RBSE Senior Secondary Supplementary Exam 2024 – Physics (Full Solution)
वरिष्ठ माध्यमिक पूरक परीक्षा 2024 - भौतिकी (संपूर्ण हल)
यह लेख राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की वरिष्ठ माध्यमिक पूरक परीक्षा 2024 के भौतिकी विषय के सभी प्रश्नों के विस्तृत उत्तर, व्युत्पत्ति, और आवश्यक चित्रों के साथ प्रस्तुत करता है।
खंड - A: बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1(i):
1C के दो बिंदु धनावेश वायु में परस्पर 1 m दूर स्थित हैं। आवेशों के मध्य कार्यरत प्रतिकर्षण वैद्युत बल का मान होगा -
उत्तर:
हल:
कूलम्ब का नियम:
जहाँ:
- k = 9×10⁹ Nm²/C² (कूलम्ब स्थिरांक)
- q₁ = q₂ = 1C
- r = 1m
F = 9×10⁹ × (1 × 1) / (1)²
F = 9×10⁹ × 1 / 1
F = 9×10⁹ N
प्रश्न 1(ii):
किसी बिंदु आवेश के कारण समविभव पृष्ठ की आकृति होती है -
उत्तर:
व्याख्या: बिंदु आवेश से समान दूरी पर सभी बिंदुओं पर विभव समान होता है। ये बिंदु एक गोलीय पृष्ठ बनाते हैं। इसलिए समविभव पृष्ठ गोलाकार होते हैं।
प्रश्न 1(iii):
प्रतिरोधकता के व्युत्क्रम को कहते हैं -
उत्तर:
जहाँ ρ = प्रतिरोधकता (resistivity)
चालकता का SI मात्रक: mho/m या S/m (siemens per meter)
प्रश्न 1(iv):
विद्युत वाहक बल का SI मात्रक है -
उत्तर:
व्याख्या: विद्युत वाहक बल (EMF) विभवांतर का ही रूप है, इसलिए इसका मात्रक भी वोल्ट (V) है।
प्रश्न 1(v):
0.10 m त्रिज्या की वृत्ताकार कुंडली में फेरों की संख्या 100 है। यदि इसमें प्रवाहित विद्युत धारा 1A हो तो कुंडली का चुंबकीय आघूर्ण होगा -
उत्तर:
हल:
चुंबकीय आघूर्ण का सूत्र:
दिया है:
- n = 100 फेरे
- I = 1 A
- r = 0.10 m
M = 100 × 1 × π × (0.10)²
M = 100 × 1 × 3.14 × 0.01
M = 100 × 0.0314
M = 3.14 A.m²
प्रश्न 1(vi):
एक संपूर्ण चक्र में प्रत्यावर्ती धारा का माध्य मान होता है -
उत्तर:
व्याख्या: प्रत्यावर्ती धारा (AC) एक पूर्ण चक्र में आधे समय धनात्मक और आधे समय ऋणात्मक होती है। इसलिए संपूर्ण चक्र का माध्य मान शून्य होता है।
प्रश्न 1(vii):
एक आवेशित कण अपनी माध्य स्थिति के दोनों ओर 10⁸ Hz आवृत्ति से दोलन करता है। दोलक द्वारा जनित वैद्युत चुंबकीय तरंगों की आवृत्ति होगी -
उत्तर:
व्याख्या: आवेशित कण के दोलन की आवृत्ति और उत्पन्न विद्युत चुंबकीय तरंगों की आवृत्ति समान होती है। इसलिए उत्तर 10⁸ Hz है।
प्रश्न 1(viii):
यदि वायु के सापेक्ष कांच का अपवर्तनांक 3/2 हो तो कांच के सापेक्ष वायु का अपवर्तनांक होगा -
उत्तर:
हल:
जहाँ:
- ₐnᵍ = वायु के सापेक्ष कांच का अपवर्तनांक = 3/2
- ᵍnₐ = कांच के सापेक्ष वायु का अपवर्तनांक = ?
ᵍnₐ = 1 / ₐnᵍ
ᵍnₐ = 1 / (3/2)
ᵍnₐ = 2/3
प्रश्न 1(ix):
यदि किसी प्रकाशिक उपकरण का आवर्धन धनात्मक हो तो प्रतिबिंब सदैव बनेगा -
उत्तर:
व्याख्या: धनात्मक आवर्धन (+m) का अर्थ है कि प्रतिबिंब सीधा है। सीधा प्रतिबिंब हमेशा आभासी होता है।
प्रश्न 1(x):
मैलस के नियम का सूत्र है -
उत्तर:
जहाँ:
- I = संचरित प्रकाश की तीव्रता
- I₀ = आपतित प्रकाश की तीव्रता
- θ = ध्रुवक और विश्लेषक के बीच का कोण
प्रश्न 1(xi):
विभव 'V' द्वारा त्वरित किसी इलेक्ट्रॉन से संबद्ध दे ब्रॉग्ली तरंगदैर्ध्य का मान 0.1227 nm है। त्वरक विभव 'V' का मान होगा -
उत्तर:
हल:
दे ब्रॉग्ली तरंगदैर्ध्य का सूत्र:
दिया है: λ = 0.1227 nm
0.1227 = 1.227 / √V
√V = 1.227 / 0.1227
√V = 10
V = 100
V = 100 V
प्रश्न 1(xii):
फोटॉन की ऊर्जा का सूत्र है -
उत्तर:
जहाँ:
- h = प्लांक नियतांक = 6.626×10⁻³⁴ J.s
- c = प्रकाश का वेग = 3×10⁸ m/s
- λ = तरंगदैर्ध्य
- ν = आवृत्ति
प्रश्न 1(xiii):
संघट्ट प्राचल के न्यूनतम मान के लिए प्रकीर्णन कोण का मान होता है -
उत्तर:
व्याख्या: रदरफोर्ड प्रकीर्णन में, जब संघट्ट प्राचल (impact parameter) न्यूनतम होता है, अर्थात् α-कण नाभिक के अत्यंत निकट से गुजरता है, तो प्रकीर्णन कोण अधिकतम होता है, जो 180° है (पूर्ण वापसी)।
प्रश्न 1(xiv):
हाइड्रोजन परमाणु की निम्नतम अवस्था में ऊर्जा –13.6 eV है। इस अवस्था में इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा होगी -
उत्तर:
व्याख्या:
बोर के सिद्धांत के अनुसार:
स्थितिज ऊर्जा (U) = 2E = –27.2 eV
गतिज ऊर्जा (K) = –E = 13.6 eV
या: K = |U|/2 = 27.2/2 = 13.6 eV
प्रश्न 1(xv):
दो नाभिकों की द्रव्यमान संख्याओं का अनुपात 1:2 है। इनके नाभिकीय घनत्वों का अनुपात होगा -
उत्तर:
व्याख्या:
नाभिकीय घनत्व सभी नाभिकों के लिए लगभग समान होता है और द्रव्यमान संख्या पर निर्भर नहीं करता।
इसलिए अनुपात = 1:1
प्रश्न 1(xvi):
निम्न में से तात्विक अर्धचालक है -
उत्तर:
व्याख्या:
- तात्विक अर्धचालक: Si (सिलिकॉन), Ge (जर्मेनियम) - एक ही तत्व से बने
- यौगिक अर्धचालक: GaAs (गैलियम आर्सेनाइड) - दो या अधिक तत्वों से बने
- एंथ्रासीन और पॉलीपाइरोल कार्बनिक अर्धचालक हैं
खंड - A: रिक्त स्थान भरें (प्रश्न 2)
प्रश्न 2(i):
एकल ऋणावेश के कारण वैद्युत क्षेत्र रेखाएं त्रिज्यतः __________ होती हैं।
व्याख्या: ऋण आवेश की ओर विद्युत क्षेत्र रेखाएं अंदर की ओर जाती हैं, जबकि धन आवेश से बाहर की ओर निकलती हैं।
प्रश्न 2(ii):
दिये गए विद्युत परिपथ में धारा (I) का मान __________ A होगा।
(परिपथ: 0.7A, I, 0.8A, 0.5A, 1.4A)
हल (किरचॉफ का धारा नियम):
किसी संधि पर आने वाली धाराओं का योग = जाने वाली धाराओं का योग
0.7 + 0.8 = I + 0.5
1.5 = I + 0.5
I = 1.0 A
प्रश्न 2(iii):
ऐमीटर में इकाई धारा से प्राप्त विक्षेप को __________ कहते हैं।
व्याख्या: धारा सुग्राहिता = विक्षेप / धारा = θ/I
प्रश्न 2(iv):
यदि किसी पदार्थ की चुंबकीय प्रवृत्ति बहुत उच्च एवं धनात्मक हो तो पदार्थ __________ चुंबकीय होता है।
व्याख्या: लौह चुंबकीय पदार्थों (Fe, Co, Ni) की चुंबकीय प्रवृत्ति (χ) बहुत अधिक और धनात्मक होती है।
प्रश्न 2(v):
प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में धारा का वर्ग माध्यमूल मान 2A है। इसका शिखर मान __________ A होता है।
हल:
I₀ = √2 × I_rms
I₀ = √2 × 2
I₀ = 2√2 A ≈ 2.83 A
प्रश्न 2(vi):
जब प्रकाश सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करता है तो आपतन कोण का वह मान जिसके संगत अपवर्तन कोण 90° हो जाता है, उस माध्यम युग्म के लिए __________ कोण कहलाता है।
परिभाषा: क्रांतिक कोण वह आपतन कोण है जिस पर अपवर्तन कोण 90° हो जाता है।
प्रश्न 2(vii):
पथांतर 2.5λ के तुल्य कलांतर __________ होता है।
हल:
Δφ = (2π/λ) × 2.5λ
Δφ = 2π × 2.5
Δφ = 5π radian = 900°
प्रश्न 2(viii):
देहली आवृत्ति पर निरोधी विभव (अंतक वोल्टता) का मान __________ होता है।
व्याख्या: देहली आवृत्ति (ν₀) पर फोटोइलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा शून्य होती है, इसलिए उन्हें रोकने के लिए निरोधी विभव की आवश्यकता नहीं होती।
प्रश्न 2(ix):
बोर ने द्वितीय अभिगृहीत में __________ संवेग का क्वांटीकरण किया है।
बोर का द्वितीय अभिगृहीत:
जहाँ n = 1, 2, 3, ... (प्रधान क्वांटम संख्या)
प्रश्न 2(x):
यदि निवेशी संकेत की आवृत्ति 60 Hz हो तो पूर्ण तरंग दिष्टकारी में निर्गत संकेत की आवृत्ति __________ Hz होगी।
व्याख्या: पूर्ण तरंग दिष्टकारी में दोनों अर्ध चक्रों को दिष्टीकृत किया जाता है, इसलिए निर्गत आवृत्ति निवेशी आवृत्ति की दोगुनी हो जाती है।
निर्गत आवृत्ति = 2 × 60 = 120 Hz
खंड - A: एक पंक्ति उत्तर (प्रश्न 3)
प्रश्न 3(i): [1 अंक]
किसी बिंदु आवेश के लिए दूरी (r) में परिवर्तन के साथ विद्युत विभव (V) में परिवर्तन का वक्र बनाइए।
उत्तर:
ग्राफ: V-r वक्र (अतिपरवलय)
व्याख्या: बिंदु आवेश के लिए विद्युत विभव V = kq/r होता है। यह व्युत्क्रमानुपाती संबंध है, इसलिए ग्राफ अतिपरवलय (hyperbola) होता है।
प्रश्न 3(ii): [1 अंक]
चालक (तांबे) के लिए प्रतिरोधकता (ρ) एवं परम ताप (T) में ग्राफ बनाइए।
उत्तर:
ग्राफ: ρ-T संबंध (सरल रेखा)
व्याख्या: चालकों (जैसे Cu) में प्रतिरोधकता ताप के साथ रैखिक रूप से बढ़ती है। ρ ∝ T
प्रश्न 3(iii): [1 अंक]
किसी पदार्थ के चुंबकन (M), चुंबकीय तीव्रता (H) तथा चुंबकीय क्षेत्र (B) के मध्य संबंध लिखिए।
उत्तर:
या
जहाँ:
- B = चुंबकीय क्षेत्र (Tesla)
- H = चुंबकीय तीव्रता (A/m)
- M = चुंबकन (A/m)
- μ₀ = निर्वात की चुंबकशीलता = 4π×10⁻⁷ T.m/A
प्रश्न 3(iv): [1 अंक]
चुंबकीय फ्लक्स को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
चुंबकीय फ्लक्स (Φ): किसी पृष्ठ से गुजरने वाली चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं की संख्या को चुंबकीय फ्लक्स कहते हैं।
SI मात्रक: वेबर (Wb) या T.m²
प्रश्न 3(v): [1 अंक]
तरंगाग्र किसे कहते हैं?
उत्तर:
तरंगाग्र (Wavefront): किसी माध्यम में उन सभी बिंदुओं का बिन्दुपथ जो एक ही समय में एक ही कला में कंपन कर रहे हों, तरंगाग्र कहलाता है।
प्रकार:
- गोलीय तरंगाग्र (बिंदु स्रोत से)
- बेलनाकार तरंगाग्र (रेखीय स्रोत से)
- समतल तरंगाग्र (अनंत दूरी से)
प्रश्न 3(vi): [1 अंक]
आइंस्टाइन का प्रकाश-विद्युत समीकरण लिखिए।
उत्तर:
या
hν = hν₀ + ½mv²max
जहाँ:
- hν = आपतित फोटॉन की ऊर्जा
- W₀ = hν₀ = कार्यफलन
- KEmax = उत्सर्जित इलेक्ट्रॉन की अधिकतम गतिज ऊर्जा
प्रश्न 3(vii): [1 अंक]
हाइड्रोजन परमाणु में इलेक्ट्रॉन की ऋणात्मक ऊर्जा से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
ऋणात्मक ऊर्जा का अर्थ: इलेक्ट्रॉन नाभिक से बंधा हुआ (bound) है। इलेक्ट्रॉन को परमाणु से मुक्त करने के लिए ऊर्जा देनी होगी।
ऋणात्मक चिह्न दर्शाता है कि इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा अनंत दूरी पर (जहाँ E = 0) की तुलना में कम है।
प्रश्न 3(viii): [1 अंक]
ताप नाभिकीय संलयन के लिए कोई एक आवश्यक शर्त लिखिए।
उत्तर:
आवश्यक शर्त: अत्यधिक उच्च ताप (लगभग 10⁷ K या उससे अधिक) होना चाहिए।
कारण: इतने उच्च ताप पर ही नाभिकों की गतिज ऊर्जा इतनी हो पाती है कि वे कूलम्ब प्रतिकर्षण को पार कर संलयन कर सकें।
खंड - B: लघु उत्तरीय प्रश्न (1.5 अंक)
प्रश्न 4: [1.5 अंक]
6μF धारिता के तीन संधारित्र श्रेणीक्रम में जुड़े हैं। इनकी तुल्य धारिता का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
श्रेणीक्रम में संधारित्रों के लिए:
दिया है: C₁ = C₂ = C₃ = 6μF
1/Ceq = 1/6 + 1/6 + 1/6
1/Ceq = 3/6 = 1/2
Ceq = 2μF
प्रश्न 5: [1.5 अंक]
किरचॉफ के नियमों से व्हीटस्टोन सेतु के संतुलन का प्रतिबंध प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
व्हीटस्टोन सेतु
व्युत्पत्ति:
संतुलन की अवस्था में गैल्वेनोमीटर में धारा शून्य होती है।
लूप ABDA में (किरचॉफ का द्वितीय नियम):
∴ I₁P = I₂R ... (1)
लूप BCDB में:
∴ I₁Q = I₂S ... (2)
समीकरण (1) को (2) से भाग देने पर:
P/Q = R/S
या
P/R = Q/S
यही व्हीटस्टोन सेतु का संतुलन प्रतिबंध है।
प्रश्न 6: [1.5 अंक]
किसी बाह्य चुंबकीय क्षेत्र में स्थित (A) प्रतिचुंबकीय पदार्थ एवं (B) अनुचुंबकीय पदार्थ के लिए चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं खींचिए।
उत्तर:
चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं
व्याख्या:
- (A) प्रतिचुंबकीय: क्षेत्र रेखाएं पदार्थ से दूर मुड़ती हैं (repelled)
- (B) अनुचुंबकीय: क्षेत्र रेखाएं पदार्थ की ओर आकर्षित होती हैं (attracted)
प्रश्न 7: [1.5 अंक]
किसी परिपथ में 0.2s में धारा 2.0A से शून्य तक गिरती है। यदि औसत प्रेरित विद्युत वाहक बल 100V हो तो परिपथ का स्वप्रेरकत्व ज्ञात कीजिए।
हल:
स्वप्रेरकत्व का सूत्र:
दिया है:
- ε = 100 V
- dI = I₂ - I₁ = 0 - 2.0 = -2.0 A
- dt = 0.2 s
100 = L × |dI/dt|
100 = L × |(-2.0)/0.2|
100 = L × 10
L = 100/10
L = 10 H (हेनरी)
प्रश्न 8: [1.5 अंक]
लेंज का नियम लिखिए। यह नियम प्रकृति के किस संरक्षण नियम की पालना करता है?
उत्तर:
लेंज का नियम: प्रेरित विद्युत वाहक बल की दिशा सदैव ऐसी होती है कि वह उस कारण का विरोध करता है जिससे वह उत्पन्न हुआ है।
गणितीय रूप:
(ऋणात्मक चिह्न लेंज के नियम को दर्शाता है)
संरक्षण नियम: यह नियम ऊर्जा संरक्षण के नियम की पालना करता है। यदि प्रेरित धारा कारण का समर्थन करे तो असीमित ऊर्जा उत्पन्न हो सकती है, जो ऊर्जा संरक्षण का उल्लंघन होगा।
प्रश्न 9: [1.5 अंक]
विस्थापन धारा किसे कहते हैं? एम्पीयर मैक्सवेल का समीकरण लिखिए।
उत्तर:
विस्थापन धारा: संधारित्र की प्लेटों के बीच (जहाँ कोई चालन धारा नहीं होती) विद्युत क्षेत्र में परिवर्तन के कारण उत्पन्न होने वाली प्रभावी धारा को विस्थापन धारा कहते हैं।
एम्पीयर-मैक्सवेल का नियम:
या
∮ B⃗·dl⃗ = μ₀Ic + μ₀ε₀(dΦE/dt)
जहाँ:
- Ic = चालन धारा
- Id = विस्थापन धारा
प्रश्न 10: [1.5 अंक]
3 cm आकार की वस्तु 40 cm वक्रता त्रिज्या के अवतल दर्पण से 30 cm दूर स्थित है। दर्पण से प्रतिबिंब की दूरी ज्ञात कीजिए।
हल:
दिया है:
- वस्तु का आकार (h) = 3 cm
- वक्रता त्रिज्या (R) = 40 cm
- फोकस दूरी (f) = R/2 = 40/2 = -20 cm (अवतल दर्पण के लिए ऋणात्मक)
- वस्तु दूरी (u) = -30 cm
दर्पण सूत्र:
1/(-20) = 1/v + 1/(-30)
1/v = 1/(-20) - 1/(-30)
1/v = -1/20 + 1/30
1/v = (-3 + 2)/60 = -1/60
v = -60 cm
उत्तर: प्रतिबिंब दर्पण से 60 cm दूरी पर (दर्पण के सामने) बनेगा।
प्रश्न 11: [1.5 अंक]
हाइगेंस के तरंग सिद्धांत से प्रकाश के परावर्तन नियमों को समझाइए।
उत्तर:
हाइगेंस का सिद्धांत: तरंगाग्र का प्रत्येक बिंदु द्वितीयक तरंगिकाओं का स्रोत बन जाता है।
परावर्तन के नियम:
- प्रथम नियम: आपतित किरण, परावर्तित किरण और आपतन बिंदु पर अभिलंब तीनों एक ही तल में होते हैं।
- द्वितीय नियम: आपतन कोण = परावर्तन कोण (i = r)
व्युत्पत्ति: द्वितीयक तरंगिकाओं की आकृति से सिद्ध होता है कि परावर्तन में प्रकाश का वेग अपरिवर्तित रहता है और i = r होता है।
प्रश्न 12: [1.5 अंक]
निम्न को परिभाषित कीजिए:
A) प्रकाश का व्यतिकरण
B) प्रकाश का विवर्तन
उत्तर:
A) प्रकाश का व्यतिकरण (Interference):
जब दो या अधिक सुसंगत प्रकाश तरंगें एक ही स्थान पर एक साथ आती हैं, तो उनके अध्यारोपण के कारण परिणामी तीव्रता का पुनर्वितरण होता है। कुछ स्थानों पर तीव्रता अधिकतम (constructive interference) और कुछ पर न्यूनतम (destructive interference) होती है। इसे व्यतिकरण कहते हैं।
शर्तें:
- तरंगें सुसंगत (coherent) हों
- समान आवृत्ति और स्थिर कलांतर हो
B) प्रकाश का विवर्तन (Diffraction):
जब प्रकाश किसी अवरोध या छिद्र के किनारों से गुजरता है, तो वह अपने सरल रेखीय पथ से विचलित होकर ज्यामितीय छाया क्षेत्र में मुड़ जाता है। इस परिघटना को विवर्तन कहते हैं।
उदाहरण: एकल स्लिट से विवर्तन प्रतिरूप (pattern)
प्रश्न 13: [1.5 अंक]
प्लैटिनम तथा सोडियम के कार्यफलन क्रमशः 5.50eV एवं 2.75eV हैं। सोडियम तथा प्लैटिनम की देहली आवृत्तियों का अनुपात ज्ञात कीजिए।
हल:
कार्यफलन और देहली आवृत्ति का संबंध:
दिया है:
- प्लैटिनम का कार्यफलन (WPt) = 5.50 eV
- सोडियम का कार्यफलन (WNa) = 2.75 eV
νNa/νPt = WNa/WPt
νNa/νPt = 2.75/5.50
νNa/νPt = 1/2
νNa : νPt = 1 : 2
उत्तर: सोडियम और प्लैटिनम की देहली आवृत्तियों का अनुपात 1:2 है।
प्रश्न 14: [1.5 अंक]
बोर मॉडल की दो सीमाएं लिखिए।
उत्तर:
बोर मॉडल की सीमाएं:
- केवल हाइड्रोजन के लिए: बोर का मॉडल केवल एक इलेक्ट्रॉन वाले परमाणुओं (H, He⁺, Li²⁺) के स्पेक्ट्रम की व्याख्या कर सकता है। बहु-इलेक्ट्रॉन परमाणुओं के लिए यह असफल है।
- स्पेक्ट्रम की सूक्ष्म संरचना: बोर का मॉडल स्पेक्ट्रम रेखाओं की सूक्ष्म संरचना (fine structure) की व्याख्या नहीं कर सकता। चुंबकीय क्षेत्र में स्पेक्ट्रम रेखाओं के विभाजन (Zeeman effect) को भी नहीं समझा सकता।
- तीव्रता की व्याख्या नहीं: यह स्पेक्ट्रम रेखाओं की सापेक्ष तीव्रता की व्याख्या नहीं कर सकता।
- अनिश्चितता सिद्धांत: यह हाइजेनबर्ग के अनिश्चितता सिद्धांत के विरुद्ध है क्योंकि यह इलेक्ट्रॉन की स्थिति और संवेग दोनों को निश्चित रूप से परिभाषित करता है।
प्रश्न 15: [1.5 अंक]
निम्न को परिभाषित कीजिए:
A) समस्थानिक
B) समभारिक
उत्तर:
A) समस्थानिक (Isotopes):
एक ही तत्व के वे परमाणु जिनमें प्रोटॉनों की संख्या समान (Z समान) लेकिन न्यूट्रॉनों की संख्या भिन्न (A भिन्न) होती है, समस्थानिक कहलाते हैं।
उदाहरण:
- हाइड्रोजन के समस्थानिक: ¹H, ²H (ड्यूटीरियम), ³H (ट्राइटियम)
- कार्बन के समस्थानिक: ¹²C, ¹³C, ¹⁴C
B) समभारिक (Isobars):
भिन्न-भिन्न तत्वों के वे परमाणु जिनकी द्रव्यमान संख्या समान (A समान) लेकिन परमाणु संख्या भिन्न (Z भिन्न) होती है, समभारिक कहलाते हैं।
उदाहरण:
- ¹⁴C और ¹⁴N (A = 14, Z = 6 और 7)
- ⁴⁰Ar और ⁴⁰K (A = 40, Z = 18 और 19)
खंड - C: दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (3 अंक)
प्रश्न 16: [3 अंक]
विकल्प A: वैद्युत द्विध्रुव के कारण अक्ष पर स्थित किसी बिंदु पर विद्युत क्षेत्र का सूत्र व्युत्पन्न कीजिए। आवश्यक चित्र बनाइए।
अथवा
विकल्प B: गाउस नियम द्वारा अनंत लम्बाई के एक समान आवेशित सीधे तार के कारण किसी बिंदु पर विद्युत क्षेत्र का व्यंजक व्युत्पन्न कीजिए। आवश्यक चित्र बनाइए।
उत्तर (विकल्प A): विद्युत द्विध्रुव के अक्ष पर विद्युत क्षेत्र
विद्युत द्विध्रुव
व्युत्पत्ति:
माना द्विध्रुव की लंबाई 2a है और द्विध्रुव के केंद्र O से r दूरी पर अक्ष पर बिंदु P है।
+q आवेश के कारण P पर विद्युत क्षेत्र:
-q आवेश के कारण P पर विद्युत क्षेत्र:
परिणामी विद्युत क्षेत्र:
E = kq/(r-a)² - kq/(r+a)²
E = kq[(r+a)² - (r-a)²] / [(r-a)²(r+a)²]
E = kq[4ar] / [(r²-a²)²]
E = 4kqar / (r²-a²)²
यदि r >> a (r बहुत बड़ा हो):
E = 2kp / r³
जहाँ p = q×2a द्विध्रुव आघूर्ण है।
सदिश रूप में:
उत्तर (विकल्प B): अनंत लंबाई के आवेशित तार के कारण विद्युत क्षेत्र
गाउसीय बेलनाकार पृष्ठ
व्युत्पत्ति (गाउस नियम से):
माना अनंत लंबाई के तार पर रैखिक आवेश घनत्व λ है।
गाउस का नियम:
एक बेलनाकार गाउसीय पृष्ठ लेते हैं जिसकी:
- त्रिज्या = r
- लंबाई = l
परिबद्ध आवेश:
फ्लक्स की गणना:
बेलन के तीन पृष्ठ हैं:
- वक्र पृष्ठ: E⃗ ⊥ पृष्ठ नहीं है
Φ_curved = E × 2πrl
- दोनों सिरे: E⃗ ∥ पृष्ठ है
Φ_ends = 0
गाउस नियम से:
E × 2πrl = λl/ε₀
E × 2πr = λ/ε₀
E = λ/(2πε₀r)
या
जहाँ k = 1/(4πε₀)
प्रश्न 17: [3 अंक]
विकल्प A: एक आवेशित कण एक समान चुंबकीय क्षेत्र में क्षेत्र से θ कोण (0°< θ < 90°) बनाते हुए गतिशील है। इसके आवर्तकाल एवं चूड़ी अंतराल के लिए सूत्र प्राप्त कीजिए। आवश्यक चित्र बनाइए।
अथवा
विकल्प B: एम्पीयर के परिपथीय नियम से किसी लम्बी धारावाही परिनालिका के अक्ष पर चुंबकीय क्षेत्र का व्यंजक प्राप्त कीजिए। आवश्यक चित्र बनाइए।
उत्तर (विकल्प A): चुंबकीय क्षेत्र में आवेशित कण की गति
कुंडलिनी गति (Helical Motion)
व्युत्पत्ति:
आवेशित कण का वेग दो घटकों में विभाजित होता है:
- v∥ = v cosθ (B के समांतर)
- v⊥ = v sinθ (B के लंबवत)
लंबवत घटक v⊥ के कारण:
कण वृत्तीय गति करता है। चुंबकीय बल केंद्राभिमुख बल प्रदान करता है:
r = mv⊥/(qB) = m(v sinθ)/(qB)
आवर्तकाल (Time Period):
T = 2πr/v⊥
T = 2π × [m(v sinθ)/(qB)] / (v sinθ)
T = 2πm/(qB)
महत्वपूर्ण: आवर्तकाल v और θ पर निर्भर नहीं करता!
चूड़ी अंतराल (Pitch):
एक पूर्ण चक्र में B के समांतर तय की गई दूरी:
p = v∥ × T
p = (v cosθ) × (2πm)/(qB)
p = 2πmv cosθ/(qB)
उत्तर (विकल्प B): परिनालिका के अक्ष पर चुंबकीय क्षेत्र
परिनालिका और Amperian लूप
व्युत्पत्ति (एम्पीयर नियम से):
एम्पीयर का परिपथीय नियम:
एक आयताकार Amperian लूप abcda लेते हैं:
- भुजा bc परिनालिका के अंदर (लंबाई = l)
- भुजा da परिनालिका के बाहर
रेखा समाकलन:
- भुजा ab: B⃗ ⊥ dl⃗
∫ab B⃗·dl⃗ = 0
- भुजा bc: B⃗ ∥ dl⃗
∫bc B⃗·dl⃗ = Bl
- भुजा cd: B⃗ ⊥ dl⃗
∫cd B⃗·dl⃗ = 0
- भुजा da: बाहर B ≈ 0
∫da B⃗·dl⃗ = 0
कुल समाकलन:
परिबद्ध धारा:
यदि प्रति एकांक लंबाई n फेरे हैं, तो लंबाई l में फेरे = nl
एम्पीयर नियम से:
Bl = μ₀(nIl)
B = μ₀nI
यह परिणाम परिनालिका की लंबाई पर निर्भर नहीं करता!
प्रश्न 18: [3 अंक]
विकल्प A: p-n संधि डायोड के अग्रदिशिक बायस में V-I अभिलाक्षणिक वक्र प्राप्त करने की कार्यविधि समझाइए। प्रायोगिक व्यवस्था का आवश्यक परिपथ चित्र बनाइए।
अथवा
विकल्प B: एक अर्धतरंग दिष्टकारी की कार्यविधि समझाइए। प्रायोगिक व्यवस्था का आवश्यक परिपथ चित्र बनाइए।
उत्तर (विकल्प A): p-n संधि डायोड का V-I अभिलाक्षणिक
परिपथ चित्र
कार्यविधि:
- p-n डायोड को अग्रदिशिक बायस में जोड़ें (p की ओर धनात्मक, n की ओर ऋणात्मक)
- श्रेणीक्रम में एक प्रतिरोध R और ऐमीटर जोड़ें
- डायोड के समांतर वोल्टमीटर जोड़ें
- बैटरी का वोल्टेज धीरे-धीरे बढ़ाएं और V तथा I के मान नोट करें
अभिलाक्षणिक वक्र
वक्र का विश्लेषण:
- 0 से Vk तक: धारा नगण्य (barrier potential को पार करने के लिए)
- Vk के बाद: धारा तेजी से बढ़ती है (घातांकी रूप से)
- Vk ≈ 0.7V (Si के लिए), 0.3V (Ge के लिए)
उत्तर (विकल्प B): अर्धतरंग दिष्टकारी
परिपथ और तरंग रूप
कार्यविधि:
- धनात्मक अर्ध चक्र में:
- डायोड अग्रदिशिक बायस में होता है
- डायोड चालन करता है (ON state)
- भार (RL) में धारा प्रवाहित होती है
- निर्गत में धनात्मक अर्ध चक्र प्राप्त होता है
- ऋणात्मक अर्ध चक्र में:
- डायोड पश्चदिशिक बायस में होता है
- डायोड चालन नहीं करता (OFF state)
- भार में कोई धारा नहीं
- निर्गत शून्य होता है
विशेषताएं:
- दक्षता: लगभग 40.6%
- Ripple factor: 1.21
- निर्गत आवृत्ति: निवेशी आवृत्ति के समान
- उपयोग: कम शक्ति अनुप्रयोगों में
खंड - D: अति दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (4 अंक)
प्रश्न 19: [4 अंक]
विकल्प A:
a) फेजर आरेख द्वारा श्रेणी LCR परिपथ की प्रतिबाधा का व्यंजक प्राप्त कीजिए। [2 अंक]
b) ट्रांसफार्मर की प्राथमिक और द्वितीयक कुंडलियों में फेरों का अनुपात 1:2 है। यदि प्राथमिक कुंडली में वोल्टता 220V हो तो द्वितीयक कुंडली में वोल्टता ज्ञात कीजिए। [1+1 अंक]
अथवा
विकल्प B:
a) सिद्ध कीजिए कि एक पूरे चक्र में किसी प्रेरक को आपूर्त माध्य शक्ति शून्य होती है। [2 अंक]
b) यदि विद्युत अनुनाद की अवस्था में संधारित्रीय प्रतिघात का मान 212Ω हो तो प्रेरकीय प्रतिघात का मान ज्ञात कीजिए। [1 अंक]
c) ट्रांसफार्मर का नामांकित चित्र बनाइए। [1 अंक]
उत्तर (विकल्प A):
(a) LCR श्रेणी परिपथ की प्रतिबाधा:
व्युत्पत्ति:
LCR श्रेणी परिपथ में:
- VR प्रवाह I के साथ कला में
- VL धारा से 90° आगे
- VC धारा से 90° पीछे
वोल्टेज संबंध:
VL = IXL = IωL
VC = IXC = I/(ωC)
फेजर संयोजन से:
V² = VR² + (VL - VC)²
V² = (IR)² + (IXL - IXC)²
V² = I²[R² + (XL - XC)²]
V = I√[R² + (XL - XC)²]
V = IZ
जहाँ प्रतिबाधा:
Z = √[R² + (ωL - 1/ωC)²]
कला कोण:
(b) ट्रांसफार्मर वोल्टता:
दिया है: Np/Ns = 1/2, Vp = 220V
ट्रांसफार्मर संबंध: Vs/Vp = Ns/Np
Vs/220 = 2/1
Vs = 440V
यह उच्चायी ट्रांसफार्मर (step-up transformer) है।
उत्तर (विकल्प B):
(a) प्रेरक में शक्ति शून्य होना:
सिद्धांत:
शुद्ध प्रेरक में प्रत्यावर्ती धारा के लिए:
v(t) = V₀ sin(ωt + 90°) = V₀ cos(ωt)
तात्क्षणिक शक्ति:
P(t) = V₀ cos(ωt) × I₀ sin(ωt)
P(t) = V₀I₀ sin(ωt) cos(ωt)
P(t) = (V₀I₀/2) sin(2ωt)
एक पूर्ण चक्र में माध्य शक्ति:
P_avg = (1/T) ∫₀ᵀ P(t) dt
P_avg = (1/T) ∫₀ᵀ (V₀I₀/2) sin(2ωt) dt
P_avg = (V₀I₀/2T) [-cos(2ωt)/(2ω)]₀ᵀ
P_avg = (V₀I₀/2T) × 0
P_avg = 0
व्याख्या: प्रेरक पहले अर्ध चक्र में ऊर्जा संचित करता है और दूसरे अर्ध चक्र में उसे वापस कर देता है। इसलिए नेट ऊर्जा व्यय शून्य है।
(b) अनुनाद की अवस्था में:
अनुनाद पर: XL = XC
दिया है: XC = 212Ω
∴ XL = 212Ω
(c) ट्रांसफार्मर का चित्र:
ट्रांसफार्मर का नामांकित चित्र
प्रश्न 20: [4 अंक]
विकल्प A: किसी गोलीय पृष्ठ पर अपवर्तन के लिए सूत्र n₂/v - n₁/u = (n₂-n₁)/R व्युत्पन्न कीजिए। आवश्यक किरण चित्र बनाइए। [3+1 अंक]
अथवा
विकल्प B: संयुक्त सूक्ष्मदर्शी की आवर्धन क्षमता का सूत्र प्राप्त कीजिए, यदि अंतिम प्रतिबिंब अनंत पर बने। आवश्यक किरण चित्र बनाइए। [3+1 अंक]
उत्तर (विकल्प A): गोलीय पृष्ठ पर अपवर्तन सूत्र
गोलीय पृष्ठ पर अपवर्तन
व्युत्पत्ति:
माना:
- बिंदु O से M तक आपतित किरण
- M से I तक अपवर्तित किरण
- P = ध्रुव, C = वक्रता केंद्र
- u = वस्तु दूरी (OP), v = प्रतिबिंब दूरी (PI), R = वक्रता त्रिज्या (PC)
त्रिभुज OMC में (बाह्य कोण):
त्रिभुज IMC में (बाह्य कोण):
स्नेल का नियम:
छोटे कोणों के लिए (sin θ ≈ θ):
समीकरण (1) और (2) से:
i = α + γ
r = γ - β
समीकरण (3) में रखने पर:
n₁(α + γ) = n₂(γ - β)
n₁α + n₁γ = n₂γ - n₂β
n₁α + n₂β = n₂γ - n₁γ
n₁α + n₂β = (n₂ - n₁)γ ... (4)
छोटे कोणों के लिए:
β ≈ tan β = h/PI = h/v
γ ≈ tan γ = h/PC = h/R
समीकरण (4) में रखने पर:
n₁(h/-u) + n₂(h/v) = (n₂ - n₁)(h/R)
-n₁/u + n₂/v = (n₂ - n₁)/R
n₂/v - n₁/u = (n₂ - n₁)/R
यही अपेक्षित सूत्र है।
विशेष स्थितियां:
- यदि n₁ = 1 (वायु) और वस्तु अनंत पर (u = ∞), तो f = R/(n₂-1)
- यदि R → ∞ (समतल पृष्ठ), तो n₂/v = n₁/u (वास्तविक गहराई / आभासी गहराई)
उत्तर (विकल्प B): संयुक्त सूक्ष्मदर्शी की आवर्धन क्षमता
संयुक्त सूक्ष्मदर्शी का किरण चित्र
व्युत्पत्ति:
कार्य सिद्धांत:
- अभिदृश्यक (Objective): वस्तु का वास्तविक, उल्टा, आवर्धित प्रतिबिंब I₁ बनाता है
- नेत्रिका (Eyepiece): I₁ को अपनी फोकस दूरी के अंदर रखा जाता है, जो अनंत पर अंतिम प्रतिबिंब I₂ बनाता है
अभिदृश्यक द्वारा आवर्धन:
नेत्रिका द्वारा आवर्धन (सरल सूक्ष्मदर्शी के रूप में):
जब अंतिम प्रतिबिंब अनंत पर बने:
जहाँ D = 25 cm (स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी)
कुल आवर्धन:
M = mo × me
M = (vo/uo) × (D/fe)
M = (vo × D)/(uo × fe)
नलिका की लंबाई के रूप में:
चूंकि I₁ नेत्रिका की फोकस पर है, इसलिए:
अतः सूत्र को इस प्रकार भी लिख सकते हैं:
M = (L - fe)/uo × D/fe
M = L·D/(uo·fe) - D/uo
यदि uo ≈ fo (वस्तु अभिदृश्यक की फोकस के निकट):
महत्वपूर्ण बिंदु:
- अभिदृश्यक की फोकस दूरी छोटी होनी चाहिए (अधिक आवर्धन के लिए)
- नलिका की लंबाई L बड़ी होनी चाहिए
- सामान्य समायोजन: अंतिम प्रतिबिंब अनंत पर (आँखें relaxed)
- कुल आवर्धन ऋणात्मक है (प्रतिबिंब उल्टा होता है)
संदर्भ
यह लेख राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की वरिष्ठ माध्यमिक पूरक परीक्षा 2024 के भौतिकी विषय के सभी प्रश्नों का संपूर्ण हल प्रस्तुत करता है।
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