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राजस्थान पेंशन नियमों के विशेष प्रावधान – जांच, न्यूनतम पेंशन, अतिरिक्त लाभ (80+ वर्ष) एवं सरकार का उत्तरदायित्व


राजस्थान सरकार के पेंशन नियमों के अंतर्गत देय पेंशन परिलाभों के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारियाँ

📌 महत्वपूर्ण बिंदु : राजस्थान पेंशन नियमों के विशेष प्रावधान (पृष्ठ 31–32)

  • सेवानिवृत्त कर्मचारी या मृतक के परिवार को पेंशन नियमों के अंतर्गत देय लाभ नियमों के अनुसार ही निर्धारित किए जाते हैं।
  • सेवानिवृत्ति के बाद पुनः सेवा में नियुक्ति पर उस अवधि हेतु पेंशन / उपदान देय नहीं होता।
  • पेंशन प्राप्त करने हेतु भविष्य में सदाचरण की शर्त अनिवार्य है। दुराचार सिद्ध होने पर पेंशन रोकी जा सकती है।
  • न्यूनतम पेंशन ₹1275 तय की गई है, जो क्रमशः ₹1973 (2004), ₹3025 (2007), ₹3450 (2013) और ₹8850 (2016) तक संशोधित हुई।
  • पेंशन कोई पुरस्कार नहीं बल्कि राज्य सरकार का उत्तरदायित्व है, जो सेवा की पात्रता पूरी करने पर देय होता है।
  • विभागीय जांच प्रारंभ होने पर पेंशन Provisional रूप में दी जाती है, उपदान/कम्युटेशन रोके जाते हैं।
  • न्यायिक या विभागीय जांच लंबित रहने पर अंतिम निर्णय तक केवल अंतरिम पेंशन मिलती है।
  • 80 वर्ष या अधिक आयु के पेंशनर्स को अतिरिक्त पेंशन लाभ देय है — जैसे 80 वर्ष पर 20%, 85 पर 30%, और 100 वर्ष पर 100%।
  • महंगाई राहत (DA) अतिरिक्त पेंशन पर भी देय होती है। इसका लाभ 1.1.2007 से नगद एवं 1.1.2016 से संशोधित रूप में लागू है।
  • यदि सरकार को कर्मचारी से कोई बकाया वसूलना हो तो उसकी मासिक पेंशन के 1/3 भाग से अधिक कटौती नहीं की जा सकती।
  1. पेंशन या पारिवारिक पेंशन के किसी भी दावे के मामले को जब कोई कर्मचारी नियमनुसार सेवानिवृत्त होता है या सेवानिवृत्त किया जाता है या सेवा में रहते हुए मृत्यु को प्राप्त हो जाता है (जैसी भी स्थिति हो) उस समय प्रभावशाली नियमों व प्रावधानों के तहत ही विनियमित किया जाता है।
  2. यदि किसी कर्मचारी को अधिवर्षिकी या रिटायरिंग पेंशन पर सेवानिवृत्त करने के पश्चात पुनः सेवा में नियुक्त किया जाता है तो पुनः नियुक्ति अवधि के लिए अलग से पेंशन / उपदान राशि देय नहीं है।
  3. पेंशन नियमों के तहत पेंशन प्राप्त करने के लिए भविष्य में सदाचरण की शर्तें पूरी करना आवश्यक है।
  4. यदि कोई पेंशनर दुराचारण के कारण दोषी करार दिया जाता है, तो नियुक्ति अधिकारी आदेश जारी कर उसकी पेंशन या उसके भाग को सदैव के लिए या निश्चित अवधि हेतु रोक सकता है। किन्तु न्यूनतम पेंशन ₹ 1,275 प्रति माह से कम नहीं की जा सकती। यह राशि दिनांक 1.1.2004 से ₹ 1973/- संशोधित की गई, 1.1.2007 से ₹ 3025/- एवं 1.1.2013 से ₹ 3450 तथा 1.1.2016 से न्यूनतम पेंशन ₹ 8850 की गई है।
  5. पेंशन नियमों के तहत स्वीकृत पेंशन कोई पुरस्कार (Reward) नहीं है बल्कि राज्य सरकार के लिए दायित्व है, जिसे राज्य कर्मचारी अधिकार के रूप में प्राप्त कर सकता है। केवल राज्य सेवा से कर्मचारी द्वारा त्यागपत्र दिए जाने पर कर्मचारी को सम्बंधित नियमों के अंतर्गत सेवा से हटाने/बर्खास्त किए जाने पर ही पेंशन को जब्त किया जा सकता है।
  1. यदि कर्मचारी की सेवा के दौरान नियमानुसार विभागीय जांच प्रारम्भ कर दी गई हो तो सेवानिवृत्ति के पश्चात भी पूर्ववत जारी रहती है तथा इसके निस्तारण की वही प्रक्रिया रहती है जो राज्य कर्मचारियों पर लागू है।
  2. जिन कर्मचारियों / पेंशनभोगी कर्मियों के विरुद्ध विभागीय जांच / न्यायिक जांच प्रारम्भ कर दी गई हो या सेवानिवृत्ति पर उन्हें नियमानुसार देय पेंशन का शत प्रतिशत पेंशन प्राविजनल (Provisional) पेंशन के रूप में देय होगी। विभागीय / न्यायिक जांच के निस्तारण तक कोई उपदान / कम्युटेशन राशि का भुगतान नहीं किया जायेगा।
  3. किसी भी मामले में विभागीय जांच उस दिनांक से मानी जायेगी जिस दिनांक को सी.सी.ए. नियम 16 के अन्तर्गत आरोप पत्र व दोषारोपण पत्र जारी हो जाये हों या जिस दिन से राज्य कर्मचारी को सेवा से निलम्बित कर दिया गया हो।
  4. किसी भी मामले में न्यायिक प्रक्रिया उस दिनांक से मानी जायेगी जिस दिन क्रिमिनल केस के मामले में पुलिस द्वारा न्यायालय द्वारा विचारण हेतु मान्यता (Cognizance) दे दी जाये अथवा जिस दिनांक को कोर्ट में वाद (Plaint) प्रस्तुत कर दिया गया हो।
  5. यदि पेंशनभोगी कर्मचारी ने राज्य सरकार को हुई हानि के कारण राज्य सरकार की अन्य कोई बकाया राशि पेंशन से वसूल की जानी हो तो सामान्यतः प्रति माह की जाने वाली वसूली देय पेंशन के एक-तिहाई भाग से अधिक राशि की नहीं होगी।
  6. 80 वर्ष की आयु पूर्ण करने के बाद पेंशनभोगी / पारिवारिक पेंशन भोगी कर्मचारियों को दिनांक 1.1.2016 से निम्नानुसार अतिरिक्त पेंशन / पारिवारिक पेंशन अधिकारित करने का प्रावधान किया गया है। इसका नगद लाभ दिनांक 1.1.2007 से देय है। दिनांक 1.1.2007 से ही अतिरिक्त पेंशन / पारिवारिक पेंशन पर महँगाई राहत भी देय है।
पेंशन / पारिवारिक पेंशनर की आयु अतिरिक्त पेंशन / पारिवारिक पेंशन का विवरण
80 वर्ष किन्तु 85 वर्ष से कम मूल पेंशन / पारिवारिक पेंशन का 20%
85 वर्ष किन्तु 90 वर्ष से कम मूल पेंशन / पारिवारिक पेंशन का 30%
90 वर्ष किन्तु 95 वर्ष से कम मूल पेंशन / पारिवारिक पेंशन का 40%
95 वर्ष किन्तु 100 वर्ष से कम मूल पेंशन / पारिवारिक पेंशन का 50%
100 वर्ष किन्तु या इससे अधिक मूल पेंशन / पारिवारिक पेंशन का 100%

नोट: 80 वर्ष की आयु पूरी करना उस माह की पहली तारीख से माना जायेगा जिस माह में उसकी जन्मतिथि आती है। (मेमोरेन्डम संख्या एफ. 12(3) वित्त / नियम / 105 दिनांक 15.4.2011)

13.

राज्य सरकार के वित्त विभाग के (Memorandum) No. F.12(3) FD (Rules) 2008 Dated 12.9.2008 में जहाँ–जहाँ दिनांक 1.9.2006 का उल्लेख है उसे दिनांक 1.1.2006 में परिवर्तित करने के आदेश राज्य सरकार के Memorandum दिनांक 6.4.2013 के द्वारा दिए गये हैं। इस संशोधन के अनुसार दिनांक 1.1.2006 से दिनांक 31.12.2006 की अवधि के लिए नकद लाभ (पेंशनर) देय नहीं है (सातवें वेतनमान के अनुसार)।

14.

वित्त विभाग के मेमोरेन्डम सं. एफ. 12(6) वित्त / नियम / 2017 दिनांक 30.10.2017 के द्वारा सातवे वेतनमान के अनुसार दिनांक 1.10.2017 से पेंशन / पारिवारिक पेंशन में संशोधन किया है। पुनः समसंयथक मेमोरेन्डम दिनांक 9.12.2017 द्वारा इन्हें 1.1.2016 से (नकद देय 1.1.2017 से) लागू किया गया है।


📚 आगे पढ़ें: राजस्थान पेंशन नियमों की सम्पूर्ण श्रृंखला

🎯 यह लेख पेंशन नियमों से जुड़ी विशेष एवं व्यावहारिक जानकारियों पर आधारित है, जो राजस्थान राज्य कर्मचारियों व पेंशनर्स दोनों के लिए अत्यंत उपयोगी है।

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