गणित के मूलभूत सूत्रों का संग्रह | Basic Math Formulas Collection

प्रकार | गणितीय नियम और सूत्र |
---|---|
उपयोग क्षेत्र | शिक्षा, विज्ञान, इंजीनियरिंग, अर्थशास्त्र |
मुख्य शाखाएँ | अंकगणित, बीजगणित, ज्यामिति, त्रिकोणमिति |
ऐतिहासिक मूल | प्राचीन भारतीय, यूनानी, अरबी गणित |
प्रमुख गणितज्ञ | आर्यभट्ट, पाइथागोरस, यूक्लिड, ब्रह्मगुप्त |
गणित के सामान्य नियम
गणित के सामान्य नियम (अंग्रेज़ी: Mathematical Rules and Formulas) वे मूलभूत सिद्धांत, सूत्र और प्रमेय हैं जो संख्याओं, आकृतियों, मात्राओं और उनके परस्पर संबंधों का अध्ययन करते हैं।[1] ये नियम अंकगणित (Arithmetic), बीजगणित (Algebra), ज्यामिति (Geometry), त्रिकोणमिति (Trigonometry), कलन (Calculus) और सांख्यिकी (Statistics) में व्यापक रूप से प्रयोग किए जाते हैं।
गणित के ये नियम सार्वभौमिक हैं और विश्व भर में समान रूप से लागू होते हैं। प्राचीन भारतीय गणितज्ञों जैसे आर्यभट्ट (476-550 ईस्वी), ब्रह्मगुप्त (598-668 ईस्वी), भास्कराचार्य (1114-1185 ईस्वी) और श्रीधराचार्य ने गणित के क्षेत्र में अमूल्य योगदान दिया।[2] भारत में शून्य (Zero) की खोज ने गणित की दुनिया में क्रांति ला दी, जिसका श्रेय ब्रह्मगुप्त को जाता है।
- 1. परिचय और इतिहास
- 1.1 गणित का विकास
- 1.2 भारतीय गणित का योगदान
- 2. BODMAS नियम
- 2.1 कोष्ठकों का क्रम
- 2.2 विस्तृत उदाहरण
- 3. बीजगणितीय सर्वसमिकाएँ
- 3.1 मूलभूत सर्वसमिकाएँ
- 3.2 उन्नत सर्वसमिकाएँ
- 3.3 घातांक के नियम
- 4. अंकगणितीय सूत्र
- 4.1 औसत और प्रतिशत
- 4.2 लाभ-हानि
- 4.3 साधारण और चक्रवृद्धि ब्याज
- 5. ज्यामितीय सूत्र
- 5.1 समतल आकृतियाँ
- 5.2 ठोस आकृतियाँ
- 5.3 पाइथागोरस प्रमेय
- 6. त्रिकोणमिति
- 6.1 मूलभूत अनुपात
- 6.2 त्रिकोणमितीय सर्वसमिकाएँ
- 6.3 विशेष कोणों के मान
- 7. अनुक्रम और श्रेणी
- 8. निर्देशांक ज्यामिति
- 9. सांख्यिकी और प्रायिकता
- 10. व्यावहारिक उदाहरण
- 11. संदर्भ
[संपादित करें]परिचय और इतिहास

गणित (Mathematics) शब्द ग्रीक शब्द "मैथेमेटिकोस" (Mathematikos) से आया है, जिसका अर्थ है "सीखने के योग्य"। गणित विज्ञान की वह शाखा है जो संख्याओं, मात्राओं, संरचनाओं और परिवर्तनों का अध्ययन करती है।[3] गणित के सामान्य नियम इन सभी क्षेत्रों में लागू होते हैं और समस्याओं को हल करने में सहायक होते हैं।
गणित का विकास
गणित का इतिहास लगभग 3000 ईसा पूर्व से प्राचीन मेसोपोटामिया और मिस्र की सभ्यताओं में मिलता है। हालांकि, व्यवस्थित और सैद्धांतिक गणित का विकास प्राचीन भारत और ग्रीस में हुआ।[4]
काल | सभ्यता | योगदान |
---|---|---|
3000-2000 ईसा पूर्व | बेबीलोन, मिस्र | मूलभूत अंकगणित, ज्यामिति |
800-200 ईसा पूर्व | प्राचीन भारत | शुल्ब सूत्र, वैदिक गणित |
600-300 ईसा पूर्व | प्राचीन ग्रीस | यूक्लिड की ज्यामिति, पाइथागोरस प्रमेय |
476-1500 ईस्वी | भारत, अरब | शून्य, दशमलव प्रणाली, बीजगणित |
1600-1900 ईस्वी | यूरोप | कलन, आधुनिक गणित |
भारतीय गणित का योगदान
- शून्य (Zero) - ब्रह्मगुप्त (628 ईस्वी)
- दशमलव प्रणाली - आर्यभट्ट
- π (पाई) का सटीक मान - आर्यभट्ट ने 3.1416 तक गणना की
- बीजगणितीय समीकरण - ब्रह्मगुप्त
- चक्रीय विधि (Cyclic Method) - भास्कराचार्य
आर्यभट्ट ने अपने ग्रंथ आर्यभटीय (499 ईस्वी) में गणित और खगोल विज्ञान के अनेक सूत्र प्रस्तुत किए। भास्कराचार्य की पुस्तक लीलावती गणित के नियमों का एक व्यापक संकलन है।[5]
[संपादित करें]BODMAS नियम

BODMAS नियम गणितीय संक्रियाओं के क्रम को निर्धारित करता है। यह नियम सुनिश्चित करता है कि जटिल गणितीय व्यंजकों को सही क्रम में हल किया जाए।[6] BODMAS का अर्थ है:
अक्षर | पूर्ण रूप (अंग्रेज़ी) | हिन्दी | प्राथमिकता क्रम |
---|---|---|---|
B | Brackets | कोष्ठक | 1 (सर्वोच्च) |
O | Orders (Powers/Exponents) | घात/घातांक | 2 |
D | Division | भाग | 3 |
M | Multiplication | गुणा | 4 |
A | Addition | जोड़ | 5 |
S | Subtraction | घटाव | 6 (न्यूनतम) |
कोष्ठकों का क्रम
जब व्यंजक में एक से अधिक प्रकार के कोष्ठक हों, तो निम्न क्रम में हल करें:
- ( ) - गोल कोष्ठक (Parentheses/Round Brackets)
- { } - मझला कोष्ठक (Braces/Curly Brackets)
- [ ] - बड़ा कोष्ठक (Square Brackets)
- — - रेखा (Vinculum/Bar)
विस्तृत उदाहरण
उदाहरण 1: सरल BODMAS
प्रश्न: 10 + 5 × 2 - 3 को हल करें।
हल:
- पहले गुणा करें: 5 × 2 = 10
- व्यंजक बन जाता है: 10 + 10 - 3
- बाएँ से दाएँ जोड़ें: 10 + 10 = 20
- अंत में घटाएँ: 20 - 3 = 17
उत्तर: 17
उदाहरण 2: कोष्ठकों के साथ
प्रश्न: {15 + (8 - 3)} × 2 को हल करें।
हल:
- पहले गोल कोष्ठक: 8 - 3 = 5
- व्यंजक: {15 + 5} × 2
- फिर मझला कोष्ठक: 15 + 5 = 20
- अंत में गुणा: 20 × 2 = 40
उत्तर: 40
उदाहरण 3: घातांक के साथ
प्रश्न: 3 + 2² × 4 - 10 ÷ 2 को हल करें।
हल:
- पहले घातांक (Orders): 2² = 4
- व्यंजक: 3 + 4 × 4 - 10 ÷ 2
- फिर भाग: 10 ÷ 2 = 5
- फिर गुणा: 4 × 4 = 16
- व्यंजक: 3 + 16 - 5
- जोड़: 3 + 16 = 19
- घटाव: 19 - 5 = 14
उत्तर: 14
[संपादित करें]बीजगणितीय सर्वसमिकाएँ

बीजगणितीय सर्वसमिकाएँ (Algebraic Identities) वे सूत्र हैं जो सभी मानों के लिए सत्य होते हैं। ये सूत्र बीजगणितीय व्यंजकों को सरल बनाने, गुणनखंड करने और समीकरणों को हल करने में अत्यंत उपयोगी हैं।[7]
मूलभूत सर्वसमिकाएँ
क्रम | सर्वसमिका | नाम/विवरण |
---|---|---|
1 | (a + b)² = a² + 2ab + b² | दो पदों के योग का वर्ग |
2 | (a - b)² = a² - 2ab + b² | दो पदों के अंतर का वर्ग |
3 | a² - b² = (a + b)(a - b) | वर्गों का अंतर |
4 | (a + b)³ = a³ + 3a²b + 3ab² + b³ | दो पदों के योग का घन |
5 | (a - b)³ = a³ - 3a²b + 3ab² - b³ | दो पदों के अंतर का घन |
6 | a³ + b³ = (a + b)(a² - ab + b²) | घनों का योग |
7 | a³ - b³ = (a - b)(a² + ab + b²) | घनों का अंतर |
8 | (a + b + c)² = a² + b² + c² + 2ab + 2bc + 2ca | तीन पदों के योग का वर्ग |
उन्नत सर्वसमिकाएँ
क्रम | सर्वसमिका |
---|---|
9 | (a + b)² + (a - b)² = 2(a² + b²) |
10 | (a + b)² - (a - b)² = 4ab |
11 | a² + b² = (a + b)² - 2ab |
12 | a² + b² = (a - b)² + 2ab |
13 | a³ + b³ + c³ - 3abc = (a + b + c)(a² + b² + c² - ab - bc - ca) |
14 | (a + b)³ = a³ + b³ + 3ab(a + b) |
15 | (a - b)³ = a³ - b³ - 3ab(a - b) |
16 | a³ + b³ = (a + b)³ - 3ab(a + b) |
17 | a³ - b³ = (a - b)³ + 3ab(a - b) |
18 | (a + b + c)³ = a³ + b³ + c³ + 3(a + b)(b + c)(c + a) |
घातांक के नियम (Laws of Exponents)
क्रम | नियम | विवरण |
---|---|---|
1 | aᵐ × aⁿ = aᵐ⁺ⁿ | समान आधार का गुणनफल |
2 | aᵐ ÷ aⁿ = aᵐ⁻ⁿ | समान आधार का भाग |
3 | (aᵐ)ⁿ = aᵐˣⁿ | घात की घात |
4 | (ab)ᵐ = aᵐ × bᵐ | गुणनफल की घात |
5 | (a/b)ᵐ = aᵐ / bᵐ | भाग की घात |
6 | a⁰ = 1 | शून्य घात |
7 | a⁻ᵐ = 1/aᵐ | ऋणात्मक घात |
8 | a^(1/n) = ⁿ√a | भिन्नात्मक घात |
उदाहरण 4: सर्वसमिका का प्रयोग
प्रश्न: (x + 7)² का विस्तार करें।
हल: सर्वसमिका (a + b)² = a² + 2ab + b² का प्रयोग करते हुए,
यहाँ a = x और b = 7
(x + 7)² = x² + 2(x)(7) + 7²
= x² + 14x + 49
उत्तर: x² + 14x + 49
[संपादित करें]अंकगणितीय सूत्र
अंकगणित (Arithmetic) गणित की वह मूलभूत शाखा है जो संख्याओं और उनकी मूलभूत संक्रियाओं (जोड़, घटाव, गुणा, भाग) से संबंधित है।[8]
औसत (Average)
प्रकार | सूत्र | उपयोग |
---|---|---|
साधारण औसत | औसत = सभी संख्याओं का योग / संख्याओं की कुल संख्या | सामान्य औसत निकालने के लिए |
भारित औसत | भारित औसत = Σ(मान × भार) / Σभार | जब अलग-अलग महत्व हो |
औसत गति | औसत गति = कुल दूरी / कुल समय | गति संबंधी प्रश्नों में |
प्रतिशत (Percentage)
प्रकार | सूत्र |
---|---|
प्रतिशत निकालना | (मान / कुल मान) × 100 |
प्रतिशत वृद्धि | [(नया मान - पुराना मान) / पुराना मान] × 100 |
प्रतिशत कमी | [(पुराना मान - नया मान) / पुराना मान] × 100 |
किसी संख्या का x% | (x / 100) × संख्या |
मूल संख्या ज्ञात करना | मूल संख्या = (प्रतिशत मान × 100) / प्रतिशत |
लाभ-हानि (Profit and Loss)
सूत्र | विवरण |
---|---|
लाभ = विक्रय मूल्य - क्रय मूल्य | जब SP > CP |
हानि = क्रय मूल्य - विक्रय मूल्य | जब CP > SP |
लाभ% = (लाभ / क्रय मूल्य) × 100 | लाभ प्रतिशत |
हानि% = (हानि / क्रय मूल्य) × 100 | हानि प्रतिशत |
SP = CP × (100 + लाभ%) / 100 | विक्रय मूल्य (लाभ के साथ) |
SP = CP × (100 - हानि%) / 100 | विक्रय मूल्य (हानि के साथ) |
CP = [SP × 100] / (100 + लाभ%) | क्रय मूल्य (लाभ से) |
CP = [SP × 100] / (100 - हानि%) | क्रय मूल्य (हानि से) |
साधारण और चक्रवृद्धि ब्याज
प्रकार | सूत्र | विवरण |
---|---|---|
साधारण ब्याज (Simple Interest) |
SI = (P × R × T) / 100 | P = मूलधन, R = दर (% प्रति वर्ष), T = समय (वर्ष) |
A = P + SI | A = मिश्रधन (कुल राशि) | |
P = (SI × 100) / (R × T) | मूलधन ज्ञात करना | |
चक्रवृद्धि ब्याज (Compound Interest) |
A = P(1 + R/100)ᵀ | वार्षिक चक्रवृद्धि |
CI = A - P | चक्रवृद्धि ब्याज | |
A = P(1 + R/200)²ᵀ | अर्धवार्षिक चक्रवृद्धि | |
A = P(1 + R/400)⁴ᵀ | तिमाही चक्रवृद्धि |
अनुपात और समानुपात (Ratio and Proportion)
सूत्र | विवरण |
---|---|
a : b = a / b | अनुपात |
यदि a : b = c : d, तो ad = bc | समानुपात (Cross Multiplication) |
यदि a : b = c : d, तो a/c = b/d | समानुपात का गुण |
मिश्रित अनुपात = a : b : c का योग = a + b + c | तीन या अधिक राशियों का अनुपात |
उदाहरण 5: साधारण ब्याज
प्रश्न: ₹8000 पर 4 वर्ष के लिए 15% वार्षिक दर से साधारण ब्याज और कुल राशि ज्ञात करें।
हल:
SI = (P × R × T) / 100
= (8000 × 15 × 4) / 100
= 480000 / 100 = ₹4800
कुल राशि (A) = P + SI = 8000 + 4800 = ₹12,800
उत्तर: SI = ₹4,800, कुल राशि = ₹12,800
[संपादित करें]ज्यामितीय सूत्र

ज्यामिति (Geometry) गणित की वह शाखा है जो आकृतियों, उनके गुणधर्मों और संबंधों का अध्ययन करती है। यूक्लिड (300 ईसा पूर्व) को ज्यामिति का जनक माना जाता है।[9]
समतल आकृतियाँ (2D Shapes) - क्षेत्रफल और परिमाप
आकृति | क्षेत्रफल | परिमाप |
---|---|---|
वर्ग (Square) | a² या भुजा² | 4a या 4 × भुजा |
आयत (Rectangle) | l × b या लंबाई × चौड़ाई | 2(l + b) या 2(लंबाई + चौड़ाई) |
त्रिभुज (Triangle) | ½ × आधार × ऊँचाई | a + b + c (तीनों भुजाओं का योग) |
समबाहु त्रिभुज | (√3/4) × भुजा² | 3 × भुजा |
समद्विबाहु त्रिभुज | ½ × आधार × ऊँचाई | 2a + b (a = समान भुजाएँ) |
वृत्त (Circle) | πr² (π = 22/7 या 3.14) | 2πr या πd (परिधि) |
अर्धवृत्त | πr² / 2 | πr + 2r |
वृत्तखंड (Sector) | (θ/360) × πr² | (θ/360) × 2πr + 2r |
समलंब (Trapezium) | ½ × (a + b) × h | चारों भुजाओं का योग |
समांतर चतुर्भुज | आधार × ऊँचाई | 2(a + b) |
समचतुर्भुज (Rhombus) | ½ × d₁ × d₂ (विकर्णों का गुणनफल) | 4 × भुजा |
चतुर्भुज (Quadrilateral) | ½ × विकर्ण × (h₁ + h₂) | चारों भुजाओं का योग |
ठोस आकृतियाँ (3D Shapes) - आयतन और पृष्ठीय क्षेत्रफल
ठोस आकृति | आयतन | कुल पृष्ठीय क्षेत्रफल | वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल |
---|---|---|---|
घन (Cube) | a³ | 6a² | — |
घनाभ (Cuboid) | l × b × h | 2(lb + bh + hl) | 2h(l + b) |
बेलन (Cylinder) | πr²h | 2πr(r + h) | 2πrh |
खोखला बेलन | π(R² - r²)h | 2π(R + r)(R - r + h) | 2π(R + r)h |
शंकु (Cone) | ⅓πr²h | πr(r + l) | πrl |
गोला (Sphere) | ⁴⁄₃πr³ | 4πr² | 4πr² |
अर्धगोला (Hemisphere) | ⅔πr³ | 3πr² | 2πr² |
गोलीय कोश (Spherical Shell) | ⁴⁄₃π(R³ - r³) | 4π(R² + r²) | — |
प्रिज्म (Prism) | आधार का क्षेत्रफल × ऊँचाई | पार्श्व पृष्ठ + 2 × आधार | परिमाप × ऊँचाई |
पिरामिड (Pyramid) | ⅓ × आधार का क्षेत्रफल × ऊँचाई | आधार + पार्श्व पृष्ठ | — |
- शंकु में: तिर्यक ऊँचाई (l) = √(r² + h²)
- गोले का व्यास: d = 2r
- घन का विकर्ण: a√3
- घनाभ का विकर्ण: √(l² + b² + h²)
पाइथागोरस प्रमेय (Pythagoras Theorem)

पाइथागोरस प्रमेय के अनुसार, समकोण त्रिभुज में कर्ण का वर्ग शेष दो भुजाओं के वर्गों के योग के बराबर होता है।[10]
c² = a² + b²
जहाँ:
- c = कर्ण (Hypotenuse) - सबसे लंबी भुजा
- a, b = अन्य दो भुजाएँ (आधार और लंब)
पाइथागोरस त्रिक (Pythagorean Triplets)
कुछ प्रसिद्ध पाइथागोरस त्रिक जो समकोण त्रिभुज की भुजाएँ बनाते हैं:
त्रिक (a, b, c) | सत्यापन |
---|---|
(3, 4, 5) | 3² + 4² = 9 + 16 = 25 = 5² |
(5, 12, 13) | 5² + 12² = 25 + 144 = 169 = 13² |
(8, 15, 17) | 8² + 15² = 64 + 225 = 289 = 17² |
(7, 24, 25) | 7² + 24² = 49 + 576 = 625 = 25² |
(20, 21, 29) | 20² + 21² = 400 + 441 = 841 = 29² |
[संपादित करें]त्रिकोणमिति

त्रिकोणमिति (Trigonometry) गणित की वह शाखा है जो त्रिभुजों के कोणों और भुजाओं के बीच संबंधों का अध्ययन करती है। यह शब्द ग्रीक शब्दों "त्रिगोनोन" (त्रिभुज) और "मेट्रोन" (मापना) से बना है।[11]
मूलभूत त्रिकोणमितीय अनुपात
अनुपात | सूत्र | पूर्ण रूप |
---|---|---|
sin θ | लंब / कर्ण = Perpendicular / Hypotenuse | Sine |
cos θ | आधार / कर्ण = Base / Hypotenuse | Cosine |
tan θ | लंब / आधार = Perpendicular / Base | Tangent |
cosec θ (csc θ) | 1 / sin θ = कर्ण / लंब | Cosecant |
sec θ | 1 / cos θ = कर्ण / आधार | Secant |
cot θ | 1 / tan θ = आधार / लंब | Cotangent |
त्रिकोणमितीय सर्वसमिकाएँ
क्रम | सर्वसमिका | नाम |
---|---|---|
1 | sin²θ + cos²θ = 1 | पाइथागोरस सर्वसमिका |
2 | 1 + tan²θ = sec²θ | tan और sec संबंध |
3 | 1 + cot²θ = cosec²θ | cot और cosec संबंध |
4 | tan θ = sin θ / cos θ | tan की परिभाषा |
5 | cot θ = cos θ / sin θ | cot की परिभाषा |
6 | sin²θ = 1 - cos²θ | व्युत्पन्न सूत्र |
7 | cos²θ = 1 - sin²θ | व्युत्पन्न सूत्र |
8 | tan²θ = sec²θ - 1 | व्युत्पन्न सूत्र |
9 | cot²θ = cosec²θ - 1 | व्युत्पन्न सूत्र |
विशेष कोणों के त्रिकोणमितीय मान
अनुपात/कोण | 0° | 30° | 45° | 60° | 90° |
---|---|---|---|---|---|
sin θ | 0 | 1/2 | 1/√2 | √3/2 | 1 |
cos θ | 1 | √3/2 | 1/√2 | 1/2 | 0 |
tan θ | 0 | 1/√3 | 1 | √3 | ∞ (अपरिभाषित) |
cosec θ | ∞ | 2 | √2 | 2/√3 | 1 |
sec θ | 1 | 2/√3 | √2 | 2 | ∞ |
cot θ | ∞ | √3 | 1 | 1/√3 | 0 |
योग और अंतर के सूत्र
सूत्र |
---|
sin(A + B) = sin A cos B + cos A sin B |
sin(A - B) = sin A cos B - cos A sin B |
cos(A + B) = cos A cos B - sin A sin B |
cos(A - B) = cos A cos B + sin A sin B |
tan(A + B) = (tan A + tan B) / (1 - tan A tan B) |
tan(A - B) = (tan A - tan B) / (1 + tan A tan B) |
दोगुने कोण के सूत्र
सूत्र |
---|
sin 2θ = 2 sin θ cos θ |
cos 2θ = cos²θ - sin²θ = 2cos²θ - 1 = 1 - 2sin²θ |
tan 2θ = 2 tan θ / (1 - tan²θ) |
[संपादित करें]अनुक्रम और श्रेणी
अनुक्रम (Sequence) संख्याओं की एक व्यवस्थित सूची है, जबकि श्रेणी (Series) अनुक्रम के पदों का योग है।[12]
समांतर श्रेणी (Arithmetic Progression - AP)
सूत्र | विवरण |
---|---|
aₙ = a + (n-1)d | n वाँ पद |
Sₙ = n/2 [2a + (n-1)d] | n पदों का योग |
Sₙ = n/2 (a + l) | n पदों का योग (l = अंतिम पद) |
d = aₙ - aₙ₋₁ | सार्व अंतर |
गुणोत्तर श्रेणी (Geometric Progression - GP)
सूत्र | विवरण |
---|---|
aₙ = arⁿ⁻¹ | n वाँ पद |
Sₙ = a(rⁿ - 1) / (r - 1) | n पदों का योग (r ≠ 1) |
S∞ = a / (1 - r) | अनंत योग (|r| < 1) |
r = aₙ / aₙ₋₁ | सार्व अनुपात |
[संपादित करें]निर्देशांक ज्यामिति
निर्देशांक ज्यामिति (Coordinate Geometry) में बिंदुओं को निर्देशांक तल पर स्थित किया जाता है।[13]
महत्वपूर्ण सूत्र
सूत्र | विवरण |
---|---|
दूरी = √[(x₂-x₁)² + (y₂-y₁)²] | दो बिंदुओं के बीच दूरी |
मध्य बिंदु = ((x₁+x₂)/2, (y₁+y₂)/2) | रेखाखंड का मध्य बिंदु |
ढाल (m) = (y₂-y₁)/(x₂-x₁) | रेखा की ढाल |
विभाजन बिंदु = ((mx₂+nx₁)/(m+n), (my₂+ny₁)/(m+n)) | m:n अनुपात में विभाजन |
त्रिभुज का क्षेत्रफल = ½|x₁(y₂-y₃) + x₂(y₃-y₁) + x₃(y₁-y₂)| | तीन बिंदुओं से बने त्रिभुज |
[संपादित करें]सांख्यिकी और प्रायिकता
सांख्यिकी के सूत्र
सूत्र | विवरण |
---|---|
माध्य (Mean) = Σx / n | समस्त मानों का औसत |
माध्यिका (Median) = (n+1)/2 वाँ पद | मध्य मान |
बहुलक (Mode) | सर्वाधिक बार आने वाला मान |
परिसर (Range) = अधिकतम - न्यूनतम | मानों का विस्तार |
मानक विचलन = √[Σ(x-x̄)² / n] | विचरण का माप |
प्रायिकता के सूत्र
सूत्र | विवरण |
---|---|
P(A) = अनुकूल परिणाम / कुल परिणाम | मूल प्रायिकता |
0 ≤ P(A) ≤ 1 | प्रायिकता का परिसर |
P(A) + P(A') = 1 | पूरक घटना |
P(A∪B) = P(A) + P(B) - P(A∩B) | संयोजन नियम |
[संपादित करें]व्यावहारिक उदाहरण
उदाहरण 6: वृत्त का क्षेत्रफल
प्रश्न: एक वृत्ताकार बगीचे की त्रिज्या 21 मीटर है। इसका क्षेत्रफल ज्ञात करें।
हल: क्षेत्रफल = πr²
= (22/7) × 21²
= (22/7) × 441
= 22 × 63 = 1386 m²
उत्तर: 1386 वर्ग मीटर
उदाहरण 7: प्रतिशत वृद्धि
प्रश्न: एक वस्तु की कीमत ₹500 से बढ़कर ₹650 हो गई। प्रतिशत वृद्धि ज्ञात करें।
हल: प्रतिशत वृद्धि = [(नया-पुराना)/पुराना] × 100
= [(650-500)/500] × 100
= (150/500) × 100 = 30%
उत्तर: 30% वृद्धि
उदाहरण 8: पाइथागोरस प्रमेय
प्रश्न: एक समकोण त्रिभुज की भुजाएँ 9 cm और 12 cm हैं। कर्ण की लंबाई ज्ञात करें।
हल: c² = a² + b²
c² = 9² + 12²
c² = 81 + 144 = 225
c = √225 = 15 cm
उत्तर: 15 सेंटीमीटर
[संपादित करें]संदर्भ
- NCERT (2023). "Mathematics Textbook for Class 10". National Council of Educational Research and Training, New Delhi.
- Boyer, Carl B.; Merzbach, Uta C. (1991). "A History of Mathematics" (Second ed.). John Wiley & Sons.
- Datta, Bibhutibhushan; Singh, Avadhesh Narayan (1962). "History of Hindu Mathematics". Asia Publishing House.
- Katz, Victor J. (2009). "A History of Mathematics: An Introduction" (Third ed.). Addison-Wesley.
- Bhaskara II (1150). "Lilavati". भारतीय गणित ग्रंथ।
- Dunham, William (1990). "Journey Through Genius: The Great Theorems of Mathematics". Wiley.
- Stewart, James (2015). "Algebra and Trigonometry" (Fourth ed.). Cengage Learning.
- Larson, Ron; Hostetler, Robert P. (2007). "Precalculus" (Seventh ed.). Houghton Mifflin Company.
- Euclid (c. 300 BC). "Elements". Ancient Greek mathematical treatise.
- Heath, Thomas L. (1956). "The Thirteen Books of Euclid's Elements". Dover Publications.
- Maor, Eli (1998). "Trigonometric Delights". Princeton University Press.
- Graham, Ronald L.; Knuth, Donald E.; Patashnik, Oren (1994). "Concrete Mathematics". Addison-Wesley.
- Anton, Howard (2013). "Elementary Linear Algebra" (Eleventh ed.). John Wiley & Sons.
श्रेणियाँ: गणित | गणितीय सूत्र | बीजगणित | ज्यामिति | त्रिकोणमिति | शैक्षिक सामग्री | NCERT पाठ्यक्रम | गणित शिक्षा | गणितीय प्रमेय