UPSC IAS प्रीलिम्स सिलेबस – विषयवार विस्तृत व्याख्या
परीक्षा का नाम | सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा |
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आयोजक | संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) |
परीक्षा का प्रकार | वस्तुनिष्ठ (Objective) |
प्रश्न पत्रों की संख्या | 2 (GS Paper I और CSAT) |
कुल अंक | 400 (Paper I: 200, Paper II: 200) |
समय अवधि | प्रत्येक पेपर 2 घंटे |
नकारात्मक अंकन | हां (1/3 अंक कटौती) |
परीक्षा माध्यम | हिंदी और अंग्रेजी |
योग्यता मानदंड | केवल Paper II में 33% |
UPSC IAS प्रारंभिक परीक्षा पाठ्यक्रम
UPSC IAS प्रारंभिक परीक्षा पाठ्यक्रम (Civil Services Preliminary Examination Syllabus) भारत की सबसे प्रतिष्ठित प्रशासनिक सेवाओं में चयन की पहली सीढ़ी है जिसे संघ लोक सेवा आयोग (Union Public Service Commission - UPSC) आयोजित करता है।[1] यह परीक्षा दो प्रश्न पत्रों में विभाजित है - सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र I (General Studies Paper I) और सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र II जिसे सिविल सेवा अभिरुचि परीक्षा (Civil Services Aptitude Test - CSAT) के नाम से जाना जाता है। प्रत्येक प्रश्न पत्र 200 अंकों का होता है और इसमें वस्तुनिष्ठ प्रकार के प्रश्न पूछे जाते हैं।
प्रारंभिक परीक्षा केवल एक स्क्रीनिंग टेस्ट (Screening Test) के रूप में कार्य करती है और इसके अंक अंतिम मेरिट में नहीं जोड़े जाते।[2] हालांकि, इस परीक्षा को पास करना अनिवार्य है क्योंकि केवल इसमें सफल उम्मीदवार ही मुख्य परीक्षा (Mains Examination) में बैठने के पात्र होते हैं। प्रश्न पत्र I के अंकों के आधार पर मेरिट सूची तैयार की जाती है, जबकि प्रश्न पत्र II केवल क्वालीफाइंग (Qualifying) प्रकृति का है जिसमें न्यूनतम 33% अंक प्राप्त करना आवश्यक है। पाठ्यक्रम व्यापक और बहुआयामी है, जिसमें भारतीय इतिहास, भूगोल, राजव्यवस्था, अर्थशास्त्र, पर्यावरण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और समसामयिक मामलों को शामिल किया गया है।
- 1. परीक्षा का स्वरूप और संरचना
- 1.1 परीक्षा पैटर्न
- 1.2 अंक वितरण
- 1.3 नकारात्मक अंकन
- 2. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र I (GS Paper I)
- 2.1 राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्व की सामयिक घटनाएं
- 2.2 भारत का इतिहास और भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन
- 2.3 भारत एवं विश्व का भूगोल
- 2.4 भारतीय राजव्यवस्था और शासन
- 2.5 आर्थिक और सामाजिक विकास
- 2.6 पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी
- 2.7 सामान्य विज्ञान
- 3. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र II (CSAT)
- 3.1 बोधगम्यता (Comprehension)
- 3.2 संचार कौशल
- 3.3 तार्किक क्षमता और विश्लेषणात्मक क्षमता
- 3.4 निर्णय लेना और समस्या समाधान
- 3.5 सामान्य मानसिक योग्यता
- 3.6 बुनियादी संख्यात्मकता
- 3.7 डेटा व्याख्या
- 4. विषयवार विस्तृत पाठ्यक्रम
- 4.1 इतिहास खंड का विस्तार
- 4.2 भूगोल खंड का विस्तार
- 4.3 राजव्यवस्था खंड का विस्तार
- 4.4 अर्थशास्त्र खंड का विस्तार
- 5. तैयारी की रणनीति
- 5.1 NCERT पुस्तकों का महत्व
- 5.2 समसामयिक मामलों की तैयारी
- 5.3 मॉक टेस्ट और पिछले वर्षों के प्रश्न पत्र
- 6. परीक्षा में सफलता के लिए महत्वपूर्ण टिप्स
- 6.1 समय प्रबंधन
- 6.2 प्रश्न चयन की कला
- 6.3 नकारात्मक अंकन से बचाव
- 7. सामान्य गलतियां और उनसे बचाव
- 8. संदर्भ
[संपादित करें]परीक्षा का स्वरूप और संरचना
UPSC IAS प्रारंभिक परीक्षा की संरचना सुनियोजित और व्यवस्थित है जो उम्मीदवारों की व्यापक समझ और विश्लेषणात्मक क्षमता का परीक्षण करती है।[3] यह परीक्षा तीन चरणों में से पहला चरण है जिसमें प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा और व्यक्तित्व परीक्षण (साक्षात्कार) शामिल हैं। प्रारंभिक परीक्षा प्रत्येक वर्ष मई या जून महीने में आयोजित की जाती है।
परीक्षा पैटर्न
प्रारंभिक परीक्षा में दो अनिवार्य प्रश्न पत्र होते हैं जो एक ही दिन आयोजित किए जाते हैं।[4] प्रथम प्रश्न पत्र सुबह 9:30 बजे से 11:30 बजे तक (2 घंटे) और द्वितीय प्रश्न पत्र दोपहर 2:30 बजे से 4:30 बजे तक (2 घंटे) आयोजित होता है। दोनों प्रश्न पत्र वस्तुनिष्ठ प्रकार (Objective Type) के होते हैं जिसमें बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions - MCQs) पूछे जाते हैं। प्रत्येक प्रश्न के चार विकल्प होते हैं जिनमें से केवल एक सही उत्तर होता है।
प्रश्न पत्र I में 100 प्रश्न होते हैं और प्रत्येक प्रश्न 2 अंक का होता है, जिससे कुल 200 अंक बनते हैं। इसी तरह प्रश्न पत्र II में भी 80 प्रश्न होते हैं और प्रत्येक प्रश्न 2.5 अंक का होता है, जो कुल मिलाकर 200 अंक बनाते हैं। प्रश्न पत्र द्विभाषी होते हैं - हिंदी और अंग्रेजी दोनों में उपलब्ध होते हैं। उम्मीदवार अपनी सुविधा के अनुसार किसी भी भाषा में उत्तर दे सकते हैं। OMR शीट (Optical Mark Recognition Sheet) पर उत्तर भरने होते हैं, जिसे बाद में मशीन द्वारा जांचा जाता है।
अंक वितरण
प्रारंभिक परीक्षा में अंक वितरण की प्रणाली विशिष्ट है।[5] जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, प्रश्न पत्र I (सामान्य अध्ययन) के 200 अंक मेरिट सूची बनाने में गिने जाते हैं। इस पेपर में उम्मीदवार के प्रदर्शन के आधार पर ही मुख्य परीक्षा के लिए कट-ऑफ निर्धारित की जाती है। आमतौर पर, UPSC प्रत्येक वर्ष लगभग 10,000-12,000 उम्मीदवारों को मुख्य परीक्षा के लिए शॉर्टलिस्ट करता है, जो कुल रिक्तियों की संख्या का लगभग 12-15 गुना होता है।
दूसरी ओर, प्रश्न पत्र II (CSAT) केवल क्वालीफाइंग प्रकृति का है। इसमें उम्मीदवार को न्यूनतम 33% अंक यानी 200 में से 66.67 अंक प्राप्त करने होते हैं। यदि कोई उम्मीदवार प्रश्न पत्र I में अच्छे अंक प्राप्त करता है लेकिन प्रश्न पत्र II में 33% से कम अंक प्राप्त करता है, तो उसे अयोग्य घोषित कर दिया जाता है। हालांकि, प्रश्न पत्र II में 33% से अधिक प्राप्त किए गए अंक मेरिट में नहीं जोड़े जाते। यह व्यवस्था 2011 में CSAT के शुरुआती दिनों से बदली गई है जब इसे भी मेरिट में शामिल किया जाता था।
नकारात्मक अंकन
UPSC प्रारंभिक परीक्षा में नकारात्मक अंकन (Negative Marking) की व्यवस्था लागू है।[6] प्रत्येक गलत उत्तर के लिए उस प्रश्न के लिए निर्धारित अंकों का 1/3 भाग (यानी 0.33 प्रतिशत अंक कटौती के रूप में) काट लिया जाता है। उदाहरण के लिए, यदि एक प्रश्न 2 अंक का है और उम्मीदवार गलत उत्तर देता है, तो 2 का 1/3 यानी लगभग 0.67 अंक काट लिए जाते हैं। यदि कोई प्रश्न छोड़ दिया जाता है (attempt नहीं किया जाता), तो कोई अंक नहीं काटे जाते।
यह नकारात्मक अंकन प्रणाली उम्मीदवारों को अंधाधुंध अनुमान (Blind Guessing) लगाने से रोकती है। यह रणनीतिक सोच को प्रोत्साहित करती है - उम्मीदवार को यह निर्णय लेना होता है कि किस प्रश्न को attempt करना है और किसे छोड़ना है। सामान्य सलाह यह है कि यदि किसी प्रश्न के उत्तर के बारे में 50% से अधिक निश्चितता है, तो उसे attempt किया जाना चाहिए। यदि पूरी तरह से अनिश्चित हैं, तो बेहतर है उसे छोड़ देना क्योंकि गलत उत्तर से अंक घट सकते हैं। अनुभवी उम्मीदवार आमतौर पर 85-90 प्रश्नों को attempt करते हैं जिनके बारे में उन्हें उचित निश्चितता होती है।
विवरण | प्रश्न पत्र I (GS) | प्रश्न पत्र II (CSAT) |
---|---|---|
प्रश्नों की संख्या | 100 | 80 |
प्रति प्रश्न अंक | 2 | 2.5 |
कुल अंक | 200 | 200 |
समय अवधि | 2 घंटे (9:30 AM - 11:30 AM) | 2 घंटे (2:30 PM - 4:30 PM) |
नकारात्मक अंकन | 1/3 अंक कटौती | 1/3 अंक कटौती |
प्रकृति | मेरिट में गणना | केवल क्वालीफाइंग (33% न्यूनतम) |
प्रश्न प्रकार | वस्तुनिष्ठ (MCQs) | वस्तुनिष्ठ (MCQs) |
[संपादित करें]सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र I (GS Paper I)
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र I प्रारंभिक परीक्षा का सबसे महत्वपूर्ण घटक है क्योंकि इसी के आधार पर मुख्य परीक्षा के लिए चयन होता है।[7] यह पेपर बहुआयामी है और इसमें विभिन्न विषयों से प्रश्न पूछे जाते हैं। पाठ्यक्रम व्यापक है और इसमें ऐतिहासिक, भौगोलिक, राजनीतिक, आर्थिक, वैज्ञानिक और पर्यावरणीय पहलुओं को शामिल किया गया है।
राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्व की सामयिक घटनाएं
समसामयिक मामले (Current Affairs) प्रश्न पत्र I का अत्यंत महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।[8] इसमें पिछले एक वर्ष में घटित राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय घटनाओं से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं। राष्ट्रीय स्तर पर, सरकारी योजनाओं, नीतियों, संवैधानिक संशोधनों, महत्वपूर्ण न्यायिक निर्णयों, पुरस्कार और सम्मान, खेल घटनाओं, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में नवाचारों से प्रश्न आते हैं। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर, वैश्विक संगठनों की गतिविधियां, अंतर्राष्ट्रीय संधियां और समझौते, जलवायु परिवर्तन सम्मेलन, भू-राजनीतिक घटनाक्रम और वैश्विक आर्थिक मुद्दे शामिल हैं।
समसामयिक मामलों की तैयारी के लिए नियमित रूप से समाचार पत्र पढ़ना अनिवार्य है। 'द हिंदू' और 'इंडियन एक्सप्रेस' जैसे अंग्रेजी समाचार पत्र या 'दैनिक जागरण' और 'दैनिक भास्कर' जैसे हिंदी समाचार पत्र उपयोगी हैं। इसके अलावा, मासिक पत्रिकाएं जैसे 'योजना', 'कुरुक्षेत्र', 'प्रतियोगिता दर्पण' और 'क्रॉनिकल' समसामयिक मामलों को व्यवस्थित तरीके से प्रस्तुत करती हैं। PIB (Press Information Bureau) की वेबसाइट सरकारी योजनाओं और नीतियों की जानकारी का विश्वसनीय स्रोत है। राज्यसभा और लोकसभा टीवी के कार्यक्रम भी महत्वपूर्ण मुद्दों की गहन समझ प्रदान करते हैं।
भारत का इतिहास और भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन
इतिहास खंड में प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक भारत का इतिहास शामिल है।[9] प्राचीन भारत में सिंधु घाटी सभ्यता, वैदिक काल, महाजनपद, मौर्य और गुप्त साम्राज्य, दक्षिण भारत के राजवंश, कला, वास्तुकला और साहित्य का विकास शामिल है। मध्यकालीन भारत में दिल्ली सल्तनत, मुगल साम्राज्य, भक्ति और सूफी आंदोलन, और क्षेत्रीय राज्यों का उदय शामिल है। आधुनिक भारत में यूरोपीय शक्तियों का आगमन, ब्रिटिश शासन की स्थापना और विस्तार शामिल हैं।
भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन पर विशेष जोर दिया जाता है। 1857 के विद्रोह से लेकर 1947 में स्वतंत्रता प्राप्ति तक की यात्रा विस्तार से पूछी जाती है। इसमें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना और विकास, आरंभिक राष्ट्रवादी आंदोलन, स्वदेशी आंदोलन, होम रूल आंदोलन, असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन शामिल हैं। महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह जैसे स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान पर प्रश्न आते हैं। सामाजिक और धार्मिक सुधार आंदोलन जैसे ब्रह्म समाज, आर्य समाज, रामकृष्ण मिशन की भूमिका भी महत्वपूर्ण है।
भारत एवं विश्व का भूगोल
भूगोल खंड में भौतिक, सामाजिक, आर्थिक भूगोल और भारत एवं विश्व के भूगोल से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं।[10] भौतिक भूगोल में पृथ्वी की संरचना, चट्टानें और खनिज, भूकंप और ज्वालामुखी, वायुमंडल और इसकी परतें, जलवायु और मौसम, महासागरीय धाराएं शामिल हैं। भारत के भौतिक भूगोल में हिमालय, उत्तरी मैदान, प्रायद्वीपीय पठार, तटीय मैदान, द्वीप समूह का विस्तृत अध्ययन आवश्यक है। नदी प्रणालियां, मिट्टी के प्रकार, जलवायु क्षेत्र और प्राकृतिक वनस्पति पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
आर्थिक भूगोल में कृषि, उद्योग, खनिज संसाधन, ऊर्जा संसाधन, परिवहन और संचार नेटवर्क शामिल हैं। भारत के विभिन्न राज्यों की प्रमुख फसलें, औद्योगिक केंद्र, खनिज भंडार की जानकारी महत्वपूर्ण है। विश्व भूगोल में महाद्वीप और महासागर, प्रमुख पर्वत श्रृंखलाएं, नदियां, झीलें, जलडमरूमध्य, महत्वपूर्ण देशों की भौगोलिक विशेषताएं शामिल हैं। मानचित्र आधारित प्रश्न भी पूछे जाते हैं जहां उम्मीदवार को स्थानों की पहचान करनी होती है। भूगोल की तैयारी के लिए NCERT की कक्षा 6 से 12 की पुस्तकें अत्यंत उपयोगी हैं।
भारतीय राजव्यवस्था और शासन
राजव्यवस्था खंड में भारतीय संविधान, राजनीतिक व्यवस्था, पंचायती राज, सार्वजनिक नीति, अधिकार मुद्दे आदि शामिल हैं।[11] भारतीय संविधान की प्रस्तावना, मौलिक अधिकार, मौलिक कर्तव्य, राज्य के नीति निर्देशक तत्व विस्तार से पूछे जाते हैं। संघीय ढांचा, केंद्र-राज्य संबंध, संसदीय प्रणाली, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मंत्रिपरिषद की शक्तियां और कार्य महत्वपूर्ण विषय हैं। न्यायपालिका की संरचना, सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों की भूमिका, न्यायिक समीक्षा की अवधारणा पर प्रश्न आते हैं।
संवैधानिक संशोधनों, विशेष रूप से महत्वपूर्ण संशोधनों जैसे 42वां, 44वां, 73वां, 74वां, 86वां, 101वां (GST) संशोधन की जानकारी आवश्यक है। संवैधानिक और वैधानिक निकायों जैसे चुनाव आयोग, नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG), संघ लोक सेवा आयोग (UPSC), राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की भूमिका महत्वपूर्ण है। पंचायती राज संस्थाओं, शहरी स्थानीय निकायों, सहकारी समितियों का अध्ययन भी आवश्यक है। हालिया संवैधानिक और न्यायिक विकासों पर नजर रखना महत्वपूर्ण है।
आर्थिक और सामाजिक विकास
अर्थशास्त्र खंड में सतत विकास, गरीबी, समावेशन, जनसांख्यिकी, सामाजिक क्षेत्र की पहल आदि शामिल हैं।[12] मूल आर्थिक अवधारणाएं जैसे मांग और आपूर्ति, मुद्रास्फीति, राजकोषीय घाटा, GDP, GNP, राष्ट्रीय आय लेखांकन समझनी चाहिए। भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रमुख विशेषताएं - कृषि, उद्योग और सेवा क्षेत्र का योगदान, रोजगार पैटर्न, आर्थिक सुधार (1991 से), उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण (LPG) का प्रभाव महत्वपूर्ण विषय हैं।
सरकार की कल्याणकारी योजनाएं जैसे प्रधानमंत्री जन धन योजना, आयुष्मान भारत, उज्ज्वला योजना, स्वच्छ भारत मिशन, डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया आदि विस्तार से पढ़नी चाहिए। गरीबी और भूख से संबंधित मुद्दे, असमानता, शिक्षा, स्वास्थ्य, लैंगिक मुद्दे, शहरीकरण की समस्याएं पर प्रश्न आते हैं। बजट की मुख्य बातें, जीएसटी (GST), आधार, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT), डिजिटल भुगतान जैसे समकालीन आर्थिक मुद्दे भी शामिल हैं। आर्थिक सर्वेक्षण और बजट की मुख्य बातों को नोट करना उपयोगी है।
पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी
पर्यावरण और पारिस्थितिकी खंड हाल के वर्षों में अधिक महत्वपूर्ण हो गया है।[13] इसमें सामान्य मुद्दे जैसे पर्यावरणीय पारिस्थितिकी, जैव-विविधता और जलवायु परिवर्तन शामिल हैं। पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem) की अवधारणा, खाद्य श्रृंखला और खाद्य जाल, ऊर्जा प्रवाह, पोषक चक्र समझना आवश्यक है। जैव विविधता - आनुवंशिक, प्रजाति और पारिस्थितिकी तंत्र विविधता, जैव विविधता के हॉटस्पॉट, संरक्षण के तरीके महत्वपूर्ण हैं। भारत में राष्ट्रीय उद्यान, वन्यजीव अभयारण्य, बाघ अभयारण्य, रामसर साइट्स की जानकारी होनी चाहिए।
जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग, ग्रीनहाउस गैसें, ओजोन परत का क्षरण, अम्लीय वर्षा जैसे वैश्विक पर्यावरणीय मुद्दे पर प्रश्न आते हैं। अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण समझौते और सम्मेलन जैसे क्योटो प्रोटोकॉल, पेरिस समझौता, मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल, जैविक विविधता सम्मेलन (CBD) महत्वपूर्ण हैं। नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत - सौर, पवन, पनबिजली, जैव ऊर्जा, उनकी क्षमता और चुनौतियां समझनी चाहिए। पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA), प्रदूषण नियंत्रण कानून, पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, वन संरक्षण अधिनियम, वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की बुनियादी समझ आवश्यक है।
सामान्य विज्ञान
सामान्य विज्ञान खंड में भौतिकी, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के विकास से प्रश्न पूछे जाते हैं।[14] भौतिकी में गति के नियम, गुरुत्वाकर्षण, ऊर्जा, कार्य और शक्ति, प्रकाश, ध्वनि, विद्युत, चुंबकत्व की बुनियादी अवधारणाएं शामिल हैं। रसायन विज्ञान में परमाणु संरचना, रासायनिक बंधन, अम्ल और क्षार, धातु और अधातु, कार्बनिक रसायन की बुनियादी बातें होनी चाहिए। जीव विज्ञान में कोशिका संरचना, मानव शरीर के अंग प्रणालियां, रोग और उनके कारण, पोषण, जैव प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग महत्वपूर्ण हैं।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास में भारतीय वैज्ञानिकों के योगदान पर प्रश्न आते हैं। हालिया वैज्ञानिक उपलब्धियां जैसे अंतरिक्ष मिशन (चंद्रयान, मंगलयान, गगनयान), रक्षा प्रौद्योगिकी, परमाणु ऊर्जा, नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियां महत्वपूर्ण हैं। सूचना प्रौद्योगिकी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), मशीन लर्निंग, ब्लॉकचेन, क्वांटम कंप्यूटिंग जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों की बुनियादी समझ होनी चाहिए। जैव प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग जैसे जीन संपादन, स्टेम सेल थेरेपी, जीएम फसलें पर प्रश्न आते हैं। विज्ञान की तैयारी के लिए NCERT की कक्षा 6 से 10 की विज्ञान पुस्तकें उत्कृष्ट स्रोत हैं।
विषय क्षेत्र | मुख्य विषय | अनुमानित प्रश्न संख्या | तैयारी की प्राथमिकता |
---|---|---|---|
समसामयिक मामले | राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय घटनाएं | 15-20 | बहुत उच्च |
भारतीय इतिहास | प्राचीन, मध्यकालीन, आधुनिक और राष्ट्रीय आंदोलन | 15-20 | उच्च |
भूगोल | भौतिक, आर्थिक, विश्व और भारत का भूगोल | 15-20 | उच्च |
राजव्यवस्था | संविधान, शासन, राजनीतिक प्रणाली | 15-18 | बहुत उच्च |
अर्थशास्त्र | भारतीय अर्थव्यवस्था, योजनाएं, विकास | 10-15 | उच्च |
पर्यावरण | पारिस्थितिकी, जलवायु परिवर्तन, संरक्षण | 12-15 | उच्च |
विज्ञान और प्रौद्योगिकी | सामान्य विज्ञान, नवीनतम तकनीकी विकास | 10-15 | मध्यम |
[संपादित करें]सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र II (CSAT)

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र II जिसे CSAT (Civil Services Aptitude Test) कहा जाता है, मुख्य रूप से उम्मीदवार की योग्यता और कौशल का परीक्षण करता है।[15] यह 2011 में पेश किया गया था। हालांकि यह केवल क्वालीफाइंग प्रकृति का है, इसे पास करना अनिवार्य है। 33% अंक प्राप्त करने में विफलता का अर्थ है कि उम्मीदवार को प्रश्न पत्र I में चाहे कितने भी अच्छे अंक मिले हों, अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा।
बोधगम्यता (Comprehension)
बोधगम्यता प्रश्नों में एक गद्यांश दिया जाता है जिसके आधार पर कई प्रश्न पूछे जाते हैं।[16] ये गद्यांश विभिन्न विषयों से हो सकते हैं - राजनीति, अर्थशास्त्र, समाज, विज्ञान, साहित्य, दर्शन आदि। गद्यांश सरल से जटिल तक हो सकते हैं। उम्मीदवार को गद्यांश को ध्यान से पढ़ना होता है और फिर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर देने होते हैं। प्रश्न मुख्य विचार, लेखक का दृष्टिकोण, निहितार्थ, निष्कर्ष, शब्दावली आदि से संबंधित हो सकते हैं।
बोधगम्यता प्रश्नों में सफलता के लिए नियमित पढ़ने की आदत आवश्यक है। गुणवत्तापूर्ण समाचार पत्र, पत्रिकाएं, और पुस्तकें पढ़ने से समझ और शब्दावली दोनों में सुधार होता है। प्रश्नों के उत्तर गद्यांश में ही छिपे होते हैं - कोई बाहरी ज्ञान की आवश्यकता नहीं होती। सावधानीपूर्वक पढ़ना और विकल्पों का विश्लेषण करना महत्वपूर्ण है। कभी-कभी गद्यांश लंबे और जटिल होते हैं, इसलिए समय प्रबंधन और त्वरित पढ़ने की क्षमता भी आवश्यक है। बोधगम्यता में आमतौर पर 20-25 प्रश्न पूछे जाते हैं जो लगभग 30-35% पेपर का हिस्सा होते हैं।
संचार कौशल
संचार कौशल से संबंधित प्रश्न मुख्य रूप से भाषा की समझ और अभिव्यक्ति पर केंद्रित होते हैं।[17] इसमें सही वाक्य संरचना, व्याकरण, शब्दावली, मुहावरे और लोकोक्तियां शामिल हो सकती हैं। कभी-कभी पैराग्राफ के वाक्यों को सही क्रम में व्यवस्थित करने, रिक्त स्थान भरने, समानार्थी और विलोम शब्द पहचानने के प्रश्न भी आते हैं। संचार कौशल के प्रश्न अंग्रेजी और हिंदी दोनों भाषाओं में हो सकते हैं, हालांकि अधिकांश उम्मीदवार अंग्रेजी में attempt करना पसंद करते हैं।
इन प्रश्नों की तैयारी के लिए, बुनियादी व्याकरण नियमों की समझ होनी चाहिए। नियमित पढ़ने से शब्दावली स्वाभाविक रूप से बढ़ती है। Wren and Martin की व्याकरण पुस्तक या Norman Lewis की "Word Power Made Easy" उपयोगी हो सकती हैं। हालांकि, संचार कौशल से प्रश्नों की संख्या अपेक्षाकृत कम होती है - आमतौर पर 8-10 प्रश्न। इसलिए, इस पर बहुत अधिक समय खर्च करने की आवश्यकता नहीं है। बुनियादी स्पष्टता और नियमित अभ्यास पर्याप्त हैं।
तार्किक क्षमता और विश्लेषणात्मक क्षमता
तार्किक क्षमता प्रश्नों में पैटर्न पहचान, श्रृंखला पूर्णता, एनालॉजी, वर्गीकरण, कोडिंग-डिकोडिंग, रक्त संबंध, दिशा परीक्षण आदि शामिल हैं।[18] विश्लेषणात्मक क्षमता प्रश्नों में तर्क की वैधता की जांच, कथन और निष्कर्ष, कारण और प्रभाव, मजबूत और कमजोर तर्क की पहचान शामिल है। ये प्रश्न उम्मीदवार की सोचने, विश्लेषण करने और तार्किक रूप से समस्याओं को हल करने की क्षमता का परीक्षण करते हैं।
तार्किक और विश्लेषणात्मक क्षमता की तैयारी के लिए, विभिन्न प्रकार के प्रश्नों से परिचित होना आवश्यक है। R.S. Aggarwal की "Verbal and Non-Verbal Reasoning" पुस्तक एक अच्छा स्रोत है। नियमित अभ्यास से इन प्रश्नों को तेजी से हल करने की क्षमता विकसित होती है। पहेली और Sudoku जैसे खेल भी तार्किक सोच में सुधार कर सकते हैं। ये प्रश्न आमतौर पर 15-20 की संख्या में होते हैं। धैर्य और शांत दिमाग से इन प्रश्नों को हल करना महत्वपूर्ण है क्योंकि जल्दबाजी में गलतियां हो सकती हैं।
निर्णय लेना और समस्या समाधान
निर्णय लेने के प्रश्नों में एक स्थिति दी जाती है और उम्मीदवार को सर्वोत्तम निर्णय या कार्रवाई चुननी होती है।[19] ये प्रश्न व्यावहारिक परिदृश्यों पर आधारित होते हैं जो प्रशासनिक या सामाजिक संदर्भ में हो सकते हैं। समस्या समाधान प्रश्नों में एक जटिल स्थिति दी जाती है और उम्मीदवार को तार्किक और व्यावहारिक समाधान ढूंढना होता है। ये प्रश्न उम्मीदवार के सामान्य ज्ञान, विवेक, नैतिक मूल्यों और प्राथमिकता निर्धारण की क्षमता का परीक्षण करते हैं।
इन प्रश्नों के लिए, उम्मीदवार को स्पष्ट सोच और संतुलित दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। किसी भी चरम विकल्प से बचना चाहिए। सबसे व्यावहारिक, नैतिक और प्रभावी समाधान चुनना चाहिए। इन प्रश्नों की तैयारी के लिए विशेष पुस्तकों की आवश्यकता नहीं होती, बल्कि सामान्य बुद्धिमत्ता और जीवन अनुभव पर्याप्त हैं। हालांकि, पिछले वर्षों के प्रश्न पत्र देखने से प्रश्नों के प्रकार और अपेक्षित दृष्टिकोण की समझ मिलती है। ये प्रश्न आमतौर पर 10-12 की संख्या में होते हैं।
सामान्य मानसिक योग्यता
सामान्य मानसिक योग्यता प्रश्नों में स्थानिक क्षमता, दृश्य तर्क, आकृति पूर्णता, दर्पण छवि, कागज मोड़ना और काटना जैसे प्रश्न शामिल हैं।[20] ये प्रश्न उम्मीदवार की दृश्य-स्थानिक बुद्धि और अमूर्त सोच की क्षमता का परीक्षण करते हैं। कुछ प्रश्नों में आकृतियों के पैटर्न, श्रृंखला, समानता या असमानता पहचाननी होती है। ये प्रश्न गैर-मौखिक होते हैं और किसी भाषा ज्ञान की आवश्यकता नहीं होती।
इन प्रश्नों की तैयारी के लिए, विभिन्न प्रकार की आकृतियों और पैटर्नों से परिचित होना आवश्यक है। नियमित अभ्यास से इन प्रश्नों को तेजी से हल करने की क्षमता विकसित होती है। दृश्य तर्क के प्रश्न कभी-कभी जटिल हो सकते हैं, इसलिए शांत दिमाग से हल करना महत्वपूर्ण है। R.S. Aggarwal की "Non-Verbal Reasoning" पुस्तक इन प्रश्नों के लिए उपयोगी है। हालांकि, ये प्रश्न अपेक्षाकृत कम संख्या में होते हैं - आमतौर पर 8-10 प्रश्न। इसलिए, बहुत अधिक समय इन पर खर्च करने के बजाय, बुनियादी अवधारणाओं की समझ और अभ्यास पर ध्यान देना चाहिए।
बुनियादी संख्यात्मकता
बुनियादी संख्यात्मकता में गणित के मूल विषय शामिल हैं जैसे अंकगणित, बीजगणित, ज्यामिति और क्षेत्रमिति।[21] अंकगणित में प्रतिशत, अनुपात और समानुपात, औसत, साधारण और चक्रवृद्धि ब्याज, लाभ और हानि, समय और कार्य, समय और दूरी, संख्या प्रणाली जैसे विषय हैं। बीजगणित में रैखिक समीकरण, द्विघात समीकरण, बहुपद शामिल हो सकते हैं। ज्यामिति में रेखाएं, कोण, त्रिभुज, वृत्त के गुण और क्षेत्रमिति में क्षेत्रफल और आयतन की गणना शामिल है।
बुनियादी संख्यात्मकता की तैयारी के लिए, कक्षा 6 से 10 तक की NCERT गणित पुस्तकें पर्याप्त हैं। R.S. Aggarwal की "Quantitative Aptitude" पुस्तक भी उपयोगी है। नियमित अभ्यास अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि गणित में गति और सटीकता केवल अभ्यास से आती है। शॉर्टकट ट्रिक्स सीखना समय बचाने में मदद कर सकता है। संख्यात्मकता से आमतौर पर 15-20 प्रश्न पूछे जाते हैं जो पेपर का लगभग 20-25% हिस्सा होते हैं। कैलकुलेटर की अनुमति नहीं होती, इसलिए मानसिक गणना और तेज गणना की क्षमता आवश्यक है।
डेटा व्याख्या
डेटा व्याख्या प्रश्नों में तालिकाओं, रेखा ग्राफ, बार ग्राफ, पाई चार्ट, वेन आरेख आदि के रूप में डेटा दिया जाता है और इसके आधार पर प्रश्न पूछे जाते हैं।[22] उम्मीदवार को डेटा को समझना, विश्लेषण करना और गणना करके सही उत्तर निकालना होता है। ये प्रश्न संख्यात्मक क्षमता और विश्लेषणात्मक कौशल दोनों का परीक्षण करते हैं। कभी-कभी जटिल डेटा सेट दिए जाते हैं जिनमें कई चर और श्रेणियां होती हैं।
डेटा व्याख्या में सफलता के लिए, तीव्र गणना क्षमता और डेटा को त्वरित रूप से समझने की कुशलता आवश्यक है। पहले डेटा को ध्यान से देखना और समझना चाहिए कि क्या जानकारी दी गई है। फिर प्रश्नों को पढ़कर आवश्यक गणना करनी चाहिए। कभी-कभी अनुमानित उत्तर निकालना (approximation) समय बचा सकता है। नियमित अभ्यास से इन प्रश्नों को हल करने की गति बढ़ती है। डेटा व्याख्या से आमतौर पर 10-15 प्रश्न पूछे जाते हैं। ये प्रश्न समय लेने वाले हो सकते हैं, इसलिए समय प्रबंधन महत्वपूर्ण है।
CSAT घटक | विषय क्षेत्र | अनुमानित प्रश्न संख्या | कठिनाई स्तर |
---|---|---|---|
बोधगम्यता | गद्यांश पढ़ना और समझना | 20-25 | मध्यम |
संचार कौशल | भाषा और व्याकरण | 8-10 | आसान से मध्यम |
तार्किक क्षमता | पैटर्न, श्रृंखला, कोडिंग | 15-20 | मध्यम |
निर्णय लेना | स्थिति-आधारित प्रश्न | 10-12 | मध्यम |
मानसिक योग्यता | दृश्य तर्क, आकृति पूर्णता | 8-10 | मध्यम से कठिन |
संख्यात्मकता | गणित के बुनियादी विषय | 15-20 | आसान से मध्यम |
डेटा व्याख्या | ग्राफ, चार्ट, तालिका विश्लेषण | 10-15 | मध्यम से कठिन |
[संपादित करें]विषयवार विस्तृत पाठ्यक्रम
प्रारंभिक परीक्षा के पाठ्यक्रम को गहराई से समझने के लिए, प्रत्येक प्रमुख विषय का विस्तृत विश्लेषण आवश्यक है।[23] यहां चार प्रमुख विषयों - इतिहास, भूगोल, राजव्यवस्था और अर्थशास्त्र का विस्तृत पाठ्यक्रम प्रस्तुत है।
इतिहास खंड का विस्तार
प्राचीन भारतीय इतिहास में सिंधु घाटी सभ्यता की विशेषताएं, वैदिक संस्कृति, जैन और बौद्ध धर्म का उदय, महाजनपद काल, मौर्य साम्राज्य (विशेष रूप से अशोक का शासन), गुप्त काल (स्वर्ण युग), हर्षवर्धन का शासन, और दक्षिण भारत के राजवंश (चोल, चेर, पांड्य, राष्ट्रकूट, पल्लव) शामिल हैं। कला, वास्तुकला, मूर्तिकला, साहित्य का विकास भी महत्वपूर्ण है। नालंदा और तक्षशिला जैसे प्राचीन शिक्षा केंद्रों की जानकारी होनी चाहिए।
मध्यकालीन इतिहास में दिल्ली सल्तनत के विभिन्न राजवंश (गुलाम, खिलजी, तुगलक, सैय्यद, लोदी), मुगल साम्राज्य की स्थापना और विस्तार, प्रमुख मुगल शासक (बाबर, अकबर, जहांगीर, शाहजहां, औरंगजेब), मुगलों की प्रशासनिक और राजस्व प्रणाली, मुगल स्थापत्य, मराठा शक्ति का उदय, और भक्ति-सूफी आंदोलन शामिल हैं। आधुनिक इतिहास में यूरोपीय शक्तियों का आगमन, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना, प्लासी और बक्सर के युद्ध, ब्रिटिश शासन का विस्तार और भारतीय प्रतिरोध महत्वपूर्ण हैं।
1857 का विद्रोह इसकी प्रकृति, कारण, प्रसार और परिणाम विस्तार से पढ़ना चाहिए। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना (1885), प्रारंभिक राष्ट्रवादी नेता (दादाभाई नौरोजी, गोपाल कृष्ण गोखले), उदारवादी और चरमपंथी युग, बंगाल विभाजन और स्वदेशी आंदोलन, क्रांतिकारी आंदोलन महत्वपूर्ण हैं। गांधीजी का भारतीय राजनीति में आगमन, असहयोग आंदोलन (1920-22), सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930-34), भारत छोड़ो आंदोलन (1942), और अंततः 1947 में स्वतंत्रता प्राप्ति विस्तार से तैयार करनी चाहिए। स्वतंत्रता के बाद के प्रमुख घटनाक्रम जैसे संविधान निर्माण, राज्यों का पुनर्गठन भी शामिल हैं।
भूगोल खंड का विस्तार
भौतिक भूगोल में पृथ्वी की उत्पत्ति और विकास, पृथ्वी की आंतरिक संरचना (परतें), प्लेट टेक्टोनिक्स सिद्धांत, भूकंप और ज्वालामुखी, पर्वत, पठार, मैदान का निर्माण शामिल है। वायुमंडल की परतें, तापमान, दबाव और पवनें, वर्षा के प्रकार, जलवायु वर्गीकरण (कोपेन वर्गीकरण), महासागरीय धाराएं और उनका महत्व, ज्वार-भाटा महत्वपूर्ण विषय हैं। भारत की भौगोलिक स्थिति, सीमाएं, पड़ोसी देश, भारतीय भूभाग की प्रमुख विशेषताएं विस्तार से तैयार करनी चाहिए।
भारत के भौतिक विभाग - हिमालय (उत्पत्ति, विभाजन, महत्व), उत्तरी मैदान (गंगा-ब्रह्मपुत्र-सिंधु नदी प्रणालियां), प्रायद्वीपीय पठार (दक्कन का पठार, छोटा नागपुर पठार), पूर्वी और पश्चिमी घाट, तटीय मैदान (कोंकण, मालाबार, कोरोमंडल), द्वीप समूह (अंडमान-निकोबार, लक्षद्वीप) विस्तार से पढ़ना चाहिए। भारत की नदी प्रणालियां (हिमालयी और प्रायद्वीपीय नदियां), झीलें, जलाशय, मिट्टी के प्रकार (जलोढ़, काली, लाल, लैटेराइट), प्राकृतिक वनस्पति (उष्णकटिबंधीय, पर्णपाती, शंकुधारी, मैंग्रोव) महत्वपूर्ण हैं।
जलवायु - मानसून का तंत्र, मानसून के आगमन और वापसी, जलवायु क्षेत्र, जलवायु परिवर्तन का कृषि पर प्रभाव पढ़ना चाहिए। आर्थिक भूगोल में भारत में कृषि (प्रकार, फसलें, हरित क्रांति, कृषि सुधार), खनिज संसाधन (लोहा, कोयला, पेट्रोलियम, बॉक्साइट आदि का वितरण), ऊर्जा संसाधन (पारंपरिक और गैर-पारंपरिक), उद्योग (लोहा-इस्पात, सूती-जूट वस्त्र, सीमेंट, उर्वरक), परिवहन (सड़क, रेलवे, जल, वायु) और व्यापार शामिल हैं। विश्व भूगोल में महाद्वीप, महासागर, प्रमुख देश, पर्वत श्रृंखलाएं, नदियां, मरुस्थल, महत्वपूर्ण जलडमरूमध्य और नहरें की बुनियादी जानकारी होनी चाहिए।
राजव्यवस्था खंड का विस्तार
भारतीय संविधान की निर्माण प्रक्रिया, संविधान सभा, डॉ. बी.आर. अंबेडकर की भूमिका, संविधान की प्रस्तावना (प्रमुख शब्द - संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक, गणराज्य), संविधान की मुख्य विशेषताएं (संघीय ढांचा, संसदीय प्रणाली, मौलिक अधिकार, न्यायिक समीक्षा) विस्तार से तैयार करनी चाहिए। मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 12-35) - समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार, संस्कृति और शिक्षा का अधिकार, संवैधानिक उपचारों का अधिकार पढ़ना चाहिए। मौलिक कर्तव्य (अनुच्छेद 51A) और राज्य के नीति निर्देशक तत्व (अनुच्छेद 36-51) भी महत्वपूर्ण हैं।
संघीय कार्यपालिका - राष्ट्रपति की शक्तियां और कार्य, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद की शक्तियां, केंद्रीय सचिवालय, कैबिनेट सचिव की भूमिका विस्तार से पढ़ना चाहिए। संसद - लोकसभा और राज्यसभा की संरचना, शक्तियां, कार्य, संसदीय समितियां (स्थायी और तदर्थ), संसदीय विशेषाधिकार, विधायी प्रक्रिया महत्वपूर्ण हैं। न्यायपालिका - सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों की संरचना, शक्तियां, क्षेत्राधिकार (मूल, अपीलीय, सलाहकारी), न्यायिक समीक्षा, जनहित याचिका (PIL), न्यायिक सक्रियता और न्यायिक अतिक्रमण की अवधारणा पढ़नी चाहिए।
राज्य सरकार - राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मंत्रिपरिषद, राज्य विधानमंडल (विधान सभा, विधान परिषद) की संरचना और कार्य। केंद्र-राज्य संबंध - विधायी, प्रशासनिक और वित्तीय संबंध, अंतर-राज्यीय परिषद, राज्यपाल की भूमिका विवाद। स्थानीय स्वशासन - 73वां और 74वां संविधान संशोधन, पंचायती राज संस्थाएं (ग्राम पंचायत, पंचायत समिति, जिला परिषद), शहरी स्थानीय निकाय (नगर पालिका, नगर परिषद, नगर निगम) विस्तार से तैयार करना चाहिए। संवैधानिक और वैधानिक निकाय - चुनाव आयोग, CAG, UPSC, राज्य लोक सेवा आयोग, वित्त आयोग, NHRC, सूचना आयोग महत्वपूर्ण हैं।
अर्थशास्त्र खंड का विस्तार
मूल अर्थशास्त्र अवधारणाएं - मांग और आपूर्ति, लोच, उत्पादन फलन, बाजार के प्रकार (पूर्ण प्रतियोगिता, एकाधिकार, अल्पाधिकार), राष्ट्रीय आय (GDP, GNP, NNP), मुद्रास्फीति और अपस्फीति, मुद्रा आपूर्ति, राजकोषीय नीति और मौद्रिक नीति समझनी चाहिए। भारतीय अर्थव्यवस्था की विशेषताएं - मिश्रित अर्थव्यवस्था, कृषि प्रधान, जनसांख्यिकीय लाभांश, असमानता की चुनौती विस्तार से पढ़ना चाहिए। भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्र - कृषि (हरित क्रांति, श्वेत क्रांति, नीली क्रांति, MSP प्रणाली), उद्योग (MSME, मेक इन इंडिया), सेवा क्षेत्र (बैंकिंग, बीमा, IT, पर्यटन) महत्वपूर्ण हैं।
1991 के आर्थिक सुधार - उदारीकरण, निजीकरण, वैश्वीकरण (LPG), प्रभाव और चुनौतियां विस्तार से तैयार करनी चाहिए। गरीबी और बेरोजगारी - गरीबी रेखा, गरीबी मापन के तरीके, बेरोजगारी के प्रकार (संरचनात्मक, घर्षणात्मक, चक्रीय), रोजगार गारंटी योजनाएं (MGNREGA) पढ़नी चाहिए। सरकारी योजनाएं - PM-KISAN, आयुष्मान भारत, प्रधानमंत्री आवास योजना, स्वच्छ भारत मिशन, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, स्किल इंडिया, डिजिटल इंडिया विस्तार से जानना चाहिए। बैंकिंग - RBI की भूमिका, मौद्रिक नीति के उपकरण (रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट, CRR, SLR), सार्वजनिक और निजी बैंक, बैंकिंग सुधार महत्वपूर्ण हैं।
बजट - राजस्व और पूंजीगत बजट, योजना और गैर-योजना व्यय, राजकोषीय घाटा, राजस्व घाटा, प्राथमिक घाटा की अवधारणाएं समझनी चाहिए। कराधान - प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर, GST (वस्तु एवं सेवा कर) की संरचना और प्रभाव विस्तार से तैयार करना चाहिए। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार - भुगतान संतुलन, व्यापार संतुलन, WTO, IMF, विश्व बैंक की भूमिका, FDI और FII, विनिमय दर तंत्र पढ़ना चाहिए। सतत विकास लक्ष्य (SDGs), समावेशी विकास, सामाजिक क्षेत्र के संकेतक (मानव विकास सूचकांक, लैंगिक असमानता सूचकांक, बहुआयामी गरीबी सूचकांक) भी महत्वपूर्ण हैं।
विषय | प्रमुख उप-विषय | अनुशंसित स्रोत | तैयारी की गहराई |
---|---|---|---|
प्राचीन इतिहास | सिंधु सभ्यता से गुप्त काल तक | NCERT (कक्षा 11-12), रामशरण शर्मा | मध्यम से गहन |
मध्यकालीन इतिहास | सल्तनत काल से मुगल साम्राज्य तक | NCERT (कक्षा 11-12), सतीश चंद्र | मध्यम |
आधुनिक इतिहास | ब्रिटिश शासन और राष्ट्रीय आंदोलन | NCERT (कक्षा 12), बिपिन चंद्र | गहन |
भूगोल | भौतिक, आर्थिक, भारत और विश्व | NCERT (कक्षा 6-12), माजिद हुसैन | गहन |
राजव्यवस्था | संविधान, राजनीतिक प्रणाली, शासन | एम. लक्ष्मीकांत, भारतीय संविधान | बहुत गहन |
अर्थशास्त्र | भारतीय अर्थव्यवस्था, योजनाएं, विकास | NCERT (कक्षा 9-12), रमेश सिंह | मध्यम से गहन |
[संपादित करें]तैयारी की रणनीति
UPSC प्रारंभिक परीक्षा की तैयारी के लिए एक सुनियोजित और व्यवस्थित रणनीति आवश्यक है।[24] सफल उम्मीदवार आमतौर पर 12-18 महीने की समर्पित तैयारी करते हैं, हालांकि कुछ कम समय में भी सफल हो जाते हैं।
NCERT पुस्तकों का महत्व
NCERT पुस्तकें UPSC तैयारी की नींव हैं।[25] कक्षा 6 से 12 तक की NCERT पुस्तकें सभी मुख्य विषयों - इतिहास, भूगोल, राजव्यवस्था, अर्थशास्त्र, विज्ञान - की बुनियादी और मजबूत समझ प्रदान करती हैं। ये पुस्तकें सरल भाषा में लिखी गई हैं और अवधारणाओं को स्पष्ट रूप से समझाती हैं। UPSC अक्सर NCERT पुस्तकों से सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से प्रश्न पूछता है। इसलिए, NCERT को कई बार पढ़ना और महत्वपूर्ण बिंदुओं को नोट करना उपयोगी है।
NCERT पढ़ने का सही तरीका यह है कि पहले एक बार पूरी पुस्तक पढ़ें, फिर महत्वपूर्ण अध्यायों को फिर से पढ़ें और नोट्स बनाएं। मानचित्र, चित्र, तालिकाओं को भी ध्यान से देखें क्योंकि ये भी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं। NCERT के बाद, विषय-विशिष्ट पुस्तकों जैसे एम. लक्ष्मीकांत (राजव्यवस्था), रमेश सिंह (अर्थशास्त्र), माजिद हुसैन (भूगोल), बिपिन चंद्र (आधुनिक इतिहास) को पढ़ना चाहिए। हालांकि, बहुत अधिक पुस्तकों में नहीं भटकना चाहिए। कुछ चुनिंदा और मानक पुस्तकों को कई बार पढ़ना बेहतर है।
समसामयिक मामलों की तैयारी
समसामयिक मामले प्रारंभिक परीक्षा के 15-20% प्रश्नों का स्रोत हैं।[26] नियमित रूप से समाचार पत्र पढ़ना अनिवार्य है। 'द हिंदू' अखबार को सबसे उपयोगी माना जाता है क्योंकि यह गहन विश्लेषण प्रदान करता है। संपादकीय पढ़ना विशेष रूप से उपयोगी है क्योंकि ये विभिन्न दृष्टिकोण और विश्लेषणात्मक समझ प्रदान करते हैं। PIB (प्रेस सूचना ब्यूरो) की वेबसाइट सरकारी नीतियों और योजनाओं की विश्वसनीय जानकारी का स्रोत है।
मासिक पत्रिकाएं जैसे 'योजना', 'कुरुक्षेत्र', 'प्रतियोगिता दर्पण' समसामयिक मामलों को व्यवस्थित और संकलित रूप में प्रस्तुत करती हैं। ये परीक्षा से कुछ महीने पहले त्वरित पुनरीक्षण के लिए उपयोगी हैं। राज्यसभा और लोकसभा टीवी के कार्यक्रम जैसे 'बिग पिक्चर', 'इन डेप्थ', 'पॉलिसी वॉच' महत्वपूर्ण मुद्दों की गहन समझ प्रदान करते हैं। समसामयिक मामलों के लिए नोट्स बनाना और उन्हें नियमित रूप से revise करना महत्वपूर्ण है। केवल पढ़ना पर्याप्त नहीं है, नोट्स बनाना और उन्हें संशोधित करना स्थायी याद रखने में मदद करता है।
मॉक टेस्ट और पिछले वर्षों के प्रश्न पत्र
मॉक टेस्ट (Mock Tests) और पिछले वर्षों के प्रश्न पत्र (Previous Year Papers - PYQ) तैयारी के अत्यंत महत्वपूर्ण घटक हैं।[27] पिछले 10-15 वर्षों के प्रश्न पत्रों को हल करने से UPSC के प्रश्नों के प्रकार, कठिनाई स्तर और पैटर्न की समझ मिलती है। यह भी पता चलता है कि किन विषयों पर अधिक जोर दिया जाता है। PYQ को विषयवार हल करना उपयोगी है - सभी इतिहास के प्रश्न एक साथ, सभी भूगोल के प्रश्न एक साथ। इससे किसी विषय में कमजोर क्षेत्रों की पहचान हो जाती है।
तैयारी के अंतिम 3-4 महीनों में, नियमित रूप से पूर्ण मॉक टेस्ट देना शुरू करना चाहिए - सप्ताह में कम से कम 2-3 टेस्ट। मॉक टेस्ट वास्तविक परीक्षा जैसी स्थिति में अभ्यास प्रदान करते हैं। समय प्रबंधन, प्रश्न चयन, नकारात्मक अंकन से बचने की रणनीति विकसित करने में मदद करते हैं। मॉक टेस्ट देने के बाद, विस्तृत विश्लेषण करना महत्वपूर्ण है - कौन से प्रश्न गलत हुए और क्यों, कौन से विषय में कमजोरी है, समय प्रबंधन कैसा रहा। गलतियों से सीखना और उन्हें दोहराने से बचना सफलता की कुंजी है। कई संस्थान और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म मुफ्त और भुगतान मॉक टेस्ट प्रदान करते हैं।
प्रभावी तैयारी की योजना (12 महीने):
महीना 1-6: NCERT पुस्तकें पूरी करें (सभी विषय), बुनियादी अवधारणाएं मजबूत करें, विषयवार नोट्स बनाएं।
महीना 7-9: मानक पुस्तकें पढ़ें (लक्ष्मीकांत, बिपिन चंद्र, रमेश सिंह), PYQ विषयवार हल करें, समसामयिक मामले नियमित पढ़ें।
महीना 10-11: नोट्स का संशोधन, पूरे PYQ हल करें, साप्ताहिक मॉक टेस्ट शुरू करें, कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान दें।
महीना 12: गहन संशोधन, दैनिक मॉक टेस्ट, परीक्षा रणनीति को परिष्कृत करें, आत्मविश्वास बनाए रखें।
[संपादित करें]परीक्षा में सफलता के लिए महत्वपूर्ण टिप्स
प्रारंभिक परीक्षा में सफलता केवल ज्ञान पर निर्भर नहीं करती बल्कि परीक्षा कक्ष में सही रणनीति और निष्पादन पर भी निर्भर करती है।[28]
समय प्रबंधन
समय प्रबंधन प्रारंभिक परीक्षा में सफलता का एक प्रमुख कारक है। प्रत्येक पेपर के लिए 2 घंटे (120 मिनट) का समय होता है। प्रश्न पत्र I में 100 प्रश्न हैं, इसलिए आदर्श रूप से प्रति प्रश्न 1.2 मिनट मिलते हैं। हालांकि, व्यवहार में कुछ प्रश्न तुरंत हल हो जाते हैं जबकि कुछ में अधिक समय लगता है। एक अच्छी रणनीति यह है कि पहले पूरे प्रश्न पत्र को एक बार देख लें (5-7 मिनट)। फिर आसान और निश्चित प्रश्नों को पहले हल करें, कठिन और संदेहास्पद प्रश्नों को बाद के लिए छोड़ दें।
पहले 60-70 मिनट में 70-75 प्रश्नों को attempt करने का लक्ष्य रखें। फिर शेष समय में कठिन प्रश्नों पर काम करें और अंत में 10-15 मिनट OMR भरने और जांचने के लिए रखें। CSAT में समय प्रबंधन और भी महत्वपूर्ण है क्योंकि बोधगम्यता और डेटा व्याख्या के प्रश्न समय लेने वाले होते हैं। यहां भी पहले तेज और आसान प्रश्न (गणित, तार्किक तर्क) करें, फिर समय बचाकर गद्यांश और डेटा व्याख्या पर काम करें। मॉक टेस्ट में नियमित अभ्यास से समय प्रबंधन कौशल विकसित होता है।
प्रश्न चयन की कला
यह समझना महत्वपूर्ण है कि कौन से प्रश्नों को attempt करना है और किन्हें छोड़ना है। नकारात्मक अंकन के कारण, अंधाधुंध अनुमान लगाना हानिकारक हो सकता है। एक सामान्य नियम यह है: यदि आप 50% से अधिक निश्चित हैं, तो प्रश्न attempt करें। यदि आप दो विकल्पों के बीच भ्रमित हैं, तो भी attempt करना उचित हो सकता है (50% सफलता की संभावना)। लेकिन यदि चार विकल्पों में से कोई भी सही नहीं लग रहा या सभी समान रूप से संभव लग रहे हैं, तो बेहतर है उसे छोड़ दें।
विषयवार प्राथमिकता भी महत्वपूर्ण है। अपने मजबूत विषयों के प्रश्न पहले करें जहां आप अधिक निश्चित हैं। कमजोर विषयों के प्रश्न बाद में attempt करें जब पर्याप्त समय हो। कभी-कभी "सामान्य ज्ञान" या "जीवन अनुभव" से भी प्रश्न हल हो सकते हैं, विशेष रूप से समसामयिक मामलों या विज्ञान के प्रश्नों में। लंबे और जटिल प्रश्नों को पढ़ने में ही बहुत समय लग सकता है - यदि शुरुआत में ही समझ न आए, तो उसे छोड़कर आगे बढ़ें। सफल उम्मीदवार आमतौर पर 85-95 प्रश्नों को attempt करते हैं, सभी 100 नहीं।
नकारात्मक अंकन से बचाव
नकारात्मक अंकन से बचना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना सही उत्तर देना। हर गलत उत्तर 0.67 अंक की कटौती करता है। इसका मतलब है कि एक सही उत्तर से मिलने वाले 2 अंक, तीन गलत उत्तरों के नकारात्मक अंकन (3 × 0.67 = 2) से बराबर हो जाते हैं। इसलिए, केवल अधिक संख्या में प्रश्न attempt करना लक्ष्य नहीं होना चाहिए, बल्कि अधिक accuracy के साथ attempt करना लक्ष्य होना चाहिए। 90 प्रश्न 85% accuracy (76-77 सही) के साथ attempt करना, 100 प्रश्न 70% accuracy (70 सही, 30 गलत) से बेहतर है।
नकारात्मक अंकन से बचने के लिए, जब आप किसी प्रश्न के बारे में बिल्कुल अनिश्चित हों तो उसे छोड़ दें। "एक प्रयास तो करना ही चाहिए" की मानसिकता से बचें। विकल्पों को ध्यान से पढ़ें - कभी-कभी दो विकल्प लगभग समान होते हैं, लेकिन एक सूक्ष्म अंतर सही उत्तर को अलग करता है। भ्रामक या tricky प्रश्नों से सावधान रहें जो जानबूझकर भ्रमित करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। समय दबाव में जल्दबाजी में उत्तर न दें क्योंकि इससे गलतियां होने की संभावना बढ़ जाती है। OMR भरते समय भी सावधानी बरतें - गलत बुलबुला भरने से भी अंक कट सकते हैं।
रणनीति | क्या करें | क्या न करें |
---|---|---|
समय प्रबंधन | पहले आसान प्रश्न, फिर कठिन; OMR के लिए समय बचाएं | एक प्रश्न पर बहुत अधिक समय बर्बाद न करें |
प्रश्न चयन | 50%+ निश्चितता पर ही attempt करें | अंधाधुंध अनुमान न लगाएं |
नकारात्मक अंकन | Accuracy पर ध्यान दें, quantity नहीं | सभी 100 प्रश्न attempt करने की जिद न करें |
संशोधन | परीक्षा से पहले अंतिम 10-15 मिनट OMR जांचें | OMR में गलत बुलबुला न भरें |
मानसिक स्थिति | शांत और केंद्रित रहें, आत्मविश्वास बनाए रखें | पैनिक न करें, अन्य उम्मीदवारों से तुलना न करें |
[संपादित करें]सामान्य गलतियां और उनसे बचाव
कई उम्मीदवार कुछ सामान्य गलतियां करते हैं जो उनकी सफलता में बाधा बनती हैं।[29] पहली गलती है बहुत अधिक स्रोतों का उपयोग करना। कई पुस्तकें खरीदना लेकिन किसी को भी पूरी तरह से न पढ़ना। बेहतर है कुछ चुनिंदा और मानक पुस्तकों को कई बार पढ़ना। दूसरी गलती है केवल पढ़ना और नोट्स न बनाना। पढ़ना आवश्यक है लेकिन नोट्स बनाना और उन्हें संशोधित करना स्थायी याद रखने में मदद करता है। तीसरी गलती है समसामयिक मामलों की उपेक्षा करना। कुछ उम्मीदवार केवल पाठ्यपुस्तकों पर ध्यान देते हैं और समाचार पत्र नहीं पढ़ते, जो हानिकारक हो सकता है।
चौथी गलती है मॉक टेस्ट न देना या उनका विश्लेषण न करना। केवल मॉक टेस्ट देना पर्याप्त नहीं है, गलतियों का विश्लेषण और सुधार महत्वपूर्ण है। पांचवीं गलती है पिछले वर्षों के प्रश्न पत्रों की उपेक्षा करना। PYQ UPSC के पैटर्न और महत्वपूर्ण विषयों को समझने का सबसे अच्छा तरीका है। छठी गलती है स्वास्थ्य की उपेक्षा करना। लंबे समय तक अध्ययन करना महत्वपूर्ण है, लेकिन पर्याप्त नींद, व्यायाम और पोषण भी आवश्यक हैं। थका हुआ दिमाग प्रभावी रूप से नहीं सीख सकता। सातवीं गलती है अत्यधिक तनाव और चिंता। कुछ तनाव सामान्य और प्रेरक है, लेकिन अत्यधिक चिंता प्रदर्शन को नुकसान पहुंचा सकती है। ध्यान, योग, शौक में समय बिताना तनाव प्रबंधन में मदद कर सकता है।
[संपादित करें]संदर्भ
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