कनिष्क (127-150 ई.): कु्षाण साम्राज्य का महान सम्राट
(Kanishka: The Great Emperor of the Kushan Dynasty)
📌 परिचय (Introduction)
कनिष्क (127-150 ई.) कु्षाण वंश के सबसे महान शासकों में से एक थे। वे न केवल एक शक्तिशाली योद्धा थे, बल्कि एक धार्मिक और सांस्कृतिक संरक्षक भी थे। उन्होंने भारतीय उपमहाद्वीप में बौद्ध धर्म के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी सबसे प्रमुख उपलब्धियों में चौथी बौद्ध संगीति (कश्मीर) का आयोजन, गांधार कला को संरक्षण और महायान बौद्ध धर्म को बढ़ावा देना शामिल हैं।
➡ राजवंश: कुषाण वंश
➡ राजधानी: पुरुषपुर (वर्तमान पेशावर, पाकिस्तान)
➡ धर्म: बौद्ध धर्म (महायान संप्रदाय)
➡ उपलब्धियाँ:
✔ चौथी बौद्ध संगीति का आयोजन
✔ महायान बौद्ध धर्म को संरक्षण
✔ गांधार कला और वास्तुकला को बढ़ावा
✔ भारत, मध्य एशिया और चीन तक साम्राज्य का विस्तार
🔹 कनिष्क का प्रारंभिक जीवन और राज्याभिषेक (Early Life & Coronation)
कनिष्क का जन्म कुषाण वंश में हुआ था। उनके पिता विम कडफिसेस (Vima Kadphises) थे, जो कु्षाण वंश के प्रभावशाली शासक थे। कनिष्क ने 127 ई. में अपने पिता के बाद राजगद्दी संभाली और कुषाण साम्राज्य को अपने चरम पर पहुंचाया।
✔ राज्याभिषेक: 127 ई.
✔ प्रारंभिक चुनौतियाँ: राज्य को एकजुट करना और पड़ोसी शत्रुओं से संघर्ष
✔ शासन का उद्देश्य: साम्राज्य विस्तार, धर्म प्रसार, कला एवं संस्कृति का संरक्षण
कनिष्क की राजधानी पुरुषपुर (पेशावर) थी, लेकिन उन्होंने कई अन्य महत्वपूर्ण नगरों में भी अपनी प्रशासनिक व्यवस्था बनाई, जैसे मथुरा, कापिशी (अफगानिस्तान) और बाल्ख।
🔹 कनिष्क का साम्राज्य और विस्तार (Empire & Expansion)
कनिष्क ने अपने सैन्य कौशल के बल पर एक विशाल साम्राज्य स्थापित किया, जो भारत से लेकर मध्य एशिया और चीन तक फैला हुआ था।
✔ भारत: गांधार, पंजाब, कश्मीर, उत्तर प्रदेश और बिहार तक विस्तार
✔ मध्य एशिया: बल्ख, कापिशी और समरकंद
✔ चीन: तुर्किस्तान के कई भाग
🔹 कनिष्क के प्रमुख सैन्य अभियान:
- सिकंदरिया (Bactria) और परथिया (Parthia) पर विजय।
- कश्मीर पर अधिकार।
- मध्य एशिया के शासकों को हराकर व्यापार मार्गों पर नियंत्रण।
- भारतीय उपमहाद्वीप में कई राजाओं को अधीन करना।
उनकी विजय के बाद, कुषाण साम्राज्य एक अंतर्राष्ट्रीय शक्ति बन गया।
🔹 कनिष्क और बौद्ध धर्म (Kanishka & Buddhism)
कनिष्क को बौद्ध धर्म का सबसे बड़ा संरक्षक माना जाता है। उन्होंने महायान बौद्ध धर्म को विशेष संरक्षण दिया और इसे भारत, चीन और मध्य एशिया तक फैलाया।
✔ चौथी बौद्ध संगीति (Fourth Buddhist Council)
➡ कनिष्क ने कश्मीर (कुंडलवन) में चौथी बौद्ध संगीति का आयोजन किया।
➡ इस संगीति में महायान बौद्ध धर्म की नींव रखी गई।
➡ बौद्ध ग्रंथों को संस्कृत भाषा में संकलित किया गया।
✔ महायान बौद्ध धर्म का उदय
➡ कनिष्क के शासनकाल में बौद्ध धर्म दो भागों में विभाजित हुआ – हीनयान और महायान।
➡ महायान बौद्ध धर्म में बुद्ध को ईश्वर के रूप में पूजा जाने लगा।
➡ बोधिसत्त्व सिद्धांत का विकास हुआ।
✔ बौद्ध प्रचारकों को विदेश भेजना
➡ कनिष्क ने बौद्ध भिक्षुओं को चीन, तिब्बत, जापान और कोरिया भेजा।
➡ उनके काल में प्रसिद्ध बौद्ध विद्वान अश्वघोष, नागार्जुन और वसुबंधु हुए।
🔹 कनिष्क और गांधार कला (Kanishka & Gandhara Art)
कनिष्क ने गांधार कला को संरक्षण दिया, जो भारतीय और ग्रीक शैली का मिश्रण था।
✔ विशेषताएँ:
1️⃣ बुद्ध की मूर्तियाँ ग्रीक शैली में बनाई गईं।
2️⃣ संगमरमर और बलुआ पत्थर का उपयोग।
3️⃣ मुद्राओं और आभूषणों पर सुंदर नक्काशी।
4️⃣ अजंता और एलोरा गुफाओं में चित्रकारी का विकास।
🔹 प्रसिद्ध गांधार मूर्तियाँ:
➡ बुद्ध की ध्यान मुद्रा में मूर्ति (Meditating Buddha)
➡ धर्मचक्र प्रवर्तन मुद्रा की मूर्ति
🔹 कनिष्क की मुद्रा प्रणाली (Coinage System)
कनिष्क के शासनकाल में स्वर्ण मुद्राओं (Gold Coins) का प्रचलन हुआ।
✔ उनके सिक्कों पर ग्रीक, रोमन और भारतीय देवताओं की छवियाँ मिलती हैं।
✔ सिक्कों पर "महायान बुद्ध" की छवि भी मिली है।
🔹 कनिष्क का पतन और मृत्यु (Decline & Death)
कनिष्क का शासन अत्यंत शक्तिशाली था, लेकिन उनके अंतिम दिनों में विद्रोह होने लगे।
✔ मृत्यु: 150 ई. के आसपास (कश्मीर में संभावित)।
✔ कुछ ग्रंथों के अनुसार, उन्हें उनके ही सैनिकों ने मार डाला।
✔ उनकी मृत्यु के बाद, कुषाण साम्राज्य धीरे-धीरे कमजोर होने लगा।
🔹 कनिष्क का ऐतिहासिक महत्व (Historical Significance)
✔ भारत-चीन संबंध: उनके कारण भारत और चीन के बीच धार्मिक और सांस्कृतिक संबंध बढ़े।
✔ बौद्ध धर्म का प्रसार: महायान बौद्ध धर्म के कारण बौद्ध मत संपूर्ण एशिया में फैला।
✔ कला एवं वास्तुकला: गांधार शैली और मथुरा कला का उत्कर्ष।
✔ अंतर्राष्ट्रीय व्यापार: रेशम मार्ग (Silk Route) पर व्यापारिक नियंत्रण।
🔹 कनिष्क से जुड़ी प्रमुख ऐतिहासिक स्थल (Important Historical Sites Related to Kanishka)
✔ कनिष्क स्तूप (कश्मीर) – बौद्ध धर्म का प्रमुख केंद्र।
✔ गांधार क्षेत्र (पाकिस्तान) – कला और संस्कृति का केंद्र।
✔ पुरुषपुर (पेशावर) – कुषाण साम्राज्य की राजधानी।
🔹 निष्कर्ष (Conclusion)
कनिष्क केवल एक शक्तिशाली सम्राट नहीं थे, बल्कि भारत में बौद्ध धर्म के पुनरुद्धार और कला-संस्कृति के महान संरक्षक भी थे। उनका शासनकाल भारतीय इतिहास का स्वर्णिम युग माना जाता है।
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📌 सम्राट कनिष्क पर प्रकाशित उपन्यास, शोध, और अभिलेखों की सूची
कनिष्क (127-150 ई.) भारतीय इतिहास के महानतम शासकों में से एक थे। उनके शासनकाल से संबंधित अनेक शोध, ऐतिहासिक अभिलेख और साहित्यिक कृतियाँ प्रकाशित हुई हैं।
🔹 1️⃣ कनिष्क पर प्रमुख ऐतिहासिक अभिलेख (Inscriptions on Kanishka)
कनिष्क के शासनकाल के प्रमाण अभिलेखों (Inscriptions) के रूप में विभिन्न क्षेत्रों में प्राप्त हुए हैं। ये अभिलेख उनकी विजयों, धार्मिक संरक्षण, और प्रशासनिक नीतियों पर महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं।
🔹 2️⃣ कनिष्क पर प्रमुख ऐतिहासिक ग्रंथ एवं शोध (Historical Books & Research Papers on Kanishka)
कनिष्क पर अनेक भारतीय और विदेशी विद्वानों ने शोध किए हैं और पुस्तकें लिखी हैं। उनके जीवन, शासन, युद्ध, धर्म और संस्कृति से संबंधित प्रमुख ग्रंथों और शोध पत्रों की सूची नीचे दी गई है।
📖 प्रमुख इतिहासकारों के शोध एवं पुस्तकें (Major Books & Research by Historians)
🔹 3️⃣ कनिष्क पर प्रमुख साहित्यिक और उपन्यास आधारित पुस्तकें (Novels & Literary Books on Kanishka)
सम्राट कनिष्क के जीवन पर साहित्यिक और ऐतिहासिक उपन्यासों की भी रचना हुई है। कुछ प्रमुख उपन्यास निम्नलिखित हैं:
कनिष्क का उल्लेख कई चीनी और ग्रीक ग्रंथों में भी किया गया है। इन ग्रंथों में उन्हें एक महान शासक, धर्म-प्रेमी और सैन्य विजेता बताया गया है।
🔹 5️⃣ कनिष्क से जुड़े अभिलेखीय स्रोत (Archaeological & Epigraphic Sources on Kanishka)
कनिष्क के शासनकाल से संबंधित पुरातात्विक और अभिलेखीय स्रोतों की खोज विभिन्न स्थानों पर हुई है। इनमें प्रमुख हैं:
🔹 निष्कर्ष (Conclusion)
कनिष्क भारतीय इतिहास के सबसे प्रभावशाली शासकों में से एक थे। उनके शासनकाल को समझने के लिए विभिन्न अभिलेख, शोध, उपन्यास और विदेशी स्रोत उपलब्ध हैं। उनके योगदान को जानने के लिए इतिहासकारों द्वारा लिखी गई पुस्तकों, चीनी ग्रंथों और पुरातात्विक खोजों का अध्ययन करना आवश्यक है।
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📌 सम्राट कनिष्क पर विस्तृत प्रश्नोत्तरी (UPSC, SSC, PCS, एवं अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए)
यह प्रश्नोत्तरी विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं (UPSC, SSC, PCS, रेलवे, NDA, CDS आदि) में गत वर्षों में पूछे गए प्रश्नों और संभावित प्रश्नों पर आधारित है।
🔹 1️⃣ सम्राट कनिष्क: प्रारंभिक जीवन और राज्याभिषेक
Q1. सम्राट कनिष्क किस वंश से संबंधित थे? (UPSC 2017, SSC 2020)
👉 उत्तर: कुषाण वंश
Q2. कनिष्क का राज्याभिषेक कब हुआ था? (UPPSC 2018)
👉 उत्तर: 127 ई. के आसपास
Q3. कनिष्क की राजधानी क्या थी? (BPSC 2015, SSC CGL 2022)
👉 उत्तर: पुरुषपुर (वर्तमान पेशावर, पाकिस्तान)
Q4. सम्राट कनिष्क की मुद्राओं पर किस भाषा में लेख होते थे? (UPSC 2009, NDA 2016)
👉 उत्तर: ग्रीक और खरोष्ठी
Q5. कनिष्क के राज्याभिषेक स्थल के बारे में सबसे प्रमाणिक जानकारी किस अभिलेख से मिलती है? (UPSC 2019, CDS 2021)
👉 उत्तर: रबातक अभिलेख (Rabatak Inscription, अफगानिस्तान)
🔹 2️⃣ कनिष्क का साम्राज्य और विजय अभियान
Q6. कनिष्क के शासनकाल में कुषाण साम्राज्य कहां तक विस्तृत था? (SSC CGL 2018, UPSC 2021)
👉 उत्तर: भारत (पंजाब, कश्मीर, बिहार), अफगानिस्तान, मध्य एशिया (बल्ख, समरकंद), चीन (तुरफ़ान)
Q7. कनिष्क ने किस क्षेत्र को जीतकर अपने साम्राज्य में जोड़ा? (UPSC 2016, BPSC 2019)
👉 उत्तर: कश्मीर
Q8. कनिष्क के समकालीन चीनी शासक कौन थे? (UPSC 2020, CDS 2023)
👉 उत्तर: हान वंश के सम्राट
Q9. कनिष्क के शासनकाल का सबसे प्रसिद्ध अभिलेख कौन सा है? (UPSC 2023)
👉 उत्तर: सूरख कोटल अभिलेख (अफगानिस्तान)
Q10. कुषाण काल के दौरान भारत और चीन के बीच व्यापार को बढ़ावा देने में किसने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई? (SSC CGL 2020, UPPCS 2022)
👉 उत्तर: कनिष्क ने रेशम मार्ग (Silk Route) को बढ़ावा दिया।
🔹 3️⃣ कनिष्क और बौद्ध धर्म
Q11. चौथी बौद्ध संगीति किसके शासनकाल में आयोजित हुई थी? (UPSC 2005, BPSC 2017, MPPSC 2021)
👉 उत्तर: सम्राट कनिष्क
Q12. चौथी बौद्ध संगीति कहां हुई थी? (SSC CGL 2019, UPPSC 2018)
👉 उत्तर: कश्मीर (कुंडलवन)
Q13. चौथी बौद्ध संगीति की अध्यक्षता किसने की थी? (NDA 2015, BPSC 2021)
👉 उत्तर: वसुमित्र (Vasumitra)
Q14. चौथी बौद्ध संगीति के दौरान बौद्ध धर्म के कौन-कौन से संप्रदाय बने? (UPSC 2020, SSC CGL 2023)
👉 उत्तर: हीनयान और महायान
Q15. कनिष्क के समय बौद्ध धर्म का कौन सा प्रमुख ग्रंथ लिखा गया था? (UPSC 2012, CDS 2018)
👉 उत्तर: महाविभाषा सूत्र (संस्कृत में)
🔹 4️⃣ कनिष्क और गांधार कला
Q16. गांधार कला का विकास किसके शासनकाल में हुआ? (UPSC 2014, SSC CGL 2019)
👉 उत्तर: सम्राट कनिष्क
Q17. गांधार कला का मुख्य प्रभाव किस सभ्यता से लिया गया था? (BPSC 2016, UPPSC 2020)
👉 उत्तर: ग्रीको-रोमन (Indo-Greek)
Q18. गांधार कला की मुख्य विशेषता क्या थी? (CDS 2015, UPSC 2018)
👉 उत्तर: बुद्ध की मूर्तियाँ ग्रीक शैली में बनीं, संगमरमर का उपयोग, सुंदर नक्काशी
Q19. कुषाण वंश के दौरान भारत में कौन-कौन से प्रमुख कला केंद्र विकसित हुए? (UPSC 2021, BPSC 2019)
👉 उत्तर: मथुरा, गांधार (पाकिस्तान), तक्षशिला
Q20. प्रसिद्ध "ध्यान मुद्रा में बुद्ध" की मूर्ति किस काल की है? (SSC CHSL 2022, NDA 2019)
👉 उत्तर: कुषाण काल (गांधार शैली)
🔹 5️⃣ कनिष्क की मुद्रा और प्रशासन
Q21. कनिष्क के सिक्कों पर किन देवताओं के चित्र मिलते हैं? (UPSC 2010, SSC CGL 2017)
👉 उत्तर: बुद्ध, मिहिर, ओस्सो, हेराक्लीज़, सरपो
Q22. कुषाण वंश के दौरान कौन सी भाषा प्रशासनिक कार्यों में प्रयुक्त होती थी? (BPSC 2018, UPPSC 2021)
👉 उत्तर: संस्कृत और प्राकृत
Q23. कनिष्क ने अपने साम्राज्य को सुचारू रूप से चलाने के लिए किस प्रकार की प्रशासनिक व्यवस्था अपनाई? (UPSC 2016, MPPSC 2019)
👉 उत्तर: केंद्रित साम्राज्यवादी प्रशासन, प्रांतीय शासन व्यवस्था
Q24. कनिष्क की मुद्रा प्रणाली में सबसे महत्वपूर्ण विशेषता क्या थी? (SSC CGL 2021, UPSC 2022)
👉 उत्तर: स्वर्ण मुद्राओं (Gold Coins) का प्रचलन
Q25. कुषाण वंश का पतन किन कारणों से हुआ? (CDS 2013, UPSC 2019)
👉 उत्तर: उत्तराधिकारी कमजोर थे, प्रशासनिक भ्रष्टाचार, आंतरिक विद्रोह
🔹 6️⃣ कनिष्क की मृत्यु और उत्तराधिकार
Q26. कनिष्क की मृत्यु कैसे हुई? (UPSC 2020, SSC CGL 2023)
👉 उत्तर: संभवतः कश्मीर में 150 ई. में हुई (कुछ स्रोतों के अनुसार हत्या कर दी गई)
Q27. कनिष्क के बाद कुषाण वंश का अगला शासक कौन था? (UPSC 2017, BPSC 2021)
👉 उत्तर: वासुदेव प्रथम
📌 निष्कर्ष (Conclusion)
कनिष्क से संबंधित प्रश्न UPSC, SSC, PCS, रेलवे, NDA, CDS जैसी परीक्षाओं में लगातार पूछे जाते रहे हैं। इस प्रश्नोत्तरी में गत वर्षों के परीक्षा प्रश्नों को शामिल किया गया है, जिससे अभ्यर्थियों को परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण जानकारी मिल सके।
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