राजस्थान सिविल सेवा पेंशन नियम 1996 | अर्हकारी सेवा, गणना व आचरण संबंधी नियम
राजस्थान सरकार द्वारा अधिसूचित राजस्थान सिविल सेवा पेंशन नियम 1996 न केवल सेवानिवृत्त कर्मचारियों की वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं, बल्कि सरकारी सेवाओं में अनुशासन और पारदर्शिता बनाए रखने का माध्यम भी हैं। इस लेख में हम अर्हकारी सेवा की परिभाषा, सेवा की गणना की विधि, तथा आचरण संबंधी शर्तों को विस्तार से समझेंगे जो पेंशन की पात्रता तय करने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
यह लेख RPSC, UPSC, और अन्य सरकारी परीक्षाओं की दृष्टि से भी अत्यंत उपयोगी है क्योंकि इसमें सेवा नियमों से जुड़े अनेक अवधारणाओं को सरल भाषा में समझाया गया है।
पेंशन संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी बिंदु
- पेंशन का अर्थ: सेवानिवृत्त कर्मचारी को सेवा के पश्चात देय मासिक भुगतान। मृत्यु उपरांत पारिवारिक पेंशन भी अनुमन्य।
- नियम 50(1) व 53(1): पंद्रह वर्ष सेवा या 50 वर्ष की आयु पर सेवानिवृत्ति संभव।
- 1.1.2004 के पश्चात नियुक्त कर्मचारी: अंशदायी पेंशन योजना के अधीन।
- मान्य सेवा अवधि से अपवाद: 18 वर्ष से पूर्व की सेवा, अप्रेन्टिस अवधि, बिना स्वीकृति अवकाश – अमान्य।
- वर्कचार्ज्ड सेवाएं: जब तक नियमित न हों, पेंशन हेतु मान्य नहीं।
- सेवा प्रारंभ की शर्तें: अनुमोदित वेतन श्रेणी में पदस्थ होना आवश्यक।
- सेवा का जब्त होना: हटाए जाने या त्यागपत्र की स्थिति में पूर्व सेवाएं जब्त मानी जाएँगी।
- सेवा व्यवधान: सेवा समाप्ति और बहाली के बीच की अवधि अमान्य होती है जब तक उसे ड्यूटी या अवकाश न माना जाए।
- भावी सदाचार: गंभीर अपराध या कदाचार सिद्ध होने पर पेंशन रोकी जा सकती है।
- राज्यपाल का विशेषाधिकार: पेंशन या उसका अंश रोकना या वापस लेना संभव – नियम 6 व 7 के अनुसार।
- अंतरिम पेंशन: लंबित विभागीय/न्यायिक कार्यवाही में 100% अंतरिम पेंशन अनुमन्य, परंतु ग्रेच्युटी रोकी जाएगी।
- सेवा की गणना: 6 माह के खंडों में होती है।
- 3 माह से कम = शून्य
- 3 माह या अधिक = 6 माह
- अधिकतम मान्य सेवा: 28 वर्ष (पूर्व में 33 वर्ष)
- परिलब्धियाँ: अंतिम वेतन, ग्रेड पे, एनपीए/एनसीए, विशेष वेतन आदि।
- एनपीए गणना: 1.1.2016 के बाद 3 वर्षों में कम से कम 2 वर्ष आहरित अनिवार्य।
- 6th व 7th वेतनमान: वेतन मैट्रिक्स आधारित वेतन को पेंशन परिलब्धियों में गिना जाता है।
- नियम 4(1): पेंशन संबंधी सभी निर्णय सेवा के समय प्रभावी नियमों व आदेशों के अनुसार लिए जाते हैं।
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1. पेंशन से आशय एवं सामान्य विवरण
सामान्यता पेंशन से आशय निर्धारित नियम एवं प्रावधानों के तहत राजस्थान सरकार के राज्य कर्मचारियों को सेवानिवृत्त होने के पश्चात किए जाने वाले मासिक भुगतान से है। उक्त भुगतान निर्धारित शर्तों के अधीन सेवानिवृत्त कर्मचारी की मृत्यु तक लगातार देय होता है। कर्मचारी / पेंशनर की मृत्यु होने पर इन नियमों के प्रावधानों के अनुसार उनके परिवार के सदस्यों को पारिवारिक पेंशन भी देय होती है।
पेंशन नियम 50(1) – पन्द्रह वर्ष की सेवा के बाद स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति एवं नियम 53(1) – पन्द्रह वर्ष की सेवा या 50 वर्ष की आयु (जो भी पहले हो) पर नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा अनिवार्य सेवानिवृत्ति वाले कर्मचारी की सेवानिवृत्ति की तिथि का दिन अकर्ष दिवस माना जायेगा। अन्य प्रकार की सेवानिवृत्ति / मृत्यु होने पर सेवानिवृत्ति की तिथि कार्य दिवस के रूप में मानी जायेगी। (नियम 4)
1. पेंशन निर्धारण के मूल तत्व
- (क) पेंशन योग्य (अर्हकारी) सेवा में कार्यरत रहने की कुल अवधि
- (ख) पेंशन गणना हेतु मान्य परिलब्धियाँ
- (ग) सेवानिवृत्ति के दिन राज्य सरकार द्वारा पेंशन गणना हेतु निर्धारित मानदंड व विधि (formula)
(क) पेंशन गणना हेतु मान्य सेवा अवधि
(I) सेवावधियाँ जिन्हें पेंशन हेतु नहीं गिना जायेगा:
किसी भी सेवानिवृत्त कर्मचारी को देय पेंशन की राशि उसके द्वारा राज्य सरकार की पेंशन योग्य सेवा में व्यतीत की गई अवधि पर आधारित होती है। किन्तु निम्न प्रकार की सेवा अवधि को पेंशन योग्य सेवा से कम कर दिया जाता है:
- (i) 18 वर्ष की आयु प्राप्त करने से पूर्व की गई सेवाएँ।
- (ii) शिक्षार्थी (Apprentice) के रूप में की गई सेवाएँ।
- (iii) असाधारण अवकाश जो कि सक्षम चिकित्साधिकारी द्वारा प्रदत्त चिकित्सा प्रमाण पत्र के बिना स्वीकृत किया गया हो।
- (iv) अधिभावधिक आयु पर सेवानिवृत्ति के पश्चात राज्य सेवा में कार्यरत रहने की अवधि, निलंबन अवधि, व अन्य कोई सेवा में व्यवधान जो कि सक्षम आदेशों के तहत पेंशन हेतु मान्य नहीं किये हों।
- (v) वर्कचार्ज्ड सेवाएँ जब तक वे नियमानुसार पेंशन हेतु मान्य नहीं की गई हों।
(II) पेंशन योग्य सेवा का प्रारम्भ
इस सम्बन्ध में मुख्य शर्तें निम्नानुसार हैं:
- (i) नियुक्ति राज्य सरकार के अधीन निर्धारित शर्तों के अनुरूप अनुमोदित वेतन श्रृंखला में नियमित पेंशन योग्य पद पर होनी चाहिए।
- (ii) सेवा बिना व्यवधान के होनी चाहिए, चाहे वे एक या अधिक विभाग या वर्ग (Cadre) में की गई क्यों न हो।
- (iii) सेवा का भुगतान राज्य सरकार द्वारा संचित निधि से किया गया हो।
(III) सेवाओं का जब्त होना
- (i) किसी राज्य कर्मचारी को सेवा से हटाये जाने या उसकी सेवाएं समाप्त करने पर उसके द्वारा पूर्व में की गई सेवाएं जब्त मानी जाती हैं। (नियम 23)
- (ii) इसी प्रकार सेवा या पद से त्याग पत्र स्वीकार होने पर भी पूर्व में की गई सेवाएं जब्त मानी जाती हैं। (नियम 25)
यहां यह उल्लेखनीय है कि किसी कर्मचारी द्वारा सेवा समाप्ति या जबरन सेवानिवृत्ति के विरुद्ध अपील किये जाने पर यदि सक्षम अधिकारी द्वारा उसे बहाल किया जाता है तो पिछली जब्त की गई सेवाएं पेंशन योग्य होंगी किंतु सेवा समाप्ति व सेवा बहाली के बीच के व्यवधान को पेंशन योग्य नहीं माना जायेगा जब तक कि बहाली के आदेश जारी करने वाले अधिकारी के द्वारा उक्त व्यवधान को ड्यूटी मानकर या व्यवधान अवधि का अवकाश स्वीकृत कर उसे नियमित न कर दिया गया हो। (नियम 24) - (iii) पेंशन हेतु भावी सदाचार आवश्यक: पेंशन और उसको जारी रखने की स्वीकृति हेतु भावी सदाचार एक अनिवार्य शर्त है। यदि पेंशनर किसी गंभीर अपराध या गंभीर कदाचार का दोषी पाया जाता है तो नियुक्ति प्राधिकारी लिखित आदेश के द्वारा पेंशन
- (iv) राज्यपाल को पेंशन या उसके किसी भाग को स्थायी रूप से या किसी एक विनिर्दिष्ट अवधि के लिए रोकने या वापस लेने का अधिकार है। लेकिन कर्मचारी सेवानिवृत्ति के पश्चात यह विभागीय कार्यवाही –
- (अ) राज्यपाल की स्वीकृति के बिना नहीं की जायेगी।
- (ब) ऐसी घटना के सम्बन्ध में नहीं होगी जो उसे कार्यवाही के करने के चार से अधिक वर्ष पहले हुई हो।
- (स) केवल उन विभागीय कार्यवाहियों पर ही लागू होगी जिनमें सरकारी कर्मचारी को सेवा से बर्खास्त करने का आदेश उसकी सेवा के दौरान पारित किया जा सकता था। (नियम 7)
- (v) यदि किसी सरकारी कर्मचारी पर अधिभावधिक आयु प्राप्त करने पर कोई विभागीय या न्यायिक कार्यवाहियाँ स्थापित की जाती हैं / चालू हैं तो उसे नियम 90 के प्रावधानों के अनुसार 100% अनंतिम पेंशन (Provisional Pension) स्वीकृत की जायेगी, लेकिन ग्रेच्युटी रोकी जायेगी। (नियम 7(4) एवं 90)
उदाहरण: सी.सी.एस. 17 के अन्तर्गत चल रही कार्यवाही के कारण पेंशन के प्रकरण नहीं रोके जाएँ। (नियम 7 व राज्यपाल निर्णय सं. 6)
(IV) सेवा की गणना की पद्धति
नियमों के अधीन पेंशन अवधि की गणना छह महीनों के खण्डों में की जाती है। इस हेतु छह माह से कम अवधि के मामलों में निम्न प्रावधान हैं:
- (i) तीन माह से कम की सेवा अवधि – मान्य अवधि: शून्य
- (ii) तीन माह या उससे अधिक की सेवा होने पर – मान्य अवधि: छह माह
उदाहरण: यदि किसी कर्मचारी ने 31 वर्ष या 10 माह 27 दिन की सेवा की है तो उसकी पेंशन योग्य सेवा अवधि छः माह के खण्डों के रूप में मानी जायेगी। यह भी उल्लेखनीय है कि 28 वर्ष से अधिक सेवा करने पर भी उसे 28 वर्ष अर्थात् छः माह के 56 खण्डों के रूप में ही माना जायेगा अर्थात् पेंशन गणना हेतु अधिकतम 28 वर्ष तक की सेवाओं को ही मान्यता दी गई है। (नियम 54(2))
28 वर्ष से कम पेंशन योग्य (अर्हकारी) सेवा पूर्ण होने पर देय 50 प्रतिशत पेंशन के अनुपात में नियमानुसार पेंशन की गणना की जायेगी। 1.7.2013 से पूर्व सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए यह सेवावधि 33 वर्ष थी।
(ख) पेंशन के लिए परिलब्धियों की गणना:
राजस्थान सिविल सेवा पेंशन नियम 1996 के तहत पेंशन परिलब्धियों से आशय राजस्थान सेवा नियम 7(24) में परिभाषित वेतन से माना जाता रहा है।
परिलब्धियाँ जो कर्मचारी सेवानिवृत्ति पूर्व पद के पे मैट्रिक्स में लेवल में वेतन प्राप्त कर रहा था या जिसके लिए हकदार था। साथ ही कर्मचारी द्वारा प्राप्त विशेष वेतन, पेफिक्स्डभत्ते भत्ता, नॉनप्लानिंग भत्ता (एन.पी.ए./एन.सी.ए.) को भी सेवानिवृत्ति से ठीक 10 माह पूर्व के औसत के आधार पर परिलब्धियों के रूप में गिना जाता रहा।
1.1.2016 के बाद एन.पी.ए. की गणना पिछले तीन साल में से कम से कम 2 वर्ष आहरित होना आवश्यक है। यदि 2 वर्ष से कम अवधि में आहरित किया है तो उसी अनुपात में गणना की जायेगी।
दिनांक 1.7.2004 व इसके पश्चात से 1.1.2006 तक 50 प्रतिशत महंगाई भत्ते को महंगाई वेतन मानते हुए मूल वेतन में जोड़कर परिलब्धियों के रूप में गिना जाता रहा है।
पुनरीक्षित वेतनमान 2008 (दिनांक 1.1.2006 से लागू, नगद लाभ दिनांक 1.1.2007 से देय) से 31.12.2015 तक पेंशन हेतु परिलब्धियों से तात्पर्य चालू वेतन बैंड (Pay Band), ग्रेड वेतन (Grade Pay) तथा प्रैक्टिसडबी भत्ते, नॉनप्लानिंग भत्ते (एन.पी.ए/एन.सी.ए) के योग से है, जो कर्मचारी सेवानिवृत्ति पूर्व प्राप्त कर रहा था या जिसके लिए हकदार था अथवा सेवानिवृत्ति से 10 माह पूर्व के औसत आधार पर गणना राशि जो भी लाभदायक हो, से है। दिनांक 1.6.2009 से विशेष वेतन को भी उक्तानुसार परिलब्धियों में माना गया है।
राजस्थान सिविल सेवा (पुनरीक्षित वेतन मान) नियम, 2017 के अनुसार मूल वेतन से अभिप्राय राजकीय कर्मचारियों द्वारा निर्धारित पे मैट्रिक्स के पे लेवल में आहरित किया जा रहे वेतन से है।
7. पेंशन गणना हेतु निर्धारित मापदण्ड
राज्य कर्मचारियों के पेंशन हेतु दावों का निस्तारण उनकी सेवा के समय प्रभावी प्रावधानों व नियमों के तहत ही किया जाता है। साथ ही पेंशन में संशोधन आदि समय-समय पर राज्य सरकार द्वारा जारी आदेशों के तहत ही किये जाते हैं। (नियम – 4(1))
वर्तमान में लागू गणना का तरीका इस पुस्तिका में अलग से यथास्थान पर दिया गया है।
📝 पेंशन नियम – परीक्षा उपयोगी प्रश्नोत्तर
- प्रश्न: पेंशन का मूल उद्देश्य क्या है?
उत्तर: सेवानिवृत्ति के पश्चात कर्मचारी को आजीविका हेतु नियमित मासिक भुगतान। - प्रश्न: राजस्थान सरकार ने अंशदायी पेंशन योजना कब लागू की?
उत्तर: 1 जनवरी 2004 से। - प्रश्न: वर्कचार्ज्ड कर्मचारी की सेवाएं कब तक पेंशन योग्य नहीं मानी जाती?
उत्तर: जब तक उन्हें नियमित नहीं किया जाए। - प्रश्न: पेंशन हेतु न्यूनतम कितने वर्ष की सेवा आवश्यक है?
उत्तर: 15 वर्ष की अर्हकारी सेवा। - प्रश्न: क्या अप्रेन्टिस की सेवा पेंशन हेतु मान्य होती है?
उत्तर: नहीं, अप्रेन्टिस सेवा को अर्हकारी नहीं माना जाता। - प्रश्न: सेवा का कौन-सा हिस्सा पेंशन हेतु नहीं गिना जाता?
उत्तर: 18 वर्ष से कम आयु की सेवा, अनधिकृत अवकाश, त्यागपत्र की पूर्व सेवाएं आदि। - प्रश्न: अधिकतम कितने वर्षों की सेवा को पेंशन गणना में मान्यता दी गई है?
उत्तर: अधिकतम 28 वर्ष। - प्रश्न: सेवा की गणना कितने माह के खंडों में होती है?
उत्तर: छह माह के खंडों में। - प्रश्न: 3 माह से कम की सेवा अवधि की गणना कैसे होती है?
उत्तर: शून्य मानी जाती है। - प्रश्न: भावी सदाचार का क्या तात्पर्य है?
उत्तर: पेंशन पाने और बनाए रखने के लिए सेवा के बाद भी कर्मचारी का आचरण अनुशासित हो। - प्रश्न: क्या गंभीर अपराध के दोषी पाए जाने पर पेंशन रोकी जा सकती है?
उत्तर: हाँ, राज्यपाल के आदेश से पेंशन या उसका भाग स्थगित किया जा सकता है। - प्रश्न: अंतरिम पेंशन कब दी जाती है?
उत्तर: जब विभागीय/न्यायिक कार्यवाही लंबित हो तो 100% अंतरिम पेंशन अनुमन्य होती है। - प्रश्न: ग्रेच्युटी का भुगतान किस स्थिति में रोका जाता है?
उत्तर: विभागीय कार्यवाही लंबित होने पर। - प्रश्न: एन.पी.ए की गणना पेंशन हेतु कैसे होती है?
उत्तर: पिछले 3 वर्षों में से कम से कम 2 वर्षों तक आहरित होना अनिवार्य है। - प्रश्न: पेंशन निर्धारण के लिए कौन-से नियम लागू होते हैं?
उत्तर: सेवा काल में प्रभावी नियम व राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर जारी आदेश। (नियम 4(1))
📚 Tip: ये प्रश्न UPSC-CSAT, RAS Mains, RPSC Clerk Grade-II, AAO, LDC Exams और विभागीय प्रोन्नति परीक्षाओं में विशेष उपयोगी हैं।
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📘 पेंशन नियम – Revision Capsule
- 🔹 पेंशन का उद्देश्य: सेवानिवृत्त कर्मचारी को आजीविका हेतु नियमित भुगतान।
- 🔹 अंशदायी पेंशन योजना की शुरुआत: 1 जनवरी 2004 से लागू।
- 🔹 अर्हकारी सेवा की न्यूनतम अवधि: 15 वर्ष।
- 🔹 पेंशन की गणना सीमा: अधिकतम 28 वर्ष की सेवा मान्य।
- 🔹 सेवा गणना की इकाई: छह माह के खंडों में।
- 🔹 3 माह से कम सेवा: गणना में नहीं ली जाती।
- 🔹 अप्रेन्टिस सेवा: पेंशन हेतु अर्हकारी नहीं मानी जाती।
- 🔹 त्यागपत्र वाली पूर्व सेवा: यदि कोई ब्रेक हो तो अर्हकारी नहीं।
- 🔹 भावी सदाचार: पेंशन प्राप्ति के बाद भी आवश्यक (Future Good Conduct)।
- 🔹 गंभीर अपराध पर दंड: राज्यपाल द्वारा पेंशन स्थगित की जा सकती है।
- 🔹 अंतरिम पेंशन: विभागीय कार्यवाही लंबित होने पर 100% अंतरिम पेंशन संभव।
- 🔹 ग्रेच्युटी: विभागीय कार्यवाही लंबित हो तो रोकी जा सकती है।
- 🔹 एनपीए: पेंशन गणना हेतु 2 वर्ष तक आहरित होना अनिवार्य।
- 🔹 अंतिम पेंशन निर्धारण: सेवा काल में प्रभावी नियमों के अनुसार।
- 🔹 नियम 4(1): राज्य सरकार द्वारा निर्धारित आदेश ही अंतिम माने जाएंगे।
📊 Pension Rules Summary Table – संक्षिप्त सारणी
🔢 क्रमांक | 📌 विषय | 📘 विवरण |
---|---|---|
1 | अर्हकारी सेवा | 15 वर्ष न्यूनतम |
2 | सेवा गणना की इकाई | 6 माह के खंड |
3 | अधिकतम मान्य सेवा | 28 वर्ष |
4 | भावी सदाचार | अनिवार्य (Good Conduct) |
5 | पेंशन पर रोक | राज्यपाल द्वारा गंभीर मामलों में |
6 | एनपीए की गिनती | 2 वर्ष तक आहरित होना चाहिए |
7 | ग्रेच्युटी | विभागीय कार्यवाही लंबित हो तो रोकी जा सकती है |
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