UPSC History – Syllabus, Sources, Strategy & Answer Writing (हिंदी)
परीक्षा | Civil Services Examination (CSE) |
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कागज़ | Prelims (GS-I), Mains (GS-I) + Optional (2 पेपर) |
मुख्य घटक | प्राचीन, मध्यकालीन, आधुनिक, विश्व इतिहास, कला-संस्कृति |
अंक भार | GS-I: 250; Optional: 500 |
स्रोत | NCERT, मानक ग्रंथ, प्राथमिक स्रोत, Gazetteers |
UPSC में History विषय के मुख्य अंग – सिलेबस, स्रोत, रणनीति और उत्तरलेखन
UPSC में History विषय के मुख्य अंग Prelims, Mains-GS तथा History Optional के ढांचे में व्यवस्थित होते हैं, जिनमें प्राचीन भारत, मध्यकालीन भारत, आधुनिक भारत, विश्व इतिहास, तथा भारतीय कला एवं संस्कृति सम्मिलित हैं। यह विस्तृत लेख सिलेबस की व्याख्या, विश्वसनीय पुस्तक-स्रोत, अध्ययन-विधि, PYQ प्रवृत्ति, मानचित्र अभ्यास, तथा उत्तरलेखन की तकनीक को तटस्थ, विश्वकोशीय शैली में प्रस्तुत करता है ताकि अभ्यर्थी रणनीतिक तैयारी कर सकें।[1]
- परीक्षा ढांचा और सिलेबस अवलोकन
- प्राचीन भारत
- मध्यकालीन भारत
- आधुनिक भारत
- विश्व इतिहास (World History)
- भारतीय कला एवं संस्कृति
- स्रोत और इतिहास-लेखन विधियाँ
- मानचित्र/स्थान-संबंधी अभ्यास
- मानक पुस्तक-सूची और संसाधन
- उत्तरलेखन, आरेख व समय-प्रबंधन
- PYQ प्रवृत्ति और विषय-वितरण
- 12–24 सप्ताह अध्ययन-योजना
- सामान्य त्रुटियाँ और सुधार
- संदर्भ
[संपादित करें]परीक्षा ढांचा और सिलेबस अवलोकन
UPSC CSE में इतिहास का अध्ययन तीन स्तरों पर होता है। Prelims-GS में वस्तुनिष्ठ प्रश्न भारतीय इतिहास और संस्कृति के व्यापक तथ्यों पर आधारित होते हैं। Mains-GS-I में विश्लेषणात्मक प्रश्न भारतीय समाज, कला, तथा प्राचीन-मध्यकाल-आधुनिक की अवधारणाओं को जोड़ते हैं। वैकल्पिक विषय के रूप में History दो वर्णनात्मक पेपरों में गहन अध्ययन मांगता है।[1][2]
सिलेबस का मूल संकेत वार्षिक UPSC अधिसूचना तथा Civil Services (Main) परीक्षा के आधिकारिक पाठ्यक्रम से मिलता है। अभ्यर्थी को विषयों को समयधारा, क्षेत्रीय विविधता और स्रोत-आधारित तर्क से पढ़ना चाहिए ताकि उत्तरों में संदर्भ, तुलनात्मकता और कारण-परिणाम स्पष्ट हों।[1]
स्तर | फ़ोकस | कौशल | उदाहरण |
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Prelims (GS-I) | तथ्य/व्यक्तित्व/कालक्रम | स्मरण + अवधारणा | हड़प्पा विशेषताएँ, बौद्ध परिषदें |
Mains (GS-I) | विश्लेषण/समन्वय | निबंधात्मक तर्क | मुग़ल प्रशासन का मूल्यांकन |
Optional (Paper I/II) | विस्तार + व्याख्या | इतिहास-लेखन, उद्धरण | राष्ट्रवाद की व्याख्याएँ, उपनिवेशवाद |
उपखंड | मुख्य विषय | उदाहरण प्रश्न |
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प्राचीन | हड़प्पा, वैदिक, महाजनपद, मौर्य, गुप्त | गुप्तकाल ‘स्वर्णयुग’ क्यों? |
मध्यकालीन | सुल्तनत, मुग़ल, क्षेत्रीय राज्य, भक्ति-सूफ़ी | सुल्ह-ए-कुल का प्रभाव |
आधुनिक | 18वीं सदी, औपनिवेशिक नीतियाँ, राष्ट्रीय आंदोलन | स्वदेशी आंदोलन की प्रकृति |
विश्व इतिहास | 18वीं शताब्दी से परिवर्तन | औद्योगिक क्रांति के सामाजिक परिणाम |
कला एवं संस्कृति | स्थापत्य, चित्रकला, साहित्य, परंपराएँ | नागर/द्रविड़/वेसर शैली तुलना |
[संपादित करें]प्राचीन भारत
प्राचीन खंड सभ्यता की उत्पत्ति से लेकर प्रारंभिक मध्यकाल की देहलीकृत राज-सत्ताओं तक फैला है। सिलेबस में हड़प्पा-सिन्धु परंपरा, वैदिक समाज, महाजनपद-बौद्ध-जैन, मौर्य-उत्तर मौर्य, संगम युग, गुप्त-उत्तरगुप्त, और प्रारंभिक राजपूत/दक्षिणी राजवंश शामिल होते हैं।[3][4]
उत्तर लेखन में स्रोतों—पुरातात्त्विक अवशेष, अभिलेख (Inscriptions), सिक्के (Numismatics), साहित्य—से प्रमाण देना चाहिए। हड़प्पा में नगरीय नियोजन और मौर्य-गुप्त में राज्यसत्ता की प्रकृति जैसे विषय अक्सर पूछे जाते हैं।[3][5]
मुख्य उपविषय
- हड़प्पा सभ्यता: नगर योजना, अर्थव्यवस्था, धर्म, पतन के कारण।
- वैदिक काल: प्रारंभिक-उत्तर वैदिक समाज, जनपद का विकास।
- महाजनपद, बौद्ध-जैन, मौर्य प्रशासन और अशोक के धम्म।
- सातवाहन-कुषाण, संगम साहित्य और रोमन व्यापार।
- गुप्तकालीन कला, विज्ञान और आर्थिक संरचनाएँ।
श्रेणी | उदाहरण | उपयोग |
---|---|---|
अभिलेख | अशोक शिलालेख, प्रयाग प्रशस्ति | राज्य नीति व वंशावली |
सिक्के | पंच-चिह्नित, कुषाण, गुप्त | अर्थव्यवस्था/राजसत्ता प्रतीक |
पुरातत्व | मोहनजोदड़ो, राखीगढ़ी | नगरीय नियोजन |
साहित्य | अर्थशास्त्र, तमिल संगम | समाज/व्यवसाय/राजनीति |
विशेषता | नागर (उत्तर) | द्रविड़ (दक्षिण) | वेसर (मिश्र) |
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शिखर/विमान | घुमावदार शिखर | पिरामिडीय विमाना | मिश्रित रूप |
गर्भगृह | चतुर्भुज/सीधा प्रवेश | प्राकार, मंडप | क्षेत्रीय विविधता |
उदाहरण | लिंगराज, खजुराहो | बृहदेश्वर, मीनाक्षी | पट्टडकल समूह |
[संपादित करें]मध्यकालीन भारत
मध्यकालीन खंड में दिल्ली सल्तनत, क्षेत्रीय शक्तियाँ, भक्ति-सूफ़ी धाराएँ और मुग़ल-उत्तर मुग़ल राजनीति प्रमुख हैं। सामाजिक-आर्थिक आयाम जैसे Iqtadari, भूमि-राजस्व, शहरीकरण, तथा कला-वास्तुकला को उत्तरों में जोड़ना चाहिए।[6][7]
UPSC विश्लेषणात्मक प्रश्न—जैसे “सुल्तनत से मुग़ल काल तक प्रशासनिक निरंतरता व परिवर्तन”—पर तुलनात्मक ढांचे में उत्तर अपेक्षित करता है। भक्ति-सूफ़ी आंदोलन पर ‘समाज-परिवर्तन’ और ‘सांस्कृतिक संश्लेषण’ की चर्चा लाभप्रद रहती है।[7]
घटक | दिल्ली सल्तनत | मुग़ल | टिप्पणी |
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भूमि-राजस्व | इक्तादारी | मानसबदारी-जागीर | केंद्र का नियंत्रण अलग |
सेना | तुरकी घुड़सवार | मिलीजुली जातीय संरचना | घोड़ा/तोपखाना विस्तार |
न्याय/क़ानून | शरिया आधारित | शाही फ़रमान + स्थानीय प्रथा | व्यावहारिकता अधिक |
धारा | प्रमुख व्यक्तित्व | संदेश | समाज पर प्रभाव |
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निर्गुण भक्ति | कबीर, नानक | रूढ़ि-विरोध, एकेश्वरवाद | समाज-सुधार, समन्वय |
सगुण भक्ति | मीराबाई, तुलसी | राम/कृष्ण भक्ति | भाषा-साहित्य समृद्धि |
सूफ़ी सिलसिले | चिश्ती, सूहरवर्दी | इश्क़-ए-हक़ीक़ी, सेवा | लोक-धर्म, दरगाह संस्कृति |

[संपादित करें]आधुनिक भारत
आधुनिक खंड 18वीं सदी के विघटन, यूरोपीय कंपनियों के उदय, औपनिवेशिक नीतियों और भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के चरणों पर केंद्रित है। UPSC GS-I और Optional में औपनिवेशिक अर्थव्यवस्था, सामाजिक-धार्मिक सुधार, किसान-मजदूर-जनजाति आंदोलनों तथा 1885–1947 के राष्ट्रवाद पर संतुलित दृष्टि अपेक्षित है।[8][9]
उत्तर लिखते समय कारण-परिणाम, बहु-कारणी व्याख्या और वैकल्पिक दृष्टिकोण (Nationalist, Cambridge, Subaltern) का संकेत देना गुणात्मक अंक दिलाता है।[9][10]
चरण | वर्ष | मुख्य विशेषताएँ |
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प्रारंभिक राष्ट्रवाद | 1885–1905 | संवैधानिक उपाय, मध्यम मार्ग |
उग्र/स्वदेशी | 1905–1919 | बहिष्कार, स्वदेशी, गृहस्वराज |
जन-आधारित आंदोलन | 1919–1935 | असहयोग/नमक सत्याग्रह |
युद्धकालीन/अन्त्य चरण | 1939–47 | भारत छोड़ो, गठबंधन राजनीति |
नीति | काल | प्रभाव |
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स्थायी बंदोबस्त | 1793 | जमींदारी सुदृढ़, कृषक दुराव |
इंडिगो/ओपियम/चाय | 19वीं सदी | नकदी फसल, ग्रामीण संकट |
रेल/टेलीग्राफ | 1850s+ | बाज़ार एकीकरण, औपनिवेशिक नियंत्रण |
ड्रेन ऑफ वेल्थ | दादाभाई | साम्राज्यवादी निकासी का सिद्धांत |

[संपादित करें]विश्व इतिहास (World History)
GS-I में 18वीं सदी से विश्व में हुए परिवर्तन—औद्योगिक क्रांति, उपनिवेशवाद-अधिनिवेशवाद, विश्व युद्ध, राष्ट्रवाद-उदारवाद-समाजवाद, उपनिवेश-विमुक्ति, शीत युद्ध और वैश्वीकरण—पर संक्षिप्त परन्तु विश्लेषणात्मक दृष्टि चाहिए।[11][12]
उत्तर शैली में यूरोप-केंद्रित घटनाओं को एशिया-अफ़्रीका-लैटिन अमेरिका के संदर्भ से जोड़ें। भारत के स्वतंत्रता आंदोलन व विश्व प्रक्रियाओं के अंतर्संबंध दिखाने पर उच्च अंक मिलते हैं।[12]
थीम | मुख्य विचार | उद्दाहरण |
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औद्योगिक क्रांति | प्रौद्योगिकी, श्रम, नगरीकरण | स्पिनिंग जेनी, रेलवे |
राष्ट्रवाद | राज्य-निर्माण, जन-चेतना | जर्मनी/इटली का एकीकरण |
उपनिवेशवाद | संसाधन निष्कर्षण | अफ़्रीका का बंटवारा |
विश्व युद्ध | कारण/परिणाम | वर्साय संधि, शीत युद्ध |
[संपादित करें]भारतीय कला एवं संस्कृति
कला-संस्कृति खंड में स्थापत्य, मूर्तिकला, चित्रकला, नृत्य-संगीत, नाट्य, साहित्यिक परंपराएँ, लोक-संस्कृतियाँ और धार्मिक-दार्शनिक प्रणालियाँ शामिल होती हैं। UPSC Prelims में यह भाग उच्च-प्रतिफल माना जाता है, क्योंकि प्रश्न तथ्य आधारित होते हैं।[13]
उत्तर लिखते समय कालक्रम के साथ भौगोलिक विविधता—गुप्त, चालुक्य-होयसाल, पल्लव-चोल, मुग़ल-राजपूत शैली—का सम्यक तुलनात्मक विश्लेषण करें।[13][14]
रूप | प्रदेश | मुख्य विशेषता | महत्वपूर्ण ग्रंथ |
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भरतनाट्यम | तमिलनाडु | लास्य प्रधान, पदम | नाट्यशास्त्र/अभिनय दर्शन |
कथक | उत्तर भारत | घुँघरू, घूमर, कथावाचन | घरणा परंपरा |
ओडिसी | ओडिशा | त्रिभंगी, चौका | जयदेव की गीतगोविंद |

[संपादित करें]स्रोत और इतिहास-लेखन विधियाँ
इतिहास एक साक्ष्य-आधारित अनुशासन है। UPSC उत्तरों में प्राथमिक स्रोत (पुरातत्व, अभिलेख, यात्रा-वृत्त, शिलालेख), द्वितीयक स्रोत (शोधग्रंथ, इतिहासकारों के तर्क) और इतिहासलेखन (historiography) की समझ का उपयोग करें।[4][5]
उदाहरण के लिए, “गुप्तकाल स्वर्णयुग” कथन पर पुरालेखीय साक्ष्य और वैकल्पिक व्याख्याएँ (क्षेत्रीय असमता, ग्रामीण अर्थव्यवस्था) साथ रखें।[5]
स्रोत | उदाहरण | उत्तर में प्रयोग |
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यात्रा-वृत्त | मेगास्थनीज़, ह्वेनसांग | समाज/प्रशासन का समकालीन दृश्य |
अभिलेख | हर्ष शिलालेख, इलाहाबाद प्रशस्ति | राजनीति/राजस्व |
परिसंपत्ति | पुरातत्व/मूर्ति/चित्रकला | कला-इतिहास |
[संपादित करें]मानचित्र/स्थान-संबंधी अभ्यास
Prelims और Optional में स्थान-आधारित प्रश्न नियमित हैं—हड़प्पा स्थल, बौद्ध केंद्र, मध्यकालीन बंदरगाह, संरक्षण क्षेत्र आदि। अभ्यास के लिए बिना-लेबल मानचित्र पर प्रतिदिन 5–10 बिंदु चिन्हित करें और छोटी टिप्पणियाँ लिखें।[1][3]
वर्ग | स्थल | टिप्पणी |
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हड़प्पा | मोहनजोदड़ो, हड़प्पा, धोलावीरा, राखीगढ़ी | नगर योजना/जल प्रबंधन |
बौद्ध | सांची, सारनाथ, कौशांबी | स्तूप/संघ |
मध्यकालीन | खंभात, सूरत, मसुलीपट्टनम | समुद्री व्यापार |
[संपादित करें]मानक पुस्तक-सूची और संसाधन
पुस्तक-सूची को संक्षिप्त और उद्देश्यमुखी रखें। GS के लिए NCERT (कक्षा VI–XII) और एक-दो मानक ग्रंथ पर्याप्त हैं। Optional के लिए विस्तृत पुस्तकों के साथ जर्नल लेख और संकलन आवश्यक होते हैं।[2][9]
खंड | लेखक/पुस्तक | टिप्पणी |
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प्राचीन | आर.एस. शर्मा – Ancient India; रोमिला थापर – Early India | समकालीन शोध दृष्टि |
मध्यकालीन | सतीश चंद्र – Medieval India | GS/Optional-आधार |
आधुनिक | बिपन चंद्र – India’s Struggle for Independence | राष्ट्रीय आंदोलन |
विश्व इतिहास | नॉर्मन लो – Mastering Modern World History | GS-I हेतु |
कला-संस्कृति | नितिन सिंघानिया – Indian Art & Culture | Prelims में उपयोगी |
संसाधन | उपयोग |
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CCRT/IGNCA नोट्स | कला-संस्कृति के संक्षिप्त तथ्य |
IGNOU BA/MA चयनीय | Optional में सिद्धांतात्मक आधार |
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) रिपोर्ट | स्थल-विशिष्ट विवरण |
[संपादित करें]उत्तरलेखन, आरेख व समय-प्रबंधन
GS-I में 150–250 शब्द की सीमाओं में थीसिस-वाक्य से शुरुआत करें, 3–4 तर्क-खंड दें और निष्कर्ष में समाहार लिखें। आरेख, समयरेखा और छोटे मानचित्र उत्तर को दृश्य बनाते हैं। Optional में उद्धरण, स्रोत-संदर्भ और इतिहासलेखन का संकेत जोड़ें।[10]
घटक | विवरण |
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Intro | परिभाषा/प्रसंग/डेटा |
Body | उपशीर्षक: कारण-परिणाम, तुलना, उदाहरण |
Visual | मानचित्र/आरेख/समयरेखा |
Historiography | दो दृष्टिकोणों का संकेत |
Conclusion | संक्षिप्त, futuristic लिंक |
[संपादित करें]PYQ प्रवृत्ति और विषय-वितरण
PYQ (Previous Year Questions) विश्लेषण से स्पष्ट होता है कि GS-I में आधुनिक भारत और संस्कृति के प्रश्न अपेक्षाकृत अधिक आते हैं, जबकि Optional में Paper-II (आधुनिक भारत) से अंकों की स्थिरता मिलती है। Prelims में कला-संस्कृति व प्राचीन का अनुपात हाल के वर्षों में बढ़ा है।[1][13]
थीम | औसत Q | कठिनाई | रणनीति |
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आधुनिक भारत | 3–4 | मध्यम | आंदोलन-चरण + व्यक्तित्व |
प्राचीन/मध्यकाल | 2–3 | मध्यम | स्रोत-आधारित विश्लेषण |
विश्व इतिहास | 2–3 | मध्यम | कारण-परिणाम चार्ट |
कला-संस्कृति | 2–3 | विविध | तुलनात्मक सारणियाँ |
उपवर्ग | सामान्य टॉपिक्स | टिप्पणी |
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कला | मंदिर शैली, नृत्य, पेंटिंग स्कूल | वर्ष-दर-वर्ष विविधता |
प्राचीन | हड़प्पा, बौद्ध परिषदें | मुख्य तथ्य अनिवार्य |
आधुनिक | समिति/कांग्रेस सत्र | वैयक्तिक-घटनात्मक प्रश्न |
[संपादित करें]12–24 सप्ताह अध्ययन-योजना
अध्ययन योजना को “Core → Consolidation → Practice” चरणों में बाँटें। प्रत्येक सप्ताह 4–5 दिनों में पढ़ाई और 2 दिनों में रिवीजन/टेस्ट रखें। वैकल्पिक चुनने वालों के लिए प्रतिदिन 2–3 घंटे अतिरिक्त दें।[2]
चरण | सप्ताह | कार्य |
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Core | 1–6 | NCERT, आधार ग्रंथ; नोट्स |
Consolidation | 7–12 | थीम-वाइज़ सारणियाँ, मानचित्र |
Practice | 13–16 | PYQ, सेक्शनल/फुल-लेंथ |
[संपादित करें]सामान्य त्रुटियाँ और सुधार
- तथ्य-संग्रह पर अत्यधिक जोर और कारण-परिणाम की उपेक्षा।
- इतिहासकारों की राय का यांत्रिक उद्धरण—बिना प्रसंग के।
- मानचित्र/समयरेखा का अभाव—उत्तर दृश्य नहीं बनता।
सुधार हेतु “थीम आधारित नोट्स, तुलनात्मक तालिकाएँ, छोटे मानचित्र, और PYQ-आधारित लेखन” लगातार करें।[10]

संदर्भ
- UPSC Civil Services Examination – आधिकारिक अधिसूचना/सिलेबस (GS-I और Optional) का सार।
- NCERT History (VI–XII) – Our Past श्रृंखला तथा Themes in Indian History.
- R.S. Sharma, India’s Ancient Past / Ancient India – प्राचीन भारत का विश्लेषण।
- Romila Thapar, Early India – प्रारंभिक ऐतिहासिक बहसें और स्रोत-पद्धति।
- Irfan Habib, Essays in Indian History – अर्थ-सामाजिक बहसें, गुप्त/मध्यकाल।
- Satish Chandra, Medieval India – सल्तनत से मुग़ल तक का मानक ग्रंथ।
- Harbans Mukhia (ed.), The Mughals of India – प्रशासन व समाज की व्याख्या।
- Bipan Chandra et al., India’s Struggle for Independence – राष्ट्रीय आंदोलन।
- Sumit Sarkar, Modern India – औपनिवेशिक अर्थव्यवस्था व राजनीति।
- Shekhar Bandopadhyay, From Plassey to Partition – आधुनिक भारत की वैकल्पिक दृष्टि।
- Norman Lowe, Mastering Modern World History – विश्व इतिहास के विषय।
- J. R. McNeill & William H. McNeill, The Human Web – वैश्विक अंतर्संबंध।
- Nitin Singhania, Indian Art and Culture – Prelims हेतु संक्षिप्त संदर्भ।
- ASI/IGNCA/CCRT – कला, स्मारक और संस्कृति पर आधिकारिक सामग्री।
- Selected scholarly articles (EPW/JSTOR) – इतिहासलेखन और विषयगत बहसें।
श्रेणियाँ: UPSC CSE | इतिहास | भारतीय इतिहास | विश्व इतिहास | अध्ययन-रणनीति