RBSE Class 10 Social Science Question Paper 2024 (S-08) | Rajasthan Board Ajmer

| अक्टूबर 18, 2025
RBSE कक्षा 10 सामाजिक विज्ञान (S-08) - प्रश्न पत्र एवं हल 2024

राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, अजमेर

माध्यमिक परीक्षा 2024 - सामाजिक विज्ञान (S-08)

कक्षा: दसवीं

विषय: सामाजिक विज्ञान (Social Science)

समय: 3 घंटे 15 मिनट

पूर्णांक: 80

परीक्षा कोड: S-08

सामान्य निर्देश

इस प्रश्न पत्र में कुल 28 प्रश्न हैं जो चार खंडों में विभाजित हैं - खंड अ, ब, स और द। सभी प्रश्न अनिवार्य हैं। खंड अ में प्रश्न संख्या 1 से 10 तक बहुविकल्पीय प्रश्न हैं जिनमें प्रत्येक 1 अंक का है। खंड ब में प्रश्न संख्या 11 से 18 तक अति लघु उत्तरीय प्रश्न हैं जिनमें प्रत्येक 2 अंक का है। खंड स में प्रश्न संख्या 19 से 24 तक लघु उत्तरीय प्रश्न हैं जिनमें प्रत्येक 3 अंक का है। खंड द में प्रश्न संख्या 25 से 28 तक दीर्घ उत्तरीय प्रश्न हैं जिनमें प्रत्येक 5 अंक का है। कुछ प्रश्नों में आंतरिक विकल्प दिए गए हैं। मानचित्र कार्य के लिए भारत का राजनीतिक मानचित्र संलग्न है।

खंड - अ (बहुविकल्पीय प्रश्न)

प्रश्न 1. फ्रांसीसी क्रांति कब हुई? (1 अंक)

(क) 1789

(ख) 1799

(ग) 1815

(घ) 1848

उत्तर: (क) 1789

फ्रांसीसी क्रांति 1789 में आरंभ हुई जब फ्रांस की जनता ने राजशाही और सामंती व्यवस्था के विरुद्ध विद्रोह किया। 14 जुलाई 1789 को बास्तील के किले पर हमला फ्रांसीसी क्रांति का प्रतीक बन गया। यह क्रांति स्वतंत्रता, समानता और भ्रातृत्व के आदर्शों पर आधारित थी।

प्रश्न 2. भारत में राष्ट्रीय आंदोलन का प्रथम चरण किस घटना से शुरू हुआ? (1 अंक)

(क) 1857 का विद्रोह

(ख) बंगाल विभाजन 1905

(ग) असहयोग आंदोलन

(घ) साइमन कमीशन विरोध

उत्तर: (क) 1857 का विद्रोह

1857 का विद्रोह भारत में ब्रिटिश शासन के विरुद्ध प्रथम बड़ा सशस्त्र विद्रोह था। यद्यपि इसे कुछ इतिहासकार सैनिक विद्रोह मानते हैं, परंतु अनेक विद्वान इसे भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम मानते हैं। यह विद्रोह मेरठ से 10 मई 1857 को प्रारंभ हुआ और शीघ्र ही उत्तर भारत के विभिन्न भागों में फैल गया।

प्रश्न 3. भारत में हरित क्रांति किस दशक में आई? (1 अंक)

(क) 1950 के दशक में

(ख) 1960 के दशक में

(ग) 1970 के दशक में

(घ) 1980 के दशक में

उत्तर: (ख) 1960 के दशक में

हरित क्रांति 1960 के दशक में भारत में आई। इसका उद्देश्य उच्च उपज देने वाले बीजों, रासायनिक उर्वरकों और सिंचाई के आधुनिक साधनों के उपयोग से कृषि उत्पादन बढ़ाना था। एम. एस. स्वामीनाथन को भारत में हरित क्रांति का जनक माना जाता है। इस क्रांति से भारत खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर बना।

प्रश्न 4. भारतीय संविधान कब लागू हुआ? (1 अंक)

(क) 15 अगस्त 1947

(ख) 26 नवंबर 1949

(ग) 26 जनवरी 1950

(घ) 2 अक्टूबर 1952

उत्तर: (ग) 26 जनवरी 1950

भारतीय संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 को संविधान को अंगीकृत किया था, परंतु इसे 26 जनवरी 1950 को प्रभावी बनाया गया क्योंकि इसी दिन 1930 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज की घोषणा की थी। इस दिन को प्रतिवर्ष गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है।

प्रश्न 5. भारत में लोकसभा के सदस्यों की अधिकतम संख्या कितनी हो सकती है? (1 अंक)

(क) 525

(ख) 545

(ग) 552

(घ) 550

उत्तर: (ग) 552

भारतीय संविधान के अनुसार लोकसभा में अधिकतम 552 सदस्य हो सकते हैं। इनमें से 530 सदस्य राज्यों से, 20 सदस्य केंद्र शासित प्रदेशों से और 2 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा आंग्ल-भारतीय समुदाय से मनोनीत किए जा सकते हैं। वर्तमान में लोकसभा में 543 निर्वाचित सदस्य हैं।

प्रश्न 6. पृथ्वी पर सबसे लंबी अक्षांश रेखा कौन सी है? (1 अंक)

(क) विषुवत रेखा

(ख) कर्क रेखा

(ग) मकर रेखा

(घ) आर्कटिक वृत्त

उत्तर: (क) विषुवत रेखा

विषुवत रेखा (Equator) पृथ्वी पर सबसे लंबी अक्षांश रेखा है जो 0° अक्षांश पर स्थित है। यह पृथ्वी को उत्तरी और दक्षिणी गोलार्धों में विभाजित करती है। इसकी लंबाई लगभग 40,075 किलोमीटर है। विषुवत रेखा पर सूर्य की किरणें वर्ष भर लंबवत पड़ती हैं, जिससे यहां उष्ण जलवायु रहती है।

प्रश्न 7. भारत का सबसे बड़ा कोयला उत्पादक राज्य कौन सा है? (1 अंक)

(क) झारखंड

(ख) छत्तीसगढ़

(ग) ओडिशा

(घ) पश्चिम बंगाल

उत्तर: (ख) छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ वर्तमान में भारत का सबसे बड़ा कोयला उत्पादक राज्य है। यहां कोरबा, रायगढ़ और बिलासपुर जिलों में विशाल कोयला भंडार हैं। छत्तीसगढ़ में भारत के कुल कोयला भंडार का लगभग 32 प्रतिशत भाग है। झारखंड और ओडिशा भी प्रमुख कोयला उत्पादक राज्य हैं।

प्रश्न 8. सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का क्या अर्थ है? (1 अंक)

(क) किसी देश में एक वर्ष में उत्पादित कुल वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य

(ख) केवल कृषि उत्पादन का मूल्य

(ग) केवल औद्योगिक उत्पादन का मूल्य

(घ) विदेशी व्यापार का कुल मूल्य

उत्तर: (क) किसी देश में एक वर्ष में उत्पादित कुल वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य

सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product - GDP) किसी देश की सीमा के अंदर एक निर्धारित अवधि, सामान्यतः एक वर्ष में, उत्पादित सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं का कुल बाजार मूल्य होता है। GDP किसी देश की आर्थिक स्थिति और विकास दर को मापने का प्रमुख संकेतक है। इसमें कृषि, उद्योग और सेवा क्षेत्र सभी शामिल होते हैं।

प्रश्न 9. विश्व व्यापार संगठन (WTO) की स्थापना कब हुई? (1 अंक)

(क) 1991

(ख) 1995

(ग) 2000

(घ) 1985

उत्तर: (ख) 1995

विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organization - WTO) की स्थापना 1 जनवरी 1995 को हुई। यह GATT (General Agreement on Tariffs and Trade) का स्थान लेने के लिए बनाया गया। WTO का मुख्यालय जिनेवा, स्विट्जरलैंड में है। इसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय व्यापार में बाधाओं को कम करना और व्यापार विवादों का समाधान करना है। वर्तमान में इसके 164 सदस्य देश हैं।

प्रश्न 10. भारत में किस प्रकार की शासन प्रणाली है? (1 अंक)

(क) एकात्मक

(ख) संघात्मक

(ग) राष्ट्रपति शासन

(घ) संसदीय राजतंत्र

उत्तर: (ख) संघात्मक

भारत में संघात्मक (Federal) शासन प्रणाली है जिसमें संसदीय प्रणाली अपनाई गई है। भारतीय संविधान में केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों का स्पष्ट विभाजन किया गया है। संघात्मक व्यवस्था में दो स्तर की सरकारें होती हैं - केंद्र सरकार और राज्य सरकारें। दोनों अपने-अपने क्षेत्र में स्वतंत्र होती हैं। हालांकि, भारतीय संघवाद में एकात्मक विशेषताएं भी हैं।

खंड - ब (अति लघु उत्तरीय प्रश्न)

प्रश्न 11. राष्ट्रवाद से आप क्या समझते हैं? (2 अंक)

उत्तर: राष्ट्रवाद (Nationalism) एक ऐसी भावना और विचारधारा है जिसमें व्यक्ति अपनी राष्ट्रीय पहचान, संस्कृति, भाषा और परंपराओं के प्रति गहरी आस्था और निष्ठा रखता है। राष्ट्रवाद लोगों को एक सामान्य लक्ष्य के लिए एकजुट करता है और राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि मानता है।

19वीं और 20वीं सदी में यूरोप और एशिया में राष्ट्रवाद की भावना ने उपनिवेशवाद और साम्राज्यवाद के विरुद्ध स्वतंत्रता संग्रामों को प्रेरित किया। भारत में भी राष्ट्रवाद ने ब्रिटिश शासन के विरुद्ध स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। राष्ट्रवाद सकारात्मक और नकारात्मक दोनों रूपों में प्रकट हो सकता है। सकारात्मक राष्ट्रवाद राष्ट्र की प्रगति और विकास को बढ़ावा देता है, जबकि अतिवादी राष्ट्रवाद दूसरे राष्ट्रों के प्रति शत्रुता उत्पन्न कर सकता है।

प्रश्न 12. जलियांवाला बाग हत्याकांड कब और कहाँ हुआ? इसका क्या परिणाम हुआ? (2 अंक)

उत्तर: जलियांवाला बाग हत्याकांड 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर, पंजाब में हुआ। इस दिन बैसाखी के अवसर पर हजारों निहत्थे लोग जलियांवाला बाग में एक शांतिपूर्ण सभा में एकत्रित थे। जनरल डायर के नेतृत्व में ब्रिटिश सेना ने बिना चेतावनी दिए भीड़ पर अंधाधुंध गोलियां चला दीं। इस नरसंहार में सैकड़ों निर्दोष लोग मारे गए और हजारों घायल हुए।

इस घटना ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को नई दिशा दी। इससे ब्रिटिश शासन के प्रति भारतीयों का विश्वास पूरी तरह टूट गया। रवींद्रनाथ टैगोर ने विरोध में अपनी 'नाइटहुड' की उपाधि वापस कर दी। महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन प्रारंभ करने का निर्णय लिया। यह घटना भारतीय इतिहास के सबसे काले अध्यायों में से एक मानी जाती है।

प्रश्न 13. वन संरक्षण क्यों आवश्यक है? कोई दो कारण बताइए। (2 अंक)

उत्तर: वन संरक्षण अत्यंत आवश्यक है। इसके प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:

1. पर्यावरणीय संतुलन: वन पारिस्थितिक तंत्र का महत्वपूर्ण अंग हैं। वे वायुमंडल में ऑक्सीजन उत्पन्न करते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करके ग्लोबल वार्मिंग को नियंत्रित करने में सहायता करते हैं। वन मृदा अपरदन को रोकते हैं, जल चक्र को संतुलित रखते हैं और जलवायु को नियमित करते हैं। वनों की कटाई से बाढ़, सूखा और प्राकृतिक आपदाओं का खतरा बढ़ जाता है।

2. जैव विविधता का संरक्षण: वन लाखों प्रजातियों के पौधों, जीव-जंतुओं और सूक्ष्मजीवों का आवास हैं। वनों के नष्ट होने से अनेक प्रजातियां विलुप्त हो रही हैं। वन औषधीय पौधों, खाद्य संसाधनों और आनुवंशिक सामग्री के भंडार हैं। वन आदिवासी और स्थानीय समुदायों की आजीविका का प्रमुख स्रोत हैं जो ईंधन, चारा, लकड़ी और अन्य वन उत्पादों के लिए वनों पर निर्भर हैं।

प्रश्न 14. भारत में लोकतंत्र के कोई दो गुण लिखिए। (2 अंक)

उत्तर: भारतीय लोकतंत्र के प्रमुख गुण:

1. सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार: भारतीय लोकतंत्र में 18 वर्ष की आयु पूर्ण करने वाले प्रत्येक नागरिक को जाति, धर्म, लिंग या आर्थिक स्थिति के भेदभाव के बिना मतदान का अधिकार प्राप्त है। यह लोकतांत्रिक समानता का सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांत है जो यह सुनिश्चित करता है कि सरकार जनता के प्रतिनिधियों द्वारा बनाई जाए। स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया से जनता अपने प्रतिनिधियों को चुनती है और सरकार को जवाबदेह बनाती है।

2. मौलिक अधिकारों की सुरक्षा: भारतीय संविधान में नागरिकों को छह मौलिक अधिकार प्रदान किए गए हैं - समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार, संस्कृति और शिक्षा का अधिकार, और संवैधानिक उपचारों का अधिकार। ये अधिकार व्यक्ति की गरिमा और स्वतंत्रता की रक्षा करते हैं। न्यायपालिका इन अधिकारों की रक्षा करती है और इन्हें राज्य भी छीन नहीं सकता।

प्रश्न 15. भारत में नगरीकरण की प्रमुख समस्याएं क्या हैं? (2 अंक)

उत्तर: भारत में तेजी से बढ़ते नगरीकरण के कारण अनेक समस्याएं उत्पन्न हुई हैं:

1. आवास और बुनियादी सुविधाओं की कमी: शहरों में जनसंख्या के तीव्र प्रवाह के कारण आवास की गंभीर समस्या है। लाखों लोग झुग्गी-झोपड़ियों में अस्वास्थ्यकर परिस्थितियों में रहने को मजबूर हैं। शहरों में पीने का स्वच्छ पानी, बिजली, स्वच्छता और सीवरेज की सुविधाएं अपर्याप्त हैं। सार्वजनिक परिवहन, स्वास्थ्य सेवाएं और शैक्षणिक संस्थान बढ़ती जनसंख्या की आवश्यकताओं को पूरा करने में असमर्थ हैं।

2. प्रदूषण और पर्यावरणीय क्षरण: नगरीकरण के कारण वायु, जल और ध्वनि प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है। वाहनों और उद्योगों से निकलने वाला धुआं वायु गुणवत्ता को खराब कर रहा है। अनुपचारित सीवेज और औद्योगिक अपशिष्ट नदियों और जल स्रोतों को प्रदूषित कर रहे हैं। हरित क्षेत्रों का ह्रास और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की समस्याएं शहरी जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर रही हैं। यातायात जाम, शोर-शराबा और भीड़भाड़ नागरिकों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहे हैं।

प्रश्न 16. प्रति व्यक्ति आय से क्या तात्पर्य है? (2 अंक)

उत्तर: प्रति व्यक्ति आय (Per Capita Income) किसी देश या क्षेत्र की कुल राष्ट्रीय आय को उस देश की कुल जनसंख्या से भाग देने पर प्राप्त होती है। यह औसत आय को दर्शाती है जो किसी देश के प्रत्येक नागरिक को सैद्धांतिक रूप से प्राप्त होती है।

प्रति व्यक्ति आय की गणना का सूत्र: प्रति व्यक्ति आय = कुल राष्ट्रीय आय / कुल जनसंख्या

प्रति व्यक्ति आय किसी देश के आर्थिक विकास और जीवन स्तर को मापने का एक महत्वपूर्ण सूचकांक है। विश्व बैंक देशों को उनकी प्रति व्यक्ति आय के आधार पर उच्च आय, मध्यम आय और निम्न आय वाले देशों में वर्गीकृत करता है। उच्च प्रति व्यक्ति आय सामान्यतः बेहतर जीवन स्तर, शिक्षा, स्वास्थ्य और मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धता को दर्शाती है। हालांकि, प्रति व्यक्ति आय आय वितरण की असमानता को नहीं दर्शाती। यदि देश में आय की असमानता अधिक है, तो उच्च प्रति व्यक्ति आय के बावजूद बड़ी जनसंख्या गरीबी में रह सकती है।

प्रश्न 17. भारत में गरीबी के कोई दो कारण बताइए। (2 अंक)

उत्तर: भारत में गरीबी के प्रमुख कारण:

1. जनसंख्या वृद्धि और बेरोजगारी: भारत में तीव्र जनसंख्या वृद्धि गरीबी का एक प्रमुख कारण है। जनसंख्या की तुलना में रोजगार के अवसर कम हैं, जिससे बेरोजगारी और अल्प-रोजगार की स्थिति उत्पन्न होती है। शिक्षा और कौशल की कमी के कारण युवा पीढ़ी को उपयुक्त रोजगार नहीं मिल पाता। कृषि क्षेत्र में छिपी बेरोजगारी भी व्यापक है। बेरोजगारी के कारण लोगों की आय का कोई स्थिर स्रोत नहीं होता, जिससे वे गरीबी के दुष्चक्र में फंस जाते हैं।

2. सामाजिक असमानता और शिक्षा का अभाव: भारतीय समाज में जाति, धर्म और लिंग के आधार पर भेदभाव गरीबी को बढ़ावा देता है। दलित, आदिवासी और अल्पसंख्यक समुदायों को समान अवसर नहीं मिलते। महिलाओं के प्रति भेदभाव उन्हें आर्थिक गतिविधियों में भागीदारी से वंचित करता है। निरक्षरता और शिक्षा की कमी लोगों को बेहतर रोजगार और आय के अवसरों से वंचित रखती है। गरीब परिवारों के बच्चे शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाते और गरीबी पीढ़ी-दर-पीढ़ी स्थानांतरित होती रहती है। भूमि और संपत्ति के असमान वितरण से भी गरीबी बढ़ती है।

प्रश्न 18. भारत में अक्षय ऊर्जा के कोई दो स्रोत बताइए। (2 अंक)

उत्तर: अक्षय ऊर्जा (Renewable Energy) वे ऊर्जा स्रोत हैं जो प्रकृति में निरंतर उपलब्ध रहते हैं और इनका उपयोग करने से ये समाप्त नहीं होते। भारत में अक्षय ऊर्जा के प्रमुख स्रोत:

1. सौर ऊर्जा (Solar Energy): भारत उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में स्थित है जहां वर्ष भर प्रचुर मात्रा में सूर्य का प्रकाश उपलब्ध रहता है। सौर ऊर्जा को फोटोवोल्टिक सेल और सौर तापीय प्रौद्योगिकी द्वारा विद्युत में परिवर्तित किया जाता है। भारत सरकार ने राष्ट्रीय सौर मिशन के तहत सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए अनेक योजनाएं शुरू की हैं। राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में बड़े सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किए गए हैं। घरों में सौर पैनल लगाने को प्रोत्साहित किया जा रहा है।

2. पवन ऊर्जा (Wind Energy): तटीय क्षेत्रों और पहाड़ी दर्रों में तेज हवाओं का उपयोग करके विद्युत उत्पादन किया जाता है। पवन चक्कियों या पवन टरबाइनों द्वारा हवा की गतिज ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदला जाता है। भारत विश्व में पवन ऊर्जा उत्पादन में चौथे स्थान पर है। तमिलनाडु, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक और राजस्थान पवन ऊर्जा के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं। पवन ऊर्जा पर्यावरण के अनुकूल है और इससे कोई प्रदूषण नहीं होता। यह ऊर्जा का स्वच्छ और सतत स्रोत है।

खंड - स (लघु उत्तरीय प्रश्न)

प्रश्न 19. महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए असहयोग आंदोलन का वर्णन कीजिए। (3 अंक)

उत्तर: असहयोग आंदोलन महात्मा गांधी द्वारा 1920 में प्रारंभ किया गया था। यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण अध्याय था।

आंदोलन के कारण: जलियांवाला बाग हत्याकांड (1919) और खिलाफत आंदोलन ने भारतीयों में ब्रिटिश शासन के प्रति आक्रोश उत्पन्न कर दिया। रौलेट एक्ट जैसे दमनकारी कानूनों से जनता में असंतोष बढ़ गया। गांधीजी ने निष्कर्ष निकाला कि ब्रिटिश शासन भारतीयों के सहयोग से ही चल रहा है, अतः यदि सहयोग वापस ले लिया जाए तो साम्राज्य स्वतः समाप्त हो जाएगा।

आंदोलन की मुख्य विशेषताएं: आंदोलन में निम्नलिखित कार्यक्रम शामिल थे - सरकारी उपाधियों, नौकरियों और पदों का त्याग; विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार और स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग; सरकारी स्कूलों, कॉलेजों और न्यायालयों का बहिष्कार; विदेशी कपड़ों की होली जलाना; चरखे से सूत कातना और खादी पहनना। आंदोलन पूर्णतः अहिंसक था। गांधीजी ने सत्याग्रह और अहिंसा के सिद्धांतों पर बल दिया।

परिणाम और महत्व: आंदोलन जन-जन तक पहुंचा और लाखों भारतीय इसमें शामिल हुए। किसानों, मजदूरों, व्यापारियों, विद्यार्थियों और महिलाओं ने बड़ी संख्या में भाग लिया। फरवरी 1922 में चौरी-चौरा (उत्तर प्रदेश) में हिंसक घटना हो जाने के बाद गांधीजी ने आंदोलन स्थगित कर दिया क्योंकि वे अहिंसा के सिद्धांत से समझौता नहीं करना चाहते थे। यद्यपि आंदोलन तत्काल सफल नहीं हुआ, परंतु इसने भारतीय जनमानस में राष्ट्रीय चेतना जागृत की। यह स्वतंत्रता संग्राम को जन आंदोलन बनाने में सफल रहा। इससे यह सिद्ध हुआ कि जनता की शक्ति से विदेशी शासन को चुनौती दी जा सकती है।

प्रश्न 20. भारत में वर्षा के वितरण को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए। (3 अंक)

उत्तर: भारत में वर्षा का वितरण अत्यंत असमान है। कुछ क्षेत्रों में अत्यधिक वर्षा होती है जबकि कुछ भाग शुष्क रह जाते हैं। वर्षा के वितरण को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं:

1. मानसून पवनों की दिशा और शक्ति: भारत में अधिकांश वर्षा दक्षिण-पश्चिम मानसून से होती है जो जून से सितंबर तक सक्रिय रहता है। ये पवनें हिंद महासागर से नमी लेकर आती हैं। अरब सागर की शाखा पश्चिमी घाट से टकराकर उसके पवनाभिमुख ढाल पर भारी वर्षा करती है (जैसे मुंबई, गोवा)। बंगाल की खाड़ी की शाखा असम, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में अधिक वर्षा करती है। मानसून की अनिश्चितता और परिवर्तनशीलता के कारण कभी बाढ़ तो कभी सूखे की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

2. पर्वत श्रृंखलाओं की स्थिति: हिमालय पर्वत श्रृंखला मानसून पवनों को रोककर उत्तर भारत में वर्षा कराती है। पश्चिमी घाट पर्वत अरब सागर से आने वाली मानसून पवनों को रोकते हैं, जिससे पश्चिमी तट और घाट के पश्चिमी ढाल पर भारी वर्षा होती है। परंतु पूर्वी ढाल और दक्कन का पठार वृष्टि छाया क्षेत्र में आने से कम वर्षा प्राप्त करते हैं। पूर्वी घाट अपेक्षाकृत कम ऊंचाई के होने के कारण मानसून को अधिक प्रभावित नहीं करते। अरावली पर्वत मानसून के समानांतर होने के कारण राजस्थान में वर्षा नहीं रोक पाते।

3. समुद्र से दूरी और ऊंचाई: तटीय क्षेत्रों में समुद्र की निकटता के कारण अधिक वर्षा होती है क्योंकि मानसून पवनें नमी से भरी होती हैं। जैसे-जैसे हम आंतरिक भागों की ओर बढ़ते हैं, वर्षा की मात्रा कम होती जाती है क्योंकि पवनें अपनी नमी खो देती हैं। ऊंचाई का भी प्रभाव पड़ता है - अधिक ऊंचाई पर तापमान कम होने से वर्षा अधिक होती है। चेरापूंजी और मासिनराम (मेघालय) पहाड़ियों पर होने के कारण विश्व में सर्वाधिक वर्षा प्राप्त करते हैं। इस प्रकार भारत में वर्षा का वितरण इन कारकों के संयुक्त प्रभाव से निर्धारित होता है।

प्रश्न 21. संघवाद क्या है? भारतीय संघवाद की कोई तीन विशेषताएं बताइए। (3 अंक)

अथवा

प्रेस की स्वतंत्रता का क्या महत्व है?

उत्तर: संघवाद (Federalism) शासन की वह व्यवस्था है जिसमें शक्तियां केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच संविधान द्वारा विभाजित होती हैं। इसमें दो या अधिक स्तर की सरकारें होती हैं जो अपने-अपने क्षेत्र में स्वतंत्र रूप से कार्य करती हैं।

भारतीय संघवाद की विशेषताएं:

1. लिखित और सर्वोच्च संविधान: भारतीय संविधान लिखित और कठोर है। यह केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों का स्पष्ट विभाजन करता है। संविधान सर्वोच्च है और केंद्र तथा राज्य दोनों सरकारों को इसके अनुसार कार्य करना होता है। संविधान में संशोधन की विशेष प्रक्रिया है। कुछ महत्वपूर्ण प्रावधानों में संशोधन के लिए संसद के दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत और कम से कम आधे राज्यों की विधानसभाओं की स्वीकृति आवश्यक है।

2. शक्तियों का विभाजन: भारतीय संविधान में तीन सूचियां हैं - संघ सूची (97 विषय - रक्षा, विदेश मामले, रेलवे आदि), राज्य सूची (66 विषय - पुलिस, स्वास्थ्य, कृषि आदि), और समवर्ती सूची (47 विषय - शिक्षा, वन, विवाह आदि)। संघ सूची पर केंद्र का, राज्य सूची पर राज्य का और समवर्ती सूची पर दोनों का अधिकार है। समवर्ती सूची में विरोध की स्थिति में केंद्र का कानून मान्य होता है। अवशिष्ट शक्तियां केंद्र के पास हैं।

3. स्वतंत्र न्यायपालिका: भारत में सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय केंद्र और राज्यों के बीच विवादों का निपटारा करते हैं। न्यायपालिका संविधान की व्याख्या करती है और संघीय ढांचे की रक्षा करती है। यह संविधान के संरक्षक के रूप में कार्य करती है। न्यायाधीश स्वतंत्र होते हैं और राजनीतिक दबाव से मुक्त रहकर निर्णय देते हैं। भारतीय संघवाद में एकात्मक विशेषताएं भी हैं जैसे एकल नागरिकता, आपातकालीन प्रावधान, और राज्यपाल की नियुक्ति केंद्र द्वारा। इसलिए इसे अर्ध-संघीय भी कहा जाता है।

अथवा

प्रेस की स्वतंत्रता का महत्व:

प्रेस की स्वतंत्रता लोकतंत्र का चौथा स्तंभ मानी जाती है। यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1)(क) में वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अंतर्गत संरक्षित है।

महत्व:

1. जनमत का निर्माण: स्वतंत्र प्रेस जनता को सूचित, शिक्षित और जागरूक बनाती है। यह विभिन्न दृष्टिकोणों को प्रस्तुत करके लोगों को सोच-विचार कर निर्णय लेने में सहायता करती है। प्रेस सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक मुद्दों पर चर्चा का मंच प्रदान करती है।

2. सरकार पर निगरानी: स्वतंत्र मीडिया सरकार की नीतियों और कार्यों की आलोचनात्मक समीक्षा करती है। यह भ्रष्टाचार, अन्याय और सत्ता के दुरुपयोग को उजागर करती है। खोजी पत्रकारिता से कई बड़े घोटालों का खुलासा हुआ है।

3. जनता और सरकार के बीच सेतु: प्रेस जनता की समस्याओं और आकांक्षाओं को सरकार तक पहुंचाती है और सरकार की नीतियों को जनता तक। यह जनता को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करती है और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को सशक्त बनाती है।

प्रश्न 22. औद्योगिक प्रदूषण के कारण और प्रभाव बताइए। (3 अंक)

उत्तर: औद्योगिक प्रदूषण आधुनिक औद्योगीकरण की एक गंभीर समस्या है जो पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य को प्रभावित करती है।

कारण:

1. उद्योगों से निकलने वाला अपशिष्ट: उद्योग वायु, जल और भूमि को प्रदूषित करने वाले हानिकारक पदार्थ उत्सर्जित करते हैं। रासायनिक उद्योग, कागज उद्योग, चमड़ा उद्योग, धातु प्रगलन और पेट्रोकेमिकल उद्योग प्रमुख प्रदूषक हैं। उद्योगों की चिमनियों से धुआं, सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी विषैली गैसें निकलती हैं। अनुपचारित औद्योगिक अपशिष्ट जल को नदियों और झीलों में प्रवाहित किया जाता है।

2. पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन: अनेक उद्योग प्रदूषण नियंत्रण मानकों का पालन नहीं करते। लागत बचाने के लिए उचित अपशिष्ट प्रबंधन और प्रदूषण नियंत्रण उपकरणों में निवेश नहीं किया जाता। कमजोर निगरानी और भ्रष्टाचार के कारण प्रदूषणकारी उद्योग बिना दंड के संचालित होते रहते हैं।

प्रभाव:

1. स्वास्थ्य पर प्रभाव: वायु प्रदूषण से श्वसन रोग, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ता है। प्रदूषित जल से हैजा, टाइफाइड, पेचिश और त्वचा रोग होते हैं। भारी धातुओं (सीसा, पारा, कैडमियम) के संपर्क से तंत्रिका तंत्र, गुर्दे और जिगर क्षतिग्रस्त होते हैं। ध्वनि प्रदूषण से सुनने की क्षमता प्रभावित होती है और मानसिक तनाव बढ़ता है।

2. पर्यावरण पर प्रभाव: अम्लीय वर्षा से वनों, फसलों और जलीय जीवन को नुकसान होता है। नदियों और झीलों में औद्योगिक अपशिष्ट से यूट्रोफिकेशन होता है जिससे जलीय पारिस्थितिकी तंत्र नष्ट होता है। मछलियां और अन्य जलीय जीव मर जाते हैं। ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन से जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग हो रही है। जैव विविधता का ह्रास हो रहा है। मृदा प्रदूषण से कृषि उत्पादकता घट रही है। औद्योगिक क्षेत्रों के निकट रहने वाली जनसंख्या सबसे अधिक प्रभावित होती है।

प्रश्न 23. भारत में महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता क्यों है? उपाय सुझाइए। (3 अंक)

उत्तर: महिला सशक्तिकरण का अर्थ है महिलाओं को आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक और कानूनी अधिकार प्रदान करना तथा उन्हें निर्णय लेने की शक्ति देना।

आवश्यकता:

भारतीय समाज में सदियों से महिलाओं के साथ भेदभाव किया जाता रहा है। लिंग आधारित असमानता, बाल विवाह, दहेज प्रथा, शिक्षा से वंचित रखना, संपत्ति के अधिकार का अभाव, और घरेलू हिंसा जैसी समस्याएं व्याप्त हैं। महिलाओं की श्रम बल में भागीदारी कम है। राजनीति और निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में महिलाओं का प्रतिनिधित्व अपर्याप्त है। महिला सशक्तिकरण समाज के समग्र विकास के लिए आवश्यक है क्योंकि समाज का आधा भाग महिलाएं हैं। जब तक महिलाएं सशक्त नहीं होंगी, राष्ट्र का पूर्ण विकास संभव नहीं है।

उपाय:

1. शिक्षा और कौशल विकास: बालिकाओं की शिक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जैसी योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करना चाहिए। व्यावसायिक प्रशिक्षण और कौशल विकास कार्यक्रमों के माध्यम से महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना चाहिए। उच्च शिक्षा में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए छात्रवृत्ति और अन्य सुविधाएं प्रदान करनी चाहिए।

2. आर्थिक अवसर और कानूनी अधिकार: महिलाओं को स्व-रोजगार और उद्यमिता के लिए ऋण सुविधाएं प्रदान करनी चाहिए। मुद्रा योजना, स्टैंड-अप इंडिया जैसी योजनाओं का लाभ महिलाओं को मिलना चाहिए। समान कार्य के लिए समान वेतन सुनिश्चित करना चाहिए। संपत्ति में बेटियों को बराबर का अधिकार दिलाना चाहिए। घरेलू हिंसा, यौन उत्पीड़न और बाल विवाह के विरुद्ध कड़े कानून लागू करने चाहिए।

3. राजनीतिक भागीदारी और सामाजिक जागरूकता: पंचायतों और स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण प्रभावी रहा है। संसद और विधानसभाओं में भी महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाना चाहिए। लैंगिक समानता के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण बदलने के लिए जागरूकता अभियान चलाने चाहिए। पितृसत्तात्मक सोच को चुनौती देनी चाहिए। मीडिया और शिक्षा प्रणाली में महिलाओं की सकारात्मक छवि प्रस्तुत करनी चाहिए।

प्रश्न 24. वैश्वीकरण के लाभ और हानियां बताइए। (3 अंक)

उत्तर: वैश्वीकरण (Globalization) वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा विश्व के विभिन्न देश आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक रूप से एक-दूसरे से जुड़ते हैं। भारत में 1991 में उदारीकरण की नीति अपनाने के बाद वैश्वीकरण की प्रक्रिया तेज हुई।

लाभ:

1. आर्थिक विकास और रोजगार: वैश्वीकरण से विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) बढ़ा है जिससे नए उद्योगों की स्थापना हुई और रोजगार के अवसर उत्पन्न हुए। सूचना प्रौद्योगिकी, दूरसंचार, बैंकिंग और सेवा क्षेत्र में भारी वृद्धि हुई। भारतीय कंपनियां वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा करने लगीं। निर्यात बढ़ने से विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि हुई। उपभोक्ताओं को विविध और गुणवत्तापूर्ण उत्पाद उपलब्ध हुए।

2. प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और ज्ञान का आदान-प्रदान: बहुराष्ट्रीय कंपनियों के आने से आधुनिक प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण हुआ। उत्पादन तकनीकों और प्रबंधन कौशल में सुधार हुआ। शिक्षा, स्वास्थ्य और अनुसंधान में अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ा। भारतीय पेशेवरों को विदेशों में काम करने के अवसर मिले।

हानियां:

1. असमानता में वृद्धि: वैश्वीकरण का लाभ मुख्यतः शहरी, शिक्षित और कुशल वर्ग को हुआ। ग्रामीण क्षेत्र, कृषि और असंगठित क्षेत्र पिछड़ गए। अमीर और गरीब के बीच की खाई बढ़ी। छोटे और कुटीर उद्योग बहुराष्ट्रीय कंपनियों की प्रतिस्पर्धा में टिक नहीं पाए और बंद हो गए। स्थानीय कारीगर और दस्तकार बेरोजगार हुए।

2. सांस्कृतिक पहचान का क्षरण: पश्चिमी संस्कृति का प्रभाव बढ़ने से भारतीय परंपराओं और मूल्यों का क्षरण हो रहा है। उपभोक्तावादी संस्कृति बढ़ी है। स्थानीय भाषाओं और संस्कृतियों के अस्तित्व पर खतरा उत्पन्न हुआ।

3. आर्थिक असुरक्षा: वैश्विक आर्थिक मंदी का सीधा प्रभाव भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। कृषि क्षेत्र में सरकारी समर्थन कम होने से किसान संकट में हैं। नौकरियों में असुरक्षा बढ़ी है। विदेशी कंपनियों पर निर्भरता बढ़ने से आर्थिक स्वायत्तता प्रभावित हुई है। वैश्वीकरण को संतुलित और समावेशी बनाने की आवश्यकता है ताकि समाज के सभी वर्गों को इसका लाभ मिल सके।

खंड - द (दीर्घ उत्तरीय प्रश्न)

प्रश्न 25. भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महात्मा गांधी के योगदान का विस्तार से वर्णन कीजिए। (5 अंक)

उत्तर: महात्मा गांधी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे प्रभावशाली नेता थे। उन्होंने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन को जन आंदोलन में परिवर्तित किया और अहिंसा तथा सत्याग्रह के माध्यम से ब्रिटिश साम्राज्य को चुनौती दी।

प्रारंभिक भूमिका (1915-1920):

गांधीजी 1915 में दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे जहां उन्होंने रंगभेद के विरुद्ध सत्याग्रह का सफल प्रयोग किया था। भारत आने पर उन्होंने देश की स्थिति को समझने के लिए व्यापक यात्राएं कीं। 1917 में चंपारण (बिहार) में नील की खेती करने वाले किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए सत्याग्रह किया। यह उनका भारत में पहला सफल सत्याग्रह था। 1918 में खेड़ा (गुजरात) में कर माफी के लिए और अहमदाबाद में मिल मजदूरों के लिए आंदोलन किए। इन स्थानीय आंदोलनों ने उन्हें जन नेता के रूप में स्थापित किया।

असहयोग आंदोलन (1920-1922):

जलियांवाला बाग हत्याकांड और खिलाफत मुद्दे ने गांधीजी को राष्ट्रव्यापी आंदोलन छेड़ने के लिए प्रेरित किया। असहयोग आंदोलन में विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार, स्वदेशी को प्रोत्साहन, सरकारी संस्थानों का बहिष्कार और चरखा चलाकर खादी पहनने पर बल दिया गया। यह आंदोलन अभूतपूर्व रूप से लोकप्रिय हुआ और लाखों लोग इसमें शामिल हुए। हालांकि चौरी-चौरा की हिंसक घटना के बाद गांधीजी ने आंदोलन स्थगित कर दिया।

सविनय अवज्ञा आंदोलन और दांडी मार्च (1930-1934):

1930 में गांधीजी ने नमक कानून तोड़ने के लिए दांडी यात्रा की। 12 मार्च से 6 अप्रैल तक साबरमती आश्रम से दांडी तक 240 मील की पैदल यात्रा की और समुद्र तट पर नमक बनाकर नमक कानून का उल्लंघन किया। यह प्रतीकात्मक कार्य अत्यंत शक्तिशाली सिद्ध हुआ और पूरे देश में नमक सत्याग्रह शुरू हो गया। सविनय अवज्ञा आंदोलन में करों का भुगतान न करने, सरकारी आदेशों को मानने से इनकार करने जैसे कार्यक्रम शामिल थे। महिलाओं ने भी बड़े पैमाने पर भाग लिया।

भारत छोड़ो आंदोलन (1942):

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 8 अगस्त 1942 को गांधीजी ने "अंग्रेजों भारत छोड़ो" का नारा दिया। यह स्वतंत्रता संग्राम का सबसे व्यापक और उग्र आंदोलन था। गांधीजी ने "करो या मरो" का आह्वान किया। सरकार ने कांग्रेस नेताओं को गिरफ्तार कर लिया, परंतु आंदोलन जारी रहा। जनता ने सरकारी संपत्ति पर हमले किए, रेल पटरियां उखाड़ दीं और संचार व्यवस्था को ठप कर दिया। यद्यपि आंदोलन को क्रूरता से दबा दिया गया, परंतु इसने यह स्पष्ट कर दिया कि ब्रिटिश शासन अब भारत में नहीं चल सकता।

गांधीवादी दर्शन और सिद्धांत:

गांधीजी का मूल सिद्धांत सत्य और अहिंसा था। उनका मानना था कि अहिंसक तरीकों से भी सबसे शक्तिशाली शत्रु को परास्त किया जा सकता है। सत्याग्रह का अर्थ था सत्य के लिए आग्रह। वे सर्वोदय (सबका उत्थान), स्वराज (आत्म-शासन), स्वदेशी (स्थानीय उत्पादों का उपयोग), और ग्राम स्वराज के पक्षधर थे। उन्होंने छुआछूत, सामाजिक असमानता और साम्प्रदायिकता के विरुद्ध भी संघर्ष किया। उन्होंने हरिजन (दलितों) के उत्थान के लिए कार्य किया और हिंदू-मुस्लिम एकता पर बल दिया।

योगदान का मूल्यांकन:

गांधीजी ने स्वतंत्रता संग्राम को अभिजात्य वर्ग से निकालकर जन-जन तक पहुंचाया। उन्होंने किसानों, मजदूरों, महिलाओं और दलितों को आंदोलन में सक्रिय भागीदार बनाया। अहिंसा के माध्यम से ब्रिटिश साम्राज्य को नैतिक रूप से कमजोर किया। उनके नेतृत्व में भारत 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्र हुआ। गांधीजी के विचार और आदर्श आज भी प्रासंगिक हैं और विश्व भर में शांति और अहिंसा के प्रतीक माने जाते हैं।

प्रश्न 26. भारत की जलवायु को प्रभावित करने वाले कारकों का विस्तार से वर्णन कीजिए। (5 अंक)

अथवा

भारत में कृषि की प्रमुख समस्याएं और समाधान बताइए।

उत्तर: भारत एक विशाल देश है जिसमें विविध प्रकार की जलवायु पाई जाती है। भारत की जलवायु मुख्यतः उष्णकटिबंधीय मानसूनी है, परंतु विभिन्न क्षेत्रों में तापमान, वर्षा और मौसम की स्थिति में भिन्नता है। भारत की जलवायु को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं:

1. अक्षांशीय स्थिति:

भारत 8°4' उत्तरी अक्षांश से 37°6' उत्तरी अक्षांश तक विस्तृत है। कर्क रेखा (23½° उत्तर) भारत के लगभग मध्य से गुजरती है, जो देश को दो जलवायु क्षेत्रों में विभाजित करती है। कर्क रेखा के दक्षिण में उष्णकटिबंधीय जलवायु है जहां वर्ष भर ऊंचा तापमान रहता है। कर्क रेखा के उत्तर में उपोष्णकटिबंधीय जलवायु है जहां तापमान में अधिक अंतर पाया जाता है। दक्षिणी भागों में विषुवत रेखा की निकटता के कारण तापमान वर्ष भर लगभग समान रहता है, जबकि उत्तरी भागों में ग्रीष्म और शीत ऋतु में तापमान में बड़ा अंतर होता है।

2. हिमालय पर्वत श्रृंखला:

हिमालय भारतीय जलवायु में निर्णायक भूमिका निभाता है। यह उत्तर से आने वाली ठंडी मध्य एशियाई हवाओं को रोकता है, जिससे भारत का अधिकांश भाग शीत ऋतु में अत्यधिक ठंड से बचा रहता है। यदि हिमालय न होता तो भारत का तापमान साइबेरिया जैसा हो सकता था। ग्रीष्म ऋतु में हिमालय मानसून पवनों को रोकता है जिससे भारत में भारी वर्षा होती है। हिमालय की विभिन्न ऊंचाइयों पर विविध जलवायु क्षेत्र पाए जाते हैं - तराई से लेकर हिमाच्छादित चोटियों तक।

3. समुद्र से दूरी:

भारत तीन ओर से समुद्र से घिरा है - पश्चिम में अरब सागर, पूर्व में बंगाल की खाड़ी और दक्षिण में हिंद महासागर। समुद्री प्रभाव के कारण तटीय क्षेत्रों में समुद्री जलवायु पाई जाती है जहां तापमान में कम उतार-चढ़ाव होता है। गर्मी में समुद्र ठंडा प्रभाव डालता है और सर्दी में गर्म प्रभाव, जिससे तटीय क्षेत्रों में सम जलवायु रहती है। आंतरिक भागों में महाद्वीपीय जलवायु पाई जाती है जहां ग्रीष्म में अधिक गर्मी और शीत में अधिक ठंड पड़ती है। मुंबई और कोलकाता जैसे तटीय शहरों में तापमान में कम अंतर होता है, जबकि दिल्ली जैसे आंतरिक शहरों में ग्रीष्म में 45°C और शीत में 2-3°C तक तापमान हो सकता है।

4. मानसून पवनें:

भारत की जलवायु मानसूनी पवनों द्वारा नियंत्रित होती है। मानसून शब्द अरबी भाषा के "मौसिम" से बना है जिसका अर्थ है ऋतु। ग्रीष्म ऋतु में स्थल गर्म होने से निम्न वायुदाब का क्षेत्र बनता है और समुद्र से नमी युक्त दक्षिण-पश्चिम मानसून पवनें भारत की ओर चलती हैं। ये पवनें जून से सितंबर तक सक्रिय रहती हैं और भारत में वर्षा का मुख्य स्रोत हैं। शीत ऋतु में स्थल ठंडा होने से उच्च वायुदाब बनता है और शुष्क उत्तर-पूर्वी मानसून पवनें स्थल से समुद्र की ओर चलती हैं। तमिलनाडु तट पर ये पवनें बंगाल की खाड़ी से नमी लेकर शीतकालीन वर्षा करती हैं।

5. उच्चावच और ऊंचाई:

पर्वत, पठार और मैदान जलवायु को प्रभावित करते हैं। ऊंचाई बढ़ने के साथ तापमान घटता है (प्रति 165 मीटर की ऊंचाई पर लगभग 1°C कमी)। इसलिए पहाड़ी क्षेत्रों में मैदानों की अपेक्षा ठंडी जलवायु रहती है। शिमला, मनाली, दार्जिलिंग जैसे पर्वतीय स्थल ग्रीष्म में भी सुहावने रहते हैं। पर्वत श्रृंखलाएं मानसून को रोककर वर्षा में सहायक होती हैं। पश्चिमी घाट के पवनाभिमुख पक्ष पर भारी वर्षा होती है जबकि प्रतिपवन पक्ष (दक्कन का पठार) वृष्टि छाया क्षेत्र होने से कम वर्षा प्राप्त करता है।

6. जेट स्ट्रीम:

उच्च वायुमंडल में पश्चिम से पूर्व की ओर चलने वाली तीव्र वायु धाराएं (जेट स्ट्रीम) भारतीय जलवायु को प्रभावित करती हैं। शीत ऋतु में उप-उष्णकटिबंधीय पश्चिमी जेट स्ट्रीम हिमालय के दक्षिण में बहती है और शीतकालीन पश्चिमी विक्षोभों को लाती है जो उत्तर-पश्चिम भारत में वर्षा कराते हैं। ग्रीष्म ऋतु में पूर्वी जेट स्ट्रीम प्रायद्वीपीय भारत के ऊपर बहती है और मानसून की शुरुआत में सहायक होती है। इन सभी कारकों के संयुक्त प्रभाव से भारत में विविध जलवायु पाई जाती है।

अथवा

भारत में कृषि की प्रमुख समस्याएं और समाधान:

भारत एक कृषि प्रधान देश है जहां लगभग 58 प्रतिशत जनसंख्या कृषि और संबंधित गतिविधियों पर निर्भर है। हालांकि, भारतीय कृषि अनेक समस्याओं से ग्रस्त है।

प्रमुख समस्याएं:

1. छोटी और विखंडित जोतें: जनसंख्या वृद्धि और उत्तराधिकार कानूनों के कारण कृषि भूमि का विभाजन होता जा रहा है। औसत जोत का आकार बहुत छोटा है (1-2 हेक्टेयर), जिससे आधुनिक कृषि तकनीकों और मशीनों का उपयोग कठिन हो जाता है। छोटी जोतें आर्थिक रूप से अव्यवहार्य हैं।

2. मानसून पर निर्भरता: भारतीय कृषि मानसून का जुआ कही जाती है। सिंचाई सुविधाओं की कमी के कारण अधिकांश किसान वर्षा पर निर्भर हैं। मानसून की अनिश्चितता, देरी या अल्प वर्षा से सूखे की स्थिति उत्पन्न होती है।

3. पूंजी की कमी: अधिकांश किसान गरीब हैं और उनके पास आधुनिक कृषि के लिए पूंजी नहीं है। वे साहूकारों और महाजनों से ऊंची ब्याज दर पर ऋण लेते हैं और कर्ज के चक्र में फंस जाते हैं। बैंकों से ऋण की प्रक्रिया जटिल है।

4. पुरानी तकनीक: कई क्षेत्रों में अभी भी पारंपरिक खेती के तरीके अपनाए जाते हैं। गुणवत्तापूर्ण बीज, उर्वरक और कीटनाशकों का उपयोग सीमित है। कृषि मशीनीकरण का स्तर कम है।

5. विपणन सुविधाओं का अभाव: कृषि उत्पादों के लिए उचित भंडारण, परिवहन और विपणन की सुविधाएं अपर्याप्त हैं। किसानों को उपज का उचित मूल्य नहीं मिल पाता और बिचौलिए लाभ का बड़ा हिस्सा ले जाते हैं।

समाधान:

1. सिंचाई सुविधाओं का विस्तार: नहरों, कुओं, नलकूपों और ड्रिप सिंचाई जैसी आधुनिक सिंचाई तकनीकों को बढ़ावा देना चाहिए। जल संरक्षण और वर्षा जल संचयन को प्रोत्साहित करना चाहिए।

2. कृषि ऋण और बीमा: किसानों को आसान शर्तों पर कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराना चाहिए। किसान क्रेडिट कार्ड योजना का विस्तार करना चाहिए। फसल बीमा योजनाएं प्रभावी बनानी चाहिए।

3. आधुनिक तकनीक: उच्च उपज देने वाले बीज, जैविक खाद, कीट प्रबंधन तकनीकों का प्रचार करना चाहिए। किसानों को प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रम चलाने चाहिए।

4. न्यूनतम समर्थन मूल्य: सरकार को समय पर MSP घोषित करना चाहिए और किसानों से उपज खरीदनी चाहिए। फसलों की विविधता को प्रोत्साहित करना चाहिए।

5. कृषि बाजार सुधार: ई-NAM (राष्ट्रीय कृषि बाजार) को प्रभावी बनाना चाहिए। किसान उत्पादक संगठनों को बढ़ावा देना चाहिए ताकि किसान सीधे बाजार में पहुंच सकें।

प्रश्न 27. भारतीय लोकतंत्र की चुनौतियों का वर्णन करते हुए उनके समाधान सुझाइए। (5 अंक)

उत्तर: भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। 1947 में स्वतंत्रता के बाद से भारत ने लोकतांत्रिक परंपरा को सफलतापूर्वक बनाए रखा है। हालांकि, भारतीय लोकतंत्र को अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

प्रमुख चुनौतियां:

1. भ्रष्टाचार: राजनीति, प्रशासन और न्याय व्यवस्था में भ्रष्टाचार एक गंभीर समस्या है। चुनावों में धन और बाहुबल का प्रयोग होता है। सरकारी योजनाओं और परियोजनाओं में भ्रष्टाचार से जनता को लाभ नहीं मिल पाता। भ्रष्टाचार लोकतांत्रिक संस्थाओं की विश्वसनीयता को कमजोर करता है। राष्ट्रमंडल खेल घोटाला, 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला, कोयला घोटाला जैसे अनेक बड़े भ्रष्टाचार मामले सामने आए हैं। छोटे स्तर पर भी रिश्वतखोरी व्याप्त है।

2. साम्प्रदायिकता और जातिवाद: धर्म और जाति के आधार पर राजनीति की जाती है। साम्प्रदायिक दंगे और हिंसा लोकतांत्रिक मूल्यों के विपरीत हैं। राजनीतिक दल वोट बैंक के लिए जाति और धर्म का उपयोग करते हैं। इससे समाज में विभाजन बढ़ता है और राष्ट्रीय एकता कमजोर होती है। अयोध्या विवाद, गुजरात दंगे जैसी घटनाएं साम्प्रदायिकता के उदाहरण हैं।

3. अपराधीकरण: राजनीति में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोगों का प्रवेश बढ़ रहा है। कई विधायकों और सांसदों के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले लंबित हैं। धन और बाहुबल के प्रयोग से ये लोग चुनाव जीत जाते हैं। इससे कानून का शासन कमजोर होता है और आम नागरिकों को न्याय नहीं मिल पाता।

4. चुनावी सुधारों की आवश्यकता: चुनावों में धन का अत्यधिक खर्च होता है। चुनाव प्रचार में काले धन का उपयोग होता है। मतदाताओं को धन, शराब और उपहारों के वितरण से प्रभावित किया जाता है। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए जाते हैं। राजनीतिक दलों की फंडिंग में पारदर्शिता का अभाव है।

5. महिलाओं और हाशिये के समूहों का कम प्रतिनिधित्व: संसद और विधानसभाओं में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बहुत कम है (लगभग 14 प्रतिशत)। दलित, आदिवासी और अल्पसंख्यक समुदायों को भी पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाता। निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में इन समूहों की आवाज कमजोर रहती है।

समाधान:

1. भ्रष्टाचार नियंत्रण: लोकपाल और लोकायुक्त जैसी संस्थाओं को मजबूत और स्वतंत्र बनाना चाहिए। भ्रष्टाचार के मामलों में त्वरित सुनवाई और कड़ी सजा सुनिश्चित करनी चाहिए। सूचना के अधिकार अधिनियम का प्रभावी क्रियान्वयन करना चाहिए। डिजिटल शासन और ई-गवर्नेंस से पारदर्शिता बढ़ सकती है। व्हिसल ब्लोअर्स (भ्रष्टाचार उजागर करने वालों) की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए।

2. धर्मनिरपेक्षता को मजबूत करना: शिक्षा प्रणाली में धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को बढ़ावा देना चाहिए। साम्प्रदायिक हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों को कड़ी सजा देनी चाहिए। मीडिया को साम्प्रदायिक सद्भाव बढ़ाने की भूमिका निभानी चाहिए। नफरत फैलाने वाले भाषणों पर रोक लगानी चाहिए। सभी धर्मों के प्रति समान सम्मान की संस्कृति विकसित करनी चाहिए।

3. चुनावी सुधार: आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोगों को चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित करना चाहिए। चुनाव खर्च पर कड़ी निगरानी रखनी चाहिए। राजनीतिक दलों की फंडिंग में पारदर्शिता लानी चाहिए। चुनावों का राज्य द्वारा वित्तपोषण विचारणीय है। वोटर वेरिफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) का व्यापक उपयोग करना चाहिए। मतदाता जागरूकता बढ़ानी चाहिए।

4. महिला आरक्षण: संसद और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण का कानून पारित करना चाहिए (जो हाल ही में पारित हुआ है)। महिलाओं को राजनीति में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।

5. नागरिक शिक्षा: स्कूलों और कॉलेजों में नागरिक शास्त्र की शिक्षा को मजबूत करना चाहिए। लोकतांत्रिक मूल्यों, संवैधानिक अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूकता बढ़ानी चाहिए। मतदाताओं को शिक्षित करना चाहिए कि वे जाति, धर्म या धन के आधार पर नहीं बल्कि योग्यता और ईमानदारी के आधार पर मत दें। इन उपायों से भारतीय लोकतंत्र को मजबूत बनाया जा सकता है।

प्रश्न 28. भारतीय अर्थव्यवस्था के तीनों क्षेत्रों (प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक) का तुलनात्मक अध्ययन कीजिए। (5 अंक)

उत्तर: अर्थव्यवस्था की आर्थिक गतिविधियों को तीन क्षेत्रों में विभाजित किया जाता है - प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्र। भारतीय अर्थव्यवस्था में इन तीनों क्षेत्रों की महत्वपूर्ण भूमिका है।

प्राथमिक क्षेत्र (Primary Sector):

प्राथमिक क्षेत्र में वे गतिविधियां शामिल हैं जो प्रकृति से सीधे संसाधनों का दोहन करती हैं। इस क्षेत्र को कृषि और संबंधित क्षेत्र भी कहा जाता है।

प्रमुख गतिविधियां: कृषि, पशुपालन, वनों से लकड़ी एकत्र करना, मछली पकड़ना, खनन और उत्खनन। भारत में कृषि प्राथमिक क्षेत्र का सबसे बड़ा भाग है। गेहूं, चावल, गन्ना, कपास, जूट जैसी फसलों का उत्पादन होता है। दुग्ध उत्पादन, मुर्गी पालन और मत्स्य पालन भी इसमें शामिल हैं।

रोजगार और GDP में योगदान: स्वतंत्रता के समय प्राथमिक क्षेत्र GDP का सबसे बड़ा हिस्सा था। वर्तमान में यह GDP में लगभग 16-18 प्रतिशत का योगदान देता है, परंतु लगभग 42-45 प्रतिशत कार्यबल इसमें लगा हुआ है। यह दर्शाता है कि इस क्षेत्र में छिपी बेरोजगारी है और उत्पादकता कम है।

समस्याएं: मानसून पर निर्भरता, छोटी जोतें, पूंजी की कमी, पुरानी तकनीक, विपणन सुविधाओं का अभाव। किसानों की आय कम है और कई किसान कर्ज में डूबे हुए हैं।

द्वितीयक क्षेत्र (Secondary Sector):

द्वितीयक क्षेत्र में प्राथमिक क्षेत्र से प्राप्त कच्चे माल को संसाधित करके उपयोगी उत्पादों में परिवर्तित किया जाता है। इसे औद्योगिक क्षेत्र या विनिर्माण क्षेत्र भी कहते हैं।

प्रमुख गतिविधियां: विनिर्माण उद्योग (कपड़ा, इस्पात, सीमेंट, रसायन, दवाएं, इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल आदि), निर्माण कार्य (भवन, सड़कें, बांध, पुल), बिजली, गैस और जल आपूर्ति।

रोजगार और GDP में योगदान: द्वितीयक क्षेत्र GDP में लगभग 26-28 प्रतिशत का योगदान देता है। इसमें लगभग 24-26 प्रतिशत कार्यबल कार्यरत है। विनिर्माण क्षेत्र भारत की आर्थिक वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है। मेक इन इंडिया जैसी योजनाएं विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई हैं।

विकास: स्वतंत्रता के बाद भारत ने औद्योगीकरण पर बल दिया। इस्पात, उर्वरक, मशीनरी जैसे भारी उद्योग स्थापित किए गए। हाल के वर्षों में ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स और फार्मास्यूटिकल उद्योगों में तेजी से वृद्धि हुई है। लघु और मध्यम उद्योग भी रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

समस्याएं: पुरानी प्रौद्योगिकी, बुनियादी ढांचे की कमी, श्रम कानूनों की जटिलता, चीन और अन्य देशों से प्रतिस्पर्धा।

तृतीयक क्षेत्र (Tertiary Sector):

तृतीयक क्षेत्र में वे सेवाएं शामिल हैं जो उत्पादन और वितरण प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाती हैं। इसे सेवा क्षेत्र भी कहते हैं।

प्रमुख गतिविधियां: परिवहन (सड़क, रेल, हवाई, जल), संचार (डाक, टेलीफोन, इंटरनेट), व्यापार (थोक और खुदरा), बैंकिंग और वित्त, बीमा, रियल एस्टेट, शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन, होटल और रेस्तरां, मनोरंजन, सूचना प्रौद्योगिकी और IT सक्षम सेवाएं, कानूनी और परामर्श सेवाएं।

रोजगार और GDP में योगदान: तृतीयक क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था का सबसे बड़ा क्षेत्र है। यह GDP में लगभग 54-56 प्रतिशत का योगदान देता है। इसमें लगभग 30-32 प्रतिशत कार्यबल कार्यरत है। पिछले तीन दशकों में इस क्षेत्र में तेजी से वृद्धि हुई है।

विकास: 1990 के बाद उदारीकरण और वैश्वीकरण से सेवा क्षेत्र को बढ़ावा मिला। सूचना प्रौद्योगिकी और BPO (Business Process Outsourcing) उद्योग में भारत विश्व में अग्रणी बन गया। बैंकिंग, बीमा, दूरसंचार और खुदरा व्यापार में भी तेज वृद्धि हुई। पर्यटन एक महत्वपूर्ण सेवा उद्योग है जो रोजगार और विदेशी मुद्रा अर्जित करता है।

तुलनात्मक विश्लेषण:

भारतीय अर्थव्यवस्था में तीनों क्षेत्रों का योगदान

क्षेत्र         GDP में योगदान    रोजगार
────────────────────────────────────────
प्राथमिक       16-18%             42-45%
द्वितीयक       26-28%             24-26%
तृतीयक         54-56%             30-32%

ऐतिहासिक परिवर्तन:
1950 → प्राथमिक क्षेत्र सबसे बड़ा
1990 → द्वितीयक क्षेत्र में वृद्धि
2020 → तृतीयक क्षेत्र सबसे बड़ा

महत्वपूर्ण निष्कर्ष:

1. संरचनात्मक परिवर्तन: भारतीय अर्थव्यवस्था में संरचनात्मक परिवर्तन हो रहा है। प्राथमिक क्षेत्र का महत्व कम हो रहा है और सेवा क्षेत्र का बढ़ रहा है। यह विकसित अर्थव्यवस्थाओं की ओर संकेत करता है।

2. रोजगार विसंगति: प्राथमिक क्षेत्र में GDP योगदान कम है परंतु रोजगार अधिक है, जो छिपी बेरोजगारी और कम उत्पादकता को दर्शाता है। सेवा क्षेत्र में अधिक वेतन और बेहतर कार्य परिस्थितियां हैं।

3. अंतर-निर्भरता: तीनों क्षेत्र एक-दूसरे पर निर्भर हैं। कृषि उद्योगों को कच्चा माल प्रदान करती है। उद्योग किसानों को उपकरण और उर्वरक देते हैं। सेवा क्षेत्र दोनों को परिवहन, बैंकिंग और विपणन सेवाएं प्रदान करता है।

4. संतुलित विकास की आवश्यकता: तीनों क्षेत्रों का संतुलित विकास आवश्यक है। केवल सेवा क्षेत्र पर निर्भरता स्वस्थ नहीं है। कृषि और विनिर्माण को मजबूत करना चाहिए। कृषि में आधुनिकीकरण, उद्योगों में प्रौद्योगिकी उन्नयन और सेवा क्षेत्र में गुणवत्ता सुधार से समग्र आर्थिक विकास हो सकता है।

मानचित्र कार्य

भारत के राजनीतिक मानचित्र में निम्नलिखित को चिह्नित कीजिए:

  1. हिमालय पर्वत श्रृंखला
  2. गंगा नदी
  3. दिल्ली (राष्ट्रीय राजधानी)
  4. मुंबई (महाराष्ट्र)
  5. कोलकाता (पश्चिम बंगाल)
        भारत का मानचित्र (संकेत)
        
            हिमालय पर्वत
        ╱‾‾‾‾‾‾‾‾‾‾‾‾‾‾‾‾╲
       ╱                    ╲
      │  दिल्ली ●            │
      │        गंगा नदी →    │
      │                      │
      │  ● मुंबई             │
      │            ● कोलकाता │
      │                      │
      │                      │
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        संकेत:
        ● - प्रमुख शहर
        → - नदी
        ╱╲ - पर्वत श्रृंखला

अतिरिक्त संसाधन

यह मॉडल प्रश्न पत्र राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, अजमेर के कक्षा 10 सामाजिक विज्ञान (S-08) पाठ्यक्रम पर आधारित है। अधिक जानकारी और आधिकारिक पाठ्यक्रम के लिए RBSE की आधिकारिक वेबसाइट देखें: https://rajeduboard.rajasthan.gov.in

मूल प्रश्न पत्र (PDF): S-08 Social Science Paper 2024

तैयारी के सुझाव

सामाजिक विज्ञान विषय में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए NCERT पुस्तकों का गहन अध्ययन करें। इतिहास की तिथियों और घटनाओं को कालक्रमानुसार याद करें। भूगोल के मानचित्र कार्य का नियमित अभ्यास करें। राजनीति विज्ञान के संवैधानिक प्रावधानों को समझें। अर्थशास्त्र के आंकड़ों और आर्थिक अवधारणाओं को स्पष्ट करें। समसामयिक घटनाओं से जुड़े रहें। पिछले वर्षों के प्रश्न पत्रों को हल करें। महत्वपूर्ण बिंदुओं के नोट्स बनाएं। मानचित्र में स्थानों को सही ढंग से चिह्नित करने का अभ्यास करें।

यह मॉडल प्रश्न पत्र शैक्षिक उद्देश्यों के लिए तैयार किया गया है। सभी छात्रों को शुभकामनाएं।