुक्ति समाप्त होने के दायित्वाधीन होगी। जब तक वह ऐसी अहर्ता अर्जित नहीं कर लेता है, तब तक उसे कोई वार्षिक वेतन वृद्धि अनुज्ञेय अनुतात नहीं की जाएगी। ऐसी अहर्ताऐं अर्जित करने पर उसे नियुक्ति की तारीख से काल्पनिक रूप से वेतन वृद्धियां अनुज्ञात की जाएगी किंतु कोई बकाया संदत नहीं की जाएगी।
टिप्पणी- इस नियम के प्रयोजनार्थ विभागाध्यक्ष अभ्यर्थियों की संख्या को विचार में लाए बिना प्रत्येक वर्ष ऐसी परीक्षा (टेस्ट) आयोजित करेगा।
10. प्रक्रिया
- किसी सरकारी कर्मचारी की मृत्यु होने पर उत्तरजीवी पति या पत्नी स्वयं को या किसी अन्य आश्रित की नियुक्ति के लिए आवेदन करेंगे।
- जहां मृत सरकारी कर्मचारी का कोई जीवित पति या पत्नी ना हो वहां सरकारी कर्मचारी के किसी भी आश्रित द्वारा आवेदन किया जाएगा और अन्य आश्रितों को उसकी अभ्यर्थिता के लिए अपनी सहमति देनी होगी। परंतु यह है कि आश्रितों में से एक से अधिक द्वारा नियोजन चाहा जाए तो विभागाध्यक्ष संपूर्ण परिवार विशेषकर अवयस्क सदस्यों के समग्र हित और कल्याण को देखते हुए किसी भी एक का चयन करेगा।
- ऐसा आवेदन ”उपाबंध- क” के रूप में संलग्न प्रारूप में सरकारी कर्मचारी की मृत्यु की तारीख से 45 दिन के भीतर विभागाध्यक्ष को किया जाएगा अभ्यर्थी आवेदन के स्तंभ – 7 में उल्लिखित परिवार के सभी सदस्यों की मासिक आय (सभी स्रोतों से) के समर्थन में एक शपथ पत्र प्रस्तुत करेगा।
- अखिल भारतीय सेवाओं, राजस्थान प्रशासनिक सेवा, राजस्थान लेखा सेवा, राजस्थान विधिक राज्य एवं अधीनस्थ सेवा और राजस्थान आर्थिक एवं सांख्यिकी सेवा आदि के मामलों में जहां अधिकारी सरकार के विभिन्न विभागों में पद स्थापित किए जाते हैं, आवेदन उस समय विभागाध्यक्ष/ कार्यालयाध्यक्ष के माध्यम से उस सेवा को नियंत्रित करने वाले प्रशासनिक विभाग को किए जाएंगे जहां वह सरकारी कर्मचारी अपनी मृत्यु के समय पदस्थापित था।
- प्रशासनिक विभाग का यह दायित्व होगा कि वह आश्रितों को अपने स्वयं के विभाग में नियुक्ति दे और किसी भी दशा में इस दायित्व को अन्य विभाग को स्थानांतरित नहीं किया जाएगा।
- उपयुक्त पद रिक्त ना होने की दशा में नियोजन उपलब्ध कराने के लिए आवेदन ”पहले आऐं पहले पाऐं” के आधार पर प्रतीक्षा सूची में रखे जाएंगे। यदि निम्न स्तर वेतनमान में कोई पद तुरंत उपलब्ध हो तो निम्नतर पद का आवेदक को प्रस्ताव किया जा सकता है और आवेदक के लिए यह विकल्प होगा कि वह या तो आवेदित पद के लिए प्रतीक्षा करें या उपलब्ध निम्नत्तर पद स्वीकार करें। यदि आवेदक उपलब्ध अन्य निम्नतर पद स्वीकार करता है तो वह आवेदित उच्चतर पद के लिए अपना दावा खो देगा और उसका नाम प्रतीक्षासूची में नहीं रखा जाएगा। परंतु यदि आवेदन प्रस्तुत करने की तारीख से 2 वर्ष के भीतर नियुक्ति के लिए कोई पद उपलब्ध नहीं होता है तो मामला अन्य विभाग में नियुक्ति के लिए कार्मिक विभाग को निर्देशित किया जाएगा।
- राज्य संवर्गों वाली सेवाओं जैसे कार्मिक विभाग द्वारा नियंत्रित अखिल भारतीय सेवा, राजस्थान प्रशासनिक सेवा, राजस्थान सचिवालय सेवा, के सदस्यों की मृत्यु की दशा में, आवेदन सचिव, कार्मिक विभाग को किया जाएगा और यह कार्मिक विभाग का दायित्व होगा कि वह किसी उपयुक्त पद की व्यवस्था करे।
11. अध्यारोही प्रभाव
इन नियमों के प्रारंभ के समय प्रवृति इन्हीं नियमों, विनियमों या आदेशों के अंतर्विष्ट किसी विपरीत बात के होते हुए भी, ये नियम और इनके अधीन जारी किए गए कोई आदेश प्रभाव में रहेंगे।
12. नोडल विभाग
कार्मिक (क-2) विभाग नियमों को प्रशासित करने के प्रयोजनार्थ नोडल विभाग के रूप में कार्य करेगा और वह ऐसा कोई सामान्य या विशेष आदेश कर सकेगा जो वह इन नियमों के समुचित क्रियान्वयन के लिए आवश्यक या समीचीन समझे।
13. शंकाओं का निराकरण
यदि इन नियमों के लागू करने, निर्वाचन और विस्तार संबंधी कोई शंका उत्पन्न हो तो उसे सरकार के कार्मिक (क-2) विभाग को निर्देशित किया जाएगा जिसका उस पर विनिश्चय अंतिम होगा।
14. कठिनाइयों के निराकरण की शक्ति
राज्य सरकार किसी कठिनाई के निराकरण के प्रयोजनार्थ (उसकी विद्यमानता के लिए जिसके लिए वह एकमात्र निर्णायक है) इन नियमों के किसी उपबंध के क्रियान्वयन के लिए ऐसा कोई साधारण या विशेष आदेश दे सकेगी जैसा वह लोकहित में आवश्यक या समीचीन समझे।
15. निरसन एवं व्यावृत्ति
विद्यमान राजस्थान सेवा काल के दौरान मृत सरकारी कर्मचारियों के आश्रितों की भर्ती नियम, 1975 और उनके अधीन जारी किए गए किसी भी आदेशों को इसके द्वारा निरसित किया जाता हैः परंतु इस प्रकार निरसित अतिष्ठित किए गए नियमों और आदेशों के अधीन की गई कोई भी कार्यवाही इन नियमों के उपबंधों के अधीन की हुई समझी जाएगी।
अनुकंपा नियुक्ति नियम 1996: विस्तृत प्रश्नोत्तरी
प्रश्न 1: राजस्थान मृत सरकारी कर्मचारियों के आश्रितों को अनुकंपात्मक नियुक्ति नियम, 1996 का प्रारंभ कब से माना जाता है?
उत्तर: ये नियम राजस्थान के राजपत्र में इनके प्रकाशन की तारीख से प्रवृत्त होंगे। अधिसूचना में यह दिनांक 31.12.1996 को जारी किए गए थे।
प्रश्न 2: "मृत सरकारी कर्मचारी" की परिभाषा में कौन-कौन से अस्थाई पद धारक शामिल हैं जिन्हें अनुकंपा नियुक्ति के लिए पात्र माना जाएगा?
उत्तर: "मृत सरकारी कर्मचारी" में वह व्यक्ति अभिप्रेरित है जिसकी सेवाकाल के दौरान मृत्यु हो गई थी और जो-
- नियमित आधार पर नियुक्ति के पश्चात अस्थाई रूप से कोई पद धारण कर रहा था, या
- अर्जेंट अस्थाई नियुक्ति पर नियमित रिक्ति के प्रति नियुक्त किया गया था और जिसने इस रूप में 1 वर्ष की निरंतर सेवा कर ली थी।
प्रश्न 3: इन नियमों के अनुसार "आश्रित" की परिभाषा में कौन-कौन शामिल हैं?
उत्तर: "आश्रित" से पति या पत्नी, पुत्र, अविवाहित या विधवा पुत्री, मृत सरकारी कर्मचारी द्वारा अपने जीवनकाल के दौरान वैध रूप से ग्रहित दत्तक पुत्र/पुत्री अभिप्रेरित है, जो मृत सरकारी कर्मचारी पर, उसकी मृत्यु के समय पूर्णतया आश्रित थे।
प्रश्न 4: अनुकंपा नियुक्ति के लिए कब विचार नहीं किया जाएगा? क्या इसका कोई अपवाद भी है?
उत्तर: अनुकंपा नियुक्ति उन मामलों में अनुज्ञेय नहीं होगी जहां पति या पत्नी या कोई एक पुत्र, अविवाहित पुत्री, दत्तक पुत्र/पुत्री केंद्र या राज्य सरकार अथवा केंद्र/राज्य सरकार के कानूनी बोर्ड संगठन/निगम जो पूर्णतः या भागतः केंद्र/राज्य सरकार के स्वामित्व या नियंत्रण में हो, के अधीन सरकारी कर्मचारी की मृत्यु के समय नियमित आधार पर पहले से ही नियोजित हो।
अपवाद: यह शर्त वहां लागू नहीं होगी जहां विधवा स्वयं के लिए नियोजन प्राप्त करती है।
प्रश्न 5: आश्रित को किस प्रकार के पदों पर नियुक्ति के लिए विचार किया जाएगा? क्या मृत कर्मचारी की रैंक महत्वपूर्ण है?
उत्तर: आश्रित को उनकी शैक्षिक अहर्ताओं और अन्य शर्तों की पूर्ति करने पर, अधीनस्थ सेवाओं/मंत्रालयिक सेवाओं/चतुर्थ श्रेणी सेवाओं में सीधी भर्ती से भरे जाने वाले केवल वेतनमान संख्या 1 से 9 तक के पदों पर नियुक्ति के लिए विचार किया जाएगा। मृत कर्मचारी की रैंक और प्रास्थिति को विचार में नहीं लाया जाएगा।
प्रश्न 6: अनुकंपा नियुक्ति के लिए आयु सीमा संबंधी क्या प्रावधान हैं, विशेषकर विधवा और अन्य आश्रितों के लिए?
उत्तर: आश्रित को नियुक्ति के समय संबंधित सेवा नियमों के अधीन पद के लिए विहित आयु सीमा के भीतर होना चाहिए।
- किसी विधवा के लिए कोई ऊपरी आयु सीमा नहीं होगी।
- अन्य आश्रितों के लिए ऊपरी आयु सीमा उस कालावधि में 5 वर्ष तक शिथिलनीय रहेगी या 40 वर्ष की आयु तक, जो भी कम हो।
- आयु की गणना के लिए निर्णायक तारीख आवेदन प्राप्त करने की तारीख होगी।
प्रश्न 7: प्रारंभिक नियुक्ति के समय किन प्रक्रियात्मक अपेक्षाओं पर जोर नहीं दिया जाएगा, और स्थायीकरण के लिए क्या शर्त है?
उत्तर: प्रारंभिक नियुक्ति के समय चयन के लिए प्रक्रियात्मक अपेक्षाओं, जैसे प्रशिक्षण या विभागीय परीक्षा या टंकण परीक्षा पर जोर नहीं दिया जाएगा।
हालांकि, आश्रित से 3 वर्ष के भीतर स्थायीकरण के लिए हकदारी हेतु ऐसा प्रशिक्षण या विभागीय परीक्षा या टंकण परीक्षा उत्तीर्ण करने की अपेक्षा की जाएगी। ऐसा न करने पर उसकी नियुक्ति समाप्त होने के दायित्वाधीन होगी और उसे वार्षिक वेतन वृद्धि भी नहीं मिलेगी।
प्रश्न 8: अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन करने की समय सीमा और प्रक्रिया क्या है?
उत्तर:
- मृत सरकारी कर्मचारी का पति या पत्नी, या कोई अन्य आश्रित, स्वयं को या किसी अन्य आश्रित की नियुक्ति के लिए आवेदन करेगा।
- आवेदन ”उपाबंध- क” के रूप में संलग्न प्रारूप में सरकारी कर्मचारी की मृत्यु की तारीख से 45 दिन के भीतर विभागाध्यक्ष को किया जाएगा।
- अभ्यर्थी परिवार के सभी सदस्यों की मासिक आय (सभी स्रोतों से) के समर्थन में एक शपथ पत्र प्रस्तुत करेगा।
प्रश्न 9: यदि आवेदन प्रस्तुत करने की तारीख से 2 वर्ष के भीतर कोई उपयुक्त पद उपलब्ध न हो तो क्या प्रावधान है?
उत्तर: यदि आवेदन प्रस्तुत करने की तारीख से 2 वर्ष के भीतर नियुक्ति के लिए कोई पद उपलब्ध नहीं होता है, तो मामला अन्य विभाग में नियुक्ति के लिए कार्मिक विभाग को निर्देशित किया जाएगा। नियोजन उपलब्ध कराने के लिए आवेदन ”पहले आएं पहले पाएं” के आधार पर प्रतीक्षा सूची में रखे जाएंगे।
प्रश्न 10: इन नियमों को प्रशासित करने के लिए नोडल विभाग कौन सा है, और शंकाओं का अंतिम विनिश्चय कौन करता है?
उत्तर:
- कार्मिक (क-2) विभाग इन नियमों को प्रशासित करने के प्रयोजनार्थ नोडल विभाग के रूप में कार्य करेगा।
- इन नियमों के लागू करने, निर्वाचन और विस्तार संबंधी कोई शंका उत्पन्न हो तो उसे सरकार के कार्मिक (क-2) विभाग को निर्देशित किया जाएगा, जिसका उस पर विनिश्चय अंतिम होगा।
राजस्थान अनुकंपा नियुक्ति नियम, 1996: मुख्य सारांश
- प्रारंभ एवं उद्देश्य: ये नियम 31.12.1996 को राजपत्र में प्रकाशन के साथ प्रभावी हुए, जिनका उद्देश्य मृत सरकारी कर्मचारियों के आश्रितों को अनुकंपात्मक आधार पर सरकारी सेवा में नियुक्त करना है।
- पात्र मृत कर्मचारी: इनमें स्थायी, नियमित नियुक्ति के बाद अस्थायी, या 1 वर्ष की निरंतर सेवा वाले अर्जेंट अस्थायी कर्मचारी शामिल हैं।
- पात्र आश्रित: पति/पत्नी, पुत्र, अविवाहित/विधवा पुत्री, वैध दत्तक पुत्र/पुत्री, जो मृत्यु के समय मृत कर्मचारी पर पूर्णतः आश्रित हों।
- अपवाद (जब नियुक्ति नहीं): यदि पति/पत्नी या कोई अन्य आश्रित पहले से ही केंद्र/राज्य सरकार या उनके अधीन किसी संगठन में नियमित रूप से नियोजित हो। (अपवाद: विधवा स्वयं के लिए नियोजन प्राप्त कर सकती है)।
- पदों का चयन: नियुक्ति केवल अधीनस्थ/मंत्रालयिक/चतुर्थ श्रेणी सेवाओं में वेतनमान संख्या 1 से 9 तक के सीधी भर्ती के पदों पर होती है। यह एक बार का लाभ है।
- शैक्षिक योग्यता: संबंधित पद के लिए आवश्यक योग्यता होनी चाहिए, हालांकि चतुर्थ श्रेणी सेवा में शैक्षिक अहर्ताओं से छूट मिल सकती है।
- आयु सीमा: विधवा के लिए कोई ऊपरी आयु सीमा नहीं। अन्य के लिए 5 वर्ष या 40 वर्ष तक की छूट (जो भी कम हो)। आयु की गणना आवेदन प्राप्त करने की तारीख से।
- प्रक्रियात्मक अपेक्षाएं: प्रारंभिक नियुक्ति पर प्रशिक्षण, विभागीय या टंकण परीक्षा की अनिवार्यता नहीं, परंतु 3 वर्ष के भीतर इन्हें उत्तीर्ण करना स्थायीकरण हेतु आवश्यक है, अन्यथा नियुक्ति समाप्त हो सकती है।
- आवेदन प्रक्रिया: आवेदन मृत कर्मचारी की मृत्यु के 45 दिन के भीतर विभागाध्यक्ष को 'उपाबंध-क' प्रारूप में, परिवार की आय के शपथ पत्र सहित करना होगा।
- पदों की व्यवस्था: आवेदन "पहले आएं पहले पाएं" के आधार पर प्रतीक्षा सूची में रखे जाएंगे। यदि 2 वर्ष के भीतर पद उपलब्ध न हो तो मामला कार्मिक विभाग को अन्य विभाग में नियुक्ति के लिए भेजा जाएगा।
- नोडल विभाग: कार्मिक (क-2) विभाग इन नियमों को प्रशासित करने और शंकाओं का निराकरण करने वाला नोडल विभाग है, जिसका निर्णय अंतिम होगा।
- निरसन: इन नियमों ने राजस्थान सेवा काल के दौरान मृत सरकारी कर्मचारियों के आश्रितों की भर्ती नियम, 1975 को निरसित कर दिया है।
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