ड्रोन युद्ध: आधुनिक संघर्षों में भूमिका, विश्व के खतरनाक ड्रोन, भारत की क्षमताएं और परीक्षा प्रश्नोत्तरी

| जून 17, 2025

ड्रोन युद्ध: आसमान के नए शिकारी

बीसवीं सदी ने युद्ध के मैदान को हवाई जहाजों और मिसाइलों से बदल दिया, तो इक्कीसवीं सदी मानव रहित हवाई वाहनों (Unmanned Aerial Vehicles - UAVs) यानी ड्रोनों के नाम लिख रही है। कभी केवल निगरानी और जासूसी तक सीमित समझे जाने वाले ये यंत्र आज युद्ध की रणनीति, tactics और यहाँ तक कि भू-राजनीति को भी गहराई से प्रभावित कर रहे हैं। रूस-यूक्रेन संघर्ष से लेकर मध्य-पूर्व के तनावों तक, ड्रोनों ने अपनी मारक क्षमता, सटीकता और कम लागत के कारण युद्ध का चेहरा बदल दिया है।

इस लेख में, हम सैन्य ड्रोनों के विभिन्न प्रकारों, वर्तमान संघर्षों में उनकी विनाशकारी भूमिका, विश्व के कुछ सबसे उन्नत और "खतरनाक" ड्रोनों, भारत की ड्रोन क्षमताओं, और इस नई तकनीक से जुड़ी नैतिक व रणनीतिक चुनौतियों का विस्तृत विश्लेषण करेंगे।

1. सैन्य ड्रोन: प्रकार और वर्गीकरण

सैन्य ड्रोनों को उनके आकार, रेंज, क्षमता और उपयोग के आधार पर कई श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है। कुछ प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं:

  • निगरानी और जासूसी ड्रोन (ISR - Intelligence, Surveillance, Reconnaissance Drones):

    ये ड्रोन मुख्यतः दुश्मन की गतिविधियों, ठिकानों और संचार प्रणालियों पर नजर रखने, खुफिया जानकारी जुटाने और वास्तविक समय में युद्धक्षेत्र की तस्वीर प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किए जाते हैं। इनमें उच्च-रिजॉल्यूशन कैमरे, थर्मल सेंसर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण लगे होते हैं।

    उदाहरण: अमेरिका का RQ-4 Global Hawk, इजरायल का Heron TP, रूस का Orlan-10।

  • लड़ाकू ड्रोन (UCAV - Unmanned Combat Aerial Vehicle) / आर्म्ड ड्रोन:

    ये ड्रोन न केवल निगरानी कर सकते हैं, बल्कि मिसाइलों, बमों या अन्य हथियारों से लैस होकर सटीक हमले करने में भी सक्षम होते हैं। इन्हें अक्सर "हंटर-किलर" (Hunter-Killer) ड्रोन भी कहा जाता है।

    उदाहरण: अमेरिका का MQ-9 Reaper, तुर्की का Bayraktar TB2, चीन का Wing Loong II।

  • आत्मघाती ड्रोन (Kamikaze Drones) / लॉइटरिंग म्यूनिशन्स (Loitering Munitions):

    ये एक प्रकार के "उड़ते हुए बम" होते हैं जो लक्ष्य क्षेत्र में कुछ समय तक मंडरा सकते हैं (Loiter), लक्ष्य की पहचान कर सकते हैं और फिर सीधे उससे टकराकर उसे नष्ट कर देते हैं। ये पारंपरिक मिसाइलों की तुलना में सस्ते और अधिक लचीले होते हैं।

    उदाहरण: अमेरिका का Switchblade, ईरान का Shahed-136, रूस का Lancet।

  • लॉजिस्टिक्स और परिवहन ड्रोन:

    इनका उपयोग दुर्गम इलाकों या दुश्मन की गोलीबारी वाले क्षेत्रों में सैनिकों तक रसद, हथियार, दवाएं और अन्य आवश्यक सामग्री पहुंचाने के लिए किया जाता है।

  • इलेक्ट्रॉनिक युद्ध ड्रोन (Electronic Warfare Drones):

    ये ड्रोन दुश्मन के संचार, रडार और अन्य इलेक्ट्रॉनिक प्रणालियों को जाम करने या बाधित करने के लिए डिज़ाइन किए जाते हैं।

  • ड्रोन झुंड (Drone Swarms):

    यह एक उभरती हुई अवधारणा है जिसमें बड़ी संख्या में छोटे, समन्वित ड्रोन एक साथ मिलकर किसी लक्ष्य पर हमला करते हैं या किसी विशेष कार्य को अंजाम देते हैं, जिससे दुश्मन की रक्षा प्रणालियों के लिए उनका सामना करना मुश्किल हो जाता है।

इनके अलावा, ड्रोनों को उनकी उड़ान क्षमता के आधार पर भी वर्गीकृत किया जाता है, जैसे HALE (High Altitude Long Endurance), MALE (Medium Altitude Long Endurance), सामरिक (Tactical) ड्रोन आदि।

MQ-9 Reaper Drone

अमेरिकी MQ-9 Reaper, एक प्रसिद्ध लड़ाकू ड्रोन। (स्रोत: विकिमीडिया कॉमन्स)

2. वर्तमान युद्धों में ड्रोन की भूमिका: एक नया अध्याय

हाल के वर्षों में हुए संघर्षों, विशेष रूप से रूस-यूक्रेन युद्ध और उससे पहले नागोर्नो-काराबाख (अज़रबैजान-आर्मेनिया) संघर्ष ने यह स्पष्ट कर दिया है कि ड्रोन अब सहायक उपकरण मात्र नहीं रहे, बल्कि वे युद्ध के निर्णायक कारक बन सकते हैं।

क. रूस-यूक्रेन युद्ध: ड्रोन युद्ध का अभूतपूर्व प्रदर्शन

रूस-यूक्रेन युद्ध को अक्सर "पहला पूर्ण विकसित ड्रोन युद्ध" कहा जा रहा है। दोनों पक्षों ने विभिन्न प्रकार के ड्रोनों का व्यापक रूप से उपयोग किया है:

  • निगरानी और तोपखाने का समन्वय: छोटे, सस्ते ड्रोन (जैसे DJI Mavic जैसे वाणिज्यिक ड्रोन भी) यूक्रेनी सेना द्वारा रूसी ठिकानों का पता लगाने और तोपखाने के हमलों को निर्देशित करने में अत्यंत प्रभावी साबित हुए हैं।
  • तुर्की निर्मित बायraktar TB2: युद्ध के शुरुआती चरणों में यूक्रेनी सेना द्वारा रूसी टैंकों, बख्तरबंद वाहनों और वायु रक्षा प्रणालियों को नष्ट करने में इसकी भूमिका महत्वपूर्ण रही।
  • ईरानी Shahed-136 (रूसी उपयोग में Geran-2): रूस द्वारा यूक्रेन के ऊर्जा बुनियादी ढांचे और शहरों पर हमला करने के लिए इन आत्मघाती ड्रोनों का बड़े पैमाने पर उपयोग किया गया।
  • रूसी Lancet ड्रोन: यूक्रेनी तोपखाने और अन्य महत्वपूर्ण लक्ष्यों पर हमला करने के लिए प्रभावी।
  • समुद्री ड्रोन (Naval Drones): यूक्रेन ने रूसी काला सागर बेड़े के जहाजों पर हमला करने के लिए विस्फोटक युक्त मानव रहित सतह वाहनों (USVs) का भी उपयोग किया है।
  • FPV (First-Person View) ड्रोन: दोनों पक्षों द्वारा सस्ते FPV ड्रोनों को तात्कालिक बमों से लैस करके टैंकों और सैनिकों पर सटीक हमले किए जा रहे हैं।

"रूस-यूक्रेन युद्ध ने यह दिखा दिया है कि ड्रोन अब केवल बड़ी सैन्य शक्तियों का हथियार नहीं रहे, बल्कि वे गैर-राज्य अभिकर्ताओं और छोटे देशों के लिए भी एक शक्तिशाली उपकरण बन गए हैं।"

ख. नागोर्नो-काराबाख संघर्ष (2020): ड्रोन की निर्णायक विजय

2020 में अज़रबैजान और आर्मेनिया के बीच हुए इस संघर्ष में अज़रबैजान द्वारा तुर्की और इजरायली ड्रोनों (विशेषकर Bayraktar TB2 और Harop) के प्रभावी उपयोग ने युद्ध का रुख बदल दिया था। इन ड्रोनों ने आर्मेनियाई टैंकों, तोपखाने और वायु रक्षा प्रणालियों को भारी नुकसान पहुँचाया, जिससे अज़रबैजान को निर्णायक सैन्य बढ़त मिली।

ग. अन्य संघर्षों में ड्रोन का बढ़ता उपयोग:

मध्य-पूर्व (यमन, सीरिया, इराक), अफ्रीका और अन्य क्षेत्रों में भी सरकारी सेनाओं और गैर-राज्य अभिकर्ताओं (जैसे आतंकवादी और विद्रोही समूह) द्वारा ड्रोनों का उपयोग बढ़ रहा है। यह प्रसार ड्रोन तकनीक की सुलभता और प्रभावशीलता को दर्शाता है।

3. विश्व के कुछ सबसे उन्नत और "खतरनाक" ड्रोन

विभिन्न देश लगातार उन्नत ड्रोन प्रौद्योगिकियों का विकास कर रहे हैं। "खतरनाक" शब्द यहाँ उनकी मारक क्षमता, निगरानी क्षमताओं, रेंज, और युद्धक्षेत्र पर प्रभाव डालने की क्षमता को दर्शाता है। यहाँ कुछ प्रमुख देशों के उल्लेखनीय ड्रोन दिए गए हैं:

क. संयुक्त राज्य अमेरिका (USA)

  • MQ-9 Reaper: एक बहुउद्देश्यीय लड़ाकू ड्रोन जो निगरानी और सटीक हमलों (हेलफायर मिसाइलों से लैस) दोनों में सक्षम है। इसकी लंबी उड़ान अवधि और उच्च पेलोड क्षमता इसे अत्यंत प्रभावी बनाती है।
  • RQ-4 Global Hawk: एक उच्च-ऊंचाई, लंबी-धीरज (HALE) निगरानी ड्रोन जो विशाल क्षेत्रों की निरंतर निगरानी कर सकता है।
  • Switchblade (Loitering Munition): एक छोटा, पोर्टेबल आत्मघाती ड्रोन जिसे सैनिक अपने बैग में ले जा सकते हैं। यह लक्ष्य पर सटीक हमला करने में सक्षम है और इसे "उड़ता हुआ शॉटगन" भी कहा जाता है। इसके विभिन्न संस्करण (Switchblade 300 और 600) उपलब्ध हैं।
  • RQ-170 Sentinel (Stealth Drone): एक गुप्त (स्टील्थ) निगरानी ड्रोन जिसके बारे में बहुत कम जानकारी सार्वजनिक है।

ख. तुर्की (Turkey)

  • Bayraktar TB2: यह मध्यम-ऊंचाई, लंबी-धीरज (MALE) वाला लड़ाकू ड्रोन नागोर्नो-काराबाख और यूक्रेन युद्ध में अपनी प्रभावशीलता के कारण विश्व प्रसिद्ध हुआ। यह लेजर-निर्देशित बमों और मिसाइलों से लैस हो सकता है।
  • TAI Anka: एक अन्य MALE ड्रोन जो निगरानी और हमले दोनों क्षमताओं से युक्त है।
  • Kargu (Loitering Munition): एक छोटा, क्वाडकॉप्टर-शैली का आत्मघाती ड्रोन।
Bayraktar TB2 Drone

तुर्की का Bayraktar TB2 ड्रोन, जिसने कई संघर्षों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। (स्रोत: विकिमीडिया कॉमन्स)

ग. इज़राइल (Israel)

  • IAI Heron TP (Eitan): एक उन्नत MALE ड्रोन जो लंबी दूरी की निगरानी और विभिन्न प्रकार के पेलोड ले जाने में सक्षम है।
  • Harop/Harpy (Loitering Munitions): ये एंटी-रेडिएशन आत्मघाती ड्रोन हैं जो दुश्मन की वायु रक्षा प्रणालियों (रडार साइटों) को निशाना बनाने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।
  • Hermes Series (e.g., Hermes 900): विभिन्न निगरानी और टोही मिशनों के लिए उपयोग किए जाने वाले ड्रोन।

घ. चीन (China)

  • Wing Loong Series (e.g., Wing Loong I & II): ये अमेरिकी MQ-1 Predator और MQ-9 Reaper के चीनी समकक्ष माने जाते हैं, जो निगरानी और हमले दोनों में सक्षम हैं। इनका कई देशों को निर्यात भी किया गया है।
  • CH-Series (Cai Hong, e.g., CH-4, CH-5): ये भी लड़ाकू और निगरानी ड्रोनों की एक श्रृंखला है।
  • GJ-11 Sharp Sword (Stealth UCAV): एक निर्माणाधीन स्टील्थ लड़ाकू ड्रोन।

ङ. ईरान (Iran)

  • Shahed Series (e.g., Shahed-129, Shahed-136): Shahed-129 एक लड़ाकू और निगरानी ड्रोन है, जबकि Shahed-136 एक डेल्टा-विंग वाला आत्मघाती ड्रोन है जिसका रूस-यूक्रेन युद्ध में व्यापक उपयोग देखा गया है।
  • Mohajer Series (e.g., Mohajer-6): निगरानी और हल्के हमले की क्षमताओं वाले ड्रोन।

च. रूस (Russia)

  • Orlan-10: एक व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला सामरिक निगरानी ड्रोन, जो तोपखाने के हमलों को निर्देशित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • Lancet (Loitering Munition): एक प्रभावी आत्मघाती ड्रोन जिसका उपयोग बख्तरबंद वाहनों और अन्य महत्वपूर्ण लक्ष्यों के विरुद्ध किया जा रहा है।
  • Orion (Inokhodets): एक MALE UCAV जो निगरानी और हमले दोनों में सक्षम है।
  • S-70 Okhotnik-B (Stealth UCAV): एक निर्माणाधीन भारी स्टील्थ लड़ाकू ड्रोन।

यह सूची संपूर्ण नहीं है, और कई अन्य देश भी अपनी ड्रोन क्षमताओं का तेजी से विकास कर रहे हैं। ड्रोन प्रौद्योगिकी एक निरंतर विकसित हो रहा क्षेत्र है।

4. भारत और ड्रोन प्रौद्योगिकी (रक्षा संदर्भ में)

भारत भी अपनी रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने और अपनी सीमाओं की निगरानी के लिए ड्रोन प्रौद्योगिकी के महत्व को पहचानता है। "आत्मनिर्भर भारत" पहल के तहत स्वदेशी ड्रोन विकास पर विशेष जोर दिया जा रहा है।

क. भारत द्वारा विकसित/अधिग्रहीत प्रमुख ड्रोन:

  • DRDO Rustom Series (TAPAS-BH - Tactical Airborne Platform for Aerial Surveillance-Beyond Horizon-201): यह एक स्वदेशी रूप से विकसित MALE ड्रोन है जो लंबी दूरी की निगरानी और टोही मिशनों के लिए डिज़ाइन किया गया है।
  • DRDO Nishant: एक निगरानी UAV जिसे भारतीय सेना के लिए विकसित किया गया था।
  • IAI Heron और Searcher Mk II: इजरायल से अधिग्रहीत ये MALE ड्रोन भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा व्यापक रूप से निगरानी और खुफिया जानकारी जुटाने के लिए उपयोग किए जाते हैं।
  • Switchblade Loitering Munitions: भारत ने अमेरिका से सीमित संख्या में इन आत्मघाती ड्रोनों का अधिग्रहण किया है।
  • DRDO Ghatak (Stealth UCAV): एक निर्माणाधीन ऑटोनॉमस स्टील्थ लड़ाकू ड्रोन परियोजना।
  • **छोटे सामरिक ड्रोन:** भारतीय सेना और सुरक्षा बल विभिन्न प्रकार के छोटे क्वाडकॉप्टर और फिक्स्ड-विंग ड्रोन का भी उपयोग कर रहे हैं।

ख. रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के प्रयास:

  • सरकार निजी क्षेत्र की कंपनियों और स्टार्टअप्स को स्वदेशी ड्रोन और काउंटर-ड्रोन प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए प्रोत्साहित कर रही है।
  • DRDO और अन्य रक्षा अनुसंधान संस्थान उन्नत ड्रोन सिस्टम पर काम कर रहे हैं।
  • "मेक इन इंडिया" पहल के तहत महत्वपूर्ण घटकों के घरेलू उत्पादन पर जोर दिया जा रहा है।

ग. भविष्य की योजनाएँ और चुनौतियाँ:

  • भारत का लक्ष्य अगली पीढ़ी के लड़ाकू ड्रोन, ड्रोन झुंड, और AI-सक्षम ड्रोन सिस्टम विकसित करना है।
  • चीन और पाकिस्तान से लगी सीमाओं पर प्रभावी निगरानी और प्रतिक्रिया क्षमता बढ़ाना एक प्रमुख प्राथमिकता है।
  • चुनौतियों में उन्नत प्रौद्योगिकियों का विकास, आयात पर निर्भरता कम करना, और पर्याप्त संख्या में प्रशिक्षित ऑपरेटर तैयार करना शामिल है।

आधिकारिक जानकारी हेतु: DRDO Website, Ministry of Defence, India

5. ड्रोन युद्ध की नैतिक, कानूनी और रणनीतिक चुनौतियाँ

ड्रोन प्रौद्योगिकी ने युद्ध की क्षमताओं में अभूतपूर्व वृद्धि की है, लेकिन इसके साथ ही कई गंभीर नैतिक, कानूनी और रणनीतिक चुनौतियाँ भी जुड़ी हुई हैं, जिन पर विश्व स्तर पर गहन विचार-विमर्श हो रहा है।

क. नैतिक चुनौतियाँ (Ethical Challenges)

  • नागरिकों की हताहतों का जोखिम (Collateral Damage): यद्यपि ड्रोन सटीक हमले करने में सक्षम हैं, फिर भी गलत खुफिया जानकारी या तकनीकी त्रुटियों के कारण निर्दोष नागरिकों के मारे जाने या घायल होने का खतरा बना रहता है। रिमोट ऑपरेशन के कारण ऑपरेटरों में लक्ष्य से भावनात्मक दूरी हो सकती है, जिससे निर्णय लेने की प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है।
  • जवाबदेही और पारदर्शिता का अभाव (Lack of Accountability and Transparency): ड्रोन हमलों, विशेष रूप से गुप्त अभियानों में, जवाबदेही तय करना अक्सर मुश्किल होता है। हमलों के पीछे कौन है और निर्णय लेने की प्रक्रिया क्या थी, इस पर पारदर्शिता की कमी हो सकती है।
  • "प्लेस्टेशन मेंटलिटी" (PlayStation Mentality): कुछ आलोचकों का तर्क है कि रिमोट ड्रोन ऑपरेशन युद्ध को एक वीडियो गेम जैसा बना सकता है, जिससे ऑपरेटरों में हिंसा के प्रति संवेदनशीलता कम हो सकती है।
  • स्वायत्त हथियार प्रणाली (Autonomous Weapon Systems - AWS) का उदय: AI-सक्षम ड्रोन जो बिना मानवीय हस्तक्षेप के लक्ष्य को पहचानने और उस पर हमला करने में सक्षम हों (जिन्हें "किलर रोबोट्स" भी कहा जाता है), गंभीर नैतिक प्रश्न खड़े करते हैं। क्या मशीनों को जीवन और मृत्यु का निर्णय लेने का अधिकार दिया जाना चाहिए?

ख. कानूनी चुनौतियाँ (Legal Challenges)

  • अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून (International Humanitarian Law - IHL) का अनुपालन: ड्रोन हमलों को IHL के सिद्धांतों (जैसे भेदभावी हमला, आनुपातिकता, और सावधानी) का पालन करना चाहिए। यह सुनिश्चित करना चुनौतीपूर्ण है, खासकर गैर-राज्य अभिकर्ताओं द्वारा ड्रोन के उपयोग के मामलों में।
  • राज्य की संप्रभुता का उल्लंघन: किसी अन्य देश की सहमति के बिना उसके हवाई क्षेत्र में ड्रोन से निगरानी या हमला करना उस देश की संप्रभुता का उल्लंघन माना जा सकता है।
  • लक्षित हत्याएं (Targeted Killings): ड्रोन का उपयोग अक्सर विशिष्ट व्यक्तियों (जैसे आतंकवादी नेताओं) को निशाना बनाने के लिए किया जाता है। ऐसी हत्याओं की कानूनी वैधता और प्रक्रिया पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बहस जारी है।
  • हथियारों के प्रसार पर नियंत्रण (Arms Control and Proliferation): उन्नत ड्रोन प्रौद्योगिकी का प्रसार, विशेष रूप से गैर-राज्य अभिकर्ताओं और अस्थिर क्षेत्रों में, वैश्विक सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा पैदा कर सकता है।

ग. रणनीतिक चुनौतियाँ (Strategic Challenges)

  • युद्ध की प्रकृति में बदलाव: ड्रोन ने युद्ध की लागत को कम कर दिया है और इसे अधिक सुलभ बना दिया है, जिससे छोटे देश या समूह भी बड़ी शक्तियों को चुनौती देने में सक्षम हो सकते हैं।
  • हथियारों की नई होड़ (New Arms Race): ड्रोन और काउंटर-ड्रोन प्रौद्योगिकियों के विकास से एक नई तरह की हथियारों की होड़ शुरू हो सकती है।
  • एस्केलेशन का जोखिम (Risk of Escalation): ड्रोन हमलों की अपेक्षाकृत कम लागत और कम जोखिम के कारण संघर्षों के बढ़ने का खतरा हो सकता है, क्योंकि देश बल प्रयोग करने में कम संकोच कर सकते हैं।
  • असममित युद्ध (Asymmetric Warfare): ड्रोन गैर-राज्य अभिकर्ताओं को पारंपरिक रूप से शक्तिशाली सेनाओं के खिलाफ प्रभावी ढंग से लड़ने की क्षमता प्रदान करते हैं।

"प्रौद्योगिकी स्वयं में न तो अच्छी होती है और न ही बुरी; इसका उपयोग कैसे किया जाता है, यह महत्वपूर्ण है। ड्रोन युद्ध के संदर्भ में, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को इसके जिम्मेदार विकास और उपयोग के लिए मानक और नियम स्थापित करने की तत्काल आवश्यकता है।"

6. भविष्य में ड्रोन युद्ध का स्वरूप: उभरती प्रौद्योगिकियाँ और अवधारणाएँ

ड्रोन प्रौद्योगिकी का विकास अत्यंत तीव्र गति से हो रहा है, और यह भविष्य के युद्धों के स्वरूप को और भी अधिक बदलने की क्षमता रखती है। कुछ प्रमुख उभरती हुई प्रौद्योगिकियाँ और अवधारणाएँ निम्नलिखित हैं:

  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence - AI) और मशीन लर्निंग (Machine Learning - ML):
    • AI-सक्षम ड्रोन बेहतर लक्ष्य पहचान, निर्णय लेने और स्वायत्त संचालन में सक्षम होंगे।
    • ML एल्गोरिदम ड्रोन को अपने अनुभवों से सीखने और अपनी क्षमताओं में सुधार करने में मदद करेंगे।
  • ड्रोन झुंड (Drone Swarms):
    • बड़ी संख्या में छोटे, सस्ते और समन्वित ड्रोन जो एक साथ मिलकर किसी जटिल मिशन को अंजाम दे सकते हैं या दुश्मन की रक्षा प्रणालियों को अभिभूत कर सकते हैं।
    • इनका नियंत्रण एकल ऑपरेटर या AI द्वारा किया जा सकता है।
  • हाइपरसोनिक ड्रोन (Hypersonic Drones):
    • ध्वनि की गति से पांच गुना या उससे अधिक गति से उड़ने में सक्षम ड्रोन, जिन्हें रोकना अत्यंत कठिन होगा।
    • ये लंबी दूरी तक तेजी से निगरानी या हमला करने में सक्षम होंगे।
  • काउंटर-ड्रोन प्रौद्योगिकियाँ (Counter-Drone Technologies):
    • दुश्मन के ड्रोनों का पता लगाने, उन्हें ट्रैक करने और उन्हें निष्क्रिय या नष्ट करने के लिए उन्नत तकनीकों का विकास (जैसे लेजर हथियार, माइक्रोवेव हथियार, जैमिंग सिस्टम, नेट गन, इंटरसेप्टर ड्रोन)।
  • मानव-मशीन टीमिंग (Human-Machine Teaming):
    • भविष्य के युद्धक्षेत्रों में मानव सैनिकों और स्वायत्त प्रणालियों (जैसे ड्रोन) के बीच घनिष्ठ समन्वय और सहयोग।
  • बायो-प्रेरित ड्रोन (Bio-inspired Drones):
    • पक्षियों या कीड़ों की तरह दिखने और उड़ने वाले छोटे ड्रोन, जो निगरानी और जासूसी के लिए अत्यंत प्रभावी हो सकते हैं।

ये प्रौद्योगिकियाँ युद्ध की रणनीतियों, सैन्य सिद्धांतों और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा पर दूरगामी प्रभाव डालेंगी।

7. निष्कर्ष: संतुलन और जिम्मेदारी की ओर

इसमें कोई संदेह नहीं है कि ड्रोन ने आधुनिक युद्ध की परिभाषा को बदल दिया है। उनकी सटीकता, कम लागत और सैनिकों के लिए कम जोखिम ने उन्हें कई देशों के लिए एक आकर्षक सैन्य विकल्प बना दिया है। रूस-यूक्रेन जैसे संघर्षों ने उनकी क्षमताओं का स्पष्ट प्रदर्शन किया है।

हालांकि, इस प्रौद्योगिकी के तेजी से विकास और प्रसार के साथ गंभीर नैतिक, कानूनी और रणनीतिक चुनौतियाँ भी जुड़ी हुई हैं। नागरिकों की सुरक्षा, अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का पालन, और हथियारों की होड़ को रोकने की आवश्यकता सर्वोपरि है। भविष्य में AI-सक्षम स्वायत्त ड्रोन और ड्रोन झुंड जैसी अवधारणाएँ इन चुनौतियों को और भी जटिल बना सकती हैं।

अतः, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए यह आवश्यक है कि वह ड्रोन प्रौद्योगिकी के जिम्मेदार विकास और उपयोग के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश, नियम और सत्यापन योग्य तंत्र स्थापित करे। तकनीकी प्रगति और मानवीय मूल्यों के बीच संतुलन साधना आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह शक्तिशाली तकनीक मानवता के विनाश के बजाय उसकी सुरक्षा और भलाई के लिए उपयोग हो। भारत जैसे देश, जो अपनी स्वदेशी ड्रोन क्षमताओं का विकास कर रहे हैं, को भी इन वैश्विक बहसों में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए और जिम्मेदार नवाचार का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए।


प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु विशेष: ड्रोन युद्ध प्रश्नोत्तरी

अपनी समझ का परीक्षण करें! नीचे दिए गए प्रश्न आधुनिक युद्धों में ड्रोन की भूमिका, प्रकार और संबंधित चुनौतियों पर आधारित हैं और प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से महत्वपूर्ण हो सकते हैं।

प्रश्न 1: "आत्मघाती ड्रोन" (Kamikaze Drones) का दूसरा प्रचलित नाम क्या है?

  1. निगरानी ड्रोन (ISR Drone)
  2. लॉइटरिंग म्यूनिशन्स (Loitering Munitions)
  3. इलेक्ट्रॉनिक युद्ध ड्रोन (EW Drone)
  4. लॉजिस्टिक्स ड्रोन (Logistics Drone)

उत्तर: (b) लॉइटरिंग म्यूनिशन्स (Loitering Munitions)

प्रश्न 2: Bayraktar TB2 ड्रोन, जो हाल के संघर्षों में अपनी प्रभावशीलता के लिए प्रसिद्ध हुआ, किस देश द्वारा विकसित किया गया है?

  1. संयुक्त राज्य अमेरिका
  2. इज़राइल
  3. तुर्की
  4. चीन

उत्तर: (c) तुर्की

प्रश्न 3: रूस-यूक्रेन युद्ध में रूस द्वारा व्यापक रूप से इस्तेमाल किया गया Shahed-136 आत्मघाती ड्रोन मूल रूप से किस देश द्वारा विकसित माना जाता है?

  1. चीन
  2. ईरान
  3. उत्तर कोरिया
  4. रूस (स्वदेशी)

उत्तर: (b) ईरान

प्रश्न 4: HALE का पूर्ण रूप क्या है, जो अक्सर उन्नत निगरानी ड्रोनों के संदर्भ में उपयोग किया जाता है?

  1. High Altitude Low Endurance
  2. Heavy Armament Long Engagement
  3. High Altitude Long Endurance
  4. Helicopter Aided Light Expedition

उत्तर: (c) High Altitude Long Endurance

प्रश्न 5: भारत द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित MALE श्रेणी का ड्रोन कौन सा है, जिसका एक उन्नत संस्करण TAPAS-BH के नाम से भी जाना जाता है?

  1. निशांत
  2. रुस्तम
  3. घातक
  4. लक्ष्य

उत्तर: (b) रुस्तम

प्रश्न 6: "ड्रोन झुंड" (Drone Swarms) की अवधारणा का मुख्य लाभ क्या है?

  1. प्रत्येक ड्रोन की व्यक्तिगत मारक क्षमता बढ़ाना
  2. दुश्मन की वायु रक्षा प्रणालियों को अभिभूत करना और जटिल मिशनों को अंजाम देना
  3. ड्रोन की उड़ान अवधि को बढ़ाना
  4. केवल निगरानी क्षमताओं को बेहतर बनाना

उत्तर: (b) दुश्मन की वायु रक्षा प्रणालियों को अभिभूत करना और जटिल मिशनों को अंजाम देना

प्रश्न 7: MQ-9 Reaper ड्रोन किस देश का एक प्रमुख लड़ाकू ड्रोन है?

  1. रूस
  2. चीन
  3. संयुक्त राज्य अमेरिका
  4. इज़राइल

उत्तर: (c) संयुक्त राज्य अमेरिका

प्रश्न 8: ड्रोन युद्ध से जुड़ी नैतिक चिंताओं में से एक "किलर रोबोट्स" का उदय किससे संबंधित है?

  1. ड्रोन की लागत
  2. ड्रोन की रेंज
  3. AI-सक्षम स्वायत्त हथियार प्रणाली (AWS)
  4. ड्रोन का आकार

उत्तर: (c) AI-सक्षम स्वायत्त हथियार प्रणाली (AWS)

प्रश्न 9: अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून (IHL) के कौन से सिद्धांत ड्रोन हमलों पर भी लागू होते हैं?

  1. केवल आनुपातिकता
  2. भेदभावी हमला, आनुपातिकता, और सावधानी
  3. केवल सैन्य आवश्यकता
  4. उपरोक्त में से कोई नहीं

उत्तर: (b) भेदभावी हमला, आनुपातिकता, और सावधानी

प्रश्न 10: भारत का "आदित्य-एल1" मिशन किस खगोलीय पिंड के अध्ययन से संबंधित है, लेकिन यदि भारत को अपनी सीमाओं की निगरानी के लिए एक समर्पित उपग्रह नक्षत्र बनाना हो, तो उसे किस प्रकार की तकनीक पर अधिक ध्यान देना होगा?

  1. चंद्रमा / उच्च-रिजॉल्यूशन ऑप्टिकल इमेजिंग
  2. सूर्य / सिंथेटिक एपर्चर रडार (SAR) और इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल सेंसर
  3. मंगल / लेजर संचार
  4. शुक्र / थर्मल इमेजिंग

उत्तर: (b) सूर्य / सिंथेटिक एपर्चर रडार (SAR) और इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल सेंसर (हालांकि आदित्य-L1 सूर्य के लिए है, प्रश्न का दूसरा भाग निगरानी उपग्रहों के लिए SAR और EO सेंसर की ओर इशारा करता है)

(यह कुछ उदाहरण प्रश्न हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं में इस विषय से विभिन्न प्रकार के तथ्यात्मक और विश्लेषणात्मक प्रश्न पूछे जा सकते हैं।)

हमें विश्वास है कि यह विस्तृत लेख और प्रश्नोत्तरी आपको ड्रोन युद्ध की जटिलताओं को समझने और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में मदद करेगी।

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