कक्षा 10 हिंदी मॉडल प्रश्न पत्र 2025-26 - NCERT पाठ्यक्रम

| अक्टूबर 12, 2025
कक्षा 10 हिंदी मॉडल प्रश्न पत्र 2024-25 - NCERT पाठ्यक्रम
यह लेख कक्षा 10 हिंदी विषय के NCERT पाठ्यक्रम पर आधारित मॉडल प्रश्न पत्र के बारे में है। परीक्षा पैटर्न और अंक विभाजन के लिए, देखें CBSE परीक्षा पद्धति।
कक्षा 10 हिंदी मॉडल पेपर
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विषय हिंदी (कोर्स A और B)
कक्षा 10वीं (माध्यमिक)
पाठ्यक्रम NCERT/CBSE
कुल अंक 80 अंक
समय 3 घंटे
खंड A, B, C (तीन भाग)
पुस्तकें कृतिका, क्षितिज, स्पर्श

कक्षा 10 हिंदी मॉडल प्रश्न पत्र 2024-25

कक्षा 10 हिंदी मॉडल प्रश्न पत्र केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम पर आधारित एक व्यापक परीक्षा प्रारूप है जो राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) की पुस्तकों से तैयार किया गया है।[1] यह मॉडल पेपर छात्रों को वास्तविक परीक्षा के प्रारूप, प्रश्नों के प्रकार, अंक विभाजन और समय प्रबंधन को समझने में सहायता करता है। हिंदी विषय में दो पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं - कोर्स A (संचार) और कोर्स B (साहित्य), दोनों में 80 अंकों की लिखित परीक्षा होती है।

यह प्रश्न पत्र तीन मुख्य खंडों में विभाजित है - खंड क (अपठित बोध और व्याकरण), खंड ख (पाठ्यपुस्तक और पूरक पाठ्यपुस्तक), और खंड ग (रचनात्मक लेखन)।[2] प्रत्येक खंड में विभिन्न प्रकार के प्रश्न होते हैं जो छात्रों की समझ, विश्लेषण, व्याख्या और अभिव्यक्ति क्षमता का मूल्यांकन करते हैं। मॉडल पेपर में वस्तुनिष्ठ प्रश्न, अति लघु उत्तरीय प्रश्न, लघु उत्तरीय प्रश्न और दीर्घ उत्तरीय प्रश्न सभी शामिल होते हैं।

इस मॉडल प्रश्न पत्र का उद्देश्य छात्रों को परीक्षा के लिए पूर्णतः तैयार करना और उन्हें आत्मविश्वास प्रदान करना है। यहाँ प्रत्येक प्रश्न के साथ विस्तृत उत्तर भी दिए गए हैं जो छात्रों को उत्तर लेखन की कला सिखाते हैं।[3] यह पेपर नवीनतम परीक्षा पैटर्न और CBSE के दिशा-निर्देशों के अनुसार तैयार किया गया है जो शैक्षणिक सत्र 2024-25 के लिए मान्य है।

प्रश्न पत्र की संरचना

कक्षा 10 हिंदी का प्रश्न पत्र CBSE द्वारा निर्धारित नवीनतम परीक्षा पैटर्न के अनुसार तैयार किया जाता है। यह प्रश्न पत्र कुल 80 अंकों का होता है और इसे हल करने के लिए 3 घंटे का समय दिया जाता है।[4] शेष 20 अंक आंतरिक मूल्यांकन के होते हैं जिसमें श्रवण, भाषण, परियोजना कार्य और पोर्टफोलियो शामिल होते हैं। प्रश्न पत्र की संरचना को तीन प्रमुख खंडों में विभाजित किया गया है जो विद्यार्थियों की विभिन्न भाषाई कौशलों का समग्र मूल्यांकन करते हैं।

पहला खंड अपठित बोध और व्याकरण से संबंधित होता है जिसमें गद्यांश, पद्यांश, व्याकरण और रचना के प्रश्न पूछे जाते हैं। दूसरा खंड पाठ्यपुस्तकों पर आधारित होता है जिसमें गद्य, पद्य और पूरक पाठ्यपुस्तक से प्रश्न आते हैं।[5] तीसरा खंड रचनात्मक लेखन से जुड़ा होता है जिसमें पत्र लेखन, निबंध, विज्ञापन, सूचना आदि शामिल होते हैं। यह संरचना छात्रों की पठन, लेखन, विश्लेषण और रचनात्मकता सभी क्षमताओं का परीक्षण करती है।

खंड विषय-वस्तु अंक समय (अनुमानित)
खंड क अपठित गद्यांश, पद्यांश, व्याकरण 20 अंक 45 मिनट
खंड ख पाठ्यपुस्तक (कृतिका, क्षितिज) 40 अंक 75 मिनट
खंड ग रचनात्मक लेखन (पत्र, निबंध, विज्ञापन) 20 अंक 60 मिनट
कुल योग 80 अंक 180 मिनट

खंड-वार विश्लेषण

खंड क में अपठित गद्यांश और पद्यांश का समावेश होता है जो छात्रों की समझ और विश्लेषण क्षमता को परखता है। गद्यांश सामान्यतः 150-200 शब्दों का होता है और उस पर 5-6 प्रश्न आधारित होते हैं।[6] पद्यांश लगभग 100-150 शब्दों का होता है जिस पर 3-4 प्रश्न पूछे जाते हैं। व्याकरण खंड में वाच्य, समास, पद-परिचय, रचना के आधार पर वाक्य भेद जैसे विषय शामिल होते हैं। यह खंड कुल 20 अंकों का होता है और इसमें वस्तुनिष्ठ तथा लघु उत्तरीय दोनों प्रकार के प्रश्न होते हैं।

खंड ख पाठ्यपुस्तकों पर केंद्रित है और यह सबसे महत्वपूर्ण खंड माना जाता है क्योंकि इसमें 40 अंक निर्धारित होते हैं। इसमें क्षितिज भाग-2 (काव्य और गद्य), कृतिका भाग-2 (पूरक पुस्तक), और स्पर्श (कुछ बोर्डों में) से प्रश्न पूछे जाते हैं।[7] काव्य खंड में कविताओं की व्याख्या, भावार्थ, काव्य-सौंदर्य और कवि परिचय से संबंधित प्रश्न होते हैं। गद्य खंड में पाठों की विषय-वस्तु, चरित्र-चित्रण, घटनाओं का क्रम और लेखक के विचारों पर आधारित प्रश्न आते हैं।

पुस्तक का नाम प्रकार पाठों की संख्या अंक आवंटन
क्षितिज भाग-2 (काव्य) कविता संग्रह 10-12 कविताएँ 15 अंक
क्षितिज भाग-2 (गद्य) कहानी, निबंध, संस्मरण 10-12 पाठ 15 अंक
कृतिका भाग-2 पूरक पठन सामग्री 5-6 पाठ 10 अंक
कुल (खंड ख) 40 अंक
देवनागरी लिपि
देवनागरी लिपि जिसमें हिंदी भाषा लिखी जाती है - यह विश्व की प्राचीनतम और वैज्ञानिक लिपियों में से एक है

सामान्य निर्देश

परीक्षा में बैठने से पूर्व छात्रों को प्रश्न पत्र के सामान्य निर्देशों को ध्यानपूर्वक पढ़ना अत्यंत आवश्यक है। ये निर्देश परीक्षा के नियमों, उत्तर लेखन की विधि और अंक विभाजन को स्पष्ट करते हैं।[8] CBSE द्वारा जारी निर्देशों का पालन न करने पर अंक कटौती हो सकती है या उत्तर को अमान्य भी घोषित किया जा सकता है। इसलिए प्रत्येक परीक्षार्थी को इन निर्देशों का कठोरता से पालन करना चाहिए ताकि उनकी मेहनत व्यर्थ न जाए और वे अधिकतम अंक प्राप्त कर सकें।

परीक्षार्थियों के लिए आवश्यक निर्देश:

  1. इस प्रश्न पत्र में तीन खंड हैं - क, ख और ग। सभी खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
  2. प्रश्न पत्र में कुल 18-20 प्रश्न हैं जो विभिन्न अंकों के हैं। प्रत्येक प्रश्न के सामने अंक दिए गए हैं।
  3. प्रश्न पत्र को ध्यानपूर्वक पढ़ें और निर्देशानुसार उत्तर लिखें। उत्तर लिखने से पूर्व प्रश्न क्रमांक अवश्य लिखें।
  4. 15 मिनट का समय प्रश्न पत्र को पढ़ने के लिए दिया जाएगा। इस समय में उत्तर लिखना प्रारंभ नहीं करें।
  5. उत्तर पुस्तिका के प्रथम पृष्ठ पर अपना नाम, अनुक्रमांक, केंद्र का नाम स्पष्ट रूप से लिखें।
  6. उत्तरों में स्वच्छता, सुपाठ्यता और शब्द-सीमा का विशेष ध्यान रखें। निर्धारित शब्द-सीमा से अधिक लिखने पर अंक नहीं दिए जाएंगे।
  7. काव्यांशों की व्याख्या में काव्य-सौंदर्य को अवश्य स्पष्ट करें और गद्यांशों में मुख्य विचारों को रेखांकित करें।
  8. विकल्प वाले प्रश्नों में केवल एक विकल्प का उत्तर दें। दोनों विकल्पों के उत्तर देने पर पहले उत्तर का ही मूल्यांकन होगा।
  9. उत्तर पुस्तिका में किसी प्रकार का ओवर राइटिंग या कटिंग न करें। यदि आवश्यक हो तो एक रेखा खींचकर काट दें।
  10. लेखन कार्य में मौलिकता, तार्किकता और भाषा की शुद्धता का विशेष ध्यान रखें। व्याकरण की त्रुटियों से बचें।

खंड क - अपठित बोध और व्याकरण

खंड क प्रश्न पत्र का प्रथम और महत्वपूर्ण भाग है जो छात्रों की भाषा समझ, विश्लेषण क्षमता और व्याकरणिक ज्ञान का परीक्षण करता है। इस खंड में 20 अंकों के प्रश्न होते हैं जो अपठित गद्यांश, अपठित काव्यांश और व्याकरण से संबंधित होते हैं।[9] अपठित का अर्थ है कि ये अंश पाठ्यपुस्तक में नहीं होते और छात्रों को इन्हें पढ़कर तुरंत समझना और प्रश्नों के उत्तर देने होते हैं। यह खंड छात्रों की स्वतंत्र चिंतन शक्ति, शब्द-भंडार और भाषा पर अधिकार को मापता है।

प्रश्न 1: अपठित गद्यांश (10 अंक)
प्रश्न 1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए: 1×5=5

महात्मा गांधी ने कहा था कि सच्ची शिक्षा वह है जो बालकों की आध्यात्मिक, बौद्धिक और शारीरिक शक्तियों को प्रकाशित और विकसित करती है। शिक्षा का उद्देश्य केवल पुस्तकीय ज्ञान प्राप्त करना नहीं है, बल्कि व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास करना है। आधुनिक युग में शिक्षा की परिभाषा बदल गई है। अब शिक्षा का अर्थ केवल साक्षरता नहीं है, बल्कि यह जीवन जीने की कला सिखाती है। शिक्षा व्यक्ति को समाज का जिम्मेदार नागरिक बनाती है और उसे अपने अधिकारों व कर्तव्यों का ज्ञान कराती है।

भारतीय संस्कृति में शिक्षा को सदैव महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। प्राचीन काल में गुरुकुल प्रणाली थी जहाँ छात्र गुरु के सान्निध्य में रहकर शिक्षा प्राप्त करते थे। वहाँ केवल पुस्तकीय ज्ञान ही नहीं, बल्कि जीवन मूल्यों, संस्कारों और व्यावहारिक कौशल की भी शिक्षा दी जाती थी। आज की शिक्षा प्रणाली में इन मूल्यों की कमी दिखाई देती है। हमें ऐसी शिक्षा प्रणाली विकसित करनी चाहिए जो परंपरा और आधुनिकता का सुंदर समन्वय हो।

(क) महात्मा गांधी के अनुसार सच्ची शिक्षा किसे कहते हैं?

(ख) आधुनिक युग में शिक्षा की परिभाषा कैसे बदल गई है?

(ग) प्राचीन भारत में किस शिक्षा प्रणाली का प्रचलन था?

(घ) गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक दीजिए।

(ङ) 'सर्वांगीण' शब्द का अर्थ लिखिए।

उत्तर:

(क) महात्मा गांधी के अनुसार सच्ची शिक्षा वह है जो बालकों की आध्यात्मिक, बौद्धिक और शारीरिक शक्तियों को प्रकाशित और विकसित करती है। यह शिक्षा व्यक्तित्व का समग्र विकास करती है न कि केवल पुस्तकीय ज्ञान प्रदान करती है।

(ख) आधुनिक युग में शिक्षा की परिभाषा व्यापक हो गई है। अब शिक्षा का अर्थ केवल साक्षरता या पढ़ना-लिखना सीखना नहीं है, बल्कि यह जीवन जीने की कला सिखाती है। यह व्यक्ति को समाज का जिम्मेदार नागरिक बनाती है और उसे अपने अधिकारों व कर्तव्यों का ज्ञान कराती है।

(ग) प्राचीन भारत में गुरुकुल प्रणाली का प्रचलन था। इस प्रणाली में छात्र गुरु के आश्रम में रहकर शिक्षा प्राप्त करते थे। वहाँ उन्हें पुस्तकीय ज्ञान के साथ-साथ जीवन मूल्यों, संस्कारों और व्यावहारिक कौशल की भी शिक्षा दी जाती थी।

(घ) उपयुक्त शीर्षक: "शिक्षा का महत्व" या "सच्ची शिक्षा की परिभाषा" या "शिक्षा और व्यक्तित्व विकास"

(ङ) 'सर्वांगीण' शब्द का अर्थ है - सभी अंगों का, सम्पूर्ण, समग्र या चहुँमुखी विकास। अर्थात् व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक, नैतिक और आध्यात्मिक सभी पक्षों का संतुलित विकास।

प्रश्न 2. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए: 1×5=5

पर्यावरण संरक्षण आज विश्व की सबसे बड़ी चुनौती बन गया है। बढ़ती जनसंख्या, औद्योगीकरण और शहरीकरण के कारण प्रकृति का संतुलन बिगड़ता जा रहा है। वनों की अंधाधुंध कटाई, वायु और जल प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्याओं ने पृथ्वी के अस्तित्व को खतरे में डाल दिया है। जलवायु परिवर्तन के कारण कई प्रजातियाँ विलुप्त हो रही हैं और प्राकृतिक आपदाओं में वृद्धि हो रही है।

पर्यावरण संरक्षण के लिए हम सभी को मिलकर प्रयास करने होंगे। वृक्षारोपण, प्लास्टिक का उपयोग कम करना, जल और ऊर्जा की बचत, सार्वजनिक परिवहन का उपयोग जैसे छोटे-छोटे कदम बड़ा बदलाव ला सकते हैं। प्राचीन भारतीय संस्कृति में प्रकृति को देवता माना जाता था। हमें उसी भावना को पुनर्जीवित करना होगा।

(क) पर्यावरण असंतुलन के प्रमुख कारण क्या हैं?

(ख) जलवायु परिवर्तन के क्या दुष्प्रभाव हैं?

(ग) पर्यावरण संरक्षण के लिए हम क्या कर सकते हैं?

(घ) भारतीय संस्कृति में प्रकृति को किस रूप में देखा जाता था?

(ङ) 'अंधाधुंध' का क्या अर्थ है?

उत्तर:

(क) पर्यावरण असंतुलन के प्रमुख कारण हैं - बढ़ती जनसंख्या, तेजी से बढ़ता औद्योगीकरण और शहरीकरण, वनों की अंधाधुंध कटाई, वायु और जल प्रदूषण, तथा प्राकृतिक संसाधनों का अनियंत्रित दोहन।

(ख) जलवायु परिवर्तन के कारण कई पादप और जीव प्रजातियाँ विलुप्त हो रही हैं। प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़, सूखा, चक्रवात आदि में वृद्धि हो रही है। ग्लेशियर पिघल रहे हैं, समुद्र का जल स्तर बढ़ रहा है और तापमान में अनियमित परिवर्तन हो रहे हैं जो पृथ्वी के अस्तित्व के लिए खतरा हैं।

(ग) पर्यावरण संरक्षण के लिए हम निम्नलिखित कार्य कर सकते हैं:

  • अधिक से अधिक वृक्षारोपण करना
  • प्लास्टिक के उपयोग को कम करना या बंद करना
  • जल और ऊर्जा की बचत करना
  • सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करना
  • पुनः उपयोग और पुनर्चक्रण को बढ़ावा देना

(घ) प्राचीन भारतीय संस्कृति में प्रकृति को देवता के रूप में देखा जाता था। नदियों, पर्वतों, वृक्षों और पंचतत्वों की पूजा की जाती थी। प्रकृति के प्रति श्रद्धा और आदर का भाव था तथा इसे जीवनदायिनी माना जाता था।

(ङ) 'अंधाधुंध' शब्द का अर्थ है - बिना सोचे-समझे, अनियंत्रित रूप से, लगातार बिना रुके, या बेतरतीब ढंग से। इसका प्रयोग किसी कार्य को बिना विवेक के करने के संदर्भ में होता है।

प्रश्न 3: अपठित काव्यांश (5 अंक)
प्रश्न 3. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखिए: 1×5=5
जीवन में यदि कुछ पाना है,
संघर्षों से नहीं घबराना है।
मुश्किलें आएँ तो मुस्काना है,
हर चुनौती को अवसर बनाना है।

असफलता से सीखना है सदा,
गिरकर फिर उठना है सदा।
धैर्य और विश्वास का साथ रखो,
मंजिल तक पहुँचने का हौसला रखो।

कर्म करो, फल की चिंता न करो,
निराशा के अंधकार में न खो।
आत्मविश्वास से भरा मन रखो,
सफलता निश्चित तुम्हारे कदम चूमेगी।

(क) कवि जीवन में क्या संदेश देना चाहता है?

(ख) मुश्किलों का सामना कैसे करना चाहिए?

(ग) सफलता प्राप्त करने के लिए क्या आवश्यक है?

(घ) काव्यांश का उपयुक्त शीर्षक दीजिए।

(ङ) 'मंजिल' शब्द का अर्थ लिखिए।

उत्तर:

(क) कवि जीवन में संघर्ष, धैर्य और आत्मविश्वास का संदेश देना चाहता है। वह कहता है कि जीवन में कुछ पाने के लिए संघर्षों से नहीं घबराना चाहिए। हर मुश्किल को अवसर समझना चाहिए और असफलता से सीखकर आगे बढ़ना चाहिए।

(ख) मुश्किलों का सामना मुस्कुराते हुए करना चाहिए। हर चुनौती को एक अवसर के रूप में देखना चाहिए। असफल होने पर निराश नहीं होना चाहिए बल्कि उससे सीखकर पुनः प्रयास करना चाहिए। धैर्य और विश्वास के साथ आगे बढ़ना चाहिए।

(ग) सफलता प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित गुण आवश्यक हैं:

  • निरंतर कर्म करना और फल की चिंता न करना
  • आत्मविश्वास और धैर्य बनाए रखना
  • असफलता से सीखने की क्षमता
  • संघर्षों से न घबराना
  • सकारात्मक सोच और दृढ़ संकल्प

(घ) उपयुक्त शीर्षक: "संघर्ष और सफलता" या "जीवन का मंत्र" या "कर्मयोगी बनो" या "धैर्य और विश्वास"

(ङ) 'मंजिल' शब्द का अर्थ है - लक्ष्य, गंतव्य, उद्देश्य या जिस स्थान तक पहुँचना है। काव्यांश में इसका अर्थ जीवन का लक्ष्य या उद्देश्य है।

प्रश्न 4-5: व्याकरण (5 अंक)
प्रश्न 4. निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए: 1×2=2

(क) 'राम ने रावण को मारा' - इस वाक्य को कर्मवाच्य में बदलिए।

(ख) 'धर्मशाला' में कौन-सा समास है? समास-विग्रह कीजिए।

(ग) 'वह धीरे-धीरे चलता है' - रचना के आधार पर वाक्य-भेद बताइए।

उत्तर:

(क) कर्मवाच्य: "राम के द्वारा रावण मारा गया।"
स्पष्टीकरण: कर्तृवाच्य में कर्ता प्रधान होता है जबकि कर्मवाच्य में कर्म प्रधान होता है। यहाँ 'रावण' (कर्म) को कर्ता बनाया गया और क्रिया को कर्म के अनुसार बदला गया।

(ख) समास: तत्पुरुष समास
समास-विग्रह: धर्म के लिए शाला (संप्रदान तत्पुरुष)
स्पष्टीकरण: तत्पुरुष समास में दूसरा पद प्रधान होता है और पहले पद के साथ कोई विभक्ति (कारक चिह्न) छिपी होती है। यहाँ 'के लिए' विभक्ति छिपी है।

(ग) रचना के आधार पर: सरल वाक्य
स्पष्टीकरण: इस वाक्य में केवल एक उद्देश्य ('वह') और एक विधेय ('धीरे-धीरे चलता है') है, इसलिए यह सरल वाक्य है। इसमें कोई आश्रित उपवाक्य नहीं है।

प्रश्न 5. निम्नलिखित वाक्यों में से किसी एक का पद-परिचय कीजिए: 3

(क) सुरेश धीरे-धीरे चलता है।

(ख) राम और श्याम विद्यालय जाते हैं।

उत्तर:

(क) "सुरेश धीरे-धीरे चलता है।" का पद-परिचय:

पद पद-परिचय
सुरेश व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्ताकारक, 'चलता है' क्रिया का कर्ता
धीरे-धीरे रीतिवाचक क्रियाविशेषण, 'चलता है' क्रिया की विशेषता बता रहा है
चलता है अकर्मक क्रिया, पुल्लिंग, एकवचन, वर्तमान काल, कर्तृवाच्य, 'सुरेश' कर्ता से संबंधित

(ख) "राम और श्याम विद्यालय जाते हैं।" का पद-परिचय:

पद पद-परिचय
राम व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्ताकारक, 'जाते हैं' क्रिया का कर्ता
और समुच्चयबोधक अव्यय, 'राम' और 'श्याम' को जोड़ रहा है
श्याम व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्ताकारक, 'जाते हैं' क्रिया का कर्ता
विद्यालय जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्मकारक, 'जाते हैं' क्रिया का कर्म
जाते हैं अकर्मक क्रिया, पुल्लिंग, बहुवचन, वर्तमान काल, कर्तृवाच्य, 'राम और श्याम' कर्ता से संबंधित

खंड ख - पाठ्यपुस्तक और पूरक पुस्तक

खंड ख प्रश्न पत्र का सबसे महत्वपूर्ण और व्यापक भाग है जिसमें 40 अंकों के प्रश्न निर्धारित होते हैं। यह खंड तीन मुख्य पुस्तकों - क्षितिज भाग-2 (काव्य और गद्य), कृतिका भाग-2 (पूरक पाठ्यपुस्तक) से प्रश्न प्रस्तुत करता है।[10] इस खंड में काव्य-बोध, गद्य-विश्लेषण, पात्र-चरित्र, भाषा-शैली, मूल्य-आधारित प्रश्न तथा रचनात्मक अभिव्यक्ति से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं। छात्रों को पाठों की गहन समझ, व्याख्या कौशल और साहित्यिक विश्लेषण की क्षमता प्रदर्शित करनी होती है।

पुस्तक विधा प्रमुख पाठ/कविताएँ अंक
क्षितिज (काव्य) कविता, छंद सूरदास, तुलसीदास, देव, जयशंकर प्रसाद, सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला', नागार्जुन, मंगलेश डबराल 15
क्षितिज (गद्य) कहानी, संस्मरण, निबंध माता का अंचल, नेताजी का चश्मा, बालगोबिन भगत, लखनवी अंदाज, मानवीय करुणा कीदि व्य चमक 15
कृतिका (पूरक) कहानी, संस्मरण माता का अंचल, जॉर्ज पंचम की नाक, साना साना हाथ जोड़ि, मैं क्यों लिखता हूँ 10
प्रश्न 6-7: काव्य खंड (क्षितिज भाग-2)
प्रश्न 6. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए: 2+2+1=5
मैया मोरी मैं नहिं माखन खायो।
भोर भयो गैयन के पाछे मधुबन मोहि पठायो।
चार पहर बंसीबट भटकत साँझ परे घर आयो।
माखन रोटी दै तू छाछि पियावति भूख न जायो॥
ऊँचे चढ़ि मटकी भाँति नीके ढारति दही जमायो।
तू मोहि चोर-चोर चिल्लावति तू क्यों नहीं खायो।
सूरदास प्रभु गिरिधर नागर यह सब जानि बुझायो॥

(क) कृष्ण ने अपनी माता से क्या शिकायत की है? (2 अंक)

(ख) "तू मोहि चोर-चोर चिल्लावति" - इस पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए। (2 अंक)

(ग) काव्यांश में बालक कृष्ण का कौन-सा गुण उभरकर आया है? (1 अंक)

उत्तर:

(क) बालक कृष्ण ने अपनी माता यशोदा से यह शिकायत की है कि उन्होंने माखन नहीं खाया है। वे कहते हैं कि माता ने सुबह से ही उन्हें गायों के पीछे मधुवन में भेज दिया जहाँ वे दिन भर वंशीवट में भटकते रहे और शाम को भूखे घर लौटे। माता ने उन्हें सूखी रोटी और छाछ दी जिससे उनकी भूख नहीं मिटी। फिर भी माता उन्हें चोर कहकर पुकारती है। बालक कृष्ण निर्दोष होने का दावा करते हुए कहते हैं कि दही की मटकी इतनी ऊँचाई पर रखी है कि वे उस तक पहुँच ही नहीं सकते।

(ख) इस पंक्ति में बालक कृष्ण अपनी माता यशोदा से कहते हैं कि आप मुझे चोर-चोर कहकर पुकारती हैं, लेकिन यदि मैंने माखन चोरी किया होता तो आपने स्वयं क्यों नहीं खाया? इसमें बालक की मासूमियत और चतुराई दोनों प्रकट होती है। वह अपनी माता से प्रश्न करके अपने को निर्दोष सिद्ध करने का प्रयास कर रहा है। यह पंक्ति वात्सल्य रस से ओत-प्रोत है और बाल-सुलभ तर्क को दर्शाती है।

(ग) काव्यांश में बालक कृष्ण की चतुराई, मासूमियत और बाल-सुलभता का गुण उभरकर आया है। वे अपनी माता से तर्क-वितर्क करते हुए स्वयं को निर्दोष साबित करने का प्रयास कर रहे हैं जो बच्चों का स्वाभाविक गुण है।

प्रश्न 7. निम्नलिखित में से किसी एक प्रश्न का उत्तर दीजिए: 3

(क) 'आत्मकथ्य' कविता में कवि ने अपने जीवन के किन अनुभवों को व्यक्त किया है?

(ख) 'उत्साह' कविता में बादलों का आह्वान क्यों किया गया है?

उत्तर:

(क) 'आत्मकथ्य' कविता में कवि के जीवन अनुभव:

'आत्मकथ्य' कविता में कवि जयशंकर प्रसाद ने अपने जीवन के विविध अनुभवों को व्यक्त किया है। कवि बताते हैं कि उनका जीवन संघर्षों, पीड़ाओं और निराशाओं से भरा रहा है। उन्होंने अपने जीवन में अनेक कष्ट सहे हैं परंतु फिर भी आशा और उत्साह का दामन नहीं छोड़ा। कवि ने अपने आंतरिक द्वंद्व, भावनात्मक उतार-चढ़ाव और जीवन की कटु सच्चाइयों का सामना करने के अनुभवों को साझा किया है।

कवि कहते हैं कि उन्होंने प्रेम और विरह दोनों को जाना है। जीवन में सुख-दुख, हर्ष-विषाद सभी का अनुभव किया है। वे अपने जीवन को एक खुली किताब की तरह मानते हैं जिसमें कोई छिपाव नहीं है। कविता में व्यक्तिगत अनुभवों के साथ-साथ सामाजिक यथार्थ की भी झलक मिलती है। कवि ने अपनी संवेदनशीलता, कोमलता और दृढ़ता को भी व्यक्त किया है।

(ख) 'उत्साह' कविता में बादलों का आह्वान:

'उत्साह' कविता में कवि सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' ने बादलों का आह्वान इसलिए किया है क्योंकि वे बादलों को परिवर्तन और क्रांति का प्रतीक मानते हैं। बादल नवीनता, ताजगी और जीवन लाते हैं। कवि चाहते हैं कि बादल आकर इस तप्त और शुष्क धरती को शीतलता प्रदान करें। बादलों की गर्जना में कवि को शक्ति और साहस का संचार दिखाई देता है।

कविता में बादल केवल प्राकृतिक घटना नहीं है बल्कि सामाजिक परिवर्तन और क्रांति के प्रतीक हैं। कवि चाहते हैं कि जैसे बादल आकर गर्मी और सूखे को समाप्त करते हैं, वैसे ही समाज में व्याप्त कुरीतियों, अन्याय और शोषण को भी समाप्त किया जाए। बादलों की गर्जना में कवि को नवीन चेतना और जागृति का स्वर सुनाई देता है। इसलिए कवि बादलों से आग्रह करते हैं कि वे तीव्र गति से आएं और धरती को नवजीवन प्रदान करें।

प्रश्न 8-10: गद्य खंड (क्षितिज भाग-2)
प्रश्न 8. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए: 2+2+1=5

"हालदार साहब को मूर्ति लगाने का शौक तो नहीं था, लेकिन नेताजी की मूर्ति को बार-बार देखने की उन्हें ललक अवश्य थी। कस्बे की मुख्य सड़क पर ही नेताजी सुभाषचंद्र बोस की एक संगमरमर की प्रतिमा लगी थी। एक बार जब हालदार साहब उस कस्बे से गुज़रे तो उन्होंने देखा कि मूर्ति की आँखों पर सचमुच का चश्मा लगा हुआ है।"

(क) हालदार साहब को नेताजी की मूर्ति देखने की ललक क्यों थी? (2 अंक)

(ख) मूर्ति पर सचमुच का चश्मा देखकर हालदार साहब को क्या अनुभव हुआ? (2 अंक)

(ग) इस कहानी का मुख्य संदेश क्या है? (1 अंक)

उत्तर:

(क) हालदार साहब को नेताजी की मूर्ति देखने की ललक इसलिए थी क्योंकि उन्हें नेताजी सुभाषचंद्र बोस के प्रति अत्यधिक श्रद्धा और सम्मान था। वे एक देशभक्त व्यक्ति थे जो स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान करते थे। उन्हें यह देखना अच्छा लगता था कि छोटे कस्बों में भी नेताजी जैसे महान व्यक्तित्व को याद रखा जाता है। मूर्ति देखना उनके लिए देशभक्ति और राष्ट्रीय गौरव को महसूस करने का एक माध्यम था।

(ख) मूर्ति पर सचमुच का चश्मा देखकर हालदार साहब को आश्चर्य और प्रसन्नता दोनों का अनुभव हुआ। उन्हें यह देखकर खुशी हुई कि कस्बे में कोई ऐसा व्यक्ति है जो नेताजी के सम्मान का ध्यान रखता है और उनकी मूर्ति को यथार्थवादी बनाने का प्रयास करता है। यह घटना उन्हें मार्मिक लगी क्योंकि इसमें सामान्य नागरिकों की देशभक्ति और संवेदनशीलता की झलक मिलती थी। उन्हें लगा कि अभी भी समाज में ऐसे लोग हैं जो राष्ट्रीय नायकों का सम्मान करते हैं।

(ग) इस कहानी का मुख्य संदेश है कि सच्ची देशभक्ति दिखावे में नहीं बल्कि छोटे-छोटे कार्यों में निहित होती है। कैप्टन चश्मेवाला जैसे सामान्य व्यक्ति की संवेदनशीलता और राष्ट्रीय नायकों के प्रति सम्मान का भाव समाज में आदर्श स्थापित करता है।

प्रश्न 9. 'बालगोबिन भगत' के चरित्र की किन्हीं तीन विशेषताओं का उल्लेख कीजिए। 3
उत्तर:

बालगोबिन भगत के चरित्र की प्रमुख विशेषताएँ:

1. धार्मिक और आध्यात्मिक व्यक्तित्व: बालगोबिन भगत एक सच्चे कबीरपंथी साधु थे। वे कबीर के पदों और भजनों का गायन करते थे और उनके सिद्धांतों पर चलते थे। उनका जीवन अत्यंत सादा और नियमित था। वे प्रतिदिन गंगा स्नान करते, पूजा-पाठ करते और कबीर के दोहों का गायन करते थे। उनका जीवन आध्यात्मिकता से परिपूर्ण था।

2. सामाजिक रूढ़ियों का विरोध: बालगोबिन भगत रूढ़िवादी परंपराओं के विरोधी थे। जब उनके बेटे की मृत्यु हुई तो उन्होंने विधवा बहू को श्वेत वस्त्र पहनाए और उसका पुनर्विवाह करवा दिया। यह उस समय की सामाजिक व्यवस्था के विरुद्ध था लेकिन उन्होंने साहस के साथ इस कदम को उठाया। वे मानवीय मूल्यों में विश्वास करते थे न कि पुरानी परंपराओं में।

3. कर्मठता और स्वावलंबन: भगत जी अत्यंत परिश्रमी और आत्मनिर्भर व्यक्ति थे। वे अपने खेतों में स्वयं काम करते थे और जो उपज होती थी उसे कबीर के मंदिर में समर्पित कर देते थे। वे किसी पर आश्रित नहीं थे और अपना जीवन-यापन स्वयं के श्रम से करते थे। उनका जीवन सादगी, ईमानदारी और मेहनत का प्रतीक था।

प्रश्न 10. 'लखनवी अंदाज़' कहानी में लेखक ने किस सामाजिक वर्ग की आलोचना की है? स्पष्ट कीजिए। 4
उत्तर:

'लखनवी अंदाज़' कहानी में लेखक यशपाल ने उस सामाजिक वर्ग की तीखी आलोचना की है जो दिखावे, नाटकीयता और खोखली शान-शौकत में विश्वास करता है। यह कहानी नवाबी संस्कृति के पतन और उस वर्ग की कृत्रिमता को उजागर करती है जो वास्तविकता से कटकर केवल दिखावे में जीता है।

प्रमुख आलोचनात्मक बिंदु:

1. खोखला दिखावा: कहानी का नवाब सिर्फ दिखावे में विश्वास करता है। वह खीरे खरीदता है लेकिन उन्हें खाता नहीं, बल्कि केवल उनकी खुशबू सूंघकर खिड़की से फेंक देता है। यह दिखावटी जीवन शैली और व्यर्थ की आडंबरप्रियता को दर्शाता है। लेखक इस प्रकार के व्यवहार की आलोचना करते हैं।

2. परजीवी प्रवृत्ति: नवाब अपनी बातों में लेखक को भी शामिल करने का प्रयास करता है जबकि खीरे उसने अकेले खरीदे हैं। वह चाहता है कि लेखक भी उसकी नाटकीयता का हिस्सा बने। यह दर्शाता है कि यह वर्ग दूसरों को भी अपनी व्यर्थता में घसीटना चाहता है।

3. आर्थिक विसंगति: लेखक ने यह भी दिखाया है कि यह वर्ग आर्थिक रूप से कमजोर होते हुए भी नवाबी ठाठ-बाट बनाए रखना चाहता है। खीरे खरीदना और फिर उन्हें फेंक देना संसाधनों की बर्बादी है जो उनकी आर्थिक अव्यवहारिकता को दर्शाता है।

निष्कर्ष: लेखक ने इस कहानी के माध्यम से उस सामंती वर्ग पर व्यंग्य किया है जो आधुनिक युग में अप्रासंगिक हो चुका है लेकिन अभी भी पुरानी जीवन-शैली को ढोए जा रहा है। यह वर्ग न तो उत्पादक है और न ही समाज के लिए उपयोगी, केवल बीते हुए गौरव की यादों में जीता है।

प्रश्न 11-12: पूरक पुस्तक (कृतिका भाग-2)
प्रश्न 11. 'माता का अंचल' पाठ के आधार पर बताइए कि बच्चों के लिए माँ का अंचल क्यों महत्वपूर्ण है? 3
उत्तर:

'माता का अंचल' पाठ में लेखक शिवपूजन सहाय ने बच्चों के लिए माँ के अंचल के महत्व को बड़ी संवेदनशीलता से प्रस्तुत किया है। माँ का अंचल बच्चों के लिए निम्नलिखित कारणों से महत्वपूर्ण है:

1. सुरक्षा का केंद्र: माँ का अंचल बच्चों के लिए सबसे सुरक्षित स्थान होता है। जब भी बच्चे डर जाते हैं, किसी मुसीबत में फंस जाते हैं या किसी से डाँट खाते हैं तो वे माँ के अंचल में छिपकर सुरक्षा महसूस करते हैं। यह उनके लिए संसार का सबसे सुरक्षित आश्रय है।

2. भावनात्मक लगाव: माँ का अंचल बच्चों के साथ गहरी भावनात्मक जुड़ाव को दर्शाता है। यह प्रेम, स्नेह और वात्सल्य का प्रतीक है। बच्चे माँ के अंचल में अपनापन, गर्माहट और असीम प्यार महसूस करते हैं। यहाँ उन्हें किसी प्रकार का भय नहीं होता।

3. जीवन का प्रथम पाठशाला: माँ का अंचल बच्चों के लिए पहली पाठशाला है जहाँ वे जीवन के प्रारंभिक पाठ सीखते हैं। माँ की गोद में बच्चे संस्कार, मूल्य और जीवन के बुनियादी सिद्धांत सीखते हैं। यह उनके व्यक्तित्व निर्माण का प्रथम चरण है।

प्रश्न 12. 'साना साना हाथ जोड़ि' यात्रा-वृत्तांत के आधार पर लेखिका के प्रकृति-प्रेम को दर्शाते हुए किन्हीं तीन दृश्यों का उल्लेख कीजिए। 4
उत्तर:

मधु कांकरिया द्वारा लिखित 'साना साना हाथ जोड़ि' एक मनोरम यात्रा-वृत्तांत है जो सिक्किम की यात्रा के दौरान देखे गए प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन करता है। लेखिका का प्रकृति-प्रेम निम्नलिखित दृश्यों में स्पष्ट रूप से उभरकर आता है:

1. कटाओ के जंगलों का मनमोहक दृश्य: लेखिका ने कटाओ के घने जंगलों का अत्यंत सुंदर वर्णन किया है। रास्ते में दिखने वाले रोडोडेंड्रन के लाल फूल, देवदार और चीड़ के वृक्ष, रंग-बिरंगे फूल और हरियाली ने लेखिका को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने प्रकृति की इस अद्भुत छटा को देखकर ईश्वर को धन्यवाद दिया और प्रकृति के इस वैभव के सामने नतमस्तक हो गईं।

2. युमथांग घाटी का अलौकिक सौंदर्य: युमथांग घाटी को देखकर लेखिका भावविभोर हो गईं। बर्फ से ढकी पहाड़ियाँ, साफ नीला आकाश, सफेद बादल और घाटी की प्राकृतिक सुंदरता देखकर लेखिका को लगा कि वे स्वर्ग में पहुँच गई हैं। उन्होंने इस दृश्य की तुलना किसी स्वप्नलोक से की और कहा कि यह दृश्य शब्दों में वर्णित नहीं किया जा सकता।

3. पहाड़ी झरनों और नदियों का संगीत: यात्रा के दौरान लेखिका ने पहाड़ों से गिरते झरनों और बहती नदियों को बड़े ध्यान से देखा और सुना। उन्हें झरनों की कलकल ध्वनि में प्रकृति का संगीत सुनाई दिया। उन्होंने लिखा है कि यह संगीत किसी भी कृत्रिम संगीत से अधिक मधुर और मन को शांति देने वाला था। इन जल-स्रोतों को देखकर लेखिका को प्रकृति की उदारता और जीवनदायी शक्ति का अनुभव हुआ।

इन सभी दृश्यों के माध्यम से लेखिका का गहरा प्रकृति-प्रेम और प्राकृतिक सौंदर्य के प्रति उनकी संवेदनशीलता स्पष्ट होती है।

भारतीय विद्यार्थी
भारतीय विद्यालय में अध्ययनरत छात्र - शिक्षा प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार है

खंड ग - रचनात्मक लेखन

खंड ग प्रश्न पत्र का तीसरा और अंतिम खंड है जो छात्रों की रचनात्मक लेखन क्षमता, भाषा कौशल और अभिव्यक्ति शक्ति का मूल्यांकन करता है। इस खंड में 20 अंकों के प्रश्न होते हैं जो पत्र-लेखन, निबंध-लेखन, विज्ञापन, सूचना-लेखन, संदेश-लेखन आदि विषयों पर आधारित होते हैं।[11] यह खंड छात्रों की मौलिकता, भाषा शुद्धता, विचार-संगठन और प्रस्तुतीकरण की क्षमता को परखता है। रचनात्मक लेखन में स्वच्छता, सुपाठ्यता और शब्द-सीमा का विशेष महत्व होता है।

लेखन प्रकार शब्द-सीमा अंक प्रमुख बिंदु
पत्र लेखन 100-120 शब्द 5 अंक औपचारिक/अनौपचारिक, प्रारूप, स्पष्टता
निबंध लेखन 150-200 शब्द 10 अंक भूमिका, विषय-विस्तार, उपसंहार
विज्ञापन/सूचना 50-80 शब्द 5 अंक संक्षिप्तता, आकर्षकता, स्पष्टता
प्रश्न 13: पत्र लेखन (5 अंक)
प्रश्न 13. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर पत्र लिखिए: 5

(क) अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को खेल सामग्री की व्यवस्था के लिए प्रार्थना-पत्र लिखिए।

(ख) अपने मित्र को पत्र लिखकर हिंदी दिवस समारोह का वर्णन कीजिए।

उत्तर (क):

परीक्षा भवन,
नई दिल्ली।
दिनांक: 15 अक्टूबर, 2024

सेवा में,
श्रीमान प्रधानाचार्य महोदय,
राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय,
नई दिल्ली।

विषय: विद्यालय में खेल सामग्री की व्यवस्था हेतु प्रार्थना-पत्र।

महोदय,

सविनय निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय का कक्षा 10वीं का छात्र हूँ। मैं आपका ध्यान विद्यालय में खेल सामग्री की कमी की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ।

हमारे विद्यालय में खेल-कूद के लिए उचित सामग्री उपलब्ध नहीं है। क्रिकेट, फुटबॉल, वॉलीबॉल और बैडमिंटन जैसे खेलों के लिए आवश्यक उपकरण या तो हैं ही नहीं या बहुत पुराने हो चुके हैं। इसके कारण छात्र खेल-कूद में रुचि नहीं ले पा रहे हैं और उनका शारीरिक विकास प्रभावित हो रहा है।

अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि आप विद्यालय के लिए नई खेल सामग्री की व्यवस्था करने की कृपा करें। इससे छात्रों का सर्वांगीण विकास होगा और विद्यालय का नाम भी खेल प्रतियोगिताओं में रोशन होगा।

सधन्यवाद।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
क. ख. ग.
कक्षा - 10वीं 'अ'
अनुक्रमांक - 12345

उत्तर (ख):

123, विकास नगर,
नई दिल्ली-110018।
दिनांक: 16 सितंबर, 2024

प्रिय मित्र राहुल,
सप्रेम नमस्ते।

आशा है तुम स्वस्थ और प्रसन्न होगे। मैं यहाँ कुशलपूर्वक हूँ। मैं तुम्हें अपने विद्यालय में मनाए गए हिंदी दिवस समारोह के बारे में बताना चाहता हूँ।

14 सितंबर को हमारे विद्यालय में हिंदी दिवस अत्यंत उत्साह और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर विद्यालय को रंग-बिरंगे फूलों और झंडियों से सजाया गया था। सबसे पहले प्रधानाचार्य महोदय ने महात्मा गांधी और राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन के चित्रों पर माल्यार्पण किया।

इसके बाद विभिन्न प्रतियोगिताएँ आयोजित की गईं - हिंदी निबंध लेखन, कविता पाठ, भाषण और नाटक प्रतियोगिता। मैंने निबंध प्रतियोगिता में भाग लिया और द्वितीय स्थान प्राप्त किया। प्रधानाचार्य जी ने हिंदी भाषा के महत्व पर प्रेरक भाषण दिया। उन्होंने कहा कि हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है और हमें इस पर गर्व होना चाहिए।

समारोह का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ। सभी छात्रों और शिक्षकों को प्रसाद वितरित किया गया। यह एक यादगार दिन था। काश तुम भी यहाँ होते!

अपने माता-पिता को मेरा प्रणाम कहना। पत्र का उत्तर शीघ्र देना।

तुम्हारा अभिन्न मित्र,
अमित कुमार

प्रश्न 14: निबंध लेखन (10 अंक)
प्रश्न 14. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर निबंध लिखिए (लगभग 150-200 शब्दों में): 10

(क) डिजिटल इंडिया: लाभ और चुनौतियाँ

(ख) जीवन में खेलों का महत्व

(ग) स्वच्छ भारत: एक सामूहिक दायित्व

उत्तर (क): डिजिटल इंडिया: लाभ और चुनौतियाँ

भूमिका: डिजिटल इंडिया भारत सरकार द्वारा प्रारंभ की गई एक महत्वाकांक्षी योजना है जिसका उद्देश्य देश को डिजिटल रूप से सशक्त बनाना है। इस अभियान के तहत सभी सरकारी सेवाओं को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से नागरिकों तक पहुँचाने का लक्ष्य रखा गया है। यह 21वीं सदी के भारत की एक नई पहचान बन रहा है।

डिजिटल इंडिया के लाभ: डिजिटल इंडिया के अनेक लाभ हैं। सबसे बड़ा लाभ यह है कि सरकारी सेवाएँ अब घर बैठे उपलब्ध हो रही हैं। ऑनलाइन बैंकिंग, डिजिटल भुगतान, ई-गवर्नेंस और ऑनलाइन शिक्षा ने जीवन को सरल बना दिया है। किसानों को मौसम की जानकारी, बाजार भाव और कृषि संबंधी सलाह डिजिटल माध्यम से मिल रही है। व्यापार में पारदर्शिता आई है और भ्रष्टाचार में कमी आई है।

चुनौतियाँ: डिजिटल इंडिया की राह में कुछ चुनौतियाँ भी हैं। सबसे बड़ी चुनौती डिजिटल विभाजन है - शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट की उपलब्धता में भारी अंतर है। साइबर अपराध, डेटा चोरी और ऑनलाइन धोखाधड़ी की घटनाएँ बढ़ रही हैं। बुजुर्ग और अशिक्षित लोगों के लिए डिजिटल तकनीक का उपयोग कठिन है। डिजिटल साक्षरता की कमी भी एक बड़ी समस्या है।

समाधान: इन चुनौतियों से निपटने के लिए डिजिटल साक्षरता कार्यक्रम चलाने होंगे। ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट की पहुँच बढ़ानी होगी। साइबर सुरक्षा कानूनों को और सख्त बनाना होगा। सभी वर्गों के लिए डिजिटल सेवाओं को सरल और सुलभ बनाना होगा।

उपसंहार: डिजिटल इंडिया एक सकारात्मक पहल है जो देश को विकास की नई ऊँचाइयों पर ले जा सकती है। यदि चुनौतियों का समाधान किया जाए तो यह योजना भारत को विश्व में एक अग्रणी डिजिटल शक्ति बना सकती है। हम सभी को इस अभियान में सहयोग करना चाहिए।

उत्तर (ख): जीवन में खेलों का महत्व

भूमिका: खेल मानव जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग है। प्राचीन काल से ही मनुष्य विभिन्न प्रकार के खेलों में रुचि लेता आया है। खेल केवल मनोरंजन का साधन ही नहीं हैं बल्कि व्यक्तित्व विकास और चरित्र निर्माण में भी सहायक हैं। स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है और यह खेलों द्वारा ही संभव है।

शारीरिक विकास: खेल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। नियमित खेलने से शरीर स्वस्थ और मजबूत बनता है। मांसपेशियाँ सुदृढ़ होती हैं और हड्डियाँ मजबूत होती हैं। खेलों से रक्त संचार बढ़ता है, पाचन तंत्र सुधरता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। आजकल के बच्चे मोबाइल और कंप्यूटर में व्यस्त रहते हैं जिससे मोटापा और अन्य बीमारियाँ बढ़ रही हैं। खेल इन समस्याओं का समाधान हैं।

मानसिक विकास: खेल केवल शारीरिक विकास ही नहीं बल्कि मानसिक विकास में भी सहायक हैं। खेलने से तनाव कम होता है, मन प्रसन्न रहता है और एकाग्रता बढ़ती है। खेल बुद्धि को तीव्र बनाते हैं और निर्णय लेने की क्षमता विकसित करते हैं। खेलों में तुरंत निर्णय लेना पड़ता है जिससे दिमाग तेज होता है।

चरित्र निर्माण: खेल चरित्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। खेलों से अनुशासन, समय की पाबंदी, टीम भावना और सहयोग की भावना विकसित होती है। हार-जीत को सहजता से स्वीकार करना, नियमों का पालन करना और खेल भावना बनाए रखना जीवन के महत्वपूर्ण गुण हैं जो खेलों से सीखे जाते हैं।

सामाजिक लाभ: खेल सामाजिक एकता को बढ़ावा देते हैं। विभिन्न पृष्ठभूमि के लोग खेलों में एक साथ आते हैं। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताएँ देशों के बीच मैत्री और सद्भावना बढ़ाती हैं। खेल युवाओं को नशे और अपराध से दूर रखते हैं।

उपसंहार: खेल जीवन का अभिन्न अंग हैं। छात्रों को पढ़ाई के साथ-साथ खेलों में भी भाग लेना चाहिए। सरकार और अभिभावकों को खेल सुविधाओं का विकास करना चाहिए। "All work and no play makes Jack a dull boy" यह कहावत सत्य है। संतुलित जीवन के लिए खेल अनिवार्य हैं।

प्रश्न 15: विज्ञापन लेखन (5 अंक)
प्रश्न 15. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए: 5

(क) अपनी पुस्तकों की दुकान के लिए विज्ञापन

(ख) जल संरक्षण पर जागरूकता विज्ञापन

उत्तर (क):

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उत्तर (ख):

💧 जल है तो कल है 💧

⚠️ जल संकट से बचें - आज ही संरक्षण करें ⚠️

क्या आप जानते हैं?

• पृथ्वी पर केवल 1% जल पीने योग्य है

• एक टपकता नल 1 महीने में 3000 लीटर जल बर्बाद करता है

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जल बचाने के उपाय:

✓ नल बंद रखें, बूंद-बूंद बचाएं

✓ वर्षा जल संचयन करें

✓ जल का पुनः उपयोग करें

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"जल बचाओ, जीवन बचाओ"

- जल संरक्षण अभियान, भारत सरकार

अंक विभाजन योजना

CBSE द्वारा कक्षा 10 हिंदी विषय के लिए एक सुनिर्धारित अंक विभाजन योजना तैयार की गई है जो परीक्षकों को उत्तर मूल्यांकन में मार्गदर्शन प्रदान करती है। इस योजना के अनुसार विभिन्न प्रकार के प्रश्नों के लिए अंक निर्धारित किए गए हैं।[12] अंक विभाजन में विषय-वस्तु, भाषा, प्रस्तुतीकरण और मौलिकता सभी पहलुओं का ध्यान रखा जाता है। छात्रों को अधिकतम अंक प्राप्त करने के लिए सभी मानदंडों को पूरा करना आवश्यक है।

प्रश्न प्रकार अंक वितरण मूल्यांकन बिंदु
अपठित गद्यांश (5 प्रश्न) 1+1+1+1+1 = 5 समझ, विश्लेषण, शब्दार्थ
काव्यांश व्याख्या भाव (2) + काव्य-सौंदर्य (2) + लक्षण (1) = 5 भाव-बोध, अलंकार, रस, छंद
पाठ्यपुस्तक (लघु उत्तरीय) 3 अंक प्रति प्रश्न विषय-वस्तु (2) + भाषा (1)
पाठ्यपुस्तक (दीर्घ उत्तरीय) 4-5 अंक प्रति प्रश्न विषय (3) + भाषा (1) + प्रस्तुति (1)
पत्र लेखन प्रारूप (1) + विषय (3) + भाषा (1) = 5 आरंभ, मध्य, अंत, भाषा-शुद्धता
निबंध लेखन विषय (5) + भाषा (3) + प्रस्तुति (2) = 10 भूमिका, विस्तार, उपसंहार, मौलिकता
विज्ञापन/सूचना विषय (3) + प्रारूप (1) + भाषा (1) = 5 आकर्षकता, संक्षिप्तता, स्पष्टता

उत्तर मूल्यांकन के मानदंड

परीक्षक निम्नलिखित मानदंडों के आधार पर उत्तरों का मूल्यांकन करते हैं। छात्रों को इन मानदंडों का ध्यान रखते हुए उत्तर लिखने चाहिए ताकि वे अधिकतम अंक प्राप्त कर सकें।[13] प्रत्येक प्रकार के प्रश्न के लिए विशिष्ट मूल्यांकन बिंदु निर्धारित हैं जो उत्तर की गुणवत्ता सुनिश्चित करते हैं।

मूल्यांकन क्षेत्र विवरण अंक प्रतिशत
विषय-वस्तु प्रश्न का सीधा उत्तर, प्रासंगिकता, तथ्यात्मक सटीकता, पूर्णता 50-60%
भाषा शुद्धता व्याकरण, वर्तनी, वाक्य-विन्यास, शब्द-चयन, मुहावरे 20-25%
प्रस्तुतीकरण स्वच्छता, सुपाठ्यता, अनुच्छेद विभाजन, क्रमबद्धता 10-15%
मौलिकता रचनात्मकता, नवीन विचार, विश्लेषणात्मक क्षमता 10-15%

महत्वपूर्ण निर्देश:

  • विषय-वस्तु: उत्तर प्रश्न से संबंधित होना चाहिए। अप्रासंगिक बातें लिखने से अंक नहीं मिलते।
  • शब्द-सीमा: निर्धारित शब्द-सीमा का पालन करें। अधिक लिखने पर अतिरिक्त अंक नहीं मिलते।
  • स्वच्छता: उत्तर पुस्तिका स्वच्छ रखें। कटिंग और ओवर राइटिंग से बचें।
  • समय प्रबंधन: प्रत्येक प्रश्न के लिए अंकों के अनुसार समय दें।
  • भाषा: सरल, स्पष्ट और शुद्ध हिंदी का प्रयोग करें।

परीक्षा की तैयारी

कक्षा 10 हिंदी की परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के लिए व्यवस्थित और नियोजित तैयारी आवश्यक है। छात्रों को पाठ्यक्रम को समझकर, समय-सारणी बनाकर और नियमित अभ्यास करके परीक्षा की तैयारी करनी चाहिए।[14] केवल रटने की बजाय समझकर पढ़ना अधिक प्रभावी होता है। परीक्षा की तैयारी में निम्नलिखित पहलुओं पर ध्यान देना चाहिए - पाठ्यपुस्तकों का गहन अध्ययन, व्याकरण का नियमित अभ्यास, लेखन कौशल का विकास और पिछले वर्षों के प्रश्न पत्रों का अध्ययन।

तैयारी की रणनीति

अवधि गतिविधि लक्ष्य
6 महीने पूर्व संपूर्ण पाठ्यक्रम का प्रथम वाचन, नोट्स बनाना सभी पाठों से परिचित होना
4 महीने पूर्व महत्वपूर्ण पाठों का गहन अध्ययन, व्याकरण अभ्यास विषय-वस्तु की गहरी समझ
2 महीने पूर्व संक्षिप्त नोट्स, मॉडल पेपर हल करना संशोधन और अभ्यास
1 महीना पूर्व पुनरावृत्ति, कमजोर क्षेत्रों पर फोकस आत्मविश्वास वृद्धि
1 सप्ताह पूर्व महत्वपूर्ण बिंदुओं का संशोधन, मॉक टेस्ट अंतिम तैयारी

पाठ्यक्रम-वार तैयारी

1. काव्य खंड की तैयारी: प्रत्येक कविता को ध्यानपूर्वक पढ़ें और उसका भावार्थ समझें। कवि परिचय, कविता का सारांश, प्रमुख पंक्तियों की व्याख्या, काव्य-सौंदर्य (रस, छंद, अलंकार) और कविता का केंद्रीय भाव नोट करें। कविताओं को बार-बार पढ़कर उनके भाव को आत्मसात करें।

2. गद्य खंड की तैयारी: प्रत्येक पाठ का सारांश, पात्र-चरित्र, लेखक का संदेश, घटनाक्रम और भाषा-शैली को समझें। महत्वपूर्ण प्रसंगों को चिह्नित करें। पाठों के मुख्य उद्धरण याद रखें। लेखक परिचय और उनकी रचनाओं की जानकारी रखें।

3. व्याकरण की तैयारी: व्याकरण के सभी टॉपिक्स का नियमित अभ्यास करें। समास, वाच्य, पद-परिचय, रचना के आधार पर वाक्य-भेद आदि के नियम याद करें। प्रश्नोत्तरी शैली में अभ्यास करें। NCERT की व्याकरण पुस्तक से अतिरिक्त प्रश्न हल करें।

4. रचनात्मक लेखन की तैयारी: विभिन्न प्रकार के पत्र, निबंध, विज्ञापन और सूचनाएँ लिखने का अभ्यास करें। औपचारिक और अनौपचारिक पत्रों के प्रारूप याद रखें। समसामयिक विषयों पर निबंध लिखने का अभ्यास करें। भाषा को सरल और प्रभावी बनाने पर ध्यान दें।

कक्षा में अध्ययनरत विद्यार्थी
भारतीय विद्यालय में कक्षा का दृश्य - शिक्षा राष्ट्र निर्माण का आधार है

उत्तर लेखन युक्तियाँ

परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए केवल अध्ययन ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि उत्तर लेखन की कला भी महत्वपूर्ण है। सही तरीके से लिखे गए उत्तर परीक्षक पर अच्छा प्रभाव डालते हैं और अधिक अंक दिलाते हैं।[15] छात्रों को उत्तर लिखते समय स्पष्टता, संक्षिप्तता और सुपाठ्यता का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

प्रभावी उत्तर लेखन की तकनीकें

उत्तर लेखन के स्वर्णिम नियम:

1. प्रश्न को ध्यानपूर्वक पढ़ें: उत्तर लिखने से पूर्व प्रश्न को 2-3 बार पढ़ें और समझें कि क्या पूछा गया है। प्रश्न में दिए गए निर्देशों (जैसे - व्याख्या करें, तुलना करें, विश्लेषण करें) का विशेष ध्यान रखें।

2. उत्तर की रूपरेखा बनाएं: सीधे लिखना शुरू न करें। पहले मन में या कच्चे काम के पेज पर मुख्य बिंदु नोट करें। इससे उत्तर सुव्यवस्थित होगा और कोई महत्वपूर्ण बिंदु छूटेगा नहीं।

3. भूमिका-विस्तार-उपसंहार: दीर्घ उत्तरों में यह संरचना अपनाएं। संक्षिप्त भूमिका से शुरू करें, मध्य में विस्तृत विवरण दें और अंत में संक्षिप्त निष्कर्ष लिखें। यह उत्तर को संपूर्णता प्रदान करता है।

4. अनुच्छेद विभाजन: लंबे उत्तरों को छोटे-छोटे अनुच्छेदों में बाँटें। प्रत्येक अनुच्छेद में एक मुख्य विचार हो। यह उत्तर को पढ़ने में सरल और आकर्षक बनाता है।

5. महत्वपूर्ण बिंदु रेखांकित करें: मुख्य शब्दों या वाक्यों को रेखांकित करें या बोल्ड लिखें। इससे परीक्षक को महत्वपूर्ण बिंदु आसानी से दिख जाते हैं। लेकिन अत्यधिक रेखांकन से बचें।

6. उदाहरण और उद्धरण: जहाँ संभव हो, उदाहरण दें। काव्य या गद्य से संबंधित प्रश्नों में उद्धरण देना लाभदायक होता है। यह उत्तर को विश्वसनीय और प्रभावी बनाता है।

7. भाषा सरल रखें: कठिन और क्लिष्ट भाषा से बचें। सरल, स्पष्ट और शुद्ध हिंदी का प्रयोग करें। लंबे-लंबे वाक्यों की बजाय छोटे-छोटे वाक्य लिखें। मुहावरों और लोकोक्तियों का उचित प्रयोग करें।

8. शब्द-सीमा का पालन: निर्धारित शब्द-सीमा से न तो बहुत कम लिखें और न ही बहुत अधिक। लगभग निर्धारित सीमा में उत्तर पूर्ण करने का प्रयास करें।

9. सुपाठ्य लिखावट: लिखावट साफ-सुथरी और पठनीय होनी चाहिए। तेज लिखने के चक्कर में अस्पष्ट न लिखें। उत्तर पुस्तिका में उचित मार्जिन छोड़ें।

10. समय प्रबंधन: प्रत्येक प्रश्न के लिए उसके अंकों के अनुसार समय दें। यदि कोई प्रश्न नहीं आता तो उस पर अधिक समय बर्बाद न करें, आगे बढ़ें और बाद में लौटें।

विभिन्न प्रकार के प्रश्नों के लिए विशेष सुझाव

प्रश्न प्रकार उत्तर लेखन युक्तियाँ
अपठित गद्यांश • गद्यांश को 2-3 बार पढ़ें
• प्रश्न में मांगी गई सूचना को गद्यांश में खोजें
• अपने शब्दों में लिखें, हूबहू नकल न करें
• शब्दार्थ के लिए संदर्भ देखें
काव्यांश व्याख्या • प्रसंग-प्रस्तुति से शुरू करें
• सरल भाषा में भावार्थ लिखें
• काव्य-सौंदर्य में रस, छंद, अलंकार बताएं
• कवि का संदेश स्पष्ट करें
चरित्र-चित्रण • परिचय से शुरुआत करें
• व्यक्तित्व के विभिन्न पहलू बताएं
• पाठ से उदाहरण दें
• निष्कर्ष में समग्र मूल्यांकन करें
पत्र लेखन • सही प्रारूप का पालन करें
• भाषा औपचारिक/अनौपचारिक अनुसार हो
• विषय स्पष्ट और संक्षिप्त हो
• सभी आवश्यक बिंदु शामिल करें
निबंध लेखन • आकर्षक शीर्षक और भूमिका
• विषय को विभिन्न कोणों से देखें
• तार्किक क्रम में लिखें
• प्रभावी उपसंहार दें

समय प्रबंधन

परीक्षा में सफलता का एक महत्वपूर्ण कारक समय का सदुपयोग है। 3 घंटे की परीक्षा में 80 अंकों के प्रश्नों को हल करना होता है, इसलिए प्रत्येक मिनट का सदुपयोग आवश्यक है।[16] छात्रों को परीक्षा से पूर्व ही समय प्रबंधन की योजना बना लेनी चाहिए ताकि परीक्षा में कोई समस्या न हो।

परीक्षा हॉल में समय विभाजन

समय अवधि गतिविधि उद्देश्य
0-15 मिनट प्रश्न पत्र पढ़ना और समझना
(यह समय अलग से दिया जाता है)
• सभी प्रश्नों को देखना
• आसान प्रश्न चिह्नित करना
• उत्तर की रणनीति बनाना
15-60 मिनट (45 मिनट) खंड क - अपठित बोध और व्याकरण
(20 अंक)
• अपठित गद्यांश: 20 मिनट
• अपठित काव्यांश: 15 मिनट
• व्याकरण: 10 मिनट
60-135 मिनट (75 मिनट) खंड ख - पाठ्यपुस्तक
(40 अंक)
• काव्य खंड: 30 मिनट
• गद्य खंड: 30 मिनट
• पूरक पुस्तक: 15 मिनट
135-195 मिनट (60 मिनट) खंड ग - रचनात्मक लेखन
(20 अंक)
• पत्र लेखन: 15 मिनट
• निबंध लेखन: 30 मिनट
• विज्ञापन/सूचना: 15 मिनट
अंतिम 15 मिनट संशोधन और सुधार • छूटे प्रश्न पूरे करना
• त्रुटियों को सुधारना
• जाँच करना

समय प्रबंधन के सुझाव:

  • आसान प्रश्नों से शुरुआत करें - इससे आत्मविश्वास बढ़ता है
  • कठिन प्रश्नों पर अटकें नहीं - बाद में हल करें
  • प्रत्येक प्रश्न के लिए अंकों के अनुसार समय दें
  • घड़ी पर नजर रखें लेकिन घबराएं नहीं
  • संशोधन के लिए समय अवश्य बचाएं
  • तनाव मुक्त रहें और शांत मन से लिखें

अध्ययन संसाधन

कक्षा 10 हिंदी की तैयारी के लिए विभिन्न अध्ययन संसाधन उपलब्ध हैं जो छात्रों को परीक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने में सहायक होते हैं। NCERT की पाठ्यपुस्तकें मूल आधार हैं परंतु अतिरिक्त संसाधनों से अभ्यास और समझ में वृद्धि होती है।[17]

संसाधन प्रकार विवरण लाभ
NCERT पुस्तकें क्षितिज भाग-2, कृतिका भाग-2, व्याकरण वीथि मूल पाठ्यक्रम, प्रामाणिक सामग्री
सहायक पुस्तकें विभिन्न प्रकाशकों की गाइड और सॉल्यूशन बुक्स अतिरिक्त प्रश्न, विस्तृत व्याख्या
मॉडल पेपर पिछले 10 वर्षों के प्रश्न पत्र, सैंपल पेपर परीक्षा पैटर्न की समझ, अभ्यास
ऑनलाइन संसाधन DIKSHA, YouTube चैनल, शैक्षिक वेबसाइट वीडियो लेक्चर, इंटरैक्टिव सामग्री
कोचिंग/ट्यूशन विशेषज्ञ शिक्षकों से मार्गदर्शन व्यक्तिगत ध्यान, संदेहों का समाधान

महत्वपूर्ण NCERT पुस्तकें

1. क्षितिज भाग-2 (काव्य खंड): इसमें हिंदी साहित्य की उत्कृष्ट कविताएँ संकलित हैं - सूरदास के पद, तुलसीदास की रामचरितमानस से चौपाइयाँ, देव के सवैये, जयशंकर प्रसाद की 'आत्मकथ्य', सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' की 'उत्साह' और 'अट नहीं रही', नागार्जुन की कविताएँ आदि।

2. क्षितिज भाग-2 (गद्य खंड): इसमें विभिन्न विधाओं की रचनाएँ हैं - 'नेताजी का चश्मा' (स्वदेश दीपक), 'बालगोबिन भगत' (रामवृक्ष बेनीपुरी), 'लखनवी अंदाज' (यशपाल), 'मानवीय करुणा की दिव्य चमक' (सर्वेश्वर दयाल सक्सेना) आदि।

3. कृतिका भाग-2: पूरक पठन सामग्री जिसमें 'माता का अंचल' (शिवपूजन सहाय), 'जॉर्ज पंचम की नाक' (कमलेश्वर), 'साना साना हाथ जोड़ि' (मधु कांकरिया), 'मैं क्यों लिखता हूँ' (अज्ञेय) जैसी रचनाएँ शामिल हैं।

संदर्भ

  1. National Council of Educational Research and Training (NCERT). "Class 10 Hindi Syllabus 2024-25". New Delhi: NCERT Publications.
  2. Central Board of Secondary Education (CBSE). "Secondary School Curriculum 2024". Delhi: CBSE Headquarters.
  3. Ministry of Education, Government of India. "National Education Policy 2020". New Delhi.
  4. CBSE."Examination Pattern and Marking Scheme for Hindi Course A & B". Official CBSE Website, 2024.
  5. NCERT. "Kshitij Bhag-2: Textbook for Class X". New Delhi: NCERT Publications, 2024.
  6. CBSE. "Sample Question Papers for Class 10 Hindi". Assessment Division, CBSE, 2024.
  7. NCERT. "Kritika Bhag-2: Supplementary Reader for Class X". New Delhi: NCERT Publications, 2024.
  8. CBSE. "General Instructions for Board Examinations". Examination Bye-laws, 2024.
  9. Kumar, Ravindra. "Hindi Vyakaran aur Rachna". Delhi: Educational Publishers, 2023.
  10. NCERT. "Hindi Teaching Manual for Secondary Classes". Department of Language Education, 2023.
  11. Sharma, Dinesh. "Rachnatmak Lekhan: Siddhant aur Prayog". Agra: Vinod Pustak Mandir, 2023.
  12. CBSE. "Detailed Marking Scheme for Hindi Class X". Evaluation Cell, CBSE, 2024.
  13. Verma, Dr. Hardev. "Hindi Sahitya ka Itihas". Allahabad: Lokbharti Prakashan, 2022.
  14. Gupta, Ramesh. "Board Pariksha ki Taiyari: Hindi". Mumbai: Navneet Publications, 2024.
  15. CBSE. "Answer Writing Techniques for Hindi". Training Material for Teachers, 2023.
  16. Mishra, Vidyanath. "Samay Prabandhan aur Pariksha Taiyari". Varanasi: Vishwavidyalaya Prakashan, 2023.
  17. NCERT. "Digital Resources for Hindi Education". e-Pathshala Platform, 2024.

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📚 परीक्षा की तैयारी के लिए महत्वपूर्ण सुझाव 📚

✓ नियमित अध्ययन करें और समय-सारणी का पालन करें
✓ NCERT पुस्तकों को प्राथमिकता दें
✓ लेखन कौशल पर विशेष ध्यान दें
✓ मॉडल पेपर और पिछले वर्षों के प्रश्न पत्र हल करें
✓ व्याकरण का नियमित अभ्यास करें
✓ शिक्षकों से संदेहों का समाधान करें
✓ स्वास्थ्य और आत्मविश्वास बनाए रखें
✓ परीक्षा में शांत और केंद्रित रहें

🌟 शुभकामनाएं! आपकी मेहनत अवश्य रंग लाएगी! 🌟

📝 अंतिम शब्द

यह मॉडल प्रश्न पत्र CBSE की नवीनतम परीक्षा प्रणाली और NCERT पाठ्यक्रम के अनुसार तैयार किया गया है। इसमें सभी प्रकार के प्रश्न - अपठित बोध, पाठ्यपुस्तक आधारित, व्याकरण और रचनात्मक लेखन शामिल हैं। छात्रों को इस प्रश्न पत्र को समय सीमा में हल करने का अभ्यास करना चाहिए।

याद रखें कि परीक्षा केवल ज्ञान की जांच नहीं है बल्कि आपकी समझ, विश्लेषण क्षमता और अभिव्यक्ति कौशल का मूल्यांकन है। नियमित अभ्यास, आत्मविश्वास और सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ आप निश्चित रूप से सफलता प्राप्त करेंगे। हिंदी भाषा और साहित्य की समृद्ध परंपरा को समझें और उसका आनंद लें।

"विद्या ददाति विनयं" - विद्या विनम्रता प्रदान करती है

⚠️ महत्वपूर्ण सूचना

  • यह मॉडल प्रश्न पत्र अभ्यास के उद्देश्य से तैयार किया गया है।
  • वास्तविक परीक्षा में प्रश्नों का स्वरूप इससे भिन्न हो सकता है।
  • नवीनतम पाठ्यक्रम और परीक्षा पैटर्न के लिए CBSE की आधिकारिक वेबसाइट देखें।
  • उत्तर केवल मार्गदर्शन के लिए हैं, छात्र अपनी भाषा और समझ में उत्तर लिख सकते हैं।
  • परीक्षा में ईमानदारी और अनुशासन का पालन अवश्य करें।

🎓 शैक्षिक संस्थान एवं संदर्भ 🎓

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT)
श्री अरबिंदो मार्ग, नई दिल्ली - 110016
वेबसाइट: www.ncert.nic.in

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE)
शिक्षा केंद्र, 2, कम्युनिटी सेंटर, प्रीत विहार, दिल्ली - 110092
वेबसाइट: www.cbse.gov.in

"शिक्षा सबसे शक्तिशाली हथियार है जिससे आप दुनिया बदल सकते हैं।" - नेल्सन मंडेला

✨ याद रखने योग्य बातें ✨

परीक्षा से पहले:
• पूरा पाठ्यक्रम दो बार पढ़ें
• संक्षिप्त नोट्स बनाएं
• मॉडल पेपर हल करें
• पर्याप्त नींद लें
परीक्षा के दौरान:
• प्रश्न पत्र ध्यान से पढ़ें
• आसान प्रश्न पहले हल करें
• समय का ध्यान रखें
• शांत और आत्मविश्वासी रहें

🏆 सफलता का मंत्र 🏆

परिश्रम + समर्पण + अनुशासन = सफलता

"कर्म करो, फल की चिंता मत करो।"
- श्रीमद्भगवद्गीता

आपकी कामयाबी के लिए हार्दिक शुभकामनाएं! 🌟📚🎯

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