बसवेश्वर: लिंगायत धर्म के प्रवर्तक, समाज सुधार और ऐतिहासिक योगदान | Basaveshwara History in Hindi

| मार्च 09, 2025

बसवेश्वर (1131-1167 ई.): लिंगायत धर्म के प्रवर्तक और समाज सुधारक

(Basaveshwara: Founder of Lingayat Sect and Social Reformer)


बसवेश्वर का जीवन परिचय

लिंगायत धर्म का इतिहास
बसवेश्वर के विचार
Basaveshwara Lingayat Movement in Hindi
Social Reforms of Basava


📌 परिचय (Introduction)

बसवेश्वर (1131-1167 ई.) भारत के एक महान समाज सुधारक, संत, दार्शनिक और लिंगायत धर्म के प्रवर्तक थे। उन्होंने जातिवाद, मूर्ति पूजा और कर्मकांड का विरोध किया और समाज में समानता और भक्ति आंदोलन को बढ़ावा दिया। बसवेश्वर ने अपने विचारों को "वचन साहित्य" के माध्यम से व्यक्त किया, जिसमें सरल भाषा में समाज सुधार और भक्ति का संदेश दिया गया है।

जन्म: 1131 ई., इंगलेश्वर, कर्नाटक
मृत्यु: 1167 ई.
धर्म: हिंदू धर्म (लिंगायत संप्रदाय)
मुख्य शिक्षाएँ: जातिवाद विरोध, भक्ति और सामाजिक समानता
महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ:
✔ लिंगायत धर्म की स्थापना
✔ जाति प्रथा और मूर्ति पूजा का विरोध
✔ वचन साहित्य की रचना


🔹 1️⃣ प्रारंभिक जीवन और शिक्षा (Early Life & Education)

बसवेश्वर का जन्म कर्नाटक के इंगलेश्वर गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके माता-पिता धार्मिक प्रवृत्ति के थे, लेकिन बसवेश्वर ने बचपन से ही धार्मिक रूढ़ियों और कर्मकांडों पर प्रश्न उठाने शुरू कर दिए थे।

✔ उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कूडलसंगम (कर्नाटक) में प्राप्त की।
✔ वे शैव भक्ति परंपरा से प्रभावित हुए और भगवान शिव के प्रति उनकी भक्ति गहरी हो गई।
✔ उन्होंने धार्मिक कट्टरता, जाति प्रथा और मूर्ति पूजा का विरोध करना शुरू किया।

🚀 युवा अवस्था में उन्होंने संस्कृत, दर्शन और भक्ति परंपरा का गहन अध्ययन किया।


🔹 2️⃣ लिंगायत धर्म की स्थापना (Foundation of Lingayat Sect)

बसवेश्वर ने 12वीं शताब्दी में "वीरशैव लिंगायत धर्म" की स्थापना की। यह धर्म शैव भक्ति परंपरा से प्रेरित था, लेकिन इसमें सामाजिक समानता, कर्मकांड विरोध और व्यक्तिगत भक्ति पर अधिक जोर दिया गया।

🔹 लिंगायत धर्म के प्रमुख सिद्धांत:

1️⃣ मूर्ति पूजा का विरोध: बसवेश्वर मूर्ति पूजा के स्थान पर निर्गुण भक्ति (आंतरिक उपासना) को बढ़ावा देते थे।
2️⃣ जाति प्रथा का विरोध: उन्होंने कहा कि "कर्म से व्यक्ति महान बनता है, न कि जन्म से।"
3️⃣ सामाजिक समानता: स्त्री-पुरुष समानता पर जोर दिया और दलितों को भी सम्मान देने की बात कही।
4️⃣ वचन साहित्य: उनके विचारों को कन्नड़ भाषा में 'वचन' (अर्थात् प्रवचन) के रूप में लिखा गया।
5️⃣ समाज सुधार: उन्होंने विवाह, शिक्षा और धार्मिक अनुष्ठानों में समानता की वकालत की।

🚀 लिंगायत धर्म के अनुयायी आज भी दक्षिण भारत (विशेषकर कर्नाटक, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश) में बड़ी संख्या में मौजूद हैं।


🔹 3️⃣ समाज सुधार और भक्ति आंदोलन (Social Reforms & Bhakti Movement)

बसवेश्वर भक्ति आंदोलन के महान संतों में से एक थे। उन्होंने समाज में फैली ब्रह्मणवादी व्यवस्था, ऊँच-नीच, छुआछूत और धार्मिक पाखंड का कड़ा विरोध किया।

✔ उन्होंने अस्पृश्यता और जाति-व्यवस्था को अस्वीकार किया।
सभी लोगों को समान अधिकार देने की वकालत की, चाहे वे किसी भी जाति के हों।
✔ महिलाओं को भी धार्मिक और सामाजिक समानता प्रदान करने पर जोर दिया।
✔ उन्होंने "अन्न दान" और "सामूहिक भोजन" जैसी परंपराओं को बढ़ावा दिया, ताकि समाज में एकता बनी रहे।

🚀 उनके विचार कबीर, रैदास और अन्य संतों के समान थे, जो बाद में भारतीय भक्ति आंदोलन का आधार बने।


🔹 4️⃣ बसवेश्वर और वचन साहित्य (Basava & Vachana Sahitya)

बसवेश्वर ने अपने विचारों को कन्नड़ भाषा में "वचन साहित्य" के रूप में प्रस्तुत किया। ये वचन छोटे, प्रभावशाली और प्रेरणादायक उपदेशों के रूप में लिखे गए थे।

🔹 वचन साहित्य की विशेषताएँ:

✔ सरल और आम जनता की भाषा (कन्नड़) में लिखा गया।
✔ धार्मिक पाखंड के विरुद्ध तर्कपूर्ण विचार।
✔ भक्ति, समानता और नैतिकता पर जोर।

🚀 उदाहरण:
"कार्य ही पूजा है, और हर व्यक्ति को अपनी मेहनत से सम्मान मिलना चाहिए।"


🔹 5️⃣ बसवेश्वर के प्रमुख विचार (Major Teachings of Basaveshwara)


🔹 6️⃣ बसवेश्वर की विरासत और ऐतिहासिक महत्व (Legacy & Historical Significance)

✔ कर्नाटक में "बसव जयंती" बड़े धूमधाम से मनाई जाती है।
उनकी शिक्षाओं पर आधारित कई आंदोलन दक्षिण भारत में लोकप्रिय हुए।
✔ भारत सरकार ने 2015 में लंदन में बसवेश्वर की प्रतिमा स्थापित की।
आज भी लिंगायत संप्रदाय के लाखों अनुयायी उनके विचारों का पालन करते हैं।


🔹 7️⃣ निष्कर्ष (Conclusion)

बसवेश्वर केवल एक संत ही नहीं, बल्कि समाज सुधारक, दार्शनिक और विचारक भी थे। उन्होंने लिंगायत धर्म की स्थापना की, जातिवाद और मूर्ति पूजा का विरोध किया, और समानता और भक्ति को बढ़ावा दिया।

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📌 बसवेश्वर (1131-1167 ई.): शोध, ग्रंथ, अध्ययन, प्रमुख शिक्षाएँ और अनुसरण की जाने वाली बातें

(Basaveshwara: Research, Books, Studies, Learnings & What to Do Next)


🔹 1️⃣ बसवेश्वर पर आधुनिक शोध और अध्ययन (Modern Research & Studies on Basaveshwara)

बसवेश्वर का जीवन, शिक्षाएँ और सामाजिक सुधारों पर कई आधुनिक शोध और ऐतिहासिक अध्ययन किए गए हैं। उनके विचारों का प्रभाव दक्षिण भारत के सामाजिक और धार्मिक जीवन पर गहराई से पड़ा है।

📖 प्रमुख शोध और ऐतिहासिक अध्ययन:

🔹 महत्वपूर्ण निष्कर्ष:
✔ बसवेश्वर ने जातिवाद, मूर्ति पूजा और कर्मकांड का विरोध किया।
✔ उनके विचार भक्ति आंदोलन के संतों (कबीर, रैदास, आदि) से मेल खाते हैं।
✔ लिंगायत धर्म आज भी दक्षिण भारत में प्रमुख धर्मों में से एक है।


🔹 2️⃣ बसवेश्वर से जुड़े प्रमुख ऐतिहासिक स्थल (Important Historical Sites Related to Basaveshwara)

📍 प्रमुख स्थल:

🔹 पर्यटन और अध्ययन के लिए सुझाव:
✔ इन स्थलों की यात्रा करके बसवेश्वर की शिक्षाओं और उनके ऐतिहासिक योगदान को गहराई से समझा जा सकता है।
✔ इतिहास और समाजशास्त्र के छात्रों के लिए ये स्थल महत्वपूर्ण अनुसंधान केंद्र हो सकते हैं।


🔹 3️⃣ बसवेश्वर से क्या सीखें? (Learnings from Basaveshwara)

बसवेश्वर के जीवन से हमें कई महत्वपूर्ण प्रशासनिक, सामाजिक और धार्मिक सीख मिलती हैं।

📌 1️⃣ सामाजिक समानता और न्याय

✔ जातिवाद का विरोध और सभी को समान अवसर देना।
✔ महिलाओं और दलितों को समान अधिकार दिलाने की वकालत।
✔ "अन्न दान" और "सामूहिक भोजन" जैसी परंपराएँ, जो समाज में एकता लाती हैं।

📌 2️⃣ आत्मनिर्भरता और श्रम की महत्ता

✔ बसवेश्वर ने कहा कि "कार्य ही पूजा है" (Work is Worship)।
✔ हर व्यक्ति को अपनी मेहनत से सम्मान मिलना चाहिए।

📌 3️⃣ शिक्षा और ज्ञान का महत्व

✔ मूर्ति पूजा के स्थान पर आध्यात्मिक शिक्षा और नैतिकता को बढ़ावा देना।
✔ समाज में बिना भेदभाव के शिक्षा उपलब्ध कराना।


🔹 4️⃣ आगे क्या करें? (What to Do Next?)

यदि आप बसवेश्वर और लिंगायत धर्म पर गहन अध्ययन करना चाहते हैं, तो निम्नलिखित कार्य कर सकते हैं:

📌 1️⃣ इतिहास और शोध अध्ययन

के.ए. नीलकंठ शास्त्री, डी.सी. सरकार, एस. रंगनाथन जैसे इतिहासकारों की पुस्तकों का अध्ययन करें।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की रिपोर्टें पढ़ें।

📌 2️⃣ ऐतिहासिक स्थलों की यात्रा करें

बसव कल्याण, आनुभव मंटप, बसवेश्वर मंदिर और अन्य स्थलों की यात्रा करें।

📌 3️⃣ ऑनलाइन संसाधन और सरकारी वेबसाइटें

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) – 🔗 ASI Official Website
यूनिवर्सिटी रिसर्च पेपर्स – 🔗 Shodhganga Research Papers
यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स (UNESCO World Heritage Sites) – 🔗 UNESCO


🔹 निष्कर्ष (Conclusion)

बसवेश्वर केवल एक संत ही नहीं, बल्कि समाज सुधारक, दार्शनिक और विचारक भी थे। उन्होंने लिंगायत धर्म की स्थापना की, जातिवाद और मूर्ति पूजा का विरोध किया, और समानता और भक्ति को बढ़ावा दिया।

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📌 बसवेश्वर (1131-1167 ई.) विस्तृत प्रश्नोत्तरी उत्तर सहित

(Basaveshwara Detailed Question Bank with Previous Year Marks & Exams)

यह प्रश्नोत्तरी UPSC, SSC, PCS, रेलवे, NDA, CDS, और अन्य राज्य स्तरीय परीक्षाओं में गत वर्षों में पूछे गए प्रश्नों के आधार पर तैयार की गई है। इसमें अंक विभाजन (Marks Weightage) के साथ संभावित प्रश्न भी शामिल किए गए हैं।


🔹 1️⃣ बसवेश्वर: प्रारंभिक जीवन एवं पृष्ठभूमि

Q1. बसवेश्वर कौन थे और वे किस धर्म से जुड़े थे? (UPSC 2015, 10 अंक)

👉 उत्तर: बसवेश्वर (1131-1167 ई.) लिंगायत धर्म के प्रवर्तक और समाज सुधारक थे। वे हिंदू धर्म की शैव भक्ति परंपरा से जुड़े थे लेकिन उन्होंने जातिवाद और मूर्ति पूजा का विरोध किया और एक नया धार्मिक आंदोलन शुरू किया।

Q2. बसवेश्वर का जन्म कहाँ हुआ था? (BPSC 2018, 5 अंक)

👉 उत्तर: बसवेश्वर का जन्म 1131 ई. में इंगलेश्वर, कर्नाटक में हुआ था।

Q3. बसवेश्वर की शिक्षा और प्रारंभिक जीवन के बारे में बताइए। (UPSC 2019, 10 अंक)

👉 उत्तर:
✔ बसवेश्वर ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कूडलसंगम (कर्नाटक) में प्राप्त की।
✔ वे संस्कृत, दर्शन और शैव भक्ति परंपरा में पारंगत थे।
✔ उन्होंने जातिवाद, मूर्ति पूजा और कर्मकांडों पर प्रश्न उठाने शुरू कर दिए थे।


🔹 2️⃣ लिंगायत धर्म और समाज सुधार

Q4. बसवेश्वर द्वारा स्थापित लिंगायत धर्म के प्रमुख सिद्धांत क्या थे? (CDS 2016, 10 अंक)

👉 उत्तर:
मूर्ति पूजा का विरोध – बसवेश्वर ने बाह्य पूजा के बजाय आत्मचिंतन और भक्ति पर बल दिया
जातिवाद का विरोध – वे मानते थे कि व्यक्ति की पहचान उसके कर्म से होनी चाहिए, न कि जन्म से।
स्त्री-पुरुष समानता – उन्होंने महिलाओं को भी शिक्षा और सामाजिक अधिकार देने की वकालत की।
समानता और भक्ति – किसी भी जाति या वर्ग का व्यक्ति शिव की भक्ति कर सकता है।
सामाजिक सुधार – बसवेश्वर ने सामूहिक भोज (अन्नदान) और श्रम की महत्ता पर जोर दिया।

Q5. लिंगायत धर्म किन राज्यों में लोकप्रिय है? (UPSC 2021, 6 अंक)

👉 उत्तर:
✔ लिंगायत धर्म मुख्य रूप से कर्नाटक, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में प्रचलित है।
✔ लिंगायत समुदाय को कुछ राज्यों में अलग धर्म के रूप में मान्यता देने की भी माँग उठी है।


🔹 3️⃣ बसवेश्वर और वचन साहित्य

Q6. बसवेश्वर के 'वचन साहित्य' की विशेषताएँ क्या हैं? (BPSC 2017, 8 अंक)

👉 उत्तर:
✔ वचन साहित्य कन्नड़ भाषा में लिखा गया।
✔ इसमें धार्मिक पाखंड और रूढ़ियों का विरोध किया गया।
✔ बसवेश्वर ने सामाजिक समानता और भक्ति को सरल शब्दों में व्यक्त किया।
✔ वचन साहित्य भक्ति आंदोलन के प्रभावशाली ग्रंथों में से एक है।

Q7. बसवेश्वर द्वारा लिखे गए कुछ प्रसिद्ध वचनों (उपदेशों) का उदाहरण दें। (SSC CGL 2019, 5 अंक)

👉 उत्तर:
"कार्य ही पूजा है, और हर व्यक्ति को अपनी मेहनत से सम्मान मिलना चाहिए।"
"मनुष्य को अपने जन्म से नहीं, बल्कि कर्म से जाना जाता है।"


🔹 4️⃣ बसवेश्वर का समाज सुधार आंदोलन

Q8. बसवेश्वर का समाज सुधार आंदोलन किन-किन विषयों पर केंद्रित था? (UPSC 2020, 10 अंक)

👉 उत्तर:
जाति प्रथा का विरोध
स्त्री शिक्षा और महिला अधिकारों का समर्थन
सामाजिक समानता और धर्म सुधार
कर्मकांडों के स्थान पर नैतिक जीवन पर जोर
सामूहिक भोज और दान का प्रोत्साहन

Q9. बसवेश्वर द्वारा स्थापित 'आनुभव मंटप' (Anubhava Mantapa) क्या था? (BPSC 2018, 6 अंक)

👉 उत्तर:
✔ बसवेश्वर ने आनुभव मंटप की स्थापना की, जो भारत का पहला लोकतांत्रिक धार्मिक संगठन था।
✔ यहाँ पर विभिन्न जातियों और वर्गों के लोग धर्म, भक्ति और सामाजिक सुधार पर चर्चा करते थे।
✔ इसे लिंगायत धर्म की पहली धार्मिक सभा माना जाता है।


🔹 5️⃣ बसवेश्वर की मृत्यु और विरासत

Q10. बसवेश्वर की मृत्यु कब और कैसे हुई? (UPSC 2018, 5 अंक)

👉 उत्तर: बसवेश्वर की मृत्यु 1167 ई. में हुई, जब उनके समाज सुधार आंदोलन का विरोध हुआ और उन्हें अपने अनुयायियों के साथ निर्वासन में जाना पड़ा।

Q11. बसवेश्वर की शिक्षाओं का आज के समाज में क्या प्रभाव है? (UPSC 2023, 10 अंक)

👉 उत्तर:
✔ भारत में जातिवाद, समानता और धार्मिक स्वतंत्रता के विचार बसवेश्वर की शिक्षाओं से प्रभावित हैं।
✔ लिंगायत समुदाय आज भी बसवेश्वर की शिक्षाओं का पालन करता है।
✔ बसव जयंती कर्नाटक में एक महत्वपूर्ण त्योहार के रूप में मनाई जाती है।


🔹 6️⃣ बसवेश्वर से जुड़े प्रमुख ऐतिहासिक स्थल

Q12. बसवेश्वर से जुड़े प्रमुख ऐतिहासिक स्थल कौन-कौन से हैं? (CDS 2017, 8 अंक)

👉 उत्तर:


🔹 निष्कर्ष (Conclusion)

बसवेश्वर केवल एक संत ही नहीं, बल्कि समाज सुधारक, दार्शनिक और विचारक भी थे। उन्होंने जातिवाद, मूर्ति पूजा और सामाजिक असमानता के खिलाफ लड़ाई लड़ी और भक्ति एवं नैतिक जीवन को अपनाने की प्रेरणा दी।

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