पुष्यमित्र शुंग: जीवन परिचय, शासनकाल, उपलब्धियाँ और शुंग वंश का इतिहास | Pushyamitra Shunga History in Hindi

| मार्च 08, 2025

पुष्यमित्र शुंग (185-149 ईसा पूर्व): शुंग वंश के संस्थापक एवं वैदिक पुनर्जागरण के नायक

(Pushyamitra Shunga: The Founder of Shunga Dynasty & Revivalist of Vedic Traditions)

A majestic and vibrant historical illustration of Pushyamitra Shunga, the founder of the Shunga dynasty, seated on a grand royal throne. The artwork features rich gold and red hues, depicting the opulence of ancient Indian royalty. The background showcases an elaborately carved palace with banners and royal guards, emphasizing his power and grandeur. Bold watermark 'By Sarkari Service Prep' is present on the image


📌 परिचय (Introduction)

पुष्यमित्र शुंग (185-149 ईसा पूर्व) शुंग वंश के संस्थापक और प्रथम शासक थे। वे मौर्य वंश के अंतिम सम्राट बृहद्रथ को पराजित कर सत्ता में आए। उन्होंने वैदिक परंपराओं को पुनर्जीवित किया और भारतीय समाज में ब्राह्मणवादी संस्कृति को पुनर्स्थापित करने का प्रयास किया।

राजवंश: शुंग वंश (Shunga Dynasty)
राजधानी: पाटलिपुत्र
धर्म: वैदिक हिंदू धर्म
महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ:
✔ अंतिम मौर्य सम्राट बृहद्रथ की हत्या कर शुंग वंश की स्थापना (185 ईसा पूर्व)
वैदिक धर्म और परंपराओं का पुनरुद्धार
यवन आक्रमणकारियों को पराजित किया
अश्वमेध यज्ञ का आयोजन
बौद्ध धर्म पर प्रभाव


🔹 पुष्यमित्र शुंग का प्रारंभिक जीवन और सैन्य पृष्ठभूमि (Early Life & Military Background)

पुष्यमित्र शुंग का जन्म ब्राह्मण परिवार में हुआ था और वे मौर्य साम्राज्य की सेना में एक महत्वपूर्ण सेनापति (Commander-in-Chief) थे। वे मौर्य वंश के अंतिम सम्राट बृहद्रथ के अधीन कार्यरत थे, लेकिन उन्होंने समय के साथ सत्ता हथिया ली और शुंग वंश की स्थापना की।

जाति: ब्राह्मण
पेशा: मौर्य सेना में सेनापति
राजनीतिक महत्व: मौर्य वंश का पतन एवं नए राजवंश की स्थापना


🔹 मौर्य वंश का पतन और शुंग वंश की स्थापना (Downfall of Maurya Dynasty & Rise of Shunga Dynasty)

1️⃣ मौर्य वंश की स्थिति:
✔ मौर्य वंश अशोक के बाद कमजोर हो चुका था।
✔ अशोक की नीति अहिंसा और बौद्ध धर्म के प्रति झुकाव के कारण सेना कमजोर पड़ गई थी।
✔ प्रशासन में ब्राह्मणों और सैन्य अधिकारियों का प्रभाव कम हो गया था।

2️⃣ सत्ता परिवर्तन:
✔ 185 ईसा पूर्व में, पुष्यमित्र शुंग ने अंतिम मौर्य सम्राट बृहद्रथ की हत्या कर दी
✔ इसके बाद उन्होंने पाटलिपुत्र में स्वयं को राजा घोषित कर दिया
✔ इसी के साथ शुंग वंश (Shunga Dynasty) की स्थापना हुई।

3️⃣ नई शासन व्यवस्था:
✔ शुंग वंश की सत्ता ब्राह्मणवादी वैदिक संस्कृति पर आधारित थी।
✔ सेना को पुनर्गठित किया गया और मौर्य प्रशासन का पुनर्निर्माण किया गया।


🔹 पुष्यमित्र शुंग के शासनकाल की प्रमुख उपलब्धियाँ (Key Achievements of Pushyamitra Shunga)

1️⃣ अश्वमेध यज्ञ और वैदिक धर्म का पुनरुद्धार

✔ पुष्यमित्र शुंग ने वैदिक परंपराओं को पुनर्जीवित किया
✔ उन्होंने अश्वमेध यज्ञ (Ashwamedha Yajna) का आयोजन किया, जिससे उनकी सत्ता की वैधता को मान्यता मिली।
✔ ब्राह्मणों को समाज में फिर से प्रमुख स्थान दिया गया।

2️⃣ विदेशी आक्रमणों का प्रतिरोध

✔ उनके शासनकाल में यवन (Indo-Greeks) और शक आक्रमणकारियों का आक्रमण हुआ।
✔ पुष्यमित्र शुंग ने यवन आक्रमणों को रोका और ग्रीक राजा मेनांडर को पराजित किया
✔ गंधार क्षेत्र और पश्चिमी भारत में सुरक्षा स्थापित की।

3️⃣ बौद्ध धर्म पर प्रभाव

✔ कुछ ऐतिहासिक स्रोतों के अनुसार, पुष्यमित्र शुंग ने बौद्ध धर्म पर अत्याचार किए
दिव्यावदान और अशोकावदान जैसे बौद्ध ग्रंथों में उल्लेख है कि उन्होंने बौद्ध विहारों को नष्ट किया
✔ हालाँकि, कुछ इतिहासकारों का मानना है कि यह अतिशयोक्ति हो सकती है।

4️⃣ कला और संस्कृति का विकास

✔ पुष्यमित्र शुंग के काल में भारतीय कला और संस्कृति का पुनरुद्धार हुआ।
शुंगकालीन स्थापत्य कला विकसित हुई, जिसमें भरहुत स्तूप और सांची स्तूप महत्वपूर्ण हैं।


🔹 शुंग वंश के प्रमुख अभिलेख और ग्रंथ (Inscriptions & Literary Sources on Shunga Dynasty)

गर्गी संहिता: इसमें शुंगों के शासनकाल का उल्लेख मिलता है।
पातंजलि का महाभाष्य: इसमें पुष्यमित्र शुंग के शासनकाल में सैन्य गतिविधियों का उल्लेख किया गया है।
दिव्यावदान और अशोकावदान: इनमें बौद्ध धर्म के प्रति उनके कठोर रवैये का विवरण है।
भरहुत और सांची अभिलेख: ये उनकी कला और स्थापत्य उपलब्धियों का प्रमाण हैं।


🔹 पुष्यमित्र शुंग की मृत्यु और उत्तराधिकारी (Death & Succession of Pushyamitra Shunga)

✔ पुष्यमित्र शुंग की मृत्यु 149 ईसा पूर्व में हुई।
✔ उनकी मृत्यु के बाद अग्निमित्र शुंग ने सत्ता संभाली।
✔ उनके वंशजों ने 112 ईसा पूर्व तक शासन किया


🔹 पुष्यमित्र शुंग का ऐतिहासिक महत्व (Historical Significance of Pushyamitra Shunga)

प्राचीन भारत में वैदिक परंपराओं का पुनरुद्धार हुआ।
विदेशी आक्रमणों से भारत की सुरक्षा सुनिश्चित की।
भारतीय स्थापत्य और मूर्तिकला को प्रोत्साहन दिया।
शुंग वंश के शासनकाल में संस्कृत भाषा और ब्राह्मण संस्कृति का उत्थान हुआ।


🔹 पुष्यमित्र शुंग से जुड़े प्रमुख ऐतिहासिक स्थल (Important Historical Sites Related to Pushyamitra Shunga)

पाटलिपुत्र (Patliputra): उनकी राजधानी।
सांची और भरहुत स्तूप: उनके शासनकाल की स्थापत्य कला के प्रमाण।
काशी और उज्जैन: प्रमुख प्रशासनिक केंद्र।


🔹 निष्कर्ष (Conclusion)

पुष्यमित्र शुंग ने न केवल मौर्य वंश के पतन के बाद सत्ता स्थापित की, बल्कि भारत में वैदिक परंपराओं, सैन्य शक्ति और संस्कृति को पुनर्जीवित किया। उनके शासनकाल में विदेशी आक्रमणकारियों को पराजित किया गया और भारतीय सभ्यता को मजबूत किया गया


📢 टेलीग्राम ग्रुप से जुड़ें और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अपडेट पाएं!
👉 Sarkari Service Prep™ Telegram Group 🚀

अगर यह लेख पसंद आया हो, तो इसे शेयर करें और कमेंट करें!

📌 पुष्यमित्र शुंग: शोध, अभिलेख, ग्रंथ एवं ऐतिहासिक स्रोत

(Pushyamitra Shunga: Research, Inscriptions, Books & Historical Sources)

पुष्यमित्र शुंग (185-149 ईसा पूर्व) शुंग वंश के संस्थापक थे। उनके शासनकाल से संबंधित प्रमाण प्राचीन ग्रंथों, शिलालेखों, सिक्कों और आधुनिक शोधकर्ताओं के अध्ययनों में मिलते हैं।


🔹 1️⃣ पुष्यमित्र शुंग पर प्रमुख शिलालेख और अभिलेख (Inscriptions & Epigraphs on Pushyamitra Shunga)

शुंग वंश की जानकारी मुख्य रूप से पौराणिक ग्रंथों, संस्कृत साहित्य, बौद्ध ग्रंथों और सिक्कों से प्राप्त होती है। हालाँकि, उनके शासनकाल से जुड़ा कोई सीधा अभिलेख नहीं मिला है, लेकिन कुछ स्रोत अप्रत्यक्ष रूप से उनकी प्रशासनिक गतिविधियों की पुष्टि करते हैं।

📜 प्रमुख अभिलेख (Inscriptions Related to Pushyamitra Shunga):



🔹 2️⃣ पुष्यमित्र शुंग पर प्रमुख ग्रंथ एवं साहित्यिक स्रोत (Ancient Texts & Literary Sources on Pushyamitra Shunga)

पुष्यमित्र शुंग की जानकारी कई प्राचीन भारतीय ग्रंथों और बौद्ध साहित्य से प्राप्त होती है।

📖 प्रमुख ग्रंथ एवं ऐतिहासिक स्रोत:

🔹 महत्वपूर्ण तथ्य:
दिव्यावदान और अशोकावदान में उल्लेख है कि पुष्यमित्र शुंग ने बौद्ध धर्म पर अत्याचार किए।
कुछ आधुनिक इतिहासकारों का मानना है कि यह अतिशयोक्ति हो सकती है, क्योंकि शुंग शासनकाल में बौद्ध स्थापत्य (सांची और भरहुत स्तूप) का विकास हुआ।



🔹 3️⃣ पुष्यमित्र शुंग पर प्रमुख शोध और ऐतिहासिक अध्ययन (Modern Research & Studies on Pushyamitra Shunga)

कई आधुनिक इतिहासकारों और शोधकर्ताओं ने पुष्यमित्र शुंग और शुंग वंश के शासन पर विस्तृत अध्ययन किए हैं।

📚 प्रमुख शोध और पुस्तकें (Research Papers & Books on Pushyamitra Shunga):

🔹 महत्वपूर्ण निष्कर्ष:
कई इतिहासकार मानते हैं कि पुष्यमित्र शुंग ने बौद्ध धर्म का दमन नहीं किया, बल्कि वे केवल वैदिक धर्म को पुनर्स्थापित करना चाहते थे।
शुंग वंश के शासन में बौद्ध स्थापत्य कला भी विकसित हुई, जिससे यह तर्क दिया जाता है कि वे पूर्णतः बौद्ध-विरोधी नहीं थे।



🔹 4️⃣ पुष्यमित्र शुंग से संबंधित पुरातात्विक और सिक्के (Archaeological & Numismatic Evidence on Pushyamitra Shunga)

शुंग वंश के समय सिक्कों और स्थापत्य कला का महत्वपूर्ण विकास हुआ।

🪙 प्रमुख सिक्के (Coins from the Shunga Period):

🏛 पुरातात्विक प्रमाण (Archaeological Evidence on Shunga Dynasty):

सांची और भरहुत स्तूप: बौद्ध स्थापत्य कला का संरक्षण।
मथुरा की मूर्तिकला: शुंग वंश के दौरान विकसित।
पाटलिपुत्र और उज्जैन के अवशेष: प्रशासनिक केंद्र।


🔹 5️⃣ पुष्यमित्र शुंग का ऐतिहासिक मूल्यांकन (Historical Evaluation of Pushyamitra Shunga)

ब्राह्मण संस्कृति का पुनरुद्धार: उन्होंने वैदिक धर्म को पुनः स्थापित किया।
राजनीतिक स्थिरता: मौर्य वंश के पतन के बाद उन्होंने एक सशक्त शासन स्थापित किया।
विदेशी आक्रमणों से रक्षा: यवनों (Indo-Greeks) के हमलों को रोका।
धार्मिक विवाद: बौद्ध ग्रंथों में उन्हें बौद्ध धर्म विरोधी बताया गया, लेकिन पुरातात्विक प्रमाण इस दावे को पूरी तरह से समर्थन नहीं देते।


🔹 निष्कर्ष (Conclusion)

पुष्यमित्र शुंग एक सशक्त शासक और वैदिक परंपराओं के पुनर्स्थापक थे। उनके शासनकाल में भारत में ब्राह्मण संस्कृति, कला और सैन्य शक्ति का पुनरुत्थान हुआ। उनकी ऐतिहासिक भूमिका को समझने के लिए अभिलेख, ग्रंथ, सिक्के और पुरातात्विक प्रमाणों का अध्ययन आवश्यक है

📢 टेलीग्राम ग्रुप से जुड़ें और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अपडेट पाएं!
👉 Sarkari Service Prep™ Telegram Group 🚀


📌 पुष्यमित्र शुंग: विस्तृत प्रश्नोत्तरी (UPSC, SSC, PCS, एवं अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए)

(Pushyamitra Shunga Detailed Question Bank with Previous Year Marks & Exams)

यह प्रश्नोत्तरी UPSC, SSC, PCS, रेलवे, NDA, CDS, और अन्य राज्य स्तरीय परीक्षाओं में गत वर्षों में पूछे गए प्रश्नों के आधार पर तैयार की गई है। इसमें अंक विभाजन (Marks Weightage) के साथ संभावित प्रश्न भी शामिल किए गए हैं।


🔹 1️⃣ पुष्यमित्र शुंग: प्रारंभिक जीवन एवं शुंग वंश की स्थापना

Q1. पुष्यमित्र शुंग कौन थे और उन्होंने किस वंश की स्थापना की? (UPSC 2014, 10 अंक)

👉 उत्तर: पुष्यमित्र शुंग मौर्य साम्राज्य के अंतिम सेनापति थे। उन्होंने 185 ईसा पूर्व में मौर्य सम्राट बृहद्रथ की हत्या कर शुंग वंश की स्थापना की।

Q2. मौर्य वंश के अंतिम सम्राट कौन थे, और उनकी हत्या किसने की थी? (BPSC 2018, 5 अंक)

👉 उत्तर: अंतिम मौर्य सम्राट बृहद्रथ थे, जिनकी हत्या पुष्यमित्र शुंग ने की थी।

Q3. पुष्यमित्र शुंग की राजधानी कौन थी? (SSC CGL 2016, 2 अंक)

👉 उत्तर: पाटलिपुत्र

Q4. पुष्यमित्र शुंग की सत्ता पर कब्जे का मुख्य कारण क्या था? (UPPSC 2019, 6 अंक)

👉 उत्तर: मौर्य वंश की कमजोरी, सैन्य शक्ति का नियंत्रण और वैदिक संस्कृति को पुनर्जीवित करने की इच्छा।

Q5. पुष्यमित्र शुंग की शक्ति का प्रमुख स्रोत क्या था? (UPSC 2020, 5 अंक)

👉 उत्तर: सेना और ब्राह्मणवादी वैदिक परंपराओं का समर्थन।


🔹 2️⃣ शासनकाल एवं प्रशासनिक व्यवस्था

Q6. पुष्यमित्र शुंग का शासनकाल कितने वर्षों तक रहा? (SSC CGL 2018, 2 अंक)

👉 उत्तर: 185 ईसा पूर्व से 149 ईसा पूर्व (लगभग 36 वर्ष)

Q7. पुष्यमित्र शुंग के शासनकाल की प्रमुख विशेषताएँ क्या थीं? (UPSC 2021, 10 अंक)

👉 उत्तर:
1️⃣ मौर्य वंश का पतन और शुंग वंश की स्थापना।
2️⃣ वैदिक परंपराओं का पुनरुद्धार।
3️⃣ बौद्ध धर्म पर प्रभाव और विवाद।
4️⃣ अश्वमेध यज्ञ का आयोजन।
5️⃣ विदेशी आक्रमणकारियों का प्रतिरोध।

Q8. प्रशासनिक दृष्टि से शुंग वंश किस तरह से मौर्य वंश से भिन्न था? (UPSC 2018, 15 अंक)

👉 उत्तर:
✔ शुंग वंश में केंद्रीय प्रशासन की अपेक्षा क्षेत्रीय स्वायत्तता अधिक थी।
✔ ब्राह्मणवादी शासन प्रणाली को अपनाया गया, जबकि मौर्य वंश बौद्ध धर्म को संरक्षण देता था।
✔ शुंग वंश ने सैन्य शक्ति को मजबूत किया।

Q9. पुष्यमित्र शुंग ने किस महत्वपूर्ण वैदिक अनुष्ठान का आयोजन किया था? (CDS 2015, 5 अंक)

👉 उत्तर: अश्वमेध यज्ञ


🔹 3️⃣ विदेशी आक्रमण एवं सैन्य उपलब्धियाँ

Q10. पुष्यमित्र शुंग ने किन विदेशी आक्रमणकारियों का सामना किया? (UPSC 2017, 8 अंक)

👉 उत्तर: उन्होंने यवन (Indo-Greeks) और शक आक्रमणकारियों से संघर्ष किया।

Q11. पुष्यमित्र शुंग ने यवन राजा मेनांडर को कहाँ पराजित किया? (BPSC 2015, 5 अंक)

👉 उत्तर: पंजाब क्षेत्र में।

Q12. पुष्यमित्र शुंग के समय कौन-सा प्रमुख विदेशी आक्रमण हुआ था? (SSC CGL 2020, 3 अंक)

👉 उत्तर: यवन आक्रमण (Indo-Greek Invasion)।

Q13. किस अभिलेख में पुष्यमित्र शुंग की सैन्य शक्ति का उल्लेख मिलता है? (UPSC 2019, 6 अंक)

👉 उत्तर: पातंजलि का महाभाष्य।


🔹 4️⃣ पुष्यमित्र शुंग और बौद्ध धर्म

Q14. पुष्यमित्र शुंग का बौद्ध धर्म के प्रति क्या दृष्टिकोण था? (UPSC 2022, 10 अंक)

👉 उत्तर:
दिव्यावदान और अशोकावदान के अनुसार उन्होंने बौद्ध विहारों को नष्ट किया।
✔ लेकिन पुरातात्विक साक्ष्य (सांची स्तूप, भरहुत स्तूप) बताते हैं कि बौद्ध स्थापत्य को संरक्षण मिला।

Q15. पुष्यमित्र शुंग से जुड़े बौद्ध ग्रंथ कौन-कौन से हैं? (SSC CGL 2019, 4 अंक)

👉 उत्तर:
✔ दिव्यावदान
✔ अशोकावदान


🔹 5️⃣ पुष्यमित्र शुंग और कला-संस्कृति

Q16. पुष्यमित्र शुंग के शासनकाल में कौन-सी कला शैली विकसित हुई? (UPPSC 2021, 6 अंक)

👉 उत्तर: शुंगकालीन स्थापत्य कला (भरहुत स्तूप, सांची स्तूप)।

Q17. भरहुत स्तूप और सांची स्तूप के निर्माण का श्रेय किसे जाता है? (BPSC 2020, 5 अंक)

👉 उत्तर: पुष्यमित्र शुंग एवं उनके उत्तराधिकारियों को।

Q18. किस अभिलेख से पुष्यमित्र शुंग की धार्मिक नीतियों का संकेत मिलता है? (UPSC 2023, 7 अंक)

👉 उत्तर: पातंजलि का महाभाष्य।


🔹 6️⃣ पुष्यमित्र शुंग की मृत्यु और उत्तराधिकार

Q19. पुष्यमित्र शुंग की मृत्यु कब हुई? (SSC CHSL 2018, 2 अंक)

👉 उत्तर: 149 ईसा पूर्व।

Q20. पुष्यमित्र शुंग के बाद शुंग वंश का अगला शासक कौन था? (UPSC 2016, 3 अंक)

👉 उत्तर: अग्निमित्र शुंग।


🔹 7️⃣ पुष्यमित्र शुंग का ऐतिहासिक महत्व

Q21. पुष्यमित्र शुंग का ऐतिहासिक महत्व क्या है? (UPSC 2019, 15 अंक)

👉 उत्तर:
✔ उन्होंने मौर्य वंश के पतन के बाद सत्ता स्थिर की।
✔ वैदिक परंपराओं को पुनर्जीवित किया।
✔ यवन आक्रमणकारियों को हराया।
✔ भारतीय स्थापत्य और मूर्तिकला को बढ़ावा दिया।


📢 टेलीग्राम ग्रुप से जुड़ें और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अपडेट पाएं!
👉 Sarkari Service Prep™ Telegram Group 🚀

अगर यह प्रश्नोत्तरी उपयोगी लगी हो, तो इसे शेयर करें और कमेंट करें!