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शंकराचार्य: अद्वैत वेदांत के जनक, जीवन, दर्शन एवं योगदान | सम्पूर्ण अध्ययन UPSC & प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए

📌 शंकराचार्य (788-820 ई.) – अद्वैत वेदांत दर्शन के प्रवर्तक | सम्पूर्ण अध्ययन UPSC & प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए


🔷 शंकराचार्य का जीवन परिचय

📜 नाम: आदि शंकराचार्य
📆 जन्म: 788 ई., कालड़ी, केरल
मुख्य योगदान: अद्वैत वेदांत दर्शन का प्रवर्तन, हिंदू धर्म का पुनर्जागरण
📖 ग्रंथ: ब्रह्मसूत्र भाष्य, गीता भाष्य, उपनिषद भाष्य
🏛 संस्थाएँ: चार पीठों की स्थापना (ज्योतिर्मठ, द्वारका पीठ, श्रृंगेरी पीठ, गोवर्धन पीठ)
मृत्यु: 820 ई., केदारनाथ


🔷 अद्वैत वेदांत दर्शन (Advaita Vedanta)

मुख्य सिद्धांत:
ब्रह्म ही एकमात्र सत्य है, जगत मिथ्या है।
जीव, जगत और ब्रह्म में कोई भेद नहीं।
माया के कारण आत्मा (जीव) स्वयं को ब्रह्म से भिन्न समझती है।
ज्ञान प्राप्ति से मोक्ष संभव है।

🛕 अद्वैत वेदांत का प्रभाव:
✔ हिंदू धर्म के पुनरुद्धार में महत्वपूर्ण भूमिका।
✔ वेदों और उपनिषदों की व्याख्या के माध्यम से समाज को जागरूक किया।
✔ विभिन्न मतों को एकीकृत करने का प्रयास।


🔷 शंकराचार्य द्वारा स्थापित चार मठ और उनका महत्व

📌 महत्व:
✔ चारों दिशाओं में धर्म की स्थापना।
✔ वेदांत दर्शन का प्रचार-प्रसार।
✔ समाज में एकता और धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा।


🔷 शंकराचार्य की प्रमुख रचनाएँ और उनके योगदान

📖 ब्रह्मसूत्र भाष्य: वेदांत के मूल सिद्धांतों की व्याख्या।
📖 भगवद गीता भाष्य: गीता के श्लोकों का अद्वैत वेदांत पर आधारित विश्लेषण।
📖 उपनिषद भाष्य: विभिन्न उपनिषदों की व्याख्या।
🎶 सौंदर्यलहरी: भक्ति पर आधारित संस्कृत काव्य।


🔷 अद्वैत वेदांत और अन्य भारतीय दर्शनों की तुलना


🔷 शंकराचार्य और
आधुनिक भारत में उनका प्रभाव

🛕 धार्मिक पुनर्जागरण: हिंदू धर्म के पतन को रोककर पुनर्जीवित किया।
🎓 शिक्षा और वेदांत: उनके भाष्य आज भी भारतीय शिक्षा प्रणाली में पढ़ाए जाते हैं।
🏛 संस्थागत योगदान: चार मठों की स्थापना जो आज भी धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र हैं।
🌎 वैश्विक प्रभाव: भारत की दार्शनिक विरासत को दुनिया भर में प्रतिष्ठित किया।


🔷 एक्सपर्ट व्यू (Expert View)

📜 डॉ. एस. राधाकृष्णन (दार्शनिक और पूर्व राष्ट्रपति):
"आदि शंकराचार्य ने भारतीय संस्कृति को एक ऐसी बौद्धिक और दार्शनिक शक्ति प्रदान की, जिसने संपूर्ण हिंदू समाज को एकीकृत किया।"

📜 स्वामी विवेकानंद:
"यदि भारत को फिर से अपनी महिमा प्राप्त करनी है, तो हमें शंकराचार्य के विचारों को अपनाना होगा।"

📜 डॉ. डी.वी. शर्मा (इतिहासकार):
"शंकराचार्य ने हिंदू धर्म के अलग-अलग विचारधाराओं को एक मंच पर लाकर धार्मिक एकता को मजबूती दी।"


🔷 सरकारी प्रमाणिक लिंक एवं रेफरेंस

🔹 संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार
🔹 भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI)
🔹 राष्ट्रीय अभिलेखागार, भारत
🔹 भारतीय दर्शन परिषद


🔷 समस्याएँ एवं समाधान


🔷 What to do next? (अब आगे क्या करें?)

शंकराचार्य की रचनाएँ पढ़ें (ब्रह्मसूत्र भाष्य, गीता भाष्य)।
अद्वैत वेदांत को अन्य दर्शनों से तुलना करें।
भारत के चार मठों का अध्ययन करें और उनके योगदान को समझें।
UPSC और अन्य परीक्षाओं के लिए प्रश्नोत्तरी और आंसर राइटिंग का अभ्यास करें।

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📌 आदि शंकराचार्य (788-820 ई.) – विस्तृत प्रश्नोत्तरी | UPSC, SSC, राज्य PCS, बैंकिंग, रेलवे एवं अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए



नीचे दी गई विस्तृत प्रश्नोत्तरी में आदि शंकराचार्य से संबंधित वे महत्वपूर्ण प्रश्न दिए गए हैं जो UPSC, SSC, PCS, बैंकिंग, रेलवे, NDA, CDS, NET-JRF आदि परीक्षाओं में पूछे जा चुके हैं या संभावित रूप से पूछे जा सकते हैं।


🔹 भाग 1: सरल स्तर के प्रश्न (Basic Level)

Q1. आदि शंकराचार्य का जन्म कहाँ हुआ था?

उत्तर: केरल के कालड़ी गाँव में।

Q2. आदि शंकराचार्य किस दार्शनिक मत के प्रवर्तक थे?

उत्तर: अद्वैत वेदांत दर्शन।

Q3. शंकराचार्य ने कितने मठों की स्थापना की थी?

उत्तर: चार प्रमुख मठ।

Q4. शंकराचार्य का सबसे प्रसिद्ध ग्रंथ कौन सा है?

उत्तर: ब्रह्मसूत्र भाष्य

Q5. निम्नलिखित में से कौन-सा शंकराचार्य द्वारा रचित नहीं है?

A) ब्रह्मसूत्र भाष्य
B) भगवद गीता भाष्य
C) महाभारत
D) उपनिषद भाष्य
उत्तर: C) महाभारत

Q6. चार मठों की स्थापना का उद्देश्य क्या था?

उत्तर: हिंदू धर्म के प्रचार-प्रसार और वेदांत दर्शन को संरक्षित करना।

Q7. किस वर्ष में शंकराचार्य ने ब्रह्मलीन हुए?

उत्तर: 820 ई. केदारनाथ में।


🔹 भाग 2: मध्यम स्तर के प्रश्न (Intermediate Level)

Q8. आदि शंकराचार्य के चार मठों में से ‘ज्योतिर्मठ’ कहाँ स्थित है?

उत्तर: उत्तराखंड में।

Q9. शंकराचार्य की शिक्षाओं का मुख्य उद्देश्य क्या था?

उत्तर: हिंदू धर्म को एकीकृत करना और अद्वैत वेदांत की शिक्षा देना।

Q10. द्वैतवाद का सिद्धांत किसने प्रतिपादित किया था?

उत्तर: मध्वाचार्य

Q11. निम्नलिखित में से कौन-सा अद्वैत वेदांत का मूल मंत्र है?

A) जीव, ब्रह्म और जगत तीनों अलग-अलग हैं।
B) आत्मा और ब्रह्म समान हैं।
C) केवल कर्म से मोक्ष संभव है।
D) ईश्वर और आत्मा भिन्न हैं।
उत्तर: B) आत्मा और ब्रह्म समान हैं।

Q12. शंकराचार्य द्वारा लिखित "सौंदर्यलहरी" किससे संबंधित है?

उत्तर: देवी उपासना

Q13. "ब्रह्म सत्यं, जगन्मिथ्या, जीवो ब्रह्मैव नापरः" का क्या अर्थ है?

उत्तर:

  • ब्रह्म ही सत्य है।
  • जगत मिथ्या (भ्रम) है।
  • जीव और ब्रह्म में कोई अंतर नहीं है।

Q14. शंकराचार्य के द्वारा प्रतिपादित "अद्वैत" शब्द का क्या अर्थ है?

उत्तर: अद्वैत का अर्थ है "कोई द्वैत (दूसरा) नहीं है", अर्थात जीव और ब्रह्म एक ही हैं

Q15. निम्नलिखित में से कौन सा शंकराचार्य द्वारा प्रतिपादित चार महावाक्यों में से एक है?

A) अयम् आत्मा ब्रह्म
B) अहं ब्रह्मास्मि
C) तत् त्वम् असि
D) सभी
उत्तर: D) सभी


🔹 भाग 3: उन्नत स्तर के प्रश्न (Advanced Level - UPSC & PCS Focused)

Q16. आदि शंकराचार्य का दर्शन किस प्रकार के हिंदू धर्म को मजबूत करता है?

उत्तर:

  • स्मार्त परंपरा को मजबूत किया।
  • एकेश्वरवाद और साकार-निराकार भक्ति को महत्व दिया।

Q17. आदि शंकराचार्य की विचारधारा और बौद्ध धर्म के बीच क्या अंतर था?

उत्तर:
| विचारधारा | अद्वैत वेदांत (शंकराचार्य) | बौद्ध धर्म |
|--------------|----------------------|----------------|
| ब्रह्म का अस्तित्व | ब्रह्म ही सत्य है | शून्यवाद में ब्रह्म का अस्तित्व अस्वीकार |
| मोक्ष का मार्ग | ज्ञान और वेदांत से | अष्टांग मार्ग से |
| जीव का स्वरूप | जीव और ब्रह्म एक हैं | आत्मा को न मानने वाली विचारधारा |

Q18. शंकराचार्य और रामानुजाचार्य के मत में क्या अंतर था?

उत्तर:
| सिद्धांत | शंकराचार्य (अद्वैत वेदांत) | रामानुजाचार्य (विशिष्टाद्वैत) |
|-----------|--------------------|------------------|
| ब्रह्म | निराकार और निर्गुण | सगुण और साकार |
| जीव और ब्रह्म | एक ही हैं | जीव ब्रह्म का अंश है |
| भक्ति का स्थान | ज्ञान सर्वोपरि | भक्ति सर्वोपरि |

Q19. "शंकर विजया" किसके द्वारा लिखी गई थी?

उत्तर: मध्वाचार्य।

Q20. UPSC दृष्टिकोण से आदि शंकराचार्य का महत्व क्या है?

उत्तर:

  • हिंदू धर्म का पुनरुद्धार।
  • वेदांत दर्शन की पुनःस्थापना।
  • सांस्कृतिक एकता में योगदान।
  • चार मठों की स्थापना।
  • सनातन परंपरा की रक्षा।

📢 UPSC/PCS के लिए महत्वपूर्ण टिप्स

🎯 1. प्रमुख तिथियों और घटनाओं को याद रखें।
🎯 2. अद्वैत वेदांत और अन्य दर्शनों की तुलना करें।
🎯 3. शंकराचार्य द्वारा स्थापित मठों का अध्ययन करें।
🎯 4. पूर्व परीक्षाओं में पूछे गए प्रश्नों को हल करें।
🎯 5. धार्मिक सुधारों पर उनके प्रभाव को समझें।


📢 What to do next? (अब आगे क्या करें?)

शंकराचार्य के ग्रंथों का अध्ययन करें।
अद्वैत वेदांत बनाम अन्य दर्शनों की तुलना करें।
UPSC और अन्य परीक्षाओं के लिए प्रैक्टिस टेस्ट दें।
महत्वपूर्ण तथ्य और घटनाओं को नोट करें।

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